फिल्मी दुनिया 2 थ्योरियों पर चलती है. पहली यह कि यहां सिर्फ कला और प्रतिभा की कद्र होती है और शौर्टकट की कोई जगह नहीं भाई. इस के इतर दूसरी थ्योरी, पहली थ्योरी की धज्जियां उड़ाती हुई कहती है कि प्रतिभा और कला किसी चूहे की तरह बिल में दुम दबा कर दुबक जाती हैं जब बगैर प्रतिभा के गोरी चमड़ी वाले कलाकार फिगर और सैक्सी इमेज के दम पर करोड़ों कमाते हैं. आजकल के ज्यादातर कलाकार इन्हीं दोनों थ्योरियों पर गाहेबगाहे अपनी त्योरियां चढ़ाते रहते हैं. अभिनेत्री स्वरा भास्कर पहली वाली थ्योरी की हिमायती हैं, इसलिए कहती हैं कि बौलीवुड में कलाकारों को उन के सौंदर्य के आधार पर आंका जाता है. इस सबक ने मुझे इस कहावत का अनुसरण करना सिखा दिया कि अगर आप रोम में हैं, तो वही करें जो रोमेनियन करते हैं.
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