सरकार सूखे से निपटने की एक बड़ी योजना की 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिवस पर घोषणा करेगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर तीन मंत्रालय सूखे की आशंका वाले जिलों की मदद के लिए टेक्नॉलजी के इस्तेमाल से अपनी-अपनी स्कीम को मिलाएंगी. पीएम मोदी ने इस वर्ष की शुरुआत में सूखा प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग के दौरान वर्षा पर पूरी तरह निर्भर रहने वाले और पर्याप्त भूजल नहीं रखने वाले जिलों के लिए जल संरक्षण और भंडारण की एक बड़ी योजना शुरू करने के लिए कहा था.

रूरल डिवेलपमेंट, एग्रीकल्चर और वॉटर रिसोर्सेज मिनिस्ट्रीज अपनी प्रमुख योजनाओं को जल संरक्षण के उद्देश्य के लिए मिलाएंगी. इनमें मनरेगा, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और इंटीग्रेटेड वॉटरशेड मैनेजमेंट प्रोग्राम (IWMP) शामिल हैं. इन प्रोजेक्ट्स के आकलन और निगरानी के लिए इसरो के 'भुवन' पोर्टल का इस्तेमाल किया जाएगा. राज्यों के लिए यह आवश्यक किया जाएगा कि 112 सिंचाई की कमी वाले जिलों और 1,285 भूजल की भारी कमी वाले ब्लॉक्स में मनरेगा के तहत किए जाने वाले कार्यों में से 65 पर्सेंट प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन या विशेष तौर पर जल संरक्षण परियोजनाओं के लिए किए जाएं.

हालांकि, मनरेगा के तहत वॉटरशेड या तालाब बनाने से जुड़े कार्य किए जाते हैं, लेकिन सरकार ने पाया है कि ये ठीक तरह से नहीं होते क्योंकि इनमें अप्रशिक्षित श्रमिक काम करते हैं. दूसरी ओर, IWMP प्रोजेक्ट ने इस तरह के कार्यों के लिए मैनपावर को ट्रेनिंग दी है, लेकिन इसके पास फाइनेंस और मनरेगा जैसी पहुंच की कमी है. इसी वजह से सरकार ने इस योजनाओं को मिलाने का फैसला किया है. मनरेगा के तहत जल संरक्षण के लिए सभी कार्यों की योजना और उन्हें लागू करने का काम इसरो के भुवन जियो पोर्टल के इस्तेमाल से किया जाएगा. इस पोर्टेल के पास पानी और मिट्टी की स्थितियों से जुड़ा हाई रिजॉल्यूशन सेटेलाइट डेटा और इंफर्मेशन है. इससे जल संरक्षण के लिए किए जाने वाले कार्यों के सटीक स्थानों की पहचान की जा सकती है.

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