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अब व्हाट्सएप पर शेड्यूल करें मैसेज

अब आपको किसी दोस्त को जन्मदिन या शादी की सालगिरह पर बधाई देने के लिए 12 बजे तक उठे रहने की जरुरत नहीं होगी. क्योंकि अब आप व्हाट्सएप पर मैसेज शेड्यूल कर सकते हैं. साथ ही यदि आपको भूलने की आदत है लेकिन आप किसी को जरुरी मैसेज किसी तय समय पर ही करना चाहते हैं तब भी इसका इस्तेमाल कर अपनी परेशानी को दूर किया का सकता है. एंड्रायड और iOS यूजर्स दोनों के लिए ही ये सुविधा उपलब्ध है.

व्हाट्सएप पर कई तरह के फीचर्स पहले से हैं, साथ ही कई शानदार फीचर्स समय समय पर जुड़ते भी रहते हैं. लेकिन व्हाट्सएप पर अब आपको व्हाट्सएप पर अब तक की सबसे बढ़िया सुविधा मिलने वाली है. जो कि है मैसेज शेड्यूल करने की.

शेड्यूल व्हाट्सएप मैसेज

इसके लिए आपको सबसे पहले अपने फोन में एक थर्ड पार्टी एप शेड्यूल व्हाट्सएप मैसेज डाउनलोड करनी होगी. इसे डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें.

पेंसिल का आइकॉन

एप इंस्टॉल करने के बाद यह आपसे सुपरयूजर का एक्सेस मांगेगा, आप इसे अनुमति दें. अब आपको स्क्रीन पर दाएं ओर एक पेंसिल का आइकॉन मिलेगा, उस पर क्लिक करें.

कांटेक्ट सेलेक्ट करें

अब आपको जिसे व्यक्ति को मैसेज भेजना है उसका कांटेक्ट सिलेक्ट करना है. वहीं नीचे आप मैसेज लिख सकते हैं.

टाइम सेट करें

अब आप टाइम सेट कर दें. टाइम सेट करने के बाद नीचे दिए एड बटन पर क्लिक करें आपका मैसेज शेड्यूल हो जाएगा.

मैसेज शेड्यूल हो गया है

आपका शेड्यूल मैसेज सेट किए हुए टाइम पर सेलेक्ट किए हुए व्यक्ति को पहुंच जाएगा.

शिरीष कुंडेर के समर्थन में बोले मनोज बाजपेयी

‘‘जोकर’’ जैसी असफल फिल्म के निर्देशक शिरीष कुंडेर अपनी नई लघु फिल्म ‘‘कृति’’ को लेकर जबरदस्त शोहरत बटोर रहे हैं. लघु फिल्म ‘‘कृति’’ में मनोज बाजपेयी और राधिका आप्टे की मुख्य भूमिका है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी उनकी फिल्म की तारीफ कर चुके हैं. लेकिन फिल्म ‘‘कृति’’ के यूट्यूब पर रिलीज होने के दो दिन बाद जैसे ही नेपाली फिल्मकार अनिल न्यूपाने ने शिरीष कुंडेर पर आरोप लगाया कि शिरीष ने उनकी फिल्म ‘बीओबी’ की चोरी की, वैसे ही सब चुप हो गए.

अब तक बौलीवुड का एक भी शख्स शिरीष कुंडेर के समर्थन में आगे नही आया. पर विवाद पैदा होने के दो दिन बाद शिरीष कुंडेर ने नेपाली फिल्मकार अनील न्यूपाने को कानूनी नोटिस भेजकर माफी मांगने के लिए कहा है. अन्यथा मानहानि का मुकदमा दायर करने की बात कही है. शिरीष कुंडेर का दावा है कि उनकी फिल्म ‘‘कृति’’ मौलिक फिल्म है.

इस सारे विवाद पर ‘‘सरिता’’ पत्रिका ने फिल्म ‘‘कृति’’ में मुख्य भूमिका निभा चुके अभिनेता मनोज बाजपेयी से बात की. मनोज बाजपेयी ने कहा-‘‘पता नहीं इन जनाब को कहां से लग गया कि उनकी फिल्म की चोरी की गयी है. उन्होने मई माह में अपनी फिल्म ‘यूट्यूब’पर लोड की है और हमने उससे पहले अपनी फिल्म बना ली थी. उनका दावा है कि फरवरी माह में उन्होने ‘वीमियो’ पर अपने निजी दोस्तों के लिए फिल्म को लोड किया था. शिरीष कुंडेर न तो उनका दोस्त है और न उनका किसी तरह से जुड़ाव है. फिर उन्होंने यह भी कहा है कि वह मुंबई आए थे. वह कहां कहां घूमे हैं, पता नही. पर हमारी फिल्म की स्क्रिप्ट कई माह से कईयों के पास थी.

अब शिरीष कुंडेर ने मानहानि का नोटिस इन सज्जन को भेजा है. यह सच को उजागर करने का मसला हो गया है. यह नोटिस शिरीष कुंडेर ने यह सोचकर भेजा है कि यह लड़ाई बहुत दूर तक लेकर जाएंगे. अब यह बात बहुत बड़ी हो गयी है, क्योंकि शिरीष कुंडेर के चाहने वाले ज्यादा है नहीं. उसके दुश्मन ज्यादा हैं. तो उन्होने इस बात को बहुत बढ़ा दिया और हमारे कुछ एक नेपाली मित्रों को लगा कि यह मौका है किसी पर चढ़ने का, तो वह चढ़ गए. मैं यह कहूंगा कि भाई, जो बार बार चिल्ला चिल्ला कर शिरीष को गलत कह रहे हैं. वह शिरीष की बात पर गौर करें. शिरीष ट्विटर पर लिखता है, ‘जिसे सत्य पाना है, वह तथ्यों में भी सत्य पा लेगा. लेकिन जिसको सिर्फ नकारना है, वह तथ्यों में भी नकारता रहेगा. उसके लिए सत्य मायने नहीं रखते.’ जो पहले पर राजी है, वह राजी हो जाए, जिन्हे दूसरे पर जाना है, वह नकारता रहे.’’

मनोज बाजपेयी ने आगे कहा- ‘‘आज ‘कृति’ के दर्शक तीस लाख की संख्या पर पहुंच चुके हैं. यह अपने आप में अतुलनीय है. जबकि नेपाली फिल्म को पहले सिर्फ तीन हजार दर्शक मिले थे. उन्होने जो विवाद पैदा किया, उससे यह हुआ कि उनके दर्शक बढ़कर सत्तर हजार हो गए. इस विवाद से फायदा तो उनका हुआ. इसीलिए उन्होने यह काम किया था. अनावश्यक रूप से यह आरोप लगाना कि हमारी फिल्म की तरह उनकी फिल्म में दीवार पर घड़ी थी और हमारी फिल्म में उनकी फिल्म की ही तरह सायक्रेटिक की दीवार पर प्रमाणपत्र लगा है. यह गलत है. आप खुद बताइए कि एक सायक्रेटिक के आफिस को और किस तरह से दिखाया जाता.’’

मनोज बाजपेयी यहीं पर नहीं रूके. उन्होने आगे कहा-‘‘तो यह सोचा समझा एक विवाद खड़ा किया गया. ताकि वह अपने आपको फायदा पहुंचा सके. बाकी तो अब वह नोटिस का जवाब देंगे. नोटिस का जवाब नहीं देंगे, तो अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर होगा.’’

क्या शिरीष कुंडेर हार गए शुरुआती लड़ाई

नेपाली फिल्मकार अनील न्यूपाने और भारतीय फिल्मकार शिरीष कुंडेर के बीच फिल्म की चोरी का मसला क्या रंग लाएगा, यह अभी कहना बड़ा मुश्किल है. 22 जून को शिरीष कुंडेर ने मनोज बाजपेयी व राधिका आप्टे के अभिनय से सजी अपनी लघु फिल्म ‘‘कृति’’ को यूट्यूब पर लोड किया था. 24 जून को नेपाली फिल्मकार अनील न्यूपाने ने शिरीष कुंडेर के नाम ट्विटर व फेसबुक पर खुला पत्र लिखकर आरोप लगाया कि शिरीष ने उनकी फिल्म ‘‘बीओबी’’ की चोरी की है, जो कि उन्होंने अपने मित्रों के लिए फरवरी माह में ‘वीमियो’ पर डाली थी.

शिरीष कुंडेर ने ट्विटर पर इन आरोपों को सिरे से खारिज किया. पर ट्विटर व फेसबुक पर शिरीष के खिलाफ बहुत से लोग बयान लेकर आ गए. तब सोमवार, 27 जून को शिरीष कुंडेर ने नेपाली फिल्मकार अनील न्यूपाने को कानूनी नोटिस भेजी. यह कानूनी नोटिस अनील न्यूपाने को मिली या नही, पता नहीं. शिरीष कुंडेर ने अपने इस नोटिस में लिखा है-‘‘आपकी बात मान ले कि दोनों फिल्में एक समान है तो हो सकता है कि आपने हमारी फिल्म की चोरी की हो. क्योंकि हमारी फिल्म की पटकथा कई लोगों के पास थी.

मंगलवार, 28 जून देर रात ‘‘यूट्यूब’’ ने शिरीष कुंडेर की फिल्म ‘‘कृति’’ को हटा दिया. उस जगह पर ‘यूट्यूब’ने लिखा है-‘‘दिस वीडियो इज नो लांगर अवेलेबल ड्यू टू ए कापीराइट क्लेम बाय अनील न्यूपाने.’’ यानी कि अनील न्यूपाने द्वारा कापीराइट का आरोप लगाए जाने पर यह वीडियो हटाया गया.

कापीराइट के मसले पर जब ‘यूट्यूब’ किसी फिल्म को हटा देता है, तो इसके मायने होते हैं कि ‘यूट्यूब’ ने उसे दोषी मान लिया है. इतना ही नही अब ‘यूट्यूब’ से फिल्म ‘कृति’ के लिए शिरीष को एक पैसा नहीं मिलेगा. इस तरह देखा जाए तो शिरीष कुंडेर शुरुआती लड़ाई हार चुके हैं. अब देखना है कि शिरीष कुंडेर का अगला कदम क्या होगा.

कीचड़ में फुटबौल की डबल मस्ती

क्रिकेट के बाद युवाओं का सब से पसंदीदा खेल अगर कोई है तो वह है फुटबौल और वर्तमान में चल रहे फुटबौल सीजन के चलते तो युवाओं ने अपने बाल भी क्रिकेट स्टार धौनी के स्टाइल को छोड़ कर फुटबौलरों की तरह बनवाने शुरू किए हैं.

फुटबौल का यह क्रेज सिर्फ मैदानों तक ही नहीं बल्कि कीचड़ में भी फुटबौल खेला जाता है और न केवल खेला जाता है बल्कि इस की सौकर चैंपियनशिप भी होती है. जिस में दुनिया में 260 टीमें हैं जिस में से 43 टीमों का वर्ल्डकप होता है. इस की सब से बड़ी खासीयत यह होती है कि इस में खिलाड़ी कीचड़ में फुटबौल खेलते हैं.

क्या है स्वैम्प फुटबौल

स्वैम्प फुटबौल एक ऐसा फुटबौल खेल है जिस में खिलाड़ी कीचड़ में फुटबौल खेलने का लुत्फ उठाते हैं. जिस से उन्हें फुटबौल खेलने का एक अलग अनुभव प्राप्त होता है. जब कीचड़ में लिप्त इन खिलाडि़यों को आसपास से गुजरते लोग देखते हैं तो देख कर दंग रह जाते हैं और सोचते हैं कि आखिर क्या मजा आता है इन्हें कीचड़ में खेल कर. लेकिन ये मजा तो सिर्फ वही फील कर सकता है जो इसे खेलता है.

कैसे हुई शुरुआत

यह खेल फिनलैंड से आया, जहां इसे ऐथलीट्स और सिपाहियों के शारीरिक व्यायाम के तौर पर प्रयोग में लाया गया. लेकिन धीरेधीरे इस की बढ़ती उपयोगिता और महत्त्व को देखते हुए इस खेल की डिमांड अन्य देशों में भी बढ़ने लगी. सब से पहले यह खेल 1998 में फिनलैंड में आयोजित हुआ.

स्वैम्प सौकर के लिए आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त संस्था स्कौटलैंड की स्वैम्प सौकर यूके लिमिटेड है. इस का उद्देश्य स्वैम्प सौकर वर्ल्डकप का आयोजन करने के साथसाथ इस खेल को अन्य देशों तक भी पहुंचाना था तभी तो इस के हैड ने (2011-2013) पिछले कुछ वर्षों में इस टूरनामैंट का चीन (बीजिंग), तुर्की (इस्तांबुल) और भारत (मुंबई) में इस का आयोजन किया.

कहां कहां हुआ आयोजन

2008 से पहले यह खेल स्कौटलैंड के दुनूम में आयोजित होता था लेकिन 2008 के बाद यह स्ट्रकर में आयोजित होने लगा. स्थान परिवर्तन का यह सिलसिला जारी रहा तभी तो 2011 में यह टूरनामैंट एडिनबर्ग और 2012 में आइनरनैस में हुआ. फिर पुनः 2013 से स्वैम्प सौकर वर्ल्डकप अपनी पुरानी जगह दुमून में आयोजित होने लगा.

खेल की प्रक्रिया

इस खेल में सौकर फील्ड को पीली प्लास्टिक की पट्टी से मार्क किया जाता है और उस के भीतर ही खिलाडि़यों को अपना प्रदर्शन करना होता है. इस खेल में हर टीम में कुल 6 खिलाड़ी होते हैं जिस में 5 फील्ड में और एक गोलकीपर की भूमिका अदा करता है.

जो खिलाड़ी डिफैंस के लिए खेल रहा होता है वो अपनी दाईं टांग का पूरी ताकत से इस्तेमाल कर बौल को किक करता है प्रतिद्वंद्वी टीम की ओर. जैसे ही उस की जोरदार किक पउ़ती है वैसे ही उस के फैन्स, चीयरलीडर्स का उत्साह देखते ही बनता है. खिलाड़ी की जबरदस्त किक और उसे कीचड़ में लथपथ देख एक अलग ही मस्ती का माहौल बन जाता है, जिसे देख हर किसी का झूमने को दिल करता है.

खेल के नियम

– एक मैच में 12-12 मिनट के दो हाफ होते हैं.

– इस में कोई भी औफ साइड नियम नहीं होता.

– फील्ड में 6 खिलाड़ी होते हैं, लेकिन स्क्वैड में खिलाडि़यों की कोई लिमिट नहीं होती.

– कोई खिलाड़ी अगर चोटिल हो जाता है तो दूसरा खिलाड़ी उस की जगह ले लेता है.

– इस का वर्ल्डकप हर साल जून माह में स्कौटलैंड में आयोजित किया जाता है, जबकि वर्ल्ड चैंपियनशिप हर साल फिनलैंड में वर्ल्डकप के एक सप्ताह पहले आयोजित की जाती है.

केरल में भी कीचड़ फुटबौल से बदला नजारा

देखने वालों की आंखें दंग रह गईं जब उन्होंने कोदुर, मलल्पुरम में कीचड़ से भरा मैदान देखा. यह वो मैदान है जहां अकसर फुटबौल प्रतियोगिताओं का आयोजन होता रहता है. पहली बार मलल्पुरम में कीचड़ फुटबौल टूरनामैंट का आयोजन डिस्ट्रिक्ट टूरिज्म प्रोमोशन काउंसिल द्वारा किया गया. यह जान कर हजारों लोग वहां एकत्रित हो गए.

इस खेल के लिए कोदुर में 30×20 मीटर ग्राउंड की खास निगरानी की गई ताकि आयोजन में कोई बाधा उत्पन्न न हो. इस में मलल्पुरम और पड़ोसी जिले वयमाड और कोषिक्कोड की 12 टीमों ने भाग लिया. यह मैच सिर्फ 20 मिनट का था. भले ही समय कम था लेकिन कीचड़ में फुटबौल खेलना अपनेआप में काफी कठिन था. इस में जीत भले ही वयनाड की हुई लेकिन सभी खिलाडि़यों के साथ वहां एकत्रित लोगों ने इसे काफी ऐंजौय किया.

कुल मिला कर यह खेल मस्ती और मजा देने वाला है.

सरकारी कर्मचारियों के ‘अच्छे दिन’

कैबिनेट की आज होने जा रही एक अहम बैठक में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने पर चर्चा होगी. सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट की बैठक में सरकारी कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 18 से 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी करने पर विचार हो सकता है.

अगर इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिलती है तो इसका फायदा 1 करोड़ से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों को मिलेगा. इससे पहले सातवें वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी कर्माचारियों की बेसिक सैलरी में 14.27 फीसदी बढ़ोत्तरी की सिफारिश की थी.

साथ ही आयोग ने एंट्री लेवल सैलरी 7,000 रुपये प्रति महीने से बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति महीने करने का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा है. नई सैलरी 1 जनवरी 2016 से लागू होगी जिसके चलते सरकारी कर्मचारियों को 6 महीने का एरियर भी मिलेगा.

इनकी बढ़ेगी सैलरी

-सातवें वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 14.27 फीसदी बढ़ोत्तरी की सिफारिश की थी.

-माना जा रहा है कि कैबिनेट बैसिक सैलरी में 18 से 20 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है.

-इसका फायदा 50 लाख सरकारी कर्मचारियों और 58 लाख पेंशनधारियों को मिलेगा.

-नई सैलरी 1 जनवरी 2016 से लागू होगी, यानी सरकारी कर्मचारियों को छह महीने का एरियर मिलेगा.

-कैबिनेट तय करेगी कि एरियर एक मुश्त दिया जाए या किश्तों में दिया जाए.

-सातवें वेतन आयोग ने इंट्री लेवल सैलरी 7,000 रू प्रति महीने से बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति महीने करने के प्रस्ताव सरकार के सामने रखा है.

-कैबिनेट सचिव की मौजूदा सैलरी 90,000 से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये करने की सिफारिश की है.

औसत क्रिकेटर नहीं बनना चाहता था: कोहली

टीम इंडिया के टेस्ट कप्तान विराट कोहली का आत्मविश्वास ही है जो उन्हें आज के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में शामिल करता है. जरा उनके इस कथन पर गौर कीजिए, 'मैं कभी भी औसत क्रिकेटर बनना नहीं चाहता था.' मतलब साफ है वह हमेशा से नंबर वन रहने की चाह रखते रहे हैं और उसी के अनुरूप तैयारी की.

आत्मविश्वास और आखिर तक हार नहीं मानने के अलावा एक और पहलू है जो उनकी कामयाबी की बड़ी वजह है, वह है उनकी फिटनेस. कोहली को सुपरफिट क्रिकेटर माना जाता है. वर्ल्ड नंबर-वन T20 खिलाड़ी कोहली जहां वर्कआउट करते हैं, वहीं अपने खानपान में खासा संयम बरतते हैं.

मैं समझ गया कि टॉप के लिए फिट रहना जरूरी

विराट कोहली ने कहा, "मैं जल्दी ही समझ गया कि अगर मुझे दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ियों में शामिल होना है तो मुझे जितना संभव हो फिट रहना होगा."

साल 2012 में कोहली को अहसास हुआ कि कामयाबी के लिए फिटनेस सबसे जरूरी है. लिहाजा उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की.

आज फिटनेस हाईटेक हो चुकी है. भारतीय क्रिकेटर भी फिट रहने के लिए तकनीक का सहारा ले रहे हैं.

आधुनिक तकनीक का सहारा

विराट कोहली कहते हैं, "हम जीपीएस उपकरण का प्रयोग करते हैं. इस डिवाइस से किसी के शरीर की क्षमता को समझा जा सकता है. शरीर की गतिविधियों को जाना जा सकता है. जिस स्तर का क्रिकेट हम खेलते हैं उसमें ऐसे उपकरण बेहद मददगार होते हैं."

जरूरत के अनुसार तय किया खाना

कोहली ने कहा, "शुरू में मैं ज़्यादा सेहतमंद खाना नहीं खाता था. पंजाबी परिवार से हूं इसलिए पराठे और मक्खन जैसा खाना खाते बड़ा हुआ. आपको अपने फिटनेस लेवल, खाना या फिर वर्कआउट में बदलाव लाते समय अपने शरीर को समझना जरूरी होता है.

कुछ लोग कुछ भी खाकर फिट रह सकते हैं. लेकिन बिना अपने शरीर को समझे दूसरों के खानपान की आप नकल नहीं कर सकते. धीरे-धीरे मैंने अपने शरीर की जरूरत को समझा और फिर अपना खाना तय किया. परिणाम अच्छा रहा है.'

अगले महीने वेस्टइंडीज़ के दौरे पर जाने के पहले कोहली अपनी फ़ॉर्म और फ़िटनेस को लेकर बेहद सजग नज़र आ रहे हैं.

पानी में 8 घंटे डांस

बेटियों को जो लोग कमजोर समझते है उनको अपनी सोच बदल लेनी चाहिये. बेटियां कई क्षेत्रों में अपनी मजबूत इच्छा शक्ति कि मिसाल कायम कर रही हैं. ऐसी ही बेटियों में एक नाम लखनऊ में रहने वाली अंकिता वाजपेई का है. डांस का शौक रखने वाली अंकिता ने कम उम्र में ही बहुत ऊंचे मुकाम हासिल किये हैं. अंकिता 8 घंटे तक लगातार घड़े पर खड़े रहकर डांस कर चुकी है. इसके अलावा उसने 8 घंटे तक घुटने घुटने पानी में रहकर डांस किया.

अंकिता ने रिवर साइड एकेडमी के स्वीमिंग पूल में घुटने घुटने पानी के बीच खड़े रहकर पूरे रिदम के साथ डांस किया. अंकिता ने पानी में डांस करने के लिये ‘बरसों रे मेघा‘ और ‘अब के सावन’ जैसे गानों पर डांस किया. आंकिता ने लावणी और राजस्थानी डांस को पूरी तरह से रचबस कर लोगों का दिल जीत लिया. पानी में 8 घंटे लगातार डांस करना सरल काम नहीं था. अंकिता ने कहा ‘जब मैने 8 घंटे घड़े पर खड़े होकर डांस किया था, उस समय ही मुझे लगा था कि अब इसको अलग तरह से करना है.

14 साल की अंकिता कत्थक सहित तमाम तरह का डांस करती हैं. कत्थक उसका पंसदीदा डांस है. अंकिता कहती हैं कि डांस के क्षेत्र में मुझे नई ऊंचाइयों तक जाना है. पानी में 8 घंटे डांस करने के बाद सृजन फाउंडेशन ने अंकिता का सम्मान किया. सृजन फाउडेंशन के अमित सक्सेना ने बताया कि अंकिता ने अपने डांस से लोगों का ध्यान पानी की ओर आकर्षित किया है. आने वाले समय में पानी समाज के सामने सबसे बडे मुद्दे के रूप में होगा. संयोगिता महाजन फाउंडेशन के अनुराग महाजन ने कहा ‘अंकिता का नाम इंडियन बुक औफ रिकार्ड और मार्कलस रिकार्ड बुक के लिये भेजा गया है. अंकिता ने कम उम्र में ही तमाम ऐसे काम कर दिये है जिनको देखकर पता चलता है कि लड़कियां किसी भी तरह से कमजोर नहीं होती हैं.’  

ऐसे बनाएं अपने नाखून को खूबसूरत और सफेद

दाग धब्बेदार और पीले नाखून हाथों की खूबसूरती कम कर देते हैं. इन्हें सफेद और चमकदार बनाने के लिए ग्लिसरीन, गुलाबजल और नींबू के रस का प्रयोग करें और अच्छा खान-पान लें. अपने नाखूनों को सफेद और चमकदार बनाने के लिए घरेलू उपाय का इस्तेमाल करें. ग्लिसरीन, गुलाब जल और नींबू का रस समान मात्रा में मिलाएं और अपने नाखूनों को धोकर उन पर यह मिश्रण लगाएं. तीन से पांच मिनट तक इसे नाखूनों पर लगा रहने दें. फिर धो लें.

हर रात सोने से पहले अपने नाखूनों को बादाम के तेल में भिगोकर उनकी मालिश करें. इससे वे भीतर से मजबूत हो जाएंगे. बादाम का तेल आपके नाखूनों को टूटने से भी बचाएगा और उनकी सफेदी बढ़ाएगा. स्वस्थ नाखूनों की पहचान उनकी सफेदी होती है. नाखून सख्त प्रोटीन ‘केराटीन’ से बने होते हैं. इन्हें स्वस्थ बनाए रखने के लिए जरूरी विटामिनों, खासतौर पर विटामिन बी कॉम्लेक्स, विटामिन ई आदि से भरपूर सही खान-पान भी जरूरी है. इनसे केराटीन का निर्माण होता है और नाखून स्वस्थ रहते हैं. इससे आपके नाखूनों को पोषण ही नहीं मिलेगा, बल्कि साथ ही नाखून बढ़ेंगे भी. इसलिए मछली, अंडे, बीन्स, ब्रोकली, दूध और दुग्ध उत्पाद, आलू, रेड मीट जैसे आहार का सेवन करें. इनमें भरपूर मात्रा में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स होता है. आकर्षक रंगों के नेल पेंट से आप अपने नाखूनों को खूबसूरती से सजा सकते हैं. इन दिनों ऐसे नेल पेंट उपलब्ध हैं जो 20 दिनों तक नाखूनों पर लगे रहते हैं. अगर आपका नेल पेंट जल्द उतर जाता है तो ये नेल पेंट आपके लिए बेहद काम के हैं.

इन गर्मियों में दूर करें त्वचा का कालापन

तपती, झुलसती गर्मियों में आप त्वचा के कालेपन से परेशान होकर ब्यूटी सैलून के चक्कर लगाती होंगी. लेकिन इस बार कुछ प्राकृतिक उपायों को अपनाकर आप इस समस्या से छुटकारा पा सकती हैं.

नींबू का रस : प्रभावित स्थान पर नींबू का रस लगाएं. इसे 15-20 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें उसके बाद ठंडे पानी से धो लें. कुछ सप्ताह यह करने पर त्वचा का कालापन ही दूर नहीं होगा, बल्कि दाग धब्बे भी कम होंगे. नींबू के रस के साथ खीरा या दही मिलाकर भी लगा सकते हैं.

कच्चा टमाटर : टमाटर के टुकड़े काटें और प्रभावित स्थान पर लगाएं. यह कालापन दूर करता है और नियमित इस्तेमाल करने पर कुछ सप्ताह में त्वचा की रंगत साफ करता है.

दही : त्वचा पर दही और अन्य दुग्ध उत्पाद लगाने से त्वचा मुलायम होती है और उसकी रंगत और दाग धब्बों में भी सुधार होता है.

एलोवेरा, गुलाब जल और ग्लीसरीन : इन तीनों का मेल त्वचा की खूबसूरती के लिए बेहद प्रभावशाली है. यह दाग धब्बों और कालेपन को हल्का करता है और त्वचा को चमकदार बनाता है.

जई का आटा, शहद, दही : धूप के कारण झुलसी त्वचा की मृत कोशिकाओं को दूर करने के लिए ये कारगर घरेलू स्क्रब हैं. त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने से कुछ दिनों में कालापन दूर हो जाता है और त्वचा खिली निखरी हो जाती है.

शराबबंदी का मतलब यह नहीं

बिहार में नीतीश कुमार की सरकार शराबबंदी कुछ ज्यादा ही उत्साह से लागू कर रही है. एक मामले में एक व्यवसायी, जिस के पास शराब बेचने का लाइसैंस था, बची शराब घर में रखने पर उस के घर को ही सील कर दिया गया. उस के द्वारा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाए जाने पर कई सप्ताह बाद मकान खोला गया. शराब खराब है पर शराबबंदी का मतलब यह भी नहीं कि अफसरों को मनमानी करने का हक मिल जाए. खासतौर पर जब उन औरतों को फर्क पड़ रहा हो जिन के स्वास्थ्य व सुरक्षा के लिए शराबबंदी की गई है.

घरों को अपराधों के लिए इस्तेमाल नहीं करा जा सकता, यह ठीक है पर यदि कोई अपने पैसे बचाने के लिए इस तरह का काम करने को बाध्य हो तो शराब को जब्त करा जा सकता है, मकान को सील कर के घर वालों को बाहर निकालना शराबबंदी को अलोकप्रिय बनाना होगा. शराब का प्रचलन पैसे वालों ने लूटने के लिए किया है और उस में खुद सरकार का हस्तक्षेप है, यह सिद्ध करा जा सकता है. शराब की कमाई का एक बड़ा हिस्सा सरकारों के पास जाता रहा है और वर्षों तक जो सरकारें शराब को प्रोत्साहित करती रहीं वे अचानक उसे बंद कर दें तो यह गलत सा है.

होना तो यह चाहिए कि शराबबंदी के साथ शराब के प्रचार पर भी रोक लगे, कानूनी नहीं, सामाजिक. यह नेताओं का काम है कि वे घरघर जा कर उसी तरह शराब को न पीने की सलाह दें जैसे वोट मांगते हैं. अभी शराबबंदी 1-2 राज्यों में लागू है पर इस की वजह से वोट मिलते हैं, यह देख कर अन्य राज्य भी शराबबंदी के लिए तैयार होने लगे हैं.

वहां जहां अभी शराबबंदी  नहीं, इसे गौहत्या की तरह या कहिए कि उस के मुकाबले वे आंदोलन का रूप देना चाहिए, साथ ही अंधविश्वासों का भी विरोध किया जाए ताकि भगवाई शराबबंदी को अपना हथियार न बना लें.

इस दौरान पुलिस का इस्तेमाल कम किया जाए. शराब न मिले, न आसानी से पी जाए, न बने, न बिके. यह सरकार करे पर पुलिस के बल पर नहीं. जिस भी देश ने इसे जबरन थोपने की कोशिश की है मार ही खाई है. नीतीश कुमार सरकार को पुलिस का इस्तेमाल करे बिना शराब को बिहार से निकाल फेंकना चाहिए, लोगों को उन के घरों से नहीं.

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