Download App

कुछ कहती हैं तसवीरें

खूबसूरत कछुआ चाल : आबोहवा बचाने में जितनी अहमियत पेड़ों की है, उतनी ही पानी और उस में रहने वाले जीवजंतुओं की भी है. अमेरिका के फ्लोरिडा के समुद्री तट पर जब समुद्री कछुओं को पानी में छोड़ा गया, तो वहां आए सैलानियों ने उन की तसवीरें खींच कर उस पल को यादगार बना दिया.

 

 

उपेक्षा से बेहाल गन्ना किसान

उत्तर प्रदेश का शामली जिला गन्ने की खेती के लिए पूरे देश में जाना जाता है. अपनी जमापूंजी लगा कर गन्ना पैदा करने वाले किसान जब मिलों में गन्ने को बेचने जाते हैं तो उन्हें समय पर भुगतान नहीं मिलता. आज किसान करोड़ों के भुगतान के लिए तरस रहे हैं. चीनी मिलें उन के करीब 300 करोड़ रुपए दबाए बैठी हैं. इसी जिले के कैराना में पलायन के मामले में एक तरफ जहां राजनीति गरमाई हुई है, वहीं किसानों की समस्या को सुनने वाला कोई नहीं है. किसान हताशा और परेशानी के शिकार हो रहे हैं.

गन्ना बैल्ट के लिए मशहूर शामली की कमाई गन्ने पर टिकी है. जनपद का कुल कृषि रकबा 1,60,997 हेक्टेयर है. 58000 हेक्टेयर रकबे में गन्ना उपजाया जाता है. इस के अलावा 19075 हेक्टेयर में धान, जबकि 49606 हेक्टेयर रकबे में गेहूं की खेती होती है.

गन्ना उत्पादन के मामले में पश्चिमी यूपी में शामली भले ही सब से आगे हो, लेकिन इस के बावजूद पिछले 3 साल में गन्ना किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. किसान पूरे साल मेहनत करता है. खास बात यह भी है कि प्रदेश में शामली जिला 2 साल से गन्ने के उत्पादन के मामले में पहले नंबर पर है. पूरे प्रदेश का औसत उत्पादन 665 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का है, वहीं अकेले शामली जिले का औसत उत्पादन 807.76 क्विंटल प्रति हेक्टयेर रहा है. जिले में छोटीबड़ी जोत वाले करीब 76 हजार 500 किसान हैं. आगे होने के बावजूद गन्ना भुगतान के मामले में पिछड़े हैं. शामली की 3 चीनी मिलों पर किसानों का 297 करोड़ 13 लाख रुपए बकाया है.

सभी को इंतजार है कि कब गन्ना मिलें उन के गन्ने की कीमत चुकाएंगी. मिलों द्वारा भुगतान न किए जाने से इस का असर जिले की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. आर्थिक तंगी ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है.  किसान कर्जदार और ब्लडप्रेशर व शुगर जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. इस का असर बाजारों पर भी है. पहले जहां दुकानों पर 15 से 20 हजार रुपए की बिक्री होती थी, अब 3 से 4 हजार रह गई  है. वेदपाल दुकानदार बताते हैं कि किसान आ कर भी क्या करें जब उन के पास पैसा ही नहीं है. तकाजे से भी वे बच रहे हैं. व्यापारी नेता घनश्यामदास गर्ग कहते हैं कि दुकानदारी  मंदी पड़ी है, लेकिन दुकानदार किसानों के दर्द को समझते हैं. सब से अच्छी बात तो यह है कि किसान ईमानदार हैं. जब उन के पास पैसा होगा, तो वे दुकानदारों का पैसा लौटा देंगे. इसी नाते उन को उधार सामान दे दिया जाता है.

