इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के नौवें संस्करण की शुरुआत भले ही काफी अच्छी रही हो, लेकिन दुनिया के सबसे सफल खेल आयोजनों में से एक इस लीग की चमक धुंधली पड़ती नजर आ रही है.

क्रिकेट से जुड़े स्पॉट फिक्सिंग के विवादों का आईपीएल की लोकप्रियता पर काफी हद तक नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. आईपीएल के छठे संस्करण में 2013 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व प्रमुख एन. श्रीनिवासन से मैच फिक्सिंग से जुड़े विवाद के कारण दो टीमों चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स पर दो साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया था.

फिक्सिंग से आईपीएल पर पड़ा प्रभाव

बीसीसीआई ने हालांकि, आईपीएल में दो नई टीम- राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स और  गुजरात लॉयन्स को नौवें संस्करण में शामिल कर इस कमी को पूरा करने की कोशिश की है, लेकिन ऐसी धारणा है कि इस खेल में बड़े पैमाने पर मैच फिक्सिंग और भ्रष्टाचार के विवादों के कारण इसकी लोकप्रियता में कमी आई है.

मैच फिक्सिंग और भ्रष्टाचार विवादों के कारण श्रीनिवासन को बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हाथ धोना पड़ा था और यह मामला रिटायर्ड जस्टिस आर.एम. लोढ़ा की अध्यक्षता वाली समिति के सामने गया. इसके बाद लोढा समिति ने कई सुझाव प्रस्तुत किए और अगर उन्हें लागू किया जाता, तो शायद भारत में इस खेल में व्यापक तौर पर बदलाव हो सकते थे, लेकिन बीसीसीआई और अन्य संगठनों समिति के कई सुझावों के खिलाफ है.

पहले से अधिक इंटरनैशनल टी20 क्रिकेट

आईपीएल की लोकप्रियता की कमी के पीछे का एक कारण यह भी है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस फॉर्मेट का अधिक आयोजन करने लगा है और साथ ही इसमें पहले से बेहतर भी कर रहा है.

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