Download App

भगवा विजय पताका पर पराजय के पैबंद

विकास की खोखली हवा के सहारे भाजपा का विजय रथ ज्योंज्यों चारों ओर आगे बढता जा रहा है, पीछेपीछे पराजय की धूल उस की जीत को धुंधला रही है. यह स्थिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अजेय रहने के गर्व को तोड़ रही है.

2014 में मोदी जिस विकास की बात कर राज्य दर राज्य जीतते आ रहे हैं, तब से हो रहे उपचुनावों में मिल रही लगातार हार उस विकास की पोल खोलती आ रही है. हाल ही उत्तरप्रदेश और बिहार में हुए 3 लोकसभा और 2 विधानसभा के उपचुनावों में भाजपा को करारी हार से उस के अंध समर्थक हैरान हैं. उत्तरप्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट मोदी और योगी के विकास की गंगा में बह गईं.

करीब एक साल पहले हिंदुत्व के कट्टर चेहरे योगी आदित्यनाथ को उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने से खाली हुई गोरखपुर और उपमुख्यमंत्री बने केशवप्रसाद मौर्य की फूलपुर लोकसभा सीट उपचुनाव में मिली शिकस्त ने भाजपा के बड़बोले दिग्गजों की हेकड़ी निकाल दी है.

गोरखपुर सीट 3 दशक से हिंदुत्व के गोरखनाथ मठ की बपौती रही है पर इस बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने मिल कर पार्टी के गढ को ढहा दिया. भाजपा के उपेंद्र शुक्ल को सपा के प्रवीण निषाद ने हरा दिया. 1989 से इस लोकसभा सीट पर गोरखनाथ मठ का दबदबा था. योगी आदित्य नाथ 1998 से लगातार 5 चुनावों में यहां से जीतते आ रहे थे. इस से पहले यह सीट उन के गुरु महंत अवैधनाथ केपास थी.

उधर फूलपुर से सपा के नागेंद्र पटेल ने भाजपा के कौशलेंद्र सिंह पटेल को 59 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की. गोरखपुर और फूलपुर क्षेत्र में दलित और पिछड़े मतदाताओं की तादाद अधिक है. गोरखपुर में सब से अधिक निषाद वोटर करीब 3.6 लाख हैं. इस के अलावा करीब 2-2 लाख यादव और दलित और 1.5 लाख ब्राह्मण मतदाता हैं. इस तरह सीधी लड़ाई में निषाद, यादव, दलित और मुस्लिम वोटरों ने मिल कर भाजपा को ले बैठे.

भाजपा ने उत्तरप्रदेश और बिहार में पूरी ताकत झोंक दी थी. पिछले एक महीने से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उन की कैबिनेट के दिग्गजों ने यहां डेरा डाल रखा था पर 23 साल पुरानी दुश्मनी भुला कर सपाबसपा एक साथ आए तो भाजपा के लिए जीत मुश्किल हो गई. कांग्रेस ने यहां अकेले चुनाव लड़ा था. बिहार के अररिया लोकसभा सीट पर जेल में बंद लालू प्रसाद यादव के राजद की जीत से नीतीश कुमार और भाजपा को करारा तमाचा पड़ा है. कुछ समय पहले ही नीतीश कुमार ने लालू का साथ छोड़ मोदी जाप करते हुए भाजपा के हिंदुत्व रथ पर सवार हो गए थे. यहां राजद का कांग्रेस से समर्थन हासिल था.

जहानाबाद विधानसभा से भी राजद के सुदय यादव जीते जबकि भभुआ विधानसभा से भाजपा की रिंकी पांडेय को जीत मिली यानी भाजपा मात्र एक विधानसभा सीट हासिल कर पाई. उत्तरप्रदेश में भाजपा नेता सपाबसपा गठबंधन को बेमेल बताते रहे. इन चुनाव नतीजों का संकेत है कि सपा और बसपा का साथ दोनों के समर्थक मतदाताओं को रास आया है. दलित और पिछड़े मतदाता मिल गए. दोनों पार्टियों का तालमेल भाजपा पर भारी पड़ा. अब सपाबसपा का गठजोड़ 2019 में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.

इन उपचुनावों से पहले राजस्थान की अजमेर और अलवर 2 लोकसभा और एक विधानसभा सीट मांडलगढ भाजपा को गंवानी पड़ी थीं. इस से पहले मध्यप्रदेश की रतलाम सीट शिवराज सिंह के अति हिंदुत्व प्रेम की बलि चढ गई. पंजाब में गुरदासपुर लोकसभा सीट से हाथ धोना पड़ा. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद 11 राज्यों में 19 लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में भाजपा अधिकतर हारती गई. भाजपा सिर्फ वडोदरा और शहडोल सीट ही जीत पाई.

हिंदुत्व के नाम पर तमाम जातियों को एक करने का फार्मूला अब उत्तरप्रदेश में सफल नहीं रहा क्योंकि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद हिंदुत्व के समर्थकों के कई जगह उग्र और हिंसक तेवर देखे गए. योगी की हिंदू युवा वाहिनी में बड़ी संख्या में संघ से जुड़े ब्राह्मण, बनिए और राजपूत युवा शामिल हुए. इन का उपद्रव जगहजगह देखा गया. कासगंज में इस कट्टर हिंदू संगठन के युवाओं द्वारा मुस्लिम आबादी में जा कर उन्हें चुनौती देने, सहारनपुर में महाराणा प्रताप के जुलूस के दौरान दलित बस्ती में दलितों पर फब्तियां कसने, दलित युवाओं के मूंछ रखने, महाराष्ट्र में दलित युवकों द्वारा अंबेडकर पर बने गीत सुनने पर उन से मारपीट जैसे घटनाओं ने मोदीयोगी के प्रति लोगों में गुस्से की लहर फैलने लगी. केंद्र में चाहे मोदी हों, राज्यों में योगी, चौहान, रूपाणी, फड़नवीस या वसुंधरा हों, निचलों के लिए गुजरबसर करना आसान नहीं रहा. यह तबका भाजपा के प्रति आक्रोशित दिखने लगा. गुजरात विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को जीत के लिए नाके चने चबाने पड़े.

दरअसल भाजपा केवल वही काम कर रही है जो हिंदुत्व को पालनेपोसने वाला हो. केंद्र और राज्यों में धार्मिक नीतियां लागू की जा रही हैं जिस से धर्म का व्यापार फैलेफूले. वर्णव्यवस्था में निचला वर्ग अभी भी विकास में पीछे हैं. गैर बराबरी उस का पीछा नहीं छोड़ रही. असल में जब तक देश में नीतिनिर्धारक दलितपिछड़े नहीं होंगे, देश तरक्की नहीं कर पाएगा. शासनप्रशासन में फैसले करने का अधिकार 2 प्रतिशत ऊपरी पदों पर बैठे लोगों के हाथ में है. निचले तबकों के लिए जो नीतियां बनती हैं उसे ऊपरी तबके वाले अपने फायदे के लिए बनाते हैं जिस से उन लोगों का कोई कल्याण नहीं हो पाता.

निचला वर्ग उपेक्षा और अपमान सहता रहता है. इस धारणा प्रचारित किया जाता है कि दलित, अति पिछड़े में काबिलियत नहीं होती इसलिए उन्हें उच्च पदों पर न लगाया जाए. उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद प्रशासन में तमाम बड़े पदों पर पीएमओ में बैठे प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नगेंद्र मिश्रा ने ऐसे उच्च अधिकारी छांट कर भेजे जिन को पुराने हिंदू ग्रंथों के अनुसार पढनेलिखने का अधिकार दिया गया था. लखनऊ सचिवालय में तमाम मंत्रालयों में योजनाएं, नीतियां बनाने और फैसले लेने वाले उच्च, श्रेष्ठि वर्ग के अधिकारी पदस्थ हैं.

हमारे नेताओं के दिमाग में यह गलत धारणा बैठा रखी है कि निचली जातियों के अधिकारी ही देश का प्रशासन चलाने के काबिल हैं. इस धारणा से मुक्ति पा कर निचली जातियों के योग्य लोगों को नीतिनिर्धारण में जब तक नहीं लगाया जाएगा, विकास में समानता नहीं आ पाएगी.

जब तक लोग खुल कर नहीं बोलेंगे, देश सुधर नहीं सकता

गोवा के टाउन ऐंड कंट्री प्लानिंग मिनिस्टर विजय सरदेसाई ने कहा है कि उत्तर भारतीय पर्यटक गोवा आ कर उसे गुरुग्राम जैसा गंदा बनाने की पूरी कोशिश करते हैं. वे सड़क पर कूड़ा फेंकते हैं, समुद्री तटों को गंदा करते हैं, बस में खड़े हो कर पेशाब तक कर डालते हैं.

16 लाख की आबादी वाले गोवा में 65 लाख यात्री सैर करने आते हैं. ये यात्री पूरी तरह से बिगड़ैल और असभ्य ही होते हैं और इन्हें गोवा को दूसरे राज्यों की तरह गंदा करने से कोई परहेज नहीं है.

नरेंद्र मोदी की 4 साल की स्वच्छ भारत कैंपेन को इस से अच्छा सर्टिफिकेट मिलना कठिन है, जब उन की ही पार्टी का एक मंत्री उन्हीं के नारों को खोखला बनाए. दरअसल, हमारे पूरे देश में सिविक सैंस की भारी कमी है और उस का कारण यह है कि हमारे नीतिनिर्धारक, शिक्षित, अमीर, सभ्य साफ कालोनियों में रहने वाले दूसरों को जानवर और गंवार समझते हैं.

हमारे यहां सफाई की जिम्मेदारी हमेशा दूसरों की रही है. सफाई की हजार चीजें उपलब्ध हों पर यहां बिकती झाड़ुएं ही हैं, क्योंकि अगर महंगी मशीनें अनपढ़ों को दे भी दी जाएं तो वे 4 दिन में ही खराब हो जाएंगी. चूंकि पढ़ेलिखों को झाड़ू नहीं चलानी आती, इसलिए बहुत थोड़े से घरों में वैक्यूम क्लीनर दिखेंगे.

सफाई का एक कल्चर होता है पर हमारे यहां तो कल्चर यह है कि सफाई करने वाला खुद गंदा रहे. अच्छे वेतन वाले सफाई कर्मचारी को साफसुथरा देख कर हमारे यहां आंखें चौड़ी कर ली जाती हैं. हमारे यहां सफाई रखना वर्ग विशेष का काम है, बाइयों का काम है. इसीलिए सारा देश गंदा रहता है. हम खुद साफ न करेंगे तो इस की महत्ता समझ न पाएंगे.

गोवा कई दशकों तक पुर्तगाली शासन में रहा जहां उन्होंने हरेक को बराबर का समझा और नतीजा यह है कि वहां की प्रति व्यक्ति आय भी अच्छी है और सफाई के प्रति हर जने की अवधारणा भी. और इलाकों से आने वाले भारतीय पर्यटक यह समझ नहीं पाते.

साफसफाई उत्पादकता बढ़ाती है, यह भेदभाव कम करती है, बीमारियां कम करती है, पर हमारे यहां घरों से ले कर नौर्थ ब्लौक (जहां केंद्र सरकार के कार्यालय हैं) तक सभी एकसमान गंदे हैं. डिगरी का फर्क हो सकता है पर मूलतया सफाई की जिम्मेदारी हमेशा किसी और की होती है.

गोवा के मंत्री का गुस्सा वाजिब है. उन के बयान पर थोड़ा हल्ला मचा है पर जब तक लोग खुल कर न बोलेंगे, देश सुधर नहीं सकता.

पेट की कसरत : क्रौस ओवर क्रंच

– पीठ के बल ऐसे लेटिए कि आप के दोनों पैर जमीन से थोड़ा ऊपर उठे रहें. एक पैर सीधा रहे और दूसरे पैर को घुटने से मोड़ कर रखें.

– अपने दोनों हाथों को सिर के दोनों तरफ धीरे से इस तरह रखें कि आप की कुहनियां अंदर की ओर दिखें.

– अपनी पीठ के सब से निचले हिस्से को फर्श की तरफ दबाते हुए पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ते हुए बाईं कुहनी और कंधे को धीरेधीरे फर्श से ऊपर  उठा कर दाएं पैर के घुटने से उस कुहनी को छूने की कोशिश करें. ऐसा करते समय आप सांस बाहर की ओर छोड़ें.

– जब शरीर पूरी तरह तन जाए, तब पेट को सिकोड़ लें और 1-2 सैकंड ऐसे ही रहें. ध्यान रखिए कि ऐसा करते समय कुहनी तक ही खिंचाव सीमित न रहे, बल्कि पेट की मांसपेशियों तक खिंचाव पड़ना चाहिए.

– सांस अंदर भरते हुए धीरेधीरे पहले वाली हालत में आ जाएं और यही क्रिया दाईं कुहनी और कंधे के साथ कीजिए. पैरों की पोजीशन भी बदल जाएगी.

– एक सैट में इस कसरत को 10-15 बार करें.  शुरूशुरू में इस कसरत के कम से कम 3-3 सैट लगाएं.

प्रकृति का हिस्सा बनने के लिए आइये गंगटोक

यह एक ऐसा शहर है जहां सैलानी पहाड़ों की सदाएं सुन सकते हैं, जहां वे प्रकृति का हिस्सा बन सकते हैं, बौद्ध मठों से स्वयं साक्षात्कार कर सकते हैं. सिक्किम की राजधानी गंगटोक भारत में पूर्व के प्रमुख पहाड़ी पर्यटन स्थलों में एक है. फूलों और पक्षियों की सर्वाधिक किस्में सिक्किम में ही पाई जाती हैं. आर्किड की विश्व भर में पाई जाने वाली लगभग 5 हजार प्रजातियों में से अकेले सिक्किम में 650 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. सिक्किम के मूल निवासी लेपचा और भूटिया हैं लेकिन यहां बड़ी तादाद में नेपाली भी रहते हैं. ज्यादातर सिक्किमवासी बौद्ध और हिंदू धर्म मानते हैं. सिक्किम उन कुछेक राज्यों में शुमार है जहां अभी तक रेल मार्ग नहीं पहुंचा है. सिक्किम की राजधानी गंगटोक की खूबसूरती का अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि कुछ इतिहासकारों ने इस को संग्रहालय में रखने लायक शहर बताया है. यहां तीस्ता नदी की मौजें और कंचनजंघा की भव्य ऊंचाई आप को एक अलग अनुभूति से भर देगी.

दर्शनीय स्थल

गंगटोक शहर से 8 किलोमीटर दूर स्थित ताशी व्यू प्वाइंट से कंचनजंघा और सिनोलबू पर्वत शिखरों का मनोहारी रूप दिखाई पड़ता है. बर्फ से ढकी इन चोटियों का धूप में धीरेधीरे रंग बदलना भी एक अद्भुत समां बांधता है. सिक्किम के पूर्व राजाओं का राजमहल और महल के परिसर में बने बौद्ध मंदिर की खूबसूरती देख कर पर्यटक अचंभित रह जाते हैं.  गंगटोक शहर से 3 किलोमीटर दूर स्थित आर्किड सेंचुरी में आर्किड की सैकड़ों किस्में संरक्षित हैं. वसंत ऋतु में इस स्थान की शोभा निखरने लगती है. यदि पर्यटक अप्रैल से मई और दिसंबर से जनवरी के बीच इस स्थान का भ्रमण करें तो यहां पर खिले फूल भी देख सकते हैं.

तिब्बती भाषा, संस्कृति और बौद्ध धर्म के शोधार्थियों के लिए रिसर्च इंस्टीट्यूट आफ तिब्बतोलाजी एक अद्वितीय संस्थान है. इस की शोहरत विश्व भर में है. यहां संग्रहालय में दुर्लभ पांडुलिपियों, पुस्तकों, मूर्तियों, कलाकृतियों का अनूठा संग्रह है. विशेषकर थंका पेंटिंग का वृहदाकार रूप तो यहां के संग्रहालय की अनमोल धरोहर है. पालजोर स्टेडियम के पास स्थित एक्वेरियम में सिक्किम में पाई जाने वाली मछलियों की खासखास किस्में भी सैलानी देख सकते हैं.

गंगटोक की ऊपरी पहाडि़यों पर स्थित लगभग 3 किलोमीटर दूर सिनोल्चू पर्यटक आवास के करीब पड़ने वाला इंचे बौद्ध मठ नामग्याल विचारधारा से संबंधित है. इसे 1910 में दोबारा बनाया गया था. फंब्रोंग वन्यजीव अभयारण्य गंगटोक से 25 किलोमीटर दूर है. यहां रोडोड्रेडोन, ओक किंबू, फर्न, बांस आदि का घना जंगल तो है ही साथ ही यह दर्जनों पशुओं का आवास भी है. इस अभयारण्य में पक्षियों और तितलियों की अनेक प्रजातियां मौजूद हैं. गंगटोक से 24 किलोमीटर की दूरी पर रूमटेक मठ है. यह बौद्ध धर्म की कारबुत शाखा का मुख्यालय है. पूरे विश्व में रूमटेक मठ की 200 शाखाएं हैं. इस मठ का अपना एक विद्यालय है और रंगबिरंगे पक्षियों से सुसज्जित पक्षीशाला भी है. मठ में विश्व की अद्भुत धार्मिक कलाकृतियां भी संगृहीत हैं.

गंगटोक से 45 किलोमीटर दूर लगभग 12,120 फुट की ऊंचाई पर चांगु लेक है. जाड़ों में यह झील जम जाती है. चांगु लेक के किनारे दुर्लभ याक की सवारी पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है. गंगटोक से चांगु तक जाने के लिए जीप और टैक्सियां उपलब्ध हैं. चांगु झील से आगे बढ़ें तो भारतचीन सीमा पर नाथुला पास तक पहुंचा जा सकता है.  यह दर्रा अब यात्रियों के लिए खोला जा चुका है और इस रास्ते भारतचीनी व्यापारियों के आनेजाने के कारण गहमागहमी बढ़ गई है.

वायु मार्ग : गंगटोक से 125 किलोमीटर की दूरी पर बागडोगरा हवाई अड्डा है. दिल्ली, कोलकाता और गुवाहाटी से यहां आने के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं. गंगटोक बागडोगरा से हेलीकाप्टर की सुविधा भी उपलब्ध है.

रेल मार्ग : गंगटोक का समीपवर्ती रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है.

सिलीगुड़ी, कलिंपोंग और गंगटोक से बस और प्राइवेट टैक्सी की नियमित सुविधा उपलब्ध है.

फोन हैंग होने से परेशान हैं? अपनाएं ये उपाय

हम और आप बड़े शौक के साथ नया नया स्मार्टफोन खरीदते हैं, उसे बड़ा ही संभाल कर रखते हैं पर कुछ महिने के बाद ही उसके हैंग होने की समस्या आने लगती है. आप भी अगर अपने फोन के बार बार हैंग होने से परेशान हैं तो जरूर कुछ गलतियां कर रहे हैं. इसलिए फोन हैंग होने पर बस इन पांच बातों का ध्यान रखें और देखें कि किस तरह से आपका फोन आपको बिना तंग किये मक्खन की तरह चलता है.

सबसे पहले आप अपने फोन से उन सारी चीजों को डिलीट कर दें जिनकी जरूरत नहीं पड़ती. इसके अलावा फोन की सेटिंग्स में जा कर स्टोरेज पर क्लिक करें, नीचे कैश डाटा (Cache data) का विकल्प आता है, उसे भी साफ कर दें. समय समय पर ये करते रहना चाहिए, ताकि फोन में अनावश्यक चीजे स्टोर ना हो.

अगर आपके फोन में कई सारी ऐपलीकेशन हैं तो बेहतर होगा कि उनमें से कुछ को एक्सटर्नल मेमोरी में ट्रांस्फर कर दें. इससे इंटर्नल मेमोरी में जगह बनती रहेगी. चाहें तो ऐप्लीकेशन इंस्टौल करते वक्त सीधे एक्सटर्नल मेमोरी मे ही डालें. सेटिंग्स में जाकर स्टोरेज पर जाएं, वहां एसडी कार्ड का विकल्प चुनें. यह सुविधा उन्हीं के लिए है जिनके फोन में दोनों मेमोरी होती हैं.

इसके अलावा हमेशा फोन में गाने, वीडियो, तस्वीरें और बाकी डाटा एक्सटर्नल मेमोरी में ही सेव करें. अगर ये इंटर्नल में हैं भी तो इन्हें एक्सटर्नल में डाल दें. अगर आप एक्सटर्नल मेमोरी को डीफौल्ट मेमोरी चुन लेंगे तो वे खुद ब खुद उसी में जाएंगी और आपको बार बार मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.

फैक्ट्री रीसेट का विकल्प तभी इस्तेमाल करें जब सारे तरीके अपनाकर थक चुके हों. ये वेबसाइट, ऐप्स और ब्राउजर से आने वाले उस सारे डाटा को हटा देगा जिसकी जरूरत नहीं पड़ती. चूंकि ये सारी ही ऐप्स, फोन नंबर, फोटो, गाने हटा देता है इसलिए इसे आम तौर पर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. लेकिन अगर आप ऐसा करने वाले हैं तो बेहतर है कि पहले सारी चीजें कहीं और सेव कर लें. चाहें तो एसडी कार्ड में ट्रांस्फर कर लें.

फोन के साथ साथ अपना सारा जरूरी डाटा ईमेल, गूगल ड्राइव या क्लाउड पर सेव करते रहें. ये जिंदगी भर के लिए सुरक्षित हो जाएगा और अगर फोन खराब भी हो जाए या कुछ डिलीट हो जाए तो चिंता की बात नहीं रहेगी. ईमेल में सेव करने के बाद उस डाटा को फोन से हटा दें ताकि मेमोरी में जगह बन जाए.

फोन चार्ज करते समय ध्यान दें कि उसे रातभर लगाकर ना सोए, उसकी बैटरी 15% पर ही चार्जिंग में लगा दें और हफ्ते में एक बार फोन को स्वीच्ड आफ करके ही चार्ज करें.

इन सब उपाय को अपनाने के बाद आप काफी हद तक फोन हैंग होने की समस्या से छुटकारा पा सकेंगे.

VIDEO : हेयरस्टाइल फौर कौलेज गोइंग गर्ल्स

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

विश्व बैंक ने जीएसटी पर उठाए गंभीर सवाल

माल एवं सेवा कर (GST) को लेकर वैश्व‍िक वित्तीय संस्था विश्व बैंक ने गंभीर सवाल उठाते हुए इसे काफी जटिल बताया है. इससे जीएसटी को बेहतर बनाने की कोशिश में लगी नरेंद्र मोदी सरकार को एक बड़ा झटका लगा है. ऐसा इसलिए क्योंकि विश्व बैंक ने हाल ही में जारी की गयी एक रिपोर्ट में जीएसटी के बारे में बताया है कि 115 देशों में से भारत में लागू यह टैक्स रेट सबसे ज्यादा है.

विश्व बैंक की रिपोर्ट में उन देशों के टैक्स रेट और स्लैब की तुलना की गयी है, जहां जीएसटी लागू है. इस रिपोर्ट में कुल 115 ऐसे देश शामिल किये गये हैं. बताते चलें कि मोदी सरकार ने पिछले साल 1 जुलाई से जीएसटी लागू किया था.

115 देशों में GST लागू

भारत में लागू जीएसटी में 5 टैक्स स्लैब हैं. इसमें 0%, 5%, 12%, 18% और 28% है. कई सामान और सेवाओं को जीएसटी के दायरे से बाहर भी रखा गया है. फिलहाल पेट्रोलियम उत्पाद और रियल एस्टेट को जीएसटी से बाहर रखा गया है वहीं, सोने पर 3% का टैक्स रेट लगता है. जिन चीजों को जीएसटी के बाहर रखा गया है, उन पर पहले की कर व्यवस्था के हिसाब से ही टैक्स लगता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे विश्व में 115 देशों में जीएसटी लागू है. 115 देशों में केवल 5 देश- भारत, इटली, लग्जमबर्ग, पाकिस्तान और घाना में 5 टैक्स स्लैब की व्यवस्था है. रिपोर्ट के अनुसार इन चारों देशों की अर्थव्यवस्था कठिन दौर में ही है. 49 देशों में केवल 1 टैक्स स्लैब है. 28 देशों में 2 टैक्स स्लैब रखे गए हैं.

रिपोर्ट में शामिल हैं ये सुझाव

वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी को लागू करने के लिए किये गये खर्च पर भी सवाल उठाया है साथ ही जीएसटी के बाद टैक्स रिफंड की धीमी रफ्तार पर भी चिंता जताई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रिफंड फंसने से इसका सीधा असर कारोबारियों की पूंजी पर पड़ता है. इससे उनका कारोबार प्रभावित होता है. हालांकि, वैश्व‍िक वित्तीय संस्था ने अपनी रिपोर्ट में भविष्य में इसमें जरूरी बदलाव करने का सुझाव दिया है और उम्मीद जतायी है कि भविष्य में इसमें सकारात्मक बदलाव होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि टैक्स स्लैब की संख्या कम करने और कानूनी प्रावधानों को आसान करने से, जीएसटी ज्यादा प्रभावी और असरदार होगा.

बता दें कि विश्व बैंक का कहना है कि स्थानीय करें खत्म करने को लेकर स्पष्टता का अभाव है. मसलन, तमिलनाडु सरकार ने स्थानीय प्रशासनों पर जीएसटी की 28% ऊंची स्लैब दर से भी अधिक मनोरंजन कर थोप दिया है. राजस्व संग्रहण जारी रखने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने भी जीएसटी से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए मोटर वाहन कर बढ़ा दिया है.

VIDEO : गर्मियों के लिए बेस्ट है ये हेयरस्टाइल

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

‘न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर’ की दुर्लभ बीमारी से ग्रसित हैं इरफान खान

पिछले बीस दिन से इरफान खान की बीमारी पर लगायी जा रही अटकलों को खुद इरफान खान ने अपने ट्वीट के माध्यम से खत्म कर दिया है. इरफान खान ने लिखा है कि उन्हें ‘न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर’ की दुर्लभ बीमारी है. अपनी इस बीमारी के इलाज के लिए वह विदेश जाने वाले हैं. डाक्टरों की माने तो इसका उपचार संभव है. मगर यदि उपचार में देरी हो जाए और ट्यूमर में कैंसर भी हो जाए, तो वह जानलेवा हो जाएगा.

22 फरवरी को फिल्म ‘‘ब्लैकमेल’’ के ट्रेलर लांच के अवसर पर जब इरफान खान मिले थे, तो इस बात का किसी को अंदाजा नहीं था कि बहुत जल्द उनके दुर्लभ बमारी के शिकार होने की खबर आ जाएगी. लेकिन दो तीन दिन बाद ही खबर आयी थी कि इरफान खान को पीलिया हो गया है, जिसके चलते उनकी मुख्य भूमिका वाली और विशाल भारद्वाज के निर्देशन में शुरू होने वाली नई फिल्म कुछ समय के लिए टल गयी है. पर दो तीन दिन बाद ही उनकी बीमारी को लेकर कई तरह की अटकलें गर्म हो गयी थीं.

तब खुद इरफान खान ने ट्वीटर पर ट्वीट करते हुए लिखा था- ‘‘कभी कभी आप ऐसे झटके के साथ उठते हैं कि आपकी जिंदगी आपको हिलाकर रख देती है. मेरी जिंदगी के पिछले 15 दिन रहस्यमय कहानी की तरह रहे हैं. मुझे नहीं पता था कि दुर्लभ कहानियों की खोज मुझे दुर्लभ बीमारी तक पहुंचा देगी. मैने कभी हार नहीं मानी और हमेशा अपनी पसंद के लिए लड़ता आया हूं, आगे भी ऐसा ही करुंगा. मेरा परिवार और मेरे दोस्त मेरे साथ हैं. हम सबसे अच्छे तरीके से निपटने की कोशिश कर रहे हैं. तब तक आप लोग कृपया कोई अंदाजा न लगाएं. सप्ताह या दस दिन में जांच रपट सामने आ जाएंगी, तब मैं खुद ही अपनी कहानी आपको बताउंगा. तब तक मेरे लिए दुआ करें.’’

लेकिन इसके बाद कुछ समाचार चैनलों पर प्रसारित हुआ कि इरफान खान को ब्रेन कैंसर हो गया है. तब कई लोगों ने आगे बढ़कर इसका खंडन किया था. एक ट्रेड पंडित ने तो यहां तक ऐलान कर दिया था कि इरफान खान पूरी तरह से स्वस्थ हैं.

पर दो दिन बाद ही इरफान की पत्नी सुतपा ने ट्वीटर पर ही लिखा- ‘‘कृपया अंदाजा न लगाएं. मेरे पार्टनर व पति इरफान बीमार हैं. वह इस बीमारी से एक वीर योद्धा की तरह लड़ रहे हैं. हम सभी उनके साथ हैं और बहुत जल्द वह विजेता बनकर उभरेंगे.’’

अब सारी जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद खुद इरफान खान ने ट्वीटर पर आकर अपनी बीमारी का खुलासा करते हुए मार्गरेट मिचेल के एक कथानक का उल्लेख करने के बाद लिखा है- ‘‘अनचाही समस्याओ से हम ग्रो करते हैं. अब यह बात सामने आ गयी है कि मुझे ‘न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर’ की दुर्लभ बीमारी हो गयी है. लेकिन मेरे आस पास के लोगों के प्यार व ताकत ने मेरे अंदर एक नई उम्मीद पैदा की है. लेकिन अब मुझे देश से बाहर इलाज के लिए जाना है. मैं हर किसी से यही निवेदन करुंगा कि वह अपनी दुआंए भेजते रहे. जैसा कहा जा रहा था, तो मैं बता दूं कि इस बीमारी का दिमाग से कुछ भी लेना देना नही है. बहुत जल्द मैं कुछ और कहानियां लेकर आउंगा.’’

bollywood

मुंबई के कई डाक्टरों का मानना है कि इस तरह की बीमारी शुगर की बीमारी की वजह से पैदा होती है और यह बीमारी अमूमन पता ही नही चलती है. मुंबई के एक डाक्टर का दावा है कि एक लाख शुगर मरीजों में से मुश्किल से पांच छह मरीज ही इस तरह की बीमारी के मिलते हैं. डाक्टरों की राय में ट्यूमर की यह बीमारी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है और इसका इलाज दवा व आपरेशन से हो सकता है, मगर कई बार इसका पता चलने में देर लग जाती है. उस वक्त तक यह कैंसर में परिविर्तित हो चुका होता है, तब तकलीफ बढ़ जाती है.

इरफान की नई फिल्म ‘‘ब्लैकमेल’’ को छह अप्रैल को प्रदर्शित होना है. इसका ट्रेलर 22 फरवरी को रिलीज हुआ था. उस वक्त इरफान खान भी मौजूद थे. मगर उसके बाद ही इरफान खान बीमार पड़ गए. उनकी बीमारी के चलते इस फिल्म का प्रमोशन नहीं हुआ है. मगर यह फिल्म सिनेमाघरों में पहुंचेगी.

ब्लैक कौमेडी वाली फिल्म ‘‘ब्लैकमेल’’ के निर्दशक अभिनय देव कहते हैं- ‘‘मैं हाल ही में इरफान से मिला, तो उन्होने कहा कि उनकी बीमारी की वजह से फिल्म का प्रदर्शन नहीं टलना चाहिए और फिल्म को नुकसान नहीं होना चाहिए. इरफान चाहते हैं कि फिल्म ‘‘ब्लैकमेल’’ को पूरी भव्यता के साथ रिलीज किया जाए. इसलिए हम इसे 6 अप्रैल को रिलीज कर रहे हैं.’’

VIDEO : हेयरस्टाइल फौर कौलेज गोइंग गर्ल्स

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

मैं अब तक गर्भधारण नहीं कर सकी हूं. मुझे पीसीओएस है. मेटफोर्मिन की गोलियां ले रही हूं. कृपया कोई समाधान बताएं.

सवाल
विवाह को 20 महीने हो गए हैं. मैं अब तक गर्भधारण नहीं कर सकी हूं. डाक्टर से जांच परीक्षण कराने पर पता चला है कि मुझे पीसीओएस है. पिछले 4 महीनों से मेटफोर्मिन की गोलियां ले रही हूं. हारमोन के इंजैक्शन लेतेलेते थक गई हूं. इन से कोई लाभ नहीं हो रहा. कृपया कोई समाधान बताएं?

जवाब
पौलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम में सब से बड़ी समस्या यह होती है कि ओवरीज यानी डिंबग्रंथियों में हर माह मासिकचक्र के साथ डिंब के पकने और पीरियड के मध्य में पके डिंब के ओवरी से छूटने पर ताला सा लग जाता है. नतीजतन गर्भधारण नहीं हो पाता और बंध्यत्व की समस्या हो जाती है.

मेटफोर्मिन और गोनेडोट्रोफिन, एफएसएच, एलएचआरएच सरीखे हारमोन देने का लक्ष्य मात्र इतना है कि ओवरीज अपनी सामान्य धुरी पर लौट आएं. उन के भीतर डिंब पकने और डिंब छूटने की शारीरिक क्रिया सामान्य ढंग से होने लगे. पोलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के कारण गर्भधारण न कर पा रही 30 से 55% महिलाएं इस उपचार से लाभान्वित होती देखी गई हैं.

जिन महिलाओं में मेटफोर्मिन और हारमोनल उपचार से अपेक्षित सुधार नहीं हो पाता है उन का छोटा सा औपरेशन कर ओवरीज को सामान्य धुरी पर लौटाने का प्रयास भी किया जा सकता है.

अच्छा होगा कि आप अपने डाक्टर की देखरेख में इलाज कराएं. बहुत संभव है कि शीघ्र ही आप अपना मां बनने का सपना पूरा होते देखें. बारबार डाक्टर बदलने या किसी विज्ञापन के झांसे में आ कर इलाज बदलने से प्राय: समय और पैसा दोनों ही बरबाद होते हैं. इस नुकसान से खुद को बचा कर रखें.

VIDEO : हेयरस्टाइल फौर कौलेज गोइंग गर्ल्स

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

मुझे अर्धनग्न देखना चाहता था डायरेक्टर : जेनिफर लोपेज

मशहूर हौलीवुड एक्ट्रेस जेनिफर लोपेज ने हौलीवुड में अपने साथ हुए सेक्शुअल हरासमेंट का खुलासा किया है. एक्ट्रेस के इस खुलासे के बाद एक बार फिर हौलीवुड प्रोड्यूसर हार्वे वेइंस्टीन के विवाद को हवा दे दी है. एक्ट्रेस और सिंगर जेनिफर लोपेज ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने करियर के शुरुआती दिनों के बुरे अनुभवों को दुनिया के सामने जाहिर किया है.

एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में जेनिफर लोपेज ने कहा कि इस इंडस्ट्री में जिसके पास ताकत होती है वो सामने वाले का फायदा उठाने की कोशिश जरूर करता है. जेनिफर लोपेज ने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताया , ‘जब मैं अपनी फिल्म के डायरेक्टर से पहली बार मिली तो उसने मुझसे अर्द्धनग्न होकर दिखाने को कहा. मैंने साफ इंकार कर दिया.’

bollywood

एक्ट्रेस और सिंगर जेनिफर ने आगे कहा, ‘ये मेरे लिए काफी डरावना अनुभव था. जो कुछ पहली मुलाकात के दौरान मेरे साथ हुआ, उसके बाद मैं इतनी डरी हुई थी कि किसी को नहीं बता सकती थी. जब मैंने इस पर बात की तो मेरी हार्टबीट बढ़ी हुई थी. ये मेरी शुरुआती फिल्मों में से एक थी. लेकिन मेरे दिमाग में यही था कि लोगों का व्यवहार ठीक नहीं है. मैं दूसरे रास्ते पर जा सकती हूं.’

बता दें कि पिछले साल हौलीवुड की कुछ एक्ट्रेस ने प्रोड्यूसर हार्वे वेइंस्टिन के खिलाफ यौन उत्पीड़न के सनसनीखेज आरोप लगाए थे. इन आरोपों के बाद तो सोशल मीडिया में #metoo कैंपेन भी चल पड़ा था. इस कैंपेन के तहत दुनिया भर की महिलाएं अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न की घटना को सोशल प्लेटफौर्म पर शेयर कर रही थीं.

#metoo कैंपेन के तहत भारत में भी बौलीवुड अभिनेत्रियों समेत तमाम महिलाओं ने अपने साथ हुए यौनाचार का खुलासा किया था. #metoo कैंपेन बेहद कम समय में इतना ज्यादा चर्चित हो गया कि देखते ही देखते सोशल मीडिया पर देश विदेश से लोगों की प्रतिक्रियाएं आने लगीं.

VIDEO : हेयरस्टाइल फौर कौलेज गोइंग गर्ल्स

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

मैदान में नागिन डांस के बाद ड्रेसिंग रूम में तोड़फोड़

कोलंबो में खेली जा रही निदाहास ट्रोफी के आखिरी लीग मैच में श्रीलंका और बांग्लादेश आमने-सामने थे. इस मैच में बांग्लादेश ने रोमांचक जीत दर्ज की. इस जीत के साथ ही बांग्लादेश ने फाइनल का टिकट भी हासिल कर लिया. कांटे के इस मुकाबले में दर्शकों को रोमांच और बेहतरीन क्रिकेट के साथ-साथ झड़प और जीत के बाद बांग्लादेशी खिलाड़ियों का नागिन डांस भी देखने को मिला. इस मैच के आखिरी ओवर में नो-बौल को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया. यह विवाद धीरे धीरे बद से बदतर होता गया. खिलाड़ी आपे से बाहर हो गए और नौबत यहां तक आ गई कि पूर्व खिलाड़ियों को इसमें दखल देना पड़ा.

मैदान पर जो हुआ वह अगर काफी नहीं था तो ड्रेसिंग रूम में उससे भी बुरा हुआ. बांग्लादेश के ड्रेसिंग रूम के शीशे टूटे हुए थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शीशे ड्रेसिंग रूम के अंदर से तोड़े गये लगते हैं. बाहर की ओर लगे सीसीटीवी कैमरे में बांग्लादेशी खिलाड़ियों का अपने ड्रेसिंग रूम की सीढ़ियों, जिस पर कांच के टुकड़े बिखरे हुए थे, पर भागने का फुटेज कैद हुआ है. ऐसा माना जा रहा है कि दरवाजा उसी समय तोड़ा गया.

मैच रेफरी क्रिस ब्राड ने फुटेज देखी है. रेफरी ने कैटरिंग स्टाफ से बात की है. बताया जा रहा है कि कैटरिंग स्टाफ ने उन खिलाड़ियों के नाम बताए हैं जो इस घटना में शामिल हो सकते हैं. लेकिन ब्राड का कहना है कि जरूरी नहीं कि ये बयान उनकी जांच का आधार बने. उन्होंने बाहर से अंदर की ओर लगे कैमरे की फुटेज की मांग की है. इस बीच यह भी खबर है कि बांग्लादेशी टीम प्रबंधन ने नुकसान की भरपाई करने की बात कही है.

बता दें कि श्रीलंका में खेली जा रही निदाहास ट्रोफी के एक मैच में नो बौल को लेकर विवाद बढ़ गया. आखिरी ओवर की दूसरी बाउंसर को जब नो बौल नहीं दिया गया, तब बांग्लादेश की टीम नाराज हो गई. विवाद इतना बढ़ गया कि बांग्लादेशी कप्तान शाकिब उल हसन ने अपनी टीम को मैदान से बाहर बुला लिया और दोनों टीमों में तू-तू मैं-मैं भी जमकर हुई. हालांकि, लगभग 5 मिनट तक चले इस घटनाक्रम का खात्मा किया पूर्व बांग्लादेशी क्रिकेटर खालिद महमूद ने. उनके समझाने के बाद शाकिब ने अपने खिलाड़ियों को खेलने के लिए भेजा और बांग्लादेश ने इस मैच में जीत दर्ज की. बता दें कि अगर बांग्लादेशी बल्लेबाज बैटिंग के लिए नहीं जाते तो टीम को टूर्नामेंट से डिस्क्वालिफाइ कर दिया जाता और श्रीलंका फाइनल में होती.

VIDEO : हेयरस्टाइल फौर कौलेज गोइंग गर्ल्स

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें