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छोटी महिला व्यवसायी भी हो रही हैं टेक्नो फ्रेंडली

व्यवसाय के क्षेत्र में महिलाओं की अच्छी भागीदारी को देखते हुए मुंबई में सिट्रस पेमेंट्स ने ‘सेल्फी’ नामक ऐप का विमोचन किया, इस ऐप को लाने का उद्देश्य छोटे स्तर पर व्यवसाय करने वाली महिलाओं को देश के छोटे बड़े शहरो के ग्राहकों के साथ जोड़ने का है.

इसके द्वारा अपने उत्पाद का फोटो क्लिक कर फेसबुक, इन्स्टाग्राम, ट्विटर, व्हाट्सएप के जरिये ग्राहकों को आसानी से पंहुचा दिया जाता है. पेमेंट हो जाने के बाद ग्राहक के सुविधानुसार सामान उन्हें पंहुचा दिया जाता है.

यहां उपस्थित मैनेजिंग डायरेक्टर अमरीश राव का कहना है कि तेजी से बढ़ते हुए व्यापार को देखते हुए इसे लाया गया है जिसका लाभ छोटे व्यवसायी भी उठा सकें. बिना किसी डॉक्यूमेंट के केवल 30 सेकेंड में वे अपने व्यवसाय को ऑनलाइन से जोड़ सकते है.  

ऑनलाइन जुड़ चुकी सोप्वर्क्स साबुन विक्रेता हरिनी शिवकुमार कहती हैं कि मैं गुडगांव की हूं और ‘सेल्फी’ ऐप से मैं मुंबई, बंगलुरु, चेन्नई आदि कई शहरों से जुड़ चुकी हूं. ड्रेस विक्रेता एन बोनी को भी कई ग्राहकों से आर्डर मिलने शुरू हो गए है.

VIDEO: मोदी जी, आपके सांसद तो सरेआम लड़की की जींस उतरवा रहे हैं

पिछले कई महीनों से देश में जो उथल-पुथल मची हुई है, वो किसी से छुपी नहीं है. पर आंख बंद करके हम कुछ देखना ही नहीं चाहते. हमें तो बस इस बात से मतलब है कि लंदन के 'तुसाद म्यूजियम' में 'मोदी जी' का जो पुतला बनाया गया है, वो कितना सुंदर दिखता है?

मोदी जी की शख्सियत की तो दुनिया दीवानी बनती जा रही है. पर मोदी जी की नाक के नीचे क्या हो रहा है, उन्हें खुद खबर नहीं. या यूं कहें, कि सब कुछ जानने के बावजूद वो अंजान बने बैठे हैं.

'मैं न तो खुद खाऊंगा और न खाने दूंगा' जैसे जुमलों और अल्पसंखयकों को निशाना बना कर जनाब सत्ता में तो आ पहुंचे, पर खुद के देश और मंत्रिमंडल के लिए वक़्त ही नहीं निकाल पाएं. यही वजह है कि ऊपर से साफ़ दिखाई देने वाली इस पार्टी में ऐसे लोगों की भरमार है, जो सिर्फ 'नमो-नमो' करते हुए सत्ता के गलियारे तक पहुंच गए हैं.

अब जैसे साक्षी महाराज को ही लीजिए, साधु की छवि को धारण किये हुए ये नेता कभी साधु रहे हैं या नहीं, इनके कर्मों को देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता है. इन दिनों साक्षी महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. हालांकि यह वीडियो करीब दो महीने पुराना है, पर आज मोदी कैबिनेट में हुए फेरबदल के चलते यह फिर से वायरल हो रहा है.

वीडियो के अनुसार उन्नाव में एक भाजपा कार्यकर्ता मैदान सिंह पर एक परिवार को पीटने का आरोप था. परिवार की ही एक घायल हुई लड़की की चोट देखने के नाम पर साक्षी महाराज ने सबके सामने जींस उतरवाने की कोशिश की. आपको बता दें कि मैदान सिंह के संबंध लोकल शराब माफियाओं से भी रहे हैं.

वैसे एक बात तो तय है, कि मोदी जी तक तो यह वीडियो पहुंचने से रहा. अगर पहुंच भी गया तो, उन्हें विदेश घूमने और जुमले फेंकने से फुरसत ही कहां है? जो इस पर कार्यवाही हो…खैर इसे ही अगर अच्छे दिन कहा जाता है, तो न नहीं चाहिए ऐसे अच्छे दिन.

