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हमारे यहां कोई तानाशाही नहीं है: आनंद एल राय

बॉलीवुड में अक्सर निर्देशकों की शिकायत होती है कि उन्हें निर्माता के असहनीय दबाव में काम करना पड़ता है. और यदि फिल्म का निर्माता चर्चित निर्देशक हो तो बेचारा निर्देशक  कुछ ज्यादा ही असहाय सा हो जाता है.‘तनु वेड्स मनु’, ‘रांझणा’’ और ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’ जैसी सफलतम फिल्मों के निर्देशक आनंद एल राय की गिनती एक बेहतरीन रचनात्मक व सुलझे हुए इंसान के रूप में की जाती है. इन दिनों वह बतौर निर्माता व क्रिएटिव डायरेक्टर फिल्म ‘मनमर्जियां’ का निर्माण कर रहे हैं. जिसका निर्देशन समीर शर्मा कर रहे हैं.

इस फिल्म में आयुष्मान खुराना के साथ भूमि पेडणेकर की जोड़ी है. ऐसे में सवाल उठता है कि उनकी तरफ से सामने वाले निर्देशक पर कितना दबाव होता है? और जब यही सवाल हमने आनंद एल राय से किया, तो आनंद एल राय ने कहा-‘‘जैसा कि मैंने अभी कहा कि निर्देशक के तौर पर मैं कभी किसी का दबाव सहन नहीं करता. उसी तरह निर्माता के तौर पर मैं किसी भी निर्देशक पर दबाव नहीं बनाता. मैं यहां पर एक ऐसा प्लेटफार्म तैयार करना चाहता हूं, जहां एक निर्देशक का अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस हो और निर्देशक बिना दबाव के काम करते रहें. हमारे यहां कोई तनाशाही नही है. मेरी सोच यह है कि हम आपस में बैठकर चाय पीते हुए किसी सही व सटीक हल पर पहुंच जाएंगे. मेरा सपना है कि निर्देशक के तौर पर आप अपनी पसंद की फिल्में बनाएं.’’

यानी कि आनंद एल राय का दावा है कि उनकी फिल्म प्रोडक्शन कंपनी ‘‘एलो कलर्स प्रोडक्शन’’ में तानाशाही वाला रवैया नही है. मगर फिल्म ‘मनमर्जियां’ को लेकर कई तरह की खबरें फैली हुई हैं. चर्चा है कि फिल्म का पहला शिड्यूल खत्म होने के बाद आंनद एल राय के कहने पर इसे रीशूट किया गया. पर फिल्म जिस तरह से बनी है, उससे आनंद एल राय संतुष्ट नहीं हैं. इसलिए उन्होंने ‘मनमर्जिया’ के निर्देशक समीर शर्मा को हटा दिया है.

जब हमने यह बात आनंद एल राय के समक्ष रखी, तो आनंद एल राय ने बड़े शांत स्वभाव व विनम्रता के साथ कहा-‘‘आपने बहुत सटीक सवाल किया है. मैं पूरी घटना बता देता हूं. इस फिल्म का निर्देशन समीर शर्मा कर रहे थे, जो कि मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे. वह आज भी मेरे अच्छे दोस्त हैं. मैं आज भी उन्हें एक अच्छा निर्देशक मानता हूं. वह मेरे पास एक कथा लेकर आए. तो मुझे लगा कि इस पर फिल्म बननी चाहिए. सब कुछ तय हो गया. कलाकार भी तय हो गए. जब फिल्म का पहला शिड्यूल पूरा हुआ, तो मुझे अहसास हुआ कि फिल्म जिस तरह से बननी चाहिए थी, उस तरह से नहीं बनी है.”

वे आगे कहते हैं कि, “हमने इस मसले पर आपस में बैठकर बातचीत की. उसके बाद फिर दो चार दिन शूटिंग हुई. पर हमें अहसास हुआ कि बात बन नहीं रही है. कई बार ऐसा होता है कि कहानी, निर्देशक, कलाकार सभी बहुत अच्छे होते हैं, पर कहीं न कहीं लगता है कि कहानी सिमट नहीं रही है. मतलब सब कुछ सही होते हुए भी जो ‘सुर’ मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है.‘मनमर्जियां’ के साथ भी वही स्थिति बनी हुई है. मैंने सोचा कि इस फिल्म के साथ जुड़े सभी लोग अच्छे हैं. कहानी भी अच्छी है. पर यह फिल्म जिस ढंग से बन रही है, वैसे बन गयी, तो यह, वह फिल्म नहीं होगी, जो हम बनाना चाहते हैं. अतः हम लोगों ने शूटिंग रोक कर इस स्थिति पर विचार विमर्श करने के लिए समय लिया. एक दिन समीर शर्मा ने मुझसे कहा कि अब इस फिल्म को आगे मैं अपने हिसाब से निर्देशित करूं. और वह दूसरी फिल्म पर काम करना चाहते हैं. समीर शर्मा आपसी सहमति से खुद को इस फिल्म से अलग कर दूसरी फिल्म पर काम करने जा रहे हैं. यह सारा निर्णय दो रचनात्मक लोगों की आपसी बातचीत का रहा. कहीं कोई विवाद या तानाशाही का मसला नही है.’’

तो इस अनुभव के साथ यह बात उभरती है कि क्या हर कहानी हर निर्देशक के लिए उपयुक्त नहीं होती है? इस सवाल पर आंनद एल राय ने कहा-‘‘बिल्कुल यही बात सामने आती है. कई बार ऐसा हुआ है कि मैं कहानी सुनता हूं, मुझे कहानी बहुत पसंद आती है. पर मुझे खुद लगता है कि इस कहानी पर काम नहीं कर पाउंगा. पर मैं उस फिल्म को देखना जरूर चाहूंगा. मैंने फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ देखी और बहुत इंज्वॉय किया. पर यदि यह फिल्म मुझे बनाने को दी जाती, तो इस अंदाज में न बना पाता, जिस अंदाज में संजय लीला भंसाली ने बनायी है. मैं यदि इसे बनाता तो वह किस तरह की फिल्म बनती कह नहीं सकता. कई बार हमने देखा है कि बहुत अच्छी पटकथा पर बनी फिल्म भी अच्छी बनकर नहीं निकलती है. तो हमें सतर्क रहने की जरूरत है. मेरी राय में फिल्म सफल या असफल नहीं होती. बल्कि फिल्म एक इंसान के वीजन से निकलनी चाहिए. फिल्म किसी भी एक इंसान के वीजन से ना निकली हो, तो वह तकलीफ ही देती है.’’

महिलाएं अपना आसमान खुद तलाश लेंगी

स्वतंत्रता के इन 69 वर्षों के दौरान भारतीय नारी ने अपने स्तर पर हर क्षेत्र में सफलता हासिल की है. यों तो शिक्षा के क्षेत्र में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अशिक्षा का स्तर ज्यादा है और अगर शिक्षित नारी की शिक्षित पुरुष से तुलना की जाए तो वह उन से कहीं आगे है. मगर हालिया नतीजे बताते हैं कि महिलाएं अब शिक्षा के प्रति जागरुक है. अक्सर हम पत्रपत्रिकाओं और अखबारों में पढ़ते रहते हैं कि हाईस्कूल परीक्षा परिणाम में छात्राओं ने बाजी मारी, आईआईटी परीक्षा परिणाम में छात्र सर्वप्रथम, आईएएस टौपर बनी दिल्ली की छात्रा आदि से मिलता रहा है.

दरअसल पढ़ाई में दिनोंदिन सफलता के कीर्तिमान बना रही महिलाओं को यह मुकाम उन की मेहनत और लगन से प्राप्त हो रहा है. अभी हाल ही में भारतीय सिविल सेवा परीक्षा 2015 के परिणाम के नतीजे घोषित हो गए हैं. इन नतीजों में कुल 1078 कैंडीडैट्स पास हुए हैं. पर यहां भी एक महिला ने टौप कर के जता दिया कि आज की महिला वास्तव में जागरूक हो चुकी है.

महिलाओं की उपलब्धियां सिविल सेवा परीक्षा में

भोपाल में जन्मी और दिल्ली में रहने वाली टीना ढाबी ने सिविल सेवा परीक्षा में पूरे देश में पहला स्थान प्राप्त कर महिलाओं का सिर ऊंचा कर दिया है. सब से बड़ी बात टीना ने पहले ही अटेंप्ट में यह परीक्षा क्लीयर कर ली. इस अटेंप्ट के पीछे उन की जो तपस्या है वह उन की 9 सालों की कड़ी मेहनत का ही नतीजा है. सिर्फ 22 साल की उम्र में टौप कर के अब टीना ढाबी लड़कियों के लिए रौल मौडल बन गई हैं.

महिलाओं की उपलब्धियां

वाराणसी की अर्तिका शुक्ला ने 25 साल की उम्र में सिविल सेवा परीक्षा में सफलतापूर्वक चौथा स्थान प्राप्त किया है. अर्तिका अपनी प्रेरणा का स्रोत स्वर्गीय राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को मानती हैं. उन का मानना है कि वह गरीबों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अथक प्रयास करेंगी.

वहीं 29 वर्षीय झांसी की एसपी सिटी आईपीएस गरिमा सिंह का भी चयन हुआ उन की 55वीं रैंक है. इस से पहले वह राजधानी लखनऊ में ट्रेनिंग के दौरान अलीगंज क्षेत्र की सीओ के पद पर तैनात थी. आईपीएस जौब के दौरान ही उन्होंने आईएएस की परीक्षा पास की. गरिमा का मानना है कि टाइम मैनेजमैंट सब से इंपौटेंट है अपनी कैपिसिटी डेवलैप करें, धैर्य रखें और योजनाबद्ध तरीके से पढ़ाई करें.

रायबरेली निवासी वत्सला गुप्ता ने अपने तीसरे प्रयास में 173 रैंक प्राप्त किया है. वत्सला को अपने 3 साल की मेहनत के बाद औल इंडिया रैंक में 173वां स्थान प्राप्त किया है. इन का मानना है कि सफलता के लिए सब से जरूरी है हार्डवर्क और अपने कैरियर में पैशन बनाए रखना, पढ़ाई को बोझ नहीं समझा.

हौसलों की उड़ान

इतिहास गवाह है कि महिलाएं हर वो काम कर सकने में सक्षम हैं जो पुरुष कर सकते हैं महिलाओं के कदमकदम पर मानव समाज की समृद्ध में योगदान दिया है. सदियों से ही समाज में महिलाएं कई क्षेत्रों में आगे आई हैं और आज निश्चय ही आधुनिक समाज के विकास में सकारात्मक भूमिका निभाने वाली महिलाओं की तादात बढ़ रही है. एक अबला भी छिव से निकल कर एक सबला के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो चुकी है प्रगति का कोई ही शिखर बचा होगा, जहां आज की नारी न पहुंची हो. महिलाएं अपने प्रयास और प्रयत्न में पीछे नहीं हैं.

प्रो कबड्डी लीग नीलामी, मालामाल हुए ये खिलाड़ी

प्रो कबड्डी लीग (PKL) के आगामी चौथे सीजन के लिए आयोजित खिलाड़ियों की नीलामी में डिफेंडर मोहित छिल्लर के लिए सबसे बड़ी बोली लगी. नॉर्थ ईस्ट रेलवे में क्लर्क के पद पर काम करने वाले इस प्लेयर के लिए बंगलुरु बुल्स ने 53 लाख रुपये खर्च कर दिए. 2014 में मोहित की कमाई की यह नौ गुना कीमत है. उन्हें दूसरे सीजन की चैंपियन यू मुंबा से खरीदा गया. छिल्लर को 2014 में पहले सीजन के लिए हुई नीलामी में 5.75 लाख रुपये में खरीदा गया था.

आठ टीमों की नीलामी में प्रत्येक को पिछले तीन सत्र से जुड़े प्लयेर्स में से केवल दो को बरकरार रखने की अनुमति थी. राजधानी से 30 किमी दूर निजामपुर गांव के छिल्लर ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं. मुझे इतनी कीमत मिलने की उम्मीद नहीं थी. मैंने सोचा था कि मैं 35 से 40 लाख के बीच में बिकूंगा.'

तीसरे सीजन की चैंपियन पटना पायरेट्स के संदीप नारवाल को 45.5 लाख रुपये में खरीदा, जबकि यू मुंबा ने ग्रुप-ए खिलाड़ियों की बोली के दौरान जीवा कुमार को 40 लाख रुपये में खरीदकर सभी को चौंका दिया. जीवा की बेस प्राइस 12 लाख रुपये थी.

नीलामी में पाकिस्तानी प्लेयर मोहम्मद रिजवान की भी बोली लगी. उन्हें तेलगु टाइटंस ने खरीदा. प्रो कबड्डी लीग के चौथे सीजन का आयोजन 25 जून से 31 जुलाई तक होगा, जिसके पहले दौर के मैच पुणे में जबकि दो सेमीफाइनल और फाइनल हैदराबाद में होंगे.

ग्रुप ए से अन्य नीलामी

पुणेरी पल्टन के जसमेर सिंह गुल्ला को 35.5 लाख रुपये में तेलुगू टाइटंस ने खरीदा. जयपुर पिंक पैंथर्स के कुलदीप सिंह को 30.4 लाख में पटना पाइरेट्स ने खरीदा. यू मुंबा के सुरेंद्र नाडा 30 लाख में बंगलुरु बुल्स की टीम में गए. धर्मराज चेरालाथान को 29 लाख में पटना पाइरेट्स ने तेलुगू टाइटंस से खरीदा.

यू मुंबा ने राकेश कुमार को 26 लाख में अपने पास बरकरार रखा. बंगाल वॉरियर्स के बाजीराव होडागे को पटना पाइरेट्स ने 20 लाख में अपने साथ जोड़ा. पुणेरी पल्टन ने अजय ठाकुर को 19 लाख रुपये में बरकरार रखा.

किसने ठोका सनी लियोनी पर मानहानि का मुकदमा?

टीवी शो ‘बिग बॉस’ सीजन 5 की प्रतिभागी और मॉडल पूजा मिश्रा ने फिल्म स्टार सनी लियोन पर मानहानि का दावा किया है. पूजा ने सनी लियोन के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर 100 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की है.

सनी ने पूजा के खिलाफ दिया इंटरव्यू

पूजा ने अपनी याचिका में दलील दी है कि वह टीवी शो ‘बिग बॉस’ सीजन 5 की एक लोकप्रिय प्रतिभागी थीं और सनी उस शो में काफी बाद में शामिल हुईं. उन्होंने आरोप लगाया कि सनी ने मीडिया के एक हिस्से को उसके खिलाफ इंटरव्यू दिया. पूजा के मुताबिक, इससे लोगों की नजर में उनकी इमेज खराब हुई है. इस वजह से उन्हें अपना फिक्स डिपोजिट तोड़ना पड़ा और अपनी सेविंग के पैसे निकालने पड़े, जिससे उन्हें 70 लाख रुपये तक नुकसान हुआ.

जून में हो सकती है याचिका पर सुनवाई

याचिकाकर्ता ने सनी लियोनी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) के तहत मुकदमा दर्ज कराया है. इस मामले पर बॉम्बे हाई कोर्ट में गर्मी की छुट्टियों के बाद जून में सुनवाई हो सकती है.

 

क्या आप भी स्मार्टफोन गर्म हो जाने से परेशान हैं?

स्मार्टफोन गर्म हो जाने की समस्या से निजात पाने के लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं बस थोड़ी सी सावधानी बरतनी होगी. साथ ही कुछ बातें भी ध्यान रखनी होंगी जो आपको फोन के गर्म होने पर बिलकुल नहीं करनी चाहिए.

ढे़र सारी एप्स का इस्तेमाल

यदि आप अपने स्मार्टफोन में एक साथ कई सारी एप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह गलती आपके फोन की नहीं, आपकी है. क्योंकि हो सकता है आपका फोन ज्यादा लोड नहीं ले पाता हो, और इसीलिए फोन जल्दी गर्म हो जाता हो.

वाई फाई ऑफ कर दें

यदि आप अपने फोन में वाई-फाई का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो ऑफ कर दें. इससे भी कई स्मार्टफोन जल्दी गर्म हो जाते हैं.

भारी कवर्स

फोन की प्रोटेक्शन के लिए हमें केस या कवर का यूज करना. लेकिन ध्यान रहे कि आपका फोन कवर ज्यादा भारी न हो.

बैटरी का रखें ध्यान

स्मार्टफोन की पावर होती है उसकी बैटरी. जब बैटरी पुरानी हो जाती है तो अक्सर जल्दी गर्म होने लगती हैं. तो आप अपनी फोन की बैटरी को बदल कर ओवरहीटिंग की समस्या से बच सकते हैं.

चार्जिंग के समय फोन यूज

हम में से कई लोगों की आदत होती है कि वे 24 घंटे फोन पर लगे रहते हैं. यहां तक कि चार्जिंग के दौरान भी. लेकिन ऐसा करने से फोन ओवर हीट हो सकता है.

हैवी गेम्स

यदि आप अपने फोन में हैवी गेम्स रखते हैं, तो भी फोन जल्दी गर्म हो सकता है.

अगर आप हैं चैट के शौकीन तो आजमाएं ये एप

क्या आप अपने दोस्तों से घंटो चैट करते हैं, इनमें कुछ मैसेज ऐसे भी होते होंगे जो आप अपने पैरेंट्स को नहीं दिखाना चाहते होंगे और चैट के बाद मैसेज और पिक्स डिलीट करते होंगे. लेकिन अगर आपको ऐसी एप्लीकेशन मिले जिसमें चैट के बाद सारे मैसेज खुद-ब-खुद डिलीट हो जाएं तो कैसा रहेगा. जी हां! ये मुमकिन है स्नैपचैट के जरिए.

इस मोबाइल एप्लीकेशन की शुरुआत 2011 में हुई थी. स्नैपचैट के संस्थापक इवान स्पीगल हैं. आंकड़े बताते हैं कि स्नैपचैट ने वीडियो देखने के मामले में फेसबुक को पीछे छोड़ दिया है. आइए जानते हैं इससे जुड़े फैक्ट्स के बारे में:

1.यह ऐप 25 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए है. इस मोबाइल एप्लीकेशन में वीडियो चैट और एक दूसरे से फोटो भेजकर चैट कर सकते हैं. मजेदार बात यह है कि ये चैट कुछ पलों के बाद खुद-ब खुद डिलीट हो जाएगी. 

2. स्नैपचैट रियल टाइम नेचर इसे और भी खास बनाता है. रियल टाइम स्टोरीज, स्नैपचैट स्टोरी रियल टाइम में अपडेटेड होती हैं और अपनी लाइव तस्वीरों के जरिए यूजर्स दुनिया को दिखा सकता है कि वो उस क्षण कैसा महसूस कर रहा है.

3. स्नैपचैट के लाइव स्टोरीज फीचर के जरिए आप किसी बड़े सेमिनार पार्टी, पैनल सेशन को कवर कर सकते हैं. इस ऐप के जरिए आप एक सेशन को अटेंड कर दूसरे सेशन को किसी और के जरिए लाइव स्नैपचैट पर देख सकते हैं.

4. स्नैपचैट पर अब हर रोज 10 अरब वीडियो देखे जा रहे हैं. पिछले सात महीने में स्नैपचैट पर वीडियो देखने का आंकड़ा दोगुने से भी अधिक हो गया है.

5. स्नैपचैट के कंटेट को आप कम से कम समय के लिए देख पाते हैं इसका मतलब हुआ कि आप किसी भी विषय पर ज्यादा से ज्यादा जानकारी पा सकते हैं. इस तरह आप ट्वीट के स्क्रॉलिंग की आदत से बच सकते हैं.

6. वीडियो शेयरिंग वेबसाइट यू-ट्यूब की तरह ही स्नैपचैट ने भी एक सेकेंड से ज्यादा समय तक चलने वाले वीडियो को व्यू की श्रेणी में डाल दिया है. 

7. स्नैपचैट के लेटेस्ट वर्जन में एक रीप्ले का ऑप्शन होता है. जिससे आप पुरानी तस्वीरों को देख सकते हैं लेकिन यह सुविधा तस्वीरें देखने के बाद कुछ ही घंटे के लिए ही उपलब्ध होती हैं. उस समय-सीमा के बाद ये खुद-ब खुद डिलीट हो जाती हैं.

8. इस मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए आप टेस्क्ट और विडियो चैट भी कर सकते हैं.

देश में पहला ऑनलाइन सट्टेबाजी केंद्र खुला

देश की पहली ऑनलाइन बेटिंग एरेना का उद्धघाटन भारत के पूर्व क्रिकेटर कपिल देव ने गैंगटोक में किया. पूरे मुल्क में बेटिंग यानी सट्टा गैरकानूनी है. लेकिन सिक्किम पर यह कानून लागू नहीं होता.

सिक्किम की तीन कंपनियों को खेल में ऑनलाइन बेटिंग की कानूनी इजाजत मिली है. ऑनलाइन गेमिंग और बेटिंग की शुरुआत यहां सिक्किम सरकार के ऑनलाइन गेमिंग रेग्युलेशन (2008) के मुताबिक की गई है. ऑनलाइन बेटिंग केवल इंट्रानेट कनेक्शन के जरिए ही हो सकेगी.

केंद्र सरकार ने अप्रैल 2014 में नोटिफिकेशन जारी कर सिक्किम सरकार को यह भी सुनिश्चित करने का आदेश दिया था कि बेटिंग सिक्किम की सीमा से बाहर कतई न होने पाए. दिलचस्प बात यह है कि इसकी शुरुआत करने के बावजूद कपिल देव ने इन दिनों जारी फुटबॉल मैचों पर सट्टा लगाने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह सट्टा लगाने वालों में से नहीं हैं.

अब आ गया है हाइपरलूप ट्रेन का जमाना

दुनिया की सबसे तेज ट्रेन हाइपरलूप वन का अमेरिका के नॉर्थ लास वेगास में पहला सफल परीक्षण हुआ. हाइपरलूप वन बुलेट ट्रेन की दोगुनी रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेन बनेगी. इसके साथ ही इसे दुनिया की सबसे तेज ट्रेन होने का गौरव हासिल होगा.

300 मील प्रति घंटे की रफ्तार अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, हाइपरलूप वन की प्रोटोटाइप का अमेरिका के नेवादा रेगिस्‍तान में सफल टेस्‍ट हुआ है. हाइपरलूप वन को पहले हाइपरलूप टेक्‍नोलॉजी के नाम से जाना जाता था.

मीडिया की मानें तो पहले टेस्‍ट में ही हाइपरलूप वन ने 300 मील/घंटा की रफ्तार पकड़ी. मैग्‍नेटिक टेक्‍नोलॉजी  से लैस पॉड (ट्रैक) पर हाइपरलूप का दो मील के ट्रैक पर टेस्‍ट किया गया.

कैप्‍सूल जैसी हाइपरलूप ट्रेन रिसर्चर्स ने दावा किया है कि आने वाले सालों में वैक्यूम (बिना हवा) ट्यूब सिस्टम से गुजरने वाली कैप्सूल जैसी हाइपरलूप 750 मील यानी 1224 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी.

इस ट्रेन को साउंड की स्‍पीड से 1236 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार को छूने का लक्ष्‍य रखा गया है. बताया जा रहा है कि वर्ष 2018 तक पहली हाइपरलूप ट्रेन पटरियों पर दौड़ाने की तैयारी है. 

फातमा सामौरा बनी FIFA की पहली महिला महासचिव

अफ्रीकी देश सेनेगल की फातमा सामौरा को फुटबॉल की वैश्विक इकाई इंटरनेशनल फुटबॉल फेडरेशन (फीफा) के महासचिव पद पर नियुक्त किया गया है. वह इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला हैं.

यह ऐतिहासिक फैसला फीफा की कांग्रेस में किया गया.  फीफा प्रेसीडेंट जियानी इन्फेन्टिनो ने मेक्सिको सिटी में वार्षिक कांग्रेस में उनकी नियुक्ति की घोषणा की. वह पूर्व महासचिव जेरोम वाल्के की जगह लेंगी जिन पर फुटबॉल संबंधी किसी प्रकार की गतिविधि में हिस्सा लेने के संदर्भ में 12 वर्षों का बैन लगा है.

गौरतलब है कि 54 वर्षीय सामौरा फुटबॉल जगत के बाहर से हैं और अभी तक संयुक्त राष्ट्र में सेनेगल की राजनयिक थीं. उन्होंने 21 वर्षों तक संयुक्त राष्ट्र के साथ काम किया है. संयुक्त राष्ट्र के विकास कार्यों के चलते वह फिलहाल नाइजीरिया में रह रही हैं.

फीफा अध्यक्ष जियानी इन्फेन्टिनो ने यहां वार्षिक कांग्रेस के दौरान सामौरा की नियुक्ति की घोषणा की. सामौर मध्य जून से अपना पदभार संभालेंगी. विश्व खाद्य कार्यक्रम से जुड़ी सामौरा ने कहा, "यह मेरे लिए एक यादगार दिन है. मैं फीफा की महासचिव बनकर खुद को गौरवांवित महसूस कर रही हूं."

शेयर धारकों के लिए सेबी उठा सकता है बड़ा कदम

पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की सूचीबद्ध कंपनियों के लिए अनिवार्य रूप से लाभांश का खुलासा करने की नीति लाने की योजना है. इस कदम का मकसद आम शेयर धारकों को यह समझने में मदद करना है कि वे किसी कंपनी से कितने लाभांश की उम्मीद कर सकते हैं. फिलहाल कंपनियों द्वारा लाभांश की घोषणा के लिए कोई अनिवार्य नियम या नीति नहीं है. हालांकि कुछ कंपनियों ने स्वैच्छिक तौर पर लाभांश वितरण के लिए नीति बनाई हुई है.

सेबी की इच्छा है कि ऐसी नीति हर साल कंपनी की सालाना रिपोर्ट में शामिल हो. इसके साथ ही कंपनियां अपनी वेबसाइट पर भी इसे प्रकाशित करे. शुरुआत में सेबी बाजार मूल्य के हिसाब से शीर्ष 500 कंपनियों को ही इस नियम के दायरे में लाने पर विचार कर सकता है.

एक समान नीति बनाने की कवायद

सूत्रों ने कहा कि सेबी की योजना किसी कंपनी को लाभांश भुगतान के लिए दबाव डालने की नहीं है बल्कि कंपनियों के लिए एक समान नीति बनाने की है. नियामक की मंशा है कि कंपनियां उन स्थितियों और वित्तीय मानदंडों का खुलासा करें, जिसके तहत वे लाभांश का भुगतान कर सकती हैं या नहीं कर सकतीं. मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि सेबी कंपनियों से यह बताने को भी कह सकता है कि अगर वे लाभांश नहीं देना चाहती हैं तो कमाई को अपने पास बचाकर रखने का मकसद क्या है.

शेयर धारकों को नहीं मिलता लाभ में हिस्सा

लाभांश भुगतान के मामले में कई घरेलू कंपनियों ने अस्थाई नियम बनाए हुए हैं. उदाहरण के तौर पर 2014-15 में टाटा मोटर्स, रिलायंस पावर और ग्लेनमार्क ने अच्छा मुनाफा कमाने के बावजूद अपने शेयर धारकों को कोई लाभांश नहीं दिया. दूसरी ओर, वेदांत, टाटा स्टील और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एमएमटीसी जैसी कंपनियों ने नुकसान के बाद भी लाभांश का भुगतान किया.

कंपनियों का तर्क

कुछ देशों में कंपनियां अपने मुनाफे का एक नियमित हिस्सा लाभांश के तौर पर देती हैं. हालांकि लाभांश की उम्मीद करना अल्पांश शेयरधारकों का है, लेकिन कारोबार में निवेश या संभावित अधिग्रहण का तर्क देकर कंपनी नकदी अपने पास रखने और लाभांश नहीं देने को सही ठहरा सकती है. फिलहाल सेबी कंपनियों को आईपीओ लाने के समय लाभांश नीति का खुलासा करने को कहता है.

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