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आतंक पर बेअसर धौंस

‘‘जब तक पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंक फैलाना और सैनिकों पर फायरिंग बंद नहीं करता, तब तक दोनों देशों के बीच क्रिकेट सीरीज की कोई संभावना नहीं है,’’ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस बयान से आम लोगों को कोई खास हैरत नहीं हुई. जब भी सीमापार से पाकिस्तान अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देता है तबतब राजनीति गरमाने के लिए ऐसी बयानबाजी करना आम बात है.

पाकिस्तान के साथ क्रिकेट न खेलने की बयानबाजी से यह जताने की कोशिश की जाती है कि आतंकी गतिविधियां अब बरदाश्त के बाहर हो चली हैं और क्रिकेट न खेलना ही इस का एकलौता हल है.

यह दीगर बात है कि पाकिस्तान ने कभी इन सियासी धमकियों को संजीदगी से लेना तो दूर की बात है, भारत के साथ क्रिकेट खेलने तक की कोई उत्सुकता या पेशकश नहीं की है. फिर ऐसे बयानों के माने क्या रह जाते हैं? इस सवाल का जबाब भी उतना ही बेमानी है जितना यह कि पाकिस्तान अपनी बेजा हरकतों से न पहले कभी बाज आया था न अब उस से यह उम्मीद करनी चाहिए.

दरअसल, यह सियासी क्रिकेट है जिस की पिच पर दोनों देशों के नेता ऐसी निरर्थक बयानबाजी कर सनसनी फैलाने की कवायद करते रहते हैं. विलाशक आतंक एक गंभीर समस्या है लेकिन क्रिकेट न खेला जाना इस का हल होता तो बात कभी की बन चुकी होती. अब तो क्रिकेट अपनेआप में एक धर्म बन चुका है. जब भी भारतपाकिस्तान आमनेसामने होते हैं तबतब इस का रोमांच शबाब पर होता है और लोग हारजीत को स्टेडियम से हट कर सरहद से जोड़ कर देखने लगते हैं.

लगता ऐसा है जैसे क्रिकेट का मैच जंग का आगाज है और इसी में फैसला होना है कि कौन किस पर भारी है. हकीकत में क्रिकेट तो नेता खेल रहे होते हैं जिन्हें यह एहसास रहता है कि भारतपाकिस्तान के बीच के मैच हद से ज्यादा रोमांचक होते हैं, इस खेल में दोनों देश एकदूसरे के परंपरागत प्रतिद्वंदी होते हैं और हारजीत को सीधे राष्ट्रीयता से जोड़ कर देखते हैं.

ऐसे बयान अकसर तभी दिए जाते हैं जब नेता हताश हो चुके होते हैं. सुषमा स्वराज के इस बयान से संदेश तो यही गया कि अब सरकार के पास कहने और करने को कुछ बचा नहीं है. क्रिकेट न खेलने की धौंस सरकार का आखिरी हथियार होती है. अब तो विदेश मंत्री यह भी कह रही हैं कि किसी न्यूट्रल वेन्यू यानी तीसरे देश में भी भारत पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलेगा.

इस एकतरफा बहिष्कार से न तो आतंक की समस्या हल होने वाली है और न ही पाकिस्तान की सेहत पर कोई फर्क पड़ने वाला. हां, इतना जरूर है कि क्रिकेट प्रेमियों ने मान लिया है कि अब लंबे समय तक क्रिकेट का रोमांच उन्हें देखने को नहीं मिलेगा और इस में अगर कोई देशहित छिपा है तो वे हालात सुधरने तक सब्र कर लेंगे.

लेकिन अहम बात यह है कि क्रिकेट की आड़ में राजनीति होती है जिस से किसी को कुछ हासिल नहीं होता. ऐसे बयान पहले भी आते रहे हैं और आगे भी आते रहेंगे, जिन का कोई कूटनीतिक महत्त्व भी नहीं होता और न ही दुश्मन देश के हौसले पस्त होते हैं.

गौरतलब है कि भारत व पाकिस्तान के बीच बीते 5 वर्षों से कोई क्रिकेट सीरीज नहीं खेली गई है. इस के बाद भी सीमापार आतंकी गतिविधियां यथावत हैं तो जाहिर है कि क्रिकेट न खेलने की धमकी एक सियासी टोटका है जिसे सुनने के लिए हर भारतीय हमेशा तैयार रहता है.

IPL-11 नीलामी : किसे किसने खरीदा, एक क्लिक में पढ़ें पूरी लिस्ट

IPL के 11वें सीजन के लिए 27 और 28 जनवरी को बेंगलुरु में प्लेयर्स की आक्शन हुई. इस नीलामी में कुल 169 प्लेयर्स को 8 अलग-अलग टीमों ने खरीदा. इस दौरान कई प्लेयर्स ऐसे रहे, जो पहले राउंड में नहीं बिके, लेकिन दूसरे राउंड में उन्हें किसी ना किसी टीम ने खरीद लिया. हालांकि इसके बाद भी कई बड़े प्लेयर्स ऐसे रह गए, जिन्हें खरीदने में किसी ने भी दिलचस्पी नहीं दिखाई.

लोकेश राहुल और मनीष पांडे जैसे भारतीय खिलाडिय़ों पर शनिवार को आईपीएल की नीलामी में फ्रेंचाइजी ने काफी धनराशि खर्च की जबकि इंग्लैंड के हरफनमौला बेन स्टोक्स सबसे महंगे बिके. फ्रेंचाइजियों ने घरेलू खिलाडिय़ों को अधिक तवज्जो दी जिससे अधिकांश भारतीय खिलाडियों के लिए अच्छी बोली लगी. इंडियन प्रीमियर लीग नीलामी के पहले दिन बिके खिलाडियों की सूची इस प्रकार है.

चेन्नई सुपर किंग्स

केदार जाधव (7.80 करोड़ रुपए), ड्वेन ब्रावो (6.40 करोड़ रुपए), कर्ण शर्मा (5 करोड़ रुपए), शेन वाटसन (4 करोड़ रुपए), अंबाती रायडू (2.20 करोड़ रुपए), हरभजन सिंह (2 करोड़ रुपए), फाफ डु प्लेसिस (1.60 करोड़ रुपए), इमरान ताहिर (1 करोड़ रुपए).

दिल्ली डेयरडेविल्स

ग्लेन मैक्सवेल (9 करोड़ रुपए), कागिसो रबादा (4.20 करोड़ रुपए), अमित मिश्रा (4 करोड़ रुपए), विजय शंकर (3.20 करोड़ रुपए), राहुल तेवतिया (3 करोड़ रुपए), मोहम्मद शमी (3 करोड़ रुपए) , गौतम गंभीर (2.80 करोड़ रुपए), कौलिन मुनरो (1.90 करोड़ रुपए), जेसन राय (1.50 करोड़ रुपए), पृथ्वी शॉ (1.20 करोड़ रुपए), अवेश खान (70 लाख रुपए) और हर्षल पटेल (20 लाख रुपए).

किंग्स इलेवन पंजाब

लोकेश राहुल (11 करोड़ रुपए), रविचंद्रन अश्विन (7.60 करोड़ रुपए), आरोन फिंच (6.20 करोड़ रुपए), मार्कस स्टोइनिस (6.20 करोड़ रुपए), करुण नायर (5.60 करोड़ रुपए), अंकित सिंह राजपूत (3 करोड़ रुपए), डेविड मिलर (3 करोड़ रुपए), युवराज सिंह (2 करोड़ रुपए), मयंक अग्रवाल (1 करोड़ रुपए).

कोलकाता नाइट राइडर्स

क्रिस लिन (9.60 करोड़ रुपए), मिशेल स्टार्क (9.40 करोड़ रुपए), दिनेश कार्तिक (7.40 करोड़ रुपए), रॉबिन उथप्पा (6.40 करोड़ रुपए), कुलदीप यादव (5.80 करोड़ रुपए), पीयूष चावला (4.20 करोड़ रुपए), नीतीश राणा (3.40 करोड़ रुपए), कमलेश नागरकोट्टी (3.20 करोड़ रुपए), शुभमान गिल (1.80 करोड़ रुपए), इशांक जग्गी (20 लाख रुपए).

मुंबई इंडियंस

क्रुणाल पंड्या (8.80 करोड़ रुपए), ईशान किशन (6.2 करोड़ रुपए), कीरोन पोलार्ड (5.40 करोड़ रुपए), पैट कमिंस (5.40 रुपए), सूर्यकुमार यादव (3.20 करोड़ रुपए), मुस्तफिजुर रहमान (2.20 करोड़ रुपए).

राजस्थान रायल्स

बेन स्टोक्स (12.50 करोड़ रुपए), संजू सैमसन (8 करोड़ रुपए), जोफ्रा आर्चर (7.2 करोड़ रुपए), जोस बटलर (4.40 करोड़ रुपए), अजिंक्य रहाणे (4 करोड़ रुपए), डार्सी शॉर्ट (4 करोड़ रुपए), राहुल त्रिपाठी (3.40 करोड़ रुपए), स्टुअर्ट बिन्नी (50 लाख रुपए).

रायल चैलेंजर्स बेंगलूरु

क्रिस वोक्स (7.40 करोड़ रुपए), युजवेन्द्र सिंह चहल (6 करोड़ रुपए), उमेश यादव (4.20 करोड़ रुपए), ब्रेंडन मैकुलम (3.60 करोड़ रुपए), नवदीप सैनी (3 करोड़ रुपए), क्विंटन डि कौक (2.80 करोड़ रुपए), कौलिन डि ग्रैंडहोमे (2.20 करोड़ रुपए), मोईन अली (1.70 करोड़ रुपए), मनन वोहरा (1.10 करोड़ रुपए), कुलवंत खेजरोलिया (85 लाख रुपए) और अनिकेत चौधरी (30 लाख रुपए).

सनराइजर्स हैदराबाद

मनीष पांडे (11 करोड़ रुपए), राशिद खान (9 करोड़ रुपए), शिखर धवन (5.20 करोड़ रुपए), रिद्धिमान साहा (5 करोड़ रुपए), सिद्धार्थ कौल (3.8 करोड़ रुपए), दीपक हुड्डा (3.6 करोड़ रुपए), सैयद खलील अहमद (3 करोड़ रुपए), केन विलियमसन (3 करोड़ रुपए), कार्लोस ब्रेथवेट (2 करोड़ रुपए), शाकिब अल हसन (2 करोड़ रुपए), यूसुफ पठान (1.90 करोड़ रुपए), बासिल थम्पी (95 लाख रुपए) , टी नटराजन (40 लाख रुपए) और रिकी भुई (20 लाख रुपए).

खास बातें

– साल 2018 के लिए हुई IPL नीलामी में 8 अलग-अलग टीमों ने मिलकर करीब 432 करोड़ रुपए खर्च किए और 169 प्लेयर्स को खरीदा.

– शनिवार को हुई पहले दिन की नीलामी में 78 क्रिकेटर्स बिके थे, वहीं रविवार को 91 क्रिकेटर्स के लिए बोलियां लगीं.

– भारत की ओर से जयदेव उनादकट सबसे ज्यादा कीमत पाने वाले प्लेयर रहे. उन्हें राजस्थान ने 11.5 करोड़ रुपए में खरीदा.

– दो राउंड तक अनसोल्ड रहे क्रिस गेल को तीसरे राउंड में किंग्स इलेवन पंजाब टीम ने 2 करोड़ में खरीद लिया.

– नीलामी के दूसरे दिन 20 लाख की बेस प्राइस वाले गौतम कृष्णप्पा 31 गुना ज्यादा कीमत पर सोल्ड हुए.

– श्रीलंकाई क्रिकेटर और IPL हिस्ट्री में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले लसिथ मलिंगा को इस सीजन के लिए किसी टीम ने नहीं खरीदा. मलिंगा के नहीं बिकने के पीछे उनकी उम्र, उनका खराब फार्म और लगातार चोटिल होने को वजह माना जा रहा है.

पहले दिन नहीं बिकने वाले खिलाड़ी

जेम्स फाकनर, जोश हेजलवुड, मिशेल जौनसन, मुरली विजय, क्रिस गेल, जौनी बैयरस्टो, हाशिम अमला, जो रूट, एडम जम्पा, पार्थिव पटेल, सैम बिलिग्स, सैमुएल बद्री, टिम साउथी, मिशेल मैकलेनघन, लसिथ मलिंगा, मार्टिन गुप्टिल, नमन ओझा, इशांत शर्मा, ईश सोढ़ी, बेन मैकडरमोट, अंकुश बैंस, आदित्य तारे, निखिल शंकर नाइक, सिद्धेश दिनेश लाड, शिवम दुबे, जितेश शर्मा, विष्णु विनोद, शेल्डन जैक्सन, प्रशांत चोपड़ा, हिमांशु राणा और रजनीश गुरबानी.

जीवन का सफर

नश्तर चुभाचुभा के मेरी जान ली गई

कर के इक साजिश मेरी पहचान ली गई

वो सच का फरिश्ता मुसकराता था बहुत

इसी के चलते उस की मुसकान ली गई

सचाई उस की बन गई आंख की किरकिरी

तभी तो उस को उड़ाने की ठान ली गई

उस की मदद को आया कोई न सामने

उस पर हरेक बंदूक तान दी गई

जीवन के सफर में रहा वह प्यासा सदा

मौत से पहले मंशा उस की मान ली गई.

– हरीश कुमार ‘अमित’

आईपीएल नीलामी के बीच कोहली ने सहवाग को ये क्या कह दिया

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 11 सीजन के लिए हुई नीलामी के दूसरे दिन यानी रविवार को जयदेव उनादकट सबसे महंगे प्लेयर साबित हुए हैं. राजस्थान रौयल्स ने जयदेव को 11 करोड़ 50 लाख रुपए में खरीदा है. जहां इस वक्त बेंगलुरु के आईटीसी गार्डेनिया होटल में आईपीएल की नीलामी की जा रही है तो वहीं इंडियन क्रिकेट टीम साउथ अफ्रीका के दौरे पर है.

दक्षिण अफ्रीका और भारत की क्रिकेट टीमों के बीच तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खत्म हो चुकी है. इस सीरीज पर अफ्रीका ने 2-1 से कब्जा किया है. अब 1 फरवरी से दोनों टीमों के बीच 6 वनडे मैचों की सीरीज खेली जानी है. टीम इंडिया भले ही हजारों मील दूर है, लेकिन हर क्रिकेटर की नजर इस वक्त बेंगलुरु में हो रही आईपीएल की नीलामी पर टिकी हुई है. कप्तान विराट कोहली की नजरें भी नीलामी पर ही रही होंगी.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, जोहान्सबर्ग के होटल से निकलते वक्त विराट कोहली ने पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग के बारे में कुछ ऐसा कहा है, जो आपको काफी हैरान करेगा. रिपोर्ट के मुताबिक, कोहली को “वीरू पा पागल हो गए हैं.” कहते हुए सुना गया. हालांकि, यह साफ है कि कोहली ने यह बात बेहद हल्के मूड में कही.

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कोहली ने ऐसा क्यों कहा इसके बारे में ठीक तरह से कुछ जानकारी तो नहीं है, लेकिन कहा जा रहा है कि इसका कनेक्शन आईपीएल नीलामी से हो सकता है. किंग्स इलेवन पंजाब की टीम का चयन करने के लिए वीरेंद्र सहवाग भी मौजूद हैं. नीलामी के पहले दिन पंजाब ने लगातार पांच खिलाड़ियों पर बोली लगाई तो सभी हैरान रह गए. सहवाग ने तो ट्वीट करके टीम की को-ओनर प्रीति जिंटा पर चुटकी ली कि महिलाएं जब शौपिंग करने जाती हैं तो सब कुछ खरीदना चाहती हैं.

वहीं, टीम पंजाब ने राहुल को शनिवार के दिन 11 करोड़ रुपए में खरीदा. ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि कोहली ने सहवाग के लिए यह बात केएल राहुल को खोने की वजह से कही है या कुछ और कारण है. दरअसल, केएल राहुल इससे पहले रौयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की तरफ से आईपीएल खेलते थे, तो ऐसा भी हो सकता है कि विराट कोहली को केएल राहुल के टीम में ना होना अखर रहा हो. इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि कोहली ने यह बात पंजाब की ओर से लिए जा रहे फैसलों को लेकर कही हो.

बता दें कि नीलामी के पहले दिन पंजाब ने केएल राहुल को 11 करोड़ रुपए में खरीदा तो वहीं मनीष पांडे को भी सनराइजर्स हैदराबाद ने 11 करोड़ रुपए में खरीदा. पहले दिन राहुल और मनीष पांडे सबसे महंगे बिकने वाले भारतीय खिलाड़ी बने. इसके अलावा इंग्लैंड के हरफनमौला खिलाड़ी बेन स्टोक्स अब तक के सबसे महंगे खिलाड़ी बने. उन्हें राजस्थान ने 12.50 करोड़ रुपए में खरीदा.

