सिनेमा मेकर्स और सिनेमा लवर्स दोनों के लिए अप्रैल का ये मौसम खुशखबरी लेकर आया है. उनकी खुशी की वजह है सेंसर बोर्ड को विवादमुक्त और बेहतर बनाने के लिए साल की शुरुआत में बनाई गई श्याम बेनेगल कमिटी की वो रिपोर्ट, जिसमें कमिटी ने फिल्मों में कांट-छांट न किए जाने की सिफारिश की है. हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली को सौंपी इस रिपोर्ट में श्याम बेनेगल कमिटी ने साफ कहा है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ सर्टिफिकेशन यानी सेंसर बोर्ड को अपने नाम के अनुसार ही सिर्फ फिल्मों को उसके कंटेंट के मुताबिक सर्टिफिकेट देने का काम करना चाहिए, न कि उसमें कांट-छांट करनी चाहिए. उसे फिल्म को मूल रूप में दर्शकों तक पहुंचने देना चाहिए. इससे फिल्ममेकर्स खुश हैं कि अगर ये सिफारिशें मान ली गईं, तो उनकी सोच जस की तस दर्शकों से पहुंच पाएगी. वहीं पब्लिक इसलिए खुश है कि अब उन्हें एंटरटेनमेंट का ज्यादा डोज मिल पाएगा.

बहुत जरूरी है ये बदलाव

सेंसर बोर्ड के सदस्य फिल्ममेकर अशोक पंडित कहते हैं, 'ये बहुत सही और जरूरी सुझाव हैं कमिटी के. मैं खुद यही बात बोर्ड मीटिंग्स में उठाता रहा हूं और इसके लिए लड़ता रहा हूं. बोर्ड का काम फिल्मों को सर्टिफिकेट देना ही है. उसे फिल्म को काटने का हक नहीं है. जो लोग फिल्म बनाते हैं, वो भी समझदार लोग हैं. उन्हें मत सिखाइए कि उन्हें क्या बनाना है! श्याम बेनेगल और उनकी कमिटी में शामिल राकेश ओम प्रकाश मेहरा, गौतम घोष, कमल हासन, ऐड गुरु पियूष पांडे, फिल्म जर्नलिस्ट भावना सोमाया सब लोग सिनेमा के प्रबुद्ध और जानकार लोग हैं. उन्होंने बिल्कुल सही कहा है.'

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