अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 30 करोड़ डॉलर की सैन्य मदद रोक कर उसे एक बड़ा झटका दिया है. यह सैन्य मदद इसलिए रोकी गई है क्योंकि रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने कांग्रेस को इस बात का प्रमाण पत्र देने से इंकार कर दिया है कि पाकिस्तान खूंखार आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई कर रहा है.

पेंटागन के प्रवक्ता एडम स्टंप ने कहा, ‘इस बार पाकिस्तान की सरकार को कोष (30 करोड़ डॉलर) जारी नहीं किया जा सका क्योंकि रक्षा मंत्री ने अब तक इस बात को प्रमाणित नहीं किया है कि पाकिस्तान ने वित्तीय वर्ष 2015 राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार कानून (एनडीएए) के अनुरूप पर्याप्त कदम उठाए हैं.’ पाकिस्तान के लिए गठबंधन सहयोग कोष (सीएसएफ) के तहत वित्तीय वर्ष 2015 में एक अरब डॉलर मंजूर किए गए थे. इसमें से वह 70 करोड़ डॉलर ले चुका है.

रक्षा मंत्रालय को 30 जून तक कांग्रेस के समक्ष पुनर्निर्धारण का अनुरोध पेश करना था. स्टंप ने कहा कि इस समयसीमा के अनुरूप चलने के लिए कार्टर ने वर्ष 2015 में बाकी बची सीएसएफ की 30 करोड़ डॉलर की राशि के पुनर्निर्धारण का अनुरोध किया. यह राशि मूल रूप से पाकिस्तान के लिए मंजूर की गई थी. स्टंप ने कहा कि इस फैसले से पाकिस्तानी सेना द्वारा बीते दो साल में किए गए त्यागों का महत्व 'कम नहीं हो जाता है'.

वित्तीय वर्ष 2016 में पाकिस्तान के लिए सीएसएफ के तहत 90 करोड़ डॉलर मंजूर किए गए हैं. इसमें से 35 करोड़ डॉलर तभी दिए जा सकते हैं, जब रक्षा मंत्री यह प्रमाणपत्र देंगे कि पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई की है. स्टंप ने कहा, ‘पाकिस्तान सीएसएफ अदायगी का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है. वर्ष 2002 के बाद से उसे लगभग 14 अरब डॉलर मिल चुके हैं.’

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