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ऐसे फेसबुक से बचाएं अपना वॉट्सऐप डेटा

वॉट्सऐप जल्द ही आपसे जुड़ी कुछ जानकारियां और डेटा फेसबुक के साथ साझा करना शुरू करेगा. इससे फेसबुक आपको ज्यादा टारगेटेड विज्ञापन दिखाएगा. अगर आपने फेसबुक के साथ जानकारियां साझा करने की अनुमति दे दी, तो आपको वॉट्सऐप पर विज्ञापन देखने को नहीं मिलेंगे, लेकिन इसके डेटा के आधार पर फेसबुक आपको फ्रेंड बनाने के सुझाव और कई अन्य तरह के विज्ञापन जरूर दिखाएगा.

अगर आपको इससे दिक्कत है और आप नहीं चाहते कि आपके वॉट्सऐप का डेटा फेसबुक के साथ साझा किया जाए, तो एक तरीका है जो आपको इस स्थिति से निकाल सकता है. आपको मैन्युअल सेटिंग में जाकर इसे डिसेबल करना होगा. हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह वॉट्सऐप की अपनी जानकारियां फेसबुक के साथ साझा करने से रोक सकते हैं. ध्यान रखने वाली बात यह है कि डेटा-शेयरिंग के विकल्प से इनकार करने पर भी वॉट्सऐप आपसे जुड़ा कुछ डेटा फेसबुक को मुहैया कराएगा. इतना जरूर है कि सहमति ना देकर आप इस डेटा-शेयरिंग को सीमित कर सकते हैं.

वॉट्सऐप आपको सर्विस के नए नियमों की अपडेटेड जानकारी मेसेज करेगा. इसे स्वीकार ना करें. जब आप ऐप खोलेंगे, तो आपको एक पेज दिखेगा. इसपर आपसे पूछा जाएगा कि क्या आप नई शर्तों से सहमत (अग्री) हैं. जब आपको यह संदेश स्क्रीन पर दिखें, तो नीचे बताए गए निर्देशों को दोहराएं-

– अकाउंट सेटिंग के पेज पर नीचे की ओर 'शेयर माई अकाउंट इन्फो' लिखा दिखेगा. इसके पास बने बॉक्स पर पहले से ही टिक लगा होगा, इसको अनचेक करें.

– इसके बाद आपको स्क्रीन पर एक संदेश दिखेगा. इसमें 'डोन्ट शेयर' को चुनें. फिर आप अकाउंट सेटिंग के इस पेज पर आ जाएंगे.

– अगर आपको अपने वॉट्सऐप की स्क्रीन खोलने पर सर्विस पेज के अपडेटेट टर्म्स नहीं दिखे हैं या फिर ऊपर बताई गई सेटिंग्स ऐप में नहीं दिख रही हैं, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है.

– ये नए नियम आपके मोबाइल पर अभी लागू नहीं हुए हैं. वे आपको जल्द ही दिखेंगे. जब भी आप यह संदेश देखें, तब हमारे इन निर्देशों को याद रखें.

– अगर आप अभी वॉट्सऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आपके पास अपनी प्राथमिकताएं चुनने के लिए 30 दिन का समय है. नए उपभोक्ता जब वॉट्सऐप इंस्टॉल करेंगे, तब करार (अग्रीमेंट) पेज पर ही उन्हें इसे बदलने का विकल्प दिया जाएगा. अहम यह है कि अगर आप डेटा-शेयरिंग से इनकार करने का विकल्प चुनते भी हैं, तब भी वॉट्सऐप आपसे जुड़ी कुछ जानकारियों फेसबुक को देगा.

 – वॉट्सऐप का कहना है कि किसी यूजर द्वारा डाटा शेयरिंग से इनकार करने पर भी वह प्रॉडक्ट को बेहतर बनाने, स्पैम हटाने, आपत्तिजनक चीजों और असभ्य भाषा के इस्तेमाल को रोकने जैसी चुनिंदा चीजों के लिए उपभोक्ता से जुड़ा सीमित डेटा फेसबुक को मुहैया कराएगा.

पाक को नहीं मानता टेस्ट में नंबर 1: डीन जोंस

क्रिकेट के सबसे बड़े फॉर्मेट यानी टेस्ट क्रिकेट को लोकप्रिय बनाने के लिए हर तरफ से पहल की जा रही है, यही वजह है कि अब डे-नाइट टेस्ट की भी शुरुआत हो चुकी है. ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज बल्लेबाज डीन जोंस भी टेस्ट क्रिकेट को लोकप्रिय होते हुए देखना चाहते हैं.

ऑस्ट्रेलिया के इस दाएं हाथ के बल्लेबाज ने टेस्ट क्रिकेट का वर्ल्ड कप कराने की मांग की है, उन्होंने कहा कि टेस्ट क्रिकेट के वर्ल्ड कप से ही असली नंबर 1 का पता चल सकेगा. उनका मानना है कि जब तक की सारे देश एक दूसरे के साथ टेस्ट में नहीं भिड़ेंगे, तब तक असली नंबर 1 की पहचान करना मुश्किल है.

हाल ही में आईसीसी की रैंकिंग में पाकिस्तान टेस्ट की नंबर 1 टीम बनी है, उससे पहली पांच दिनों के लिए भारतीय क्रिकेट टीम भी टेस्ट में पहले पायदान पर थी. ऑस्ट्रेलिया के लिए श्रीलंकाई दौरा बेहद निराशाजनक रहा था, जहां 3 टेस्ट मैचो की सीरीज में उन्हें 0-3 से हार झेलनी पड़ी थी. इस हार के बाद ऑस्ट्रेलिया के सिर से टेस्ट का ताज हटकर भारत को मिल गया था.

लेकिन वेस्टइंडीज के खिलाफ आखिरी टेस्ट बारिश और खराब मैदान की वजह से ड्रॉ होते ही पाकिस्तान बन गया टेस्ट में बेस्ट.

डीन जोंस  ने कहा कि ''पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया इन दोनों ही टीमों की इज्जत करते हुए मैं कहना चाहूंगा आप तब तक नंबर 1 नहीं कहला सकते जब तक आपने दुनिया की सारी टीमों को शिकस्त न दे दिया हो. मैं देखना चाहूंगा टेस्ट वर्ल्डकप, जहां हर टीमें एक दूसरे के खिलाफ खेलेंगी. ऑस्ट्रेलिया कुछ दिनों पहले तक नंबर 1 तो थी लेकिन उसने पाकिस्तान या बांग्लादेश के खिलाफ नहीं खेला. वहीं पाकिस्तान ने कई सालों से भारत के खिलाफ टेस्ट नहीं खेला है. तो आप कैसे कह सकते हैं कि वह नंबर 1 हैं? इसलिए मेरी नजर में टेस्ट क्रिकेट का वर्ल्डकप जरूरी है, जो डे-नाइट हो तो और भी मजा है."

“टी20 में वेस्टइंडीज की टीम भारत से ज्यादा शक्तिशाली”

भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का मानना है कि फ्लोरिडा में होने वाली टी20 सीरीज में वेस्टइंडीज की टीम भारत पर भारी पड़ सकती है. वेस्टइंडीज ने इस साल भारत में हुए वर्ल्ड टी20 टूर्नामेंट को जीता था और मुंबई में हुए सेमीफाइनल में महेंद्र सिंह धोनी की टीम को पटखनी दी थी.

गांगुली ने कहा, 'ये कड़ा मुकाबला होगा. अंतराष्ट्रीय मैच है और दोनों टीमें इसे जीतने के लिए जान लड़ा देंगी. लेकिन, ये टेस्ट वाला वेस्टइंडीज नहीं है. ये टी20 फॉरमैट वेस्टइंडीज के खिलाड़ी भरपूर एन्जॉय करते हैं. मैं समझता हूं कि इस फॉरमैट में भारत से भी ज्यादा शक्तिशाली टीम है वेस्टइंडीज.'

पहली बार अमेरिकी धरती पर अंतराष्ट्रीय क्रिकेट खेला जाएगा. हालांकि गांगुली ने माना कि वेस्टइंडीज के पास पावरहिटर्स की भरमार है. उन्होंने कहा कि अनिल कुंबले से सुन कर अच्छा लगा कि विकेट अच्छा है. उनके पास गेल हैं, भारत के पास धोनी, विराट, रोहित हैं लेकिन वेस्टइंडीज की टीम में पावर थोड़ी ज्यादा है.

90 के दशक में सौरव गांगुली उस भारतीय टीम का हिस्सा थे जिसने टोरंटो में हुए सहारा कप में हिस्सा लिया था. उन्हें पूरी उम्मीद है कि फ्लोरिडा का ये स्टेडियम भारतीय फैन्स से भरा मिलेगा. गांगुली ने कहा कि 'पिछले साल मैं मास्टर्स टूर्नामेंट खेलने अमेरिका गया था और वहां लोगों का उत्साह देखने लायक था. मुझे पक्का भरोसा है की ये दोनों मैच फुल हाउस होंगे. भारत के लिए ये होम गेम होगा.'

विंटर फैशन ने मोहा सबका मन

लैक्मे फैशन वीक विंटर फेस्टिव 2016 के चौथे दिन डिज़ाइनर्स कनिका गोयल, कृति तुला और सोनल वर्मा के रैम्प पर लाये गए डिजाईन अदभुत रहे. इस बार के विंटर फैशन में पुराने फैशन को अधिकतर दोहराया गया. चाहे फैब्रिक हो या स्टाइल दोनों ही ‘मिक्स एंड मैच’ के आधार पर थे.

इस अवसर पर कनिका गोयल कहती है कि इसबार का फैशन ‘कम्फर्ट’ पर आधारित है. यही वजह है कि अधिकतर पोशाक ब्लैक शूज या फ्लैट शूज के साथ रैम्प पर उतारे गए, क्योंकि आज की महिला बहुत ‘ट्रेवल’ करती है. ऐसे में बार-बार फुटवेयर को बदलने का समय उनके पास नहीं होता. इस तरह के फुटवेयर किसी भी पोशाक के साथ आप किसी भी अवसर पर पहन सकते है. इस बार के फैब्रिक अधिकतर सिल्क, वेलवेट, ऊन, चमड़े आदि ट्रेंड में है. वेलवेट जो पुराने ज़माने में भी प्रयोग किये जाते थे.आज भी अपनी एक शाही पहचान रखते है.

कृति तुला के फैशन ‘डूडलएज’ पुराने कपड़े को नए रूप में पेश करना था. वह बताती हैं कि आज की महिला घर बाहर सब संभालती है, ऐसे में उनके पुराने कपड़ों को भी नए रूप में पहनना चाहती है. मैंने उन्ही ‘वेस्ट’ कपड़ो से नया फैब्रिक बनाकर पेश किया है. डिज़ाइनर कविता गोयल कहती है कि मैंने अपने  कपड़ो में फुलकारी और कढ़ाई पर खास तवज्जो दी है.

भारतीय महिला श्रमिक संघ के सहायता से मैंने इस कलेक्शन को रैम्प पर उतारा है. इस काम में मेरे साथ करीब 400 महिलाएं कार्यरत है. मेरा उद्देश्य फुलकारी को आगे बढ़ाना है ताकि इन महिलाओं को रोजी -रोटी मिले. इस कला को मैंने थोड़ा ट्विस्ट देकर नए रूप में पेश किया है.

‘कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत’ के शब्दों में उलझा मिशन कश्मीर

केन्द्र सरकार ने मिशन कश्मीर का जिम्मा होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह के कधों पर रखकर उनको कश्मीर भेजा तो यह उम्मीद की गई थी कि कुछ उम्मीद की लौ जलेगी. कश्मीर में राजनाथ सिंह ने बेहद नपे तुले शब्दों में अपनी राय रखी. शब्दों का चुनाव ऐसा था कि जिसके तमाम अर्थ निकल सकते हैं.

सबसे अहम सवाल था कि अपनी 2 दिन की कश्मीर यात्रा के दौरान किन लोगों और संगठनों से होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह बातचीत करेंगे. राजनाथ सिंह ने जबाव दिया कि जो लेाग और संगठन ‘कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत‘ में यकीन रखने वाले हैं उन सभी से बात होगी.

अलगाववादी नेता हो या आतंकवादी सभी अपने अपने हिसाब से ‘कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत‘ में यकीन रखते है. सभी अपनी बात को सही मानते हैं. अगर कोई अपनी बात को गलत मानता तो ऐसे काम ही नहीं करता. धर्म की आड़ लेकर आतंकवादी भी अपने काम को सही ठहराते है. ऐसे में सभी के लिये ‘कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत‘ के मायने अपनेअपने तर्को के आधार पर हैं.       

केन्द्र सरकार के लिये मिशन कश्मीर बेहद संवेनशील विषय है. राजनाथ सिंह से एक ठोस पहल की उम्मीद की जा रही है. यह सच है कि 2 दिन की यात्रा से कश्मीर का बिगड़ा माहौल सुधरने की उम्मीद करना बेमानी सा है. राजनाथ सिंह से अधिक प्रभावशाली तरीके से जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अपनी बात रखी. उनकी बात में आक्रोश और संवेदना दोनों दिख रही थी.

कश्मीर मुद्दे को लेकर जहां कांग्रेस केन्द्र सरकार के समर्थन में है, वहीं नेशनल काफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला बीच का रास्ता पकड़े दिखे. वह केन्द्र सरकार के साथ बातचीत करके यह दिखाने की कोशिश में नजर आये जैसे बदलाव की दिशा उनकी पहल पर तय होगी. पैलेट गन की वापसी का मुद्दा उमर अब्दुल्ला जोर-शोर से उठा रहे है.

कश्मीर में पैलेट गन का प्रयोग 2010 से हो रहा है. राजनाथ सिंह ने इसकी वापसी और इसकी जगह दूसरे असरदार तरीके का समर्थन और भरोसा दिया. अब इसकी वापसी की मांग जोर पकड़ने लगी है. इस गन के प्रयोग से लोगों की जान भले ही न जाती हो पर उसके शरीर का बहुत पीडा पहुंचती है.

भाजपा समर्थकों ने एक मुहिम चला कर इस पैलेटगन के प्रयोग को ले कर मोदी सरकार की तारीफ की. अब राजनाथ सिंह इसकी वापसी की बात कर रहे है. केन्द्र सरकार ने बलूचिस्तान और पीओके के मुद्दे पर अपनी नई राय जाहिर की है. जिससे पाकिस्तान पर दबाव पड़ेगा.

ऐसे हालात समय समय पर पहले भी दिखते रहे है पर इससे कश्मीर का हल निकलता नहीं दिखता. भाजपा की परेशानी यह है कि वह कई संगठनों से बातचीत का हमेशा से विरोध करती रही है. ऐसे में उसके नेताओं के सामने परेशानी यह है कि वह किन संगठनों से बात करेगी और किन से नहीं इस बात को खुलकर नहीं कह सकती.

इस परेशानी को हल करने के लिये ही होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने ‘कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत‘ जैसे शब्दों का प्रयोग किया जिससे साफ कुछ पता नही चल सकता कि वह किन लोगों से मिलना चाहते है और किन से नहीं.

इन शब्दों के सहारे वह भले ही साफ बात करने से बच गये हो पर कश्मीर मसले को हल करने के लिये खुले दिल और माहौल के साथ हर पक्ष से बात करनी होगी.कश्मीर की समस्या में वहां के नेताओं का भी बड़ा हाथ है जो अपने अपने वोटबैकं को बनाये रखने के लिये हर तरह की लामबंदी में माहिर है.

‘नूरा कुश्ती’ चाहती है सपा-भाजपा

समाजवादी पार्टी को ‘प्रो-मुस्लिम’ बता कर भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनावों में आपस में ही ‘नूरा कुश्ती’ करना चाहती है. भाजपा को जीत के लिये जातीय ध्रुवीकरण की जगह पर धार्मिक ध्रुवीकरण लाभदायक लग रहा है. ‘प्रो-मुसलिम’ का ठप्पा लगने के बाद सपा के खिलाफ एक माहौल तैयार हो जाता है.

इसके अलावा भाजपा को अखिलेश सरकार के सत्ता विरोधी मतों से भी लाभ होता दिख रहा है. केवल भाजपा ही सपा से सीधा मुकाबला नहीं चाहती बल्कि सपा भी यही चाहती है.

सपा-भाजपा आपस में ‘नूरा कुश्ती’ करके बसपा कांग्रेस को चुनावी जंग से बाहर कर देना चाहती है. सपा को लगता है कि उसकी ‘प्रो-मुस्लिम’ छवि के चलते मुसलिम वोट बैंक उसको वोट देगा. जो चुनाव में निर्णायक हो सकता है.

अगर बसपा या कांग्रेस भाजपा से मुकाबला करते दिखेगी तो मुस्लिम वोटर उधर जा सकता है. जो सपा के लिये मुफीद नहीं होगा. यही वजह है कि बहुत सारे विरोध के बाद भी सपा मुख्तार अंसारी के दल से समझौता करना चाहती है.

भाजपा की रणनीति है कि सपा अपना ‘प्रो-मुस्लिम’ कार्ड खेले जिससे हिन्दू वोटर एकजुट होकर भाजपा को वोट करे. लोकसभा चुनाव में भाजपा को यह लाभ मिल चुका है. कश्मीर मुद्दा इस बात को और मजबूत करेगा. केन्द्र सरकार पाकिस्तान के साथ इस तरह की बयानबाजी जारी रखेगी जिससे हिन्दू भाजपा के पक्ष में एकजुट रहे. सपा भाजपा असल में ‘प्रो-मुस्लिम’ और ‘एंटी -मुस्लिम’ राजनीति पर ही चुनाव लड़ना चाहते हैं.

भाजपा को लगता है कि अगर जातीय ध्रुवीकरण पर चुनाव लड़े गये तो उसे नुकसान होगा. दलित बसपा के साथ और सवर्ण कांग्रेस के पक्ष में जा सकता है. ऐसे में यह जरूरी है कि पूरी चुनावी लड़ाई धार्मिक आधार पर लड़ी जाये.जिसमें पाकिस्तान और राष्ट्रवाद जैसे मुददे भी तड़का लगाने के काम आये.

सपा इस बात को समझते हुये ही हिन्दुओं के लिये धार्मिक यात्राओं और दूसरे दिखावे वाले काम कर रही है. इसके बाद भी उसका लक्ष्य मुस्लिम और ओबीसी जातियों पर है. भाजपा ने अपने लक्ष्य को सवर्ण ओबीसी और दलित पर फोकस कर रखा है.

बसपा को ओबीसी और सवर्ण जातियों से बहुत भरोसा नहीं है. ऐसे में उसका फोकस दलित और मुसलिम जातियों पर है. उत्तर प्रदेश में सबसे कमजोर हालत में चल रही कांग्रेस भी मुसलिम वोट के साथ अपने पुराने वोटबैंक को हासिल करने की कोशिश में है.

बसपा ने सवर्ण और दलित के खेमेबंदी करके अपना नुकसान किया है. बसपा नेता मायावती को एक कुशल प्रशासक के रूप में प्रदेश का बड़ा वर्ग पंसद करता था. वह चुनावी लड़ाई में आगे थी जाति की लड़ाई में वह अपनी साख को दांव पर लगा बैठी.

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी सरकार के कामकाज पर चुनाव लड़ना चाहते है. पर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को लगता है कि विकास के नाम पर वोट नहीं मिलेगे वोट के लिये चुनावी गणित लगाना ही होगा. ऐसे में सपा और भाजपा की सीधी टक्कर दिखने से दोनों ही दलों को लाभ की उम्मीद दिख रही है. यही वह जरिया है जिससे दोनो पार्टियों के वोटर एकजुट होकर वोट कर सकते है.

स्लमडॉग मिलेनियर के जमाल मलिक का नया अवतार

हॉलीवुड फिल्म ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ में जमाल मलिक का किरदार निभाकर चर्चा में आए बाल कलाकार आयुष महेश खेड़ेकर अब 16 साल का हो गए हैं. अब वह फिल्म में हीरो बन गए हैं. इस बार वह इंसानी सपनों को पूरा करने तथा ‘कभी हार न मानो’ का संदेश देन वाले जिग्नेश के रूप में फिल्म ‘एक था हीरो’ में नजर आने वाले हैं.

सचिन एन धकन, अमित सोनी, पायल मडियार व जयेश मडियार द्वारा निर्मित और योगेश पगारे लिखित व निर्देशित फिल्म एक था हीरो की कहानी जिग्नेश नामक 11 साल के बच्चे की कहानी है, जिसे पूरा गांव हीरो कहता है. जिग्नेश का सपना है कि एक दिन उसकी भी अपनी साईकिल होगी. साईकिल के सपने को पूरा करने के लिए जिग्नेश की राह में कई तरह की मुश्किलें हैं.

उसकी मां के पास इतने पैसे नहीं होते कि वह उसे व उसकी बहन को भरपेट खाना खिला सके. तो दूसरी तरफ जिग्नेश गांव वालों की मदद करते हुए उनका दिल भी जीतते रहना चाहता है.

बांबे पोर्ट में इंजीनियर क रूप में कार्यरत महेश खेड़ेकर के बेटे आयुष खेड़ेकर फिलहाल अपनी पढ़ाई को ज्यादा महत्व दे रहे हैं. वह इन दिनों ग्यारहवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहे हैं. वह कहता हैं, ‘मुझे मोबाइल फोन या कंप्यूटर पर गेम खेलने की बनिस्बत क्रिकेट व फुटबॉल खेलने व पढ़ाई में ज्यादा रूचि है. मेरे पिता थिएटर कलाकार रहे हैं. मैं उनके साथ कई नाटक देखने जा चुका हूं.मैं अपनी पढ़ाई का नुकसान किए बगैर ही अभिनय के लिए समय देता हूं. मेरे पापा के साथ-साथ मुझे भी लगता है कि पढ़ाई पहली जरुरत है. मैं अमिताभ बच्चन के साथ एक विज्ञापन फिल्म के अलावा फिल्म ‘फैमिली’ में भी अभिनय कर चुका हूं.’

आयुष आगे कहते हैं, ‘मैं फिल्म एक था हीरो के माध्यम से हर किसी को यही संदेश देना चाहता हूं कि जीवन में परिस्थितियां चाहे जितनी विपरीत हों, पर इंसान को हार नहीं माननी चाहिए.’

अमृत ने भरी बंगला सीरियल से हिंदी फिल्मों की उड़ान

मॉडलिंग के अलावा बंगला सीरियल ‘बबलू झोले पास’ में अभिनय कर अमृत ने ऐसा जलवा दिखया कि आज वह बंगला फिल्मों के सुपर स्टार प्रसन्नजीत चटर्जी के साथ एक प्रेम कहानी युक्त रोमांचक बंगला फिल्म के साथ साथ हिंदी फिल्म ‘गड़बड़ सड़बड़’ में हीरो बनकर आ रहे हैं.

वैसे अमृत के लिए फिल्म माध्यम नया नही है. उनके पिता कलकत्ता में बंगला फिल्मों के निर्माता व वितरक हैं. खुद अृमत बताते हैं ‘‘मैं कलकत्ता का रहने वाला हूं. मेरे पिता का कलकत्ता में ही फिल्म प्रोडक्शन का बिजनेस रहा है. मेरे पिता ने ‘गो फार गोल’ सहित कुछ बंगला फिल्मों के अलावा हिंदी फिल्म ‘बी केयरफुल’ का निर्माण कर चुके हैं. इसके अलावा फिल्म वितरण के व्यापार से भी जुड़े हुए हैं. ‘बी केयरफुल’ में राजपाल यादव, शक्ति कपूर, जैद, तनिशा मुखर्जी वगैरह ने अभिनय किया था. इस फिल्म के निर्देशक चंद्रकांत सिंह थे.’’

बंगला सीरियल ‘बबलू झोले पास’ में अभिनय करते देख प्रसन्नजीत चटर्जी ने उन्हे एक बंगला फिल्म दिलायी. इस बंगला फिल्म के लिए वह काफी तैयारी कर रहे हैं. खुद अमृत बताते हैं कि ‘‘यूं तो निवेदिता भट्टाचार्य से मैंने अभिनय की ट्रेनिंग ली है. पर बंगला फिल्मों के सुपर स्टार प्रसन्नजीत चटर्जी भी मुझे अभिनय के गुण सिखा रहे हैं. इसके अलावा मैं बंगला भाषा भी सीख रहा हूं. मार्शल आर्ट भी सीख रहा हूं.’’

हिंदी फिल्म ‘गड़बड़ सड़बड़’ में अमृत के हीरो बनने की भी अजीब कहानी है. खुद अृमत बताते हैं कि ‘‘मैं अपनी होम प्रोडक्शन फिल्म ‘बी केयरफुल’ के सेटेलाइट के बिजनेस के लिए मुंबई आया था. तो फिल्म ‘बी केयरफुल’ में अभिनय कर चुके अभिनेता जैद के साथ मेरी मुलाकात फिल्मकार दुश्यंत से हुई. दुश्यंत ने मेरे सामने अपनी फिल्म ‘गड़बड़ सड़बड़’ में अभिनय करने का ऑफर दे दिया. मुझे कहानी व किरदार पसंद आया, तो मैंने यह फिल्म स्वीकार कर ली. यह डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले एक युवा लड़के की कहानी है, जो कि करप्शन के खिलाफ लड़ता है.’’

तो कंगना ही बनेंगी पद्मावती

‘सरिता’ की खबर सच साबित हो गई. 21 जुलाई को ‘सरिता’ पत्रिका ने इसी जगह ‘आखिर पद्मावती में कौन कर रहा है अभिनय’ के तहत अपने पाठकें को बताया था कि फिल्म ‘पद्मावती’ में दीपिका पादुकोण की बजाय कंगना रनौत पद्मावती का किरदार निभाने वाली हैं. जबकि हर अखबार व पत्रिका यही छापती रही है कि दीपिका पादुकोण ही संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ में अभिनय कर रही हैं.

लेकिन ‘लक्मे फैशन वीक’ में तरुण तहिलयानी के शो में रैंप पर चलते हुए खुद कंगना रनौत ने ‘सरिता’ पत्रिका की 21 जुलाई की खबर पर लगभग मुहर लगा दी है. कंगना रनौत ने कहा कि ‘संजय लीला भंसाली ने मुझसे संपर्क किया है. वह मेरे और शाहरुख खान के साथ फिल्म करना चाहते हैं. पर मैं यह दावा नही कर रही हूं कि मैं कल ही शाहरुख खान के साथ संजय लीला भंसाली की फिल्म में अभिनय करने जा रही हूं. यह शुरूआती बात है कि मैं और शाहरुख, संजय लीला भंसाली की फिल्म करने वाले हैं.’

एक तरफ कंगना रनौत ने संजय लीला भंसाली के साथ फिल्म करने की बात कबूल की है. तो दूसरी तरफ पद्मावती में रणवीर सिंह की बजाय शाहरुख खान को लिए जाने की बातें भी सामने आ चुकी हैं. संजय लीला भंसाली अक्टूबर माह से फिल्म पद्मावती की शूटिंग शुरू करने के लिए सेट बनवाने की तैयारी में लग गए हैं. शाहरुख खान प्राग में इम्तियाज अली की फिल्म ‘द रिंग’ की शूटिंग पूरी कर सितबंर के दूसरे सप्ताह में मुंबई वापस लौटने वाले हैं.

इससे यह बात साफ हो जाती है कि फिल्म पद्मावती में अब कंगना ही पद्मावती के किरदार में नजर आयेंगी. यदि ऐसा हुआ तो इसके मायने यह होंगे कि दीपिका के करियर में कील ठोंकने में कंगना कामयाब हो गयी.

“उम्मीद करता हूं मुझसे कुश्ती नहीं लड़ोगी”

टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग 'मुल्तान के सुल्तान' के नाम से तो पहले ही मशहूर हैं अब वो ट्विटर के भी शहंशाह बन चुके हैं. क्रिकेट के मैदान पर भले ही उनके चौके-छक्के नजर नहीं आते हों लेकिन इसकी कमी वो अपनी ट्वीट्स से कर देते हैं.

रियो ओलंपिक में भारत को पहला मेडल दिलाने वाली पहलवान साक्षी मलिक ने ट्विटर पर उनसे मिलने का समय मांगा और इस पर भी वीरू ने बिल्कुल अलग अंदाज में जवाब दिया.

साक्षी मलिक ने ट्वीट किया, 'गुडमॉर्निंग सर, मैं आपसे मिलना चाहती हूं, प्लीज आप समय बताइये आज, कल में आप कब मिल सकते हैं?

साक्षी मलिक के इस ट्वीट पर वीरू ने जवाबी ट्वीट में लिखा, 'बिल्कुल, मैं आपको बताऊंगा किस समय हम मिल सकते हैं. उम्मीद करता हूं कि आप मेरे साथ कुश्ती लड़ना शुरू नहीं करेंगी. साक्षी'

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