अगली बार अगर आतंकवादी किसी मिलिट्री बेस में घुसने की कोशिश करेंगे तो उन्हें एक भारतीय स्टार्टअप की टेक्नॉलजी से मुकाबला करना होगा. बेंगलुरु की Tonbo इमेजिंग उरी जैसे हमलों को नाकाम करने के लिए सेना की मदद कर सकती है.

Tonbo पहले से ही भारतीय सेना के साथ काम कर रही है. यह सभी तरह की स्थितियों में वस्तुओं को पकड़ने और उन्हें दिखाने के लिए मॉडर्न टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करने में मदद करेगी. इससे इंटेलिजेंस से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी और आतंकवादी हमलों को समय रहते नाकाम किया जा सकेगा. कंपनी के सीईओ ने बताया, 'हम मिलिट्री बेस को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए नाइट विजन टेक्नॉलजी और नाइट विजन इक्विपमेंट के साथ सेना की मदद कर रहे हैं. हम अभी पठानकोट एयरबेस की सुरक्षा मजबूत करने में जुटे हैं. हम उरी हमले के बाद सेना की उत्तरी कमांड के साथ काम कर रहे हैं.'

फर्म के पास इमेजिंग, खासतौर पर थर्मल इमेजिंग से जुड़ी विशेषज्ञता है, जो कम रोशनी की स्थितियों में हीट सिग्नेचर के इस्तेमाल से विजिबिलिटी को बढ़ाती है. इस टेक्नॉलजी की मदद से Tonbo ने भारत और विदेश में डिफेंस डील्स हासिल की हैं. कंपनी की शुरुआत 2008 में हुई थी और इतने कम समय में इसने अच्छी सफलता पाई है.

2014 में डिफेंस मिनिस्ट्री ने 12.7 mm रिमोट कंट्रोल्ड मशीन गनों को खरीदने के लिए एक टेंडर जारी किया था. इस 1,800 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट के लिए बीएई सिस्टम्स से लेकर थेल्स तक दुनिया की बड़ी डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां दौड़ में थीं. हालांकि, अंत में केवल दो कंपनियां शॉर्टलिस्ट हुईं, जिनमें Tonbo भी शामिल थी. कंपनी के पास एडवांस्ड नाइट विजन कैमरा, फायर कंट्रोल सिस्टम्स और थर्मल इमेजिंग के इस्तेमाल से ड्रोन ऑपरेशंस जैसे प्रॉडक्ट्स में स्पेशलाइजेशन है. इसके प्रॉडक्ट्स को अमेरिकी सेना भी इस्तेमाल करती है. अमेरिकी एयर फोर्स पिछले चार वर्षों से Tonbo की ग्राहक है. 

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