अगर आपको चाहिए सस्ता रेल टिकट, तो ऐसे करें बुक

अगर आप अक्सर ही ट्रेन से सफर करते हैं, उसके किराए को लेकर चिंतित हैं और अब रेल में सफर करना धीरे-धीरे महंगा पड़ता जा रहा है, तो चिंता छोड़ दीजिए. ऐसा इसलिए क्योंकि आज हम आपको रेलवे टिकट बुकिंग से जुड़ी एक खुशखबरी देने जा रहा हैं.

रेलवे टिकट बुकिंग को लेकर नई प्रणाली लाने पर विचार कर रही है. इस सिस्टम के तहत अगर आप रेल सफर के लिए एडवांस में टिकट बुक कराएंगे तो आने वाले समय में टिकट सस्ता हो सकता है. दरअसल, रेलवे ने एयरलाइंस की तर्ज पर ही ट्रेनों में ग्रेडेड डिस्काउंट सिस्टम लागू करने की तैयारी की है. सब ठीक रहा तो यह योजना जल्द ही लागू की जा सकती है.

इस योजना के लागू होने के बाद आपको पहले से रेल सफर के लिए टिकट बुकिंग करने पर कम किराया देना होगा, वहीं जितनी देर से बुकिंग करेंगे आपको किराया उतना ही ज्यादा चुकाना होगा. ठीक उसी प्रकार जिस तरह हवाई जहाज की सीटें कम होते जाने पर आपको ज्यादा किराया चुकाना पड़ता है.

रेलवे बोर्ड को यह सुझाव किराया पुनरीक्षण समिति ने दिया है. इसमें यह कहा गया है कि सफर के लिए एडवांस टिकट बुक कराने वालों को 20 से लेकर 50 प्रतिशत तक की छूट किराये में दी जा सकती है. ऐसे में किसी ट्रेन में सीटें बुक होते जाने पर किराया बढ़ता जाएगा.

हालांकि पहला चार्ट बन जाने के बाद (ट्रेन चलने से चार घंटे पहले) तक सीट खाली रहने पर एक बार फिर किराया घटाया जाएगा. हवाई जहाज में भी ऐसा ही होता है. खाली सीटों के बदले कुछ भी किराया वसूल करने की यह योजना रेलवे भी लागू करेगा. हालांकि दिल्ली और मुंबई रूट पर ट्रैफिक बहुत अधिक होने से यात्रियों को इसका लाभ मिलना मुश्किल है.

इन शब्दों को मिलाकर बनता है देश का बजट, जानें विस्तार से

बजट की प्रिंटिंग शुरू हो गई है. वित्त मंत्री अरुण जेटली देश का आम बजट 1 फरवरी को पेश करेंगे. आम आदमी से लेकर इंडस्ट्री को इस बार के बजट से काफी उम्मीदें हैं. हालांकि, बजट आने के बाद ही पता चलेगा कि ये कितना उम्मीदों पर खरा उतरता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि बजट में कुछ ऐसे शब्दों की प्रयोग किया जाता है, जिनका मतलब बहुत ही कम लोगों को पता होता है. आइए, जानते हैं बजट से जुड़े कुछ ऐसे शब्द जिनके बारे में बहुत कम लोगों को ही पता होता है.

जानिए कौन से हैं ये शब्द

सेंट्रल प्लान आउटले (Central plan outlay)

यह बजटीय योजना का वह हिस्सा होता है, जिसके तहत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के लिए संसाधनों का बंटवारा किया जाता है.

डायरेक्ट टैक्स (Direct tax)

डायरेक्ट टैक्स वह टैक्स होता है, जो व्यक्तियों और संगठनों की आमदनी पर लगाया जाता है, चाहे वह आमदनी किसी भी स्रोत से हुई हो, जैसे निवेश, वेतन, ब्याज आदि. इनकम टैक्स, कौरपोरेट टैक्स आदि डायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं.

इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect tax)

ग्राहकों द्वारा सामान खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के दौरान उन पर लगाया जाने वाला टैक्स इनडायरेक्ट टैक्स कहलाता है. कस्टम्स ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी आदि इनडायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं.

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कस्टम्स ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी (Custom Duty and Excise Duty)

कस्टम्स ड्यूटी वह चार्ज होता है जो देश में आयात होने वाले सामानों पर लगाया जाता है. एक्साइज ड्यूटी वह चार्ज होता है जो देश के भीतर बनाए जाने वाले सामानों पर लगाया जाता है.

आम बजट और अंतरिम बजट (Union Budget and Interim Budget)

बजट सरकार के सालाना खर्च का ब्यौरा होता है. इसके जरिए सरकार की प्राप्तियों और खर्च का लेखा-जोखा पेश किया जाता है. चुनाव वाले साल के दौरान अंतरिम बजट पेश किया जाता है, अन्यथा केंद्र सरकार हर साल आम बजट पेश करती है.

अनुदान मांगें

बजट में शामिल सरकार के खर्चों के अनुमान को लोक सभा अनुदान की मांग के रूप में पारित करती है. हर मंत्रालय की अनुदान की मांगों को सिलसिलेवार तरीके से लोक सभा से पारित कराया जाता है.

लेखानुदान मांगें

बजट को संसद में पारित कराने में लंबा समय लगता है और ऐसे में सरकार एक अप्रैल से पहले पूरा बजट पारित नहीं करा पाती. इस स्थिति में अगले वित्त वर्ष के शुरुआती दिनों के खर्च के लिए सरकार संसद की मंजूरी लेती है. इन मांगों को लेखानुदान मांगें कहते हैं.

योजनागत व्यय और गैर योजनागत व्यय

सरकारी व्यय को दो हिस्सों में बांटा जाता है- प्लान्ड एक्सपेंडिचर (योजनागत व्यय) और नौन प्लान्ड एक्सपेंडिचर (गैर योजनागत व्यय). इनमें से योजनागत व्यय का एस्टिमेट विभिन्न मंत्रालयों और योजना आयोग द्वारा मिल कर बनाया जाता है. इसमें मोटे तौर पर वे सभी व्यय आते हैं, जो विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर किया जाता है.

गैर योजनागत व्यय के दो हिस्से होते हैं- गैर योजनागत राजस्व व्यय और गैर योजनागत पूंजीगत व्यय. गैर योजनागत राजस्व व्यय में जो व्यय आते हैं, उनमें शामिल हैं- ब्याज की अदायगी, सब्सिडी, सरकारी कर्मचारियों को वेतन की अदायगी, राज्य सरकारों को अनुदान, विदेशी सरकारों को दिए जाने वाले अनुदान आदि. गैर योजनागत पूंजीगत व्यय में शामिल हैं- रक्षा, पब्लिक इंटरप्राइजेज को दिया जाने वाला कर्ज, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और विदेशी सरकारों को दिया जाने वाला कर्ज.

पूंजीगत व्यय और राजस्व व्यय

कैपिटल एक्सपेंडिचर या कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) किसी सरकार द्वारा किया जाने वाला वह व्यय होता है, जो भविष्य के लिए लाभ का सृजन करता है. कैपेक्स का इस्तेमाल संपत्तियां या इक्विपमेंट आदि खरीदने के लिए किया जाता है. इसके अलावा विभिन्न इक्विपमेंट के अपग्रेडेशन के लिए भी इसका उपयोग होता है. सरकार के रेवेन्यू अकाउंट से खर्च होने वाली राशि को रेवेन्यू एक्सपेंडिचर (राजस्व व्यय) कहा जाता है. इसमें सरकार के रोजमर्रा के खर्च शामिल होते हैं.

सब्सिडी (Subsidies)

किसी सरकार द्वारा व्यक्तियों या समूहों को नकदी या कर से छूट के रूप में दिया जाने वाला लाभ सब्सिडी कहलाता है. भारत जैसे कल्याणकारी राज्य (वेलफेयर स्टेट) में इसका इस्तेमाल लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए किया जाता है. भारत सरकार ने आजादी के बाद से अब तक विभिन्न रूपों में लोगों को सब्सिडी दी है, चाहे वह डीजल सब्सिडी हो या फूड सब्सिडी.

राजस्व कर (Tax revenue)

कोई सरकार टैक्स लगा कर जो रेवेन्यू हासिल करती है, उसे टैक्स रेवेन्यू कहा जाता है. सरकार विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाती है, ताकि वह योजनागत और गैर योजनागत व्यय के लिए धन एकत्र कर सके. यह सरकार की आय का प्राथमिक और प्रमुख स्रोत है.

गैर राजस्व कर (Non tax revenue)

नौन टैक्स रेवेन्यू वह राशि है, जो सरकार टैक्स के अतिरिक्त अन्य साधनों से एकत्र करती है. इसमें सरकारी कंपनियों के विनिवेश से मिली राशि, सरकारी कंपनियों से मिले लाभांश और सरकार द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न आर्थिक सेवाओं के बदले मिली राशि शामिल होती है.

चालू खाते का घाटा (Current account deficit)

चालू खाते का घाटा यानी करंट अकाउंट डे‍फिसिट देश में विदेशी मुद्रा की कुल आवक व निकासी का अंतर बताता है. विदेशी मुद्रा की आवक निर्यात, पूंजी बाजार में निवेश, प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश और विदेश रह रहे लोगों द्वारा स्‍वदेश भेजे गए पैसे यानी रेमिटेंस के जरिए होती है. जब विदेशी मुद्रा की निकासी आवक से ज्‍यादा होती है, तो घाटा होता है.

राजस्व घाटा (Revenue Deficit)

राजस्व घाटे का मतलब सरकार की अनुमानित राजस्व प्राप्ति और व्यय में अंतर होता है. किसी वित्त वर्ष के लिए सरकार राजस्व प्राप्ति और अपने खर्च का एक अनुमान लगाती है. लेकिन जब उसका व्यय उसके अनुमान से बढ़ जाता है, तो इसे राजस्व घाटा कहा जाता है.

वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit)

वित्तीय घाटा बताता है कि किसी वित्त वर्ष के दौरान सरकार की कुल आमदनी (उधार को छोड़ कर) और कुल खर्च का अंतर कितना है. वित्तीय घाटे के बढ़ने का मतलब है कि सरकार की उधारी बढ़ेगी. यहां ये भी समझना जरूरी है कि अगर उधारी बढ़ेगी तो ब्याज की अदायगी भी बढ़ेगी. ब्याज का बोझ बढ़ने से सरकार के राजस्व घाटे पर नकारात्मक असर पड़ेगा.

प्राथमिक घाटा (Primary Deficit)

देश के वित्तीय घाटे और ब्याज की अदायगी के अंतर को प्राथमिक घाटा कहते हैं. प्राथमिक घाटे के आंकड़े से इस बात का पता चलता है कि किसी भी सरकार के लिए ब्याज अदायगी कितनी बड़ी या छोटी समस्या है.

राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)

आय और खर्च के अंतर को दूर करने के लिए हर साल सरकार की ओर से लिया जाने वाला अतिरिक्त कर्ज राजकोषीय घाटा कहलाता है. देखा जाए तो राजकोषीय घाटा घरेलू कर्ज पर बढ़ने वाला अतिरिक्त बोझ ही है.

तमन्ना भाटिया पर स्टोर के कर्मचारी ने फेंका जूता, और फिर हुआ ऐसा…

बौलीवुड और दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम करने वाली अदाकारा तमन्ना भाटिया पर एक शख्स ने जूता फेंक दिया, जिसे धर दबोचा गया है. हैदराबाद के हिमायत नगर में तमन्ना रविवार (28 जनवरी) को एक ज्वैलरी स्टोर का उद्घाटन करने पहुंची थीं तभी उन्हें इस असहज स्थिति का सामना करना पड़ गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने आरोपी को दबोचने में देर नहीं की. पुलिस के मुताबिक स्टोर के एक 31 वर्षींय कर्मचारी ने तमन्ना पर जूता फेंका था.

नारायनगुडा पुलिस थाने के इंस्पेक्टर बी रविंदर ने मीडिया को बताया कि जब तमन्ना स्टोर से बाहर आ रही थीं तभी मुशीराबाद के रहने वाले बीटेक ग्रेजुएट करीमुल्ला ने उनके ऊपर जूता उछाल दिया. जूता हालांकि तमन्ना को न लगकर स्टोर के एक कर्मचारी को लगा.

इस्पेक्टर ने बताया कि आरोपी करीमुल्ला ने पूछताछ में बताया कि वह तमन्ना की हाल की कुछ फिल्मों में किए गए उनके किरदारों से निराश था, जिसकी वजह से उन पर जूते से हमला कर दिया. जिस कर्मचारी को जूता लगा था उसने करीमुल्ला के खिलाफ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कराया है.

तमन्ना भाटिया भारतीय फिल्म इतिहास की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक साबित हुई ‘बाहुबली’ के दोनों भागों में नजर आई थीं. तमन्ना हिन्दी फिल्मों के अलावा तमिल और तेलुगू फिल्मों में काम करती हैं. कई फिल्मों में वह अपना लोहा मनवा चुकी हैं. दक्षिण के अलावा हिन्दी पट्टी में भी तमन्ना के भारी तादाद में प्रशंसक हैं. हिन्दी फिल्मों में वह पहले से स्थापित कई दिग्गज हीरोइनों को टक्कर देती नजर आती हैं. हाल ही में तमन्ना एक विज्ञापन में दक्षिण के शाही अंदाज में नजर आई थीं. इस पर उन्होंने कहा था कि उन्हें शाही अंदाज हमेशा से लुभाता है.

तमन्ना फिलहाल अपनी आने वाली तेलुगू फिल्म ‘ना नूवे’ को लेकर व्यस्त चल रही हैं. इस फिल्म के लिए वह खास ‘टैंगो डांस सीख रही हैं. इसकी जानकारी तमन्ना ने एक इंटरव्यू में दी थी. फिल्म में तमन्ना के साथ कलाकार नंदमूरि कल्याण राम मुख्य भूमिका में नजर आएंगे. फिल्म में तमन्ना मीरा नाम की रेडियो जौकी की भूमिका निभाती नजर आएंगी. तमन्ना ने 2005 में महज 15 वर्ष की उम्र में फिल्म ‘चांद सा रोशन चेहरा’ से फिल्मों में डेब्यू किया था. इसी साल उन्होंने तेलुगू फिल्म ‘श्री’ से दक्षिण के सिनेमा में कदम रखा था.

परिणीति ने शेयर की स्ट्रैच मार्क की फोटो, लोगों ने दिये ऐसे रिएक्शन

आमतौर पर लोग अपनी कमियों को सोशल मीडिया पर छिपाते हैं. ढेर सारे फिल्टर और फोटोशौप की मदद से वह खुद को और भी ज्यादा खूबसूरत दिखाते हैं. बौलीवुड अभिनेत्रियों को भी अक्सर अपने बौडी टाइप और फिगर के चलते खासतौर पर सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ता है.

लेकिन एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा अपनी कमियां छिपाने से बिल्कुल नहीं डरती हैं, इसका अंदाजा आप उनकी लेटेस्ट तस्वीर से लगा सकते हैं. हाल ही में परिणीति चोपड़ा ने इंस्टाग्राम पर अपनी एक पोस्ट की जिसमें वो सन ग्लासेस लगाए नजर आ रही हैं और उन्होंने ब्लैक रंग के क्रौप टौप को डैनिम जैकेट के साथ कैरी किया है.

इस तस्वीर में यूं तो परिणीति काफी खूबसूरत लग रही हैं लेकिन इस तस्वीर में उनकी कमर के स्ट्रैच मार्क्स दिख रहे हैं. परिणीति की इस तस्वीर को लोगों के मिक्स रिएक्शन मिले हैं. जहां कुछ फैंस इसे एक साहसिक कदम बता रहे हैं तो वहीं कुछ इसकी आलोचना भी कर रहे हैं. लेकिन परिणीति चोपड़ा ने जिस अंदाज में अपने स्ट्रैच मार्क्स को फ्लौट किया है वो वाकई काबिले तारीफ है.

अपने स्ट्रेच मार्क्स छिपाने की जगह दिखाने पर फैन्स उनकी खूब तारीफ कर रहे हैं. तेजी से वायरल हो रही परिणीति चोपड़ा की इस तस्वीर को एक दिन में 6 लाख से ज्यादा लाइक्स और 3 हजार से ज्यादा कमेंट्स मिल चुके हैं.

ऐसा पहली बार नहीं है जब परिणीति चोपड़ा को फैंस या सोशल मीडिया पर किसी प्रकार की आलोचना का समाना करना पड़ रहा है. इससे पहले वो अपने मोटापे के लिए भी आलोचनाओं का शिकार चुकी हैं. साल 2011 में फिल्म ”लेडीज वर्सेस रिकी बहल” से बौलीवुड में डेब्यू करने वाली परिणीति ने कुल 9 फिल्मों में काम किया है. शुरूआत में परिणीति को अपने मोटापे और ड्रैसिंग सेंस की वजह से काफी आलोचनाओं का समाना करना पड़ा था जिसके बाद परिणीति ने फिल्म ‘किल दिल (2014)’ के बाद परफेक्ट और फिट बौडी पाने के लिए 3 साल का ब्रेक लिया था.

दरअसल, परिणीति अपने वजन और मोटापे को लेकर अक्सर सवालों के घेरे में रही हैं. इस वजह से उन्होंने वजन घटाने के लिए इलाज शुरू किया था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, परिणीति ने आस्ट्रिया में डीटौक्स का सहारा लेकर वजन घटाया.

बता दें कि आखिरी बार फिल्म ‘गोलमाल 4 (2017)’ में नजर आईं परिणीति जल्द ही अक्षय कुमार के साथ फिल्म ‘केसरी’ और अर्जुन कपूर के साथ फिल्म ‘संदीप और पिंकी फरार’ में दिखाई देंगी.

शरदकालीन बदलाव के हिसाब से कुछ इस तरह अपनाएं एसेसरीज

शरदकाल में आप की अलमारी में नई ताजगी तो आ ही जाएगी, साथ ही एसेसरीज में भी कई बदलाव आ जाएंगे. पिछले साल के मफलरों से इतर सोचिए और उन एसेसरी ट्रैंड्स को अपनाने को तैयार हो जाइए जो सर्दी के मौसम को मजेदार बना देंगे.

मौसम की भविष्यवाणी करने वालों के मुताबिक, चारों ओर चमक बिखरी है. गले के हार से ले कर अंगूठियों तक, हरेक चमक में मौसम का मिजाज छिपा है. लाइमरोड की इनहाउस स्टाइलिस्ट नताशा टेटे ने सब से ज्यादा फैशनेबल एसेसरीज की लिस्ट तैयार की है जिन में औटम अपील है.

शहरी हो गई पाजेब

अब पायल निकाल लीजिए. ये ट्रैंड कर रही हैं. हालांकि आप को मौजूदा कलैक्शन में कुछ चीजें जोड़नी होंगी :

रोज गोल्ड ग्लोरी :  एंकलेट वर्ल्ड में समकालीन रंग सिर चढ़ कर बोल रहे हैं. पाउडर पिंक ड्रैस के साथ गुलाबी सुनहरी पायल पहनें तो इस औटम में आप के हलके रंग की पोशाकों के साथ एसेसरीज का जलवा देखते ही बनेगा.

चार्म्ड टू परफैक्शन :  मनमोहक पायल तो रहनी ही रहनी है. ये सुंदर और शानदार हैं. इस ठंड में ये आप के कैजुअल काफतान और डेनिम अटायर्स को पूरी तरह अनोखा बना सकती हैं. आप चाहें तो इसे आदिवासी जनजीवन की प्रतिकृतियों वाली मैक्सी पोशाकों, टैटर्ड शौर्ट्स और टी डुओज के साथ भी पहन सकती हैं.

क्रिस्टल एड टू :  टू रिंगकमएंकलेट तो सुपर ट्रैंडी है. अगर आप को इंडोवैस्टर्न लुक भाता है तो क्रिस्टल स्टडेड पायल निश्चितरूप से भाएगा. आप इसे कढ़ाई वाले ईवनिंग गाउन के साथ पहन सकती हैं. आप इसे सभी एथनिक अटायर्स के साथ भी पहन सकती हैं.

सुर्खियों में नैकलैस

औटम के मौसम का असर नैकलैस की दुनिया पर पहले ही दिख चुका है और ज्वैलरी बौक्स के मुकाबले नए चलन हावी हो रहे हैं. विभिन्न रंगों के स्टोन से ले कर क्लासिक चेन तक, नैकलैस वर्ल्ड इन सब से संपूर्ण है.

लेयर्ड राइट :  पतला लेकिन प्रभावी लेयर्ड नैकलैस के लिए पिछले सीजन का लगाव इस बार फिर से लोकप्रिय हो रहा है. स्टोन्स, स्पाइक्स, चार्म्स के साथसाथ फ्रिंज्ड पेंडेंट, लेयर्ड नैकलैस हर किसी को भा रहे हैं. ये आप की कामकाजी ड्रैस और रेगुलर टौप के साथ पहने जाने के लिए श्रेष्ठ हैं.

बल्की स्टोन चेन  :  औटम के मौसम में चेन कुछ मोटे लोगों के लिए ‘क्लासिक और क्लासी’ है. स्टोन से सजी चेन इस मौसम में लोकप्रिय हैं. ये आप के डीप नैक वाले पहनावे के लिए उपयुक्त हैं.

अर्बन ट्राइबल स्टेटमैंट पीस :  हिंट अर्बन चार्म के साथ ट्राइबल स्टेटमैंट पीस का चलन बढ़ रहा है. यह आप की बेल-स्लीव्ड ड्रैस और रिप्ड टैंक टीज के साथ फ्लोवर चाइल्ड वाइब्स के लिए अनुकूल है.

स्वयं की ईयररिंग्स 

इस बार ईयररिंग (कान की बाली) के संबंध में काफी कुछ नया देखने को मिल रहा है. आप कुछ सौलिड मेटालिक पेयर के साथसाथ कुछ रीडिफाइंड ट्राइबल टौप्स देखेंगी.

कौपर गोल्ड हूप  :  हूप ईयररिंग्स कैटलौग में फिर से छाई हुई हैं और यह पहले से बेहतर हैं. यह स्टाइलिश हैं और इन्हें पहन कर आप कहीं भी जा सकती हैं.

ट्राइबल ऐंड टेसेल्ड  :  लटकन बालियां इस सीजन में प्रत्येक बोहो ब्रेन के लिए उपयुक्त ज्वैलरी हैं. रस्टिक रेड से ले कर नौटी नियोन में, इस मौसम में इंद्रधनुषी बहार है. यदि आप के पास खुद के सौलिड इंसेंबल्स हैं, तो कलरफुल टेसेल्ड ईयररिंग्स आप के लुक में निश्चित तौर पर चारचांद लगा देंगी.

तो फिर अब अपने व्यक्तित्व को जादुई लुक प्रदान करें.

संगृहीत नहीं होता वीर्य, इसके तमाम पहलुओं को युवाओं को समझना जरूरी है

आलोक के सासससुर व मातापिता परेशान हो गए. आलोक की बीवी उस के घर आने को तैयार नहीं थी. उसे बहुत समझाया, मगर वह मानी नहीं. इस की पूरी पड़ताल की गई. तब सचाई का पता चला कि आलोक अपनी बीवी के साथ हमबिस्तरी करने से दूर भागता था, इस कारण उस की बीवी उस के पास रहना नहीं चाहती थी.

आलोक के दोस्तों से बात करने पर पता चला कि आलोक अपनी ताकत नहीं खोना चाहता था. इस कारण वह अपनी बीवी से दूर भागता था.

उस का कहना था, ‘‘वीर्य बहुत कीमती होता है. उसे नष्ट नहीं करना चाहिए. इस के संग्रह से ताकत बढ़ती है.’’ यह जान कर आलोक के मातापिता ने अपना सिर पीट लिया.

ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जिन में हमें इस बात का पता चलता है कि यह भ्रम कितनी व्यापकता से फैला हुआ है, इस भ्रम की वजह से कई खुशहाल परिवार उजड़ जाते हैं. इन उजड़े हुए अधिकांश परिवारों के व्यक्तियों का मानना होता है कि वीर्य संगृहीत किया जा सकता है. क्या इस के संग्रह से ताकत आती है? क्या वाकई यह भ्रम है या यह हकीकत है. हम यहां इस को समझने का प्रयास करते हैं.

आलोक के मातापिता समझदार थे. वे आलोक को डाक्टर के पास ले गए. डाक्टर यह सुन कर मुसकराया. उन्होंने आलोक से कहा, ‘‘तुम्हारी तरह यह भ्रम कइयों को होता है.’’

डाक्टर ने आलोक को कई उदाहरण दे कर समझाया तब उस की समझ में आया कि उस ने वास्तव में एक भ्रम पाल रखा था, जिस के कारण उस का परिवार टूटने की कगार पर पहुंच गया था. उस के परिवार और उस की खुशहाल जिंदगी को डाक्टर साहब और उस के मातापिता ने अपनी सूझबूझ से बचा लिया. नतीजतन, वह आज अपनी बीवी और 2 बच्चों के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहा है.

शरीर विज्ञान और प्राकृतिक विज्ञान के अपने नियम हैं. उन के अपने सिद्धांत हैं. वे उन्हीं का पालन करते हैं. नियम कहता है कि वीर्य को संगृहीत नहीं किया जा सकता है. जिस तरह एक भरे हुए गिलास में और पानी नहीं भरा जा सकता है वैसे ही वीर्यग्रंथि में एक सीमा के बाद और वीर्य नहीं भरा जा सकता है. यदि शरीर में वीर्य बनना जारी रहा तो वह किसी न किसी तरह शरीर से बाहर निकल जाता है.

वीर्य का गुणधर्म है बहना

वीर्य शरीर से बहने और बाहर निकलने के लिए शरीर में बनता है. वह किसी न किसी तरह बहेगा ही. यदि आप हमबिस्तरी कर के पत्नी के साथ आनंददायक तरीके से बहा दें तो ठीक से बह जाएगा, यदि ऐसा नहीं करोगे तो वह स्वप्नदोष के जरिए बह कर निकल जाएगा.

वीर्य का कार्य प्रजनन चक्र को पूरा करना होता है. बस, वहीं उस का कार्य और वही उस की उम्र होती है. उस में उपस्थित शुक्राणु औरत के शरीर में जाने और वहां अंडाणु से मिल कर शिशु उत्पन्न करने के लिए ही बनते हैं. उन की उम्र 2 से 3 दिन के लगभग होती है. यदि उस दौरान उन का उपयोग कर लिया जाए तो वे अपना कार्य कर लेते हैं अन्यथा वे मृत हो जाते हैं.

मृत शुक्राणु अन्य शुक्राणु को मारने का काम भी करते हैं. इसलिए इस को जितना बहाया जाए, शरीर में उतने स्वस्थ शुक्राणु पैदा होते हैं. शरीर मृत शुक्राणुओं को शरीर से बाहर निकालता रहता है. इस से शरीर की क्रिया बाधित नहीं होती है.

शरीर को ताकत यानी ऊर्जा वसा और कार्बोहाइड्रेट से मिलती है. हम शरीर की मांसपेशियों को जितना मजबूत करेंगे, हम उतने ताकतवर होते जाएंगे. यही शरीर का गुणधर्म है. इसी वजह से शारीरिक मेहनत करने वाला 40 किलो का एक हम्माल 100 किलोग्राम की बोरी उठा लेता है जबकि 100 किलोग्राम का एक व्यक्ति 40 किलोग्राम की बोरी नहीं उठा पाता. इसलिए यह सोचना कि वीर्य संग्रह से ताकत आती है, कोरा भ्रम है.

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