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फिक्शन-नान फिक्शन दोनों तरह की किताबें पढ़ती हैं सोहा

पटौदी खानदान की बिटिया व कुणाल खेमू की पत्नी तथा अदाकारा सोहा अली खान को पढ़ने का बेहद शौक है. वह स्वांतः सुखाय लिखती भी रहती हैं. वह महज एक अदाकारा ही नहीं हैं, बल्कि राजनीति व इतिहास की अच्छी समझ भी रखती हैं.

इन दिनों वह शिवाजी लोटन पाटिल निर्देशित फिल्म ‘‘31 अक्टूबर’’ को लेकर चर्चा में है, जिसमें उन्होने पहली बार एक सिख महिला का किरदार निभाया है. यह फिल्म 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों पर आधारित है.

फिल्म ‘‘31 अक्टूबर’’ के प्रमोशन के वक्त जब सोहा अली खान से हमारी मुलाकात हुई, तो हमने उनसे उनके पढ़ने के शौक पर बात की. उस वक्त सोहा अली खान ने कहा-‘‘मैं हमेशा दो किताबें पढ़ती हूं. एक फिक्शन और एक नान फिक्शन. एक किताब अच्छी कहानी के लिए पढ़ती हूं. दूसरी किताब अच्छी जानकारी पाने के लिए. इस वक्त एक फिक्शन कहानी पढ़ रही हूं. एक लड़की शिकागो में रहती है. वह बहुत पढ़ाकू है. उसकी सुझायी हुई किताब मैं पढ़ती हूं. एक पुरानी किताब भारतीय इतिहास को लेकर है, वह पढ़ रही हूं. तो एक अति सुंदर फैंटसी कहानी पढ़ रही हूं.’’

जब हमने उनसे पूछा कि उन्होंने काफी किताबें पढ़ी होंगी. किस किताब ने उन्हे प्रभावित किया या किस किताब ने उनकी निजी जिंदगी पर असर किया? तो सेाहा अली खान ने कहा-‘‘मेरी निजी जिंदगी पर किसी किताब का असर हुआ या नहीं, यह पता नहीं. क्योंकि मेरी निजी जिंदगी बहुत अलग है. मेरी परवरिश बहुत प्रोटैक्टिव माहौल में हुई है. मैं बहुत खुश हूं. मुझे बहुत सारी चीजों की इच्छा भी नहीं है. मैं अतिमहत्वाकांक्षी नही हूं. मैं खुद को हर किसी से बहुत अलग समझती हूं. लेकिन मेरी पसंदीदा किताबें काफी हैं. सलमान रश्दी की लिखी किताबें बहुत पसंद हैं. मेरी पसंदीदा किताब में ‘मिडनाइट चिल्ड्रेन’ भी है. इस पर बनी फिल्म में मैंने अभिनय भी किया. मुझे मर्डर मिस्ट्री पढ़ना व मर्डर मिस्ट्री वाली फिल्में देखना भी पसंद है.’’

‘बिग बॉस-10’ के लिए रोहन ने किया ‘ये रिश्ता…’ को बाय बाय

‘‘कलर्स’’ चैनल पर 16 अक्टूबर से ‘‘बिग बॉस’’ के सीजन 10 की शुरुआत होनी है, लेकिन इस बार ‘बिग बॉस’ के साथ कौन जुड़ेगा? इसको लेकर कई तरह की अफवाहें उड़ रही हैं. ताजा तरीन खबर यह है कि ‘स्टार प्लस’ पर प्रसारित हो रहे सीरियल ‘‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’’ में अक्षरा व नैतिक के बेटे नक्ष का किरदार निभा रहे अभिनेता रोहन मेहरा ने सीरियल को बाय बाय कर ‘‘बिग बॉस’’ से जुड़ने का फैसला लिया है. खबरें आ रही हैं कि अब नक्ष के किरदार को निभाने के लिए नए कलाकार की तलाश शुरू हो चुकी है.

उधर सीरियल ‘‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’’ से जुड़े अंदरूनी सूत्र इस मसले पर कुछ और ही कहानी बता रहे हैं. सूत्र दावा कर रहे है कि हिना खान की वजह से ही रोहन मेहरा ने इस सीरियल को छोड़ने का मन बनाया है. सीरियल से जुड़े सूत्रों की माने तो इस सीरियल में अक्षरा का किरदार निभा रही अभिनेत्री हिना खान ने अपने नखरों से सभी सह कलाकारों को परेशान करके रखा हुआ है, जिसके चलते कई कलाकार इस सीरियल को छोड़ना चाहते हैं.

सूत्रों के अनुसार हिना खान का मानना है कि उनके बिना यह सीरियल चल ही नहीं सकता. और हिना खान से यह सहन नहीं हो रहा है कि इस सीरियल में अभिनय कर रहे रोहन मेहरा जैसे कम उम्र के नए कलाकार उनसे ज्यादा शोहरत कैसे पा रहे हैं. सूत्र यह भी दावा करते हैं कि इन दिनों सीरियल में नायरा और कार्तिक की प्रेम कहानी चल रही है, पर हर दिन शूटिंग तब होती है, जब हिना खान पहले पूरी पटकथा पढ़कर अपनी मर्जी के अनुरूप बदलाव न कर दें. इसी वजह से कई बार लंबे समय तक शूटिंग रूकी रहती है. इससे कई कलाकार तंग आ चुके हैं.

सूत्रों का मानना है कि इसी वजह से रोहन मेहरा ने ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ को छोड़ने का मन बनाया होगा, पर वह ‘बिग बॉस’ से जुड़ रहे हैं या नहीं, इसकी जानकारी किसी को नहीं है. जबकि इसी सीरियल से जुड़े कुछ कलाकार मानते हैं कि जब से सीरियल की कहानी के केंद्र में नायरा व कार्तिक आ गए हैं, तब से नक्ष यानी कि रोहन मेहरा के किरदार की अहमियत खत्म हो गयी है, इससे भी रोहन नाराज चल रहे हैं.

मगर खुद रोहन मेहरा चुप हैं. वह अभी तक इस सीरियल को छोड़ने या ‘बिग बॉस-10’ से जुड़ने की खबरों पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं.

पाकिस्तानी कलाकारों के बैन पर वरुण धवन के बोल

वरुण धवन खुद को कानून का पाबंद बताते हुए कहते हैं कि यदि पाकिस्तानी कलाकारों पर बैन लगाने से आतंकवाद खत्म हो सकता है, तो सरकार को इस दिशा में निर्णय लेना चाहिए. उरी क्षेत्र में आतंकवादी हमले के बाद ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ के पाकिस्तानी कलाकारों को 48 घंटे के अंदर भारत छोड़ने के अल्टीमैटम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए वरुण धवन ने कहा-‘‘उरी क्षेत्र में हमारे जवानो पर हमला बहुत दर्दनाक है. मैं बहुत दुःखी हूं और मैं भारत सरकार के साथ हूं. मेरी राय में ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ की बजाय भारत सरकार को इस बारे में साफ दृष्टिकोण रखना चाहिए. यदि सरकार कोई कदम उठाती है, तो हम उनके साथ हैं. यदि कलाकारों पर बैन लगाने से आतंकवाद खत्म हो सकता है, तो सरकार को ऐसा जरुर करना चाहिए. पर इस बारे में पहले सरकार को निर्णय लेना चाहिए.’’

‘डब्बा गुल’ में वरुण को लेकर रहस्य बरकरार

‘‘यशराज फिल्मस’’ ने जब से घोषणा की है कि वह प्रदीप सरकार के निर्देशन में एक फिल्म ‘‘डब्बा गुल’’ का निर्माण कर रहे हैं, तब से बौलीवुड में चर्चाएं गर्म हैं कि इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के साथ वरुण धवन अभिनय करने वाले हैं. मगर मजेदार बात यह है कि वरुण धवन ने एक बयान देकर इस फिल्म में उनके होने पर रहस्य का परदा डाल दिया है. वरुण धवन ने हाल ही में एक सवाल के जवाब में मीडिया से कहा-‘‘मुझे अमिताभ बच्चन के साथ काम करने में खुशी होगी. लेकिन अभी तक मेरी तरफ से यह तय नहीं है कि फिल्म ‘डब्बा गुल’ मैं कर रहा हूं. ईमानदारी की बात यही है कि अभी जो भी खबरें फैली हुई हैं, वह महज अफवाहें हैं. ऐसा कौन सा कलाकार है, जो कि मेगा स्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम नहीं करना चाहेगा. मगर अभी यह खबर महज अफवाह है.’’

‘‘यशराज फिल्स’’ की फिल्म ‘‘डब्बा गुल’’ एक ऐेसे एमबीए पास युवक की कहानी है जो कि मुंबई में ‘डब्बा वालों’ की जिंदगी को समझने के लिए दो माह के लिए उनसे जुड़ता है.

मैं 22 वर्षीय लड़की हूं. एक लड़के से प्यार करती हूं. वह भी मुझे चाहता है. बताएं मैं क्या करूं.

सवाल

मैं 22 वर्षीय लड़की हूं. एक लड़के से प्यार करती हूं. वह भी मुझे चाहता है पर मेरे माता पिता उस से मेरी शादी का विरोध कर रहे हैं. एक दूसरा लड़का, जो सजातीय है मुझ से विवाह करना चाहता है, परंतु मेरी मां कहती है कि वह गरीब है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

यदि वाकई आप अपने प्रेमी से प्यार करती हैं और वह भी रिश्ते को ले कर गंभीर है और अंतर्जातीय होने के अलावा उस में कोई ऐब नहीं है तो आप को अपने मातापिता को उस से शादी के लिए मनाने का प्रयास करना चाहिए. यदि वे परिवार के किसी अन्य सदस्य, रिश्तेदार या पारिवारिक मित्र की बात मानते हैं तो उन से उन्हें समझाने के लिए कहें कि अंतर्जातीय विवाह आजकल आम हैं, इसलिए उन का ऐतराज बेमानी है.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

इस सीजन डे-नाइट टेस्ट में नहीं होगा पिंक बॉल का इस्तेमाल

बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस होम सीजन में पिंक बॉल टेस्ट क्रिकेट में इस्तेमाल नहीं की जाएगी. इस बयान से ठाकुर ने भारत के इस लंबे होम सीजन में पहले डे-नाइट टेस्ट की मेजबानी की अटकलों पर भी विराम लगा दिया. भारतीय टीम इस सीजन में 13 टेस्ट मैच खेलेगी जो फरवरी-मार्च तक चलेंगे.

उन्हें लगता है कि बीसीसीआई को टेस्ट में पिंक बॉल का इस्तेमाल करने पर फैसला करने से पहले दिलीप ट्रॉफी की तरह और प्रयोगों की जरूरत है. ऑस्ट्रेलियाई टीम पहले ही यह शुरू कर चुकी है.

ठाकुर ने कहा, ‘‘पिंक बॉल के बारे में कुछ भी कहना बहुत जल्दबाजी होगी. जहां तक दिलीप ट्रॉफी में दूधिया रोशनी में इसके आयोजन का संबंध है तो यह काफी सफल रहा. लेकिन आपको फैसला करने से पहले पूर्ण परिदृश्य देखना होगा.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमें अंतिम निर्णय लेने से पहले कई क्षेत्रों को देखना होगा. मैं फैसला करने से पहले वैज्ञानिक तरीके से विस्तृत जानकारी लेना चाहूंगा. लेकिन अभी हम इस सीजन में पिंक बॉल को लागू करने के लिए तैयार नहीं हैं.’’

पिंक बॉल का इस्तेमाल न्यूजीलैंड के खिलाफ मौजूदा टेस्ट सीरीज में होना था लेकिन इस फैसले ने उन अटकलों को समाप्त कर दिया जिसमें कहा जा रहा था कि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी घरेलू सीरीज में ऐसा हो सकता था. घरेलू टीम बांग्लादेश के खिलाफ भी एक टेस्ट मैच खेलेगी.

अपने मोबाइल नंबर को बनाना है प्राइवेट?

मूवीज आदि में तो आपने कई बार प्राइवेट नंबर कॉलिंग देखा ही होगा. जब आपका नंबर प्राइवेट होता है तो उसे कोई देख नहीं पाता है, यानी कि आपका नंबर बिलकुल सिक्योर है. ऐसे में आप किसी को भी कॉल करें तो आपका नंबर शेयर नहीं होगा, बल्कि हाईड ही रहेगा.