जिले के सैकड़ों किसान हैं, जिन्होंने जीतोड़ मेहनत  से अपने खेतों में गन्ना उगाया. उन का गन्ना खेत से चीनी मिलों तक तो गया, लेकिन भुगतान आज तक नहीं मिला. इस के चक्कर में न वे कर्ज चुका पा रहे हैं, न ही परिवार चला पा रहे हैं. यही तकलीफ ज्यादातर किसानों के तनाव की वजह बनती जा रही है. बैंकों का कर्ज भी बढ़ता जा रहा है. 31 मार्च 2016 तक कुल 24 बैंकों का 2 हजार 2 सौ 24 करोड़ का कर्ज लोगों पर है, जिस में करीब 17 करोड़ रुपए का कर्ज केवल किसानों पर ही है. बैंक कर्ज वसूल नहीं पा रहे हैं और परेशान हैं, तो किसान चीनी मिलों के भुगतान को ले कर परेशान हैं.  इस के अलावा बैंकों से किसानों ने क्रेडिट कार्ड बनवाए हुए हैं, उन का ब्याज भी उन्हें देना पड़ेगा. यह बात अलग है कि गन्ना मिलों से उन के पैसे का कोई ब्याज नहीं मिलेगा.

किसान जगमेर सिंह के पास 300 बीघे जमीन है. जमीन पर उन्होंने 1 हजार 789 क्विंटल गन्ने का उत्पादन कर के पूरे प्रदेश में रिकार्ड बनाया, उस के लिए उन्हें 50 हजार रुपए का इनाम तो मिला, लेकिन गन्ने का भुगतान अभी तक नहीं मिल सकता है. उन्होंने करीब 22 लाख रुपए का गन्ना बेचा, लेकिन मिले केवल 5 लाख रुपए. किसान का बेटा किसान ही बने इस पर वे सोचने के लिए मजबूर हो रहे हैं. हालात को देख कर वे अपने बच्चों को खेती करने के बजाय पढ़लिख कर कामयाब होने की सलाह देते हैं.

जगमेर सिंह ऐसा सोच सकते हैं, लेकिन ऐसे किसान परिवार भी हैं जो इस बारे में नहीं सोच सकते. पैसे की तंगी का असर सीधे उन के बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है. जिले में करीब 20 पब्लिक स्कूल हैं, जिन में पढ़ने वाले 15 फीसदी बच्चे किसान परिवारों से हैं. कर्ज के बोझ तले दबे किसानों के लिए बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो गया है. कई किसानों ने कर्ज ले कर बच्चों का दाखिला स्कूलों में कराया है. कई किसान ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने बच्चों को पब्लिक स्कूलों से निकाल कर गांव के ही प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाना शुरू कर दिया है.

सूर्यवीर सिंह बीएसएम स्कूल के चेयरमैन हैं. वे कहते हैं कि गन्ना किसानों के 10 से 15 फीसदी बच्चे पिछले कुछ सालों में स्कूल छोड़ चुके हैं. सूरजमल पब्लिक स्कूल के मैनेजर योगेंद्र मलिक बताते हैं कि वे किसानों की समस्या समझते हैं और जहां तक होता है उन की मदद भी करते हैं. उन का अभिभावकों पर करीब 26 लाख रुपए बकाया हैं. किसान यही कहते हैं कि गन्ने का भुगतान होने पर फीस चुका देंगे. ज्यादातर पब्लिक स्कूलों में यही हाल है.

हैरान करने की बात यह भी है कि 3 सालों से गन्ने का भाव नहीं बढ़ा है. चीनी मिलों का अपना तर्क है. मिलों के अधिकारी कहते हैं कि मिलें चीनी की बिक्री के बाद ही किसानों को भुगतान कर पाएंगी, लेकिन यह भुगतान कब और कितने समय में होगा इस की कोई गारंटी नहीं लेता. हालांकि पिछले कुछ समय समय में किसानों को 2 किश्तों में भुगतान किया भी गया, लेकिन वह बहुत कम था.

यों तो किसानों के नाम पर दर्जनों संगठन हैं, लेकिन ठोस हल किसी के पास नहीं दिखता. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत कहते हैं कि मिलों को गन्ना भुगतान तो करना ही होगा, वे रणनीति बना कर ठोस कदम उठाएंगे. किसान नेता सतपाल सिंह कहते हैं कि मिल प्रबंधकों से बात होती है, लेकिन वे वादों से मुकर जाते हैं.                   

उम्मीद से कायम है हौसला

किसानों के गन्ना मिलों पर भले ही करोड़ों रुपए बकाया हैं, लेकिन उन की उम्मीद और हौसला दोनों कायम हैं. मेहनतकश किसान गन्ने की रिकार्ड फसल पैदा करना चाहते हैं. नतीजन उन के खेतों में गन्ने की फसलें लहलहा रही हैं. पिछले साल के मुकाबले गन्ने का रकबा भी बढ़ गया है. पिछले साल जहां 48 हजार हेक्टेयर में गन्ना बोया गया था, वहीं इस बार 52 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में गन्ना उगाया गया है. यानी गन्ने का रकबा 5.87 फीसदी बढ़ा है.

गन्ना विभाग के आंकड़ों पर गौर करें, तो पता चलता है कि शामली जिले के 292 गांवों में से 198 गांवों में सर्वेक्षण का काम अभी तक पूरा किया गया है. इन गांवों में हुए सर्वे की रिपोर्ट में पिछले साल के मुकाबले 5.87 फीसदी गन्ना रकबे में बढ़ोतरी हुई है. खास बात यह है कि गन्ने की फसल के लिए जिले की जमीन उपजाऊ होने के साथसाथ जलवायु भी माफिक है. इस के अलावा कम व अधिक बारिश झेलने की क्षमता है, तो रोग लगने की संभावना भी कम होती है. कई किसान ऐसे भी हैं, जिन्होंने कर्ज ले कर इस उम्मीद में गन्ने की फसल उगाई है कि उन्हें अच्छा भुगतान हो जाएगा. किसान कहते हैं कि चीनी मिलें समय से उन को गन्ने का भुगतान करती रहें, तो गन्ने का रकबा और बढ़ जाएगा.

लजीज मिठाई रामकटोरी

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले से हो कर नेपाल को जाने वाली सड़क पर पड़ने वाले बाजार बर्डपुर में एक दुकान पर हर रोज हजारों की भीड़ देखने को मिलती है. यह भीड़ वहां की लोकप्रिय मिठाई रामकटोरी के चाहने वालों की होती है. यह मिठाई शुद्ध देशी घी और मैदे से बनाई जाती है. बर्डपुर की यह मिठाई इतनी लोकप्रिय है कि इस की मांग अरब देशों तक में है. बर्डपुर से पलटा देवी मार्ग पर पड़ने वाली गायत्री स्वीट्स नाम की दुकान पर सिर्फ रामकटोरी मिठाई ही मिलती है. इस मिठाई को बनाने की शुरुआत इस के मालिक विनोद मोदनवाल ने 1991-92 में की थी. पहले वे खोए से तमाम तरह की मिठाइयां बनाते थे, लेकिन उन्होंने एक ऐसी मिठाई बनाने की सोची जो स्वाद से भरपूर और बेहद सस्ती हो. फिर उन्होंने मैदा, देशी घी, खोए और गरी के बुरादे से रामकटोरी नाम की मिठाई बनाने की शुरुआत की. यह मिठाई छोटी कटोरी के आकार की होती है, जिस में खोया भरा जाता है. सिद्धार्थनगर जिले में नेपाल बौर्डर से 15 किलोमीटर दूर बर्डपुर ब्लाक रामकटोरी के लिए मशहूर है. यह मिठाई शुद्ध देशी घी व खोए से बनी होने के बावजूद सिर्फ 140 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिकती है.

विनोद मोदनवाल का पूरा परिवार पिछले 25 सालों से रामकटोरी बनाने के कारोबार में लगा हुआ है. इस मिठाई को बनाने में विनोद मोदनवाल गुणवत्ता व स्वाद का पूरा खयाल रखते हैं, जिस की वजह से आसपास के जिलों के अलावा विदेशों में भी इस की मांग बनी हुई है.

बनाना है बेहद आसान :

1 किलोग्राम रामकटोरी मिठाई तैयार करने के लिए 100 ग्राम देशी घी, 700 ग्राम मैदा, 290 ग्राम खोया, इच्छानुसार गरी का बुरादा, चीनी व तलने के लिए घी की जरूरत पड़ती है. इस के लिए पहले मैदे को घी में खस्ता किया जाता है और जब मैदा पूरी तरह खस्ता हो जाता है, तो इसे गूंध कर उस की छोटीछोटी गोलियां बना कर उन्हें चपटा कर के कटोरी का आकार दिया जाता है. फिर इसे हलकी आंच पर सुनहरा होने तक देशी घी में तला जाता है. जब कटोरी का आकार एकदम सुनहरी हो जाए तो इसे पहले से तैयार की गई चीनी की चाशनी में 5 मिनट के लिए डुबो कर बाहर निकाला जाता है. कटोरी से जब चीनी की चाशनी सूख जाती है, तो गरी के बुरादे व खोए को इस की खाली जगह में भर कर इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है और खोया भरने के 10 मिनट बाद यह मिठाई खाने के लिए तैयार हो जाती है.

विनोद मोदनवाल का कहना है कि 1 किलोग्राम रामकटोरी को तैयार करने में 110 रुपए से 120 रुपए की लागत आती है. लेकिन आम लोगों तक इस मिठाई को पहुंचाने के लिए बेहद कम मुनाफे पर सालों से इन का परिवार लगा हुआ है. इस मिठाई का स्वाद और गुणवत्ता ही इस की पहचान है. जिले में कई लोगों ने इस मिठाई की नकल कर के इसे बना कर बेचने की कोशिश की, लेकिन वे विनोद मोदनवाल की बराबरी नहीं कर सके.

एक बार राम कटोरी मिठाई को जो भी चख ले, वह इस का मुरीद हो जाता है. इस मिठाई के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए गायत्री स्वीट्स के मालिक विनोद मोदनवाल के मोबाइल नंबर 9935326532 पर संपर्क किया जा सकता है.       

पेप्सिको ने धोनी से तोड़ा करार

बेवरेजेज और स्नैक्स की दिग्गज कंपनी पेप्सिको ने वनडे और टी20 क्रिकेट टीम के कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी के साथ 11 साल पुराना करार खत्म कर दिया है. धोनी देश के सबसे ज्यादा फीस लेने वाले खिलाड़ी हैं. पेप्सिको के इस फैसले से संकेत मिल रहा है कि ऐडवर्टाइजर्स के बीच शायद धोनी की चमक फीकी पड़ गई है.

35 साल के क्रिकेटर पेप्सी कोला और लेज चिप्स के विज्ञापनों में नजर आते थे. पेप्सिको के साथ धोनी का करार 2005 में हुआ था. कंपनी के कुछ सबसे बड़े कैंपेन 'ओह यस अभी' और 'चेंज द गेम' में भी धोनी शामिल थे. पेप्सिको के वाइस प्रेजिडेंट (बेवरेजेज) विपुल प्रकाश ने इस खबर की पुष्टि की. उन्होंने कहा, 'पेप्सिको में ऐडवर्टाइजिंग और मार्केटिंग का फोकस हमारे प्रॉडक्ट्स को हीरो बनाना और हीरो को सेलिब्रेट करना है. अगर कोई सिलेब्रिटी हमारे प्रॉडक्ट्स को सेलिब्रेट करने के आइडिया को सूट करता है तो हमें उसे लेने में बहुत खुशी होगी.'

फोर्ब्स मैगजीन की 2016 की लिस्टिंग मुताबिक, एंडोर्समेंट के लिए 2.7 करोड़ डॉलर लेने वाले धोनी का नाम दुनिया में सबसे ज्यादा फीस वसूलने वाले ऐथलीट में शुमार है. फोर्ब्स के अनुमान के मुताबिक, धोनी की सैलरी और प्रफेशनल अर्निंग्स 40 लाख डॉलर और एंडोर्समेंट से उनकी कमाई 2.70 करोड़ डॉलर है.

इंडस्ट्री के एक एक्सपर्ट का कहना है कि इंडियन क्रिकेट के पोस्टर बॉय धोनी की चमक ऐडवर्टाइजर्स के बीच फीकी पड़ रही है. विराट कोहली के बारे में इंडस्ट्री की राय है कि प्रति दिन फीस के मामले में उन्होंने धोनी को पीछे छोड़ दिया है. माना जा रहा है कि जहां कोहली एक दिन के लिए 2 करोड़ रुपये चार्ज कर रहे हैं, वहीं धोनी को फिलहाल हर दिन के लिए 1.5 करोड़ रुपये मिल रहे हैं.

भ्रामक विज्ञापनों पर सेलिब्रिटी को हो सकती है जेल

भ्रामक विज्ञापन करने वाली हस्तियों यानी सेलिब्रिटी पर जवाबदेही तय करने संबंधी एक नये मसौदा विधेयक पर विचार किया जाएगा. इस मसौदे के तहत भ्रामक विज्ञापन करने वाली हस्ती पर 50 लाख रुपये जुर्माने व पांच साल की जेल की सजा रखी जा सकती है.

सूत्रों ने बताया कि वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह की बैठक में मसौदा विधेयक को मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष पेश करने से पहले उपभोक्ता मंत्रालय विभाग द्वारा सुझाए गए प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा. इस अनौपचारिक मंत्री समूह में जेटली के अलावा उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, बिजली मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण भी हैं.

सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय ने भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के लिए कड़े प्रावधानों तथा ऐसे विज्ञापन करने वाली हस्तियों की जवाबदेही तय करने का प्रस्ताव किया है. सूत्रों ने कहा, 'पहली बार अपराध पर 10 लाख रुपये का जुर्माना व दो साल की सजा का प्रस्ताव है. वहीं अगर कोई सेलिब्रिटी या एंबैस्डर दूसरी बार या आगे और गलती करता है तो 50 लाख रुपये तक का जुर्माना या पांच साल की सजा हो सकती है.'

पी वी सिंधु बनेंगी CRPF कमांडेंट और ब्रांड एम्बैसडर

रियो ओलंपिक खेलों में सिल्वर मेडल जीतने वाली शटलर पी.वी. सिंधु के लिए एक और खुशखबरी है. देश के सबसे बड़े खेल सम्मान 'राजीव गांधी खेल रत्न' जीतने के बाद देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल (सीआरपीएफ) सिंधु को अपना ब्रांड एम्बैसडर नियुक्त करने और उन्हें कमांडेंट की मानद रैंक देने का फैसला किया है.

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सीआरपीएफ ने इस संबंध में गृह मंत्रालय को इस संबंध में एक आधिकारिक प्रस्ताव भी भेज दिया है और जरूरी मंजूरी मिलने के बाद सिंधु को एक समारोह में इस रैंक से सम्मानित किया जाएगा. उन्हें यह बैज सौंपा जाएगा जहां उन्हें सीआरपीएफ की वर्दी भी दी जाएगी.

खबरों की माने तो सिंधु को इस बारे में जानकारी दे दी गई है और इस संबंध में सीआरपीएफ ने उनकी सहमति ले ली है. सीआरपीएफ में कमांडेंट की रैंक पुलिस अधीक्षक के दर्जे के बराबर है और इस दर्जे का अधिकारी जब तैनात हो तो 1,000 सैनिकों की बटालियन को आदेश दे सकता है. कुछ साल पहले सीमा सुरक्षा बल बीएसएफ ने क्रिकेटर विराट कोहली को अपना ब्रांड एम्बैसडर नियुक्त किया था.

अब वापस ले सकते हैं किसी को भेजा हुआ ई-मेल

गूगल अपने यूजर्स की की शिकायत आने पर उसके हल की कोशिश करता रहता है. ऐसी ही एक समस्या को लेकर गूगल ने अपनी ईमेल सर्विस ‘जीमेल’ में एक नया फीचर जोड़ा है. इस नए फीचर के तहत अब आप निर्धारित समय के भीतर अपने भेजे हुए ईमेल को वापस ले सकते हैं.

कई बार ऐसा होता है कि आप किसी और के पास मेल भेजना चाहते हैं और ध्यान न देने या ईमेल आईडी गलत हो जाने की वजह से आपका मेल किसी और के पास चला जाता है. ऐसे में कई बार कोई गोपनीय जानकारी भी ऐसे व्यक्ति के पास जा सकती है, जिसे हम नहीं बताना चाहते. लेकिन, गलती हो जाने के बाद हमारे पास पछताने के आलावा कोई और चारा नहीं बचता है.

इसी समस्या के समाधान के लिए गूगल ने जीमेल में ‘अनडू सेन्ड’ विकल्प जोड़ा है. इस फीचर के अंतर्गत अब आप 5 सेकेंड से 30 सेकेंड के भीतर अपने द्वारा भेजे गए मेल को वापस ले सकते हैं. आपके द्वारा वापस लिया गया मेल आपके ड्राफ्ट बॉक्स में सेव हो जाएगा. इस फीचर का उपयोग करने के लिए आपको अपने जीमेल अकाउंट में इस फीचर को एक्टिवेट करना होगा. हम आपको बता रहे हैं कैसे आप ‘अनडू सेन्ड’ फीचर को अपने जीमेल अकाउंट में एक्टिवेट कर सकते हैं…

फीचर सक्रिय करने का तरीका

1. सबसे पहले अपने जीमेल खाते में लॉग-इन करें, फिर अपने इनबॉक्स के दाएं कोने पर स्थित सेटिंग आइकन पर जाएं और उसे क्लिक करें.

2. इसमें एक ड्रॉपडाउन लिस्ट खुलेगी, जिसमें सेटिंग का विकल्प दिखेगा, उस पर क्लिक करें.

3. नई विंडो खुलने पर आपको कई टैब्स दिखाई देंगे, इनमें से आपको ‘जनरल’ टैब पर क्लिक करना है.

4. अब आप अपने माउस को नीचे की ओर स्क्रॉल करें और ‘अनडू सेन्ड’ विकल्प के सामने दिए ‘इनेबल अनडू सेंड’ के चेकबॉक्स पर क्लिक करें. अब आपका ‘सेंड कैंसिलेशन पीरियड’ विकल्प सक्रिय हो जाएगा.

5. सेंड कैंसिलेशन पीरियड विकल्प में जाकर आप ड्रॉपडाउन लिस्ट में ‘अनडू मेल’ के लिए टाइम पीरियड सेट कर सकते हैं. इसमें आपके पास 5, 10, 20 और 30 सेंकेंड का ऑप्शन होगा. इसका मतलब आप मेल सेंड करने के कम से कम 5 सेकेण्ड और अधिकतम 30 सेकेण्ड के भीतर अपने भेजे गए मेल को वापस ले सकते हैं.

6. यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद आप अपने माउस को नीचे की तरफ स्क्रॉल करें और ‘सेव चेंजेज’ टैब पर क्लिक करें. ‘सेव चेंजेज’ पर क्लिक करने के बाद ही आपका ‘अनडू मेल’ फीचर एक्टिवेट होगा.

ईमेल वापस करने का तरीका: ‘अनडू मेल’ फीचर एक्टिवेट करने के बाद जैसे ही आप कोई मेल भेजते हैं, तो इनबॉक्स टैब में ऊपर की ओर ‘योर मैसेज हैज बिन सेंड’ लिखकर आता है. अब वहां आपको ‘अनडू’ का ऑप्शन भी दिखाई देगा. आप इस ऑप्शन पर 5 से 30 सेकेंड के भीतर क्लिक करके अपना मेल वापस ले सकते हैं.

अब रेस्तरां में नहीं देना होगा सर्विस चार्ज

रेस्तरां में ग्राहकों से ज्यादा वैट वसूलने के मामले में कानूनी विवाद और गहराने के आसार हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि विवाद की जड़ में टिप के नाम पर वसूला जाने वाला 10% सर्विस चार्ज (सर्विस टैक्स नहीं) है, जिसका कोई कानूनी आधार नहीं है. अब कोर्ट की निगाह में आने से इस बात के आसार बढ़ गए हैं कि सेवा के नाम पर लिया जाने वाला यह चार्ज हाशिए पर आ जाए. वैट विभाग ने साफ किया है कि वह कुल बिल पर वैट चार्ज करता है, जिसमें सर्विस चार्ज शामिल होता है, न कि सर्विस टैक्स. सर्विस टैक्स कुल बिल के 40% हिस्से पर लगता है, जो केंद्र को जाता है.

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले दिनों वैट विभाग को नोटिस जारी किया था कि वह सर्विस कंपोनेंट पर भी टैक्स क्यों ले रहा है. इस पर एक अधिकारी ने बताया, 'रेस्तरां में वैट खानपान के मूल्य और सर्विस चार्ज पर लगता है. इसे सर्विस टैक्स सहित कुल बिल न समझा जाए. अगर कोई चार्ज करता है तो वह इल्लीगल है. लेकिन सर्विस चार्ज के नाम पर हो रही वसूली पर वैट लगाने को अगर चुनौती दी गई है, तो हम अपनी बात रखने को तैयार हैं.'

दिल्ली सेल्स टैक्स बार असोसिएशन के एक सदस्य ने बताया, 'अगर किसी रेस्तरां ने मील प्लस सर्विस चार्ज प्लस सर्विस टैक्स यानी 1166 पर वैट चार्ज किया और विभाग ने स्वीकार किया तो दोनों फंसेंगे. लेकिन ऐसा नहीं होता. मामला सर्विस चार्ज पर वैट का है. ग्राहक की नजर से देखें तो परचेज तो सिर्फ खाना किया गया है, ऐसे में सर्विस नाम के किसी चार्ज पर वह वैट क्यों दे.'

दूसरी ओर, रेस्तरां इंडस्ट्री सर्विस चार्जेज का बचाव करती नजर आ रही है. नेशनल रेस्तरां असोसिएशन ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी जनरल प्रकुल कुमार ने कहा, 'रेस्तरां उन्हीं हेड्स के तहत वैट चार्ज कर रहे हैं, जिस पर विभाग ने सहमति जताई है. अगर सरकार टैक्सेबल रकम से सर्विस चार्ज को बाहर रखती है तो हमें क्यों ऐतराज होगा. लेकिन जहां तक सवाल इस चार्ज का है तो यह एक तरह की टिप है, जो पूरे स्टाफ में बांटी जाती है. इसे सर्विस टैक्स के साथ मत जोड़िए.'

दानिश की मदद क्यों नहीं कर रहा पाक क्रिकेट बोर्ड

लाइफटाइम बैन का सामना कर रहे पाकिस्तानी क्रिकेटर दानिश कनेरिया की नवाज शरीफ सरकार इसलिए मदद नहीं कर रही क्योंकि वे हिंदू हैं. पाकिस्तान की पार्लियामेंट यानी नेशनल असेंबली की एक कमेटी के मेंबर्स ने ही यह खुलासा किया है.

बता दें कि कनेरिया पर मई 2010 में इंग्लैंड के काउंटी क्रिकेट में स्पॉट फिक्सिंग का आरोप लगा था. इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने जून 2012 में उन पर बैन लगाया. इस फैसले पर पहले पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और फिर आईसीसी ने मुहर लगा दी. तब से उन पर लाइफटाइम बैन है. वे बीसीसीआई से भी मदद की अपील कर चुके हैं.

क्या कहना है इस कमेटी का

पाकिस्तान मुस्लिम लीग के सांसद रमेश कुमार वंकवानी ने इंटर स्टेट को-ऑर्डिनेशन से जुड़ी नेशनल असेंबली की स्टैंडिंग कमेटी की मीटिंग में कहा कि "पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड दानिश प्रभाशंकर कनेरिया को फाइनेंशियल और कानूनी मदद नहीं दे रहा है, क्योंकि वे हिंदू कम्युनिटी से हैं."

इस कमेटी के चेयरमैन पख्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी के अब्दुल कहार खान वदान हैं. उनकी बुलाई मीटिंग में पीसीबी के फाइनेंशियल मामलों और नेशनल क्रिकेट टीम की परफॉर्मेंस समेत कई मुद्दों पर चर्चा की गई.

सांसद रमेश ने कहा कि "कनेरिया की मदद देश के दूसरे क्रिकेटर की तरह नहीं की जा रही है."

कमेटी के एक और मेंबर इकबाल मुहम्मद अली ने भी कहा कि "कनेरिया के पास पैसे नहीं हैं और वे खुद अपना केस नहीं लड़ सकता है. ऐसे में, पीसीबी को मदद करनी चाहिए."

पीसीबी ने कहा, हम कुछ नहीं कर सकते

पीसीबी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सुभान अहमद ने कहा "आईसीसी के एंटी करप्शन कोड के तहत पीसीबी कनेरिया को किसी भी तरह से मदद नहीं दे सकती. अगर किसी बोर्ड ने किसी प्लेयर पर बैन लगाया है तो आईसीसी के नियमों के मुताबिक सभी बोर्ड को यह मानना पड़ता है. पीसीबी भी ऐसा ही कर रहा है."

कनेरिया का क्या कहना है?

स्पॉट फिक्सिंग के ऐसे ही एक मामले में फास्ट बॉलर मोहम्मद आमिर पर भी लाइफटाइम बैन लगा था. 5 साल क्रिकेट से दूर रहने के बाद आमिर की इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी हो गई.

इस जनवरी में कनेरिया ने कहा था, ''देखिए, पीसीबी खुद आमिर का केस देख रही है और मुझे पूछ भी नहीं रही. मेरे बारे में क्या? क्या होगा मेरा और मेरे परिवार का? यह सरासर गलत है."

बाद में कनेरिया ने बीसीसीआई से इस मामले में दखल देने की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि "सचिव अनुराग ठाकुर मेरे बैन को लेकर प्रेसिडेंट शशांक मनोहर से बात करें और मेरी मदद करें.''

दानिश कनेरिया का क्रिकेट करियर

फॉर्मेट  मैच   विकेट  बेस्ट बॉलिंग

टेस्ट   61           261         7/77

वनडे   18           15           3/31

VIDEO: हम भी मर्द हैं, आखिर लड़की को ऐसे ही थोड़े छोड़ देंगे

दिल्ली की एक सुनसान रात. एक ढाबे पर बैठ लूडो खेलते दो कैब ड्राइवर. एक के हाथ पर नाखूनों के खरोंच. दूसरे का ध्यान लूडो से हटकर खरोंच पर. सवारी मैडम के बारे में सवाल: छाती कहां तक दिख रही थी… स्कर्ट कितनी छोटी थी… खूब मजा किए बेटा!!!

दूसरे कैब ड्राइवर ने भी कहानी बतानी शुरू की. मस्त और उत्तेजक स्टाइल में. 'हम लौंडिया थोड़े ही हैं बे! हमारा भी 'स्पार्क प्लग' काम करता है. तो क्या सही में दूसरे कैब ड्राइवर ने उस रात एक और वारदात को अंजाम दिया था या…जानने के लिए देखें वीडियो…

वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें

 

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें