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एमएसके प्रसाद बनें भारतीय क्रिकेट चयन समिति के नए अध्यक्ष

लोढ़ा समिति की सिफारिशों की अनदेखी करते हुए बीसीसीआई ने पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज एमएसके प्रसाद की अगुआई में पांच सदस्यीय चयन समिति की घोषणा कर दी है. इसके दो सदस्य ऐसे हैं जिन्हें टेस्ट मैच खेलने का अनुभव तक नहीं है.

पिछली चयन समिति में दक्षिण क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में मौजूद प्रसाद चयन समिति के अध्यक्ष के तौर पर संदीप पाटिल की जगह लेंगे. आंध्र प्रदेश के 41 साल के प्रसाद ने अपने संक्षिप्त अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान भारत की ओर से 6 टेस्ट और 17 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं. भारत की ओर से कोई टेस्ट नहीं खेलने वाले गगन खोड़ा को मध्य क्षेत्र के प्रतिनिधि के तौर पर बरकरार रखा गया है.

देवांग गांधी, जतिन परांजपे और सरनदीप सिंह चयन पैनल के नए सदस्य होंगे. इन तीनों में से परांजपे को टेस्ट अनुभव नहीं है और उन्होंने सिर्फ एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेला है. बीसीसीआई ने इन नियुक्तियों के साथ लोढ़ा समिति की सिफारिशों की अनदेखी की है जिसने तीन सदस्यीय समिति बनाने को कहा था, जिसके सभी सदस्यों को टेस्ट क्रिकेट खेलने का अनुभव हो.

लोढ़ा समिति की सिफारिशों के साए के बीच बीसीसीआई की 87वीं वार्षिक आम बैठक में नई चयन समिति पर फैसला किया गया. बोर्ड ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया है. भारत की ओर से चार टेस्ट और तीन वनडे खेलने वाले 45 साल के गांधी पूर्व क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे.

परांजपे पश्चिम क्षेत्र के प्रतिनिधि होंगे. पूर्व आफ स्पिनर सरनदीप उत्तर क्षेत्र से चयनकर्ता होंगे. वह विक्रम राठौड़ की जगह लेंगे. बाएं हाथ के पूर्व बल्लेबाज परांजपे ने भारत की ओर से चार वनडे मैच खेले हैं.

सरनदीप के नाम तीन टेस्ट और पांच वनडे दर्ज हैं. नई चयन समिति को इस तरह कुल मिलाकर सिर्फ 13 टेस्ट और 31 वनडे खेलने का अनुभव है. पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद को जूनियर चयन समिति का अध्यक्ष बरकरार रखा गया है.

‘क्रूज पर्यटन’ को बढ़ावा देगा भारत

संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने कहा है कि भारत अपने 7,500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र के साथ ‘क्रूज टूरिज्म’ को बढ़ावा देने के लिये नए कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक पर्यटन बाजार में देश की छवि सुधारने के लिये साफ-सफाई, कनेक्टिविटी तथा सुरक्षा के मुद्दों के समाधान की कोशिश कर रहे हैं.

दस सप्ताह तक चलने वाला महोत्सव ‘संगम : ऑस्ट्रेलियाई शहरों में भारत महोत्सव’ का औपचारिक उद्घाटन करने आए शर्मा ने कहा, ‘भूतल एवं जलमार्ग मंत्रालय के साथ पर्यटन मंत्रालय क्रूज पर्यटन को बड़े पैमाने पर आगे बढ़ा रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘फिलहाल क्रूज टूरिज्म में हमारी हिस्सेदारी एक प्रतिशत ही है जो बहुत कम है. हमारे पास 7,500 किलोमीटर लंबा तटीय क्षेत्र है और पर्यटन सचिव की अगुवाई में दोनों मंत्रालयों ने संयुक्त समूह बनाया है. बहुत जल्दी ही क्रूज टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए उपायों को सामने रखेंगे.’ 

हंसमुख देशमुख को गुस्सा क्यों आया

‘‘तुझे मेरी कसम’’ से सोलो हीरो के रूप में अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले रितेश देशमुख बाद में मल्टी स्टारर कामेडी फिल्मों या सेक्स कामेडी फिल्मों में नजर आने लगे. बीच में उन्होंने ‘एक विलेन’ जैसी बेहतरीन फिल्म की. और मराठी भाषा में ‘बालक पालक’, ‘एलो’ व ‘लई भारी’ जैसी अच्छी फिल्मों का निर्माण किया. फिल्म ‘बालक पालक’ व ‘एलो’ को कई अवार्ड मिले. पर हिंदी में ‘एक विलेन’ के बाद उनका करियर गड़बड़ ही चल रहा है. उनकी फिल्में लगातार असफल हो रही हैं.

फिलहाल 23 सितंबर को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘बैंजो’ के अलावा रितेश देशमुख के पास एक भी हिंदी फिल्म नहीं है. यह एक अलग बात है कि वह मराठी भाषा में निशिकांत कामत के निर्देशन में ‘माउली’ फिल्म का निर्माण व उसमें अभिनय भी कर रहे हैं. मगर रितेश देशमुख को यह पसंद नहीं कि कोई पत्रकार उन्हे उनकी असफल फिल्मों पर सवाल करे. वह फिल्मों की असफलता के सवाल पर एरोगेंट की तरह जवाब देते हैं, शायद फिल्म ‘बैजो’ के उनके किरदार का यह असर है…

महाराष्ट् में गणेशोत्सव के दौरान संगीत के वाद्ययंत्र ‘बैंजो’ की धुने काफी सुनाई देती हैं. गणेशोत्सव के ही दौरान अचानक कई बैंजों पथक नजर आने लगते हैं. ‘बैंजो’ की धुन इतनी आकर्षक होती है कि लोग इस धुन को सुनते ही थिरकने लगते हैं. मगर इस वाद्ययंत्र वादक को कोई अहमियत नहीं दी जाती. इसी वाद्ययंत्र के इर्द गिर्द बुनी गयी कथा पर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक रवि जाधव एक फिल्म ‘‘बैंजो’’ लेकर आ रहे हैं, जिसमें नरगिस फाखरी के साथ रितेश देशमुख ने भी अभिनय किया है. इस फिल्म में रितेश देशमुख बैंजो वादक के ही किरदार में नजर आने वाले हैं.

फिल्म ‘‘बैजों’’ में रितेश देशमुख का अजीबोगरीब लुक है. लंबे बाल व लंबी दाढ़ी, जैसा कि अमूमन पश्चिमी देशों के राक स्टारों का नजर आता है. इसलिए जब हमने उनसे फिल्म के उनके लुक पर सवाल किया, तो रितेश देशमुख ने ‘‘सरिता’’ पत्रिका से कहा-‘‘किरदार का चरित्र चित्रण यह है कि वह बहुत ही ज्यादा एरोगेंट है. उसकी अपनी एक स्टाइल है, दूसरों से खुद को उच्चस्तर का मानता है. बाल बढ़े हुए हैं, दिन भर दारू पीता रहता है. दाढ़ी भी नही बनाता. उसका लुक कुछ हद तक राक स्टार जैसा ही है. उसके पास एक ही जूता है. दो ही टीशर्ट व पैंट है. आज भी आप जाकर बस्तियों में इनसे मिलेंगे, तो यह अपनी स्टाइल में ही मिलेंगे. हमसे ज्यादा स्टाइलिश यह लोग होते हैं. इनके बात करने की अलग अदा होती है.’’

बैंजो बजाने वालों की निजी जिंदगी व उनकी तकलीफों को लेकर फिल्म ‘‘बैंजो’’ कुछ कहती है या नहीं? इस सवाल पर रितेश ने कहा- ‘‘यह फिल्म बैंजो वादकों का प्रतिनिधित्व करती है. पर उन पर यह कोई डाक्यूमेंट्री फिल्म नहीं है. यह फिल्म इस बात को रेखांकित करती है कि हर वह स्ट्रीट सिंगर जिसे कभी कोई प्लेटफार्म न मिलता हो और यदि उसे प्लेटफार्म मिल जाए, तो वह किन उंचाईयों को छू सकता है. बैंजो तो एक माध्यम है. यदि यह फिल्म महाराष्ट् की बजाय राजस्थान की पृष्ठभूमि पर होती, तो कोई दूसरा वाद्ययंत्र होता. पर इमोशन यानी कि भावनाएं वही होती, जो इस फिल्म में हैं. मेरे कहने का अर्थ यह कि पृष्ठभूमि में जो राज्य होता, उस राज्य के आर्ट फार्म को पेश किया जाता, पर इमोशन वही होते, जो इस फिल्म में हैं. यदि इमोशन सही हों, तो वह दर्शक को अपने साथ जोड़ सकता है. वही इस फिल्म की कोशिश है.’’

फिल्म ‘बैंजो’ के निर्देशक रवि जाधव के साथ रितेश देशमुख की पुरानी ट्यूनिंग है. वह रवि के ही साथ फिल्म ‘बालक पालक’ का निर्माण कर चुके हैं. रितेश देशमुख की इच्छा थी कि वह रवि जाधव के निर्देशन में अभिनय करें, इसी के चलते वह ‘बैंजो’ से जुड़े. खुद रितेश ने कहा- ‘‘वास्तव में रवि जाधव से हमारी बहुत पुरानी दोस्ती है. मराठी भाषा में वह बेहतरीन फिल्म निर्देशक हैं. हमने उनक साथ मिलकर उनके निर्देशन में ‘‘बालक पालक’’ बनायी थी, जिसे कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय अवार्ड भी मिले. मैं उनके काम से परिचित था. मैं उनके निर्देशन में अभिनय करना चाहता था. जब मुझे उनके निर्देशन में इस फिल्म से जुड़ने का अवसर मिला, तो मैने हां कह दिया.’’

कलाकार के तौर रवि जाधव के साथ काम करने के आपके अनुभव क्या रहे? इस पर रितेश ने कहा-‘‘बहुत ही अच्छे. वह बहुत अच्छे निर्देशक हैं. मुझे उनकी सोच बहुत पसंद है. उनका लेखन बहुत सशक्त है.’’

नरगिस फाखरी के साथ पहली बार फिल्म करने के अनुभवों पर रितेश देशमुख ने कहा-‘‘वह बहुत फैंटास्टिक कलाकार हैं. उनके अंदर गजब की एनर्जी है. वह बहुत सकारात्मक सोच रखती हैं. इस फिल्म के किरदार के अनुसार वह बहुत सही हैं. फिल्म के किरदार की ही तरह वह भी न्यूयार्क से आयी हैं.’’

जब हमने उनसे लगातार उनकी फिल्मों के अफसल होने पर सवाल किया, तो उन्होने थोड़ा सा नाराजगी वाले अंदाज में ‘‘सरिता’’ पत्रिका से कहा-‘‘किसी फिल्म के असफल होने पर या किसी फिल्म के सौ करोड़ कमाने पर उसका विश्लेषण करना मेरा एटीट्यूड नहीं है. आप इसे मेरा एरोगेंट न समझें. मगर आप लोग कभी यह नहीं पूछते कि फलां फिल्म ने सौ या तीन सौ करोड़ कैसे कमा लिए. सिर्फ फिल्म की असफलता पर ही सवाल क्यों उठाते हैं? मैं तो किसी पत्रकार से नहीं पूछता कि उनका अखबार कम क्यों बिकता है? देखिए, हर फिल्म की अपनी तकदीर होती है. हर फिल्म तीन सौ करोड़ का धंधा नहीं करती. एक सुपर स्टार की एक फिल्म तीन सौ करोड़ का धंधा करे, पर उसकी दूसरी फिल्म दो सौ करोड़ का धंधा कर करे या सौ करोड़ का धंधा करे. अब एक बार तीन सौ करोड़ का धंधा करे और दूसरी फिल्म सौ करोड़ का धंधा करे, तो यह कहना कि वह सुपर स्टार खत्म हो गया, गलत बात है. सब कुछ फिल्म व फिल्म के कंटेंट पर निर्भर करता है.’’

फेसबुक की तरह व्हाट्सऐप पर भी करें दोस्तों को टैग

व्हाट्सऐप दुनिया की सबसे पॉपुलर मैसेजिंग ऐप है. फेसबुक ने 2014 में व्हाट्सएप का अधिग्रहण कर लिया था.

वाट्सऐप यूजर्स अच्छी तरह जानते हैं कि ग्रुप्स के नोटिफिकेशन में कितनी मुश्किलें होती है. कई बार समझ नहीं आता कि मैसेज आपके लिए आया है या किसी और के लिए. लेकिन अब कंपनी के नए अपडेट के जरिए आपको यह आसानी से पता लग जाएगा. व्हाट्सऐप अपने यूजर्स के लिए कोई न कोई बेहतर फीचर पेश करता रहता है. इस बार व्हाट्सऐप अपने यूजर्स के लिए ग्रुप चैट से जुड़ा नया फीचर लाया है. फेसबुक की तरह ही अब आप व्हाट्सऐप पर भी अपने दोस्त को mention कर पाएंगे. यह फीचर ग्रुप चैट में ही काम करेगा, जहां आप किसी भी दोस्त को टैग कर पाएंगे. यह फीचर एंड्रॉइड और आईओएस दोनों ही यूजर्स के लिए होगा, पर इसे डेस्कटॉप से इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा.

इस तरह करें इस्तेमाल:

यह फीचर उसी तरह है जैसे हम फेसबुक पर टैगिंग करते है. ग्रुप चैट में किसी को टैग करने के लिए बस आपको दोस्त के नाम से पहले @ लिखना होगा और व्हाट्सऐप पर उस नाम के सभी लोग निकलकर आ जाएंगे. लिस्ट में से सही नाम का चुनाव कर सकते हैं. इसके अलावा आप एक ही मैसेज में एक से अधिक लोगों को टैग कर सकते हैं. पॉप-अप बॉक्स में वो नाम भी दिखेंगे जो आपके कॉन्टेक्ट्स में सेव नहीं हैं पर ग्रुप में हैं.

इससे पहले व्हाट्सएप ग्रुप यूजर्स के लिए कोट फीचर ला चुका है. इसकी मदद से आप ग्रुप में उस मैसेज को कोट कर सकते हैं जिसका रिप्लाई आप करना चाहते हैं. टैगिंग फीचर से व्हाट्सएप ने ग्रुप चैट को मजेदार बनाने की कोशिश की है.

टेक्नॉलजी के इस्तेमाल से सूखे का मुकाबला

सरकार सूखे से निपटने की एक बड़ी योजना की 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिवस पर घोषणा करेगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर तीन मंत्रालय सूखे की आशंका वाले जिलों की मदद के लिए टेक्नॉलजी के इस्तेमाल से अपनी-अपनी स्कीम को मिलाएंगी. पीएम मोदी ने इस वर्ष की शुरुआत में सूखा प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग के दौरान वर्षा पर पूरी तरह निर्भर रहने वाले और पर्याप्त भूजल नहीं रखने वाले जिलों के लिए जल संरक्षण और भंडारण की एक बड़ी योजना शुरू करने के लिए कहा था.

रूरल डिवेलपमेंट, एग्रीकल्चर और वॉटर रिसोर्सेज मिनिस्ट्रीज अपनी प्रमुख योजनाओं को जल संरक्षण के उद्देश्य के लिए मिलाएंगी. इनमें मनरेगा, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और इंटीग्रेटेड वॉटरशेड मैनेजमेंट प्रोग्राम (IWMP) शामिल हैं. इन प्रोजेक्ट्स के आकलन और निगरानी के लिए इसरो के 'भुवन' पोर्टल का इस्तेमाल किया जाएगा. राज्यों के लिए यह आवश्यक किया जाएगा कि 112 सिंचाई की कमी वाले जिलों और 1,285 भूजल की भारी कमी वाले ब्लॉक्स में मनरेगा के तहत किए जाने वाले कार्यों में से 65 पर्सेंट प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन या विशेष तौर पर जल संरक्षण परियोजनाओं के लिए किए जाएं.

हालांकि, मनरेगा के तहत वॉटरशेड या तालाब बनाने से जुड़े कार्य किए जाते हैं, लेकिन सरकार ने पाया है कि ये ठीक तरह से नहीं होते क्योंकि इनमें अप्रशिक्षित श्रमिक काम करते हैं. दूसरी ओर, IWMP प्रोजेक्ट ने इस तरह के कार्यों के लिए मैनपावर को ट्रेनिंग दी है, लेकिन इसके पास फाइनेंस और मनरेगा जैसी पहुंच की कमी है. इसी वजह से सरकार ने इस योजनाओं को मिलाने का फैसला किया है. मनरेगा के तहत जल संरक्षण के लिए सभी कार्यों की योजना और उन्हें लागू करने का काम इसरो के भुवन जियो पोर्टल के इस्तेमाल से किया जाएगा. इस पोर्टेल के पास पानी और मिट्टी की स्थितियों से जुड़ा हाई रिजॉल्यूशन सेटेलाइट डेटा और इंफर्मेशन है. इससे जल संरक्षण के लिए किए जाने वाले कार्यों के सटीक स्थानों की पहचान की जा सकती है.

इसके लिए डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर्स को मनरेगा के नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट से जुड़े हिस्से को डिस्ट्रिक्ट इरिगेशन प्लान में शामिल करने के लिए कहा जाएगा. सरकार का मानना है कि मनरेगा का फोकस बदलकर इसे एक अच्छी योजना के साथ जल संरक्षण में इस्तेमाल करने की जरूरत है. इससे उत्पादकता के साथ ही आमदनी भी बढ़ाई जा सकती है. मिनिस्ट्री ऑफ वॉटर रिसोर्सेज के सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड (CGWB) से भूजल की कमी वाले ब्लॉक्स के लिए एक उपयुक्त वॉटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर का सुझाव देने के लिए कहा जाएगा.

टेस्ट में पहली बार होगा स्पाइडर कैम का इस्तेमाल

ग्रीन पार्क स्टेडियम में होने वाले भारत के 500वें टेस्ट को और रोचक बनाने के लिए भारतीय टेस्ट इतिहास में पहली बार स्पाइडर कैम का उपयोग किया जाएगा. बीसीसीआई पहली बार आधिकारिक तौर पर देश में होने वाले टेस्ट मैच में इसके इस्तेमाल की इजाजत दे रहा है.

अभी तक प्रसारणकर्ता इसका इस्तेमाल वनडे, इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) और टी-20 मुकाबलों में करते रहे हैं. स्पाइडर कैम को कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में लगाया गया.

इसको थोड़ा ऊंचा लगाया जाएगा, जिससे मैच के दौरान गेंद कैमरे में न लड़े. इस साल जनवरी में सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांचवें वनडे में भारतीय टीम 331 रनों का पीछा कर रही थी. इस दौरान ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज जॉन हेस्टिंग्स की गेंद पर विराट कोहली ने अपर कट मारा और गेंद स्पाइडर कैम में जा लगी. अंपायर ने इस गेंद को डेड बॉल घोषित कर दिया.

इस मैच को भले ही टीम इंडिया जीत गई थी लेकिन मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कहा था कि वह चार रन किसी भी टीम के लिए खतरनाक साबित हो सकते थे. अगर वह गेंद स्पाइडर कैम में नहीं लड़ती तो चौका जाता. इससे मैच की तस्वीर बदल सकती थी.

उन्होंने कहा था कि जो भी चीज क्रिकेट को डिस्टर्ब करती है वह मुझे पसंद नहीं आती. यह सब टी-20 के बाद शुरू हुआ है, जिसमें लोग पूछते हैं कि आप माइक क्यों नहीं लगाते? आप कैमरा क्यों नहीं लगाते?

मुझे लगता है कि हर चीज में संतुलन बरतने की दरकार होती है. यह बात ठीक है कि लोग टेलीविजन पर क्रिकेट देखते हैं लेकिन मैच के दौरान चार रनों का बहुत महत्व होता है. खास तौर पर जब कोई टीम 310-320 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही हो.

उनके इस बयान ने साबित किया था कि धोनी मैच के दौरान स्पाइडर कैम के प्रयोग से ज्यादा खुश नहीं रहते हैं लेकिन अब देखना होगा कि टेस्ट कप्तान विराट कोहली इस पर क्या कहते हैं. हालांकि जो भी हो मैच को और दिलचस्प बनाने और टेलीविजन पर दर्शकों को टेस्ट मैच से जोड़ने के लिए प्रसारणकर्ता ने पांच दिनी मैच में भी स्पाइडर कैम के प्रयोग करने के बारे में आगे बढ़ने की सोची है. इसमें उसे बीसीसीआई का साथ भी मिल रहा है.

अब कभी नहीं होगा भारत पर आतंकी हमला..!

अगली बार अगर आतंकवादी किसी मिलिट्री बेस में घुसने की कोशिश करेंगे तो उन्हें एक भारतीय स्टार्टअप की टेक्नॉलजी से मुकाबला करना होगा. बेंगलुरु की Tonbo इमेजिंग उरी जैसे हमलों को नाकाम करने के लिए सेना की मदद कर सकती है.

Tonbo पहले से ही भारतीय सेना के साथ काम कर रही है. यह सभी तरह की स्थितियों में वस्तुओं को पकड़ने और उन्हें दिखाने के लिए मॉडर्न टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करने में मदद करेगी. इससे इंटेलिजेंस से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी और आतंकवादी हमलों को समय रहते नाकाम किया जा सकेगा. कंपनी के सीईओ ने बताया, 'हम मिलिट्री बेस को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए नाइट विजन टेक्नॉलजी और नाइट विजन इक्विपमेंट के साथ सेना की मदद कर रहे हैं. हम अभी पठानकोट एयरबेस की सुरक्षा मजबूत करने में जुटे हैं. हम उरी हमले के बाद सेना की उत्तरी कमांड के साथ काम कर रहे हैं.'

फर्म के पास इमेजिंग, खासतौर पर थर्मल इमेजिंग से जुड़ी विशेषज्ञता है, जो कम रोशनी की स्थितियों में हीट सिग्नेचर के इस्तेमाल से विजिबिलिटी को बढ़ाती है. इस टेक्नॉलजी की मदद से Tonbo ने भारत और विदेश में डिफेंस डील्स हासिल की हैं. कंपनी की शुरुआत 2008 में हुई थी और इतने कम समय में इसने अच्छी सफलता पाई है.

2014 में डिफेंस मिनिस्ट्री ने 12.7 mm रिमोट कंट्रोल्ड मशीन गनों को खरीदने के लिए एक टेंडर जारी किया था. इस 1,800 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट के लिए बीएई सिस्टम्स से लेकर थेल्स तक दुनिया की बड़ी डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां दौड़ में थीं. हालांकि, अंत में केवल दो कंपनियां शॉर्टलिस्ट हुईं, जिनमें Tonbo भी शामिल थी. कंपनी के पास एडवांस्ड नाइट विजन कैमरा, फायर कंट्रोल सिस्टम्स और थर्मल इमेजिंग के इस्तेमाल से ड्रोन ऑपरेशंस जैसे प्रॉडक्ट्स में स्पेशलाइजेशन है. इसके प्रॉडक्ट्स को अमेरिकी सेना भी इस्तेमाल करती है. अमेरिकी एयर फोर्स पिछले चार वर्षों से Tonbo की ग्राहक है. 

क्या आपके स्मार्टफोन में वायरस है?

कंप्यूटर वायरस तो आम बात हो चुकी है, लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आपका स्मार्टफोन वायरस के प्रभाव में आकर आपको धोखा भी दे सकता है और ये धोखा कितना बड़ा हो सकता है यह पूरी तरह आप पर ही निर्भर करता है. जरा सी लापरवाही से आपके बैंक खाते से पैसे निकलने से लेकर कुछ भी घटित हो सकता है. इसलिए अपने स्मार्टफोन को वायरस अटैक से बचाए रखने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

1.सतर्क रहें- अपने फोन पर कोई एप्लीकेशन इन्‍स्टॉल करने से पहले जांच लें कि ये एप्लीकेशन आपके काम की है. एप्लीकेशन रिव्यू जरूर पढ़ें , एप्लीकेशन उतने ही इन्‍स्टॉल करें , जितनी आवश्यकता हो. ज्यादा एप्लीकेशन फोन को स्लो करते हैं और खतरा भी बढ़ाते हैं.

2.भ्रामक वेबसाइट/एसएमएस से बचें- एक क्लिक में आपकी जानकारी आपके फोन से बाहर जा सकती है. इसलिए किसी भी भ्रामक वेबसाइट , एसएमएस या फिर ईमेल से बचना चाहिए.

3.फोन लॉक करें- फोन को कभी भी खुली अवस्था में न रखें. हमेशा स्क्रीन लॉक रखें और पासवर्ड किसी से ना साझा करें.

4.फोन को कंप्यूटर से जोड़ते समय सावधानी बरतें: अपने फोन को कभी भी संक्रमित कंप्यूटर से न जोड़ें.

5.एंटी वायरस का प्रयोग करे: आजकल कंप्यूटर से साथ-साथ फोन के एंटी वायरस भी उपलब्ध हैं, वायरस से स्मार्टफोन को बचाने के लिए इनका प्रयोग करें.

6.पासवर्ड बदले: नियमित रूप से अपने सारे पासवर्ड बदलते रहें. 15 दिन में पासवर्ड बदलना अपनी आदत बना लें, किसी भी प्रकार से अपना कोई पासवर्ड जब तक उसे सेव करना जरूरी न हो, फोन पर सेव ना करें.

‘जोडी ब्रेकर’ अमर सपा के लिये बनेंगे ‘जोडी मेकर’

बडे लक्ष्य को हासिल करने के लिये एक कदम पीछे हटकर आगे बढने को सबसे बेहतर रणनीति माना जाता है. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के सामने 2017 और 2019 के 2 बडे लक्ष्य हैं. मुलायम अभी खुद को रिटायर नहीं मान रहे. वह खुद को उम्र से 4 साल छोटा मानते हैं. यह दो लक्ष्य उनके जीवन के सबसे बडे लक्ष्य हैं, जिसमें वह अपेक्षित सफलता हासिल करना चाहते हैं.

भाजपा ने अमित शाह के रूप में जिस चतुर चाल के खिलाडी को उत्तर प्रदेश की विधानसभा और बाद में लोकसभा चुनाव के लिये चुना है उसका मुकाबला करने के लिये समाजवादी पार्टी को अमर सिंह की बेहद जरूरत थी. अपनी इसी जरूरत को पूरा करने के लिये मुलायम ने परिवार और पार्टी के लाख विरोध करने के बाद भी अमर सिंह को पार्टी का महासचिव बना दिया है.

अब ‘शिवपाल-अमर‘ की जोडी जहां उत्तर प्रदेश विधानसभा को संभालेगी, वहीं ‘मुलायम-अमर‘ की जोडी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री की कुर्सी के राह मजबूत करेगी. राजनीति में अमर सिंह को ‘जोडी ब्रेकर’ के रूप में जाना जाता है. उन पर अमिताभ बच्चन-राजीव गांधी, अंबानी बंधू, जैसी कई जोडियों को तोडने की तोहमत लगती है. मुलायम सिंह यादव के लिये अमर सिंह ‘जोडी ब्रेकर’ नहीं ‘जोडी मेकर‘ हैं. इसलिये वह पूरे भरोसे के साथ उनको पार्टी में लाये और विधानसभा चुनाव का लक्ष्य पूरा करने के लिये अवसर प्रदान किया. मुलायम सिंह का सपना प्रधानमंत्री बनने का भी है जिसको बिना अमर सिंह के पूरा नहीं किया जा सकता.

मुलायम सिंह यादव ने पहले अखिलेश-शिवपाल विवाद और फिर अमर सिंह विवाद को खत्म कर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह संकेत दिया है कि अभी उनकी रिटायर न माना जाये. वह पूरी तरह से सक्रिय हैं. अपनी उम्र और राजनीति में सक्रियता को लेकर मुलायम सिंह साफतौर पर कह चुके हैं कि जो उम्र उनकी लिखी है उससे वह 4 साल कम हैं. मुलायम सिंह का कहना है कि स्कूल में उनकी उम्र 4 साल ज्यादा लिखा दी गई थी. समाजवादी पार्टी में उठे विवाद को हल करने में मुलायम सिंह ही सबसे प्रमुख धुरी थे. हर किसी को खुश कर बीच का रास्ता निकालने में मुलायम सिंह ने कभी प्यार-पुचकार तो कभी डाट-फटकार का सहारा लिया. पूरे मसले को सुलझाने में न वो कमजोर दिखे ओर न चिडचिडे. मुलायम ने वही किया जो उनकी अपनी योजना का अंग था.

समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं ने राज्यसभा सदस्य अमर सिंह को बाहरी व्यक्ति कह कर अपमान करना शुरू किया. उस समय मुलायम सिंह यादव को यह बात अच्छी नही लगी थी. मुलायम ने इन लोगों को जवाब देने के लिये ही अमर सिंह को सपा में विवाद एपीसोड के बीच में ही पार्टी का महासचिव बना दिया. यही वह समय था जब बहुत सारे लोगों को यह उम्मीद थी कि सपा विवाद को हल करने के लिये यादव परिवार बाहरी व्यक्ति का आरोप लगाकर अमर सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा सकती है. यह कयास लंबा चले और कहानी से नई कहानी बने इसके पहले ही सपा प्रमुख मुलायम ने अमर सिंह को पार्टी महासचिव बनाकर कहानी खत्म कर दी.

अमर सिंह को लेकर मुलायम क्या सोचते हैं इस बात का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि अमर सिंह को महासचिव बनाने के लिये जारी हुआ पत्र खुद मुलायम सिंह यादव ने अपने हाथ से लिखा. इस पत्र में मुलायम ने यह भी लिखा कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अमर सिंह को महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनी है. बात केवल अमर सिंह को पद दिये जाने की नहीं है. बात मुलायम के इतना प्यार और सम्मान की है. मुलायम सिंह के लिये 2017 के विधानसभा चुनावों का लक्ष्य बडा है. सपा को अगर भाजपा के अमित शाह जैसी रणनीति बनानी है तो अमर सिंह जैसा चतुर खिलाडी चाहिये. केवल विधानसभा चुनाव ही मैनेज नहीं करना, लक्ष्य यह है कि अगर विधानसभा चुनाव में सपा को पूरा बहुमत नहीं मिलता तो किस तरह का तालमेल हो, जिसका असर 2019 के लोकसभा चुनाव में असरकारी बन सके.

क्या रिलायंस जियो कर देता है आपका फोन लॉक!

रिलायंस जियो 4जी सिम को ले कर लोगों के बीच जो उत्साह है, किसी से छिपा नहीं है. इसका इस्तेमाल करने के लिए हर कोई बेकरार हुआ जा रहा है. ऐसे में, जियो को लेकर लोगों में कई तरह के कंफ्यूजन और सवाल उठना भी लाजमी हैं. जैसे कि रिलायंस जियो 4जी सिम 3जी फोन में कम करेगा या नहीं, सिम को एक्टिवेट कैसे करें, जियो सिम को एंड्रायड में कैसे इस्तेमाल करें आदि. एक और बात है जो हर कोई जानना चाहता है कि जियो सिम से कहीं आपका फोन लॉक तो नहीं हो जाता है?

दरअसल कई रिलायंस स्टोर्स में ग्राहकों से जियो सिम देने के समय उनके फोन का आईएमईआई नंबर मांगा जा रहा है. जिस बात से परेशान होकर लोग सोच रहे हैं कि कहीं उनका फोन लॉक तो नहीं हो जाएगा. और रिलायंस जियो 4जी सिम इस्तेमाल करने के बाद क्या यूजर्स अपने फोन में कोई और सिम इस्तेमाल कर पाएंगे या नहीं!

तो चलिए जानते हैं कि क्या सच में जियो आपका फोन लॉक कर देगा या नहीं.

अन्य सिम की तरह है रिलायंस जियो

रिलायंस जियो सिम के बारे में भले ही कई अफवाहें हों लेकिन हम आपको बता दें कि ऐसा कुछ भी नहीं है. यह सिम किसी भी अन्य कंपनी के सिम की तरह ही है.

फोन नहीं होगा लॉक

कहा जा रहा है कि यह सिम यूजर का फोन लॉक कर देगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. जियो सिम इस्तेमाल करने के बाद आप किसी भी अन्य सिम का इस्तेमाल कर पाएंगे.

कुछ यूजर अन्य सिम का इस्तेमाल नहीं कर सके

कुछ यूजर्स की शिकायत है कि वह रिलायंस जियो का इस्तेमाल करने के बाद अन्य सिम नहीं इस्तेमाल कर पा रहे हैं. लेकिन ऐसा जरुरी नहीं कि यह जियो सिम के कारण हो.

रिलायंस जियो सिम LTE बेस्ड है

रिलायंस जियो सिम LTE बेस्ड सिम है. यह 4जी सिम कार्ड है जो कि किसी 3जी या 2जी नेटवर्क पर काम नहीं करेगा.

नेटवर्क टाइप बदलें

यदि आप अपने फोन में कोई अन्य सिम इस्तेमाल करना चाहते हैं जो कि 3जी या 2जी है तो इसके आपको अपने फोन का नेटवर्क टाइप बदलना होगा. इसके लिए सेटिंग्स में जाएं नेटवर्क मोड और उसे LTE से डिजायर मोड में बदल लें.

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