Download App

पंड्या की बेवकूफी पर भड़के कपिल देव, कहा मुझसे तुलना न करें

पंड्या को कई बार कपिल के बाद भारत का सर्वश्रेष्ठ आलराउंडर बताया गया है. कपिल ने सेंचुरियन में दूसरे टेस्ट में पंड्या के बल्लेबाजी प्रदर्शन की आलोचना की. टीम इंडिया के पूर्व कप्तान कपिल देव का मानना है कि पंड्या अगर सेंचुरियन टेस्ट में की गई बेवकूफी दोहराएंगे तो उनसे मेरी तुलना नहीं की जानी चाहिए.

कपिल देव ने कहा कि ‘अगर पंड्या इस तरह की बेवकूफाना गलतियां करना जारी रखते हैं, तो वह मेरे साथ तुलना का हकदार नहीं है.’कपिल दूसरी पारी में पंड्या के आउट होने के तरीके से खुश नहीं थे. हार्दिक की बल्लेबाजी देखने के बाद कपिल देव ने कहा, ‘उनकी तुलना मेरे साथ की जाती है, लेकिन अगर मैदान में वो इस तरह की गलती बार-बार करते रहेंगे, तो उनकी तुलना मेरे साथ करना बंद कर दें.’ उनका कहना है कि हार्दिक पांड्या एक अच्छे खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्हें थोड़ी बुद्धि का इस्तेमाल अपने खेल में करना होगा ताकि वह बार बार इस तरह की छोटी गलतियों को न दोहराए.

दरअसल कपिल देव सेंचुरियन टेस्ट की दूसरी पारी में जिस तरह पांड्या आउट हुए थे, उसे लेकर नाराज हैं. पांड्या ने उस वक्त अपना विकेट गंवाया, जब आधी टीम पवेलियन लौट चुकी थी और हार का खतरा मंडरा रहा था.

दक्षिण अफ्रीका से जीत के लिए मिले 287 रनों का पीछा करने उतरी टीम इंडिया उस वक्त मुश्किल में थी. जब पांड्या चौथी पारी में बल्लेबाजी करने आए थे, तब टीम इंडिया के पांच विकेट सिर्फ 65 रन पर गिर चुके थे.

ऐसे में उनसे मैच की नजाकत को देखते हुए बल्लेबाजी करने की उम्मीद थी. मगर पांड्या केवल 6 रन बनाकर आउट हो गए, वो भी लुंगी नजीदी की ऐसी गेंद को जो औफ स्टंप से काफी बाहर जा रही थी और जिसे आसानी से छोड़ा जा सकता था. मगर पांड्या ने यहां गलती कि और बाहर जाती गेंद को छेड़ने के चक्कर में विकेटकीपर क्विंटक डी कौक को कैच थमा बैठे और टीम के लिए मैच गंवा दिया.

पहली पारी में रन आउट हुए थे पांड्या

गलती केवल भारतीय टीम की दूसरी पारी में नहीं हुई थी, बल्कि पहली पारी में भी क्रीज के अंदर पहुंचने के बाद भी पांड्या ने अपना बल्ला नहीं रखा था और वो रन आउट हो गए थे. इस तरह से आउट होने को लेकर उनकी काफी आलोचना भी हुई थी, मगर दूसरी पारी में फिर पांड्या लापरवाही भरा शौट खेलकर आउट हुए.

कपिल देव ने कहा कि, ‘पांड्या में काफी टैलेंट है, जो पहले टेस्ट में उन्होंने दिखाया भी, मगर पांड्या को अपनी मानसिकता पर काम करना होगा.

कपिल देव के अलावा पूर्व चीफ सिलेक्टर संदीप पाटिल ने भी कहा कि अभी पंड्या की तुलना कपिल देव के साथ करना ठीक नहीं, क्योंकि अभी पंड्या के करियर की शुरुआत है. मैं कपिल के साथ काफी क्रिकेट खेला, सचमुच इन दोनों में कोई तुलना नहीं है.

कपिल शानदार प्रदर्शन करते हुए 15 साल भारत के लिए खेले हैं, जबकि पंड्या ने सिर्फ अपना पांचवां टेस्ट खेला है. अभी पंड्या को लंबा रास्ता तय करना है.’

वहीं, भारतीय कप्‍तान विराट कोहली ने हार के लिए बल्‍लेबाजी को जिम्‍मेदार ठहराया. उन्‍होंने मैच खत्‍म होने के बाद प्रेस कौन्‍फ्रेंस में कहा, ”हम अच्छी साझेदारियां करने और बढ़त लेने में असफल रहे. हमने अपने आप को मायूस किया. गेंदबाजों ने अपना काम किया, लेकिन बल्लेबाजों ने टीम को निराश किया. हमने कोशिश की, लेकिन हमारा प्रयास काफी नहीं था, खासकर फील्डिंग में. इसलिए दक्षिण अफ्रीका को जीत मिली.”

14 डिजाइन में 10 रुपये के सिक्के जारी करता है आरबीआई

10 रुपये के सिक्कों को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म रहता है और कई दुकानदार एवं अन्य व्यवसायी एक खास डिजाइन का 10 रुपये का सिक्का ही लेते हैं और बाकी डिजाइन के सिक्के लेने से इनकार कर देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वो नकली है.

10 रुपए के सिक्कों को लेकर थोड़े दिनों पहले अफवाहें सामने आई थीं कि इनके कुछ डिजाइन नकली हैं. कहा जा रहा था कि भारी संख्या में जाली सिक्के बाजार में चलाए जा रहे हैं. कई बार आपका भी उन लोगों से सामना हुआ होगा जो 10 रुपये के कुछ खास डिजाइन वाले सिक्के लेने से इनकार कर देते हैं. कई दुकानदार, औटो वाले, सब्जी विक्रेता आदि इन अफवाहों के शिकार हो जाते हैं कि 10 रुपये के वही सिक्के सही हैं जिनमें 10 धारियां बनी हुई हैं. बाकी सारे सिक्के अवैध हैं.

यही वजह है कि 10 के सिक्के को लेकर लोगों को काफी परेशानी होती है. कई बार पैसे होते हुए भी लोग सामान नहीं खरीद पाते हैं या अन्य तरह की मुश्किलों को उन्हें  झेलना पड़ता है.

इसकी खबर रिजर्व बैंक को भी है. आरबीआई समय समय पर इन अफवाहों की खबरों को लेकर सफाई देता रहता है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक बार फिर लोगों के इस तरह के भ्रम को खत्म करने के लिए एक नया आदेश जारी किया है.

रिजर्व बैंक ने अपने इस बयान में स्पष्ट किया है कि “आरबीआई 10 रुपए के सिक्के 14 डिजाइन में जारी करता है. सरकारी टकसाल में इन्हें तैयार किया जाता है. समय-दर-समय ये आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृति मूल्यों से जुड़ी हुई थीम्स को दर्शातें हैं.” लोगों को यह सूचित किया जाता है कि ये सभी सिक्के मान्य हैं और लेन-देन में स्वीकारें जाएंगे. रिजर्व बैंक ने बैंकों को भी अपनी सभी शाखाओं में लेनदेन के लिए सिक्के स्वीकृत करने के लिए कहा है. गौरतलब है कि इंडियन कौइनेज ऐक्ट, 2011 की धारा 6 के तहत सिक्कों की वैधता परिभाषित की जाती है.

आरबीआई ने इससे पहले नवंबर महीने में भी सफाई दी थी कि सभी तरह के सिक्के ठीक हैं और लोग उन्हें लेने से मना न करें. 10 का सिक्का लेने से इनकार करने पर कानूनी कार्रवाई की भी बात कही गई थी, फिर भी लोगों में संदेह बरकरार है.

कोई व्यक्ति 10 रुपये का सिक्का न लें तो क्या करें?

अगर कोई व्यक्ति 10 रुपये का कोई भी सिक्का लेने से इनकार करता है तो उसे RBI के निर्देश की जानकारी दें. वह फिर भी न माने तो उसे सिक्के के साथ नजदीकी पुलिस थाना ले जाएं और पुलिस को उस व्यक्ति से हुई बातचीत के बारें में बताएं.

पुलिस को RBI के निर्देश के बारे में भी बताएं. आप चाहे तो उस व्यक्ति के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा भी दर्ज करा सकते हैं. आपके एफआईआर पर पुलिस मामले की जांच करेगी.

सितंबर 2016 में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में इस तरह का मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने रिजर्व बैंक के नियमों का हवाला देते हुए कहा था कि भारतीय सिक्कों को लेने से इनकार करना आईपीसी की धारा 124A के तहत राजद्रोह है. इस सेक्शन के तहत तीन साल या आजीवन कारावास के साथ-साथ जुर्माने का भी पआवधान है.

अक्टूबर 2017 में मध्य प्रदेश के मुरेना जिले में पुलिस ने एक ऐसे ही मामले में एक दुकानदार के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 (सरकारी सेवक के कानूनी आदेश की अवहेलना) के तहत मामला दर्ज किया था. इस धारा के तहत दोषी पाए गए व्यक्ति को छह महीने तक की जेल की सजा दिए जाने का प्रावधान है.

2 जनवरी 2018 को वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने राज्यसभा को बताया था कि कुछ बैंक सिक्के स्वीकार नहीं कर रहे हैं. इस पर सरकार ने रिजर्व बैंक के सभी क्षेत्रीय दफ्तरों को आम लोगों से सिक्के लेने के लिए काउंटर खोलने का निर्देश दिया था.

इसलिए अगर आपसे भी कोई सिक्का लेने से इनकार कर दें तो आप उसे इस खबर के बारें में बताएं.

ऋतिक रोशन दोबारा बन सकते हैं दूल्हा, जानिए किससे होगी शादी

अभिनेता ऋतिक रोशन एक बार फिर से शादी करने की तैयारी में हैं. साल 2014 में सुजैन खान से तलाक के बाद ऋतिक का नाम अभिनेत्री कंगना रनौत के साथ चर्चा में रहा, लेकिन किसी विवाद के बाद दोनों का यह रिश्ता भी टूट चुका है. चर्चा है कि ऋतिक बच्चों की खातिर एक बार फिर से दूल्हा बनने वाले हैं.

शादी के लिए ऋतिक रोशन ने ऐसी लड़की का चुनाव किया है जो शायद उनके घर वालों को भी पसंद है. रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि घरवालों के सलाह के बाद लड़की का चुनाव किया गया है. ऋतिक की होने वाली दुल्हन का नाम शायद हम सभी जानते हैं. लेकिन जब आप इस लड़की का नाम जानेंगे तो चौंक जाएंगे. हम आपके सब्र का इम्तिहान नहीं लेंगे, आइए जानते हैं कि आखिर कौन वह खुशनसीब है जो ऋतिक रोशन की दुल्हनियां बनने को तैयार है.

एक खबर के मुताबिक ऋतिक रोशन के एक करीबी दोस्त के हवाले से यह पता चला है कि ऋतिक रोशन और उनकी एक्स वाइफ सुजैन खान के बीच की दूरियां खत्म हो चुकी है. दोनों परिवारों की कोशिश के बाद ऋतिक और सुजैन दोबारा शादी के बंधन में बंधने की तैयारी में हैं.

bollywood

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ समय से ऋतिक और सुजैन साथ में काफी टाइम स्पेंड कर रहे हैं. दोनों ने गिले-शिकवे भुलाकर दोबारा शादी करने का फैसला लिया है. बताया जा रहा है कि बच्चों की वजह ऋतिक और सुजैन एक बार फिर से करीब आए हैं. तलाक के बाद से दोनों बच्चे कभी भी एक साथ मां-पिता के साथ नहीं रह पाते थे. वे अक्सर पिता ऋतिक और मां सुजैन के सामने ये बातें छेड़ते थे.

राकेश रोशन ने फिल्म ‘कहो ना प्यार है’ से बेटे ऋतिक रोशन को बौलीवुड में लांच किया था. साल 2000 में रिलीज हुई यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई थी. इसके कुछ दिन बाद ही ऋतिक ने बचपन की दोस्त सुजैन के साथ शादी रचा ली थी.

कुछ वजहों से दोनों के रिश्तों में दूरियां पैदा होने लगी थी. इसके बाद करीब तीन साल पहले 2014 में दोनों ने स्वेच्छा से तलाक ले लिया था. अब एक बार फिर से दोनों शादी के बंधन में बंधने को तैयार हैं. हालांकि इस खबर पर दोनों के परिवार वालों ने कोई कमेंट नहीं किया है.

पत्नी से तलाक के बाद ऋतिक अपने बच्चों के साथ अक्सर क्वालिटी टाइम स्पेंड करते हुए नजर आते हैं और वह सोशल मीडिया पर अपने बच्चों के साथ तस्वीरें शेयर करते रहते हैं. इतना ही नहीं वह अक्सर अपनी एक्स पत्नी सुजैन और बच्चों के साथ फैमिली डिनर या लंच के लिए जाते हैं.

थप्पड़ से कतराता मीडिया

अखबारों की हालत घर के किसी कोने में पड़े उपेक्षित बुजुर्गों सरीखी हो चली है, जो होते हुये भी नहीं होते. आमतौर पर अब लोग अखबार पर यूं ही सरसरी नजर डाल मान लेते हैं कि आज के ढाई तीन रुपये वसूल हो गए, लेकिन मध्य प्रदेश के लोग बीते 2 दिन से पूरा अखबार खोल कर इस उम्मीद के साथ पढ़ रहे हैं कि शायद किसी कोने में यह खबर दिख जाये कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने धार के सरदारपुर कस्बे में एक सुरक्षाकर्मी कुलदीप सिंह गुर्जर को आपा खोते जोरदार थप्पड़ जड़ दिया.

खबर धांसू थी जो सोशल मीडिया के दायरे में सिमट कर रह गई. एकाध न्यूज़ चैनल ने एकाध  बार इसे दिखाया, फिर यह गधे के सर से सींग गायव होने वाली कहावत को चरितार्थ करने वाली हो गई. इधर लोगों ने अखबार टटोले पर किसी ने इसे नहीं छापा.

खुद शिवराज सिंह को हैरानी और खुशी हो रही होगी कि बात तो बात बेबात में भी तिल का ताड़ बना देने बाला मीडिया उनका कितना लिहाज और सम्मान करता है. इधर प्रदेश भर में गुर्जर समाज के लोगों ने आहत होते इस ऐतिहासिक हो चले थप्पड़ के विरोध में न केवल धरने प्रदर्शन किए, बल्कि शिवराज सिंह का पुतला भी फूंका, लेकिन मीडिया के मुंह में मानो गुड भरा है, जो इस खबर को खबर मानने ही तैयार नहीं हुआ.

अब कहने वाले कहते रहें कि मीडिया बिकाऊ है या मेनेज कर लिया गया है, पर इससे शिवराज सिंह के अदब और रसूख की टीआरपी नहीं गिर रही, उल्टे और बढ़ रही है. गोया कि एक अदने से मुलाजिम का कोई स्वाभिमान ही नहीं होता और सीएम से पिटना जिल्लत या जलालत की नहीं बल्कि फख्र की बात होती है. लोकतंत्र के इस अलिखित उसूल का ही प्रताप इसे कहा जाएगा कि सरकारी इश्तहारों के एहसान तले दबा मीडिया इस थप्पड़ पर इस तरह खामोश है जैसे अगर इस पर कुछ बोला, लिखा या दिखाया तो अगला थप्पड़ उस के ही नाजुक गाल पर पड़ना है.

अब भला कौन किस मुंह से कहने का हक रखता है कि देश में इमरजेंसी सरीखे हालात हैं और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का गला घोंटा जा रहा है. कल को हुक्मरान अगर खुलेआम भी गुंडागर्दी पर उतारू हो आयें, तो यकीन माने किसी के पेट में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता जैसी मरोड़ नहीं उठेगी, अब डर तो इस बात का सताने लगा है कि कहीं इसे यानि मुलाजिमों की सरे आम पिटाई को सर्विस बुक में शामिल न कर लिया जाये.

वीडियो साभार : यूट्यूब

रखें इन बातों का ध्यान, नहीं होगा आपका फोन स्लो

जब स्मार्टफोन पुराना होता जाता है तो वह स्लो होता जाता है. आज हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स बताने जा रहे हैं जिससे कि आप अपने स्मार्टफोन को स्लो होने से बचा सकते हैं. आप सोचते होंगे की जब आपने अपना फोन खरीदा था तब तो उसकी स्पीड अच्छी थी लेकिन बाद में धीरे धीरे स्लो होने लगा है आखिर कैसे.

सौफ्टवेयर अपडेट

कई बार जब कंपनी औपरेटिंग सिस्टम के अपडेट्स जारी करती है तो हम अपना फोन अपडेट कर लेते हैं. जब भी हम फोन को लोअर वर्जन से हायर में अपडेट करते हैं तो देखा जाता है कि फोन की पर्फोरमेंस पर फर्क पड़ता है. इसलिए कंपनी द्वारा जारी किए गए अपडेट को तुरंत इंस्टौल न करें. साथ ही यह भी देख लें कि आपके फोन का हार्डवेयर उस अपडेट के लिए तैयार है या नहीं. अपडेट आने के बाद उसे इंस्टौल करने से पहले एक बार उसके बारे में रिव्यू जरूर पढ़ लें. अपडेट्स कंपनी द्वारा जारी करने के तुरंत बाद ही इंस्टौल न करें.

technology

ऐप अपडेट

जब आप फोन में प्ले स्टोर से कोई ऐप इंस्टौल करते हैं तो उसके भी अपडेट्स मिलते रहते हैं. ऐप के नए अपडेट को इंस्टौल करने से पहले यह देख लें कि उसमें क्या क्या नए फीचर्स ऐड हुए हैं. जरूरी नहीं है कि यह अपडेट्स आपके फोन के मुताबिक ही डिवेलपर ने किए हों. अपडेट अगर आपके काम के नहीं हैं तो अपडेट न करें. इससे फोन की मेमोरी भी बचेगी और फोन जैसा चल रहा है वैसा ही चलता रहेगा. अपडेट को औटोमेटिक इंस्टौल पर न रखें.

जंक फाइल

हम ट्राई करने के लिए अपने फोन में कई ऐप्स इंस्टौल कर लेते हैं और फिर अनइंस्टौल भी कर देते हैं. अनइंस्टौल करने के बाद ऐप पूरे तरीके से आपके फोन से नहीं जाती है. उसके कुछ फोल्डर्स या फाइल्स फोन में रह जाती हैं. धीरे धीरे यह फोन में इकट्ठी हो जाती है और काफी स्पेस घेर लेती है. इससे फोन की स्पीड स्लो हो जाती है.

फाइल सिस्टम

जब आप अपने फोन को यूज करते हैं तो उसमें डेटा सेव करते रहते हैं. फोटोज, वीडियोज और दूसरा डेटा सेव करते हैं. इससे फोन की स्पीड स्लो होने लगती है. जब मेमोरी धीरे धीरे भरने लगती है तो फोन की स्पीड स्लो होने लगती है. इसलिए फोन का महीने में एक बार बैकअप लेकर उसे खाली करते रहें. अगर मुमकिन हो सके तो 2-3 महीने में एक बार फेक्ट्री रीसेट कर लें. फेक्ट्री रीसेट करने के बाद सिर्फ वही ऐप्स फोन में रखे जिनका आपको यूज करना है.

कोहली नहीं कर पाए परफौर्म तो जाना होगा टीम से बाहर : वीरेंद्र सहवाग

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि सेंचुरियन टेस्ट में परफौर्म नहीं करने पर भारतीय कप्तान विराट कोहली को भी टीम से बाहर हो जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि विराट कोहली गलत प्लेइंग इलेवन के साथ इस मैच में उतरे.

सहवाग के मुताबिक भुवनेश्वर कुमार को टीम से बाहर बिठाना भारतीय टीम को महंगा पड़ा. बता दें कि विराट कोहली ने पिच का हवाला देते हुए दूसरे टेस्ट मैच में भुवनेश्वर की जगह ईशांत शर्मा को टीम में शामिल किया था. सहवाग ने एक इंटरव्यू के दौरान मैच के पहले दिन अपनी बात रखते हुए कहा कि भुवनेश्वर कुमार ने केपटाउन में सबसे अधिक छह विकेट लिए थे.

sports

वह अभी लय में थे, ऐसे में उन्हें टीम से बाहर करने से उनका मनोबल भी गिरा होगा. उन्होंने कहा कि भुवनेश्वर के टीम में नहीं होने से दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज बेखौफ होकर भारतीय गेंदबाजों पर आक्रमण करने लगे. उन्होंने कहा कि गेंदबाजी के साथ-साथ भुवनेश्वर ने टीम के लिए अहम रन भी जोड़े. सहवाग ने कहा कि अगर खिलाड़ियों को टीम में चयन करने का यही मापदंड है तो ये सभी के साथ होना चाहिए.

सहवाग ने विराट कोहली को लेकर कहा कि अगर किसी मैदान पर उनका रिकौर्ड खराब है तो उन्हें भी वहां नहीं खेलना चाहिए. टीम के हर खिलाड़ी के साथ समान व्यवहार किया जाए, गेंदबाज और बल्लेबाज में फर्क नहीं होना चाहिए.

इससे पहले पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने भी विराट कोहली के फैसले पर नाराजगी जाहिर की थी. गावस्कर ने कहा कि विराट ने दक्षिण अफ्रीका को हल्के में लेने की भूल की. उन्होंने वहां टेस्ट मैच से पहले प्रैक्टिस करना जरूरी नहीं समझा.

उन्होंने कहा कि विराट कोहली मैच के लिए प्लेइंग इलेवन का चयन भी ठीक तरीके से नहीं कर पा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि अभी तक भारतीय टेस्ट टीम के उपकप्तान अंजिक्य रहाणे को दोनों मैचों में खेलने का मौका नहीं मिला है. जिसकी काफी आलोचना भी की गई है. बता दें कि दक्षिण अफ्रीका ने सुपरस्पोर्ट पार्क मैदान पर खेले गए दूसरे टेस्ट मैच के आखिरी दिन बुधवार को भारत को 135 रनों से हरा दिया. इसी के साथ दक्षिण अफ्रीका ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 2-0 की अजेय बढ़त ले ली है.

मकान बनाने के लिये सरकार देगी एडवांस पैसे, सिर्फ इन्हें मिलेगा फायदा

यदि आपके पास भी अपना प्लौट है तो सरकार की नई योजना आपके लिए फायदेमंद साबित होगी. सरकार की नई योजना के तहत भूखंड मालिकों को मकान बनाने के लिए एडवांस पैसा दिया जाएगा. दरअसल केंद्र सरकार का संकल्प है कि वर्ष 2022 तक हर व्यक्ति के पास अपना मकान होना चाहिए. इसके लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री आवासीय योजना (पीएमएवाई) के तहत सरकार होम लोन पर सब्सिडी दे रही है. अब सबके लिए आवास शहरी मिशन में खुद का भूखंड रखने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकार ने बड़ी राहत दी है.

50 हजार रुपए एडवांस

पीएमएवाई योजना के तहत चौथी श्रेणी में आने वाले लाभार्थियों का आवेदन स्वीकार होते ही भवन निर्माण के लिए 50 हजार रुपए एकमुश्त खाते में ट्रांसफर कर दिए जाएंगे. जबकि अभी तक व्यवस्था थी कि आवेदन स्वीकार होने के बाद भवन निर्माण शुरू करना होगा. पहली किश्त नींव (फाउंडेशन) तैयार होने के बाद ही जाती थी. सरकार के इस कदम से लाखों लोगों को फायदा होगा.

business

तीन किश्त में आएगा पैसा

नए नियमों के तहत लाभार्थियों को दूसरी किश्त 1.50 लाख रुपए लेंटर (छत) डालने से पहले दी जाएगी. वहीं निर्माण कार्य पूरा होने पर आखिरी किश्त के रूप में 50 हजार रुपए दिए जाएंगे. इस तरह लाभार्थी को मकान बनाने के लिए कुल 2.50 लाख रुपए की मदद सरकार की तरफ से की जाएगी.

आवास शहरी मिशन की चार श्रेणियां

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सबके लिए आवास शहरी मिशन को चार श्रेणी में विभाजित किया गया है. इसमें पहली ऋण आधारित ब्याज सब्सिडी योजना, दूसरी भूमि का संसाधन के रूप में उपयोग करके स्लम पुनर्विकास तीसरी भागीदारी में किफायती आवास (एएचपी) और आखिरी श्रेणी में लाभार्थी आधारित व्यक्तिगत आवास का निर्माण एवं विस्तार शामिल है. इस स्कीम का लोग खूब फायदा उठा रहे हैं. केंद्र सरकार का सपना है कि हर व्यक्ति के पास 2022 तक अपना मकान होना चाहिए.

शासन स्तर पर हुई समीक्षा में दी गई राहत

लाभार्थी आधारित व्यक्तिगत आवास श्रेणी का निर्माण एवं विस्तार के लाभार्थियों को अब तक नियमानुसार 1.50 लाख केंद्र व एक लाख राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है. पहले के नियम में आवेदन स्वीकार होने पर लाभार्थी द्वारा नींव लेवल का निर्माण कार्य पूरा होने पर 40 फीसदी राशि दी जाती थी. शासन स्तर में समीक्षा हुई तो सामने आया कि इस श्रेणी में आने वाले अधिकांश लाभार्थियों आर्थिक रूप से इतने कमजोर हैं कि वे अपने संसाधनों से नींव लेवल तक का निर्माण नहीं करा सकते हैं.

प्रेग्नेंसी की खबरों से परेशान बिपाशा ने ट्वीट कर निकाला गुस्सा

दो साल पहले सात फेरो के बंधन में बंधे बिपाशा बसु और करण सिंह ग्रोवर इन दिनों काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं. इसकी वजह कुछ और नहीं बल्कि बौलीवुड एक्ट्रेस बिपाशा बसु की प्रेग्नेंसी की खबरे हैं. बता दें कि कुछ समय पहले बिपाशा अस्पताल के सामने नजर आई थीं. इसके बाद से लोगों ने उनके प्रेग्नेंट होनें के कयास लगाने शुरू कर दिये थे.

इसके बाद बिपाशा बसु कहीं आउटिंग के लिए निकलीं और गाड़ी में बैठते समय अपने पेट पर बैग पर रख लिया, तो मीडिया में उनकी प्रेग्नेंसी की खबरें वायरल हो गईं. इसके बाद सोशल मीडिया पर कई फेक तस्वीरें भी आईं. जिसे देखकर ऐसा लग रहा है कि बिपाशा चाहे नौर्मल चेकअप के लिए अस्पताल जाएं या फिर किसी लूज ड्रेस में नजर आएं, बिपाशा की हर एक्टिविटी पर मीडिया के कैमरों की नजर रहती है. आलम ये है कि अब खुद बिपाशा को इन खबरों का खंडन करने के लिए सामने आना पड़ा है.

बिपाशा बसु ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रेग्नेंसी की इन फेक खबरों को खारिज करते हुए पूरा मामला एकदम साफ कर दिया है.

उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट करते हुए इस मामले पर सफाई देते हुए कहा, मैं फिर से हैरान हूं. मैंने कार में बैठते समय बैग को अपनी गोद में क्या रख लिया कुछ मीडिया संस्थानों ने तो मेरी प्रेग्नेंसी की खबरें ही उड़ा दीं…दोस्तों मैं प्रेग्नेंट नहीं हूं…बहुत ही गुस्सा आ रहा है… आप लोग धैर्य रखें. ऐसी खबरों पर ध्यान न दें…यह तभी होगा जब हम चाहेंगे.

उनके इस ट्वीट में काफी गुस्सा झलक रहा है. चलिए मीडिया में जो भी खबरें आईं हो पर बिपाशा ने अपना पक्ष तो साफ कर दिया है.

बता दें कि बिपाशा बसु ने 2016 में टीवी एक्टर करण सिंह ग्रोवर से शादी रचाई थी. दोनों ने हौरर फिल्म ‘अलोन’ में साथ-साथ काम किया था. यही पर दोनों की नजदीकियां बढ़ीं और फिर इन्होंने शादी कर ली. इसी महीने सात जनवरी को बिपाशा ने अपना 40वां जन्मदिन सेलिब्रेट किया है. इस सेलिब्रेशन की कुछ तस्वीरें भी उन्होंने अपने इंस्टा पर शेयर की थीं. कुछ समय पहले दोनों के कंडोम के विज्ञापन ने तहलका मचाया था अब देखते हैं कि बौलीवुड में उनका अगला प्रोजेक्ट कौन-सा होगा क्योंकि शादी के बाद बिपाशा की कोई फिल्म नहीं आई है.

2जी स्पैक्ट्रम : जनता के साथ घोटाला और राजनीतिक पार्टियों का खेल

बौलीवुड फिल्म ‘जौली एलएलबी’ में पुलिस थानों की नीलामी का एक मजेदार दृश्य दिखाया गया है. फिल्म में एक हवलदार थानों की बोली  लगाता है. हवलदार के सामने कई थानेदार बैठे हैं. थानों की नीलामी के इस दृश्य में हवलदार जिन क्षेत्रों के नाम लेता है वे दिल्ली के थाने हैं. सदर थाने की बोली 20 लाख रुपए से शुरू होती है. इसी तरह दिल्ली यूनिवर्सिटी थाने की. बोली के दौरान थानेदार एकदूसरे के भ्रष्ट चरित्र को ले कर टिप्पणी करते हैं.

फिल्म का यह दृश्य नितांत काल्पनिक नहीं है बल्कि दिल्ली और देश के दूसरे महानगरों, नगरों की हकीकत बयां करता है. इस तरह की नीलामियों में इस देश की जनता के साथ कितना बड़ा धोखा छिपा होता है, आम नागरिक को एहसास नहीं हो पाता.

2जी घोटाले का सच

दरअसल, यूपीए यानी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के सब से चर्चित घोटालों में से एक 2जी स्कैम मामला 2008 में सामने आया था. यूपीए सरकार के समय कंप्ट्रोलर ऐंड औडिटर जनरल यानी सीएजी विनोद राय ने अनुमान के आधार पर 2जी स्पैक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपए के घोटाले की रिपोर्ट दी थी.

रिपोर्ट में कहा गया कि  2जी स्पैक्ट्रम का आवंटन 2001 की दरों पर किया गया. इस में कई अयोग्य कंपनियों को कम दरों पर सुविधा प्रदान की गईर्. अगर नई दरों के आधार पर स्पैक्ट्रम की खुली नीलामी हुई होती तो सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए की कमाई होती. कंपनियों को नीलामी के बजाय ‘पहले आओ, पहले पाओ’ नीति पर स्पैक्ट्रम दिया गया, जिस के चलते सरकारी खजाने को यह नुकसान हुआ.

यूपीए सरकार में इस कथित घोटाले की बात सामने आई तो सुब्रह्मण्यम स्वामी यह मामला कोर्ट में ले कर गए. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सरकार से जांच के लिए कहा. सरकार ने मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा.

अक्तूबर 2009 में मामला सीबीआई में दर्ज हुआ था. सीबीआई ने तब के दूरसंचार मंत्री ए राजा, द्रमुक सांसद कनिमोझी समेत 34 लोगों को आरोपी बनाया. आरोपियों में 21 व्यक्ति और 13 कंपनियां थीं.  इन में 2 बड़े नौकरशाह तब के दूरसंचार मंत्रालय के सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और ए राजा के निजी सचिव आर के चंदोलिया थे. डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्माल भी आरोपियों में शामिल थीं.

खबरें आने लगी कि सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों ने मिल कर गैरकानूनी तरीके से 2जी स्पैक्ट्रम लाइसैंस आवंटित किए थे. इस में 3 मामले दर्ज किए गए. पहले मामले में सीबीआई ने तब के संचार मंत्री ए राजा, पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि की बेटी कनिमोझी, दूरसंचार मंत्रालय के सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, ए राजा के निजी सचिव आर के चंदोलिया, स्वान टैलीकौम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयनका, यूनीटैक लिमिटेड  के एमडी संजय चंद्रा, रिलायंस के अनिल धीरूभाई अंबानी समूह से गौतम दोसी, सुरेंद्र पिपास व हरि नायर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.

दूसरे मामले में एस्सार गु्रप के प्रमोटर रवि रूइया, अंशुमन रूइया, लूप टैलीकौम के प्रमोटर किरण खेतान, आई पी खेतान, एस्सार समूह के निदेशक विकास आरोपी थे. सीबीआई ने ए राजा, कनिमोझी, शाहिद बलवा, विनोद गोयनका, आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल, करीम मोरानी, शरद समेत 19 आरोपियों के खिलाफ मनी लौंडिं्रग के मामले भी दर्ज किए थे.

प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने तीसरे मामले में डीएमके के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्माल समेत कई लोगों को आरोपी बनाया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने एसटीपीएल प्रमोटर्स के जरिए डीएमके द्वारा चलाए जाने वाले कलईनार टीवी को 200 करोड़ रुपए का भुगतान किया. उन से कई दिनों तक ईडी ने पूछताछ भी की थी.

नियमों में हेरफेर

सीबीआई जांच में दूरसंचार मंत्री ए राजा पर लगे आरोप में कहा गया कि कटऔफ तारीख 1 अक्तूबर, 2007 की थी पर जब 525 आवेदन आ गए तो अचानक कटऔफ तारीख 25 सितंबर कर दी गई. इस से 400 आवेदन खारिज हो गए. ‘पहले आओ, पहले पाओ’ नीति को बदल कर ‘पहले आओ, पहले चुकाओ’ कर दिया गया. नई समयसीमा के भीतर जो आवेदक लाइसैंस फीस का ड्राफ्ट ले कर आए, केवल उन्हीं आवेदकों के आवेदनों पर विचार किया गया.

ए राजा और कनिमोझी को कई महीने जेल में रहना पड़ा था. कनिमोझी पर आरोप था कि अपने चैनल के लिए उन्होंने 200 करोड़ रुपए की रिश्वत डीबी रियल्टी के शाहिद बलवा से ली और बदले में स्पैक्ट्रम दिलाया था.

मामले में 8 कंपनियों के 122 लाइसैंस सुप्रीम कोर्ट के आदेश से रद्द कर दिए. फरवरी 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पैक्ट्रम आवंटन को ‘असंवैधानिक और विवेकाधीन’ घोषित कर दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में सरकार से कहा कि वह 2007 से 2009 के बीच जारी 122 लाइसैंसों को रद्द कर दे और इन लाइसैंसों को फिर से सही नियमों के अनुसार आवंटित किया जाए.

पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेरा, राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया पर आरोप लगे कि सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए इस आपराधिक साजिश में शामिल हो कर भ्रष्टाचार किया. अदालत ने ताजा फैसले में साफ किया कि एजेंसी ने अपनी चार्जशीट में सरकारी कर्मचारियों पर आरोप तो लगाए पर उस ने इन्हें साबित करने के लिए कोई सुबूत नहीं पेश किया.

अफवाह इस कदर फैली कि देश में राजनीतिक उथलपुथल मची. मामले को ले कर राजनीति गरमाई. जनता में घोटालों के प्रति आक्रोश फैला. घोटाले के बाद लोकपाल मुद्दे पर जन आंदोलन शुरू हुआ और सत्ता का तख्त पलट गया. दूरसंचार मंत्री को हटाने के लिए संसद की कार्यवाही विपक्ष ने ठप कर दी थी. बाद में ए राजा को इस्तीफा देना पड़ा.

चुनावी मुद्दा

सीएजी की रिपोर्ट को भाजपा ने हाथोंहाथ लिया और भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था. मामले को खूब उछाला गया. चुनावों में नरेंद्र मोदी समेत भाजपा नेताओं ने यूपीए सरकार के घोटालों को खूब भुनाया. देश में हर बड़ी रैली में 2जी मुद्दे पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया. उन चुनावों में भ्रष्टाचार सब से बड़ा मुद्दा बना. मनमोहन सरकार को संसद से ले कर सड़क तक बदनाम किया गया.

हालांकि सीएजी के नुकसान के आंकड़ों पर भी कई तरह के आरोप थे पर यह एक बड़ा राजनीतिक विवाद बना दिया गया.

और भी घोटाले

उस समय यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार का 2जी के अलावा 70 हजार करोड़ रुपए का कौमनवेल्थ घोटाला भी चर्चा में आया. इस के चलते सुरेश कलमाड़ी को त्यागपत्र देना पड़ा. 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कोयला घोटाला सामने आया. इन तमाम कथित घोटालों के चलते मनमोहन सिंह सरकार विपक्ष के निशाने पर थी. इन घोटाले के चलते आम जनता में उस के खिलाफ गुस्सा बढ़ने लगा था और अन्ना हजारे के नेतृत्व में दिल्ली के जंतरमंतर पर आंदोलन शुरू हो गया. कुछ समय बाद लोकसभा चुनाव नजदीक आ गए.

2014 में भाजपा की अगुवाई में एनडीए की सरकार बन गई. कथित घोटालों की बदौलत नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए.

इन कथित घोटालों से देश की अंतर्राष्ट्रीय छवि पर भी असर पड़ा.  घोटाले के आरोपों के बाद टैलीकौम सैक्टर की हालत खराब हो गई. बैंकों का करोड़ों रुपए का लोन डूब गया क्योंकि टैलीकौम कंपनियां बैठ गईं और उन का दिया पैसा डूब गया. उपभोक्ताओं को भी कोई फायदा नहीं हुआ.

2जी स्पैक्ट्रम की नीलामी का मामला भी कुछ ऐसा निकला  जिस में सीबीआई कोई सुबूत पेश नहीं कर पाई और अदालत द्वारा आरोपियों को बरी करना पड़ा.

फिल्म ‘जौली एलएलबी’ की कहानी के अंत में जज एक केस का फैसला सुनाते हुए कहते हैं कि मैं यहां बैठा रहता हूं और इंतजार करता रहता हूं. मुझे जजमैंट देना होता है एविडैंस की बिना पर, लेकिन एविडैंस आता नहीं है और मुजरिम छूट जाता है. मुझे मालूम होता है कि मुजरिम कौन होता है. इस कोर्ट में बैठा हर आदमी जानता है कि मुजरिम कौन है पर सुबूत नहीं आता.

2जी स्पैक्ट्रम घोटाले के फैसले में भी सीबीआई के स्पैशल जज ओ पी सैनी सुबूत के अभाव में आरोपियों को बरी करते हुए लगभग यही शब्द कहते हैं, ‘‘मैं ने 7 वर्षों तक सुबह 10 बजे से ले कर शाम 5 बजे तक लगातार 2जी स्पैक्ट्रम मामले की सुनवाई की. यहां तक कि गरमी की छुट्टियों में भी इसे सुना. मैं इंतजार करता रहा कि कोई तो इस मामले में ठोस सुबूत ले कर आएगा पर सब व्यर्थ. एक भी ऐसा सुबूत सामने नहीं आया. यह मामला लोगों द्वारा फैलाई गई सामाजिक धारणा अर्थात अफवाह से बढ़ कर कुछ नहीं था.’’

जनता के साथ ठगी

अदालत के इस फैसले के बाद देश की जनता ठगी सी महसूस कर रही है पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों को इस ठगी का कोई अफसोस नहीं है.  फैसले के बाद कांग्रेस कठघरे से बाहर निकल कर लड़ने के लिए मैदान में आ खड़ी हुई है. आरोपप्रत्यारोप का खेल जारी है.

सीबीआई ने जांच में हजारों पन्ने रंगे पर इन में सुबूत नहीं थे. 2012 में सीबीआईर् ने इस मामले में 86 हजार पेज की चार्जशीट दाखिल की. कोर्ट ने 2,183 पेज के फैसले में सीबीआई और ईडी दोनों को आड़े हाथों लिया. 7 वर्षों तक चले मामले में सुबूत पेश न किए जाने के कारण सीबीआई की विशेष अदालत को सभी आरोपियों को बरी करना पड़ा.

असल में मामले में कोर्ट के समक्ष जो चार्जशीट दायर की गई थी वह तथ्यात्मक रूप से सही नहीं थी. पूरी चार्जशीट आधिकारिक रिकौर्ड की गलत व्याख्या, मामले पर पूरी तरह से अध्ययन न करने, कम अध्ययन करने और अधूरे साक्ष्यों पर आधारित थी. चार्जशीट में कई बातें तथ्यात्मक रूप से सही नहीं थीं. 7 साल में पूरी सुनवाई के दौरान यह समझना बेहद मुश्किल था कि अभियोजन पक्ष अपनी दलीलों से अदालत में क्या साबित करना चाह रहा था. अभियोजन पक्ष बेहद कमजोर दलील पेश कर रहा था और मामले में सुनवाईर् पूरी होने तक अदालत को यह साफ हो गया था कि अभियोजन पक्ष पूरी तरह दिशाहीन हो गया है. इस मामले में नियुक्त स्पैशल सरकारी वकील और सामान्य वकील बिना किसी तालमेल के अलगअलग दिशा में दलील देते पाए गए.

दूरसंचार मंत्रालय द्वारा पेश ज्यादातर दस्तावेज अवस्थित व बेतरतीब थे और मंत्रालय के नीतिगत मुद्दे पूरी तरह मामले को और पेचीदा कर रहे थे. गाइडलाइन स्पष्ट नहीं थी. अव्यवस्थित दस्तावेजों और नीतियों से संदेह पैदा होता है कि मामले को घोटाले का स्वरूप देने के लिए तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया जिस के चलते किसी को भी पूरा मामला समझ नहीं आया.

निशाने पर विनोद राय   

इस फैसले के बाद विनोद राय से माफी मांगने की मांग की जा रही है. कांग्रेस नेता आरोप लगा रहे हैं कि विनोद राय ने भाजपा के लिए यह काम किया और उस की सरकार आने पर उन्हें बीसीसीआई में प्रशासक समिति (सीओए) का महत्त्वपूर्र्ण पद दे दिया गया.

इस मामले से यह भी जाहिर है कि किसी के खिलाफ मामला दर्ज करा कर परेशान किया जा सकता है. लेकिन, इस की भरपाई करना मुश्किल है. कांग्रेस ने कहा कि जो घोटाला हुआ ही नहीं, उस के कारण उसे हारना पड़ा.

इस मुद्दे को भाजपा ने खूब भुनाया. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के इस कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता के बीच जा कर नरेंद्र मोदी ने भाषण दिए. कांग्रेस के खिलाफ घोटालों को ले कर ऐसा माहौल बना दिया गया कि देशभर में लोगों में उस के प्रति गुस्सा फैला. इसी अफवाह की बिना पर भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में आ गई.

मामले के झूठ का इतना शोर मचा कि सचाई सुनाई ही नहीं दी. सच की आवाज दब गई. अफवाह और अनुमान का मामला महाभारत युद्ध के दौरान ‘अश्वत्थामा मारा गया’ जैसा ही है.

महाभारत युद्घ में गुरु द्रोणाचार्य हस्तिनापुर राज्य के प्रति निष्ठा के कारण कौरवों के साथ थे. शस्त्र विद्या में निपुण द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा भी युद्घ में सक्रिय थे. वे कौरव सेना के एक सेनापति थे. उन्होंने भीमपुत्र घटोत्कच को परास्त किया. घटोत्कच के पुत्र अंजनपर्वा का वध किया. इन के अलावा द्रुपदकुमार, शत्रुजय, बलानीक, जायाश्रव और राजा श्रुताहु को भी मार डाला था.

पितापुत्र दोनों ने महाभारत युद्ध में पांडव सेना को तितरबितर कर दिया था. पांडवों की सेना की हार देख कर कृष्ण ने युधिष्ठिर से कूटनीति का सहारा लेने को कहा. इस योजना के तहत यह अफवाह फैला दी गई कि अश्वत्थामा मारा गया. जब द्रोणाचार्य ने धर्मराज युधिष्ठिर से अश्वत्थामा के मारे जाने की सचाई जाननी चाही तो उन्होंने जवाब दिया, ‘अश्वत्थामा मारा गया पर हाथी…’

कृष्ण ने उसी समय शंखनाद कर दिया, जिस के शोर में द्रोणाचार्य आखिरी शब्द सुन नहीं पाए. अपने प्रिय पुत्र की मौत की बात सुन कर द्रोणाचार्य ने हथियार डाल दिए. वे युद्धभूमि में आंखें बंद कर शोक अवस्था में बैठ गए. द्रोणाचार्य को निहत्था जान कर द्रौपदी के भाई द्युष्टद्युम्न ने तलवार से उन का सिर काट डाला. सेनापति अश्वत्थामा के मरने की झूठी अफवाह से कौरव सेना हताश हुई और पांडव सेना में जोश भर गया. द्रोणाचार्य की निर्मम हत्या के बाद पांडवों की जीत होने लगी. इस तरह महाभारत युद्ध में अर्जुन के तीरों और भीम की गदा से कौरवों का नाश हो गया.

अफवाह फैला कर जीत हासिल करना धर्र्म में पुरानी कूटनीति रही है. धर्म के सहारे राज चलाने वाली भाजपा को धर्र्म से ही तो इस तरह की प्रेरणा मिलती रही है. उस के नेता बातबात में धर्र्म के किस्सेकहानियां कहते सुने जा सकते हैं.

यह कैसी शराफत

इसी तरह के झूठ की एक और कथा लाक्षागृह की है. दुर्योधन और शकुनि ने पांडवों से छुटकारा पाने के लिए षड्यंत्र के तहत पुरोचन की मदद से लाक्षागृह बनवाया. लाक्षागृह ज्वलनशील चीजों से बनवाया गया ताकि आग लगने पर वहां कोई जीवित न बचे. धृतराष्ट्र द्वारा पांडवों को सलाह दी गई कि उन्हें आध्यात्मिक खोज के लिए वहां जाना चाहिए. पांचों पांडव भाई अपनी मां कुंती के साथ इस महल में रहने के लिए गए. विदुर को इस गुप्त योजना का पता चल गया था. उस ने पांडवों को गुप्त चेतावनी भेजी और एक आदमी भेजा जिस ने उस महल से सुरक्षित बच निकलने के लिए एक सुरंग बनाई.

पांडव सुरंग के जरिए लाक्षागृह से सकुशल बाहर निकल गए पर पांडवों और उन की मां की जगह महल में एक भील परिवार की स्त्री और उस के 5 बेटों को रखा गया जो जल कर मर गए. दुर्योधन और धृतराष्ट्र समेत सभी कौरवों ने भी शोक मनाने का दिखावा किया और अंत में उन्होंने पांडवों की अंत्येष्टि भी करवा दी.

लाक्षागृह के भस्म होने का समाचार जब हस्तिनापुर पहुंचा तो पांडवों को मरा समझ कर प्रजा को बहुत दुखी होना पड़ा पर प्रजा इस चालाकी व बेईमानी को समझ नहीं पाई.

जनता के साथ ऐसे घोटालों के किस्से पुराणों में भरे पड़े हैं. अफवाहों और षड्यंत्रों के माध्यम से राज हथियाने और दुश्मनों को परास्त करने के नुस्खे पुराणों में हैं. भाजपा इन्हीं से सीख ले कर आगे बढ़ती रही है.

कांग्रेसी खेमे में खुशी

अदालत का फैसला आने के बाद कांग्रेस नेता खुश हैं. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि 2जी घोटाला हमें बदनाम करने की साजिश थी. कोर्ट के फैसले ने हमारी सरकार के पक्ष को सही साबित किया है.

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि मेरी बात सिद्ध हुई है. कोई करप्शन नहीं हुआ, कोई नुकसान नहीं हुआ. अगर स्कैम है तो झूठ का स्कैम है. विपक्ष और विनोद राय के झूठ का. दोनों को माफी मांगनी चाहिए.

कांग्रेस नेताओं के जवाब में भाजपा के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली कहते हैं कि कांग्रेस इस तरह बयानबाजी कर रही है जैसे उसे कोई सम्मान मिल गया है. ‘पहले आओ, पहले पाओ’ की पौलिसी को बदल कर ‘पहले पेमैंट करो, पहले पाओ’ कर दिया गया था. यह पूरी तरह भ्रष्ट पौलिसी थी. 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा था.

नेता झूठी रिपोर्ट देने वाले विनोद राय से माफी की मांग तो कर रहे हैं पर असली माफी तो इस देश की जनता से दोनों ही पार्टियों को मांगनी चाहिए. एक ने झूठ की बिना पर सत्ता हासिल कर ली और दूसरी ने जनता को भ्रम के बीच में फंसाए रखा.

कांगे्रस और भाजपा दोनों ही पार्टियों में कोई भी दूध की धूली नहीं है. दोनों के शासन में घोटाले हुए और दोनों ने अपनेअपने बचाव के रास्ते तलाशे. दोनों ही दल एकदूसरे को फंसाने के लिए तरहतरह के हथकंडे अपनाने में पीछे नहीं रहे.

दोनों पार्टियों के नेता नौकरशाहों से मिल कर पैसा उगाहते रहे हैं. जहांजहां इन दलों की सरकारें हैं, पार्टियों के संगठन में पैसा वहीं से आता है. नौकरशाह योजना बनाते समय अपनों का खयाल रखते हैं. देश में करोड़ोंअरबों की योजनाओं में लाइसैंस, नीलामी, ठेकों में नौकरशाह अपने रिश्तेदारों को पहले ही योजनाओं का खुलासा कर फायदा उठा लेते हैं.

मसलन, राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के पास जेवर में अंतर्राष्ट्रीय हवाईर् अड्डा बन रहा है. योजना का पता सब से पहले नौकरशाही को रहता है. वह अपने रिश्तेदारों को पहले ही बता देती है कि इस जगह पर जमीन खरीद ली जाए. हवाई अड्डा बनते ही वहां की जमीन सोना उगलने लगेगी.

खास बात यह है कि ऐसे मामले भ्रष्टाचार तो हैं पर इन में सुबूत नहीं मिलते. लाइसैंस, ठेका, नीलामी में नौकरशाह और नेताओं की संलिप्तता रहती है. इस तरह के भ्रष्टाचार के अनगिनत मामले हैं पर जब कोई मामला अदालत में जाता है तो उसे सिद्ध करना बहुत मुश्किल होता है.

सुबूतों का अभाव

इस तरह का यह पहला मामला नहीं है. 80 के दशक में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कांग्रेस के खिलाफ बोफोर्स मामले का दैत्य खड़ा किया. इस में भाजपा भी शामिल थी. विश्वनाथ प्रताप सिंह आएदिन कहते थे कि बोफोर्स दलालों के नाम उन की जेब में रखी लिस्ट में हैं पर वे कभी कोईर् नाम उजागर नहीं कर पाए. जनता के सामने कांग्रेस को भ्रष्टाचार के लिए कठघरे में खड़ा किया गया.जैन हवाला कांड भी ऐसा ही था. इन मामलों में आज तक न तो  किसी को सजा हुई, न पैसा वसूल हुआ.

देश में ऐसे अनगिनत मामले होते हैं जिन में नेता और नौकरशाह नीतियां, योजनाएं बनाने से ले कर उन्हें लागू करने तक खुद और नातेरिश्तेदारों के लिए प्रत्यक्षअप्रत्यक्ष तौर पर करोड़ोंअरबों का वारान्यारा करते हैं. वे इस तरह की बेईमानी, भ्रष्टाचार करते हैं जो दिखाईर् नहीं देते और इन का कोई सुबूत नहीं होता, क्योंकि देश में भ्रष्ट सरकारी नौकरों की नीचे से ले कर ऊपर तक एक लंबी कड़ी है. वे एकदूसरे के हित साधने व बचाव करने के लिए हमेशा सतर्क रहते हैं. इस मशीनरी का एक भी पुर्जा ढीला हो तो उसे ठीक कर दिया जाता है.

देश में हजारोंलाखों भ्रष्टाचारी, सुबूतों के अभाव में अदालतों में ठहरते ही नहीं. आरोपियों को बाइज्जत बरी करने के अलावा अदालतों के पास कोई चारा नहीं होता. जातिवाद, भाईभतीजावाद को बढ़ावा और इन के नाम पर औरों को वंचित कर अपनों को फायदा पहुंचाना भी शासन व प्रशासन का भ्रष्टाचार है. हितों के टकराव जैसे अनगिनत मामले होते हैं जिन्हें अदालतों में सुबूत के साथ प्रमाणित करना बड़ा मुश्किल होता है. ऐसे भ्रष्टाचार समाज की नसनस में व्याप्त हैं.

दरअसल, 2जी स्पैक्ट्रम मामले का फैसला देश की तमाम संवैधानिक संस्थाओं के कामकाज के तरीके पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. इस मामले में साफ दिखता है कि हर संस्था अपनी भूमिका को सही और स्पष्ट ढंग से निभाने में नाकाम है. फैसले से कंप्ट्रोलर ऐंड औडिटर जनरल से ले कर सीबीआई, ईडी, दूरसंचार मंत्रालय का निकम्मापन नजर आया.

यह देश की जनता के साथ, दरअसल, धोखाधड़ी है, घोटाला है जिस के आगे अनगिनत शून्य लगते रहे हैं. ,देश की राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक तरक्की के लिए जितनी सचाई, कर्तव्यनिष्ठा राजनीतिबाजों व नौकरशाहों की होनी चाहिए उतनी ही सतर्कता व जागरूकता जनता में भी होनी की आवश्यक है.

जनता के साथ जबरन वसूली

सरकार ने आधारकार्ड के नाम पर इतना कन्फ्यूजन पैदा कर दिया है कि नर्सरी में 3-4 साल के बच्चों से ले कर बैंकों की अलगअलग सेवाओं में इसे लिंक करने के नियम थोपे जा रहे हैं. अभिभावकों की इस परेशानी का फायदा एजेंट्स और आधारकार्ड बनवाने वाले इस तरह उठा रहे हैं कि जिस आधार कार्ड को निशुल्क बनाने का सरकारी नियम है, उस के पैसे लिए जा रहे हैं.

पूर्वी दिल्ली का कृष्णानगर इलाके के मेनमार्केट में ऐसे ही आधारकार्ड बनाने वाले ने एक दुकाननुमा औफिस खोल रखा है जो फोटोकौपी स्कैन करने व औनलाइन टिकट बुक कराने का काम करता है. जब उस के पास बच्चे का आधारकार्ड बनवाने गए तो भीड़ के सामने उस ने यह कह कर मना कर दिया अब 1 महीने से आधारकार्ड बनाने बंद कर दिए हैं जबकि बाद में वह अगले दिन शाम को 6 बजे 350 रुपए ले कर आने को कहता है और बदले में आधारकार्ड बनाने का वादा भी. यह खेल सरकारी लापरवाही व नियमित केंद्र न बनाने की वजह से खेला जा रहा है. अगर सरकार आधारकार्ड के स्थाई केंद्र निर्धारित कर दे तो सरकार की निशुल्क सेवाओं के लिए जनता को अपनी जेब न ढीली करनी पड़े.

इसी तरह आय प्रमाणपत्र, गैस कनैक्शन, राशनकार्ड से ले कर ड्राइविंग लाइसैंस बनाने के सारे काम ऐसे ही जबरन अतिरिक्त पैसे दे कर करवाने पड़ते हैं. सीधे रास्ते और खाली जेब से इन कामों में इतने पेचीदा नियमकानून के अड़ंगे डाले जाते हैं कि आमजन भी पैसा दे कर काम निबटाने में भलाई समझता है. भ्रष्टाचार व जनता के साथ ठगी यहीं से शुरू हो कर बड़ेबड़े घोटालों तक पहुंचती है.

भारत में ज्यादा गरीबी क्यों, इस रिपोर्ट में आप भी जानिए

हमारा देश प्राचीन काल से गरीब है. गुलामी बाद में आई, गरीबी तो सनातन है. भारत एक ही सनातन धर्म को जानता है, वह है गरीबी. हम लोग जो कहानियां सुनते आ रहे हैं कि भारत सोने की चिडि़या था, उन कहानियों में विश्वास मत करो क्योंकि जिन के लिए भारत एक सोने की चिडि़या था, उन के लिए आज भी सोने की चिडि़या है. वे थोड़े से लोग हैं लेकिन अधिकतर लोगों के लिए कहां सोना, कैसी सोने की चिडि़या? ज्यादातर लोग गरीब और सदा से भूखे रहे. इसलिए कुछ लोग सोने के महल खड़े कर सके.

वास्तव में गरीबों का नाजायज फायदा उठा कर कुछ लोग अमीर बन गए. हम हमेशा से ही भयानक हीनता की भावना से पीडि़त रहे हैं, इसलिए गरीब हैं. हम क्या कर सकते हैं?

हम अवश हैं, विवश हैं. हम किसी न किसी के पीछे भेड़ की तरह चलेंगे, पंडितपुरोहितों का अंधानुकरण करेंगे क्योंकि हीन व्यक्ति कर ही क्या सकता है. उस की सामर्थ्य कितनी? वह हमेशा किसी का पल्लू पकड़ कर ही चलेगा. वह तो भेड़ है, आदमी नहीं. ऐसा आदमी कभी उन्नति नहीं करेगा, हमेशा गरीब ही रहेगा.

हर मानव के जीवन में जन्म और मृत्यु निश्चित है, बाकी कुछ भी निश्चित नहीं है. मानव के जन्म के बाद उसे जीने का अधिकार है चाहे वह गरीब के घर या अमीर के घर में पैदा हो. अगर परिवार के पास रहने के लिए अपना मकान, पेट भर खाना और पहनने के लिए कपड़े नहीं हैं तो हम उसे गरीब परिवार कहेंगे और उस परिवार के सदस्यों को हम गरीब कहेंगे.

society

इस दुनिया में साधारणतया 3 प्रकार के लोग हैं. एक, गरीब श्रेणी के लोग जिन के पास 3 मूलभूत चीजें रोटी, कपड़ा और मकान नहीं है. दूसरे, मध्य श्रेणी के लोग जिन के पास उपरोक्त 3 आवश्यकताओं में से 2 या 1 आवश्यकता की कमी है और तीसरे, संपन्न लोग जिन के पास तीनों चीजें हैं. कुछ लोग जन्म से ही गरीब परिवार में पैदा होते हैं और कुछ परिस्थितिवश गरीब हो जाते हैं.

गरीबी की यह भौतिकवादी परिभाषा है. कुछ लोग आर्थिक दृष्टि से संपन्न हैं लेकिन मानसिक या शारीरिक दृष्टि से गरीब हैं. लेकिन साधारणतया ऐसे लोगों को गरीब नहीं कहते, क्योंकि उन के पास इलाज करवाने के लिए पर्याप्त धन है.

हमारे देश में 65 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा के नीचे अपना जीवनयापन कर रहे हैं. खासकर गांवों में 72 प्रतिशत अधिक गरीब लोग रहते हैं क्योंकि ये लोग थोड़ी सी जमीन पर खेती कर के अपना जीवनयापन करते हैं और बिना पानी के खेती मानसून पर निर्भर है. ये लोग खेती से केवल खाने के लिए सालभर का अनाज पैदा कर पाते हैं. गांवों में मजदूरी का काम भी कम मिलता है. इतना ही नहीं, गांव में अधिकतर लोग शादियों में खर्च, मृतक पर खर्च और अन्य धार्मिक कार्यों पर खर्च करते हैं जिस से वे कर्ज में डूबे रहते हैं और हमेशा गरीब ही बने रहते हैं.

कुछ मिस्त्री, कारीगर और मजदूर इतना कमाते हैं कि वे अपने छोटे परिवार का जीवनयापन कर सकते हैं, लेकिन वे हमेशा शाम को नशा करते हैं और व्यसनी हो जाते हैं. नशा चाहे शराब का हो या तंबाकू का या नशीली जड़ीबूटियों का हो, सभी नशे मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और इन में पैसा खर्च होता है व उन के परिवार गरीबी में दिन काटते हैं. कुछ व्यसनी शरीर से इतने कमजोर हो जाते हैं कि वे अपना काम करने में असमर्थ हो जाते हैं और उन की औरतें घरों में झाड़ूपोंछा व बरतन साफ कर के पैसा कमाती हैं. जब तक लोग नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं छोड़ेंगे तब तक गरीबी उन का पीछा नहीं छोड़ेगी.

धर्म की घुट्टी

बचपन से ही सभी भारतवासियों के घरों में धर्म की घुट्टी पिलाई जाती है. जीवन में कुछ अजीब घटनाओं के डर और कुछ सवालों के जवाब न मिलने पर हम इन रहस्यों को अंधविश्वास का रूप दे देते हैं. देश में धर्मगुरुओं की समृद्ध परंपरा रही है. धर्मगुरुओं के भाषणों द्वारा लोगों को दान करने के लिए प्रेरित किया जाता है, क्योंकि दान करने को सब से बड़ा पुण्य माना जाता है. भोलेभाले गरीब लोग केवल मंदिरों में अपनी हैसियत से ज्यादा दान दे कर ही नहीं लुटते आए हैं, बल्कि वे ढोंगी बाबाओं के जगहजगह आश्रमों के जाल में फंसते रहे हैं.

छोटीबड़ी समस्याएं हरेक के जीवन में आती हैं लेकिन ये लोग इन्हीं समस्याओं का हल ढोंगी बाबाओं के आश्रमों में दान दे कर ढूंढ़ने लगते हैं. लाइलाज बीमारी से ग्रस्त लोग, निसंतान दंपती, परिवार में कलह से दुखी, गरीब और बेरोजगार लोग ढोंगी बाबाओं के चंगुल में फंस कर लुटते नजर आते हैं. यह सब से बड़ा कारण है कि हमारे देश में गरीबी बढ़ रही है.

हमारे देश में अधिकतर गरीब लोग धार्मिक हैं और सरकार द्वारा समझाए नारे- ‘हम दो हमारे दो’ को अस्वीकार कर के 2 से अधिक संतानों में विश्वास रखते हैं क्योंकि घर में जितने हाथ बढ़ेंगे उतने लोग मजदूरी कर के पैसा कमाएंगे और घर का खर्च चलाने में सहायक होंगे. लेकिन घर में अधिक सदस्यों के कारण जीवनयापन मुश्किल से हो पाता है. वास्तव में जनसंख्या में वृद्धि हमारे समाज और देश के लिए घातक है. इस से भी गरीबी बढ़ती जा रही है.

डा. मारथा फरहा (प्रोफैसर, विश्वविद्यालय, पैन्सिलवेनिया) के मुताबिक गरीबी में पलने वाले बच्चों की कार्य करने में स्मरणशक्ति की क्षमताएं मध्यम श्रेणी में पलने वाले बच्चों से कम होती है. काम करने में स्मरणशक्ति का अर्थ है रोजाना के कामों को करने की क्षमता, जैसे फोन नंबरों को याद रखना. यहां तक भाषाओं को समझने का काम, पढ़ना और प्रतिदिन की समस्याओं को हल करना भी उन के लिए दुसाध्य कार्य है. उन लोगों को प्रसिद्ध युद्ध की तारीख याद रखना और यहां तक कि साइकिल चलाना भी दुसाध्य लगता है.

डा. फरहा के बाद मेरी इवांस और माइकल स्केम्बर्ग (कोर्नेल विश्वविद्यालय) ने इस विषय पर विस्तृत रूप से अध्ययन किया. उन्होंने नैशनल साइंस एकेडमी के साप्ताहिक जर्नल को बताया कि गरीब बच्चों में तनाव के कारण स्मरणशक्ति की क्षमता कम हो जाती है, जो उन के विकसित हो रहे दिमाग पर असर करती है. बच्चे के पैदा होने पर उस का भार, बच्चे की माता की उम्र, माता की शिक्षा और शादी के बाद पति से संबंध का बच्चों पर कोई असर नहीं पड़ता, लेकिन बच्चों की तनावपूर्ण जिंदगी उन को शिक्षाग्रहण करने नहीं देती. गरीब आदमी भी तनावग्रस्त हो जाते हैं क्योंकि उन्हें अपना भविष्य निश्चित नजर नहीं आता.

माइकल मारमोट ने पता लगाया है कि गरीबी से तनावयुक्त लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. सरकार को इन गरीब बच्चों के तनाव को कम करने की कोशिश करनी चाहिए जिस से शिक्षा हासिल करने में वे दिलचस्पी लें अन्यथा गरीबों के तनावयुक्त बच्चे शिक्षा ग्रहण नहीं करते और गरीब ही रहते हैं.

हमारी सरकार पैट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ाती है तो सभी वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं. महंगाई लोगों के जीवन स्तर को नीचे धकेल रही है. महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है और मध्यम श्रेणी वाले भी गरीबी में दिन गुजारने लगे हैं.

आत्मकेंद्रित संपन्न वर्ग

देश के लोग बुद्धिमान तो हैं किंतु बुद्धि का उपयोग किस दिशा में होना चाहिए, यह नहीं जानते. धनी लोग निर्बल, कमजोर व गरीब लोगों के साथ आत्मीयता से जुड़ें क्योंकि उन से कट कर किसी का भला होने वाला नहीं है. अंबानी बंधुओं में अपनी बीवियों को तोहफे देने की होड़ मची है. मुकेश अंबानी ने अपनी पत्नी के लिए 242 करोड़ रुपए का जेट विमान खरीद कर दिया तो अनिल अंबानी ने अपनी पत्नी को 400 करोड़ रुपए का लग्जरी फ्लैट तोहफे में दे डाला. इन धनी लोगों के पास देश की गरीब जनता के कल्याण के बारे में सोचने तक का समय नहीं है.

बौलीवुड के चमकते सितारे अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान और अन्य सितारों ने इतना पैसा कमाया है कि वे करोड़ों रुपए अनावश्यक वस्तुएं खरीदने में खर्च करते हैं लेकिन वे देश के भूखे, गरीब व सड़कों पर सोने वाली जनता के कल्याण के बारे में नहीं सोचते. धनी आदमी आत्मकेंद्रित और स्वार्थी होते हैं जो अपने देश की गरीब जनता के कल्याण के बारे में नहीं सोचते. देश के लोगों में मन की एकाग्रता, संकल्पशीलता और प्रशिक्षण का अभाव है, इसलिए धनी आदमी धनी होता जा रहा है और गरीबी बढ़ती जा रही है.

देश को आजाद हुए 69 वर्ष हो गए. सभी राजनीतिक पार्टियां देश से गरीबी को हटाने का वादा करती रही हैं, लेकिन गरीबी तो नहीं हटी. हां, गरीब नेता रातोंरात अमीर जरूर बन रहे हैं. देश में भ्रष्टाचार और हर स्तर पर रिश्वत लेने का बोलबाला है. नेता मस्त है, जनता त्रस्त है. दुनिया की कुल गरीब जनसंख्या की 32.5 प्रतिशत गरीब जनता भारत में है.

सरकारी टैक्स वसूली

सरकार जनता की गाढ़ी कमाई से विभिन्न प्रकार के टैक्स वसूल कर सरकारी खर्चों में व्यर्थ बरबाद करती है जिस के कारण भी देश में गरीबी बढ़ रही है.

दुनिया के सभी देश अपनेअपने विकास में लगे हुए हैं. दुनिया में हर दिशा में विकास हो रहा है. मनुष्य भी निरंतर विकास करता जा रहा है. विकास के आधार पर हम विश्व के देशों को 3 भागों में बांट सकते हैं,  विकासशील राष्ट्र और विकसित राष्ट्र, अविकसित राष्ट्र. जहां अधिक कलकारखाने हैं वे उन्नतिशील यानी विकासशील राष्ट्र हो गए. विकसित राष्ट्रों में मानव जाति के लिए अनावश्यक बातें ज्यादा हैं. मनुष्य के लिए सब से आवश्यक है, रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, चिकित्सा आदि. वे राष्ट्र जिन के करोड़ों नागरिक दो वक्त खाने को तरसते हैं, वे अविकसित राष्ट्र हैं. विकसित राष्ट्र अरबों रुपयों के हथियार खरीद रहे हैं और ऐसे भवनों का निर्माण कर रहे हैं जिन की मानव को आवश्यकता नहीं है.

society

विदेशों में अपेक्षाकृत गरीबी कम है. बैल्जियम में रहने वाले युवक से पता चला कि बैल्जियम की धरती पर कोई पहुंचे और वह रोटी, कपड़ा व मकान जैसी जरूरतों से वंचित रहे, यह वहां की सरकार को मंजूर नहीं. हमारी भारत सरकार भी ऐसी व्यवस्था कर दे तो कितनी अच्छी बात होगी. हमारी सरकार चांद पर पहुंचने की योजना बना रही है लेकिन मूलभूत समस्या गरीबी की है, उसे मिटाने की बात कम करती है.

सरकारी प्रशासन में उच्च पदों पर बैठे कुछ अफसरों और नेताओं में संकल्पशक्ति का अभाव है और वे अनैतिक कार्य कर के अरबों रुपयों का गबन कर के रातोंरात अमीर बन गए हैं. लेकिन वे गरीब जनता के बारे में बिलकुल नहीं सोचते.

उदाहरण के लिए बिहार में नए कुओं की खुदाई की योजना बनी थी. इस योजना के अंतर्गत एक हजार कुएं खोदे गए लेकिन वास्तव में एक भी कुआं नहीं खोदा गया, लेकिन पता चला कि सरकारी फाइलों में कुओं की खुदाई और खुदाई में लगे खर्च की रकम दर्ज हो चुकी है. यह अनैतिकता की पराकाष्ठा है. हमारी सरकार के प्रशासन में अफसर और नेता मानसिक एकाग्रता (नैतिकता) का प्रशिक्षण ले कर कार्यक्षेत्र में काम करें तो 5 क्या, 3 वर्षों में ही देश की गरीबी समाप्त हो सकती है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें