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आपकी थाली में होगी विदेशी दाल!

सरकार ने आने वाले दिनों में 7,500 टन चना और मसूर दाल आयात करने का फैसला किया है. घरेलू आपूर्ति बढ़ाकर इनकी कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से ऐसा किया जा रहा है.

उपभोक्ता मामलों के सचिव हेम पांडे की अध्यक्षता में मूल्य स्थिरीकरण कोष की प्रबंधन समिति की बैठक में दालों के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई. खाद्य मंत्रालय की ओर से बताया गया कि और 5,000 टन चने और 2500 टन मसूर के आयात का फैसला किया गया है.

सरकार की ओर से दालों का आयात कर रही सार्वजनिक क्षेत्र की एमएमटीसी ने अभी तक विदेशी बाजार से 46 हजार टन दालों का कांट्रैक्ट किया है. इसमें से 14,321 टन दाल देश में आ चुकी है. लगातार दो साल सूखे के बाद घरेलू उत्पादन में कमी के कारण दालों के मूल्य 198 रुपये प्रति किलो तक ऊंचे बने हुए हैं. 2015-16 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में दालों का उत्पादन 1.70 करोड़ टन रहने का अनुमान है. इसके मुकाबले वार्षिक मांग 2.35 करोड़ टन है. इस अंतर को आयात के जरिये पूरा किया जा रहा है.

गंभीर ने शास्त्री को ‘धो’ डाला

टीम इंडिया के कोच पद को लेकर पूर्व टीम डायरेक्टर रवि शास्त्री और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब इसमें बाकी क्रिकेट दिग्गज भी कूदते नजर आ रहे हैं. इस पूरे मुद्दे पर टीम इंडिया के बल्लेबाज गौतम गंभीर ने शास्त्री को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वो टीम का कोच नहीं चुने जाना बर्दाश्त ही नहीं कर पा रहे हैं.

गंभीर ने कहा, 'रवि शास्त्री जिस तरह से अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं इससे बस उनकी हताशा ही नजर आ रही है. भारतीय क्रिकेट टीम के कोच पद के लिए अनिल कुंबले से बेहतर विकल्प और कोई हो ही नहीं सकता था.'

गलत दावा कर रहे हैं शास्त्री

गंभीर ने कहा कि कुंबले इस रेस में पहले से ही सबसे आगे थे. उन्होंने कहा, 'रवि शास्त्री से यह बात हजम ही नहीं हो रही है कि उन्हें कोच का पद नहीं मिला. बीसीसीआई ने जिस तरह से कोच चुना उसमें अनिल कुंबले ही बेस्ट कैंडिडेट थे. जब उन्होंने इस पद के लिए आवेदन भरा था तो वो इसके लिए सबसे अच्छी पसंद थे.'

शास्त्री को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा, 'शास्त्री लगातार दावा कर रहे हैं कि उनके कार्यकाल में टीम इंडिया बहुत सफल हुई है. लेकिन उन्होंने कभी नहीं बताया कि हम बांग्लादेश में वनडे सीरीज क्यों हारे, दक्षिण अफ्रीका से घरेलू वनडे सीरीज क्यों हारे. हमने दो वर्ल्ड कप खेले- ऑस्ट्रेलिया में 2015 वनडे वर्ल्ड कप और भारत में 2016 टी-20 वर्ल्ड कप. एक हमने भारत में खेला और फिर भी सेमीफाइनल तक ही पहुंच सके. यह कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है.'

शास्त्री से पूछिए 18 महीने में किया क्या

गंभीर यहीं नही रुके,  उन्होंनो कहा कि 'आप (रवि शास्त्री) दिखाना चाहते हो कि आपके कार्यकाल में हम टी-20 और टेस्ट में नंबर वन टीम बने. लेकिन पिछले 18 महीनों में हमने कितनी जीत हासिल की हैं? एशिया से बाहर कोई सीरीज नहीं जीते, दक्षिण अफ्रीका से घर में हारे, बांग्लादेश गए वहां हार गए.'

गंभीर ने शास्त्री के काम करने के तरीके पर भी सवाल उठाते हुए कहा, 'कुंबले इसलिए इस पद के लिए बेस्ट ऑप्शन हैं क्योंकि वो मेहनती क्रिकेटर रहे हैं और वह वही एटिट्यूड टीम में लेकर आएंगे. रवि शास्त्री से पूछिए पिछले 18 महीने में वो टीम को कहां से कहां ले गए?'

VIDEO: ये हैं बॉलीवुड के 10 सबसे हॉट सीन

बॉलीवुड फ़िल्मों में सेक्स खाने में तड़के की तरह इस्तेमाल किया जाता है. फ़िल्म कैसी भी हो, दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने के लिए इसका इस्तेमाल बॉलीवुड बेधड़क करता है. कई बार ये फ़ॉर्मूला काम कर जाता है, लेकिन ज़्यादातर इसे फ़ेल कहा जाए, तो गलत नहीं होगा. ज़्यादातर फूहड़ सीनों में से कुछ सेक्स सीन सच में बहुत हॉट होते हैं. तो चलिए आपको बॉलीवुड के कुछ ज़बरदस्त हॉट सीन्स के बारे में बताते हैं.

1. रिचा चढ्ढा, मसान

एक छोटे शहर की कम्यूपटर टीचर, जिसे अपने स्टूडेंट से ही प्यार हो जाता है और होटल के कमरे में पहली बार मिलने गई टीचर और स्टूडेंट एक दूसरे के आगोश में खो जाते हैं. इसके आगे की कहानी ही फ़िल्म 'मसान' का आधार बनती है.

2. सनी लियोनी, एक पहेली लीला

अपने हॉट सीन्स के लिए मशहूर सनी लियोनी ने मोहित अहलावत के साथ इस फ़िल्म में दिए एक सीन ने स्क्रीन पर आग लगा दी.

3. साई तमहंकर, हंटर

इस फ़िल्म का विषय ही काफ़ी बोल्ड था. ऐसे में साई तमहंकर के बोल्ड सीन ने फ़िल्म में कुछ ज़्यादा ही तीखा तड़का लगा दिया था.

4. कंगना रनावत, शूट आऊट एट वडाला

जॉन अब्रहाम के साथ कंगना ने इस फ़िल्म में काफ़ी बोल्ड सीन दिए थे. फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर ज़्यादा कुछ नहीं कर पाई, लेकिन इस सीन ने खूब सुर्खियां बटोरीं.

5. शिल्पा शुक्ला, B.A.Pass

इस फ़िल्म में शिल्पा शुक्ला ने कई बोल्ड सीन दिए थे. फ़िल्म एक ऐसे विषय पर आधारित थी जिसके मद्देनज़र सेक्स सीन फ़िल्म की ज़रूरत थे. ऐसे में शिल्पा शुक्ला के सेक्स सीन्स ने फ़िल्म में जान डाल दी थी.

6. परिणीती चोपड़ा, इशकज़ादे

अर्जुन कपूर और परिणीती की कैमिस्ट्री इस फ़िल्म में लोगों के सर चढ़ कर बोली. खाली ट्रेन में दोनों के बीच दिखाए गए इस हॉट सीन ने आग लगा दी.

7. जैकलिन फर्नांडिस, मर्डर-2

अपनी अदाओं से फ़ैन्स का दिल जीतने वाली जैकलिन और इमरान हाशमी के बीच मर्डर-2 में एक हॉट सीन फ़िल्माया गया था.

8. अनुष्का शर्मा, बैंड बाजा बारात

फ़िल्म बैंड बाजा बारात में अनुष्का का वैसे तो एक बबली सा रोल था. लेकिन जब हॉट सीन की बारी आई तो उन्होंने बता दिया कि रोल कैसा भी हो वो उसे निभाने के लिए तैयार हैं.

9. करीना कपूर, कुर्बान

ये सीन बॉलीवुड का सबसे हॉट सीन लगता है. इस फ़िल्म में करीना और सैफ़ का प्यार  साफ़ झलक रहा था.

10. बिपाशा बसु, जिस्म

90 के दशक में शायद ये पहली फ़िल्म थी जिसका विषय इतना बोल्ड था. फ़िल्म में बिपासा अपने सबसे हॉट अवतार में दिखीं थी.

अब आप कमेंट बाक्स में हमें ये ज़रूर बताएं कि आपको इन सब में से सबसे हॉट सीन कौन-सा लगता है. या फिर आपको बॉलीवुड का कोई और सीन हॉट लगता है?

अब आपके ट्रेन का सफर होगा और भी सुहाना

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेल यात्रा को आसान और सुविधाजनक बनाने का वादा किया है. वह पब्लिक ट्रांसपॉर्ट को ‘आईसीयू’ से निकालने की कोशिश में लगे हुए हैं. इसके लिए उन्होंने रेल यात्रियों के लिए कई सुविधाओं की शुरुआत की हैं और भविष्य में कई सुधार करने वाले हैं.

टिकट कन्फर्म न होना

क्या टिकट के कन्फर्म न होने की वजह से आपको यात्रा कैंसल करनी पड़ती है? अब आप ट्रेन के फर्स्ट एसी की कीमतों पर ही एयर इंडिया की फ्लाइट बुक कर सकते हैं. बिना कन्फर्म टिकट वाले यात्रियों को 24 घंटे के भीतर एयर इंडिया की फ्लाइट बुक करने का विकल्प दिया जाएगा.

एसी फर्स्ट क्लास वालों का किराया उतना ही होगा लेकिन एसी सेकंड क्लास के यात्रियों को 1,500 रुपए अतिरिक्त देने होंगे. यह सुविधा पहले राजधानी ट्रेनों में दी जाएगी.

भोजन न लेने का विकल्प

लगभग 40 साल बाद यात्री खुद निर्णय ले सकेंगे कि वह रेलवे का खाना खाएंगे या नहीं और इसके लिए उन्हें कीमत भी नहीं चुकानी होगी. 15 जून से रेलवे राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में भोजन न लेने का विकल्प भी शामिल करेगा. इससे यात्री करीब 300 रुपए बचा सकते हैं.

विशेष विश्राम कक्ष

प्रभू अब रेलवे स्टेशन्स पर एयरपोर्ट जैसा एहसास कराने के लिए विशेष विश्राम कक्ष ला रहे हैं. 49 जगहों पर आईआरसीटीसी ऐसे विश्राम कक्ष बनाएगी जिसमें वाई-फाई, नहाने-धोने की सुविधा के साथ आराम करने की सुविधा दी जाएगी.

तत्काल टिकट कैंसल कराने पर 50 फीसदी किराया वापस

आप तत्काल टिकट को कैंसल कराने पर 50 प्रतिशत किराया वापस पाने की उम्मीद कर सकते हैं. इसके अलावा रेलवे ने तत्काल के समय में भी बदलाव किया है. अब तत्काल टिकट की विंडो एसी के लिए 10 से 11 बजे और स्लीपर क्लास के लिए 11 से 12 बजे तक खुलेंगी.

बढ़ेगी कोचों की संख्या

रेलवे राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में कोचों की संख्या बढ़ाई जाएगी. इससे यात्रियों को सीमित सीटें होने की वजह से होने वाली मारा-मारी से जूझना नहीं पड़ेगा.

क्लोन ट्रेनें चलेंगी

वेटिंग टिकट वाले यात्रियों के लिए रेलवे क्लोन ट्रेन लाने की योजना बना रही है. ये ट्रेनें निर्धारित ट्रेन के समय से एक घंटा बाद चलेंगी. इससे वेटिंग यात्रियों को अपनी यात्रा कैंसल नहीं करनी पड़ेगी.

पेपरलेस टिकट

अब आपको टिकट का प्रिंट आउट लेने की भी जरूरत नहीं है. राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में मोबाइल टिकट भी मान्य होंगे. इसके अलावा रेलवे अलग-अलग भाषाओं में भी टिकट बुक करने की सुविधा देगी.

बेडरोल किट स्कीम

ज्यादातर लोगों को बिस्तर ले कर चलने से परेशान होना पड़ता है. अब आपको ट्रेन में ही बेडरोल की सुविधा दी जाएगी. पहले यह सुविधा केवल एसी कोच में सफर करने वालों के लिए थी लेकिन अब सभी को यह सुविधा दी जाएगी. टिकट बुक करते समय यात्री साथ में बिस्तर की किट भी बुक कर सकते हैं.

ट्रेन में लीजिए पिज्जा और बर्गर का भी मजा

अब आप इंडियन रेलवे की साइट पर पिज्जा और बर्गर भी ऑर्डर कर सकते हैं. आपको अपनी सीट पर ही पिज्जा और बर्गर मिल जाएगा. बुक करने के तुरंत बाद प्लेटफॉर्म पर वेंडर बॉय आपका पसंदीदा बर्गर या पिज्जा लेकर तैयार रहेंगे.

हेलो, डीआईजी! 20 लाख पहुंचा दो, वरना…

यह लीजिए! अब बिहार में रंगदारों के निशाने पर पुलिस के आला अफसर भी आ गए हैं. अब तक कारोबारी, इंजीनियर, डाक्टर, ठेकेदार आदि से ही लाखों-करोड़ों रूपए की रंगदारी वसूली की बातें सामने आती थीं, अब अपराधियों ने पुलिस के डीआईजी से ही रंगदारी मांग ली है. वह भी पूरे 20 लाख की. रंगदारी मांगने वाले ने डीआईजी से कहा कि वह रिटायर हो रहे हैं और रिटायरमेंट के बाद सरकार से मिलने वाली रकम में से आधा उसे दे दिया जाए. वही दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने डीआईजी को धमकी देने वाले को पकड़ने के बजाए डीआईजी का ही ट्रांसफर कर दिया है.

बिहार के कोसी रेंज के डीआईजी चंद्रिका प्रसाद के मोबाइल फोन पर किसी ने फोन कर कहा कि 20 लाख रूपये दो, नहीं तो बम से उड़ा दिया जाएगा. फोन करने वाले ने अपना नाम आजम खान बताया और यह भी कहा कि वह उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. इस मामले में डीआईजी साहब ने पहले अपने विभाग के अफसरों को चिट्ठी लिख कर पूरी जानकारी दी और उसके बाद सहरसा के सदर थाना में रिपोर्ट दर्ज करा दिया.

सहरसा के एसपी अश्विनी कुमार ने बताया कि डीआईजी की चिट्ठी के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है. डीआईजी ने चिट्ठी में लिखा है कि 24 जून की दोपहर को डेढ़ बजे के करीब उनके मोबाइल पर फोन आया कि और दूसरी तरफ से आवाज आई-‘ मैं काला चश्मा वाला ब्रह्मदेव का बेटा गंध्यिा बोल रहा हूं.’ डीआईजी ने पूछा कि क्या बात है? उसके बाद आवाज आई-‘ मैं आजम खान बोल रहा हूं और मैं तुम्हारे समूचे परिवार को अच्छी तरह से जानता हूं. फिलहाल 20 लाख रुपये पहुंचा दो और रिटायर करने के बाद मिलने वाल रकम में से आधी भी पहुंचा देना. अगर रुपया नहीं दिया, तो तुम्हें बम से उड़ा दिया जाएगा.

डीआईजी चंद्रिका प्रसाद ने बताया कि धमकी देने वाले आदमी ने उनके पिता का नाम भी बताया, जिससे यह पता चलता है कि अपराधी उनके परिवार से अच्छी तरह से वाकिफ है. पुलिस ने धमकी देने वाले की मोबाइल नंबर के बारे में पता किया तो वह गाजियाबाद के शेषनारायण के नाम से जारी है. मोबाइल का लोकेशन दिल्ली का मयूर विहार इलाका मिला है. उस नंबर पर फोन किया गया तो कौल रीसिव करने वाले ने बताया कि उसका नाम ओंकार यादव है और वह नोएडा के मार्डन कंस्ट्रक्शन कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर  काम करता है. उसके बाद उसने फोन काट दिया.

गौरतलब है कि डीआईजी का पटना के बेउफर इलाके में अपना मकान है और कई अपराधी उसे हड़पने की फिराक में लगे हुए हैं. अखिलेश राय, राजेश राय, रामजी राय और रूबी राय से इस मामले में विवाद भी चल रहा है. पुलिस इस रंगदारी मांगने को मामले को इससे भी जोड़ कर जांच में लगी हुई है.

डीआईजी ने जब सरकार और अपने विभाग के आला अफसरों को चिट्ठी लिख कर रंगदारी की मांग और धमकी के बारे में जानकारी दी, तो सरकार ने आनन-फानन डीआईजी का ही तबादला कर दिया. उन्हें कोसी रेंज से हटा कर उत्तरी मंडल-मुजफ्फरपुर बीएमपी भेज दिया गया. पुलिस मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक रंगदारी मांगने के मामले को प्रेस में देने से पुलिस के आला अफसर नाराज हो गए और उनका तबादला कर दिया गया. डीआईजी को अफसोस है कि उनके विभाग ने ही उनके साथ इंसाफ नहीं किया है. उन्हें धमकी देने वाले अपराधी का पता लगाने और उसे गिरफ्तार करने के बदले विभाग ने उन्हें ही तबादले की सजा दे डाली है.

छिप न सकी सपा परिवार की ‘फेमली क्राइसेस’

मुलायम परिवार के बीच चल रही तल्खी को छिपाने के लिये प्रोफेसर रामगोपाल यादव की जन्मदिन पार्टी से अच्छा दूसरा मौका नहीं हो सकता था. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी इंग्लैंड यात्रा को एक दिन बाद का रखकर अपनी ओर से सबकुछ ठीक दिखाने का प्रयास किया. रामगोपाल यादव के जन्मदिन पर उनकी पुस्तक ‘संसद में मेरी बात‘ का विमोचन होना था. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि इस दिन का उपयोग परिवार में एकता का संदेश देने के लिये भी किया जाये. मुलायम की मंशा के अनुरूप पार्टी और परिवार ने सब ठीक से किया. इसके बाद भी परिवार में एकता के संदेश को देने का प्रयास सफल नहीं हुआ. परिवार में चल रही तल्खी खुलकर सामने आ गई, जिसे भाषण, शायरी और कहावतों के जरीये ढकने का काम किया गया.

कार्यक्रम शुरू होने के बाद पहुंचे मुलायम के भाई और प्रदेश सरकार के मंत्री शिवपाल यादव मंच पर न बैठ कर नीचे दर्शकों की कुर्सी पर बैठ गये. मंच संचालक के बुलाने पर जब शिवपाल अपनी कुर्सी से नहीं उठे, तो मंच संचालक ने अमर सिंह का नाम लेकर कहा कि वह शिवपाल को उपर लाये. अमर सिंह के कहने पर मंच पर पिछली सीट पर जाकर शिवपाल बैठ गये. इसके बाद फिर उनको आगे की सीट पर बैठने के लिये बार बार कहा गया, तब वह चुपचाप सबसे किनारे बैठ गये. बोलने की अपनी बारी आने पर शिवपाल ने नई पीढी के नेताओं को समाजवाद के विचार पढने को कहा. शिवपाल की ‘बौडी लैग्वेंज’ से नाराजगी झलक रही थी. खुद शिवपाल कहते हैं कि जहां सीट खाली थी, वहां बैठ गये. समाजवादी पार्टी के कार्यक्रम में शिवपाल यादव के लिये सीट का खाली होना समस्या बन जाये, यह बात स्वीकार करने योग्य नहीं है.

दरअसल पिछले एक सप्ताह से समाजवादी पाटी के मुलायम परिवार में टकराव हो रहा है. मुलायम की पहल पर उनके भाई शिवपाल ने कौमी एकता दल का विलय सपा में कराया. सबकुछ घोषित हो गया, तब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस विलय पर एतराज किया. एतराज का कारण बाहुबली मुख्तार अंसारी का कौमी एकता दल से जुडा होना था. अखिलेश नहीं चाहते थे कि अपराधी प्रवृत्ति के लोग पार्टी में शामिल हों. अखिलेश ने इस विलय के बिचैलिये प्रदेश सरकार के मंत्री बलराम यादव को अपने मंत्रीमंडल से निकाल दिया. इस मुद्दे पर अखिलेश और उनके चाचा शिवपाल के बीच मतभेद थे. पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने बीच का रास्ता निकालते हुये सपा की संसदीय कमेटी की बैठक करके कौमी एकता दल के विलय को निरस्त कर दिया.

इस बात को लेकर शिवपाल यादव नाराज थे. मीडिया से लेकर विरोधी दलों ने इस परिवार के विवाद पर चटखारे लेना शुरू किया. मुलायम चाहते थे कि रामगोपाल यादव के जन्मदिन पर एकजुट होकर परिवार में एकता का संदेश दिया जाये. परिवार एक जगह तो खडा हो गया, पर एकता का संदेश देने में असफल रहा. अखिलेश और शिवपाल के बीच कायम तल्खी दूर होती नहीं दिखी. सपा की राजनीति को समझने वाले लोग कहते है कि यह तल्खी फेमली क्राइसेस का रूप ले चुकी है. उपर से भले ही यह दूर होती दिख भी जाये पर अंदर यह बनी रहेगी. सपा के कमजोर दिनों में इसके और भी बढने का पूरा अंदेशा है, जो पार्टी के लिये किसी भी तरह से ठीक नहीं है.               

एक करोड़ के लिए कबड्डी कबड्डी…

हरियाणा के मशहूर एक करोड़ विजेता राशि के दंगल की तरह अब कबड्डी चैंपियनशिप का भी आयोजन होगा. इसमें देशभर से कबड्डी टीमों को चुना जाएगा. खास बात यह है कि इसमें महिला टीम को भी मौका दिया जाएगा. यह चैंपियनशिप करनाल में 23 से 25 सितंबर को होगी. कबड्डी को रोमांचक बनाने के लिए महिला खिलाड़ियों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.

स्पोर्ट्स ऑफिसर अनीता तेवतिया ने बताया कि सितंबर में हरियाणा में पहली बार दीनदयाल उपाध्याय नैशनल कबड्डी चैंपियनशिप का आयोजन होगा. जीतने वाली टीम को 1 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. इसे थोड़ा अलग बनाने के लिए महिला टीमों को भी इसमें शामिल किया जाएगा.

वैसे भी महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. यही वजह है कि इस फिल्ड में इस बार उन्हें कुछ कर दिखाने का बेहतरीन मौका दिया जा रहा है. इसमें प्रदेश के बेहतरीन नगीनों को चुना जाएगा. कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया के नियमानुसार ही चैंपियनशिप का आयोजन किया जाएगा.

ऑनलाइन करना होगा आवेदन

एक करोड़ के दंगल की तरह कबड्डी के लिए भी आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. कबड्डी के लिए हर स्टेट से एक-एक टीम का चुना जाएगा. हरियाणा की टीम के लिए पहले खिलाड़ियों के अलग-अलग आवेदन मांगे जाएंगे. इसके बाद खिलाड़ियों का ट्रायल लिया जाएगा.

मोदी कैबिनेट में विधानसभा चुनाव फैक्टर

उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनाव अगले साल 2017 में है. मोदी सरकार इन प्रदेशों के सांसदों को केन्द्र में मंत्री बनाकर चुनावी चाल चलने जा रही है. मोदी सरकार का कैबिनेट विस्तार होने जा रहा है. इसमें उत्तर प्रदेश और पंजाब के सबसे अधिक मंत्री बनाये जा सकते हैं. मोदी सरकार में इस समय 66 मंत्री हैं. नियम पूर्वक 83 मंत्री रखे जा सकते हैं. ऐसे में मोदी सरकार के पास 17 और मंत्री बनाने की अच्छी खासी गुंजाइश बची हुई है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किफायत में काम चलाने के लिये जाने जाते हैं, ऐसे में वह 17 मंत्री नहीं बनाने जा रहे. यह बात है कि उत्तर प्रदेश और पंजाब के कुछ सांसदों को मंत्री बनाकर और कुछ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल करके नया दिखाने का प्रयास जरूर करेंगे. मोदी कैबिनेट में उत्तर प्रदेश से 12 मंत्री शामिल हैं. इनके पदों में भी फेरबदल हो सकता है.

दरअसल उत्तर प्रदेश भाजपा के लिये सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है. भाजपा यहां पर साम दाम दंड भेद की रणनीति से चुनाव जीतना चाहती है. ऐसे में चुनाव करीब आता देख मोदी सरकार उत्तर प्रदेश को निशाने पर ले रही है. उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिये सबसे सरल दलित और अति पिछडा वोट बैंक दिख रहा है. परेशानी वाली बात यह है कि इस वोटबैंक को महत्व देने से भाजपा का अगडा वोट बैंक टूट सकता है. उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी में मची टूट की बहती गंगा में भाजपा हाथ धोना चाह रही है. वह बसपा से टूटे नेताओं को भले ही पार्टी में शामिल न करे, पर चुनाव बाद वह उनको साथ ले सकती है. भाजपा बसपा से टूटे नेताओं को शह देकर बसपा को कमजोर करना चाह रही है. जिससे दलित और अतिपिछडा वर्ग उनको वोट देने के लिये मजबूर हो जाये.

उत्तर प्रदेश के जातीय समीकरण और वोट बैंक में पिछडों और दलितों के बीच बनी खाई बहुत चौडी हो चुकी है. दलितऔर पिछडे एक पार्टी के साथ खडे नहीं हो सकते. ऐसे में एक तरफ पिछडों की अगुवाई करने वाली समाजवादी पार्टी है तो दूसरी ओर दलितों की अगुवाई करने वाली बसपा है. दलित और पिछडों के बीच एक वर्ग अति पिछडी जातियों का है, जो पिछडों से अर्थिक और सामाजिक रूप से पीछे और दलितो से आगे है. भाजपा इस वर्ग को अपने साथ लेने का प्रयास कर रही है. ऐसे में इस जाति में प्रभाव रखने वाले नेताओं को केन्द्र में मंत्री बनाया जा सकता है. उत्तर प्रदेश में दलित-अगडा और पिछडा समीकरण ठीक करने के लिये केन्द्र में मंत्री बना कर प्रदेश के पावर सेटंर को संतुलित किया जायेगा, जिससे प्रदेश में पिछडे नेताओ बढते प्रभाव के अगडी जातियां नाराज न हो.

उत्तर प्रदेश की ही तरह पंजाब भी भाजपा के लिये अगला बिहार न बन जाये, इससे बचने के लिये केन्द्र में पंजाब के मंत्रियों की संख्या बढ सकती है. पंजाब में कांग्रेस के अलावा आप पार्टी भाजपा-अकाली गठबंधन के लिये कडी चुनौती बन रही है. भाजपा कांग्रेस से ज्यादा आप पार्टी से भयभीत हो रही है. उत्तर प्रदेश और पंजाब से ज्यादा से ज्यादा मंत्री बनाकर केवल जनता को ही खुश नहीं रखना है. यहां के भाजपा नेताओं को भी मजबूत करना है. इस मंत्रिमंडल विस्तार से भाजपा इन राज्यों में फैली गुटबाजी को खत्म करना चाहती है. भाजपा जानती है कि गुटबाजी का घुन पार्टी अंदर अंदर खोखला कर देगा. पार्टी का इसके नुकसान का अंदाजा तब होगा जब वोटिंग मशीन से परिणाम निकलेगे. ऐसे में भाजपा पहले ही अपने को मतबूत करना चाहती है. मंत्रीमंडल विस्तार इसका सबसे बडा अस्त्र बनेगा.       

फेरबदल या फरेब

भोपाल के राजभवन में नए 9 मंत्रियों की शपथ के दौरान सब कुछ ठीक ठाक नहीं था, हर कोई यहां तक कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सहमे हुये से दिख रहे थे, जो आम तौर ऐसे किसी भी समारोह में खुश दिखने का अभिनय ही सही कर तो लेते थे, लेकिन इस अहम दिन वे चाहकर भी मुस्कुरा भी नहीं सके तो सहज लगा कि इस बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित फेरबदल, जो अंततः फरेब साबित हुआ उन पर थोपा गया था और अगर ऐसा नहीं था तो यह मानने में किसी को कोई परहेज नहीं करना चाहिए कि उनसे ज्यादा चतुर नेता मिलना मुश्किल काम है.

3 साल से मंत्रीमंडल विस्तार को किसी न किसी बहाने से टरकाते आ रहे शिवराज सिंह चीन यात्रा से लौट कर भोपाल आए और उल्टे पांव दिल्ली और वहां भी सबसे पहले संघ कार्यालय केशव कुंज गए, तो मानसून से ज्यादा आशंकाओं और अटकलों के बादल उमड़ने घुमड़ने लगे थे. आखिरकार बिजली गिरी तो बाबूलाल गौर और सरताज सिंह पर, जो क्रमश 86 और 76 साल के हैं. इनसे दिल्ली से खासतौर से आए विनय सहस्त्र्वुद्धे और नंद कुमार सिंह चौहान ने कहा आप लोग इस्तीफा दे दें, क्योकि पार्टी की नई गाइड लाइंस के मुताबिक 75 से ज्यादा का कोई नेता संगठन या सत्ता में नहीं रहेगा. सरताज सिंह ने कहा, ठीक है मैं  पार्टी की यह बात भी मानूँगा पर हटाने का पैमाना उम्र नहीं पर्फार्मेंस होना चाहिए , मैं स्वस्थ हूँ सक्रिय हूँ और सबसे से ज्यादा दौरे करता हूँ आप मेरी बात उन लोगों तक पहुंचाइए जिनहोने यह नया नियम बनाया. बात वहाँ तक पहुंची या नहीं यह सुनिश्चित करने से पहले उन्होने इस्तीफा दे दिया, पर बाबूलाल गौर अड़ गए और बोले मैं इस्तीफा नहीं दूंगा, मैंने पार्टी को खून से सींचा है, पहले मेरी गलती बताइये. भले ही मुझे मंत्रिमंडल से बाहर कर दीजिये, मैं इस्तीफा नहीं दूंगा और न ही यह सामाजिक अपमान बर्दाश्त करूंगा.

जब बेहद तनाव भरे माहौल मे नए मंत्री अर्चना चिटनीस, ओम प्रकाश धुर्वे, रुस्तम सिंह , जयभान सिंह पवैया, हर्ष सिंह , ललिता यादव, सूरज प्रकाश मीणा, संजय पाठक और विश्वास सारंग शपथ ले रहे थे, तब अपने बंगले पर अकेले बैठे बाबूलाल गौर की मनोदशा पर गौर करने की किसी को जरूरत नहीं पड़ी. यह राजनीति है, जिसमे कोई किसी का सगा सौतेला नहीं होता. ये वही बाबूलाल गौर हैं जिन्होंने 44 साल विधायक रहने का रिकार्ड बनाया और जब उमा भारती ने कुर्सी छोड़ी तो अस्थायी सीएम बनने को तैयार हो गए और जब ऊपर से कहा गया, तब उनके सामने कल के लड़के की सी हैसियत रखने बाले शिवराज के लिए कुर्सी न केवल छोड़ दी, बल्कि उनके नीचे काम करने भी तैयार हो गए.

मामूली मजदूर से सीएम बन जाने के सफर में गौर ने कभी पार्टी पर आंखे नहीं तरेरीं, लेकिन अब वे हार गए हैं, यह बात तब उजागर हुई जब शपथ ग्रहण के बाद खबर आई कि उन्होने भी इस्तीफा राज्यपाल को भेज दिया है. साफ है उन्हे समझ आ गया था कि अब कोई फायदा नहीं, इस्तीफा नहीं दिया तो और ज्यादा फजीहत होगी, क्योकि यह वही भाजपा है जिसने आडवाणी, जोशी और जसवंत सिंह जैसों को भी नहीं बख्शा था. लिहाजा अब नैतिकता, सेवाओं का मूल्यांकन और वफादारी जैसी बातों की दुहाई देना वीराने में चिल्लाने जैसी बात है जहां सुनने बाला कोई नहीं. यह फेरबदल जिसमे कई बातें अप्रत्याशित थीं फरेब इस लिहाज से भी है कि गौर और सरताज सिंह को अपने यूं बेआबरू होकर हटाये जाने का इल्म तक नहीं था. यह जरूर कहा जा रहा था कि इनका कद घटाया जा सकता है, पर कद खत्म ही कर दिया, तब वास्तविकता सामने आई कि उम्र का निर्णय आरएसएस का था, वही संघ जो पूरे आत्मविश्वास से कहता रहता हैं कि उसे सत्ता से कोई सरोकार नहीं और भाजपा के अंदरूनी मामलों में वह दखल नहीं देता.

हिन्दुत्व का गढ़ रहा मध्य प्रदेश संघ के लिए एक प्रयोगशाला भर है और शिवराज सिंह उसके मोहरे भर हैं, जिन्हें सीएम की हैसियत से नए मंत्रियों की लिस्ट राज्यपाल को सौंपना थी और प्रैस नोट की शक्ल में मीडिया को जारी करनी थी.  ये काम भी इस दफा उन्होने अनिच्छा पूर्वक ही सही किए और खामोशी से संघ कोटे से आए जयभान सिंह और अर्चना चिटनीस को मंत्री बना दिया. एवज मे अपने क्षेत्र के सूरज प्रकाश मीणा को राज्य मंत्री बना दिया, अगर यह सौदा था तो बहुत घाटे का कहा जाएगा. कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए कटनी के खरबपति कारोबारी संजय पाठक के बारे में किसी ने नहीं सोचा था कि उन्हे मंत्री बनाया जाएगा. इसी तरह हर्ष सिंह को भी दलबदल का इनाम दिया गया.

सब कुछ निर्विध्न सम्पन्न हो गया. कुछ नेता मसलन विक्रम वर्मा और कैलाश विजयवर्गीय नाराज हुये, क्योंकि उनके दिये नामों पर तवज्जों नहीं दी गई, तो ये बातें आने बाले बक्त मे शिवराज सिंह को काफी मंहगी पड़ने वाली हैं, जो नाराज लोगों के सामने बहाना बना रहे हैं कि आप देख तो रहे हो, मैंने कुछ नहीं किया, सब कुछ दिल्ली से हुआ है, तो अब आम लोग पूछ रहे हैं कि फिर आप के होने के माने क्या.

इधर उम्र के मुद्दे पर लोग सहमत नजर होते नजर आ रहे हैं कि हां नेताओं को रिटायर होना चाहिए, लेकिन रिटायरमेंट के नाम पर उन्हे यूं जलील नहीं किया जाना चाहिए और नियम बना है तो केंद्र में कलराज मिश्र और नजमा हेपतुल्ला जैसे बूढ़े मंत्रियों पर भी लागू होना चाहिए. अब बाबूलाल गौर और सरताज सिंह चुप बैठेंगे या कोई खुराफात करेंगे, इसमे भी सभी की दिलचस्पी है, खासतौर से बाबूलाल गौर में जो आए दिन शिवराज की खिंचाई किया करते थे.   

अंतरिक्ष की यात्रा कराएंगे संजय पूरण सिंह चौहाण

2010 में स्पोर्ट्स ड्रामा प्रधान फिल्म ‘‘लाहौर’’ निर्देशित कर पहली ही फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा कई अन्य पुरस्कार हासिल कर चुके फिल्मकार संजय पूरण सिंह चौहाण को लेकर गाहे बगाहे कई तरह की अटकलें लगती रहती हैं. संजय पूरण सिंह चौहाण को लेकर बौलीवुड में आम चर्चा यह भी होती रहती है कि वह पिछले छह वर्षों से कुछ नया लेकर क्यों नहीं आ रहे हैं.     

मगर सूत्रों की माने तो संजय पूरण सिंह पिछले छह वर्षों से लगातार काम करते आ रहे हैं. सूत्रों की माने तो संजय की दो फिल्में लगभग तैयार हैं. जिनमें से एक फिल्म में तो वीएफएक्स और स्पेशल इफेक्ट्स की ही भरमार है. इस फिल्म का तीन वर्षों से स्पेशल इफेक्ट्स व वीएफएक्स का काम हो रहा है.

बहरहाल, पिछले दो दिन से ट्विटर पर संजय पूरण सिंह चौहाण ही छाए हुए हैं. जिसकी वजह उनके निर्देशन में बनने वाली फिल्म ‘‘चंदामामा दूर के’’ है.जी हां! अब संजय पूरण सिंह भारत की पहली अंतरिक्ष एंडवेंचर पर फिल्म ‘‘चंदामामा दूर के’’ का लेखन व निर्देशन करने जा रहे हैं, जिसका निर्माण ‘नेक्स्ट जनरेशन फिल्मस’ के बैनर तले विक्की रजानी कर रहे हैं.

इस साइंस फिक्शन फिल्म में अंतरिक्ष यात्री का किरदार सुशांत सिंह राजपूत निभाने वाले हैं. यह भारत के अति बहादुर व अति महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष यात्री की दास्तान है, जो कि चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री के रूप में पहुंचता है. सूत्रों के अनुसार इस फिल्म के साथ कई विदेशी तकनीशियन भी काम करने वाले हैं.

फिल्म ‘‘चंदामामा दूर के’’ की चर्चा चलने पर फिल्म के निर्देशक संजय पूरण सिंह चौहाण कहते हैं-‘‘यह फिल्म भारत के चांद पर पहुंचने के सपने के साहस, उम्मीद और महत्वाकांक्षा की गाथा है. यह एक ऐसी कथा है, जो कही जानी चाहिए थी.’’ सूत्रों के अनुसार फिल्म ‘‘चंदामामा दूर के’’ की शूटिंग 2017 की शुरूआत में होगी और इसे 26 जनवरी 2018 को रिलीज करने की योजना है.

सूत्रों के अनुसार फिल्म ‘‘चंदामामा दूर के’’, संजय पूरण सिंह चौहाण की वह अति महत्वाकांक्षी फिल्म है, जिस पर उन्होने ‘‘लाहौर’’ के प्रदर्शन के बाद ही काम करना शुरू कर दिया था. सूत्रों की माने तो संजय पूरण सिंह चौहाण इस साइंस फिक्शन फिल्म को अमेरिका के नासा में जाकर फिल्माने वाले हैं. सूत्रों का दावा है कि उन्हे ‘नासा’ के अंदर फिल्म को फिल्माने की इजाजत भी मिल चुकी हैं. इस फिल्म की पटकथा तैयार है. सूत्रों का दावा है कि संजय ने इस फिल्म के लिए सुशांत सिंह राजपूत व कुछ अन्य भारतीय कलाकारों के अलावा कई अन्य देशों के कलाकारों को भी साइन कर चुके हैं. सूत्र दावा कर रहे हैं कि इस फिल्म का बजट हजार करोड़ रूपए से भी ज्यादा का है, लेकिन इस बारे में फिलहाल संजय पूरण सिंह व निर्माता विक्की रजानी ने चुप्पी साध रखी है.

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