समान नागरिक संहिता बनाम हिन्दू राष्ट्र

चिंता अकेले एमआईएम के मुखिया असऊद्दीन ओवैसी की नहीं, बल्कि करोड़ों मुसलमानो की है, जो फिलवक्त रोजे से हैं इसलिए कई उसूलों के पाबंद भी हैं. इनमे से एक गुस्सा न करना भी है, पर तय है ईद के बाद सब ओवैसी की हां में हां मिलाते नजर आएंगे कि यूनिफ़ार्म सिविल कोड पर बहस भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की मुहिम का एक हिस्सा है.

बक़ौल ओवैसी भाजपा आरएसएस के एजेंडे को लागू कर रही है, क्योंकि वह चुनावों के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में नाकाम रही है. इस्लामिक स्टेट की भर्त्स्ना करते रहने बाले ओवैसी दरअसल में उतने ही कट्टर मुसलमान हैं, जितना संघ से जुड़ा कोई भी व्यक्ति कट्टर हिन्दू होता है. ये दोनों ही तरह के लोग नहीं चाहते कि पंडे मौलवियों का रोजगार बंद हो और समाज से कर्मकांड बंद हों, लोग जागरूक हों व अपना भला बुरा खुद समझते अपने विवेक से फैसले लें. इस लिहाज से ओवैसी की प्रतिक्रिया अनअपेक्षित नहीं थी, जिनका काम मुसलमानो को हिन्दू राष्ट्र के होव्वे से उसी तरह डराते रहना है जिस तरह कट्टर हिन्दू वादी हिंदुओं को यह कहते डराते रहते हैं कि अगर मुसलमानो की आबादी इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब वे तुम पर हुकूमत कर रहे होंगे.

भारत माता की जय की संघ की पेशकश पर गर्दन कटा लेने की हद तक तिलमिलाने बाले ओवैसी की चिंता बावजूद मुसलमानो का हितेषी या शुभचिंतक ना होने के एक हद तक गंभीर प्रश्न है, जिससे साफ यह होता है कि अधिकतर लोग अभी भी पंडो और कठमुल्लाओं के इशारों पर नाच रहे हैं. सब के लिए एक सा कानून हो यह बात हर्ज की नहीं, पर वह कानून कैसा हो इसका फैसला कौन करेगा, यह बड़ी दिक्कत बाली बात होगी. यूनिफ़ार्म सिविल कोड की गेंद सुप्रीम कोर्ट से निकलकर विधि आयोग और सरकार के पाले में है, लेकिन आम लोग बजाय कानून के अपने अपने धार्मिक सिद्धांतों को लेकर चिंता में हैं. धर्म के जानकार आयतें रिचाएं खंगाल रहे हैं, ताकि वक्त रहते बताया जा सके कि देखो हमारे यहां तो फलां मसले पर ढिकानी जगह साफ साफ यह लिखा है और हम इससे कोई समझौता नहीं करेंगे.

विवादित उदाहरण तलाक का लिया जाए तो ट्रिपल तलाक का तरीका फिर चर्चाओं में है कि यह औरतों के साथ ज्यादती है. मुमकिन है हो, पर उलट इसके हिन्दू पुरुष तलाक की प्रक्रिया में कानूनी देरी को लेकर परेशान हैं, कई मामलों में तो दूसरी शादी कर घर गृहस्थी बसाने और बच्चे पैदा करने की उम्र गुजर गई और कई रूमानी ख्वाहिशें अदालत की चौखट पर दम तोड़ते मर गईं, पर तलाक नहीं मिला. यही हाल पैतृक संपत्ति विवादों का है, यानि कानून कोई पूर्ण नहीं है, इसलिए लोग उन्हे लेकर संतुष्ट या खुश भी नहीं हैं. फिर हल्ला क्या है? हल्ला धर्म और और उसके दुकानदार हैं जो अपने ग्राहकों को समान नागरिक संहिता के अज्ञात खतरों से डरा रहे हैं.

किसी अदालत में तलाक के लिए पेशियों पर चक्कर काट रहे किसी हिन्दू पति से पूछिए तो वह बड़ी दर्दीली आवाज में कहेगा कि काश एक दिन के लिए यह सहूलियत मुझे मिल जाए तो ज़िंदगी का एक भीषण तनाव दूर हो. फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र ने तो हेमामालिनी से शादी करने इस्लाम कुबूल कर लिया था. यही पीड़ा उस मुस्लिम महिला की भी है जिसे 3 दफा तलाक कहकर मर्द अपनी ज़िंदगी और घर से दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंकता है, मानो उसका कोई वजूद ही न हो. बी आर चोपड़ा निर्देशित फिल्म निकाह की नायिका सलमा आगा हर किसी को इसी वजह से याद है. जरूरत मौजूदा कानूनों  की खामियों को सुधारने की है न कि यूनिफ़ार्म सिविल कोड की आड़ में धर्म के ढ़ोल नगाड़े बजाने और पीटने  की.

ओलंपिक ऐथलीट्स की PM मोदी ने की हौसला अफजाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में होने वाले आगामी ओलंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय ऐथलीट्स से सोमवार को मुलाकात की. खिलाड़ियों से अनौपचारिक रूप से बातचीत करते हुए पीएम मोदी ने उन्हें खेलों के लिए शुभकामनाएं दीं.

पीएम मोदी ने सोमवार को नई दिल्ली में मानेकशॉ सेंटर में ओलंपिक दल से मुलाकात की. अभी तक 13 खेल स्पर्धाओं में 100 से अधिक ऐथलीट्स ने रियो ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाइ किया.

पीएम मोदी के साथ अनौपचारिक मुलाकात के दौरान खिलाड़ियों ने उनके साथ सेल्फी ली और उनके ऑटोग्राफ लिए. बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू और कंदाबी श्रीकांत ने अपने रैकिट पर पीएम के ऑटोग्राफ लिए.भारत ओलंपिक खेलों में अपना सबसे बड़ा दल भेज रहा है जिसमें 100 से ज्यादा खिलाड़ियों ने अभी तक 13 खेल स्पर्धाओं में क्वॉलिफाइ कर लिया है.

ओलंपिक में पिछला सबसे बड़ा दल 2012 लंदन ओलंपिक में था, जिसमें देश के 83 खिलाड़ियों ने भाग लिया था. आने वाले दिनों में और ऐथलीट्स के क्वॉलिफाइ करने की संभावना है. खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को खेलों में 110 से ज्यादा ऐथलीट्स के भाग लेने की उम्मीद है.

रियो के लिए क्वॉलिफाइ करने वाले कई ऐथलीट विदेशों में ट्रेनिंग कर रहे हैं इसी कारण सभी ऐथलीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं मिल पाए.

इस मुलाकात को खेल मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया था जिसमें पीएम मोदी ने बड़े उत्साह के साथ सभी खिलाड़ियों से मुलाकात करते हुए उन्हें आगे के लिए शुभकामनाएं दीं.

किस घेरेबंदी को तोड़ना चाहते हैं साहिल आनंद

रियलिटी शो ‘‘एमटीवी रोडीज’’ के अलावा ‘मेरा नाम करेगी रोशन’, ‘रंग बदलती  ओढ़नी’ व ‘रोशनी’ जैसे टीवी सीरियलों तथा ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर’’ व ‘‘बबलू हैप्पी है‘’ फिल्मों में अपनी अभिनय प्रतिभा दिखाने के बाद मोंज्वाय मुखर्जी की फिल्म ‘‘है अपना दिल तो आवारा’’ में एक बार फिर पंजाबी लड़के का किरदार निभाकर चर्चा बटोर रहे साहिल आनंद का मानना है कि बालीवुड में गैर फिल्मी परिवार का होने की वजह से उनका करियर तेजी से आगे नहीं बढ़ पाया. बौलीवुड में गैर फिल्मी परिवार से आने वालों को बाहरी ही माना जाता है. इसी वजह से उन्हे वह सफलता नहीं मिल पायी, जो मिलनी चाहिए थी.

हाल ही में जब साहिल आनंद से मुलाकात हुई, तो हमने उनसे सवाल किया कि करण जोहर की फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर’’ में अभिनय कर आलिया भट्ट, सिद्धार्थ मल्होत्रा और वरूण धवन का करियर बहुत बड़े मुकाम पर पहुंच गया, पर उनका करियर इनके मुकाबले पर क्यों नहीं है? इस पर साहिल आनंद ने कहा-‘‘बौलीवुड में करियर को आगे बढ़ाने के लिए इस इंडस्ट्री में आपका अपना कोई होना चाहिए, जो आपको पुश करता रहे. फिल्म ‘स्टूडेंट आफ द ईअर’ में आलिया भट्ट थी, जिनके पिता महेश भट्ट हैं. वरूण धवन थे, जिनके पिता जाने माने निर्देशक डेविड धवन हैं. सिद्धार्थ मल्होत्रा थे, जो कि मशहूर कास्ट्यूम डिजाइनर मनीष मल्होत्रा के रिश्तेदार हैं. इस फिल्म में जिसने मोटू का किरदार निभाया था, वह बोमन इरानी का बेटा है. जबकि बौलीवुड में मेरा कोई रिश्तेदार नही है. बौलीवुड में मुझे जानने वाला भी कोई नही है और बौलीवुड में बिना गाड फादर या किसी रिश्तेदार के सफलता मिलना आसान नहीं है.

