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हरा चारा ज्वार पशुओं के लिए फायदेमंद

हमारे गांवों की 73 फीसदी आबादी पशुपालन से जुड़ी है. जिन किसानों के पास जोत कम है, वे भी चारे की फसलों की अपेक्षा नकदी फसलों की ओर ज्यादा ध्यान देते हैं.

हरा चारा खिलाने से पशुओं में भी काम करने की कूवत बढ़ती है वहीं दूध देने वाले पशुओं के दूध देने की कूवत बढ़ती है, इसलिए उत्तम चारे का उत्पादन जरूरी है, क्योंकि चारा पशुओं को मुनासिब प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिज पदार्थों की भरपाई करते हैं.

हरा चारे का उत्पादन कुल जोत का तकरीबन 4.4 फीसदी जमीन पर ही किया जा रहा?है. 60 के दशक में पशुओं की तादाद बढ़ने के बावजूद भी चारा उत्पादन रकबे में कोई खास फर्क नहीं हुआ है.

अच्छी क्वालिटी का हरा चारा हासिल करने के लिए ये तरीके अपनाए जाने चाहिए:

जमीन : ज्वार की खेती के लिए दोमट, बलुई दोमट और हलकी व औसत दर्जे वाली काली मिट्टी जिस का पीएच मान 5.5 से 8.5 हो, बढि़या मानी गई है.

यदि मिट्टी ज्यादा अम्लीय या क्षारीय है तो ऐसी जगहों पर?ज्वार की खेती नहीं करनी चाहिए.

खेत और बीज 

पलेवा कर के पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें या हैरो से. उस के बाद 1-2 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से कर के पाटा जरूर लगा देना चाहिए.

एकल कटाई यानी एक कटाई वाली किस्मों के लिए 30-40 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर और बहुकटान यानी बहुत सी कटाई वाली प्रजातियों के लिए 25-30 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में डालना चाहिए.

उन्नतशील किस्में चुनें

हरे चारे के लिए ज्वार की ज्यादा पैदावार और अच्छी क्वालिटी लेने के लिए अच्छी प्रजातियों को ही चुनें.

बीजोपचार

बोने से पहले बीजों को 2.5 ग्राम एग्रोसन जीएन थीरम या 2.0 ग्राम कार्बंडाजिम प्रति किलोग्राम के हिसाब से बीज उपचारित करना काफी फायदेमंद रहता है. ऐसा करने से फसल में बीज और मिट्टी के रोगों को कम कर सकते हैं.

ज्वार को फ्रूट मक्खी से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 1 मिलीलिटर प्रति किलोग्राम के हिसाब से बीज उपचारित करना फायदेमंद रहेगा.

बोने का तरीका

हरे चारे के लिए जायद मौसम में बोआई का सही समय फरवरी से मार्च तक है. ज्यादातर किसान ज्वार को बिखेर कर बोते हैं, पर इस की बोआई हल के पीछे कूंड़ों में और लाइन से लाइन की दूरी 30 सैंटीमीटर पर करना ज्यादा फायदेमंद है.

खाद और उर्वरक

खाद और उर्वरक की मात्रा का इस्तेमाल जमीन के मुताबिक करना चाहिए. अगर किसान के पास गोबर की सड़ी खाद, खली या कंपोस्ट खाद है तो बोआई से 15-20 दिन पहले इन का इस्तेमाल खेत में करना चाहिए.

एकल कटान यानी एक कटाई वाली प्रजातियों में 40-50 किलोग्राम नाइट्रोजन और 40 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें और बची 40-50 किलोग्राम नाइट्रोजन फसल बोने के एक महीने बाद मुनासिब नमी होने पर खड़ी फसल पर इस्तेमाल करना चाहिए.

बहुकटान वाली किस्मों में 60-75 किलोग्राम नाइट्रोजन और 40 किलोग्राम फास्फोरस बोआई के समय और 15-20 किलोग्राम नाइट्रोजन हर कटाई के बाद प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना चाहिए.

खरपतवार नियंत्रण

आमतौर पर बारिश के मौसम में पानी देने की जरूरत नहीं होती. अगर बारिश न हो तो पहले फसल को हर 8-12 दिन के फासले पर सिंचाई की जरूरत होती है. फसल की बोआई के तुरंत बाद खरपतवार को जमने से रोकने के लिए 1.5 किलोग्राम एट्राजिन 50 डब्ल्यूपी या सिमेजिन को 1000 लिटर पानी में घोल बना कर जमाव से पहले खेत में छिड़कना चाहिए.

ज्वार के कीट व रोग प्रबंधन

मधुमिता रोग : फूल आने से पहले 0.5 फीसदी जीरम का 5 दिन के फासले पर 2 छिड़काव करने से इस रोग से बचाव हो सकता है. बाली पर अगर रोग दिखाई दे रहा हो तो उसे बाहर निकाल कर जला दें.

दाने पर फफूंद : फूल आते समय या दाना बनते समय अगर बारिश होती है तो इस रोग का प्रकोप ज्यादा होता है. दाने काले व सफेद गुलाबी रंग के हो जाते हैं. क्वालिटी गिर जाती है. इसलिए अगर फसल में सिट्टे आने के बाद आसमान में बादल छाएं और आबोहवा में नमी ज्यादा हो तो मैंकोजेब 75 फीसदी 2 ग्राम या कार्बंडाजिम दवा 0.5 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल बना कर 10 दिन के फासले पर 2 छिड़काव करें.

चारकोल राट : इस रोग का प्रकोप रबी ज्वार के सूखे रकबे में छिली मिट्टी में होता है. इस का फैलाव जमीन पर होता है. इस रोग की रोकथाम के लिए नाइट्रोजन खाद का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए और प्रति हेक्टेयर पौधों की तादाद कम रखनी चाहिए. बीज को बोआई के समय थाइरम 4.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपचारित करना चाहिए.

पत्ती पर धब्बे (लीफ स्पौट) : इस की रोकथाम के लिए डाईथेन जेड 78 0.2 फीसदी का 2 बार 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करने से बचाव हो जाता है.

मुख्य कीट

प्ररोह मक्खी : यह कीट ज्वार का घातक दुश्मन है. फसल की शुरुआती अवस्था में यह कीट बहुत नुकसान पहुंचाता है. जब फसल 30 दिन की होत है, तब तक कीट से फसल को 80 फीसदी तक नुकसान हो जाता है.

इस कीट की रोकथाम के लिए बीज को इमिडाक्लोप्रिड गोचो 14 मिलीलिटर प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर के बोना चाहिए.

बोआई के समय बीज की मात्रा 10 से 12 फीसदी ज्यादा रखनी चाहिए. जरूरी हो तो अंकुरण के 10-12 दिन बाद इमिडाक्लोप्रिड 200 एसएल 5 मिलीलिटर प्रति 10 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए. फसल काटने के बाद खेत में गहरी जुताई करें और फसल के अवशेषों को एकत्रित कर जला दें.

तनाभेदक कीट : इस कीट का हमला फसल लगने के 10-15 दिन से शुरू हो कर फसल पकने तक रहता?है. इस के नियंत्रण के लिए फसल काटने के तुरंत बाद खेत में गहरी जुताई करें और बचे हुए फसल अवशेषों को जला दें.

खेत में बोआई के समय खाद के साथ 10 किलोग्राम की दर से फोरेट 10 जी या कार्बोफ्यूरान दवा खेत में अच्छी तरह मिला दें. बोआई के 15-20 दिन बाद इमिडाक्लोप्रिड 200 एसएल 5 मिलीलिटर प्रति 10 लिटर या कार्बोरिल 50 फीसदी घुलनशील पाउडर 2 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल बना कर 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए.

सिट्टे की मक्खी : यह मक्खी सिट्टे निकलते समय फसल को नुकसान पहुंचाती है. इस की रोकथाम के लिए जब 50 फीसदी सिट्टे निकल आएं तब प्रोपेनफास 40 ईसी दवा 25 मिलीलिटर प्रति 10 लिटर पानी में घोल बना कर 10 से 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए.

टिड्डा : यह कीट ज्वार की फसल को छोटी अवस्था से ले कर फसल पकने तक नुकसान पहुंचाता है और पत्तियों के किनारों को खा कर धीरेधीरे पूरी पत्तियां खा जाता है. बाद में फसल में मात्र मध्य शिराएं और पतला तना ही रह जाता है.

इस कीट के नियंत्रण के लिए फसल में कार्बोरिल 50 फीसदी घुलनशील पाउडर 2 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल बना कर 10 से 15 दिन के अंतराल पर 2 छिड़काव करना चाहिए.

पक्षियों से बचाव : ज्वार पक्षियों का मुख्य भोजन है. फसल में जब दाने बनने लगते?हैं, तो सुबहशाम पक्षियों से बचाना बहुत जरूरी है अन्यथा फसल को काफी नुकसान होता है.

कटाई : पशुओं को पौष्टिक चारा खिलाने के लिए फसल की कटाई 5 फीसदी फूल आने पर अथवा 60-70 दिन बाद करनी चाहिए. बहुकटान वाली प्रजातियों की पहली कटाई बोआई के 50-60 दिनों के बाद और बाद की कटाई 30-35 दिन के अंतर पर जमीन की सतह से 6-8 सैंटीमीटर की ऊंचाई पर या 4 अंगुल ऊपर से काटने पर कल्ले अच्छे निकलते हैं.

उपज : प्रजातियों के हरे चारे की उपज 250-450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है, जबकि बहुकटान वाली किस्मों की उपज 750-800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है.

डा. ऋषिपाल, डा. राजेंद्र सिंह

अब स्मार्टफोन में लगेंगे ई-सिम, ये होंगे फायदे

मोबाइल यूजर्स जल्द ही एक ऐसी सुविधा मिलने जा रही है, जिससे आपको स्मार्टफोन में सिम लगाने या बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यही नहीं, मोबाइल आपरेटर बदलने पर यानी कि नंबर पोर्टेबिलिटी कराने पर भी नई सिम खरीदने या फिर बदलने की जरूरत नहीं होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि दूरसंचार विभाग (DoT) ने इंबेडेड सिम (ई-सिम) के लिए गाइडलाइंस जारी कर दी हैं. जिसके मुताबिक, सभी टेलीकौम कंपनियां ई-सिम की सुविधाएं दे सकती हैं. फिलहाल, ई-सिम की टेक्नोलौजी का इस्तेमाल रिलायंस जियो और एयरटेल एप्पल वाच में करती हैं.

क्या है ई-सिम?

ई-सिम को इंबेडेड सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मौड्यूल कहा जाता है. यह तकनीक सौफ्टवेयर के जरिए काम करती है. फिलहाल, इस तकनीक का इस्तेमाल स्मार्टवौच में किया जा रहा है. लेकिन इस तकनीक को अब समार्टफोन पर रोल-आउट कर दिया जाएगा, जिससे यूजर्स केवल सौफ्टवेयर के जरिए टेलीकौम सेवाएं ले सकेंगे. इसके अलावा एक आपरेटर से दूसरे आपरेटर में स्विच करने में भी आसानी होगी. आसान भाषा में समझें तो यह एक ऐसा सिम कार्ड होगा, जो डिवाइस बोर्ड में लगाया जाएगा. चिप होल्ड करने वाले कार्ड की जरूरत खत्म होगी.

टेलीकौम कंपनियां दर्ज करेंगी जानकारी

नई गाइडलाइंस के मुताबिक, अब यूजर्स किसी भी सर्विस प्रोवाइडर टेलीकौम कंपनी से नया कनेक्शन लेता है तो उसके स्मार्टफोन में इंबेडेड सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मौड्यूल यानी ई-सिम डाल दिया जाएगा. जिसके बाद ई-सिम इस्तेमाल करने वाले यूजर्स की जानकारी टेलीकौम कंपनी अपने डाटाबेस में दर्ज कर लेंगी.

एक यूजर को मिलेंगे अधिकतम 18 ई-सिम

डौट ने सिर्फ मोबाइल फोन के लिए नौ सिम के साथ मशीन-टू-मशीन मिलाकर कुल 18 सिम के प्रयोग की इजाजत दी है. यानी की एक यूजर को केवल अधिकतम 18 सिम कार्ड ही इश्यू की जा सकेंगी.

सुनिश्चित करनी होगी सुरक्षा

ई-सिम की सेवाओं के तहत सभी कंपनियों को ई-सिम की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की गारंटी देनी होगी. साथ ही टेलीकौम कंपनियों को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि ई-सिम के लाइसेंस की शर्तों का भी उल्लघंन ना हो. इसके अलावा कंपनियों को ई-सिम में भी नंबर पोर्टिबिलिटी की सुविधा देनी होगी. ई-सिम के लिए कंपनियों को डाटा सेंटर व सर्वर भारत में ही बनाना होगा. नियमों के मुताबिक, सेंटर भारत के बाहर नहीं होना चाहिए.

स्वर्णिम युग में प्रवेश कर रही है भारतीय अर्थव्यवस्था : चीन

भारतीय अर्थव्यवस्था नई उड़ान भरने को तैयार है और वह स्वर्णिम युग में प्रवेश करने वाली है. ऐसे में निवेशकों को जमकर पैसा लगाना चाहिए. यह अपील किसी और की नहीं, बल्कि चीन के शीर्ष सरकारी बैंक की है. भारत में निवेश की व्यापक संभावनाओं को देखते हुए चीन का यह बैंक खास तैयारी कर रहा है.

इंडस्ट्रियल एंड कौमर्शियल बैंक औफ चाईना (आइसीबीसी) ने भारत समर्पित निवेश फंड लांच किया है. इसमें चीन के लोग निवेश कर सकेंगे. यह राशि भारत में निवेश की जाएगी. परिसंपत्तियों के लिहाज से यह दुनिया का सबसे बड़ा बैंक है. चीन के बैंक का यह कदम इस वजह से खास अहम माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अनौपचारिक वार्ता होने के एक सप्ताह बाद यह पहल की गई है. दोनों देशों के नेताओं ने आर्थिक संभावनाओं के दोहन के लिए द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने पर जोर दिया था.

इंडस्ट्रियल एंड कौमर्शियल बैंक क्रेडिट स्यूज इंडिया मार्केट फंड यूरोप और अमेरिका के 20 से ज्यादा स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध उन एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में निवेश करेगा, जो भारतीय बाजारों पर आधारित हैं. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार भारत में निवेश के लिए चीन का यह पहला पब्लिकली औफर्ड फंड है.

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यह फंड भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य में निवेश करेगा. बैंक ने इंडेक्स में प्रमुख उद्योगों के महत्व के लिहाज से विभिन्न सेक्टरों को निवेश के लिए सूचीबद्ध किया है. इसमें वित्तीय क्षेत्र को सबसे ज्यादा अहमियत मिल सकती है. इसके बाद आइटी, वैकल्पिक उपभोग, एनर्जी, आवश्यक उपभोग, कच्चा माल, फार्मास्युटिकल्स, हेल्थकेयर और अन्य उद्योगों पर फोकस होगा.

दुनिया के सबसे बड़े इस चीनी बैंक आइसीबीसी की परिसंपत्तियां 3.6 लाख करोड़ डौलर (241 लाख करोड़ रुपये) हैं. बैंक ने फंड लांच करते हुए भारत की शानदार तस्वीर पेश की है. आइसीबीसी क्रेडिट स्यूज इंडिया मार्केट फंड में सात मई से 25 मई के बीज निवेश किया जा सकता है.

आइसीबीसी के एक लेख के अनुसार तमाम विदेशी बाजारों में भारत दुनिया की दूसरी सबसे उभरती अर्थव्यवस्था है. वह आर्थिक विकास के अपने स्वर्णिम युग में प्रवेश करने वाला है. यह एक ऐसा देश है, जहां घरेलू और विदेशी पूंजी के बीच स्पर्धा है. 2017 से ग्लोबल रिकवरी के साथ उभरती अर्थव्यवस्था को फायदा मिल रहा है. इनमें भारत का प्रदर्शन सबसे अच्छा है.’

पिछले एक महीने में व्हाट्सऐप में आए ये 5 शानदार फीचर्स

व्हाट्सऐप अपने यूजर्स की सुविधाओं के लिए पिछले एक महीने में कई सारे फीचर्स लेकर आया हैं. जिनमें से कई फीचर्स सिक्योरिटी के लिए तो कई फीचर्स खासकर ग्रुप एडमिन के लिए हैं. अगर आप व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं तो आपको व्हाट्सऐप के इन 5 नए फीचर्स के बारे में पता होना चाहिए. आइए फिर बिनी देर किए जानें इनके बारे में.

ग्रुप डिस्क्रिप्शन

इस फीचर की मदद से आप व्हाट्सऐप ग्रुप का विवरण लिख सकते हैं. यानी कि आप ये बता सकते हैं कि उस ग्रुप का मकसद क्या है? इसके लिए ग्रुप के नाम पर टैप करें और फिर आपको नीचे एड डिस्क्रिप्शन का विकल्प मिलेगा. जिसपर जाकर आप इस फीचर का प्रयोग कर सकेंगे.

ग्रुप का आइकन कौन-कौन बदल सकता है?

व्हाट्सऐप के किसी भी ग्रुप का एडमिन तय कर सकता है कि ग्रुप का कौन-सा मेंबर ग्रुप की प्रोफाइल फोटो और डिस्क्रिप्शन बदल सकता है और कौन नहीं. यानि कि अब इस फीचर के आने के बाद आप बिना एडमिन की इजाजत ग्रुप का आइकन और विवरण नहीं बदल पाएंगे.

ग्रुप मेंबर को सर्च करें

व्हाट्सऐप ग्रुप में किसी मेंबर को सर्च करने का पहले विकल्प नहीं था लेकिन अब ग्रुप के नाम पर टैप करके किसी भी मेंबर को ग्रुप में सर्च कर सकेंगे. पहले सर्च करने के लिए नीचे तक स्क्रौल करना पड़ता था. पर आपको इस नए अपडेट के बाद ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

किसी मेंबर को बार-बार ग्रुप में एड नहीं किया जा सकता

व्हाट्सऐप ने एक और फीचर पेश किया है जिसके बाद ग्रुप के किसी मेंबर द्वारा ग्रुप छोड़ने के बाद उसे ग्रुप में बार-बार एड नहीं किया जा सकेगा.

ग्रुप बनाने वाले को ग्रुप से नहीं हटाया जा सकता

व्हाट्सऐप के नए अपडेट के बाद ग्रुप बनाने को ग्रुप से नहीं हटाया जा सकता है. यानि आपने कोई व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया है तो आपको कोई दूसरा एडमिन ग्रुप से रिमूव नहीं कर सकेगा. यह फीचर ग्रुप एडमिन को ज्यादा पावरफुल बनाता है.

दर्शकों का मनोरंजन ही नहीं उन्हें शिक्षित भी करना चाहता हूं : जौन अब्राहम

सफलतम मौडल से अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके जौन अब्राहम की पहचान एक एक्शन हीरो के रूप में होती है, जबकि वह खुद हास्य फिल्में देखना व हास्य किरदारों को निभाना ज्यादा पसंद करते हैं. मगर ‘‘विक्की डोनर’’ और ‘‘मद्रास कैफे’’ जैसी फिल्में बनाकर अपनी संजीदगी का अहसास करा चुके हैं.

जौन अब्राहम का मानना है कि वह संजीदा विषयों पर संजीदा फिल्में बनाकर दर्शकों का मनोरंजन करने के साथ ही उन्हे शिक्षित भी करना चाहते हैं. जौन अब्राहम से बातचीत करते समय इस बात का भी अहसास होता है कि वह अभिनेता व फिल्म निर्माता होने के साथ साथ देश के राजनैतिक व सामाजिक हालातों को लेकर पूरी तरह से सजग हैं और वह युवा पीढ़ी को भी सजग करना चाहते हैं.

आपकी पिछली कुछ फिल्मों को बाक्स आफिस पर असफलता मिली थी?

फिल्म ‘‘फोर्स 2’’ तो नोटबंदी के अवसर पर रिलीज हुई थी, इसलिए नहीं चली. उससे पहले मेरी फिल्म ‘राकी हैंडसम’ असफल हुई. पर मैं आज भी मानता हूं कि ‘राकी हैंडसम’ भारत की सर्वश्रेष्ठ एक्शन वाली फिल्म है.

जब ‘‘राकी हैंडसम’’ जैसी फिल्में असफल होती है, तब कैसा लगता है?

बहुत तकलीफ होती है. जब हम किसी फिल्म के लिए मेहनत करते हैं, अच्छा काम करते हैं और उसे सराहा ना जाए तो तकलीफ होती है. जब यह फिल्म थिएटरों में आयी थी, तो इसे सफलता नहीं मिली थी. लेकिन अब यह ‘नेट फिलिक्स’ पर काफी पसंद की जा रही है. सभी अब कमेंट लिख रहे हैं कि उन्हें इस फिल्म का एक्शन बहुत पसंद आ रहा है. नेट फिलिक्स वाले हमें बता रहे थे कि एक्शन फिल्मों में ‘राकी हैंडसम’ पहले नंबर पर और ‘फोर्स 2’ दूसरे नंबर पर है. मुझे लगता है कि हम इस फिल्म को सही मार्केटिंग करके सही ढंग से रिलीज नही कर पाए थे. देखिए, मैं इसलिए निर्माता बन गया. क्योंकि मैं अपनी फिल्म को सही ढंग से लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करता हूं. मैं मानता हूं कि दर्शक सिनेमा से मनोरंजन चाहता है, पर मेरा नजरिया यह है कि मनोरंजन भी जरूरी है, तो वहीं ‘मद्रास कैफे’ व ‘परमाणु’ जैसी फिल्में भी जरूरी हैं.

पर मद्रास कैफे’ की ही तरह परमाणु में भी देशभक्ति..?

देशभक्ति तो बायप्रोडक्ट है. मेरा मकसद अच्छी, साफसुथरी और महत्वपूर्ण कहानी लोगों को सुनाना है. मैं लोगों को बताना चाह रहा था कि अमरीका के 11000 सेटेलाइट हमारे भारत देश के उपर निगरानी कर रहे थे, उन सबसे छिप कर हमने किस तरह से न्यूकलियर/परमाणु बम विस्फोट किया. मेरा मकसद देशभक्ति की नारेबाजी करना नहीं है. हमारी फिल्म में हम भारत का तिरंगा झंडा लेकर दौड़ते हुए देशभक्ति की बात नहीं कर रहे हैं. हम तो एक ऐसी कहानी सुना रहे हैं, जिससे आप में देशभक्ति जागृत होती है. मैं बेवजह देशभक्ति के नाम पर किसी तरह की भाषण बाजी में यकीन ही नहीं करता. हमारी फिल्म में हमारा नायक कहता है, ‘हीरो वर्दी से नहीं, इरादे से बनता हैं.’ हमारी फिल्म साधारण होते हुए भी रोमांचक है. यह फिल्म डाक्यूमेंट्री नहीं है, बल्कि ऐसी फीचर फिल्म है, जिसे देखते हुए दर्शक इंज्वाय करेंगे.

इस फिल्म को बनाने से पहले आपने किस तरह का रिसर्च वर्क किया?

काफी रिसर्च किया है. शोधकार्य करना बहुत जरूरी था. क्योंकि हमें एक तथ्यपरक फिल्म बनानी थी. हम बीआरसी, वीआरडीओ, इंटेलीजेंस ब्यूरो, आर्मी इन सब जगहों पर गए. लोगों से बातें की. पूरा रिसर्च किया. मगर लोगों की पहचान को छिपाए रखने के लिए हम यह उजागर नहीं कर सकते कि हमने किनसे बात की. पर बिना रिसर्च के अच्छी फिल्म बन नहीं सकती थी. रिसर्च के लिए हमारा उन लोगों से मिलना जरूरी था, जिन्होंने बम बनाया, जिन्होंने डिनोनेटर बनाए. हमने उन वैज्ञानिको से भी मुलाकात की, जिन्होंने अमरीकन सेटेलाइट को ट्रेस करके उनकी नजरों से भारतीय गतिविधियों को छिपाया. 1998 में आर्मी से जुड़े लोग तो शूटिंग के समय हमारे साथ रहे. हम पोखरण में हुए परमाणु बम विस्फोट से जुड़े रहें हर विभाग के लोगों से मुलाकात की. उनको जोड़कर ही यह फिल्म बनायी है. हां! मैं यह कबूल करता हूं कि पूरी कहानी सत्य घटनाक्रम पर है, पर हमने इसे कमर्शियल फिल्म के रूप में बनाया.

जब आप ऐसे लोगों से मिल रहे थे तो आपके दिमाग में क्या विचार आ रहा था?

हम लोगों से मिल रहे थे, लोग हमें जानकारी दे रहे थे, पर सभी की एक ही शर्त थी कि हमारा नाम कहीं मत लेना. इससे मेरे दिमाग में यह बात आयी कि लोग किस कदर नाम की परवाह किए बगैर देश के लिए मर मिटने, काम करने के लिए तैयार रहते हैं. हमारे देश का स्ट्रक्चर/नींव बहुत मजबूत है. भले लोग इस पर यकीन ना करें. हमारा देश जिस तरह से प्रगति कर रहा है, बहुत जल्द विश्व का नंबर वन देश बन जाएगा.

आपकी फिल्म में राजनीति भी जुड़ी हुई है?

जी हां! पोखरण में कराए गए परमाणु बम विस्टोफ के पीछे राजनीति का जुड़ाव है. पहले 1995 में न्यूक्लीयर बम विस्फोट होने वाले थे. उस वक्त कई दलों की मिश्रित सरकार थी और इसी मसले पर सरकार गिरने वाली थी. इसलिए न्यूक्लियर बम विस्फोट को रोक दिया गया था. जिससे सरकार बच गयी थी. पर 1998 में बाजपेयी के अटल इरादों ने न्यूक्लियर बम विस्फोट करवा लिया. तो हमारी फिल्म में सब कुछ सही सही दर्ज किया गया है. दर्शक परमाणु विस्फोट की कहानी को सुनता आया है. पर फिल्म देखते समय वह बहुत सी जगहों पर चौकेगा. मैने पूरी फिल्म यथार्थ परक बनायी है. जिस तरह से न्यूकलियर बम विस्फोट हुए थे, उसी तरह से हमने दिखाया है. देखिए हम वास्तव में ब्लास्ट तो कर ही नही सकते थे, इसलिए हमने वीएफएक्स का सहारा लिया.

माजिद मजीदी की माने तो वीएफएक्स से नकलीपना आ जाता है?

वह अपनी जगह सही है. मगर हम अपनी इस फिल्म के लिए न्यूकलियर बम विस्फोट तो कर ही नहीं सकते थे. आज की तारीख में मैं अपनी बाडी को बनाने के लिए जिम में मेहनत करता हूं. मेरे अलावा टाइगर श्राफ भी जिम में बहुत मेहनत करता है. बाकी के कलाकार तो महज वीएफएक्स में ही अपनी बाडी बनाते रहते हैं. बालीवुड में मैं और टाइगर श्राफ यह दो लोग ही हैं, जो जिम में मेहनत करते हैं, बाकी तो सब थ्री डी में ही बना लेते हैं. जो वास्तव में होता है, वह वीएफएक्स से नहीं आता. वीएफएक्स से नकलीपना ही आता है. इसलिए मैं माजिद मजीदी के कथन से पूर्णतया सहमत हूं.

रिसर्च के दौरान पोखरण से जुड़े रहे लोगों से बात करते समय आपको उनमें क्या खासियत नजर आयी, जिसने आपको प्रेरित किया?

मैंने पाया कि यह वैसे हीरो नही है, जो कि कैमरे के सामने खड़े होकर अपनी हीरो जैसी बाडी दिखाते हैं. यह बहुत साधारण, लेकिन देश के असली हीरो हैं. ‘जय जवान जय विज्ञान’. यह बहुत साधारण व चुपचाप काम करते हैं. आपके सामने से निकल जाते हैं, और आपको अहसास नहीं होता कि इन्होंने ही न्यूकलियर बम विस्फोट किया था. इन्हें देखकर हमारा हौसला बढ़ता है. इन्हें तो अपना नाम तक नहीं चाहिए. काम करने के बाद भी कहते हैं कि हमारा नाम मत लो. यह जो त्याग है, उसने मुझे बहुत प्रभावित किया.

अमरीका जैसे कई देश खुद तो न्यूकलियर बम बनाते हैं. पर दूसरों पर प्रतिबंध लगाते हैं. इस बारे में आपकी क्या राय है?

जो सच है. वह हमारी फिल्म का हिस्सा है. हमने ट्रेलर में ही बोल दिया है. अमरीका हजार से भी अधिक न्यूकलियर टेस्ट कर चुका है. उसके नक्शेकदम पर चलते हुए चीन 43 टेस्ट कर चुका है और एक के बाद एक अपने परमाणु बम पाकिस्तान में निर्यात कर रहा है. इसलिए अब जरूरत है कि भारत न्यूकलियर देश बने. हमने साफ साफ कह दिया है कि हम किसी के सामने झुकेंगे नहीं.

इंसान के तौर पर आप न्यूक्लीयर बम बनाने के पक्ष में हैं?

लोगों की यह सोच ही गलत है कि न्यूकलियर बम विस्फोट करने का अर्थ यह हुआ कि हम बम बना रहे हैं. हमने अपने आपको सुरक्षित रखने के लिए न्यूकलियर बम विस्फोट किया. ऐसा काम हमने महज ताकत हासिल करने के लिए किया. हम दूसरों पर निर्भर ना रहें, इसलिए हमने न्यूकलियर टेस्ट किया. उस वक्त भी हमने दुनिया को समझाने की भरपूर कोशिश की थी. पर कोई माना नहीं.1995 में तो हम पर दबाव डालकर रोक ही दिया था,1998 में हमने अंततः किया.

क्या आप मानते हैं कि सरकार बदलने के साथ ही इस तरह का निर्णय लोगों पर असर करता है?

जरूर करता है. बाजपेयी जैसे ही शासन में आए, उन्होंने वैज्ञानिकों को आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी दे दी.

वर्तमान सरकार को लेकर आपकी क्या सोच है?

मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि मैं राजनैतिक इंसान नही हूं. मैं किसी राजनैतिक दल से जुड़ा नहीं हूं और ना ही मेरी कोई राजनैतिक महत्वाकांक्षा है. मैं कोई नास्तिक इंसान भी नही हूं. पर मैं कहना चाहता हूं कि हमारी वर्तमान केंद्र सरकार देश के विकास के लिए अच्छा काम कर रही है. यह सरकार देश का विकास चाहती है. और इन्हें 2019 में फिर से सरकार बनाकर काम करने का अवसर देना चाहिए. यदि ऐसा नही हुआ, तो विकास में अवरोध आ जाएगा.

विकास के लिए किन चीजों पर ध्यान दिया जाना चाहिए?

भ्रष्टाचार को खत्म करने और इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने पर ही जोर दिया जाना चाहिए. विकास के लिए यह दोनों बहुत जरुरी है. देखिए, जब आप सड़क, पुल, रेल आदि बनाएंगे यानी कि इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करेंगे, तो दूर दूर रह रहे लोगों के बीच आवाजाही होगी, जुड़ाव होगा. यह हर देश के लिए बहुत जरूरी है. इन सारी चीजों का हमारे देश में बहुत अभाव रहा है. अब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने पर जोर दे रही है. आप खुद देखिए, कितनी तेजी से रोड बन रहे हैं, हाईवे बन रहे हैं, नए नए पुल बन रहे हैं. रेलवे में बहुत कुछ सुधार हो रहा है.

अब तक आपने जो किरदार निभाए, उनमें से किस किरदार ने आपकी निजी जिंदगी पर असर डाला?

फिल्म‘‘मद्रास कैफे’’करते हुए मैंने महूसस किया कि मैं उस जमाने में पहुंच गया, जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. कलाकार के तौर पर मुझे लगा कि मैं एक मुकाम तक पहुंच गया हूं. मैंने अपने किरदार को बड़ी मैच्योरिटी के साथ अभिनीत किया था.

मेरा सवाल है कि किस किरदार का आपकी जिंदगी पर क्या असर हुआ?

मैं वही सोच रहा था. मैंने नागेश कुकनूर की एक फिल्म की थी ‘आशाएं. जो कि चली नहीं थी. उसका मेरी जिंदगी पर बहुत असर पड़ा था. इस फिल्म के लिए मैने उन कैंसर रोगियों के बीच जाकर शूटिंग की थी, जो कि अपना इलाज नहीं कराना चाहते. यह कहते हैं कि, ‘हम मरेंगे, पर इलाज नहीं करवाएंगें, दवा नहीं खाएंगे.’ जिसका असर यह हुआ कि मैं चार माह के लिए डिप्रेशन में चला गया था. उस वक्त मुझे ऐसा लगा कि जीवन इतना खूबसूरत व बहुमूल्य है, फिर भी हम इसे साधारण तरीके से लेते हैं. हम जरा सी गर्मी ठंडी बढ़ने पर हायतोबा मचाने लगते हैं. जबकि यहां लोग दवा भी नहीं लेना चाहते.

डिप्रेशन से उबरने के लिए आपने क्या किया था?

सच कह रहा हूं. इस फिल्म को करने के बाद मैं चार माह के लिए डिप्रेशन में चला गया था. लेकिन उसके बाद मैंने दो कामेडी फिल्में की और खुश हो गया. देखिए, मेरा फेवरेट जानर कामेडी ही है. मुझे कामेडी फिल्में देखना व करना बहुत पसंद है. लोग मुझे एक्शन हीरो मानते हैं, पर हकीकत में मुझे कामेडी बहुत पसंद है.

हौलीवुड फिल्मों के भारत आने से भारतीय फिल्म इंडस्ट्री पर किस तरह का असर पड़ रहा है?

देखिए, हम भारतीयों को मानकर चलना होगा कि मार्वल्स, एवेंजर्स, बैटमैन जैसी बड़ी फ्रेंचाइजी वाली फिल्में भारत में 300 से 500 करोड़ कमाएंगी. यह भी तय है कि हम भारतीय इन फिल्मों के बराबर की फिल्म बना नहीं सकते. क्योंकि हम उनके स्तर का धन नहीं लगा सकते. ऐसे में जरूरी है कि हम इमोशनल और भारतीय संस्कृति से जुड़ी फिल्में बनाएं, वह चलेंगी. मैं बता दूं कि हौलीवुड जाने वाला नहीं है. हौलीवुड ने भारत में अपनी पैठ बना ली है. तो इसका मुकाबला करने के लिए जरूरी है कि हम गुणवत्ता वाली फिल्में बनाएं. अन्यथा हमें काफी नुकसान उठाना पड़ेगा. इसी के साथ मैं यह भी मानता हूं कि हौलीवुड भारत में चाहे जितने पैर जमा ले, भारतीय सिनेमा खत्म नहीं होगा. पूरे विश्व में भारत एक अपवाद है. जहां बौलीवुड की फिल्में ही सबसे ज्यादा चलेंगी.

इसके बाद कौन सी फिल्में कर रहे हैं?

कई फिल्में कर रहा हूं. जिनमें से मनोज बाजपेयी के साथ एक फिल्म‘‘सत्यमेव जयते’’पूरी हो गयी है. यह कमाल की फिल्म होगी. इसके अलावा ‘‘रोमियो अकबर आल्टर’’ कर रहा हूं. निखिल अडवानी के साथ एक फिल्म ‘‘बाटला हाउस’’कर रहा हूं, जिसमें डीसीपी संजीव कुमार यादव का किरदार निभाने वाला हूं. यह फिल्म भी 2008 में दिल्ली के बाटला हाउस में घटित सत्य घटनाक्रम पर आधारित होगी. इसकी शूटिंग हम सितंबर माह में शुरू करेंगे. उससे पहले मैं इसके लिए तैयारी करने वाला हूं. डीसीपी संजीव कुमार यादव से मिलने वाला हूं. अब तक मैने जो कुछ पढ़ा है समझा है, उसके अनुसार संजीव कुमार यादव बहुत ही विनम्र इंसान हैं.

मैच हारने के बाद धोनी ने कहा, हां दुखी हूं मैं

प्लेऔफ की दौड़ से पहले ही बाहर हो चुकी दिल्ली ने शुक्रवार को अपने घर फिरोजशाह कोटला मैदान पर खेले गए आईपीएल के एक अहम मैच में चेन्नई सुपर किंग्स को 34 रनों से हरा उलटफेर कर दिया. दिल्ली ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवरों में संघर्ष के बाद पांच विकेट के नुकसान पर 162 रनों का सम्माजनक स्कोर खड़ा किया था, लेकिन चेन्नई इस आसान से लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई और पूरे ओवर खेलने के बाद छह विकेट पर 128 रन ही बना सकी.

मैच के बाद धोनी ने कहा, “हां इस हार में मैं थोड़ा दुखी हूं लेकिन मुझे नहीं लगता कि हमारे पास बहुत कुछ करने को था. हम कुछ क्षेत्रों में सुधार करना चाहते हैं. ओपनर के अलावा, हमें मिडिल और्डर में अच्छी पार्टनरशिप की जरूरत है.”

इस जीत से दिल्ली को कोई फायदा तो नहीं हुआ है, लेकिन उसने चेन्नई को अंक तालिका में पहले स्थान पर जाने से जरूर रोक दिया. चेन्नई इस समय दूसरे स्थान पर है. यह चेन्नई की इस सीजन में पांचवीं हार और दिल्ली की चौथी जीत है. चेन्नई के लिए इनफौर्म बल्लेबाज अंबाती रायुडू ने 50 रन बनाए जिसके लिए उन्होंने सिर्फ 29 गेंदें ली, जिनमें चार छक्के और चार चौके लगाए. लक्ष्य को देखते हुए रायुडू ने शेन वाटसन (14) के साथ मिलकर टीम को धीमी ही सही, लेकिन सधी हुई शुरूआत दी, लेकिन टीम का मध्यक्रम और निचला क्रम पूरी तरह से बिखर गया.

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दोनों ने पहले विकेट के लिए 46 रन जोड़े. वाटसन को अमित मिश्रा ने ट्रैंट बाउल्ट के हाथों कैच कराया. रायुडू ने 10वें ओवर की चौथी गेंद पर एक रन लेकर अपना अर्धशतक पूरा किया. वह इसी ओवर की आखिरी गेंद पर ग्लेन मैक्सवेल के हाथों लपके गए. 70 के कुल योग पर उनका विकेट हर्षल पटेल ने गिराया. सुरेश रैना 18 गेंदों में सिर्फ 15 रन ही बना सके और संदीप लामिछाने की गेंद पर विजय शंकर को डीप मिडविकेट पर आसान सा कैच दे बैठे.

सैम बिलिंग्स (1) को मिश्रा ने अपना दूसरा शिकार बनाया और 93 के कुल स्कोर पर उन्हें अभिषेक शर्मा के हाथों कैच कराया. 15वें ओवर की तीसरी गेंद पर बिलिंग्स आउट हुए. चार विकेट खो चुकी चेन्नई को जीत दिलाने की जिम्मेदारी कप्तान महेंद्र सिंह धौनी पर थी, लेकिन इस मैच में धौनी का बल्ला भी शांत रहा. 18वें ओवर की आखिरी गेंद पर कप्तान पवेलियन लौट लिए. उन्होंने 23 गेंदों में 17 रन बनाए जिसमें सिर्फ एक चौका शामिल था.

ड्वेन ब्रावो एक रन बना सके. रवींद्र जडेजा 18 गेंदों में दो छक्के मारकर 27 रनों पर नाबाद रहे, लेकिन टीम को जीत नहीं दिला सके. इससे पहले, हर्षल पटेल (नाबाद 36), विजय शंकर (नाबाद 36) की संघर्षपूर्ण पारियों के दम पर दिल्ली सम्माजनक स्कोर खड़ा करने में सफल रही. मेजबान टीम के लिए यह स्कोर भी मुश्किल लग रहा था लेकिन हर्षल ने तीन और शंकर ने एक छक्के की मदद से 26 रन बटोर अपनी टीम को सम्मानजनक स्कोर प्रदान किया.

हर्षल ने 16 गेंदों में चार छक्के और एक चौका लगाया. वहीं शंकर ने 28 गेंदों में दो चौके और दो छक्के लगाए. दोनों ने छठे विकेट के लिए 65 रनों की साझेदारी कर टीम को कम स्कोर तक सीमित रहने से बचाया. दिल्ली को अच्छी शुरूआत की जरूरत थी लेकिन वो उसे मिली नहीं. युवा बल्लेबाज पृथ्वी शौ (17) बड़ा शौट खलेने की कोशिशि में दीपक चहर की गेंद पर शार्दुल ठाकुर के हाथों लपके गए. उनका विकेट 24 रनों के कुल स्कोर पर गिरा.

इसके बाद दिल्ली की उम्मीद ऋषभ पंत ने मैदान पर कदम रखा. चेन्नई की नपी तुली गेंदबाजी ने हालांकि पंत को हाथ खोलने के ज्यादा मौके नहीं दिए. छह ओवर में दिल्ली ने 39 रन बनाए थे. उसे 50 का आंकड़ा छूने के लिए 7.4 ओवरों तक इंतजार करना पड़ा. अय्यर ने पंत के साथ मिलकर दूसरे विकेट के लिए 54 रनों की साझेदारी की.

अय्यर लुंगी नगिदी की गेंद पर हटकर शौट खेलने के प्रयास में 78 के कुल स्कोर पर बोल्ड हो गए. इसी ओवर में पंत भी पवेलियन लौट लिए. नगिदी की गेंद उनके बल्ले का ऊपरी किनारा लेकर थर्डमैन पर खड़े ब्रावो के हाथों में गई जिसे लपकने में उन्होंने कोई गलती नहीं की. पंत का विकेट 81 के कुल स्कोर पर गिरा. पंत ने 26 गेंदों में 38 रनों की पारी खेली जिसमें छह चौके और दो छक्के शामिल थे. यहां से दिल्ली की हालत खराब होती चली गई. मैक्सवेल (5) का बल्ला एक बार फिर शांत रहा और जडेजा ने उन्हें अपनी एक शानदार गेंद पर बोल्ड कर दिया. वह 94 के कुल स्कोर पर आउट हुए.

पिछले मैच में शानदार प्रदर्शन करने वाले युवा बल्लेबाज अभिषेक इस मैच में सिर्फ दो रन ही बना सके और 97 के कुल स्कोर पर ठाकुर की गेंद पर हरभजन सिंह के हाथों लपके गए. आउट होने से एक गेंद पहले ही रैना ने अभिषेक को जीवनदान दिया था जिसका वो फायदा नहीं उठा पाए. यहां से शंकर और हर्षल ने टीम को संभाला और सम्मानजनक स्कोर प्रदान किया. दोनों ने आखिरी ओवर में 26 रन बटोरे. हर्षल ने आखिरी ओवर में तीन और शंकर ने एक छक्का लगाया. चेन्नई के लिए नगिदी ने दो विकेट लिए. जडेजा, ठाकुर और चहर को एक-एक सफलता मिली.

तो अब अर्जुन रामपाल और मेहर जेसिया भी होंगे अलग

फरहान अख्तर और शाहरुख खान के खास दोस्त व अभिनेता फरहान अख्तर का वैवाहिक जीवन भी बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है. सूत्रों के अनुसार अर्जुन रामपाल और उनकी पत्नी मेहर जेसिया पिछले एक साल से एक दूसरे से अलग रह रहे है.

सूत्रों का दावा है कि अर्जुन रामपाल की सुजैन खान के साथ बढ़ती नजदीकियों की वजह से ही अर्जुन रामपाल की शादी टूटने के करीब पहुंच गयी है.

अब सूत्र दावा कर रहे हैं कि समझौते के सारे रास्ते बंद होने के बाद अर्जुन रामपाल ने अपनी पत्नी मेहर जेसिया से अलग रहने चले गए हैं. मगर इस मसले पर अर्जुन रामपाल ने चुप्पी साध रखी है…देखना है कि इनके बीच समझौता होता है या…

छीन ली सांसों की डोर : भाग 2

सूचना पा कर एसआई बृजेश शुक्ल फोर्स के साथ मौके पे पहुंच चुके थे. उन्होंने शव का मुआयना किया. मृतका के गले पर अनेक घाव थे. चूंकि पूरी वारदात मृतका की छोटी बहन सिया के सामने घटित हुई थी, इसलिए उस ने एसआई बृजेश शुक्ल को सारी बातें बता दीं. उस ने बताया कि बजहां गांव के रहने वाले ग्राम प्रधान कृपाशंकर तिवारी का बेटा प्रिंस उर्फ आदित्य तिवारी, प्रधान का ही भतीजा सोनू तिवारी, नीरज तिवारी और दीपू यादव ने दीदी की हत्या की है.

मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पुलिस ने जितेंद्र दुबे की तहरीर पर ग्रामप्रधान कृपाशंकर तिवारी, उस के बेटे आदित्य उर्फ प्रिंस, सोनू तिवारी, नीरज तिवारी और दीपू यादव के खिलाफ हत्या और छेड़छाड़ की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया.

पुलिस ने मामले की जांच की तो पता चला कि ग्रामप्रधान कृपाशंकर का बेटा प्रिंस सालों से रागिनी को तंग किया करता था. वह रागिनी से एकतरफा प्यार करता था. कई बार वह रागिनी से अपने प्यार का इजहार कर चुका था लेकिन रागिनी न तो उस से प्यार करती थी और न ही उस ने उस के प्रेम पर अपनी स्वीकृति की मोहर ही लगाई थी.

पहले तो रागिनी उस की हरकतों को नजरअंदाज करती रही. लेकिन जब पानी सिर के ऊपर जाने लगा तो उस ने अपने घर वालों को प्रिंस की हरकतों के बारे में बता दिया.

बेटी की परेशान जान कर जितेंद्र को दुख भी हुआ और गुस्सा भी आया. बात बेटी के मानसम्मान से जुड़ी हुई थी, भला वह इसे कैसे सहन कर सकते थे. वह उसी समय शिकायत ले कर ग्राम प्रधान कृपाशंकर तिवारी के घर जा पहुंचे. संयोग से कृपाशंकर घर पर ही मिल गए. जितेंद्र ने उन के बेटे की हरकतों का पिटारा उन के सामने खोल दिया. लेकिन कृपाशंकर ने उन की शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया. प्रधानी के घमंड में चूर कृपाशंकर तिवारी ने जितेंद्र को डांटडपट कर भगा दिया.

जितेंद्र दुबे ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि प्रधान से उस के बेटे की शिकायत करनी उन्हें भारी पड़ जाएगी. अगर उन्हें इस बात का खयाल होता तो वह शिकायत कभी नहीं करते.

बाप ने दी बेटे को शह

शिकायत का परिणाम उल्टा यह हुआ कि शाम के समय जब प्रिंस कहीं से घूम कर घर लौटा तो कृपाशंकर ने उस से पूछा, ‘‘बांसडीह के पंडित जितेंद्र तुम्हारी शिकायत ले कर यहां आए थे. वे कह रहे थे कि उन की बेटी को आतेजाते तंग करते हो, क्या बात है?’’

इस पर प्रिंस ने सफाई देते हुए कहा, ‘‘पापा, यह सब गलत है, झूठ है. मैं ने उस की बेटी के साथ कभी बदसलूकी नहीं की. मैं तो उस की बेटी को जानता तक नहीं, छेड़ने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता. मुझे बदनाम करने के लिए पंडितजी झूठ बोल रहे होंगे.’’

‘‘ठीक है, मैं जानता हूं बेटा. मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है कि तू ऐसावैसा कोई काम नहीं करेगा. वैसे मैं ने पंडितजी को डांट कर भगा दिया है.’’

‘‘ठीक किया पापा,’’ प्रिंस के होंठों पर जहरीली मुसकान उभर आई.

प्रिंस ने उस समय तो पिता की आंखों में धूल झोंक कर खुद को बचा लिया. पुत्रमोह में अंधे कृपाशंकर को भी बेटे की करतूत दिखाई नहीं दी. नतीजा यह हुआ कि प्रिंस की आंखों में दुबे की बेटी रागिनी के लिए नफरत और गुस्से का लावा फूट पड़ा. उसे लगा कि पंडित की हिम्मत कैसे हुई कि उस के घर शिकायत करने आ गया. प्रिंस ने उन्हें सबक सिखाने की ठान ली. आखिर उस ने वही किया, जो उस ने मन में ठान लिया था.

दिनदहाड़े रागिनी की हत्या के बाद आसपास के इलाके में दहशत फैल गई थी. मामला बेहद गंभीर था, इसलिए एसपी सुजाता सिंह ने अपराधियों को गिरफ्तार करने के सख्त आदेश दिए. कप्तान का आदेश पाते ही एसआई बृजेश शुक्ल अपनी पुलिस टीम के साथ आरोपियों को तलाशने में जुट गए.

8 अगस्त, 2017 को पुलिस ने जिले से बाहर जाने वाले सभी रास्तों को सील कर दिया. पुलिस को इस का लाभ भी मिला. बलिया से हो कर गोरखपुर जाने वाली रोड पर 2 आरोपी प्रिंस उर्फ आदित्य तिवारी और दीपू यादव उस समय पुलिस के हत्थे चढ़ गए जब वह जिला छोड़ कर गोरखपुर जा रहे थे.

दोनों को गिरफ्तार कर के पुलिस उन्हें थाना बांसडीह रोड ले आई. दोनों आरोपियों से रागिनी दुबे की हत्या के बारे में गहनता से पूछताछ की गई. पहले तो प्रिंस ने पुलिस को अपने पिता की ताकत की धौंस दिखाई लेकिन कानून के सामने उस की अकड़ ढीली पड़ गई. आखिर दोनों ने पुलिस के सामने घुटने टेकने में ही भलाई समझी. उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया. बाकी के 3 आरोपी मौके से फरार हो गए थे.

दोनों आरोपियों से की गई पूछताछ और बयानों के आधार पर दिल दहला देने वाली जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी.

55 वर्षीय जितेंद्र दुबे मूलत: बलिया जिले के बांसडीह में 6 सदस्यों के परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटियां और 1 बेटा अमन था. निजी व्यवसाय से वह अपने परिवार का भरण पोषण करते थे. उन का परिवार संस्कारी था.

बेटियों पर गर्व था दुबेजी को

उन की तीनों बेटियां गांव में मिसाल के तौर पर गिनी जाती थीं, क्योंकि तीनों ही अपने काम से काम रखती थीं. वे न तो अनर्गल किसी दूसरे के घर उठतीबैठती थीं और न ही फालतू की गप्पें लड़ाती थीं. वे पढ़ाई के साथ घर के काम में भी हाथ बंटाती थीं. दुबेजी बेटियों को बेटे से कम नहीं आंकते थे. तभी तो उन की पढ़ाई पर पानी की तरह पैसा बहाते थे. बेटियां भी पिता के विश्वास पर हमेशा खरा उतरने की कोशिश करती थीं.

तीनों बेटियों में नेहा बीए में पढ़ती थी, रागिनी 11वीं पास कर के 12वीं में गई थी जबकि सिया 11वीं में थी. स्वभाव में रागिनी नेहा और सिया दोनों से बिलकुल अलग थी. रागिनी पढ़ाईलिखाई से ले कर घर के कामकाज तक सब में अव्वल रहती थीं. वह शरमीली और भावुक किस्म की लड़की थी. जरा सी डांट पर उस की आंखों से आंसुओं की धारा बह निकलती थी.

बात 2015 के करीब की है. रागिनी और सिया दोनों सलेमपुर के भारतीय संस्कार स्कूल में अलगअलग कक्षा में पढ़ती थीं. उस समय रागिनी 10वीं में थी और सिया 9वीं में. दोनों बहनें घर से रोजाना बजहां गांव हो कर पैदल ही स्कूल के लिए जातीआती थीं. बजहां गांव के ग्राम प्रधान कृपाशंकर तिवारी का बेटा प्रिंस उर्फ आदित्य उन्हें स्कूल आतेजाते बड़े गौर से देखा करता था.

प्रिंस पहली ही नजर में रागिनी पर फिदा हो गया था. थी तो रागिनी साधारण शक्लसूरत की, मगर उस में गजब का आकर्षण था. रागिनी और सिया जब भी स्कूल जाया करती, वह उन के इंतजार में गांव के बाहर 2-3 दोस्तों के साथ खड़ा रहता था.

डिविलियर्स ने बताया कैसे ताजमहल पर किया था अपनी पत्नी को प्रपोज

एबी डिविलियर्स अभी काफी चर्चा में चल रहे हैं. उनके चर्चा की वजह बेंगलुरु हैदराबाद मैच में उनकी शानदार बल्लेबाजी के बाद उनका एक अविश्वस्नीय कैच है. इस मैच में एबी डिविलियर्स ने ऐसा कैच लिया जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया. डिविलियर्स ने हाल ही में एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि कैसे उन्होंने अपनी पत्नी को शादी के लिए प्रपोज किया जो उनके लिए बहुत ही यादगार लम्हें हैं.

एबी ने बताया कि पांच साल पहले ही उनकी शादी हुई थी और उससे पहले जब वे भारत आए थे, तब वे कुछ फोटोग्राफर्स को अपने साथ आगरा के ताजमहल ले गए थे और डेनियल को बताया कि वे उनके सिक्योरिटी गार्ड्स हैं. जबकि वे पूरे वाक्ये को ही शूट कर रहे थे. एबी ने पहले ही इसे पूरी योजना से अंजाम दिया था जिससे डेनियल काफी सरप्राइज हईं. एबी उन लम्हों को काफी खास मानते हैं. उन्हें याद कर एबी कहते हैं कि जब वे इस वाक्ये के बाद लौटे और विराट को इसके बारे में बताया तब विराट ने कहा था, ‘तुम हमारे लिए स्टैंडर्ड काफी ऊंचा कर रहे हो.’ इसके बाद मैंने देखा कि विराट ने अनुष्का के लिए भी काफी अच्छा किया था.

एबी के साथ इस इंटरव्यू में जोंटी रोड्स भी थे एबी ने इस इंटरव्यू के दौरान बताया कि जोंटी रोड्स स्कूल के जमाने से उनके हीरो रहे थे. उनके पास रोड्स की एक हरी कैप भी है जिसपर पीले रंग से जोंटी का नाम भी लिखा है. एबी ने जोंटी की तारीफ करते हुए कहा कि वे एक अच्छे टीचर के साथ साथ ही बहुत अच्छे इंसान भी हैं.

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डिविलियर्स इन दिनों आईपीएल में काफी छाए हुए हैं. उनका बल्ला जम कर चल रहा है वे इस सीजन में सबसे लंबा छक्का मार चुके हैं. गुरुवार के मैच में उन्होंने एक शानदार कैच पकड़ा. जब हैदराबाद 219 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही थी तब अलेक्स हेल्स ने मोइन अली की गेंद को मैदान से बाहर पहुंचाने के इरादे से शौट मारा. गेंद पूरी तरह से बल्ले पर नहीं आई और बाउंड्री लाइन पर तैनात एबी ने छलांग लगाई और गेंद को हवा में एक हाथ से पकड़ लिया.

बेंगलुरु के कप्तान विराट कोहली और मैदान पर मौजूद दर्शकों को तो एक बार विश्वास ही नहीं हुआ कि कैच ले लिया गया है. यह आईपीएल इतिहास के सबसे अच्छे कैचों में से एक माना जा रहा है. मैच के बाद विराट ने खुद कहा कि यह स्पाइडरमैन जैसा काम था. आप आम इंसानों की तरह ऐसा काम नहीं कर सकते. एबी का यह छक्का सोशल मीडिया में वायरल हो गया है.

उल्लेखनीय है कि एबी और विराट की बहुत गहरी दोस्ती है. इसका जिक्र भी डिविलियर्स ने अपने उस वाक्ये की चर्चा के दौरान भी किया है. दोनों के बीच मैदान पर खासी अंडरस्टैंडिंग है और वे कभी भी आईपीएल मैदानों में एक कप्तान खिलाड़ी के तौर पर व्यवहार नहीं कर पाते हालाकि दोनों ही काफी प्रोफेशनल हैं. एबी का भारत से खास रिश्ता भी है उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि उन्होंने भारत में ही अपनी पत्नी को शादी के लिए प्रपोज किया था और कोई ऐसी वैसी जगह नहीं बल्कि ताजमहल में ले जाकर डेनियल डिविलियर्स (उस समय डेनियल स्वार्ट) को प्रपोज किया था.

आयकर विभाग ने टीडीएस फाइलिंग को लेकर दी चेतावनी

आयकर विभाग ने ‘स्रोत पर कर’ की कटौती यानी टीडीएस काटने वाले नियोक्ताओं को चेताया है कि जनवरी-मार्च तिमाही में काटे गए टीडीएस की जानकारी 31 मई तक फाइल करें. तय तारीख तक टीडीएस की जानकारी देने में नाकाम रहने पर 200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना देना होगा. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस संबंध में आज समाचार-पत्रों में विज्ञापन जारी किया है.

क्या है आयकर विभाग का आदेश

आयकर विभाग ने जो आदेश दिया है उसमें कहा गया है कि जनवरी-मार्च तिमाही का टीडीएस फाइल करने की अंतिम तिथि 31 मई है. टीडीएस फाइल करने में देरी होने पर प्रतिदिन 200 रुपए का जुर्माना लगेगा. आगे कहा गया है कि जिन कटौतीकर्ताओं यानी नियोक्ता ने कर की कटौती की है और निर्धारित तिथि तक उसे जमा नहीं किया वे तुरंत इसे जमा करें.

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कहां जमा करेंगे नियोक्ता

इसके लिए उन्हें खुद को आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट ‘www.tdscpc.gov.in’ पर पंजीकृत करना होगा. विभाग ने नियोक्ताओं को टीएएन (कर कटौती एवं संग्रह खाता संख्या) सही भरने और टीडीएस का भुगतान करने वालों का पैन (स्थायी खाता संख्या) संख्या सही भरने की सलाह दी है ताकि वे आसानी से “टैक्स क्रेडिट” प्राप्त कर सकें. टीडीएस की जानकरी में पैन और टीएएन संख्या नहीं होने पर जुर्माना लग सकता है.

हर तीन महीने में देना होता है ब्योरा

आयकर विभाग के नियमों के मुताबिक, कटौतीकर्ता (नियोक्ता) कर्मचारी के वेतन से टीडीएस की कटौती करता है और उसे हर तिमाही या तीन महीने का विवरण आयकर विभाग के साथ साझा करना होता है.

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