यदि आप भी अपना नंबर प्राइवेट करना चाहते हैं, या फिर आप अपना नंबर हाईड करना चाहते हैं और नहीं चाहते कि कोई और आपका नंबर देखे तो आप उसे प्राइवेट नंबर में बदल सकते हैं.

अपने फोन नंबर को प्राइवेट करने के लिए आपको फॉलो करने होंगे ये आसान और सिंपल सी ट्रिक.

अपने एंड्रायड फोन नंबर को प्राइवेट नंबर में बदलें

यदि आप किसी से अपना नंबर शेयर नहीं करना चाहते हैं, या फिर किसी दोस्त से मजाक करना या किसी को डराना चाहते हैं तो आप इस ट्रिक के जरिए आप अपने एंड्रायड नंबर को प्राइवेट में बदल सकते हैं.

एंड्रायड 4.0 और उससे पहले यूजर्स के लिए

फोन में सेटिंग्स एप में जाएं, कॉल में जाएं, इसके बाद एडिशनल सेटिंग्स में कॉलर आईडी और फिर हाईड नंबर के विकल्प पर क्लिक करें. अब यदि आप अपने किसी दोस्त को फोन करें तो उन्हें आपका नंबर नहीं पता चलेगा, बल्कि उन्हें आपकी कॉल 'प्राइवेट नंबर कॉलिंग' के नाम से आएगी.

एंड्रायड 4.1 और उसके बाद के यूजर्स

फोन एप ओपन करें, मेनू में जाएं, कॉल सेटिंग्स, कॉलर आईडी और हाईड नंबर के विकल्प पर क्लिक करें, ऐसा करने पर आपका नंबर प्राइवेट नंबर के रूप में दिखेगा. आईफोन यूजर्स के लिए

आईफोन में अपनी सेटिंग्स एप में जाएं, फोन आइकॉन पर जाएं, शो माय कॉलर आईडी पर क्लिक करें और फिर स्लाइडर को ऑफ करें. अब आपका नंबर प्राइवेट नंबर हो गया है. विंडोज फोन यूजर्स फोन एप में जाएं, मोर विकल्प पर क्लिक करें, सेटिंग्स, शो माय कॉलर आईडी पर क्लिक करें, अब अपने अनुसार विकल्प चुनें, नो वन या फिर माय कॉन्टेक्ट्स.

अपना नंबर प्राइवेट करने के लिए आपको पहले अपने ऑपरेटर से संपर्क करना होगा. एयरटेल, वोडाफोन, बीएसएनएल में अन्य सेवाएं हैं जिनमें डायलपोर्ट, वीआईपी मोबाइल, वोडाफोन वीपीएन और वॉइस वीपीएन आदि हैं.

राष्ट्रपति चुनाव में निवेशकों की जीत

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे क्या भारत समेत दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं? नवंबर में होने वाले इस चुनाव से पहले यही सवाल निवेशकों के दिमाग में उठ रहा है. बाजार की प्रतिक्रिया को देखते हुए बात करें तो बहुत कम लोग होंगे जो रिजल्ट के बाद के हालात पर अभी दांव लगाना चाहेंगे, लेकिन वे बाजार पर बुलिश बने रहना चाहेंगे.

1996 से अब तक अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बाद ज्यादातर मौकों पर एशियाई बाजारों में तेज उछाल आया है. बीएसई सेंसेक्स पिछले पांच में चार मौकों पर चुनाव के बाद के तीन महीने तक चढ़ा था, भले ही किसी भी पार्टी की सरकार बनी हो. सिर्फ एक बार 2008 में भारत सहित दूसरे एशियाई बाजारों में गिरावट का दौर आया था.

इस बार निवेशकों में बहुत ज्यादा घबराहट है क्योंकि रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप ने हाल के महीनों में वैश्वीकरण और मुक्त व्यापार की कड़ी आलोचना की है. अमेरिका इंटरनैशनल इन्वेस्टमेंट्स के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट जॉन प्रवीण ने कहा, 'ट्रंप की जीत पर ब्रेग्जिट जैसी नकारात्मक स्वत:स्फूर्त प्रतिक्रिया हो सकती है, लेकिन इस पर ब्रेग्जिट की तरह नेगेटिव रिएक्शन होता भी है तो उसका असर बहुत कम समय के लिए होगा.'

अमेरिका में 1996 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद से एशियाई इमर्जिंग मार्केट्स का परफॉर्मेंस बाद के महीनों में उथलपुथल वाला रहा है. इंडियन मार्केट पांच में से तीन मौकों पर गिरा. स्ट्रैटिजिस्ट और फंड मैनेजर्स के मुताबिक, भारत से ज्यादा दिक्कत चीन को हो सकती है. हालांकि, इन्वेस्टर्स को यह उम्मीद जरूर होगी कि चीन के मार्केट पर उसका व्यापक असर न हो. अगर चीन अपनी करेंसी युआन को तेजी से डिवैल्यू होने देता है तो उसका असर इंडियन करेंसी रुपया सहित दूसरे इमर्जिंग मार्केट्स की करेंसी पर पड़ेगा. रुपये के कमजोर होने से फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स की भारत से निकलने की शुरुआत होने का खतरा पैदा होगा. इसी साल चाइनीज करेंसी युआन में डिवैल्यूएशन होने के चलते इमर्जिंग मार्केट्स में गिरावट आई थी.

अब चश्मा करेगा वीडियो रिकॉर्डिंग

स्नैप चैट मैसेंजिंग एप ने अपना पहला गैजेट कैमरे वाला चश्मा पेश किया है.

कंपनी ने इसका नाम स्पैक्टेकेल्स रखा है, कंपनी इस विशेष चश्मे को इस साल के अंत तक बाजार में उतारेगी.

इस चश्मे की कीमत 130 अमरीकी डॉलर यानी लगभग 8710 रुपए रखी गई है. इस चश्मे से एक समय में 30 सेकंड तक का वीडियो बनाया जा सकता है.

घोषणा के दौरान बताया गया कि स्नैपचैट का नाम बदलकर स्नैपइंक किया जा रहा है. स्नैपचैट युवाओं में खासा पॉपुलर है.

स्नैप बनाने वाले 26 वर्षीय इवान श्पीगल ने बताया कि स्पैक्टेकेल्स बनाने का आइडिया उन्हें कहां से आया.

उन्होंने कहा ''यह हमारी पहली छुट्टियां थीं, हम लोग कैलिफोर्निया के स्टेट पार्क गए थे. वहां जंगलों में घूम रहे थे और खूबसूरत पेड़ों को देखते हुए आगे बढ़ रहे थे.''

''जब हम वापस आए और हम लोगों ने वीडियो देखा तो हम विश्वास ही नहीं कर पाए कि हमलोगों ने ये खूबसूरत नज़ारे अपनी आंखों से देखे हैं. वह सबकुछ अविश्वसनीय था.''

गूगल ने भी किया था कुछ साल पहले कैमरे वाला चश्मा पेश

स्पेक्टैकल्स को देखने के बाद कई लोगों को गूगल ग्लास की याद आ गई होगी. गूगल ने भी एक स्मार्ट ग्लास बनाने की कोशिश की थी.

जब गूगल ग्लास विकसित होकर लोगों तक पहुंचा तो उसकी कीमत लगभग 1500 अमरीकी डॉलर यानी लगभग एक लाख रूपए थी.

यह डिवाइस लोगों की पसंद का उत्पाद नहीं बन पाई और कंपनी को इसका उत्पादन रोकना पड़ा, लेकिन वीडियो रिकॉर्डिंग करने वाले चश्मे का आइडिया पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ था.

उस समय रिकॉर्डिंग करने वाले चश्मे का लोगों ने स्वागत न करते हुए इसे लोगों की निजता में खलल डालने वाली तकनीक बताया था, जबकि कई लोगों ने इसे देखने में अजीब सा भी बताया था.

ऐसा माना जा रहा है कि स्नैप के इस प्रयास का लोग स्वागत करेंगे और इसकी बड़ी वजह स्नैप का इस चश्मे की कम कीमत है.

श्पीगल ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि हम किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं है, हम देखेंगे कि लोग इसे किस तरह से अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाते हैं और इसे किस तरह से पसंद करते हैं.

किराये के घर से छुटकारा पाने का सुनहरा मौका

क्‍या आप किराये के घर में रहते हैं और हर महीने अपनी सैलरी का एक बड़ा हिस्‍सा मकान किराये पर खर्च करते हैं. यदि इन सवालों के जवाब हां हैं, तो आपको अपने घर का सपना पूरा करने का सुनहरा अवसर हाथ से नहीं जाने देना चाहिए. अपने सपनों का घर खरीदने का यह वक्‍त बहुत ही सही है. यदि इस समय आप घर खरीदने से चूके तो शायद भविष्‍य में यह मौका मिलना मुश्किल होगा. यह बात इसलिए सौ फीसदी सही है, क्‍योंकि इस समय रियल्‍टी सेक्‍टर में डिमांड बिल्‍कुल नहीं है. इस वजह से प्रॉपर्टी की कीमतें 40 फीसदी तक घट चुकी हैं. इसके अलावा अनसोल्‍ड घरों की एक बहुत बड़ी इनवेंट्री खड़ी है, जिससे डेवलेपर्स पर बहुत दबाव है.

ग्राहकों की कमी से जूझ रहे डेवलेपर्स अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए आकर्षक ऑफर और डिस्‍काउंट की पेशकश कर रहे हैं. ग्राहकों के पास समय बहुत से विकल्‍प और कई आकर्षक फाइनेंस स्‍कीमें हैं और ग्राहक के पास खूब मोलभाव करने की भी क्षमता सबसे ज्‍यादा है. दिल्‍ली-एनसीआर में तकरीबन 2,50,000 यूनिट की अनसोल्‍ड इनवेंट्री है, जिसमें से तकरीबन 35 फीसदी यूनिट अंडर कंस्‍ट्रक्‍शन हैं. मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन में अनसोल्‍ड इनवेंट्री 98,000 यूनिट की है. बेंगलुरु में यह संख्‍या 66,000 और पुणे में 55,000 युनिट है.

अनसोल्‍ड इनवेंट्री को खत्‍म करने के लिए डेवलेपर्स ग्राहकों को आकर्षक ऑफर्स जैसे फ्री पार्किंग, फ्री क्‍लब मेंबरशिप आदि दे रहे हैं. इस समय कई आकर्षक फाइनेंस स्‍कीम भी डेवलेपर्स द्वारा चलाई जा रही हैं, जिसमें केवल 10 फीसदी राशि देकर घर बुक कराया जा सकता है.

अपना घर होने के कई फायदे भी हैं

घर खरीदने के लिए आप जो लोन लेते हैं, उसे हर महीने चुकाने के लिए एक नियत राशि (EMI) तय कर दी जाती है, ईएमआई की राशि समय के साथ बढ़ती नहीं है. यहां तक कि तीस सालों की अवधि में भी भुगतान की राशि नहीं बढ़ेगी. लोन की ईएमआई चुकाने से आप एक स्‍थायी संपत्ति का निर्माण करते हैं, जो भविष्‍य में आपके बहुत काम आती है.

वहीं दूसरी ओर मकान किराये के रूप में किया जाने वाला भुगतान बिल्‍कुल बेकार जाता है, इस पर आपको कोई रिटर्न नहीं मिलता है. अगर आप किराए पर रहते हैं, तो मकान मालिक हर साल किराये में 10 फीसदी वृद्धि करता ही है. एक से दूसरी जगह जाने पर, कम किराये वाला मकान मिलना मुश्किल हो सकता है.

आपको बार-बार अपने घर का सामान उठाकर दूसरी जगह नहीं ले जाना पड़ेगा. सामान में टूट फूट नहीं होगी. बच्चों के स्कूल बार-बार बदलने नहीं पड़ेंगे. आप अपनी संतान को ये घर देकर अगली पीढ़ी को सुरक्षा प्रदान कर सकेंगे. यदि आपका खुद का घर है तो किसी भी आकस्मिक स्थिति में वो आपके काम आ सकता है. मुश्किल वक्त में आप घर बेचकर हालात से निपट सकते हैं. कुल मिलाकर आपका घर आपका स्थायी धन है. कुछ सालों बाद जब आप अपने घर को बेचते हैं, तो जितना पैसा आपने घर खरीदने में लगाया था, उससे ज्‍यादा पैसा आपको मिल जाता है. जरूरत पड़ने पर आप मकान को गिरवी भी रख सकते हैं.

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