मैं तो ईश्वर का आभारी हूं कि वह मुझे इस इंडस्ट्री में जमाए हुए हैं. मैं फिल्म ‘है अपना दिल तो आवारा’ के निर्देषशक मोंज्वाय मुखर्जी का भी आभारी हूं कि उन्होंने मुझे अपनी इस फिल्म में अभिनय करने का मौका दिया. वह बहुत बड़े फिल्मी खानदान से हैं. ज्वाय मुखर्जी के बेटे हैं. इसके बावजूद उन्होंनेने नए कलाकाकारों को अपनी फिल्म से जोड़ा. आप यदि नजर दौड़ाएं, तो बालीवुड में नए कलाकारों में सारे लड़के बालीवुड में कार्यरत खानदान से ही हैं. सुशांत राजपूत को लोग गैर फिल्मी मानते हैं, पर मुझे पता है कि बौलीवुड के अंदर उसकी बहुत जान पहचान है.’’

साहिल आनंद ने आगे कहा-‘‘मुझे ‘स्टूडेंट आफ द ईअर’ जैसी फिल्म में ब्रेक मिला. मैंने अपनी अभिनय प्रतिभा को साबित किया. लोगों ने मेरे अभिनय की तारीफ भी की. पर फिल्मकारों ने इसे तवज्जो नहीं दी. तो इसमें मेरी क्या गलती है? करण जोहर हों या दूसरे फिल्मकार, सभी किसी न किसी स्टार के बेटे बेटी को ही लांच कर रहे हैं. अब करण जोहर ने कहा है कि वह श्रीदेवी की बेटी जान्हवी को लांच करेंगे. अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन को राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने लांच किया. तो बालीवुड के फिल्मकार गैर फिल्मी परिवार की प्रतिभाओं की तरफ ध्यान ही नहीं देते हैं. वास्तव में यह सभी लोग आपस में ही एक दूसरे पर अहसान करते रहते हैं. इन लोगों ने अपनी एक घेरे बंदी बना ली है, उसी में रहकर सारा काम करते हैं. मैं ईश्वर से हर दिन प्रार्थना करता हूं कि कोई ऐसा चमत्कार हो जाए कि मैं इस घेरे बंदी को तोड़कर सफलता की सीढ़ियां चढ़ जाऊं. यही मेरा मकसद है.’’

जब हमने साहिल आनंद से कहा कि इसका अर्थ यह हुआ कि आप मानते हैं कि स्टार पुत्रों या बेटियों की वजह से नई  प्रतिभाओं को बालीवुड में काम नहीं मिलता? तो साहिल ने कहा-‘‘जी हां! ऐसा ही है. बालीवुड के लोग आपस में बातें करते हैं कि, ‘अरे गैर फिल्मी प्रतिभा को लांच करने की बजाए, अपने लोगों को लांच करो. अपने लोगों को बढ़ावा दो.’ यहां कलाकार अपने बेटे को कलाकार ही बनाना चाहता है, उसे दूसरा काम करने की छूट ही नहीं देता. बालीवुड एकमात्र ऐसी जगह है, जहां यह बात मायने रखती है कि आपके पिता क्या हैं? या आपकी मम्मी क्या हैं? जबकि दूसरे क्षेत्रों में ऐसा कोई नियम नहीं है. हर दिन हजारों लोग मुंबई फिल्म नगरी से जुड़ने के लिए आते हैं, पर कुछ दिनों में बैरंग लौट जाते हैं.’

सारा लोरेन को सीखनी पड़ी नेपाली भाषा

‘‘मर्डर 3’’ फेम अदाकारा सारा लोरेन अपने किरदार के साथ न्याय करने के लिए हर तरह की तैयारी करने में यकीन रखती हैं. इसी के चलते उन्होंने फिल्मकार अजय जायसवाल और सतीश त्रिपाठी की फिल्म ‘‘इश्क क्लिक’’ में अभिनय करने से पहले नेपाली भाषा सीखी. वास्तव में इस फिल्म में कुछ सीन ऐसे हैं, जिनमें सारा लोरेन दार्जिलिंग में स्थानीय निवासियों के साथ नेपाली भाषा में ही बात करती हैं. फिल्म ‘‘इश्क क्लिक’’ को दार्जिलिंग में ही फिल्माया गया है.

इस बारे में जब हमारी बात सारा लोरेन से हुई, तो सारा लोरेन ने कहा-‘‘फिल्म की पटकथा पढ़ने के बाद मुझे अहसास हुआ कि मुझे यदि किरदार को सही ढंग से निभाना है, तो नेपाली भाषा सीखनी पड़ेगी. फिल्म के निर्देशक चाहते थे कि उस वक्त संवाद रटकर काम किया जा सकता है, पर मुझे लगा कि इससे चेहरे पर सही ढंग से भाव नहीं आएंगे. भाषा में भी बनावटीपन लगेगा.इसलिए मैने नेपाली भाषा सीखी. जब आप फिल्म देखेंगे, तो इसका असर आपको जरुर पता चलेगा.’’

आमिर ने निभाई सलमान से दोस्ती या दुश्मनी

बेचारे सलमान खान! हर तरफ से सिर्फ मुसीबत ही सामने आ रही हैं. इन दिनों सलमान खान पर अपनी 6 जुलाई को रिलीज हो रही फिल्म ‘‘सुल्तान’’ को बाक्स आफिस पर तीन सौ करोड़ के आंकड़े तक पहुंचाने का दबाव बहुत ज्यादा है. सूत्रों की माने तो फिल्म ‘‘सुल्तान’’ का निर्माण करने वाली कंपनी ‘‘यशराज फिल्मस’’ भी इसी जादुई आंकड़े को छूने की सोच रही है. सूत्रों की माने तो यशराज फिल्मस ने यही सोचकर फिल्म ‘‘सुल्तान’’ को ‘दंगल’ से पहले जल्दी रिलीज करने की योजना बनाकर काम किया. क्योंकि सलमान खान की फिल्म ‘‘सुल्तान’’ और आमिर खान की फिल्म ‘‘दंगल’’ दोनो ही फिल्में कुश्ती पर आधारित हैं. इतना ही नहीं ‘यशराज फिल्मस’ ने ‘सुल्तान’ को बेहतरीन तरीके से प्रचारित करने की योजना भी बनायी थी, लेकिन प्रचार की शुरुआत होते ही सलमान खान द्वारा फिल्म की शूटिंग के अनुभवों की तुलना ‘रेप पीड़िता औरत’ से करके ऐसा हंगामा मचा दिया कि ‘‘सुल्तान’’ को लेकर सलमान खान के बाकी इंटरव्यू और कई शहरों की यात्राएं रद्द हो गयी. इसकी भरपाई करने के लिए ही सलमान खान ने मन मसोसकर ‘सोनी’ चैनल पर कपिल शर्मा के कामेडी के रियलिटी शो में भी चले गए, अन्यथा वह इसमें जाने वाले नहीं थे.

इतना ही नहीं परिस्थितियों को भांपते हुए सलमान खान ने आमिर खान की फिल्म ‘‘दंगल’’ की कहानी को भी अच्छा बता दिया. और तो और सलमान खान ने शाहरुख खान के साथ सारे गिलवे शिकवे मिटाते हुए शाहरुख खान के साथ न सिर्फ दोस्ती की, बल्कि उनके साथ मुंबई की सड़कों पर सायकल चलाते हुए उसकी तस्वीर भी हर जगह प्रचारित करवायी. यानी कि अपने ‘रेप पीड़िता औरत’ के बयान पर माफी मांगने और पत्रकारों के सवालों का सामना करने के अलावा हर काम सलमान खान कर रहे हैं.

इतना सब करने के बाद  सलमान खान ने उम्मीद लगा रखी है कि आमिर खान और शाहरुख खान उनके फायदे का ही काम करेंगे. मगर कल, चार जुलाई को आमिर खान ने अपनी कुश्ती पर ही आधारित फिल्म ‘‘दंगल’’ का पोस्टर मुंबई के पांच सितारा होटल ‘‘ताज लैंड’’ में अति भव्य समारोह और मीडिया की भीड़ के बीच लांच कर सबको चौंका दिया. लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि आमिर खान ने यह कदम उठाकर सलमान खान की मदद की है या ‘सुल्तान’ की सफलता पर सवालिया निशान लगा दिया है? यानी कि बौलीवुड में जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं.

बौलीवुड से जुड़े तमाम सूत्रों की राय में आमिर खान का यह कदम तो हर हाल में सलमान खान व फिल्म ‘सुल्तान’ के लिए नुकसान का सौदा ही साबित होगा. इस तरह की बातें करने वालों के अपने तर्क हैं. इस तरह की बात मानने वाले सूत्र कहते हैं कि अब चार जुलाई और पांच जुलाई दोनो ही दिन सभी टीवी चैनलो, अखबारों, ट्विटर व सोशल मीडिया पर हर जगह आमिर खान तथा फिल्म ‘‘दंगल’’ छाया रहेगा. इससे चार व पांच जुलाई को टीवी चैनल, अखबार व सोशल मीडिया से ‘सुल्तान’ ओझल रहेगी, इसका खामियाजा 6 जुलाई को रिलीज हो रही फिल्म ‘सु़ल्तान’ व सलमान खान को ही होगा. दूसरी बात अब दर्शकों के दिमाग में कुश्ती को लेकर ‘दंगल’ व आमिर खान छाए रहेंगे, ऐसे में सिनेमा घर में ‘सुल्तान’ देखते समय दर्शक यह कल्पना कर सकता है कि यदि इस सीन में सलमान खान की जगह आमिर खान होते तो.? यानी कि हर हाल में आमिर खान के इस कदम से सलमान व ‘सुल्तान’ को नुकसान ही होना है..

इससे भी बड़ी मजेदार बात यह है कि ‘‘दंगल’’ के पोस्टर लांच के अपने इस समारोह के दौरान आमिर खान ने ‘रेप पीड़िता औरत’ के सलमान खान के बयान का पक्ष न लेते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण और संवेदनहीन बयान करार दिया. जब पत्रकारों ने आमिर खान से सलमान के इस बयान पर बोलने के लिए कहा, तो आमिर खान ने कहा-‘‘जब सलमान खान ने यह बात कही, उस वक्त मैं वहां पर मौजूद नहीं था. लेकिन मीडिया में जो कुछ छपा है उस आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि सलमान खान का बयान दुर्भाग्यपूर्ण और असंवेदनशील है.’’

आमिर खान ने इस मौके पर यह भी कहा कि इस पूरे प्रकरण पर अभी तक उनकी सलमान खान से कोई बात नहीं हुई है. पर जब उनसे पूछा गया कि क्या वह सलमान को कोई सलाह देंगे? तो तपाक से आमिर खान ने कहा-‘‘मैं सलाह देने वाला कौन होता हूं?’’

इतना ही नहीं आमिर खान ने अपनी फिल्म ‘‘दंगल’’ का जो पोस्टर लांच किया है, उस पोस्टर को बालीवुड के तमाम सूत्र सलमान खान पर तमाचा जैसा मान रहे हैं. इस पोस्टर में एक लगभग 45 साल का कुश्तीबाज (आमिर खान) चार लड़कियों (फातिमा शेख, सानिया मल्होत्रा, जायरा वासिम, सुहानी भटनागर) के बीच बैठा हुआ है और नीचे हरियाणवी भाषा में टैग लाइन है-‘‘मारी छोरियां छोरों से कम है काय? (क्या मेरी बेटियां,बेटों से कम हैं). यानी कि यह पोस्टर खुले आम नारी सशक्तिकरण की बात करता है. नारी सम्मान की बात करता है. जबकि कुछ दिन पहले ‘सुल्तान’ के प्रचार इंटरव्यू में सलमान खान ने जो बात कही थी, उसे नारी के अपमान की तरह देखा जा रहा है. शायद यही वजह है कि बौलीवुड के बिचौलियों के बीच सवाल उठ रहे हैं कि आमिर खान ने क्या जानबूझकर अपनी फिल्म ‘दंगल’ के इस तरह के पोस्टर को लांच करने के लिए चार जुलाई यानी कि फिल्म ‘सुल्तान’ के रिलीज से महज दो दिन पहले का दिन चुना?

अपनी फिल्म ‘‘दंगल’’ के पोस्टर लांच के समय सलमान खान और शाहरुख खान को खुद से बड़ा स्टार बताने से आमिर खान नहीं चूके. आमिर खान ने तो खुद को सलमान खान व शाहरुख खान के सामने ‘वेटर’ तक कह दिया. अब यह इन दोनो कलाकारों पर आमिर खान का व्यंगय है या उनके मन की सच्ची भावना, यह तो आमिर खान के अलावा कौन जान सकता है?

आमिर खान ने कहा है-‘‘सलमान व शाहरुख जब कहीं कदम रखते हैं, तो अहसास होता है कि स्टार आ गए. मुझमें यह गुण नहीं है. मैं तो ‘वेटर’ लगता हूं. (पर आमिर खान को अहसास हुआ कि इससे वह मुसीबत में फंस सकते हैं, तो उन्होंने तुरंत कहा कि मुझे ‘वेटर’ शब्द का उपयोग नहीं करना चाहिए. ‘वेटर’ भी कठिन मेहनत करते हैं.) सलमान खान और शाहरुख खान तो हमेशा ही बड़े स्टार रहे हैं. इससे इंकार नहीं किया जा सकता.

बहरहाल, सलमान खान व शाहरुख खान की तारीफों के पुल बांधने वाले आमिर खान ने ‘सुल्तान’ के रिलीज से दो दिन पहले ‘‘दंगल’’ का पोस्टर लांच का भव्य कार्यक्रम आयोजित कर सलमान खान से दोस्ती निभाई या……इस पर बौलीवुड बहस करने में उलझा हुआ है..देखें अंतिम सच क्या सामने आता है…

नवरातिलोवा के बराबरी पर पहुंचे फेडरर

17 बार के ग्रैंड स्लैम चैंपियन रॉजर फेडरर विम्बल्डन टेनिस चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में पहुंच गए. फेडरर ने अमेरिका के स्टीव जॉनसन को 6-2, 6-3, 7-5 से मात दी. अब उनका सामना मारिन सिलिच से होगा.

फेडरर 14वीं बार विम्बल्डन के क्वार्टर फाइनल में पहुंचे और उन्होंने जिमी कॉनर्स की बराबरी कर ली. स्विस खिलाड़ी की यह ग्रैंड स्लैम में 306वीं जीत है और उन्होंने मार्टिना नवरातिलोवा के सर्वाधिक ग्रैंड स्लैम मैच जीतने के रिकॉर्ड की बराबरी की. क्रोएशिया के सिलिच जापान के केई निशिकोरी के पसली की चोट के कारण मैच से हटने से आगे बढ़े. निशिकोरी जब मैच से हटे उस समय सिलिच ने 6-1, 5-1 से आगे थे.

 

प्रियंका पर कांग्रेस में उहापोह

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को चुनावी संघर्ष में बनाए रखने के लिये प्रियंका गांधी की भूमिका अहम हो गई है. कांग्रेस हाईकमान अभी अपने सबसे मजबूत पत्ते को दांव पर खुलकर नहीं लगाना चाहती. ऐसे में प्रियंका गांधी को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी नहीं घोषित किया जा सकता. हाईकमान इस बात को मान रहा है कि पार्टी को मजबूत आधार देने में प्रियंका का रोल अहम हो सकता है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में प्रियंका को पार्टी का सबसे बडा प्रचारक बनाने की योजना फिलहाल कागज पर आकार लेने लगी है. योजना के मुताबिक प्रियंका गांधी को 150 विधानसभा सीटों पर प्रचार की जिम्मेदारी दी जायेगी. यह वह विधानसभा क्षेत्र है जहां पर कांग्रेस पिछले चुनाव में सबसे सबसे कम वोट से हारी थी. पिछले विधानसभा चुनाव में काग्रेस को 403 विधानसभा सीटों में से 28 सीटे मिली थी. कांग्रेस इस चुनाव में कम से कम 100 के करीब विधानसभा सीट जीतना चाहती है.

कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लगता है कि मुख्यमंत्री का चेहरा सामने लाकर कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं, वोटरों और पार्टी नेताओं में उर्जा का संचार कर सकती है. कांग्रेस हाईकमान प्रियंका गांधी को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित नहीं करना चाहता है. कांग्रेस थिंकर्स सोचते है कि उत्तर प्रदेश का चुनावी संघर्ष बहुत उलझा हुआ है. यहां केवल चेहरा घोषित करने से मसला तय नहीं होने वाला. ऐसे में कांग्रेस केवल प्रियंका गांधी को पहले से अधिक क्षेत्रों में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दे सकती है. कांग्रेस नेहरू गांधी परिवार के किसी संदस्य को तब तक प्रत्याशी नहीं घोषित कर सकती जब तक उसे जीत का सौ फीसदी भरोसा न हो जाये. उत्तर प्रदेश में 28 सीटो को बहुमत के लिये तय 202 विधानसभा सीटों में बदलना बहुत मुश्किल काम है. प्रदेश में कांग्रेस का संगठन और जातीय आधार दोनो ही सबसे खराब हालत में है.

चुनावी चेहरा घोषित होने से केवल पार्टी का संदेश भर दिया जा सकता है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के मुकाबले केवल भारतीय जनता पार्टी ही नहीं है. यहां पर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी जैसे दूसरे दल भी हैं. इन सभी के पास पार्टी संगठन, चेहरा, और जनाधार कांग्रेस से बेहतर है. कांग्रेस बहुत प्रयास करने के बाद भी इन दलों के जनाधार में सेंध नहीं लगा पाई है. कांग्रेस में ब्राहमण वर्ग वापस लौट सकता है पर उसके लिये जरूरी है कि पहले कांग्रेस सत्ता में वापस आती दिखे. कांग्रेस के पास उत्तर प्रदेश में कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो मुलायम सिंह यादव और मायावती का सामना कर सके. भारतीय जनता पार्टी अपना चुनावी चेहरा भले ही घोषित करने में पीछे हट रही हो पर उसके पास चेहरो की कमी नहीं है.

प्रियंका के उत्तर प्रदेश में केवल सक्रिय होने भर से काम नहीं चलने वाला. वोटर को यह भरोसा चाहिये कि चुनाव के बाद प्रियंका उत्तर प्रदेश में समय देंगी. ऐसे में अगर प्रियंका को लेकर कांग्रेस हाई कमान को कोई फैसला करना है तो उसे अपनी सोच साफ रखनी होगी. प्रियंका को लेकर कांग्रेस पार्टी शुरू से ही उहापोह की हालात में रहती है. हर चुनाव के पहले ऐसी मांग होने लगती है कि प्रियंका लाओ कांग्रेस बचाव. कांग्रेस हमेशा इस मांग के समर्थन और विचार को टालने का काम करती है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के एक साल पहले फिर से प्रिंयका की राजनीति में आने की मांग ने जोर पकड ली है. अगर प्रियंका को चुनाव मैदान में आना है, राजनीति करनी है तो इसका फैसला जल्द करना होगा. समय निकल जाने के बाद किये गये फैसले का परिणाम बेहतर नहीं होता है.                     

जब वित्त मंत्री की ही आय घट जाए, तो देश का क्या होगा

वित्त मंत्री अरुण जेटली की संपत्ति वित्त वर्ष 2015-16 में 2.83 करोड़ रुपये कम हो गई है. बैंक खाते में नकदी कम होने से उनकी संपत्ति 68.41 करोड़ रुपये रह गई है.

प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर डाले गये संपत्ति के ब्यौरे के अनुसार जेटली ने कहा है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान आवासीय भवन और भूखंड सहित उनकी अचल संपत्ति का मूल्य 34.49 करोड़ रुपये पिछले साल के बराबर ही रहा है.

ब्यौरे के अनुसार उनके चार बैंकों के खातों में बकाया राशि 3.52 करोड़ रुपये से घटकर एक करोड़ रुपये रह गई.

इसके अलावा डीसीएम श्रीराम कंसोलिडेटेड लिमिटेड और एंप्रो ऑयल लिमिटेड सहित अन्य कंपनियों में उनकी जमाराशि 17 करोड़ रुपये पर अपरिवर्तित रही. जेटली के पास उपलब्ध नकदी जो कि मार्च 2015 में 95.35 लाख रुपये थी, वह मार्च 2016 में घटकर 65.29 लाख रुपये रह गई. पीपीएफ और अन्य निवेशों को मिलाकर यह राशि 11 करोड़ रुपये रह गई जो कि एक साल पहले 11.24 करोड़ रुपये थी.

उनके पास जो सोना, चांदी और हीरे हैं उनका मूल्य मार्च 2016 में बढ़कर 1.86 करोड़ रुपए हो गया जो पिछले साल मार्च में 1.76 करोड़ रुपये था.

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