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बिटकौइन में तेजी से हो रही गिरावट, अब होगा नुकसान

क्रिप्टोकरेंसी बिटकौइन ने जितनी तेजी से नया रिकौर्ड बनाया, उतनी ही तेजी से अब यह डिजीटल मुद्रा नीचे से आ रही है. बिटकौइन में निवेश कर चुके लोगों के लिए बुरी खबर है. एक हफ्ते के दौरान ही बिटकौइन के कीमतों में 30 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई. एक रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार को ही बिटकौइन की कीमतों में 15 फीसदी तक की गिरावट आई. भाव गिरने से पहले हांगकांग में बिटकौइन का रेट 13649.72 डौलर था. लेकिन अब गिरावट के बाद यह 13048 डौलर प्रति बिटक्वाइन तक रह गया है.

आपको याद होगा कि पिछले कुछ समय में बिटकौइन की कीमतों में रिकौर्ड तेजी देखने को मिली है. करीब एक साल में ही बिटकौइन ने 1300 फीसदी तक की उछाल दर्ज की है. हाल ही में इसमें जिस तरह की गिरावट देखने को मिली, वह इसके निवेशकों के लिए शुभ संकेत नहीं है. इस बीच बिटकौइन को लेकर शुरू हुई चर्चाओं को लेकर जापान बैंक के गवर्नर ने हाल ही में कहा था कि बिटकौइन एक आम मुद्रा की तरह नहीं काम कर रही. इस पर आशंकाओं के बादल छाए हुए हैं. फिलहाल बिटकौइन के रेट 14635 यूएस डौलर पर बने हुए हैं.

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कुछ दिन पहले आयकर विभाग ने देश के प्रमुख बिटकौइन एक्सचेंज में छापेमारी की थी. आयकर विभाग की तरफ से कथित रूप से कर चोरी के मामले में यह कार्रवाई की गई थी. विभाग की बेंगलुरु की जांच इकाई की अगुवाई में विभाग की विभिन्न टीमों ने दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोच्चि और गुरुग्राम सहित 9 एक्सचेंज परिसरों में सर्वे का काम किया. यह कार्रवाई आयकर विभाग की धारा 133ए के तहत की गई. इस धारा के तहत कार्रवाई का मकसद निवेशकों और व्यापारियों की पहचान के लिए प्रमाण जुटाना, उनके द्वारा किए गए सौदे, दूसरे पक्षों की पहचान, इस्तेमाल किए गए बैंक खातों आदि का पता लगाना होता है.

एक खबर के अनुसार बिटकौइन के माध्यम से बौलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन के अरबों रुपए कमाने का दावा किया था. अखबार के अनुसार अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन ने मई 2015 में 1.60 करोड़ रुपए का निवेश किया था. जिसकी कीमत अब 114 करोड़ रुपए हो चुकी है. अमिताभ बच्चन ने अपने बेटे अभिषेक बच्चन के साथ मिलकर पर्सनल इनवेस्टमेंट के तहत सिंगापुर की फर्म मेरिडियन टेक पीटीई में 1.6 करोड़ रुपए का निवेश किया था.

गौरी खान के साथ दिखी सुहाना, ब्लैक ड्रेस में ढा रहीं कहर

बौलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान और गौरी खान की बेटी सुहाना खान एक बार फिर से सोशल मीडिया पर छा गई हैं. सुहाना की स्टाइलिश तस्वीरें आए दिन इंटरनेट पर वायरल होती रहती हैं. इतना ही नहीं अपने ड्रेसिंग सेंस से शाहरुख की ये परी अपनी जनरेशन को इंस्पायर भी करती हैं. इसके चलते सुहाना की फैन फौलोइंग भी कुछ कम नहीं है. कई तस्वीरों में सुहाना अपने दोस्तों के साथ पार्टी करती नजर आती हैं तो कभी वह अपने पापा शाहरुख के साथ फोटोज में दिखाई देती हैं. इस बार शाहरुख की 17 साल की बेटी सुहाना दिल्ली के Cirque Le Soir में नजर आईं.

इससे पहले सुहाना सुर्खियों में तब रहीं जब उनकी मौम गौरी ने सुहाना की एक तस्वीर शेयर की जिसमें उन्होंने स्वीमिंग सूट पहना हुआ था. शाहरुख खान की बेटी सुहाना खान की ये तस्वीर भी सोशल मडिया पर काफी शेयर की गईं. इस तस्वीर में सुहाना पूल के किनारे पर पानी के भीतर खड़ी कैमरा की तरफ इंटेंस लुक दे रही हैं. इस तस्वीर को सुहाना खान के इंस्टाग्राम अकाउंट से पोस्ट किया गया. शाहरुख की बेटी सुहाना एक ऐसी स्टारकिड हैं जो कि आम तौर पर सुर्खियों में बनी रहती हैं.

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सबसे पहले वह तब विवादों में आई थीं जब भाई अबराम के साथ उनकी स्विमसूट में एक तस्वीर सोशल मीडिया पर लीक हो गई थी. इस तस्वीर को लोगों ने काफी ज्यादा शेयर किया था और इसके बाद शाहरुख काफी भड़क गए थे. उन्होंने कहा था कि सुहाना की तस्वीर को सिर्फ इसलिए तूल दिया जा रहा है क्योंकि वह मेरी बेटी है. आप उसे इस नजर से क्यों नहीं देखते कि वह एक बच्ची है.

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इससे पहले सुहाना अपनी महंगी ड्रेस को लेकर तो कभी फोटोग्राफर्स के बीच फंस जाने के चलते खबरों में आती रहीं. सुहाना के बौलीवुड डेब्यू को लेकर तमाम तरह की बातें की जाती हैं लेकिन अब तक आधिकारिक रूप से यह घोषणा नहीं हुई है कि वह किसी फिल्म से बौलीवुड में डेब्यू करने जा रही हैं या नहीं.

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शाहरुख की बेटी सुहाना खान शाहरुख खान हाल ही में जब अपनी बेटी सुहाना के साथ उनकी मां गौरी खान द्वारा डिजाइन किया गया रेस्त्रां ‘अर्थ’ के उद्घाटन समारोह में पहुंचे, तो उनकी बेटी सुहाना सभी का अटेंशन ले रही थीं. इसके पीछे वजह थी सुहाना की डिजाइनर ड्रेस और उसकी कीमत. सुहाना की ड्रेस की कीमत तकरीबन 60,000/- रुपए बताई गई.

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अब फेसबुक और ट्विटर से होगी गैस सिलेंडर की बुकिंग

सोशल मीडिया आज दोस्तों और परिजन से संपर्क में रहने का अच्छा साधन बन गया है. मीलों दूर बैठे परिजनों को सोशल मीडिया प्लेटफौर्म के माध्यम से आपकी हर गतिविधि के बारे में जानकारी मिलती रहती है. इसके अलावा फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से आप कई सर्विस भी प्राप्त कर सकते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा था कि आपके घर के गैस सिलेंडर की बुकिंग अब फेसबुक और ट्विटर के जरिए होगी.

सुनने में भले ही आपको यह अजीब लगे लेकिन यह है 100 फीसदी सच. दरअसल नई सुविधा के तहत आप फेसबुक (facebook) और ट्विटर (twitter) के जरिए घर बैठे गैस सिलेंडर बुक कर सकेंगे. अभी यह सुविधा इंडियन औयल कार्पोरेशन (IOCL) की तरफ से शुरू की गई है. यह जानकारी इंडियन औयल के औफिशियल पेज के माध्यम से सामने आई है. फेसबुक पर सिलेंडर बुक करने के साथ ही आप तीन बुकिंग हिस्ट्री भी देख सकेंगे.

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एक खबर के अनुसार लखनऊ स्थित कंपनी कार्यालय के मुताबिक बुकिंग और डिलीवरी की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आईओसी ने यह कदम उठाया है. आईओसी की तरफ से शुरू की गई इस सुविधा का लाभ देश के 11.50 करोड़ उपभोक्ताओं को मिलेगा.

ऐसे कर सकेंगे बुकिंग

यदि आप भी फेसबुक और ट्विटर के जरिए अपना गैस सिलेंडर बुक कराना चाहते हैं तो सबसे पहले आप अपना  फेसबुक अकाउंट लौगिन करें. इसके बाद सर्च करके इंडियन औयल कार्पोरेशन लिमिटेड के औफिशियल पेज (@indianoilcorplimited) पर जाएं. यहां टौप राइट साइड में आपको बुक नाउ (book now) का बटन दिखाई देगा. इस बटन पर क्लिक करें. अब एक नया वेब पेज खुलेगा जिस पर आपको कंटिन्यू बटन पर क्लिक करें. इसके बाद आपसे एलपीजी आईडी मांगी जाएगी. इसके बाद फिर से बुक नाउ का औप्शन मिलेगा.

बुकिंग के बाद आपके मोबाइल नंबर पर बुकिंग का कंफरमेशन मिल जाएगा. फेसबुक के अलवा आप कंपनी की वेबसाइट और फोन के माध्यम से भी बुकिंग करवा सकते हैं. आपको बता दें कि सोशल मीडिया के माध्यम से धीरे -धीरे कई सर्विसेज जुड़ती जा रही हैं. सोशल मीडिया पर अब खाने का और्डर करने के साथ ब्लड डोनेट करने की भी सर्विस शामिल हैं. लेकिन अब आप इसके जरिए घर बैठे गैस सिलेंडर भी बुक कर सकेंगे.

नाम बड़े और दर्शन छोटे

निजी फाइवस्टार टाइप अस्पतालों की देश भर में बाढ़ सी आ गई है. प्राइवेट स्कूलों की तरह चमचमाते अस्पताल अब खुशनुमा माहौल तो दे रहे हैं पर जब चकाचौंध के बाद मरीज के पास बिल आता है तो उस के होश फाख्ता हो जाते हैं. लाखों के बिल अब आम हो गए हैं. छोटीछोटी बीमारियों को बढ़ाचढ़ा कर बताना, बेकार में महंगे टैस्ट कराना अब आम बात है और मरीज इन की शिकायतें करना तक बंद कर चुके हैं.

इन अस्पतालों को कोसा तो बहुत जा रहा है पर ये लोगों के पास आ रहे पैसे, प्रचार, शान, बेवकूफियों और मांग व पूर्ति की देन हैं. लोग इन अस्पतालों में जा ही इसलिए रहे हैं, क्योंकि ये प्रचार करते हैं और बीमारी में यहीं जाना जीवनशैली का अंग माना जाता है. अपनी अमीरी की शान दिखाने के लिए बहुत बार वह इलाज जो नुक्कड़ के एमबीबीएस डाक्टर से कराया जा सकता है इन अस्पतालों में कराया जाता है.

ये अस्पताल अब जम कर प्रचार पर खर्र्च कर रहे हैं मानो दावत दे रहे हों कि बीमार पड़ो और हमारे यहां आओ. चूंकि जो प्रचार करते हैं उन का बिजनैस अच्छा चल रहा होता है, यह देख दूसरे भी प्रचार करने लगे हैं. मजेदार बात यह है कि आज इतना प्रचार फाइवस्टार होटल भी नहीं करते जितना फाइवस्टार अस्पताल और स्कूल करते हैं. यह समाज की बेवकूफियों का स्पष्ट प्रदर्शन है.

इन अस्पतालों में अगर कहीं भूलचूक हो जाए तो ही रोष होता है पर उस रोष के पीछे गलती से ज्यादा पैसे चुकाने का दर्द होता है. इतना पैसा खर्च किया फिर भी इलाज ठीक नहीं हुआ की भावना ज्यादा रहती है. यही समस्या का कारण है.

मानव शरीर पेचीदगी से भरी मशीन है और फाइवस्टार कल्चर का इस मशीन को समझने और इस की मरम्मत करने में कोई योगदान है ही नहीं. छोटा डाक्टर और छोटा अस्पताल भी वैसा ही इलाज दे सकता है जो इन सुपर स्पैश्यलिटी अस्पतालों में मिलता है. यह तो डाक्टर की कुशलता पर निर्भर करता है. ठीक है सुपर स्पैश्यलिटी अस्पताल ज्यादा पैसे का लालच दे कर अच्छे डाक्टरों को जमा करते हैं पर फिर वे महंगे तो होंगे ही.

बड़े अस्पताल वही अच्छे हो सकते हैं जहां सर्जरी की आवश्यकता हो और महंगे औपरेशन थिएटर बनाने पड़ें. वैसे वे भी छोटे अस्पतालों में बन सकते हैं जो केवल सर्जरी करें और जहां कोई डाक्टर आ कर महंगी मशीनों का इस्तेमाल करे.

बड़े अस्पतालों को प्रबंध और साजसज्जा पर बहुत खर्च करना पड़ रहा है. उन में बहुत पूंजी लग रही है. पार्किंग की सुविधाएं देनी पड़ रही हैं. कैफेटेरिया बन रहे हैं. इस से हजारों फुट जगह बेकार जाती है.

अच्छा होगा कि दिल्ली सरकार मैक्स अस्पताल के अनुभव से सीखे और महल्ला क्लीनिकों और छोटे अस्पतालों को बढ़ावा दे. अस्पतालों को 5-5 एकड़ के प्लाट ही न दिए जाएं. चिकित्सा व शिक्षा क्षेत्र में बड़े भवन, बड़े मैदान, बड़े बैनर निरर्थक हैं. ये एक कल्चर को जन्म देते हैं, जो घातक है. न सही इलाज मिलता है, न शिक्षा. ये तो बरगद हैं, जिन पर फल नहीं लगते.

गर्लफ्रैंड भुला न दे सब कुछ…

सुरेश को पम्मी से पहली मुलाकात में ही प्यार हो गया. सुरेश अपनी गर्लफ्रैंड का इतना दीवाना हो गया कि वह अपने फ्रैंड्स को भूल गया. उन से मिलना जुलना बंद कर दिया. उस ने अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान देना बंद कर दिया. सुरेश को हर वक्त सिर्फ एक ही बात का ध्यान रहता था प्यार, प्यार और सिर्फ प्यार.

इश्क, प्यार, मुहब्बत के चक्कर में पड़ कर अनेक युवा अपनी गर्लफ्रैंड के इतने दीवाने हो जाते हैं कि वे खानापीना, पढ़ाईलिखाई, सोना या घूमना, मिलनाजुलना आदि सबकुछ भूल जाते हैं. अनेक युवा इश्क के चक्कर में अपने कैरियर व फ्यूचर को दांव पर लगा देते हैं. वे फुलटाइम आशिक बन कर अपना सारा वक्त किसी पार्क, सी बीच, रैस्टोरैंट, पिक्चर हौल या मौल आदि जगहों पर बिताने लगते हैं.

माना कि जीने के लिए प्यार भी जरूरी है, मगर प्यार में पूरी तरह से डूब कर दिनरात सिर्फ प्यारप्यार की रट लगाना समझदारी नहीं है. आप ने किसी से प्यार किया है, अच्छी बात है. सही मौका मिलने पर प्यार करने में कोई बुराई नहीं है. प्यार की अहमियत अपनी जगह बहुत कुछ है. पर ध्यान रहे प्यार के चक्कर में अपना समय, स्वास्थ्य, पैसा, रिश्ते आदि को न भूल जाएं. कहीं ऐसा न हो कि आप को बाद में पछताना पड़े.

इन को न भूलें

– इस बात का ध्यान रखें कि जीवन में सफल होने के लिए पढ़ाई जरूरी है. प्यार के चक्कर में अपनी पढ़ाई न छोड़ें.

– गर्लफ्रैंड के चक्कर में अपने कैरियर को दांव पर न लगाएं. कैरियर बिगड़ा तो आप की लाइफ ही पूरी तरह डगमगा सकती है. प्यार अपनी जगह, कैरियर अपनी जगह.

– गर्लफ्रैंड को किसी भी हाल में पाना या उसे हर हाल में खुश रखने को लाइफ का मकसद न बनाएं. इस के अलावा भी बहुत कुछ है, इस दुनिया में.

– ‘मैं सबकुछ भुला दूंगा, तेरी चाहत में…’ वाली सोच न रखें. गर्लफ्रैंड की चाहत में सबकुछ भुला देना कोई समझदारी की बात नहीं है.

– गर्लफ्रैंड के चक्कर में अपने पेरैंट्स, भाईबहन, सगेसंबंधी, यारदोस्तों को न भूल जाएं. इन के बिना जीवन अधूरा है. इन से दूर रह कर जीवन का कोई सुख नहीं मिलेगा.

– प्यार के चक्कर में पड़ कर खानापीना, घूमनाफिरना आदि न भूल जाएं. ऐसा करना प्यार नहीं पागलपन समझा जाएगा. शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खानापीना, घूमनाफिरना जरूरी है. इस के बिना आप अस्वस्थ हो जाएंगे.

– किसी से प्यार होने पर अपना कामधंधा न छोड़ दें. जीवनयापन के लिए काम करना बहुत जरूरी है. इस के बिना आप अस्वस्थ हो जाएंगे.

– गर्लफ्रैंड पर अपनी पूंजी दोनों हाथों से न लुटाएं. जिस दिन आप की पूंजी खत्म हो जाएगी, उस दिन प्यार नाम की चिडि़या भी आप के पास से उड़ जाएगी.

– गर्लफ्रैंड के चक्कर में अपना फर्ज, जिम्मेदारी, ईमानदारी जैसी बातों को अपने जीवन से दूर न करें.

– गर्लफ्रैंड के चक्कर में लापरवाह, आलसी व निकम्मा न बनें. लाइफ में आगे बढ़ने के लिए इन से दूर रहना बेहद जरूरी है.

इन बातों पर भी दें ध्यान

– अधिकतर वक्त गर्लफ्रैंड के साथ बिता कर जीवन के कीमती समय को नष्ट न करें.

– अपने काम, कैरियर व पढ़ाई को प्राथमिकता दें. निश्चित करें कि फिर से कहां, कब, कितने समय के

लिए मिलना है. समय कम होने पर फोन, मोबाइल या इंटरनैट द्वारा इसे ऐडजस्ट करें.

– छुट्टी के दिन अपनी गर्लफ्रैंड को कुछ अधिक समय दे कर उस के साथ वक्त    बिता सकते हैं, पर ध्यान रखें, इस चक्कर में छुट्टी वाले दिन के जरूरी काम न भूल जाएं.

– गर्लफ्रैंड की अधिक याद आने पर मन को काबू में लाएं. मुंह पर पानी के छींटें मारें. कमरे से बाहर घूमने निकल जाएं. फ्रैंड्स या फैमिली के साथ थोड़ा वक्त गुजारें.

– अपना ध्यान बंटाने के लिए म्यूजिक सुनें. स्टोरी बुक या नौवेल पढ़ें. कोई क्रिएटिव काम करें या फिर अपनी हौबी पर ध्यान दें.

– यदि आप नौकरी कर रहे हैं, तो मन लगा कर करें. ऐसा न हो गर्लफ्रैंड के चक्कर में समय से औफिस नहीं जा रहे हैं. ऐसा करने पर नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. ऐसा न करें क्योंकि नौकरी बड़ी मुश्किल से मिलती है.

– परीक्षा या किसी कंपीटिशन की तैयारी कर रहे हैं, तो अपना सारा वक्त गर्लफ्रैंड के चक्कर में बरबाद न करें. उसे भी इस की जानकारी दें, जिस से वह भी आप के समय को नष्ट न करे.

फर्स्ट डेट पर रखें इन बातों का ध्यान

फर्स्ट डेट बहुत उत्साहपूर्ण व महत्त्वपूर्ण होती है. कई बार बहुत से संदेह मन में होते हैं कि मिलने पर आलिंगनबद्ध हों या हाथ मिलाएं या कभीकभी बातचीत के दौरान असहज सी चुप्पी पसर जाती है. समझ नहीं आता अब क्या बात करें. उस असहजता में भी उत्साह होता है. पर कुछ चीजें फर्स्ट डेट पर पुरुषों को अकसर पसंद नहीं आती. इसलिए डियर फ्रैंड्स, फर्स्ट डेट पर जाते समय इन बातों का ध्यान जरूर रखें :

– ऐसा नहीं है कि फर्स्ट डेट ‘नो फोन जोन’ है, पर यदि आप का फोन लगातार बज रहा है और हर मैसेज का जवाब देने से आप खुद को रोक नहीं पा रही हैं तो आप को समस्या हो सकती है. लगातार फोन पर मैसेज करते रहना या अपनी सहेलियों के हर फोन पर बात करना आप की डेट की सफलता के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है.

– हो सकता है आप का कोई दुखद अतीत हो पर कुछ चीजें फर्स्ट डेट पर कोई जानना नहीं चाहेगा. वह नहीं जानना चाहेगा कि आप को पहले कैसे प्रपोज किया गया था या आप उसे कितना याद करती हैं. पिछले अनुभवों को कभी बाद के लिए बचा कर रखें.

– यह मान कर न चलें कि कि आप के साथ बाहर जाने वाला लड़का ही बिल का भुगतान करेगा, क्योंकि वह एक पुरुष है. हमेशा बिल पे करने का औफर करें या शेयर करने की बात करें, इस से आप का सम्मान कम नहीं होगा.

– कुछ पुरुष बिल पे करने का औफर करते हैं, स्त्रियों पर अपनी सुपीरियौरिटी दिखाने के लिए नहीं, बल्कि इसलिए कि उन्हें इस समय होस्ट बनना अच्छा लगता है. हर जगह सैक्सिज्म न ढूंढ़ें. वह आप के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहता है, इसलिए नहीं कि आप महिला हैं, बल्कि इसलिए कि आप उस की दोस्त हैं. पुरुषों को भी कई बार बहुत जल्दी गलत समझ लिया जाता है. बहुत जल्दी में कोई फैसला न करें.

– आप महिलाओं के समान अधिकारों को सपोर्ट करती हैं, बहुत अच्छी बात है पर फर्स्ट डेट पर इसे बहस का विषय बनाने की जरूरत नहीं है. सब को इस विषय पर डिबेट करने का शौक नहीं होता. फर्स्ट डेट एकदूसरे को जानने के लिए होती है, कुछ अच्छा समय साथ   बिताएं. महिला सशक्तीकरण विषय पर बहस कर यह समय खराब न करें.

– लड़कियां अकसर फर्स्ट डेट पर जाते समय अपनी किसी सहेली को साथ ले कर जाती हैं क्योंकि वे नर्वस होती हैं. आप यह न करें.

– सिर्फ अपने बारे में ही बात न करती रहें, जो महिला सिर्फ अपने बारे में ही बात करती रहती है, किसी और की बात सुनती ही नहीं, उन्हें कम ही पसंद किया जाता है. सेल्फ औबसैशन फर्स्ट डेट के लिए बुरी चीज है.

– आप अभी मिले हैं, दूसरी बार डेट का पता नहीं है, और आप विवाह की योजना और बच्चों के बारे में बात करने लगें, तो यह मूर्खता है.

– कई विषयों पर डिस्कस करना अलग चीज है. सिर्फ अपने विचारों को ही महत्त्वपूर्ण मान कर बहस न शुरू कर दें. बहस करने और अपनी राय देने में एक बारीक सी सीमारेखा है, इस का ध्यान रखें.

– जैसे आप को लड़की समझ कर मिले कमैंट्स पर गुस्सा आता है, वैसे ही लड़कों की भावनाओं को भी समझें. उन का किसी बात पर मजाक न उड़ाएं.

पहली बार किसी से मिलना, बैठ कर बातें करना जीवन के अगले बड़े कदम पर भी प्रभाव डालता है. साफ, सकारात्मक सोच के साथ हलकेफुलके माहौल में अपना समय अच्छी तरह से बिताएं. अगर यह रिश्ता सफल होता है तो इस की यादें ताउम्र आप को एक मिठास से भरती रहेंगी. कुछ गलतियों से अनजाने में इसे खो न दें. यह जीवन के एक प्यारभरे सफर की शुरुआत भी हो सकती है.

नई दुनिया बनाएंगे मिलेनियल्स

21वींसदी को युवाओं की सदी माना जाता है. इन युवाओं में विशेषरूप से उस पीढ़ी की चर्चा होती है, जो 1980 से 1995 के बीच जन्मी है. यही पीढ़ी इस वक्त पढ़लिख कर अपनी काबिलीयत दिखाने के लिए भारत समेत पूरी दुनिया में आतुर है. इस पीढ़ी को वाई जैनरेशन या फिर सहस्राब्दि युवा (मिलेनियल्स) कह कर संबोधित किया जाता है. इन 20 से 35 वर्ष की उम्र के बीच करीब 35-36 करोड़ मिलेनियल्स के बल पर भारत खुद को एक युवा देश कहता है. दुनिया के दूसरे देशों में भी इन की यह कह कर चर्चा की जाती है कि अब दुनिया बनाने या बिगाड़ने की जिम्मेदारी इन्हीं मिलेनियल्स के कंधों पर है. पर जिम्मेदारी के जिस जिक्र के साथ इन सहस्राब्दि युवाओं की ओर देखा जाता है, उसे ले कर कई संदेह पूरी दुनिया समेत भारत में भी पसरे हुए हैं.

बदलती सोच के नए युवा

यह सिर्फ कहने की बात नहीं है कि आज जमाना बदल चुका है. अगर किसी युवक या किसी युवती से पूछा जाए कि कैसा चल रहा है, तो वे यही कहेंगे, मस्ती है, कोई टैंशन नहीं. चाहे उन की जिंदगी में पढ़ाई और कैरियर को ले कर काफी तनाव हो, पर उन की कोशिश होती है कि वे हमेशा अपना मुसकराता चेहरा सामने रखें. उन के मन में यह भरोसा बना हुआ है कि आज नहीं तो कल, उन्हें भी अपने टैलेंट को दिखाने का मौका मिलेगा और तब वे दिखा देंगे कि वे क्या हैं.

ऐसा वे साबित भी करते हैं. परिवार नई तकनीक से जुड़ी चीजों की लेटैस्ट जानकारी इन्हीं किशोरों या युवाओं के पास होती है बल्कि कहना चाहिए कि मोबाइल या स्मार्टफोन के नएनए फंक्शंस से ले कर ऐप्स के बारे में बड़े लोग इन्हीं से सीखते हैं.

फैशन हो या फिल्म, फेसबुक हो या ट्विटर, सोशल मीडिया के हर प्लेटफौर्म के बारे में सब से पहले इसी नई पीढ़ी को नई बातें पता चलती हैं. पर इस के बावजूद, आजकल के किशोरों व युवाओं को समझाने व सिखाने की जरूरत महसूस होती है.

ये हैं तोहमतें

जैसे कहा जाता है कि यह नई पीढ़ी बहुत जल्दबाज है. जितनी जल्दी पैसा कमाना, उतनी ही जल्दी पैसा उड़ाना, इस पीढ़ी की यह खास पहचान मानी जाती है. कोई भी काम करने के लिए नौजवान शौर्टकट तलाश करते हैं. इस पीढ़ी के मन में बड़ों के लिए सम्मान नहीं होता. कुछ तो ऐसे आरोप भी लगाते हैं कि मिलेनियल्स असल में खुद में मगन रहने वाले ऐसे युवाओं की भीड़ है जिसे देश और समाज के कायदों व रीतियों की कोई परवा नहीं होती.

इसी आधार पर दावा किया जाता है कि ये नौजवान न तो कैरियर को ले कर गंभीर हैं और न जिंदगी को ले कर. मांबाप इन के कैरियर के लिए दिनरात मेहनत करते हैं, अपना पैसा इन पर फूंकते हैं, फिल्म, स्पोर्ट्स और मोबाइल फोन जैसे इन के महंगे शौक पूरे करते हैं, पर इस के बदले ये अपने पेरैंट्स को क्या देते हैं?

इन बिंदुओं को ले कर सिर्फ भारत में ही नहीं, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे विकसित देश भी चिंतित हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर हमारी नई पीढ़ी इस तरह बेपरवाह रहेगी तो देश का भविष्य चौपट हो सकता है. इन्हीं वजहों से तकरीबन पूरी दुनिया में इस नई पीढ़ी को एक किस्म की नाउम्मीदी से देखा जाता रहा है. कहा जाता रहा है कि अगर इस पीढ़ी ने कैरियर के चुनाव, उस के स्थायित्व और समाज के प्रचलित कायदों को ले कर संजीदगी नहीं दिखाई, तो समाज और देश के बिखराव तक की नौबत आ सकती है.

इन बातों को ले कर पेरैंट्स परेशान रहते हैं. उन्हें लगता है कि आजकल बच्चों में वह समझदारी नहीं है, जिस के बल पर वे दुनिया का सामना कर पाएं और बड़ों की दिखाई राह पर संभलते हुए चलना सीख पाएं. 2015 में भारत समेत 12 देशों में कराए गए एक सर्वेक्षण ‘आईकी प्ले रिपोर्ट’ में ऐसी ही चिंताएं अभिभावकों ने अपने बच्चों के बारे में जताई थीं.

आईकी प्ले रिपोर्ट

पारिवारिक जीवन के कई पक्षों पर किए गए सर्वेक्षण में जो खुलासे हुए थे, उन से ऐसा लगा था कि भारतीय पेरैंट्स दुनिया के सब से दुखियारे मांबाप हैं, क्योंकि वे अपने बच्चों के लिए कुछ ज्यादा नहीं कर पा रहे हैं.

एक ओर बच्चे कहीं बाहर घूमनेखेलने जाने के बजाय स्मार्टफोन या टीवी से चिपके रहते हैं, तो दूसरी ओर मांबाप को यह चिंता सताती है कि वे अपने बच्चों को ज्यादा वक्त नहीं दे पाते हैं. इस रिपोर्ट से ये मुख्य बातें पता चली थीं, जो इस प्रकार हैं :

मौके हैं बेशुमार

अगर यह देखें कि सहस्राब्दि युवाओं के पास आज क्या है, तो इस मामले में पाएंगे कि उन्हें असल में किसी चीज की कमी नहीं है.

पिछली पीढि़यों के मुकाबले वाई जनरेशन कही जाने वाली इस पीढ़ी के पास पढ़ाई और कैरियर के ऐसे नए मौके हैं, जिन के बारे में पहले कभी सोचा तक नहीं गया था. जैसे, भारत के संदर्भ में देखें तो पिछले दोढाई दशकों में जिस आईटीबीपीओ सैक्टर में हमारे युवाओं ने कामयाबी के नए मोरचे खोले थे, अब हाल के वर्षों में औनलाइन बिजनैस के सहारे मिलेनियल्स ने सफलता की नई इबारत रची है.

जगने लगी है उम्मीद

हाल में कुछ ताजा सर्वेक्षण ऐसे आए हैं, जो इन धारणाओं को तोड़ते और वाई जैनरेशन कही जाने वाली इस पीढ़ी के प्रति नजरिया साफ करने की जरूरत महसूस कराते प्रतीत हो रहे हैं. जैसे, 25 देशों में 19 हजार कामकाजी सहस्राब्दि युवाओं के बीच 2016 के शुरुआती महीनों में कराए गए सर्वेक्षण में ह्यूमन रिसोर्स कंसल्टिंग फर्म मैन पावर ग्रुप ने पाया कि नौकरी के पारंपरिक तौरतरीकों को ले कर यह नौजवान पीढ़ी कतई जल्दबाज नहीं है. ये नौजवान नौकरी खोजते वक्त पैसे से ज्यादा तवज्जुह उस के स्थायित्व यानी जौब सिक्योरिटी को देते हैं. भारत के संदर्भ में इस सर्वेक्षण ‘मिलेनियल्स कैरियर्स 20:20 विजन’ का नतीजा यह है कि इन सहस्राब्दि युवाओं में से 39 फीसदी 65 साल से ज्यादा उम्र तक काम करना चाहते हैं. सर्वे में शामिल 25 फीसदी मिलेनियल्स तो 70 साल की उम्र के बाद भी काम करते रहने के इच्छुक हैं. इस तरह साबित हुआ है कि हरेक 10 में से 4 सहस्राब्दि युवा कैरियर की लंबी पारी खेलना चाहते हैं. इस से यह साबित हुआ है कि नए अवसरों की तलाश के साथसाथ यह नई पीढ़ी कुछ अरसा पहले टाइम मैगजीन द्वारा मैंमैं करने वाली पीढ़ी के रूप में संबोधित की गई यह पीढ़ी, धारणा के उलट समाज के प्रचलित कायदों पर ही अमल करना चाहती है.

मिलेनियल्स को ले कर अमेरिका में जो सर्वे आधारित अध्ययन हुआ है, वह तो इन के बारे में और भी चौंकाने वाली जानकारी दे रहा है. वहां ऐसा अध्ययन प्यू रिसर्च सैंटर द्वारा किया गया.

इस अध्ययन में सब से ज्यादा चौंकाने वाला संकेत यह है कि आधुनिक इतिहास में पहली बार यह सहस्राब्दि अमेरिकी युवा अपने मांबाप या रिश्तेदारों के पास उन के ही घर में रहने को ज्यादा तरजीह दे रहा है, बजाय हमउम्र लाइफपार्टनर के. यह बदलाव कितना उलटफेर भरा है. यह इस से समझा जा सकता है कि 60 के दशक (पिछली सदी) में इस उम्र (20-35) के महज 13 फीसदी युवा ही अपने अभिभावकों के पास रहने की समझदारी दिखाते थे, लेकिन अब ऐसे युवाओं की तादाद अमेरिका में 22 फीसदी है. इसी समयांतराल में कई और क्रांतिकारी तब्दीलियां प्यू रिसर्च में नजर आई हैं.

जैसे, अब शादी की उम्र बढ़ गई है. पहले जहां महिलाओं में औसतन 20 और पुरुषों में औसतन 22 वर्ष की उम्र में लोग शादी कर लेते थे, वहीं अब यह औसत महिलाओं में 27 और पुरुषों में 29 वर्ष है. इसी तरह कभी शादी न करने वालों की तादाद इस दौरान बढ़ी है. पहले जहां 10 में से 1 ही युवा ही शादी न करने का जोखिम लेता था, वहीं अब हर 5 में से 1 युवा ऐसा करने लगा है. शादी लंबे वक्त तक टालने के इस ट्रैंड के पीछे भी संकेत यही निकलता है कि युवाओं को लाइफपार्टनर से ज्यादा मांबाप और रिश्तेदारों का आकर्षण अपनी ओर खींचने लगा है. जो आधुनिकता के उलट एक रूढि़वादी या पारंपरिक युवा की छवि समाने रखता है.

यह सही है कि आज के किशोर या युवा नौकरी की मजबूरी में अपने घरपरिवार से दूर भले ही हो जाएं, पर मौका मिलते ही वे अपने मांबाप और बड़ेबुजुर्गों के साथ रहना चाहते हैं. युवतियां भी परिवार के साथ रहना चाहती हैं क्योंकि उन का मानना है कि हर सुखदुख में परिवार ही सब से बड़ी ताकत होता है. इस मामले में भारत पूरी दुनिया से थोड़ा अलग है. यहां शादी के बाद परिवारों का बिखराव आमतौर पर नौकरी की मजबूरी में होता है, अन्यथा लड़कियां अपने सासससुर और देवरननद के साथ रहना चाहती हैं.

असल में, आज का युवा भावुक होने के साथसाथ प्रैक्टिकल भी है, क्योंकि उसे मालूम है कि मांबाप से अलग अपना परिवार बसाना और घर चलाना आसाना नहीं है. इसीलिए वह मातापिता के साथ रहना चाहता है. जरूरत के वक्त उन की मदद लेना और देना चाहता है. यही नहीं, जो सपना मांबाप ने उन के लिए देखा था, अगर मांबाप किसी कारण से उसे पूरा नहीं कर पाए, तो उसे वह अपने दम पर पूरा करना चाहता है.

संगीत की दुनिया के प्रिंस : एल्विस प्रिसले

मनोरंजन की दुनिया में विख्यात गायक, अभिनेता एल्विस प्रिसले के दीवानों की आज भी कमी नहीं है. वे  अब दुनिया में तो नहीं हैं, लेकिन लोगों के दिलों में बसे हुए हैं. तभी तो लाखों लोग उन की याद में उन के ग्रेस्लैंड बंगले का दीदार करने आते हैं.

एल्विस प्रिसले का जन्म अमेरिका के मिसिसिप्पी राज्य के टुपेलो शहर में 1935 में हुआ था. 1948 में वे टेनेसी राज्य के मेम्फिस चले आए थे. स्कूलिंग के बाद कुछ दिन उन्होंने थिएटर में काम किया, फिर ट्रक ड्राइवर का काम भी किया.

प्रिसले को गाने का शौक था. उन्होंने स्थानीय लोगों के बीच गाना शुरू किया. 1955 में मशहूर रिकौर्डिंग कंपनी आरसीए ने उन के गाने रिकौर्ड किए थे. उन का पहला सोलो गाना ‘हार्टब्रेक होटल’ जनवरी 1956 में निकला जो उस समय अमेरिका का नंबर वन गाना भी था. इस गाने से उन्हें काफी प्रशंसा मिली और वे सुर्खियों में आए. वे गिटार भी बखूबी बजाते थे. 20वीं सदी के ‘रौक ऐंड रोल’ के वे बादशाह माने जाते हैं. वे सभी प्रकार के गाने गाया करते थे. वे गास्पेल, बलाड, रौक और प्लेबैक सिंगर भी थे. प्रिसले ने अनेक अलबम बनाए. 1956 में पहला ‘रौक ऐंड रोल’ अलबम लगातार 10 हफ्ते तक बिलबोर्ड के चार्ट में अव्वल रहा था. इस के बाद से वे युवादिलों के पसंदीदा गायक बने रहे थे.

वर्ष 1958 में उन्हें सेना में सेवा के लिए बुलाया गया. वे जरमनी गए. वहां उन्हें एक लड़की प्रिसिला वाग्नर से प्रेम हुआ जिस से बाद में उन्होंने शादी कर ली. हालांकि 1970 में उन का तलाक भी हो गया था.

उन्हें अभिनय का भी शौक था. कुछ टैलीविजन शोज के बाद 1956 में पहली बार फिल्म ‘लव मी टैंडर’ में अभिनय किया था. उन्होंने करीब 33 फिल्मों में अभिनय किया. 1960 में प्रिसले हौलीवुड आए. यहां उन्होंने फिल्मों में अभिनय किया. 1969 में बनी फिल्म ‘चेंज औफ हैबिट’ उन की अंतिम फिल्म थी. उन की ज्यादातर फिल्में संगीतप्रधान होती थीं. 36 साल की उम्र में ही उन्हें 3 बार ग्रैमी अवार्ड मिले और 3 लाइफटाइम अचीवमैंट ग्रैमी अवार्ड मिले. इस के अतिरिक्त 8 बार उन्हें भिन्न पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया था. एल्विस प्रिसले आज तक दुनिया के एकमात्र ऐसे गायक हैं जिन्हें संगीत के अलगअलग 3 ‘हौल्स औफ फेम’ में स्थान मिला है.

1970 में फिर उन्होंने गायन पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने 500 से अधिक लाइव कंसर्ट्स दिए थे और लगभग सभी शोज हाउसफुल होते थे. एक बार उन को अपने अलबम ‘द एड सलवान शो’ के लिए लोगों के क्रोध का सामना करना पड़ा था.

मेम्फिस में ग्रेस्लैंड के निकट अपने बंगले में 16 अगस्त, 1977 को मात्र 42 वर्ष की उम्र में उन का देहांत हो गया था. सिर्फ अमेरिका ही नहीं, अनेक देशों में करोड़ों प्रशंसकों को निराश कर एल्विस प्रिसले ने दुनिया को अलविदा कहा. अपनी मृत्यु के 4 दशक बाद भी वे अमेरिका के दिल में बसते हैं. इस बात का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि प्रतिवर्ष लगभग 6 लाख लोग प्रिसले के ग्रेस्लैंड बंगले में जाते हैं.

क्या नये साल पर टीम इंडिया में होगी सुरेश रैना की वापसी..?

टीम इंडिया में वापसी करने के प्रयास में जुटे सुरेश रैना ने भी युवराज सिंह के बाद राष्ट्रीय टीम में चयन के मानक यो-यो टेस्ट को पास कर अपनी फिटनेस से वापसी के संकेत दिए हैं. यो-यो टेस्ट पास करने बाद टीम इंडिया से बाहर चल रहे विस्फोटक बल्लेबाज सुरेश रैना के लिए राष्ट्रीय टीम में वापसी के द्वार खुल गए हैं. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि नए साल को रैना की जल्द वापसी हो सकती है.

रैना ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में कड़ी मेहनत के बाद मैंने अपना यो-यो फिटनेस टेस्ट पास कर लिया. इस दौरान प्रशिक्षकों, कोचों और अधिकारियों से मुझे काफी समर्थन प्राप्त हुआ. सभी का धन्यवाद. एनसीए में आकर मेरा आत्मविश्वास काफी बढ़ा है.

आपको बता दें कि 31 साल के रैना करीब एक साल से टीम से बाहर चल रहे हैं. उन्होंने अपना आखिरी वनडे अक्टूबर 2015 में मुंबई में दक्षिण अफ्रीका खेला था. इसके अलावा अपना आखिरी टी-20 इस वर्ष फरवरी में बेंगलुरु में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था. उसके बाद से ही वह लगातार टीम में वापसी का प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. मालूम हो कि रैना से पहले गत माह युवराज सिंह ने भी यो-यो फिटनेस टेस्ट पास किया था.

आइए डालते हैं एक नजर सुरेश रैना की उन पारियों पर जिनके दम पर वह एक बार फिर टीम में वापसी कर सकते हैं.

2011 वर्ल्ड कप में औस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 34 रन

औस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय टीम को 2011 वर्ल्डकप में क्वार्टर-फाइनल मुकाबला खेलना था. इस मैच में सुरेश रैना भी शामिल थे. इससे पहले रैना को ज्यादा मैच में खेलने का मौका नहीं मिला था. रैना ने भी इस मौके का भरपूर फायदा उठाया और टीम के जीत में अहम योगदान दिया. भारत को जीत के लिए 12 ओवर में 74 रन चाहिए थे. टीम का कोई खिलाड़ी औस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के सामने नहीं टिक सका. ऐसे में रैना ने बहुमूल्य 34 रन बनाकर टीम को सेमीफाइनल में पहुंचा दिया.

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बनाए नाबाद 101 रन

2010 आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 60 गेंदों में शतक लगाकर रैना ने इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करा लिया. इस शतक के साथ ही वह पहले ऐसे भारतीय बल्लेबाज बने, जिसने टेस्ट, वनडे और टी-20 तीनों में शतक जड़ा.

सचिन तेंदुलकर के साथ 256 रनों की साझेदारी

साल 2010 में कोलंबो में सुरेश रैना ने श्रीलंका के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला था. श्रीलंका ने पहली पारी में 642 रन बनाए. भारत की तरफ से वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर ने अच्छी शुरुआत की थी. इसके बाद रैना ने अपने पहले ही टेस्ट मैच में शतक लगाया और तेंदुलकर के साथ 256 रनों की साझेदारी कर भारत का स्कोर 707 पहुंचा दिया था. ये मैच ड्रा पर खत्म हुआ था.

इंग्लैंड के खिलाफ लगाया शानदार शतक

जेम्स एंडरसन, क्रिस वोक्स, क्रिस जार्डन और बेन स्टोक्स जैसे गेंदबाजों के खिलाफ साल 2014 में रैना ने ये शतक जड़ा था.

औस्ट्रेलिया के खिलाफ अंतिम गेंद पर चौका जड़ दिलाई जीत

साल 2016 में भारतीय टीम औस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज खेल रही थी. इस मैच में भारत के सामने जीत के लिए 197 रनों का लक्ष्य था. भारत की तरफ से विराट कोहली और रोहित शर्मा ने अर्धशतक लगाया. जबकि सुरेश रैना ने 49 रन बनाएं. भारत को अंतिम गेंद पर जीत के लिए 2 रनों की जरूरत थी और रैना ने शानदार चौका जड़कर टीम की जीत सुनिश्चित की.

हो जाए डेबिट-क्रेडिट कार्ड चोरी तो करना न भूले ये काम

आजकल डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिए हम लोगों की रोजमर्रा की आर्थिक जरुरतों को पूरा करना बेहद आसान हो गया है. बस कार्ड की डिटेल्स भरें और कोई भी ट्रांजेक्शन कर लें. लेकिन आपकी यही सहूलियत आपके लिए तब मुसीबत बन जाती है जब आपका कार्ड चोरी हो जाता है या खो जाता है. ऐसे समय में आप कुछ टिप्स की मदद से आप तुरंत अपने बैंक खाते के पैसे को सुरक्षित कर सकते हैं.

एटीएम कार्ड खो जाए तो सबसे पहले आप अपने बैंक को इसकी जानकारी दें और क्रेडिट और डेबिट कार्ड को ब्लौक करा दें ताकि कोई भी इसका गलत इस्तेमाल ना कर सके. इसके बाद बैंक में जाकर नए एटीएम कार्ड के पिन के लिए अावेदन  दें. एहतियात के तौर पर कार्ड खोने की एफआईआर भी दर्ज करा सकते हैं क्योंकि कई बैंक इसकी मांग कर लेते हैं. अगर आप नेट बैकिंग का इस्तेमाल करते हैं तो अपने अकाउंट का पासवर्ड भी बदल दें.

कार्ड ब्लौक कराने के बाद 2 तरीके से आप नए कार्ड मंगा सकते हैं.

– आपके बैंक में आपके रजिस्टर्ड एड्रेस पर बैंक 5-7 वर्किंग दिनों के अंदर आपको नया कार्ड और पिन भेज देगा.

– बैंक में जाकर आप खुद भी नया कार्ड ले सकते हैं. इसके लिए आपको एक आईडी प्रूफ और एक उसी बैंक का कैंसल्ड चेक देना होगा और बैंक तुरंत आपको नया कार्ड इश्यू कर देगा.

पेमेंट ऐप्स पर कोई भी बैंकिंग ट्रांजेक्शन करते वक्त सेव डिटेल्स के औप्शन को अनचेक ही रखें. कई बार ऐसा होता है कि आपके कार्ड की डिटेल्स औनलाइन सेव हो जाते हैं जिसके जरिए आपके कार्ड का सिर्फ सीवीवी डालकर ट्रांजेक्शन पूरा किया जा सकता है. तो इस औप्शन को कभी भी टिक ना करें. थोड़ी सी सहूलियत के बदले आपके बैंक खाते के पूरे पैसे के साफ होने का रिस्क कतई ना लें.

अपने बैंकिंग एसएमएस अलर्ट को चालू रखें ताकि आपके कार्ड से होने वाले लेन-देन की जानकारी आपको मिलती रहे. ध्यान रखें कि आपके उस अकाउंट में किसी भी तरह का कोई क्रेडिट-डेबिट होने का मैसेज आपको मिलता है जो आपने ना किया हो तो तुरंत बैंक को इसकी जानकारी दें.

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