रियलिटी शो ‘‘एमटीवी रोडीज’’ के अलावा ‘मेरा नाम करेगी रोशन’, ‘रंग बदलती ओढ़नी’ व ‘रोशनी’ जैसे टीवी सीरियलों तथा ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर’’ व ‘‘बबलू हैप्पी है‘’ फिल्मों में अपनी अभिनय प्रतिभा दिखाने के बाद मोंज्वाय मुखर्जी की फिल्म ‘‘है अपना दिल तो आवारा’’ में एक बार फिर पंजाबी लड़के का किरदार निभाकर चर्चा बटोर रहे साहिल आनंद का मानना है कि बालीवुड में गैर फिल्मी परिवार का होने की वजह से उनका करियर तेजी से आगे नहीं बढ़ पाया. बौलीवुड में गैर फिल्मी परिवार से आने वालों को बाहरी ही माना जाता है. इसी वजह से उन्हे वह सफलता नहीं मिल पायी, जो मिलनी चाहिए थी.
हाल ही में जब साहिल आनंद से मुलाकात हुई, तो हमने उनसे सवाल किया कि करण जोहर की फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर’’ में अभिनय कर आलिया भट्ट, सिद्धार्थ मल्होत्रा और वरूण धवन का करियर बहुत बड़े मुकाम पर पहुंच गया, पर उनका करियर इनके मुकाबले पर क्यों नहीं है? इस पर साहिल आनंद ने कहा-‘‘बौलीवुड में करियर को आगे बढ़ाने के लिए इस इंडस्ट्री में आपका अपना कोई होना चाहिए, जो आपको पुश करता रहे. फिल्म ‘स्टूडेंट आफ द ईअर’ में आलिया भट्ट थी, जिनके पिता महेश भट्ट हैं. वरूण धवन थे, जिनके पिता जाने माने निर्देशक डेविड धवन हैं. सिद्धार्थ मल्होत्रा थे, जो कि मशहूर कास्ट्यूम डिजाइनर मनीष मल्होत्रा के रिश्तेदार हैं. इस फिल्म में जिसने मोटू का किरदार निभाया था, वह बोमन इरानी का बेटा है. जबकि बौलीवुड में मेरा कोई रिश्तेदार नही है. बौलीवुड में मुझे जानने वाला भी कोई नही है और बौलीवुड में बिना गाड फादर या किसी रिश्तेदार के सफलता मिलना आसान नहीं है.
मैं तो ईश्वर का आभारी हूं कि वह मुझे इस इंडस्ट्री में जमाए हुए हैं. मैं फिल्म ‘है अपना दिल तो आवारा’ के निर्देषशक मोंज्वाय मुखर्जी का भी आभारी हूं कि उन्होंने मुझे अपनी इस फिल्म में अभिनय करने का मौका दिया. वह बहुत बड़े फिल्मी खानदान से हैं. ज्वाय मुखर्जी के बेटे हैं. इसके बावजूद उन्होंनेने नए कलाकाकारों को अपनी फिल्म से जोड़ा. आप यदि नजर दौड़ाएं, तो बालीवुड में नए कलाकारों में सारे लड़के बालीवुड में कार्यरत खानदान से ही हैं. सुशांत राजपूत को लोग गैर फिल्मी मानते हैं, पर मुझे पता है कि बौलीवुड के अंदर उसकी बहुत जान पहचान है.’’
साहिल आनंद ने आगे कहा-‘‘मुझे ‘स्टूडेंट आफ द ईअर’ जैसी फिल्म में ब्रेक मिला. मैंने अपनी अभिनय प्रतिभा को साबित किया. लोगों ने मेरे अभिनय की तारीफ भी की. पर फिल्मकारों ने इसे तवज्जो नहीं दी. तो इसमें मेरी क्या गलती है? करण जोहर हों या दूसरे फिल्मकार, सभी किसी न किसी स्टार के बेटे बेटी को ही लांच कर रहे हैं. अब करण जोहर ने कहा है कि वह श्रीदेवी की बेटी जान्हवी को लांच करेंगे. अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन को राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने लांच किया. तो बालीवुड के फिल्मकार गैर फिल्मी परिवार की प्रतिभाओं की तरफ ध्यान ही नहीं देते हैं. वास्तव में यह सभी लोग आपस में ही एक दूसरे पर अहसान करते रहते हैं. इन लोगों ने अपनी एक घेरे बंदी बना ली है, उसी में रहकर सारा काम करते हैं. मैं ईश्वर से हर दिन प्रार्थना करता हूं कि कोई ऐसा चमत्कार हो जाए कि मैं इस घेरे बंदी को तोड़कर सफलता की सीढ़ियां चढ़ जाऊं. यही मेरा मकसद है.’’
जब हमने साहिल आनंद से कहा कि इसका अर्थ यह हुआ कि आप मानते हैं कि स्टार पुत्रों या बेटियों की वजह से नई प्रतिभाओं को बालीवुड में काम नहीं मिलता? तो साहिल ने कहा-‘‘जी हां! ऐसा ही है. बालीवुड के लोग आपस में बातें करते हैं कि, ‘अरे गैर फिल्मी प्रतिभा को लांच करने की बजाए, अपने लोगों को लांच करो. अपने लोगों को बढ़ावा दो.’ यहां कलाकार अपने बेटे को कलाकार ही बनाना चाहता है, उसे दूसरा काम करने की छूट ही नहीं देता. बालीवुड एकमात्र ऐसी जगह है, जहां यह बात मायने रखती है कि आपके पिता क्या हैं? या आपकी मम्मी क्या हैं? जबकि दूसरे क्षेत्रों में ऐसा कोई नियम नहीं है. हर दिन हजारों लोग मुंबई फिल्म नगरी से जुड़ने के लिए आते हैं, पर कुछ दिनों में बैरंग लौट जाते हैं.’