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भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआइ) से निलंबित किए गए अर्जुन अवौर्ड विजेता और पैरा तैराकी प्रशिक्षक प्रशांत कर्माकर ने पीसीआई के उपाध्यक्ष गुरुचरण सिंह व पैरा तैराकी अध्यक्ष विरेंद्र कुमार डबास पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने अपनी निजी दुश्मनी के कारण यह सब साजिश की है.
कर्माकर की इनसे लंबी लड़ाई रही है. उन्होंने कहा कि 2002 एशियन खेलों व 2006 एशियन व कौमनवेल्थ खेलों में मेरा नाम शामिल नहीं किया गया था. जब मैंने इसकी शिकायत की तो 2010 कौमनवेल्थ व एशियन खेलों में खेलने का मौका मिला और पदक जीते. इसी तरह 2014 एशियन खेलों में मैंने देश के लिए पदक जीते. 2011 में मुझे 2012 लंदन ओलंपिक की तैयारी के लिए भारत सरकार ने पैसा दिया लेकिन पीसीआइ के कोषाध्यक्ष गुरुचरण सिंह ने मुझे पैसा नहीं दिया. जबकि पीसीआइ महासचिव ने गुरुचरण सिंह को पत्र लिख कर मेरे पैसे देने को कहा था.
कर्माकर ने कहा कि कुछ लोग पीसीआइ के माध्यम से विदेश गए हैं और वापस भारत नहीं आए. इस तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने पीसीआइ में आवाज उठाई है और इन सब भ्रष्टाचार में यह लोग शामिल है. इन्होंने एक खिलाड़ी के 30 हजार रुपये खाए तो मैंने पत्र लिखा था कि खिलाड़ी के पैसे क्यों नहीं दिए गए. कर्माकर ने कहा कि वैसे वीडियो रिकौर्डिंग मैंने नहीं की थी बल्कि उस खिलाड़ी के पिता ने वीडियो बनाया है.
बता दें कि भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआइ) ने प्रशांत कर्माकर को पिछले साल जयपुर में हुई 16वीं राष्ट्रीय पैरा तैराकी चैंपियनशिप के दौरान महिला पैरा तैराकों का वीडियो बनाने, गलत आचरण और मारपीट का दोषी पाते हुए तीन साल के लिए निलंबित कर दिया था.