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जीना मरना तेरे संग : राजस्थान से कश्मीर पहुंच गई रितु

राजस्थान के बाड़मेर शहर के महावीर चौक में एक खंडेलवाल परिवार रहता है. इस परिवार की एक लाडली बेटी थी रितु खंडेलवाल. वह खूबसूरत थी. पढ़ाईलिखाई में वह कोई ज्यादा होशियार तो नहीं थी, पर ठीकठाक थी. मांबाप उसे जमाने के हिसाब से रहने की सीख दिया करते थे.

रितु के मांबाप मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे. घर से विद्यालय आतेजाते वह किसी से भी बेवजह बोलती तक नहीं थी. ऐसी शरमीली और संकोची स्वभाव की रितु न जाने कब एक कश्मीरी युवक गुलजार से प्यार कर बैठी.

गुलजार करीब 2 साल पहले कुपवाड़ा (कश्मीर) से बाड़मेर में कामधंधे की तलाश में आया था. गुलजार को बाड़मेर के एक कैफे में वेटर की नौकरी मिल गई थी. वह पढ़ालिखा, अच्छी कदकाठी का नौजवान था. उस की बोलचाल से सभी प्रभावित हो जाते थे.

गुलजार को महंगे मोबाइल रखने का शौक था. जैसे ही कोई नया अच्छा मोबाइल बाजार में आता और वह उस के खरीदने की क्षमता की रेंज में होता तो वह खरीद लेता था. वह फेसबुक एवं वाट्सऐप पर ज्यादा ऐक्टिव रहता था. वह अपने इलाके के 3-4 लड़कों को भी बाड़मेर लाया था, जो उसी कौफी कैफे में नौकरी करते थे.

गुलजार घर से साधनसंपन्न था. तभी वह महंगे मोबाइल खरीदता था वरना कैफे की 7-8 हजार रुपए महीने की तनख्वाह से महंगे मोबाइल खरीदना संभव नहीं था. अब बात यह आती है कि अगर गुलजार घर से साधनसंपन्न था तो वह कुपवाड़ा से इतनी दूर वह भी वेटर की नौकरी करने क्यों आया? क्या इस का राज कुछ और था?

बाड़मेर के जिस कैफे में गुलजार नौकरी करता था, वह कैफे एक स्थानीय भाजपा नेता का है. पाकिस्तान से सटे सीमावर्ती जिले बाड़मेर में न जाने कितने गुलजार अपना गुल खिलाने में लगे हैं.

कहते हैं प्यार मजहब और अमीरीगरीबी नहीं देखता. मगर यह कटु सत्य है कि जब भी 2 धर्मों के युवकयुवती ने प्यार या शादी की, बवाल जरूर हुआ है और आगे भी होता रहेगा.

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कोई भी मातापिता यह नहीं चाहेगा कि उस के बच्चे दूसरे धर्म में शादी करें. दूसरे धर्म में शादी करने पर जब हालात बिगड़े तो कोर्ट को भी ऐसे मामलों में दखल देना पड़ा. गत वर्ष जोधपुर शहर में एक हिंदू युवती के मुसलिम युवक से प्यार के बाद शादी करने पर खूब बवाल मचा था. हिंदूवादी संगठनों ने खूब हायतौबा मचाई थी.

अब ऐसा ही ताजा मामला बाड़मेर की रितु खंडेलवाल और कुपवाड़ा के गुलजार का सामने आया है. यह किसी को पता नहीं चला कि कब दोनों में प्यार हुआ और कब उन्होंने बाड़मेर से भाग कर कुपवाड़ा जा कर निकाह और कोर्टमैरिज की. उस में भी यह कि लड़की ने धर्म परिवर्तन कर अपना नाम रितु से जैनब रखा.

रितु हो गई गुलजार की दीवानी

रितु जब गुलजार के संपर्क में आई तो वह उस की दीवानी हो गई. गुलजार भी रितु से बेइंतहा मोहब्बत करता था. उन दोनों को लगा कि उन्हें सारे जहां की खुशी मिल गई. गुलजार सिर्फ डेढ़ साल बाड़मेर में रहा. जमाने से नजरें बचा कर वह दोनों थार नगरी में मिलते रहे. दोनों एकदूसरे को हद से ज्यादा प्यार करते थे. मगर किसी को इन के प्यार की भनक तक नहीं लगी.

एक रोज दोनों एकांत में मिले तो गुलजार बोला, ‘‘रितु, हम दोनों अलगअलग धर्मों के हैं. अगर कल को कोई समस्या खड़ी हो गई तो तुम मुझ से बिछुड़ तो नहीं जाओगी? यह बात याद रखो कि अगर तुम मुझे नहीं मिली तो मैं जीतेजी मर जाऊंगा.’’

‘‘गुलजार, मैं इस जन्म में ही नहीं, हर जन्म में तुम्हारी रहूंगी. तुम से प्यार किया है तो जीते जी निभाऊंगी भी. मैं जमाने से नहीं डरती. तुम्हारे कहने पर मैं अपनी जान भी कुरबान कर सकती हूं.’’ रितु ने गुलजार की आंखों में आंखें डाल कर कहा तो गुलजार समझ गया कि रितु उस का साथ मरते दम तक नहीं छोड़ेगी.

इस के बाद दोनों मिलते रहे और उन का प्यार परवान चढ़ता रहा. गुलजार के एक इशारे पर रितु जान तक देने को तैयार थी. अपने प्यार की खातिर वह अपने मातापिता तक को भुलाने के लिए तैयार हो गई. वही मांबाप जिन्होंने उस की खुशी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. जैसा वह कहती, वह वैसा ही करते थे.

गुलजार ने रितु को अपने रंग में ऐसा रंग लिया था कि वह चंद दिनों की मुलाकात में ही उस पर बेतहाशा यकीन करने लगी थी. एक दिन गुलजार ने उस से कहा, ‘‘रितु, अब थोड़े दिनों बाद तुम बालिग हो जाओगी. इस के बाद हम दोनों कोर्टमैरिज के साथ निकाह कर लेंगे.’’

‘‘सही कह रहे हो गुलजार, मैं भी यही चाहती हूं.’’ रितु ने गुलजार की हां में हां मिलाते हुए कहा.

‘‘रितु, अब मैं वापस कुपवाड़ा जाने की सोच रहा हूं. तुम भी बाद में मौका मिलने पर वहां आ जाना. तुम जानती ही हो कि अगर हम ने बाड़मेर में रह कर कोर्टमैरिज या निकाह किया तो बवाल हो जाएगा. हम कुपवाड़ा जा कर यह सब करेंगे ताकि हमें कभी कोई अलग न कर सके.’’ गुलजार ने रितु को अपनी पूरी योजना समझा दी और इस के बाद घटना से करीब 3 महीने पहले गुलजार हमेशा के लिए बाड़मेर को अलविदा कह कर कुपवाड़ा चला गया.

रितु बाड़मेर में थी और गुलजार कुपवाड़ा में था. दोनों दूर हो कर भी दिलों के करीब थे. दोनों की मोबाइल पर अकसर बातें होती थीं. दोनों एकदूसरे के दिल का हाल पूछते रहते थे. प्रेमी के बिना रितु का मन नहीं लग रहा था.

बना ली कुपवाड़ा जाने की योजना

रितु गुलजार के पास कुपवाड़ा (कश्मीर) जाने की योजना बनाने लगी. उस ने अपने पढ़ाई के कागज और आईडी वगैरह इकट्ठे कर लिए. आखिर उस ने बाड़मेर को अलविदा कहने का मन बना लिया. योजनानुसार रितु खंडेलवाल 16 मार्च, 2018 को बाड़मेर से बड़ौदा के लिए रवाना हुई. वहां उस के कोई रिश्तेदार रहते थे. उस की बुआ मुंबई में रहती थी. उन के पास भी वह राजस्थान से मुंबई अकेली जाती रहती थी. इसलिए मांबाप ने उस के अकेला बड़ौदा जाने पर कोई आपत्ति नहीं जताई.

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रितु राजस्थान से बड़ौदा जाने वाली बस में बैठ कर गई थी, मगर वह 17 मार्च को देर रात तक भी बड़ौदा नहीं पहुंची थी. इस का पता रितु के मातापिता को तब चला, जब उन्होंने बड़ौदा में रहने वाले अपने रिश्तेदार को फोन कर के रितु के पहुंचने के बारे में पूछा. मातापिता एवं अन्य परिजन चिंता करने लगे कि वह कहां चली गई. रितु ने बस का टिकट बाड़मेर से बड़ौदा का लिया था मगर वह कहां गुम हो गई, कोई नहीं जानता.

जवान बेटी के गायब होने पर रितु के मातापिता के होशोहवास गुम थे. उन्होंने अपने स्तर पर उस का पता लगाने की कोशिश की. मगर कहीं पता नहीं चला तो थकहार कर 21 मार्च, 2018 को बाड़मेर की थाना कोतवाली पहुंचे.

थानाप्रभारी को उन्होंने बेटी के गायब होने की बात बताई. थानाप्रभारी अमर सिंह रतनू ने रितु की गुमशुदगी दर्ज कर जांच शुरू कर दी. इस बारे में थानाप्रभारी ने उच्चाधिकारियों से भी विचारविमर्श किया. उन्होंने रितु के मोबाइल फोन की कालडिटेल्स निकलवाई तो उस के फोन की लोकेशन कुपवाड़ा, जम्मूकश्मीर की आ रही थी.

मोबाइल कालडिटेल्स में एक फोन नंबर पर ज्यादा बात करने के सबूत भी मिले. जांच करने पर वह फोन नंबर कुपवाड़ा के गुलजार का पाया गया. जांच में बाड़मेर पुलिस को पता चला कि गुलजार बाड़मेर के ही कौफी कैफे में नौकरी करता था.

इस के बाद बाड़मेर से एक पुलिस टीम कुपवाड़ा, कश्मीर गई. मगर रितु और गुलजार नहीं मिले. कुपवाड़ा पुलिस ने भी बाड़मेर पुलिस को सहयोग नहीं दिया. वहां आतंकवादियों का इतना खौफ है कि पुलिस इलाके में जाने से भी कतराती है.

रितु ने धर्म परिवर्तन कर नाम रखा जैनब

बाड़मेर पुलिस कश्मीर में खाक छान रही थी कि इस बीच बाड़मेर पुलिस को डाक के जरिए जम्मूकश्मीर कोर्ट से रितु उर्फ जैनब और गुलजार के शादी करने के दस्तावेज मिले तो पुलिस टीम बाड़मेर लौट आई.

पुलिस को पता चला कि रितु ने इसलाम धर्म कबूल कर लिया है. उस का नाम जैनब रखा गया है और उस ने गुलजार से निकाह कर लिया है. बाद में उन दोनों ने कोर्ट में कोर्टमैरिज कर ली है.

बाड़मेर पुलिस जम्मूकश्मीर से वापस लौट आई तो रितु के परिजन पुलिस से मिले. पुलिस के हाथ कानून से बंधे थे. रितु बालिग थी और उस ने अपनी मरजी से शादी की थी. ऐसे में पुलिस से मदद नहीं मिलने की स्थिति में परिजन मीडिया के सामने आए. उन्होंने आरोप लगाया कि उन की बेटी को षडयंत्र के तहत फंसाया गया है. पुलिस मदद करे.

इस पर पुलिस अधीक्षक डा. गगनदीप सिंगला के निर्देश के बाद पुलिस की एक स्पैशल टीम बाड़मेर से कुपवाड़ा भेजी गई. इसी बीच रितु के परिजनों ने गुलजार के खिलाफ धोखाधड़ी व अपहरण कर जबरदस्ती शादी करने का मामला दर्ज करा दिया.

राजस्थान हाईकोर्ट में इस मामले में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका भी दायर हुई. रितु के पिता ने बाड़मेर कोतवाली थाने में गुलजार नामक कश्मीरी युवक पर रितु का अपहरण कर जबरदस्ती शादी रचाने के आरोप लगाए थे. जयपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उन्होंने बताया था कि उन की बेटी रितु का अपहरण हुआ है और झूठे दस्तावेजों के आधार पर गुलजार ने जम्मूकश्मीर में उन की बेटी से शादी कर ली है. उन्होंने लव जिहाद की आशंका भी जताई.

बाड़मेर से स्पैशल पुलिस टीम कुपवाड़ा गई और दोबारा खाली हाथ लौट आई. रितु नहीं मिली. बाड़मेर पुलिस अधीक्षक डा. गगनदीप सिंगला ने कहा कि जम्मूकश्मीर पुलिस ने बाड़मेर पुलिस की कोई मदद नहीं की. इस कारण पुलिस रितु को बरामद नहीं कर सकी. रितु के परिजन पुलिस अधीक्षक से फिर मिले और रोरो कर बेटी को बरामद करने की गुहार लगाई.

फेसबुक पर हुआ वीडियो जारी

पुलिस अधीक्षक डा. गगनदीप सिंगला भले इंसान थे. इस कारण वह कोशिश में थे कि किसी तरह रितु और गुलजार एक बार पुलिस गिरफ्त में आ जाएं तो सारा सच सामने आ जाए. मगर रितु के मिलने से पहले 24 अप्रैल, 2018 को कश्मीरी युवक गुलजार के फेसबुक पर रितु और गुलजार ने संयुक्त वीडियो जारी कर पूरे मामले को नया मोड़ दे दिया.

वीडियो में गुलजार हाथ जोड़ कर बोल रहा था कि बाड़मेर के एसपी साहब से निवेदन करते हैं कि उन के पीछे मत लगो. हम ने रजामंदी से शादी की है, कोई गुनाह नहीं किया है. हम अपनी लाइफ जीना चाहते हैं. हमें हमारी लाइफ जीने दो, तंग मत करो.

वीडियो में रितु कह रही थी कि पापा मैं अपने पति गुलजार के साथ बहुत खुश हूं. मैं जिंदगी भर इसी के साथ रहना चाहती हूं और मरना भी इसी के साथ ही है. मेरे पीछे हाथ धो कर मत पड़ो. पापा हमें शाति से रहने दो, तंग मत करो.

पहले वीडियो में रितु का कहना है कि रितु के मातापिता ने उस के पति पर जो आरोप लगाए, वे झूठे हैं. उस ने कहा कि उस का मैरिज सर्टिफिकेट है, जिस पर उस के खुद के फिंगरप्रिंट हैं, जो झूठे नहीं हो सकते.

मैरिज सर्टिफिकेट दिखाते हुए रितु ने कहा कि वह खुद जम्मूकश्मीर आई और वहां आ कर निकाह किया था. मेरा खुद का स्टेटमेंट है, मेरे घर वाले कह रहे हैं कि वो फेक है. कोर्ट के और्डर कभी फेक नहीं होते. मैं अपने बयान जम्मूकश्मीर पुलिस के यहां भी दर्ज करवा चुकी हूं और स्टेटमेंट बाड़मेर भी भिजवा दिया गया है.

उस नेकहा कि मैं खुद यहां आई थी. सभी टिकटें मैं ने खुद करवाई थीं. मैं बड़ौदा के लिए रवाना हुई, अहमदाबाद में बस से उतरी. यदि मेरा अपहरण होता तो मैं अहमदाबाद में क्यों उतरती. अहमदाबाद से मैं दिल्ली पहुंची और दिल्ली से श्रीनगर की फ्लाइट की टिकट भी मैं ने खुद ही करवाई.

मैं अकेली थी, मेरे साथ कोई नहीं था. यहां श्रीनगर कोर्ट में निकाह किया था. उस ने कहा कि मेरे घर वाले कहते हैं कि 18 साल की नहीं हूं. ये मेरी 10वीं की मार्कशीट है, जिस में जन्मतिथि लिखी हुई है.

दूसरा वीडियो गुलजार के फेसबुक पर जारी हुआ. उस वीडियो में गुलजार ने रितु उर्फ जैनब से सवाल किए हैं, जिन के रितु ने जवाब दिए हैं. गुलजार पूछता है कि तुम्हारे मातापिता का आरोप है कि मैं तुम्हारा रास्ता रोकता था, क्या मैं ने ऐसा कभी किया था? इस के जवाब में रितु कहती है कि गुलजार ने मेरे साथ कभी ऐसी हरकत नहीं की.

गुलजार दूसरा सवाल करता है कि क्या मैं ने तुम्हारा अपहरण किया था? इस पर रितु बताती है कि मेरा अपहरण नहीं हुआ, बल्कि मैं खुद फ्लाइट से यहां आई.

तीसरे सवाल में पूछता है कि तुम्हारे पिता का आरोप है कि 20 दिसंबर, 2017 को तुम ने एग्जाम दिए थे, सच्चाई क्या है बताएं?  इस पर रितु कहती है कि 20 दिसंबर को नहीं 20 फरवरी को कालेज में बीए द्वितीय वर्ष का एग्जाम दिया था. यह बात कालेज में पता कर सकते हैं.

रितु ने घर वालों को बताया झूठा

अंत में रितु हाथ जोड़ कर कहती है कि मेरा एसपी साहब से निवेदन है कि मुझ पर मेरे घर वाले झूठा इलजाम लगा रहे हैं, मुझे तंग कर रहे हैं. मैं 18 साल की हूं. मुझे अपनी जिंदगी जीने का हक है. मैं अपनी लाइफ के फैसले खुद कर सकती हूं. मुझे इस (गुलजार) के सिवाय किसी की जरूरत नहीं है.

वीडियो जारी होने के बाद रितु के परिजन मीडिया से मुखातिब हुए. उन्होंने बताया कि ये सब झूठ है. रितु को डरायाधमकाया गया है. वह दबाव में बोल रही थी. 17 मार्च को अहमदाबाद से फ्लाइट में गुलजार भी उस के साथ था. उस की टिकट और दोनों के वीडियो फुटेज भी हैं.

बाड़मेर कोतवाली थानाप्रभारी अमर सिंह रतनू ने वीडियो जारी होने के बाद कहा, ‘‘गुलजार ने जो वीडियो फेसबुक पर डाले हैं, वे सही हैं. गुलजार की लोकेशन तो लगातार कुपवाड़ा की ही आ रही थी. लड़की अकेली ही वहां गई थी, हम लगातार तलाश कर रहे थे. हमारे यहां रिपोर्ट ही दर्ज है, हाईकोर्ट में जवाब पेश करेंगे.’’

बाड़मेर की रितु के कथित धर्म परिवर्तन व निकाह के मामले में वीडियो फेसबुक पर जारी होने के बाद नया मोड़ आ गया. रितु का कहना था कि वह एक बार पहले भी जम्मूकश्मीर गई थी. अब दूसरी बार वह जम्मूकश्मीर आई है.

बाड़मेर पुलिस अधीक्षक डा. गगनदीप सिंगला ने कहा, ‘‘बाड़मेर पुलिस ने युवती के बयान दर्ज किए हैं. युवती ने वीडियो में जो बातें बताई हैं, वही पुलिस ने दर्ज की हैं. परिजनों से फोन पर उस की बात भी करवाई है.’’

रितु का कहना है कि उस पर कोई दबाव नहीं, रजामंदी से निकाह किया है. रितु के मातापिता अब भी यह मानने को तैयार नहीं हैं कि रितु ऐसा कदम उठा सकती है. मगर सत्य को कैसे नकारा जा सकता है.

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सत्य यही है कि रितु धर्म परिवर्तन कर इसलाम धर्म कबूल कर के जैनब बन गई और उस ने गुलजार से निकाह और कोर्टमैरिज कर ली है. वे दोनों बालिग हैं और उन्हें अपना जीवन जीने का हक है.

कथा लिखने तक जैनब और गुलजार कश्मीर में ही थे. इस मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि प्यार न तो धर्म देखता है और न ही रंगरूप. प्यार जिस से हो गया, वही अच्छा लगता है. बाकी सब बेमानी लगते हैं.

तेज प्रताप की शादी में बरातियों का उत्पात

राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे तेज प्रताप यादव की ऐश्वर्या राय से पटना में हुई शादी वैसी ही थी जैसी वैदिक काल में युवराजों की हुआ करती थी और लोकतांत्रिक युग में रईसों की हुआ करती है. ऐसी शादियों में पानी की तरह पैसा बहा कर शक्ति प्रदर्शन किए जाने के एक नहीं, अनेक मकसद होते हैं. इस हुड़दंगी शादी में 7 हजार लोगों को आमंत्रित किया गया था जिन में उल्लेखनीय नाम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, सपा मुखिया अखिलेश यादव और अभिनेता व सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के हैं.

वरमाला होतेहोते बराती अपने भारतीय रंग में आ गए और जम कर तोड़फोड़ की. कुछ तो बरतन तक अपने साथ बरात का टीका समझ कर ले गए. पुराने जमाने की शादियों में ऐसा इफरात से होता था कि बराती गिलासप्लेटें और चादर तक लड़की वालों की तरफ से दिया उपहार समझ चुरा ले जाते थे. बाद में लड़की वाले इस असभ्यता पर सिर धुनते टैंटहाउस वालों को किस्तों में पैसा देते रहते थे.

स्त्रीधन पति का नहीं तो सरकार का कैसे

सरकार को गहनों से लदीफंदी औरतों से बहुत चिढ़ है. वर्षों से आयकर विभाग की निगाहें औरतों के गहनों पर ही रही हैं और जब भी किसी अमीर के घर पर आयकर विभाग छापा मारता है, तो अफसरों की निगाहें औरतों के गहनों पर ही रहती हैं और उन्हें ही जब्त कर के मालखाने ले जाया जाता है. पतिदेव के तो कागज ही होते हैं जो जाते हैं. अब नीरव मोदी से जिन्होंने पिछले सालों में गहने खरीदे थे, उन से पूछताछ हो रही है भले, चैक दे कर भुगतान करा था या नक्द. यह सरासर ज्यादती है. पत्नी को इस से कोई सरोकार नहीं कि उसे जो गहने मिले वे पति के सफेद पैसे से खरीदे गए थे या काले पैसे से. उसे तो जेवरों से मतलब है. उस के जेवर सुरक्षित रहने चाहिए और हरगिज मालखाने की शोभा नहीं बढ़ानी चाहिए.

आजकल आयकर विभाग पहले के राजाओं के कारिंदों की तरह औरतों के गहने जब्त कर ले जाता है. यदि उन की रसीद भी दिखा दी जाए कि ये निहायत सफेद पैसे से खरीदे गए थे तो भी उन्हें यह कह कर ले जाते हैं कि ये वही गहने नहीं हैं जो ज्वैलर से मिली रसीद में लिखे हैं. अगर मां या सास ने पुश्तैनी जेवर दिए थे तो वे तो आयकर विभाग के अनुसार काले स्याह ही हैं. वह मांग करने लगेगा कि डिक्लेयर क्यों नहीं किए? अरे भई, डिक्लेयर तो कितनी ही शादियों में किए थे. अब मैली सरकारी फाइलों के लिए क्या जरूरी है कि संपत्ति कर की रिटर्न में दर्ज किए जाएं? जेवर वैसे भी संपत्ति नहीं हैं. ये तो सजावटी होते हैं, दिखाने के लिए. इन की महत्ता तो रोब डालने की होती है पर सत्यानाश हो सरकार का कि वह इन्हें पाप समझती है.

पति पर करोड़ों का आयकर का फाइन हो जाए पत्नियों को फर्क नहीं पड़ता पर 2 साधारण जड़ाऊ नैकलेस 7-8 माह के लिए आयकर विभाग के पास चले जाएं तो ऐसा लगता है जैसे पति और बच्चों से तलाक हो गया है. अब जब नीरव मोदी के जेवर खरीदे गए थे तो शान ही कुछ और थी. एक तो जेवर महंगे और दूसरा नीरव मोदी वाली मुहर, सोने में सुहागा. पर इस पर बुरा हो सरकार का, जिस की काली छाया पड़ रही है.

औरतों को चाहिए कि संविधान में संशोधन कराएं कि स्त्रीधन जैसे पति नहीं ले सकता वैसे ही सरकार भी जेवर न ले सके. जेवर तो दूसरों का दिल जलाने के लिए होते हैं, सफाई देने के लिए नहीं.

फैशन के ओल्ड स्टाइल का न्यू फंडा

वो दिन लद गए जब फैशन पर सिर्फ फिल्मी हीरोइनों और मौडलों का जलवा हुआ करता था. आज की टीएज गर्ल्स और यहां तक कि आम गृहणियां भी फैशन और स्टाइल में किसी फिल्मी हीरोइनों से कम नहीं हैं. टीनएज गर्ल्स द्वारा अपनाए जा रहे फैशन के नएनए अंदाज का कहना ही क्या, पर क्या आप को पता है कि उन का ये ओल्ड स्टाइल का न्यू फंडा लड़कों को उन का दीवाना बना रहा है तो आइए जानते हैं लड़कियों के फैशन फंडे.

बैली रिंग

बैली रिंग लड़कियों के लिए एक हौट फैशन ट्रैंड हो गया है, दोस्तों के साथ आप क्लब, पार्टीज में लो वेस्ट जींस और क्राप टौप के साथ बैली रिंग को पहन सकती हैं. यह आप को एक मस्त लुक देगा. पर इस एक लिए स्लिम फिगर और फ्लैट टमी का होना बहुत जरूरी है.

सेप्टम पियरसिंग या नाक की बाली

फैशन का न्यू फंडा है नाक के बीचोंबीच बाली पहनना जो आप को डिफरैंट लुक देगा. आप ने नाक में बाली पहने हुए अभी तक आदिवासी महिलाओं को ही देखा होगा. पर अब ये फैशन ट्रैंड में मशहूर हो गया है. आप इसे किसी भी ड्रैस के साथ पहन कर जलवा बिखेर सकती हैं.

कर्टिलेज पियरसिंग

दादी नानी के दौर का कर्टिलेज पियरसिंग यानी कान में दो से अधिक बालियां. लड़कों को सब से ज्यादा लुभाता है. वैसे ये ट्रैंड लड़के भी फालो कर रहे हैं आप अपने ड्रैस के साथ मैच कर के डिफरैंट बालियां पहन सकती हैं. इस में टौप्स के आकार की, बाली के आकार की या आप लटकन वाली चैन भी पहन सकती हैं.

आइब्रो पियरसिंग

बैली, नोज, ईयर, लिप्स पियरसिंग के अलावा आप आइब्रो पियरसिंग पर भी का प्रयोग कर सकती हैं जो आप को वैस्टर्न और मौर्डन लुक देगा. आइब्रो पियरसिंग का ये स्टाइल टीनएज गर्ल्स को खूब लुभा रहा है.

वाटर कलर बौडी टैटू

वैसे तो बौडी पर टैटू (उसे पहले गोदना के नाम से जाना जाता था) का फैशन बहुत पुराना है. पर नए दौर के युवा इसे अभी तक फालो कर रहे हैं और करें भी क्यों न बौडी पर टैटू बनाना आजकल एक फैशन हो गया है लेकिन लड़कियों की पीठ और कमर पर बने टैटू की बात ही अलग होती है. वाटर कलर टैटू का फैशन फिलहाल ट्रैंड बन गया है. डीप नैक कुर्ती, ब्लाउज हाफ शोल्डर टौप पर इस तरह का टैटू का लुक बहु ही अच्छा आता है और लड़के भी इसे देखने के लिए बहुत उत्सुक होते हैं. लड़कियों में पापुरल इस तरह का टैटू लड़कों को बहुत अधिक आकर्षित करता है.

मैटल फिंगर रिंग

लड़कियां अपने स्टाइल में चेंज ओवर लाने के लिए मैटल फिंगर रिंग पहन रही हैं. यह रिंग पर्सेनिल्टी को तो निखारती ही हैं बल्कि हौट लुक भी देती हैं. वेस्टर्न व इंडियन किसी भी तरह की डै्रस के साथ इस तरह के रिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है.

नोज रिंग

अब जब नथ को बौलीवुड सैलिब्रिटीज विद्या बालन, सोनाक्षी सिन्हा, दीपिका पादुकोण, करीना कपूर, कैरी कर रही हैं तो यूथ भी इस की दीवानी हो गई है. नथ को पसंद किए जाने की खास वजह गर्ल्स इस को वेस्टर्न पैटर्न में ढलना मानती हैं पहले जहां नथ को ट्रैडिशनल ड्रैस के साथ कैरी किया जाता था वहीं अब यह वेस्टर्न ड्रैसेज के साथ भी पहना जा रहा है. नथ ने बहुत कम समय में यूनीक लुक पाया है. नथ पर आए नए ट्रैंड पर नजर डालें तो यह पहले के मुकाबले बेहद कलरफुल हो गई है. इस समय ट्रैंड लटकी हुई नथ का है. ये हर आकार व कलर में मिलती है जींस के साथ फिटेड नथ, गाउन के साथ थोड़ी लूज नथ का स्टाइल भी अलगअलग जो एल, राउंड, यू और फ्लावर के आकार में उपलब्ध है, जिस में स्टील, गोल्ड प्लेटिनम कुदन, पर्ल्स सभी प्रेश्यस स्टोंस व डायमंड भी हो.

स्टाइलिश बिंदी

माथे पर बिंदी लगाना एक परंपरा रही है. जो पहले सिर्फ साड़ी के साथ ही लगाई जाती थी और वो भी रेड व मैरून कलर की गोल बड़ी बिंदी पर आजकल बिंदियां स्टाइलिश हो गई हैं इसे लड़कियां वेस्टर्न ड्रैसेस के साथ भी ट्राई कर रही हैं. इस में कलरफुल स्टोन वाली व्हाइट स्टोन, पर्ल जड़ी मल्टी कलरड बिंदियां हैं जिसे ने अपनी ड्रैस से मैच कर के लगा रही है.

यूथ खुद को स्मार्ट दिखाने का जुनून अब फैशनेबल ड्रैसेज से बढ़ कर लुक्स की तरफ ज्यादा चला गया है. ऐसे लड़कियों के डिफरैंट तरह के ये लुक्स लड़कों को दीवाना जरूर बना देंगे.

वाह री पुलिस : अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता

राह चलते आटो वाले ने हमें ठोंका सो ठोंका, ऊपर से कम्बख्त हमीं से तूतूमैंमैं पर भी उतारू हो गया. हम ने आव देखा न ताव और पहुंच गए थाने में रपट लिखाने. लेकिन वहां पुलिस की मेहरबानी के पीछे छिपे असली रंग की कहानी तो और भी चौंकाने वाली थी.

मैं और मेरा मित्र पवन दबे कदमों से थाने में पहुंचे. दरअसल, एक आटो वाले ने मुझे टक्कर मार कर गिरा दिया. लेकिन इत्तेफाक से मित्र और आटो वाले के बीच तूतूमैंमैं हुई. आटो वाला मित्र से खूब अकड़ा. वह अपनी गलती मानने को तैयार न था. उन दोनों की तकरार में मैं मूकदर्शक बना खड़ा रहा. आखिर मित्र ने थाने में जाने की धमकी दे कर उस के आटो का नंबर नोट कर लिया.

गुस्से में मित्र और मैं थाने आ गए. थाने के सिपाही ने, जो थानेदार से कम नहीं दिख रहा था, हम दोनों को पहले तो घूरा फिर अकड़ते हुए बोला, ‘‘कहिए.’’

‘‘रपट लिख लीजिए,’’ मित्र बोले.

‘‘किस के खिलाफ?’’ सिपाही ने वही प्रश्न किया जो हर शिकायतकर्ता के साथ करता है. दरअसल, थाने की एक अलग भाषा होती है जो युगों से चली आ रही है.

‘‘उस आटो वाले के खिलाफ, जो इन्हें गिरा कर चला गया. उस से सभ्यता से बात की तो वह बहुत अकड़ा,’’ मित्र ने मेरी तरफ इशारा करते हुए आगे कहा, ‘‘आटो वालों का गुंडाराज हो गया है. ठीक ढंग से चलाते नहीं. कहा था, अपनी गलती कबूल कर लो मगर वह उलटा हमें ही दोषी बताता रहा.’’

मित्र का धाराप्रवाह भाषण सुन सिपाही ने पहले मित्र को कुदृष्टि से देखा. फिर क्रोध से बोला, ‘‘रपट लिखाने के लिए आए हो कि भाषण सुनाने. वह आटो वाला कौन है? उस के आटो का नंबर क्या है?’’

‘‘क्षमा करें, मैं भावुकता में सब कह गया. उस आटो वाले का नंबर नोट कर लिया है,’’ कह कर मित्र ने परचा थमा दिया. फिर क्या था, पुलिस हरकत में आ गई. अब तक जो पुलिस वाला क्रोध में था वह शांत हो चुका था. आटो नंबर उसे क्या मिल गया, जैसे कोई गुप्त खजाना मिल गया हो. खुशी से बोला, ‘‘अब समझो वह आटो वाला बच कर नहीं जाएगा. किधर गया है वह?’’

‘‘चौपाटी की तरफ गया है, सर,’’ मित्र ने जवाब दिया. तब पास खड़े पुलिस वाले से उस ने कहा, ‘‘राम सिंह, यह आटो नंबर नोट करो. अभी पकड़ कर लाओ,’’ फिर मेरी ओर मुखातिब हो कर कहा, ‘‘आप लिखित में शिकायत दीजिए उस के खिलाफ.’’

उस पुलिस वाले ने आटो नंबर नोट किया. उसे भी फुरती आ गई. मोटरसाइकिल पर बैठ कर वह हवा हो चुका था. फिर उस पुलिस वाले ने खुद कागज निकाल कर मुझे दे दिया. मैं शिकायती मजमून लिखने लगा. मित्र ने लिखवाने में पूरापूरा सहयोग दिया. पुलिस वाला फिर हरकत में आया. मुझ से बोला, ‘‘कहां नौकरी करते हो?’’

‘‘शिक्षा विभाग में.’’

‘‘मास्टर हो?’’

‘‘हां, सर,’’ मैं ने गरदन हिला कर जवाब दिया.

‘‘गुरुजी,’’ उस पुलिस वाले ने जब मुझे ‘गुरुजी’ से संबोधित किया तब मुझे लगा उस में शराफत प्रवेश कर गई. वह आगे बोला, ‘‘कहां लगी, गुरुजी?’’

‘‘लगी तो कहीं नहीं,’’ मैं ने जब यह उत्तर दिया तब वह फिर भड़क उठा और बोला, ‘‘तब रपट लिखाने क्यों आ गए?’’

‘‘वह इसलिए आए, सर,’’ मित्र ने जवाब दिया, ‘‘ऐसे उजड्ड और बदतमीज आटो वाले को नसीहत मिले.’’

‘‘अरे गुरुजी, आप चाहें तो उस का पक्का तावीज बना दूं,’’ पुलिस वाला पिघलते हुए बोला.

‘‘वह कैसे?’’ मित्र ने पूछा.

‘‘गुरुजी को अस्पताल ले जा कर चैकअप करा दूंगा. हाथ की हड्डी टूटी बता कर और उस पर पट्टा चढ़वा दूंगा. फिर वह आटो वाला उम्रभर जेल की चक्की पीसेगा.’’

यह कह कर पुलिस वाले ने पूर्णरूप से मुझ पर सहानुभूति दिखा दी. मगर मैं जानता हूं इस सहानुभूति में भी पुलिस वाले की कमाई छिपी है. किस को किस धारा में पकड़ना है, पुलिस वाले को वह धारा मौखिक याद है. निरपराधी पर भी धारा लगा देना, यह कोई पुलिस वाले से सीखे. मैं बोला, ‘‘नहीं सर, मुझे तो उस आटो वाले को सबक सिखाना है.’’

‘‘अरे, ये उजड्ड लोग कभी सबक नहीं सीखेंगे, गुरुजी. इन लोगों को मैं अच्छी तरह से जानता हूं. रातदिन इन के बीच में रहते हैं हम लोग,’’ पुलिस वाला एक बार फिर अपना अधिकार जताते हुए बोला.

तब मित्र ने इनकार करते हुए कहा, ‘‘नहीं, सर. हमें तो उसे सबक सिखाना है. शहर के आटो वाले कम से कम अपनी भाषा में सुधार तो करें.’’

‘‘देखिए, ये आटो वाले, ये टैंपो वाले कभी सुधर नहीं सकते,’’ पुलिस वाला बोला. अब तक मैं अपनी शिकायत लिख चुका था.

हस्ताक्षर कर पुलिस से पावती की डुप्लीकेट कौपी प्राप्त कर ली थी. शिकायती पत्र पा कर पुलिस वाला खुश हो गया. जैसे कोई हथियार मिल गया हो. यह पत्र पुलिस वालों के लिए हथियार से कम नहीं था. फाइल में लगाते हुए बोला, ‘‘गुरुजी, उस बच्चू की खैर नहीं. अभी पकड़ कर लाता है राम सिंह. यदि अभी पकड़ कर नहीं लाया तो बाद में पकड़ा जाएगा. आखिर पुलिस से बच कर कहां जाएगा?’’

हम दोनों हाथ जोड़ कर खड़े हो गए. तभी राम सिंह आ कर बोला, ‘‘चौपाटी पर तो वह आटो वाला नहीं मिला, मगर बच कर नहीं जाएगा.’’

‘‘अरे गुरुजी, आप निश्ंिचत रहें. हम उसे पकड़ लेंगे. उस का आटो जब्त कर लेंगे. फिर वह आप के पास आ कर आप के पांव पड़ेगा,’’ पुलिस वाले ने हमें आश्वस्त करने की कोशिश की. मगर मैं और मेरा मित्र जानते हैं कि पुलिस वालों को बहुत बड़ा हथियार मिल गया है. वे आटो जब्त करेंगे. मैं और मेरा मित्र अंतिम बार हाथ जोड़ कर थाने से बाहर हो गए.

सड़क पर आ कर मित्र बोला, ‘‘अब, आटो वाले की खैर नहीं. जब भी पकड़ा जाएगा, बिना लेदे के छूटेगा नहीं.’’

‘‘सो तो है. मेरा शिकायती पत्र उन के लिए बहुत बड़ा हथियार है. अब वे उस का इस्तेमाल करेंगे,’’ मैं ने अपनी सहमति जताते हुए कहा. फिर रोजनामचे पर कहां एफआईआर दर्ज हुई.

‘‘अरे, ये पुलिस वालों के कमाने के तरीके हैं,’’ मित्र ने कहा, ‘‘मगर आटो वाले का आटो जरूर जब्त करेगी पुलिस. 8-10 दिन आटो को थाने में रखा जाएगा. फिर लेदे के छोड़ दिया जाएगा. अपने लिए यही काफी है…’’

‘‘जब उस का नुकसान होगा तब उसे सबक मिलेगा,’’ मैं ने बीच में ही बात काटते हुए अपनी सहमति दी.

हम सड़क पर चुपचाप चलते रहे. मुझे संतोष यह था कि पुलिस ने दरखास्त ले ली. अब इस से पुलिस उस आटो वाले को ब्लैकमेल करेगी.

5 दिन बाद आटो वाला हमें मिल गया, जब मैं और मेरा मित्र घूमने जा रहे थे. वह आटो को रोकते हुए बोला, ‘‘बाबूजी, आप ने मेरा नुकसान करवा दिया.’’

‘‘नुकसान और मैं ने?’’ मैं ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘आप मेरे आटो से गिर गए. आप को कुछ भी चोट नहीं लगी, फिर भी पुलिस में रपट लिखा दी.’’

अब मेरी समझ में आया. यह वही आटो वाला है जिस नके मुझे गिराया मित्र हरकत में आया और बोला, ‘‘कितनी अकड़ कर बात की थी. गिराने के बाद भी क्षमा मांगने के बजाय हमारी सारी गलती बता रहे थे उस दिन. यदि हम से क्षमा मांग लेते तो हम क्यों रिपोर्ट लिखाते.’’

‘‘हां, बाबूजी, बाद में मैं बहुत पछताया,’’ अफसोस प्रकट करते हुए आटो वाला बोला, ‘‘4 दिन तक पुलिस वाले ने आटो जब्त कर थाने में रखा.’’

‘‘फिर छोड़ा कितने में?’’ मित्र ने पूछा.

‘‘मांग तो वे 10 हजार रुपए रहे थे मगर 5 हजार रुपए दे कर तोड़ कर लिया. तब कहीं जा कर आटो दिया,’’ आटो वाले ने यह कह कर अपनी सारी व्यथा उगल दी और आगे बढ़ गया.

लाखों यादों के साथ 17 जुलाई को याहू मेसेंजर होगा शट डाउन

पिछले दो दशक तक युवाओं के दिल पर राज करने वाली इंस्टेंट मैसेजिंग चैट सर्विस Yahoo Messenger, 17 जुलाई से शट डाउन हो रही है. हांलाकि इस इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स अपने पुराने मैसेज डाउनलोड कर सकते हैं. याहू ने कहा कि यूजर्स अपने सारे मैसेज 6 महीने तक डाउनलोड कर सकेंगे. कंपनी Yahoo Messenger की जगह एक नया इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप Squirrel ला रही है. इस नए ऐप की बीटा टेस्टिंग के लिए यूजर्स अभी से अप्लाई कर सकते हैं.

1998 से युवाओं के बीच लोकप्रिय

Yahoo Messenger चैट की शुरुआत 1998 में हुई थी. यह मैसेंजर एप भारतीय युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय थी. खासतौर पर याहू मैसेंजर के चैट रूम की वजह से युवा इसे पसंद करते थे, लेकिन गूगल के जी-चैट, फेसबुक मैसेंजर और व्हाट्सऐप के आने के बाद से याहू की लोकप्रियता में जबरदस्त गिरावट आई और अंतत: कंपनी को इस सेवा को बंद करना पड़ रहा है.

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हांलाकि याहू ने समय-समय पर मैसेंजर को रिवाइव करने की कोशिश भी की, लेकिन व्हाट्सऐप जैसे मैसेजिंग एप के सामने, यूजर्स ने इसे नकार दिया. कंपनी ने पिछले साल दिसंबर में ही याहू मैसेंजर के एंड्रायड, आइओएस और वेव वर्जन को अपडेट किया था.

रिलौन्च करना नहीं आया काम

याहू मैसेंजर को दिसंबर 2015 में रिलौन्च किया गया था. कंपनी ने इसके सबसे पहले वाले वर्जन को फेज आउट करके बिलकुल नए कलेवर के साथ उतारा था. जिसमें मैसेंजर के डिजाइन और लुक को पूरी तरह से बदल दिया गया था. नए मैसेंजर मे सबसे खास अनसेंड फीचर दिया गया था, जिसमें यूजर्स भेजे गए मैसेज को ट्रेस-आउट करके उसे रोक सकते थे.

हांलाकि इन सब बदलाव के बावजूद याहू यूजर्स के दिल में अपनी पहचान बनाने में नाकामयाब रही, जिसकी वजह से 20 साल पुराने मैसेंजर सेवा को 17 जुलाई से पूरी तरह से बंद किया जा रहा है.

गूगल से मिली चुनौती

याहू को सबसे ज्यादा चुनौती गूगल से मिली है. Yahoo Messenger के वेब वर्जन को पहले जी-चैट ने फिर ऐप वर्जन को गूगल हैंगआउट और व्हाट्सऐप से चुनौती मिली. लोग गूगल हैंगआउट और व्हाट्सऐप को ज्यादा पसंद करने लगे और याहू की लोकप्रियता में कमी आती गई. अब देखते हैं कि याहू का नया इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप लोगों की कसौटी पर खड़ी उतरती है या नहीं.

रिलायंस बिग टीवी के साथ 5 साल देखें मुफ्त चैनल्स

रिलायंस बिग टीवी बेहतरीन औफर लेकर आई है. कंपनी ने भारतीय यूजर्स के लिए ऐसा प्लान पेश किया है, जिसके बारे में जानकर आपका चेहरा खिल जाएगा. कंपनी ने एक साल के लिए सभी चैनल बिल्कुल फ्री कर दिया है. कंपनी ने डिजिटल इंडिया पहल के तहत भागीदारी निभाते हुए डायरेक्ट टू होम सर्विस के तहत जबरदस्त प्लान पेश किया. रिलायंस ने इसके लिए देशभर के 50 हजार पोस्ट औफिस के साथ पार्टनरशिप की है. इसके बाद पोस्ट औफिस के जरिए भी कस्टमर शुरुआती बुकिंग कर सकते हैं.

5 साल तक फ्री चैनल्स

इस प्लान में कंपनी 500 फ्री-टू-एयर चैनलों को 5 सालों के लिए मुफ्त में लोगों को दिखाएगी. जबकि पेड चैनलों को आप 1 साल के लिए फ्री में देख सकते हैं. इसके लिए आपको रिलायंस बिग टीवी के सेट टौप बौक्स की प्री बुकिंग करनी होगी. बुकिंग करने वाले कस्टमर्स को एचडी HEVC सेट-टौप बौक्स दिया जाएगा. यह लेटेस्ट फीचर्स जैसे, रिकौर्डिंग, यूएसबी पोर्ट, एचडीएमआई पोर्ट, रिकौर्डिंग एंड व्यूइंग से लैस होगा. 1 साल तक चैनल्स फ्री होंगे. इसमें एचडी चैनल भी शामिल होंगे.

20 जून से बुकिंग होगी शुरू

कंपनी 20 जून से इस सर्विस की प्री-बुकिंग शुरू करने वाली है. राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम के उपभोक्ता डीटीएच की प्री-बुकिंग कर सकेंगे.

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499 रुपए में मिलेगा कनेक्शन

यूजर इस औफर को 499 रुपए जमा करके पोस्ट औफिस से ले सकते हैं. वहीं, सेट-टौप बौक्स इंस्टौलेशन के वक्त 1500 रुपए चुकाना होंगे. लौयल्टी बोनस लेने के लिए कस्टमर को दूसरे साल से 300 रुपए का रिचार्ज करवाना होगा. ऐसा दो सालों तक करना होगा. इसके बाद सब्सक्राइबर को 2 हजार रुपए का लौयल्टी बोनस मिलेगा. मतलब यह जो अमाउंट आप शुरू में जमा कर रहे हैं, वो पूरा वापस हो जाएगा.

कहां से करें बुकिंग

रिलायंस बिग टीवी के औफिशियल वेबसाइट पर जाकर सेट टौप बौक्स के लिए प्री-बुकिंग कर सकते हैं. इस प्री-बुकिंग के लिए आपको 499 रुपए का भुगतान करना होगा. वहीं, आउटडोर यूनिट के लिए 1500 रुपए का भुगतान करना होगा.

डिजिटल क्रांति लाने की तैयारी

कंपनी के निदेशक विजेन्दर सिंह ने इस नए प्लान की घोषणा करते हुए कहा कि ये प्लान भारत में मनोरंजन के भविष्य को पारिभाषित करने जा रहा है. उन्होंने कहा कि रिलायंस बिग टीवी मुफ्त में एक एचडी एचईवीसी HD HEVC सेट टौप बौक्स से मनोरंजन में डिजिटल क्रांति लाने के लिए तैयार है.

फिल्म रोबोट 2.0 के लिये अभी और करना होगा इंतजार

उनके फैंस के लिए ये खबर बुरी हो सकती है. रजनी की मच अवेटेड फिल्म 2. 0 को देखने के लिए अगले साल तक का इंतजार करना होगा.

रजनीकांत और अक्षय कुमार स्टारर जिस फिल्म 2.0 को लेकर बेहद उत्सुक रहे हैं उसके रिलीज की अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं है और अब ताजा खबर है कि फिल्म को सिनेमाघरों तक आने में लंबा इंतजार करना पड़ेगा. फिल्म का पिछले दो साल से इंतजार हो रहा है जो अभी तक खत्म नहीं हुआ है. खबर है कि शंकर के निर्देशन में बन रही रोबोट/इंधीरण की ये सीक्वल अब इस साल नहीं आ पायेगा. इसका सबसे बड़ा कारण फिल्म को लेकर किया जा रहा स्पेशल इफेक्ट्स का महत्वपूर्ण काम है. खबर है कि 3 डी कन्वर्जन के साथ इंटरनेशनल स्तर के स्पेशल इफेक्ट्स पर अब तक काम पूरा नहीं हुआ है और निकट भविष्य में ऐसे कोई आसार भी नहीं है. सूत्रों के मुताबिक पहले ऐसा कहा जा रहा था की फिल्म दशहरा तक रिलीज हो जायेगी लेकिन ऐसा नहीं होगा.

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वैसे उसके बाद 2. 0 को नवम्बर और दिसंबर में आने का कोई चांस नहीं होगा क्योंकि पहले आमिर खान की ठग्स औफ हिन्दोस्तान और फिर शाहरुख खान की जीरो आएगी. फिल्म के निर्माता के तरफ से फिल्म की रिलीज को लेकर अभी कोई बात नहीं की जा रही है. वीएफएक्स की प्रक्रिया का दिन रात चल रहा है लेकिन काम बहुत ही ज्यादा बचा है. मिक्सिंग, रेंडरिंग और 3 डी इफेक्ट्स को भी पूरा करने में समय लग रहा है. सूत्रों के मुताबिक इस साल के अंत में 2. 0 की फाइनल डेट घोषित की जायेगी. यही नहीं फिल्म के बजट को लेकर भी अब चिंता बढ़ रही है जो कई गुना बढ़ चुका है. इस बीच रजनीकांत कार्तिक सुब्बराज की अगली फिल्म की शूटिग के लिए देहरादून चले गए हैं.

क्यों हुआ ये सब

दरअसल ये सारी गड़बड़ी उस अमेरिकी कंपनी की वजह से है जिसने फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स का काम बीच में ही छोड़ दिया. बता दें कि रजनीकांत और अक्षय कुमार स्टारर फिल्म 2.0 को पहले इस साल जनवरी में रिलीज होना था लेकिन स्पेशल इफेक्ट्स का काम बाकी होने के कारण डेट अप्रैल में कर दी गई. सूत्रों के मुताबिक इस फिल्म के वीएफएक्स का काम एक अमेरिकी डिजिटल कंपनी को सौंपा गया था. कंपनी इससे पहले अपना काम पूरा कर पाती, उसकी माली हालत खराब हो गई और कंपनी ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया. इस कारण 2.0 के निर्माता को 3डी और बाकी इफेक्ट्स का काम फिर से करवाना पड़ा.

ओवरबजट हो कर करीब 450 करोड़ की लागत तक पहुंच गई फिल्म 2. 0 में रजनीकांत अपने पुराने वाले रोल में हैं जबकि अक्षय कुमार बड़े ही विचित्र गेट अप में विलेन बने दिखेंगे. पिछली बार फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन थीं तो इस बार एमी जैक्सन फीमेल लीड में होंगी. अक्षय कुमार जिस डौक्टर रिचर्ड का रोल कर रहे हैं उसका गेटअप एक राक्षसी कौवे जैसा है.

आस्ट्रेलियाई दिग्गज ने गिनवाई इंग्लैंड की कमजोरियां, भारत को बताया मजबूत

औस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयान चैपल को लगता है कि इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में विराट कोहली की टीम इंडिया के पास जीत दर्ज करने का सर्वश्रेष्ठ मौका होगा क्योंकि घरेलू टीम कई मोर्चों पर अच्छा नहीं कर रही. चैपल ने ईएसपीएन क्रिकइंफो वेबसाइट पर अपने कौलम में लिखा, ‘‘भारत के पास इंग्लैंड और औस्ट्रेलिया को टेस्ट सीरीज में उनकी सरजमीं पर हराने का दुर्लभ मौका है. लौर्ड्स के मैदान पर पाकिस्तान से हार के बाद इंग्लैंड की टीम को झटका लगा है. इसके बाद इंग्लैंड ने पाकिस्तान को हेडिंग्ले में हराया तो लेकिन वह प्रभाव छोड़ने में कामयाब नहीं रही.’’

इयान चैपल ने इंग्लैंड की टीम में कई खामियां गिनाई जिसमें एलिस्टर कुक के प्रदर्शन के साथ सलामी बल्लेबाजी के लिए उनके जोड़ीदार का बार-बार बदलना और तेज गेंदबाजी विभाग में सिर्फ दाएं हाथ के गेंदबाजों का होना शामिल हैं. उन्होंने कहा कि आफ स्पिनर डोम बेस अनुभवहीन है.

चैपल ने लिखा, ‘‘इंग्लैड का शीर्ष कर्म बार-बार चरमरा रहा है, दोनों सलामी बल्लेबाजों के लचर प्रदर्शन से यह आश्चर्यजनक नहीं है. कुक के साथ पारी की शुरूआत के लिए कई बल्लेबाजों को आजमाया गया. कुक का प्रदर्शन भी लचर रहा है.’’

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उन्होंने कहा, ‘‘एलिस्टर कुक ने दो दोहरे शतक जरुर लगाए लेकिन इससे इस तथ्य में कोई बदलाव नहीं आएगा कि उन्होंने पिछले एक साल में 29 टेस्ट पारियों में 19 बार 20 रन से कम की पारी खेली है जिसमें वह दस बार दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंचे. अगर सलामी बल्लेबाज लगातार अंतराल पर शतक नहीं लगाता है तो भी उसे यह सुनिश्चित करना होता है कि मध्यक्रम को नयी गेंद का सामना नहीं करना पड़े और कुक इन दोनों मोर्चों पर विफल रहे हैं.’’

स्पिनरों के बारे में बात करते हुए चैपल ने कहा, ‘‘स्मिथ (चयनकर्ता एड स्मिथ) के चयन में उल्लेखनीय बात औफ स्पिनर डौम बेस का चयन है, जो ऊर्जावान क्रिकेटर हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘उनकी बल्लेबाजी और खेल में बने रहने की जीवटता की तारीफ की जानी चाहिए लेकिन पहली नजर में लगता है कि उनकी औफ स्पिन से भारतीय टीम को कोई खास परेशानी नहीं होगी. हेडिंग्ले में एक ओवर में उन्होंने इतनी फुलटौस गेंद फेंकी जितनी रविचंद्रन अश्विन पूरे साल में भी नहीं फेंकते हैं. ऐसी गेंदबाजी का विराट कोहली और मुरली कार्तिक लुत्फ उठाऐंगे.’’

उन्होंने कहा कि एंडरसन जैसे गेंदबाज होने के बाद भी तेज गेंदबाजी में विविधता की कमी का भी अगस्त में होने वाली टेस्ट सीरीज में इंग्लैंड के प्रदर्शन पर असर पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘‘सलामी बल्लेबाजी के अलावा औस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे पर तेज गेदबाजी इंग्लैड की सबसे बड़ी समस्याओं में से थी जिसमें दाएं हाथ के सभी गेंदबाज लगभग एक सी गति से गेंदबाजी करते हैं.’’

बता दें कि भारतीय क्रिकेट टीम वर्ष 2018 में इंग्लैंड का दौरा करेगी और इस दौरे की शुरुआत 3 जुलाई से होगी. इस दौरे पर भारत को इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट, 3 वनडे और 3 टी-20 मैचों की सीरीज खेलनी है. इंग्लैंड के खिलाफ भारत के क्रिकेट सीरीज की शुरुआत 3 जुलाई से ओल्ड ट्रेफर्ड में टी-20 मैच के साथ होगी.

स्वार्थों की डाल पर बैठे प्यार के पंछी

70 वर्षीय भंवरलाल शाह मूलरूप से राजस्थान के जिला पाली के गांव रावड़ी के रहने वाले थे. घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण सालों पहले उन्होंने रोजीरोटी की तलाश में पुणे शहर की राह पकड़ी थी. उस समय पुणे छोटा सा शहर हुआ करता था. उन्होंने पुणे की वारजे मालवाड़ी में एक किराए की दुकान ली. उन के पास जो जमापूंजी थी, उस से उन्होंने अपना कारोबार शुरू किया.

जैन धर्म के अनुयायी भंवरलाल ईमानदार, मधुर व्यवहार वाले नेकदिल इंसान थे. वह गरीबों की हरसंभव मदद किया करते थे. अगर किसी ग्राहक के पास पैसे नहीं होते तो वह उसे सामान भी उधार दे दिया करते थे. यही कारण था कि उस इलाके के सारे लोग उन की दुकान पर आते थे, जिस से उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी.

जैसेजैसे उस इलाके की आबादी बढ़ती गई, वैसेवैसे उन की दुकान की आमदनी भी बढ़ती गई. इस के बाद वह बीवीबच्चों को भी राजस्थान से पुणे ले आए. इसी बीच उन्होंने किराए की दुकान छोड़ कर अपनी दुकान खरीद ली. उन के परिवार में पत्नी के अलावा उन के 3 बेटे मुकेश शाह, भरत शाह और विपुल शाह थे. तीनों बच्चे पढ़ रहे थे. छोटा बेटा विपुल परिवार में सब से छोटा था, इसलिए परिवार में सब से ज्यादा प्यार उसे ही मिलता था.

ज्यादा लाड़प्यार की वजह से वह जिद्दी स्वभाव का हो गया था, जिस से उस का पढ़ाई में मन नहीं लगता था. अकसर वह दोस्तों के साथ मटरगश्ती करता रहता था. वह अपने भाइयों की तरह कोई डिग्री वगैरह तो नहीं ले पाया लेकिन व्यवहारकुशल था. पिता ने विपुल को दुकान पर बैठाना शुरू कर दिया. भंवरलाल ने थोक में भी सामान बेचना शुरू कर दिया था, जिस से आमदनी और ज्यादा बढ़ गई.

भंवरलाल ने बेटों की पढ़ाई के बाद उन के व्यवसाय की भी व्यवस्था कर दी. अपने बड़े बेटे मुकेश के लिए उन्होंने धामरी में एक दुकान खुलवा दी तो भरत और विपुल के लिए वारजे मालवाड़ी स्थित चर्च के पीछे एक जनरल स्टोर खुलवा दिया. इस में वह किताबें और स्टेशनरी भी बेचने लगे.

भंवरलाल ने कारोबार बढ़ाया तो उन्होंने अपने गांव के कई लड़कों को बुला कर अपनी दुकान पर रख लिया था. थोड़े ही दिनों में उन की दुकान की पुणे के अन्य क्षेत्रों में भी शाखाएं हो गई थीं.

अपने तीनों बच्चों को अपने पैरों पर खड़े देख कर भंवरलाल बेफिक्र हो गए थे. बाद में उन्होंने उन की शादी कर दी तो 2-3 साल में उन के आंगन में नातीपोतों की किलकारियां भी गूंजने लगीं.

कुछ दिनों तक वह अपने नातीपोतों, बहू और बेटों के साथ रहे. जब उन्हें इस बात का विश्वास हो गया कि बेटे अब अपना कारोबार संभाल लेंगे, तब उन्होंने अपने धर्मगुरुओं से महावीर स्वामी का मंत्र ले लिया और सांसारिक मोहमाया को त्याग कर उन के साथ निकल गए.

अपने पिता के वहां मौजूद न रहने के बावजूद भाइयों ने कारोबार को बुलंदियों तक पहुंचाया. कारोबार अच्छा चल रहा था, परिवार सुखी था. किसी चीज की कोई कमी नहीं थी. उन्होंने रहने के लिए पुणे के सिंहगढ़ रोड स्थित गंगा भाग्योदय इमारत में फ्लैट ले लिए थे. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि विपुल के जीवन में प्रेरणा कांबले नाम की एक ऐसी आंधी आई कि विपुल को जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ गया.

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विपुल की जिंदगी में आई प्रेरणा नाम की आंधी

32 वर्षीय विपुल 3 बच्चों का बाप बन चुका था. इस के बावजूद वह आशिकमिजाज था. मौका मिलने पर वह खूबसूरत लड़कियों को अपने जाल में फंसाने की कोशिश में लगा रहता था.

2015 में प्रेरणा कांबले और विपुल की मुलाकात उस समय हुई, जिस समय प्रेरणा कांबले अपने कोर्स की कुछ किताबें खरीदने के लिए विपुल की दुकान पर गई थी. शोख और चंचल स्वभाव की प्रेरणा को देखते ही विपुल के दिल में घंटियां बज उठीं. वह उसे अपलक देखता रह गया. उसे ऐसा लगा जैसे उस की दुकान पर कोई परी आई हो.

उस की नजरें देख कर एक बार को प्रेरणा भी शरमा गई थी. फिर उस ने अपनी किताबों की सूची विपुल की तरफ बढ़ाई. विपुल ने कुछ किताबें निकाल कर उस के सामने रख दीं और बाकी किताबें दुकान में उपलब्ध न होने की बात बता कर अगले दिन उपलब्ध कराने को कह दिया.

किताबों का उपलब्ध न होना सिर्फ एक बहाना था. उसे तो प्रेरणा कांबले को बारबार अपनी दुकान पर बुलाना था. उस का मानना था कि जितनी बार प्रेरणा उस की दुकान पर आएगी, उतनी बार उसे बात करने का मौका मिलेगा और बात आगे बढ़ेगी. वह प्रेरणा को पूरी तरह अपने दिलोदिमाग में बसा चुका था.

प्रेरणा कांबले एक धार्मिक प्रवृत्ति के परिवार से थी. परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ खास नहीं थी. लेकिन परिवार खुशहाल था. यह परिवार दांगट पाटिल नगर की स्नेहा विहार सोसायटी में रहता था.

प्रेरणा कांबले उस परिवार की एकलौती संतान थी. परिवार की सारी जिम्मेदारी प्रेरणा कांबले की मां स्नेहा कांबले पर थी. प्रेरणा पढ़ाई में होशियार थी. छोटीमोटी नौकरी के साथ वह सौफ्टवेयर इंजीनियरिंग का कोर्स भी कर रही थी.

प्रेरणा महत्त्वाकांक्षी, आधुनिक और खुले विचारों वाली युवती थी. वह एक बार जिस से बात कर लेती थी, उस पर अपना प्रभाव जमा देती थी. तभी तो पहली बार मिलने पर विपुल भी उस का दीवाना हो गया था.

जहां एक तरफ विपुल के दिलोदिमाग पर प्रेरणा की छवि बस गई थी, वहीं दूसरी तरफ प्रेरणा भी विपुल के बातव्यवहार के असर को नजरअंदाज नहीं कर पाई थी. प्रेरणा जब भी विपुल शाह की दुकान पर जाती थी, वह प्रेरणा का मुसकरा कर स्वागत करता था. किताबों पर पर उसे भारी छूट देता था.

धीरेधीरे प्रेरणा कांबले का भी झुकाव विपुल की तरफ होने लगा था, जिस के बाद प्रेरणा किसी न किसी सामान के बहाने विपुल की दुकान पर जाने लगी. इसी समय मौका मिलने पर दोनों कुछ बातें कर लिया करते थे. धीरेधीरे दोनों के बीच खूब बातें होने लगीं.

उन्हें बात करने का मौका तो मिलता था लेकिन संकोच की वजह से विपुल उस से अपने मन की बात नहीं कह पाता था. इस की वजह यह थी कि विपुल का वैवाहिक जीवन उस के बीच आ रहा था. इस के अलावा दोनों की उम्र और जाति धर्म के बीच जमीनआसमान का फासला था.

लेकिन यह विचार कुछ दिन के लिए ही आए, क्योंकि प्यार उम्र, जाति और धर्म को नहीं देखता. इस तरह दोनों ही एकदूसरे को मन ही मन चाहने लगे.

शुरुआत प्यार की

मौका दिवाली के त्यौहार का था. विपुल हर दिवाली के त्यौहार पर अपने ग्राहकों को शुभकामनाओं के कार्ड के साथ कोई न कोई गिफ्ट देता था. इस बार विपुल ने प्रेरणा को एक महंगे गिफ्ट के साथ शुभकामनाओं का कार्ड भी दिया. कार्ड में लिखे मैसेज में विपुल ने प्रेरणा कांबले से अपने प्यार का इजहार किया था.

महंगा गिफ्ट पा कर प्रेरणा बहुत खुश हुई. चूंकि वह भी विपुल को चाहती थी, इसलिए उस ने भी कार्ड का जवाब कार्ड से ही दिया, जिस में उस ने अपने प्यार का इजहार कर दिया था.

इस के बाद उन की फोन पर बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया. वह मिलनेजुलने के लिए बाहर जाने लगे. विपुल शाह के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी. वह प्रेरणा के ऊपर दिल खोल कर पैसे खर्च करता था. उसे महंगे उपहार देता और महंगे होटलों में जा कर खाना खिलाता. प्रेरणा का वह हर तरह से खयाल रखने लगा था.

इसी दौरान वह पल भी आ गया, जब एक होटल में उन्होंने अपनी हसरतें पूरी कीं. विपुल ने उस से शादी करने का वादा भी कर लिया. प्रेरणा कांबले विपुल शाह की फरेबी बातों में आ गई. वह विपुल का हर कहा मानने लगी. दोनों काफी खुश थे.

प्रेरणा कांबले विपुल को ले कर अपने गृहस्थ जीवन के ख्वाब देखने लगी, लेकिन विपुल की सच्चाई सामने आने पर उस का यह भ्रम टूट गया. प्रेरणा कांबले को जब पता चला कि विपुल शादीशुदा है तो जैसे उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई.

जो विपुल उस के तनमन से खेल रहा था, वह फरेबी निकला. विपुल की पत्नी को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उस के पति का किसी और से चक्कर चल रहा है. पर यह बात आखिर कब तक छिपी रह सकती थी. एक न एक दिन तो सच्चाई सामने आनी ही थी.

प्रेरणा को अपनी भूल पर पछतावा होने लगा. उसे विपुल पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था, लेकिन अब वह कर भी क्या सकती थी. काफी सोचनेविचारने के बाद विपुल शाह के प्रति उस के मन में जो इज्जत थी, अब वह नफरत में बदल गई. उस ने विपुल को सबक सिखाने का फैसला कर लिया.

उस ने तय कर लिया कि विपुल ने उस के साथ जो धोखा किया है, उस की वह पूरी कीमत वसूलेगी. वह विपुल से खुद के रहने के लिए एक फ्लैट खरीदने के लिए पैसों की मांग करने लगी. पुणे जैसे शहर में फ्लैटों की कीमत करोड़ों रुपयों में आंकी जाती है. विपुल इतनी बड़ी रकम उसे देना नहीं चाहता था, फिर भी उस ने प्रेरणा कांबले को कुछ लाख रुपए दे कर उस से दूरियां बनानी शुरू कर दीं.

उगने लगे नफरत के बीज

लेकिन प्रेरणा कांबले भी इतनी आसानी से उस का पीछा छोड़ने वालों में से नहीं थी.  विपुल शाह ने उसे प्यार और मोहब्बत के नाम पर छला था. शादी का वादा कर के उस के शरीर और जज्बात से खेला था. इसलिए प्रेरणा ने उस से कहा कि अगर वह उसे फ्लैट खरीदने के पैसे नहीं देगा तो वह अपने और उस के संबंधों की जानकारी उस की पत्नी और परिवार को दे देगी.

प्रेरणा कांबले की इस धमकी से विपुल डर गया और वक्तबेवक्त प्रेरणा की बातों को  मान कर उसे पैसे देता रहा. लेकिन प्रेरणा कांबले नाम की फांस उस के गले में फंस गई थी. अब वह उस दिन को कोसने लगा, जिस दिन प्रेरणा से उस की मुलाकात हुई थी. उसे अब अपनी भूल पर पछतावा हो रहा था.

उस का चैन और सुकून सब उड़ गया था. वह अकसर इस विचार में खोया रहता था कि उस के भविष्य का क्या होगा. प्रेरणा की धमकी और उस की ब्लैकमेलिंग के भूत से कब तक डरता रहेगा. वह प्रेरणा की मंशा जान चुका था कि अब वह उस से सिर्फ अपना प्रतिशोध ले रही है, जो कभी खत्म होने वाला नहीं है.

इन्हीं सब सोचविचारों में फंसे विपुल के मन में प्रेरणा कांबले के लिए एक खतरनाक योजना ने जन्म ले लिया, जिस से उसे प्रेरणा, उस की धमकी और ब्लैकमेलिंग से आजादी मिल जाए. विपुल ने उस का काम तमाम करने की ठान ली, जिस से न रहे बांस और न बजे बांसुरी. लेकिन यह काम इतना आसान नहीं था. इस के लिए उसे किसी विश्वसनीय व्यक्ति की जरूरत थी.

इस बारे में जब उस ने अपने चारों ओर नजरें दौड़ाईं तो उसे अपनी दुकान का नौकर लहु गोनते नजर आया. लहु गोनते उस का पुराना नौकर था. जरूरत पड़ने पर वह कार ड्राइव भी कर लेता था. कभीकभी कार ड्राइव करने के लिए विपुल उसे अपने साथ भी ले कर जाया करता था. हर काम में वह उस की मदद करने को तैयार रहता था. विपुल ने जब उस से बात की तो वह थोड़े से पैसों के लालच में साथ देने को तैयार हो गया.

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अपनी योजना के अनुसार 15 मार्च, 2018 को दोपहर 12 बजे के बाद विपुल ने लहु गोनते को अपनी एमएच12पी 2412 नंबर की कार को बाहर निकालने के लिए कहा. इस के बाद उस ने प्रेरणा को यह कह कर बुलाया कि वह पथरी की दवा लेने मुंबई जा रहा है. अगर वह आएगी तो बातचीत में सफर कट जाएगा और घूम कर भी आ जाएंगे. प्रेरणा उस के साथ जाने को तैयार हो गई. वैसे भी वह अकसर विपुल के साथ लंबी ड्राइव पर जाती थी.

बन गई मौत की भूमिका

अपनी मौत से अनभिज्ञ प्रेरणा कार में पिछली सीट पर विपुल के साथ बैठ कर मुंबई की ओर रवाना हो गई. कार विपुल का नौकर चला रहा था. लगभग एक घंटे बाद कार लोनावाला के करीब बाघराई मंदिर के पास रुक गई. वहां पर तीनों ने चाय पी. चाय पीने के बाद लहु वापस कार में आ कर बैठ गया. जबकि प्रेरणा और विपुल थोड़ा समय बिताने के लिए मंदिर के पीछे वाली एक चट्टान पर जा कर बैठ गए. कुछ मिनटों तक इधरउधर की बातें करने के बाद प्रेरणा कांबले अपने मतलब की बात पर आ गई.

‘‘विपुल, तुम मेरे फ्लैट के बारे में क्या कर रहे हो? मैं देख रही हूं कि तुम्हें मेरे फ्लैट में कोई दिलचस्पी नहीं है. कुछ दिनों से मेरे प्रति तुम्हारा व्यवहार भी ठीक नहीं है. तुम मुझ से दूरियां बना रहे हो. मेरा फोन भी रिसीव नहीं करते. आखिर तुम्हारे मन में चल क्या रहा है? तुम मुझे फ्लैट के लिए पैसे दोगे या नहीं? या फिर मुझे अपने संबंधों के बारे में तुम्हारे परिवार और तुम्हारी बीवी को बताना पड़ेगा?’’

विपुल प्रेरणा के इन जहरीले सवालों का जवाब उसी समय देना चाहता था, लेकिन वक्त अनुकूल नहीं था. वहां से आ कर दोनों कार में बैठ गए. प्रेरणा उस से नाराज हो गई थी, इसलिए वह कार की आगे की सीट पर बैठ गई. विपुल के लिए यह मौका अच्छा था. अपने साथ लाई रस्सी से उस ने प्रेरणा के गले को पूरी तरह कस दिया. थोड़ी देर तक हाथपैर मारने के बाद उस के प्राणपखेरू उड़ गए.

तब तक सूरज पूरी तरह से डूब चुका था. चारों ओर अंधेरा हो गया था. कार ग्रामीण पुलिस थाने पौड़ की सीमा में प्रवेश कर चुकी थी. लहु गोनते ने प्रेरणा कांबले की लाश को ठिकाने लगाने के लिए कार विसाधर पहाडि़यों के जंगलों में ले जा कर रोक दी.

इस के बाद दोनों ने शव को कार से बारह निकाल कर सहारा सिटी के पीछे की घनी झाडि़यों के बीच ले जा कर डाल दिया. लाश को कोई पहचान न सके, इसलिए उन्होंने वहां पड़े पत्थरों से मारमार कर उस के चेहरे को क्षतविक्षत कर दिया. फिर वे घर लौट आए.

लेकिन विपुल रात भर इस डर से नहीं सो पाया कि कहीं प्रेरणा के शव से पुलिस को कोई ऐसा सूत्र न मिल जाए, जिस की वजह से उसे जेल जाना पड़े. इस से बचने के लिए वह नौकर के साथ सुबह उठ कर घटनास्थल की ओर निकल गया. उस ने एक बोरी साथ ले ली थी.

मुंबई-पुणे रोड स्थित पावना झील के पास पैट्रोल पंप से इन लोगों ने 5 लीटर पैट्रोल खरीदा और मौकाएवारदात पर पहुंच कर प्रेरणा के शव को बोरी में लपेट कर उसे पैट्रोल से जला दिया. अपने अपराधों का सबूत मिटाने के बाद दोनों पुणे लौट आए. इस के बाद नौकर लहु गोनते अपने गांव चला गया. अब विपुल एकदम निश्चिंत हो गया था.

जुर्म बोलता है

24 घंटे बीत जाने के बाद जब प्रेरणा कांबले घर नहीं पहुंची तो घर वालों को उस की चिंता सताने लगी. बिना किसी को कुछ बताए वह कहां चली गई, यह उन की समझ में नहीं आ रहा था.

अपनी तरफ से काफी खोजबीन के बाद भी जब प्रेरणा का कहीं पता नहीं चला, तब निराश हो कर प्रेरणा कांबले की मां स्नेहा कांबले वारजे मालवाड़ी थाने पहुंची. स्नेहा ने थानाप्रभारी बाजीराव मोले से मिल कर उन्हें सारी बातें बता दीं और प्रेरणा कांबले की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवा दी.

थानाप्रभारी बाजीराव मोले ने इस मामले को गंभीरता से लिया और स्नेहा कांबले से प्रेरणा की फोटो और हुलिया ले कर उन्हें घर भेज दिया. इस मामले की जांच उन्होंने सहायक इंसपेक्टर बालासाहेब शिंदे, एएसआई जगन्नाथ मोरे, हेडकांस्टेबल चंद्रकांत जाधव उर्फ मंगी और राजेंद्र खामकर को सौंप दी. यह बात 17 मार्च, 2018 की है.

अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में पुलिस टीम ने तेजी से प्रेरणा की गुमशुदगी की जांच शुरू कर दी. उन्होंने प्रेरणा कांबले की उम्र, हुलिया और फोटो के विवरण शहर और गांवों के पुलिस थानों में भेज दिए. जब प्रेरणा कांबले के मोबाइल डाटा और काल रिकौर्ड निकलवाए गए तो उन के हाथ शीघ्र ही विपुल शाह और उस के नौकर लहु गोनते की गरदन तक पहुंच गए. वे दोनों पुलिस गिरफ्त में आ गए.

इस बीच थाना पौड़ की पुलिस ने विसाधर पहाडि़यों के जंगल से प्रेरणा का जला हुआ शव बरामद कर के केस दर्ज कर लिया था. इस की सूचना थाना वारजे मालवाड़ी को भी दे दी गई थी.

चूंकि यह मामला लोनावला ग्रामीण पुलिस थाने पौड़ के अंतर्गत आता था, अत: वारजे मालवाड़ी पुलिस अधिकारियों ने विपुल शाह और गोनते को उन के हवाले कर दिया पौड़ पुलिस थाने के सीनियर इंसपेक्टर सुरेश निबांलकर और सहायक इंसपेक्टर उद्धव खांडे ने उन से विस्तार से पूछताछ की. पुलिस ने आरोपी विपुल और उस के नौकर के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 120बी, 34 के तहत गिरफ्तार कर उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक विपुल भंवरलाल शाह और लहु गोनते लोनावला जेल में बंद थे. इस मामले की जांच टीम को पुणे डेक्कन विभाग के एसीपी बाजीराव मोहिते ने प्रशस्तिपत्र दे कर सम्मानित किया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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