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मोबाइल सेवा उपभोक्ताओं की शिकायत के समाधान की नई व्यवस्था

मोबाइल आज हर हाथ का उपकरण बन गया है और हर माह इस का उपयोग करने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. गांव से ले कर शहर तक परिवार के हर सदस्य के पास मोबाइल फोन है. बिना अक्षरज्ञान वाले लोग भी अपने विशिष्ठ कौशल का इस्तेमाल कर मोबाइल फोन का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं. मुश्किल यह है कि दूरसंचार कंपनियां मोबाइल फोन के हर हाथ में पहुंचने का जम कर फायदा उठा रही हैं, लुभावने औफर दे कर ग्राहकों का अनापशनाप पैसा काट रही हैं. इस से आम उपभोक्ता परेशान है. कंपनियां उपभोक्ताओं की शिकायतें सुनने को तैयार नहीं हैं.

कई कंपनियों के ग्राहक सेवा केंद्र पर फोन करने से पता चलता है कि उन की समस्या सुनने वाला कोई नहीं है. सिर्फ रिकौर्डेड आवाज आती है और ग्राहक सेवा के निस्तारण के लिए अधिकृत व्यक्ति तक साधारण उपभोक्ता पहुंच ही नहीं पाता. कुछ कंपनियों के ग्राहक सेवा केंद्र में यदि यह संभव होता है तो कई बार उस का ग्राहक सेवा अधिकारी बता देता है कि वह ग्राहक की सेवा का निस्तारण नहीं कर सकता है.

एक आंकड़े के अनुसार, हर तिमाही में मोबाइल ग्राहकों की 1 करोड़ शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन संतोषजनक ढंग से उन की बात सुनने वाला कोई नहीं है. कंपनियां ग्राहकों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेती हैं, लेकिन अब इन समस्याओं को सुलझाने के लिए लोकपाल का गठन किया जा रहा है.

दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के अनुसार, इस तरह की शिकायतों के समाधान के लिए लोकपाल पद सृजित किया जा रहा है. सरकार से इस की मंजूरी मिलने का आग्रह किया गया है. मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही जरूरी कदम उठाए जाएंगे. नियामक सेवा प्रदाताओं पर दबाव डालेगा कि उन्हें हर हाल में ग्राहकों की शिकायतें सुननी हैं.

सरकार बनाम सुप्रीम कोर्ट : बढ़ रही है दोनों के बीच की खाई

सरकार और उच्चतम न्यायालय के बीच खाई बढ़ती जा रही है. हालांकि कई न्यायाधीशों को सरकारी इशारे पर चलने के खुले संकेत दिए जा रहे हैं, सभी न्यायाधीशों की सामूहिक आवाज के कारण सरकारपसंद न्यायाधीश भी चुपचुप हैं और न्यायाधीशों के मामले में बहुमत का आदर करने को विवश हैं. भारतीय जनता पार्टी जानबूझ कर ऐसे न्यायाधीशों को उच्चतम न्यायालय में भेजना चाहती है जो उस की नीतियों का समर्थन करते हैं. अमेरिका में यह खुल्लमखुल्ला चर्चा होती है कि कौन सा न्यायाधीश किस राष्ट्रपति ने नियुक्त किया था और वह किस मसले पर कैसा निर्णय देगा. हमारे न्यायाधीश पिछले 3-4 दशकों से खासे स्वतंत्र रहे हैं और वे खुद ही नए न्यायाधीश नियुक्त करते रहे हैं और इस प्रक्रिया को सरकार भी मानती रही.

न्यायाधीशों की नियुक्ति यदि न्यायाधीश खुद करें तो अच्छा है, क्योंकि वे फिर किसी तरह से भी मनमानी नहीं कर सकते. न्यायाधीश दक्षिणपंथी हों या वामपंथी, उन के पास चूंकि सरकार की शक्तियां नहीं होतीं, वे गलत फैसले नहीं ले सकते. वे डाक्टरों की तरह हैं जो फैसले मरीज को देख कर करते हैं और डाक्टरों की नियुक्ति चाहे वरिष्ठ डाक्टर करें या सरकार. सरकारी नीतियों को तो इलाज में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इसी तरह न्याय सामाजिक, पारिवारिक, व्यावसायिक, सरकारी बीमारियों का इलाज है और सरकार या लिटिगैंट खुद न्यायाधीश नियुक्त करेंगे तो गलत निर्णय होंगे ही. न्याय नहीं चाहता कि मरीज बेमौत मारा जाए.

उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के एम जोसेफ से केंद्र की भाजपा सरकार चिढ़ी हुई है, क्योंकि उन्होंने कुछ वर्षों पहले भारतीय जनता पार्टी को विधायकों की खरीदफरोख्त के बल पर सत्ता में आने से रोक दिया था. सरकार उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने पर सहमत नहीं हो रही है और न्यायाधीश उन्हें नियुक्त करने की सिफारिश भेज चुके हैं. न्यायपालिका और कार्यपालिका का यह द्वंद्व पुराना है पर अब तक काम चल रहा था. अब डर लग रहा है कि चुनाव आयोग की तरह यह संस्था भी सरकारी नकाब न पहन ले और इंदिरा गांधी का युग वापस न आ जाए जब न्यायाधीश बनते ही प्रधानमंत्री की सिफारिश पर थे.

यह खतरनाक होगा क्योंकि आजकल फिर देश खेमों में बंटने लगा है. विकास के सपने देखने वाला देश एक रहे और गृहयुद्ध जैसी स्थिति न आ जाए, यह डर लगने लगा है. देश में उदारपंथियों के साथसाथ दलितों और मुसलिमों को निशाना बनाया जा रहा है. और ऐसे में पूर्व मुख्य न्यायाधीश मदन मोहन पुंछी की तरह न्यायाधीश कट्टर होने लगे तो देश का रंग लाल, हरे, काले की तरह भगवा हो जाएगा.

मेरी भाभी भैया को न चाह कर मेरे साथ जिस्मानी संबंध बनाती हैं. मेरे भैया को इस बारे में सब पता है. मैं क्या करूं.

सवाल
मैं 26 साल का एक बीए पास नौजवान हूं और एक कौल सैंटर में काम करता हूं. मेरी भाभी भैया को न चाह कर मेरे साथ जिस्मानी संबंध बनाती हैं. 

मेरे भैया को इस बारे में सब पता है. वे कहते हैं कि तुम दोनों देवरभाभी आपस में शादी कर लो. मेरी भाभी भी मेरे साथ शादी करना चाहती हैं. मैं क्या करूं?

जवाब
कोई भी शौहर अपनी बीवी के शारीरिक संबंध भाई से तो क्या किसी भी मर्द से बरदाश्त नहीं कर पाता है, फिर आप का भाई क्यों बीवी को तोहफे की तरह दे रहा है?

मुमकिन है कि आप की भाभी के स्वभाव में कोई कमी हो या आप के भाई में ही कोई कमजोरी हो जिस के चलते भाई उस से छुटकारा पाना चाहता है.

सबकुछ ठीकठाक लगे तो आप अपनी भाभी से शादी कर सकते हैं, पर उस के पहले आप के भाई को उसे तलाक देना पड़ेगा.

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देवर पर भारी पड़ा भाभी से संबंध

‘‘अरे वाह देवरजी, तुम तो एकदम मुंबइया हीरो लग रहे हो,’’ सुशीला ने अपने चचेरे देवर शिवम को देख कर कहा.

‘‘देवर भी तो तुम्हारा ही हूं भाभी. तुम भी तो हीरोइनों से बढ़ कर लग रही हो,’’ भाभी के मजाक का जवाब देते हुए शिवम ने कहा.

‘‘जाओजाओ, तुम ऐसे ही हमारा मजाक बना रहे हो. हम तो हीरोइन के पैर की धूल के बराबर भी नहीं हैं.’’

‘‘अरे नहीं भाभी, ऐसा नहीं है. हीरोइनें तो  मेकअप कर के सुंदर दिखती हैं, तुम तो ऐसे ही सुंदर हो.’’

‘‘अच्छा तो किसी दिन अकेले में मिलते हैं,’’ कह कर सुशीला चली गई. इस बातचीत के बाद शिवम के तनमन के तार झनझना गए. वह सुशीला से अकेले में मिलने के सपने देखने लगा. नाजायज संबंध अपनी कीमत वसूल करते हैं. यह बात लखनऊ के माल थाना इलाके के नबी पनाह गांव में रहने वाले शिवम को देर से समझ आई. शिवम मुंबई में रह कर फुटकर सामान बेचने का काम करता था. उस के पिता देवेंद्र प्रताप सिंह किसान थे. गांव में साधारण सा घर होने के चलते शिवम कमाई करने मुंबई चला गया था. 4 जून, 2016 को वह घर वापस आया था.

शिवम को गांव का माहौल अपना सा लगता था. मुंबई में रहने के चलते वह गांव के दूसरे लड़कों से अलग दिखता था. पड़ोस में रहने वाली भाभी सुशीला की नजर उस पर पड़ी, तो दोनों में हंसीमजाक होने लगा. सुशीला ने एक रात को मोबाइल फोन पर मिस्ड काल दे कर शिवम को अपने पास बुला लिया. वहीं दोनों के बीच संबंध बन गए और यह सिलसिला चलने लगा. कुछ दिन बाद जब सुशीला समझ गई कि शिवम पूरी तरह से उस की गिरफ्त में आ चुका है, तो उस ने शिवम से कहा, ‘‘देखो, हम दोनों के संबंधों की बात हमारे ससुरजी को पता चल गई है. अब हमें उन को रास्ते से हटाना पड़ेगा.’’ यह बात सुन कर शिवम के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. सुशीला इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी. वह बोली, ‘‘तुम सोचो मत. इस के बदले में हम तुम को पैसा भी देंगे.’’ शिवम दबाव में आ गया और उस ने यह काम करने की रजामंदी दे दी. नबी पनाह गांव में रहने वाले मुन्ना सिंह के 2 बेटे थे. सुशीला बड़े बेटे संजय सिंह की पत्नी थी. 5 साल पहले संजय और सुशीला की शादी हुई थी.

सुशीला उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के महराजगंज थाना इलाके के मांझ गांव की रहने वाली थी. ससुराल आ कर सुशीला को पति संजय से ज्यादा देवर रणविजय अच्छा लगने लगा था. उस ने उस के साथ संबंध बना लिए थे. दरअसल, सुशीला ससुराल की जायदाद पर अकेले ही कब्जा करना चाहती थी. उस ने यही सोच कर रणविजय से संबंध बनाए थे. वह नहीं चाहती थी कि उस के देवर की शादी हो. इधर सुशीला और रणविजय के संबंधों का पता ससुर मुन्ना सिंह और पति संजय सिंह को लग चुका था. वे लोग सोच रहे थे कि अगर रणविजय की शादी हो जाए, तो सुशीला की हरकतों को रोका जा सकता है. सुशीला नहीं चाहती थी कि रणविजय की शादी हो व उस की पत्नी और बच्चे इस जायदाद में हिस्सा लें.

लखनऊ का माल थाना इलाका आम के बागों के लिए मशहूर है. यहां जमीन की कीमत बहुत ज्यादा है. सुशीला के ससुर के पास  करोड़ों की जमीन थी. सुशीला को पता था कि ससुर मुन्ना सिंह को रास्ते से हटाने के काम में देवर रणविजय उस का साथ नहीं देगा, इसलिए उस ने अपने चचेरे देवर शिवम को अपने जाल में फांस लिया. 12 जून, 2016 की रात मुन्ना सिंह आम की फसल बेच कर अपने घर आए. इस के बाद खाना खा कर वे आम के बाग में सोने चले गए. वे पैसे भी हमेशा अपने साथ ही रखते थे. सुशीला ने ससुर मुन्ना सिंह के जाते ही पति संजय और देवर रणविजय को खाना खिला कर सोने भेज दिया. जब सभी सो गए, तो सुशीला ने शिवम को फोन कर के गांव के बाहर बुला लिया.

शिवम ने अपने साथ राघवेंद्र को भी ले लिया था. वे तीनों एक जगह मिले और फिर उन्होंने मुन्ना सिंह को मारने की योजना बना ली. उन तीनों ने दबे पैर पहुंच कर मुन्ना सिंह को दबोचने से पहले चेहरे पर कंबल डाल दिया. सुशीला ने उन के पैर पकड़ लिए और शिवम व राघवेंद्र ने उन को काबू में कर लिया. जान बचाते समय मुन्ना सिंह चारपाई से नीचे गिर गए. वहीं पर उन दोनों ने गमछे से गला दबा कर उन की हत्या कर दी. मुन्ना सिंह की जेब में 9 हजार, 2 सौ रुपए मिले. शिवम ने 45 सौ रुपए राघवेंद्र को दे दिए. इस के बाद वे तीनों अपनेअपने घर चले गए. सुबह पूरे गांव में मुन्ना सिंह की हत्या की खबर फैल गई. उन के बेटे संजय और रणविजय ने माल थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज कराया. एसओ माल विनय कुमार सिंह ने मामले की जांच शुरू की. पुलिस ने हत्या में जायदाद को वजह मान कर अपनी खोजबीन शुरू की. मुन्ना सिंह की बहू सुशीला पुलिस को बारबार गुमराह करने की कोशिश कर रही थी. पुलिस ने जब मुन्ना सिंह के दोनों बेटों संजय और रणविजय से पूछताछ की, तो वे दोनों बेकुसूर नजर आए.

इस बीच गांव में यह पता चला कि सुशीला के अपने देवर रणविजय से नाजायज संबंध हैं. इस बात पर पुलिस ने सुशीला से पूछताछ की, तो उस की कुछ हरकतें शक जाहिर करने लगीं. एसओ माल विनय कुमार सिंह ने सीओ, मलिहाबाद मोहम्मद जावेद और एसपी ग्रामीण प्रताप गोपेंद्र यादव से बात कर पुलिस की सर्विलांस सैल और क्राइम ब्रांच की मदद ली. सर्विलांस सैल के एसआई अक्षय कुमार, अनुराग मिश्रा और योगेंद्र कुमार ने सुशीला के मोबाइल को खंगाला, तो  पता चला कि सुशीला ने शिवम से देर रात तक उस दिन बात की थी. पुलिस ने शिवम का फोन देखा, तो उस में राघवेंद्र का नंबर मिला. इस के बाद पुलिस ने राघवेंद्र, शिवम और सुशीला से अलगअलग बात की. सुशीला अपने देवर रणविजय को हत्या के मामले में फंसाना चाहती थी. वह पुलिस को बता रही थी कि शिवम का फोन उस के देवर रणविजय के मोबाइल पर आ रहा था.

सुशीला सोच रही थी कि पुलिस हत्या के मामले में देवर रणविजय को जेल भेज दे, तो वह अकेली पूरी जायदाद की मालकिन बन जाएगी, पर पुलिस को सच का पता चल चुका था. पुलिस ने तीनों को साथ बिठाया, तो सब ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. 14 जून, 2016 को पुलिस ने राघवेंद्र, शिवम और सुशीला को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया. वहां से उन तीनों को जेल भेज दिया गया. सुशीला अपने साथ डेढ़ साला बेटे को जेल ले गई. उस की 4 साल की बेटी को पिता संजय ने अपने पास रख लिया. जेल जाते समय सुशीला के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. वह शिवम और राघवेंद्र पर इस बात से नाराज थी कि उन लोगों ने यह क्यों बताया कि हत्या करते समय उस ने ससुर मुन्ना सिंह के पैर पकड़ रखे थे.

शुरु करने जा रहे हैं नई वेबसाइट तो इन बातों का रखें खयाल

छोटे कौर्पोरेट हों या बड़े, सबकी वेबसाइट होती है. घर बैठे कोई काम करना हो या आनलाइन शापिंग करनी हो, इस युग में वेबसाइट हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है. आज के समय में लोगों के पास वक्त की काफी कमी है. वे चाहते हैं कि हर काम आसानी से हो जाए इसलिए वे वेबसाइट का प्रयोग करते हैं. इतना ही नहीं लोग बिजनेस को भी बढ़ाने के लिए मोबाइल एप्लीकेशन और डिजिटल मार्केटिंग का उपयोग बहुत तेजी से कर रहे हैं.

वैसे तो आज को समय में वेबसाइट बनाना बेहद आसान है पर वेबसाइट बनाते समय कई चीजें ऐसी होती है जिनमें आप गलतियां कर देते है, जो आपके सामने समस्याएं खड़ी कर देती हैं. अगर आपके बिजनेस की कोई वेबसाइट बनी हुई है या आप उसके माध्यम से बिजनेस करना चाहते हैं या वेबसाइट का उपयोग किसी भी सकारात्मक उद्देश्य से करना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए. जानते हैं इनके बारे में-

जरूरत से ज्यादा इमेजेज

वेबसाइट पर इमेज यूजर्स को आकर्षित करती हैं, पर जब वेबसाइट पर इमेजेज और एनीमेशन अधिक हों तो वेबसाइट के ओपन होने का समय बढ़ जाता है और यूजर के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है.

खराब नेविगेशन

एक वेबसाइट के अंदर नेविगेशन सरल होना चाहिए. यूजर्स अपनी जरूरतों की चीजों तक पहुंचने के लिए अपना रास्ता खोज सके. इन चीजों के लिए वेब डवलपर बेड कम टेक्नीक का इस्तेमाल करते हैं. आपको यह समझना जरूरी है कि नेविगेशन सहज और सुसज्जत होने से काफी फायदा होता है.

इनपुट एंट्री फौर्म

वेबसाइट के अंदर इनपुट एंट्री फौर्म का अहम रोल होता है. कुछ लोग लीड्स जनरेट करने के लिए एंट्री फौर्म भरवाते हैं, कुछ आनलाइन प्रोडक्ट सेल करने के लिए रजिस्ट्रेशन फौर्म भरवाते हैं तो कुछ सदस्य बनाने के लिए फौर्म भरवाते हैं. इस प्रकार के फौम्र्स जटिल नहीं होने चाहिए.

अनफ्रेंडली स्क्रीन रेज्योल्यूशन

आज के दौर में लोग वेबसाइट को हर तरह के डिवाइस में ओपन करने का प्रयास करते हैं. यूजर मोबाइल फोन, लेपटौप, डेस्कटौप, टैबलेट आदि में वेबसाइट ओपन करना चाहता है. इसके लिए जरूरी है कि आपकी वेबसाइट का स्क्रीन रेज्योल्यूशन रेस्पॉन्सिबल होना चाहिए.

बैकग्राउंड म्यूजिक से बचें

यूजर वेबसाइट में मनोरंजन नहीं चाहते. वे दक्षता खोजते हैं. यह बात सही है कि 99 प्रतिशत वेब डवलपर अपनी वेबसाइट में बैकग्राउंड म्यूजिक का प्रयोग नहीं करते हैं, पर इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है .

कठिन कंटेंट का संग्रह

यह वेबसाइट डिजाइन का महत्वपूर्ण अंग है. अच्छा डिजाइन इंटरफेस यूजर को आकर्षित करता है पर यूजर को जरूरत की जानकारी को समझने के लिए कंटेंट को पूरा पढऩा पड़ता है. कुछ वेबसाइट विचित्र शैलियों और आकारों का उपयोग करती हैं, जिसे समझने में समस्या आती है. इसलिए यह जरूरी है कि आपकी वेबसाइट का कंटेंट सरल और सटीक हो.

सर्च इंजन में इंडेक्सिंग

यहां पर बात सर्च इंजन आप्टिमाइजेशन की नहीं की जा रही है. आमतौर पर उपयोगकर्ता आपकी वेबसाइट का नाम याद नहीं रख पाते हैं तो वे सर्च इंजन का उपयोग करते हैं, जिसमें आपके फर्म का नाम टाइप करते हैं और अगर आपकी वेबसाइट में प्रोपर इंडेक्सिंग हो तो सर्च इंजन यूआरएल पर तुरंत आपकी वेबसाइट दिखा देता है. इससे वेबसाइट को फायदा होता है.

सर्च बौक्स का महत्व

आपकी वेबसाइट कंटेंट को इकट्ठा रखती है. अगर आपकी वेबसाइट पर बहुत ट्रैफिक आ रहा है तो उपयोगकर्ता के सामने सर्च बौक्स रखना जरूरी हो जाता है ताकि वह अपनी जरूरत की जानकारी को सर्च करके तुरंत कम समय में देख सके. अगर सर्च बौक्स नहीं होगा तो आपके रीडर्स को मैन्युअली सर्च करना पड़ेगा जिससे उसे टाइम देना पड़ेगा और वह आपकी वेबसाइट दोबारा नहीं देखना चाहेगा.

आपकी जिंदगी आसान बनाएगा गूगल का ‘नेबरली’ ऐप !

गूगल इंडिया ने कुछ ही दिन पहले देश में नेबरली (Neighbourly) नामक एक नया ऐप शुरू किया. इस ऐप के जरिए लोग अपने आसपास की जानकारी हासिल कर पाएंगे. गूगल की ओर से कहा गया कि इस ऐप से लोगों को अपने क्षेत्र की जानकारी आसानी से मिलेगी और वे यह पता कर पाएंगे कि उनके आपपास में बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित पार्क कौन सा है. इसके अलावा बच्चों के लिए निजी ट्यूशन सेंटर की तलाश भी लोग इस ऐप की मदद से कर पाएंगे. इसी प्रकार लोग इस ऐप के जरिए अपने आसपास की कई अन्य तरह सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं.

इस ऐप पर लोग अपने सवाल टाइप कर या बोलकर जवाब प्राप्त कर सकते हैं. गूगल ने कहा, ‘ऐप पर आप अपनी निजी जानकारी दिए बगैर सवाल कर सकते हैं. नेबरली पर आपके सवाल तुरंत आपके सही पड़ोसी के पास पहुंच जाते हैं और वे वापस संबंधित जवाब और सूचनाएं आपको ऐप के जरिए देते हैं.

गूगल इंडिया ने एक ट्वीट के जरिए कहा, “मुंबई में आज इस ऐप का बीटा वर्जन उपलब्ध है. अगर आप किसी अन्य शहर में हैं तो वेटिंग लिस्ट में शामिल हो जाइए.” गूगल के नेक्स्ट बिलियन यूजर टीम के ग्रुप प्रोडक्ट मैनेजर जोश वुडवार्ड ने एक बयान में कहा, “नेबरली के साथ हम गूगल के मिशन को आगे बढ़ाते हुए एक नई तरीके की तलाश कर रहे हैं, जिससे दुनियाभर की सूचनाओं को संगठित किया जा सके.

एसबीआई खाताधारक अब एटीएम, डेबिट कार्ड को खुद कर सकेंगे कंट्रोल

देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक औफ इंडिया ने अपने यूजर्स को बड़ा तोहफा दिया है. डेबिट कार्ड के इस्तेमाल करने को लेकर जो डर रहता था अब वह नहीं रहेगा. SBI ने आपके लिए ऐसा ATM कार्ड निकाला है, जिसे यूजर्स खुद कंट्रोल कर सकते हैं. बैंक अपने अकाउंट होल्डर्स को यह एटीएम कार्ड दे रहा है. SBI की यह सुविधा SBI क्विक ऐप के जरिए देगा. SBI क्विक में ATM कार्ड के लिए अलग से कुछ सुविधाएं हैं. यह ऐप आपको ATM कार्ड को ब्‍लौक करने, औन या औफ करने और ATM पिन जनरेट करने की सुविधा उपलब्‍ध कराती है.

स्मार्टफोन के जरिए होगा कंट्रोल

SBI के नए एटीएम कार्ड को क्विक ऐप के जरिए यूजर्स अपने कार्ड की सिक्‍योरिटी का पूरा इंतजाम अपने स्‍मार्टफोन पर कर सकते हैं. हालांकि, इस ऐप को तभी इस्‍तेमाल किया जा सकेगा, जब मोबाइल नंबर पर इस ऐप को डाउनलोड किया गया हो और वही मोबाइल नंबर बैंक में रजिस्‍टर्ड हो.

कैसे करता है काम

सबसे पहले इस ऐप को शुरू करने के लिए आपको रजिस्‍ट्रेशन कराना होगा. इसके लिए आपको ऐप के रजिस्‍ट्रेशन फीचर में जाकर जिस नंबर पर ऐप डाउनलोड किया है, उसे एंटर करना है. इसके बाद आपका रजिस्‍ट्रेशन हो जाएगा.

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कैसे होगी कार्ड ब्‍लौकिंग

अगर आपका एटीएम कार्ड खो गया है और आप इसे ब्‍लौक कराना चाहते हैं तो आपको ऐप के एटीएम कम डेबिट कार्ड के फीचर में जाकर एटीएम कार्ड ब्‍लौकिंग सिलेक्‍ट करना होगा. उसके बाद अपने कार्ड के आखिरी 4 डिजिट एंटर करके कंटीन्‍यू पर सिलेक्‍ट करना होगा. इस सर्विस के लिए आपको कुछ चार्ज भी देना होगा. अगर आप एसएमएस के जरिए ऐसा करना चाहते हैं तो आपको BLOCK space डेबिट कार्ड के आखिरी 4 डिजिट लिखकर 567676 पर एसएमएस करना होगा.

एटीएम को खुद कर सकते हैं बंद

एसबीआई क्विक ऐप के जरिए यूजर्स अपने एटीएम कार्ड को किसी भी एटीएम मशीन, पीओएस मशीन, ई-कौमर्स, इंटरनेशनल और डौमेस्टिक इस्‍तेमाल के लिए स्विच औन या औफ कर सकते हैं. इसके लिए आपको ऐप के एटीएम कम डेबिट कार्ड फीचर में जाकर अपने कार्ड के आखिरी 4 डिजिट डालकर एटीएम कार्ड स्विच औन/औफ पर क्लिक करना है. उसके बाद औप्‍शन का चयन करके स्विच औन या औफ कर सकते हैं.

SMS से भी बंद हो सकता है ATM

अगर आप मैसेज से औन और औफ करना चाहते हैं तो आपको एसएमएस 09223588888 पर भेजना है. मैसेज भेजने का फौर्मेट ऐसा है. एटीएम ट्रान्‍जेक्‍शंस स्विच औन के लिए- SWONATM space कार्ड के अंतिम 4 डिजिट. स्विच औफ के लिए- SWOFFATM space कार्ड के अंतिम 4 डिजिट. POS स्विच औन के लिए- SWONPOS space कार्ड के अंतिम 4 डिजिट. स्विच औफ के लिए- SWOFFPOS space कार्ड के अंतिम 4 डिजिट.

ऐसे औन करें अपना बंद ATM कार्ड

ई-कौमर्स इस्‍तेमाल के लिए स्विच औन के लिए SWONECOM space कार्ड के अंतिम 4 डिजिट. स्विच औफ के लिए- SWOFFECOM कार्ड के अंतिम 4 डिजिट. इंटरनेशनल ट्रान्‍जेक्‍शंस स्विच औन के लिए SWONINTL कार्ड के अंतिम 4 डिजिट. स्विच औफ के लिए- SWOFFINTL space कार्ड के अंतिम 4 डिजिट. डौमेस्टिक ट्रान्‍जेक्‍शंस स्विच औन के लिए- SWONDOM space कार्ड के अंतिम 4 डिजिट. स्विच औफ के लिए- SWOFFDOM space कार्ड के अंतिम 4 डिजिट.

ये फीचर्स भी हैं मौजूद

एटीएम कंट्रोलिंग के अलावा एसबीआई क्विक में बैलेंस इन्‍क्‍वायरी, मिनी स्‍टेटमेंट, कार लोन-होम लोन की डिटेल पाने, पीएम सोशल सिक्‍योरिटी स्‍कीम्‍स में इनरौलमेंट, अकाउंट डिरजिस्‍टर करने, अकाउंट स्‍टेटमेंट, होम लोन इंट्रेस्‍ट सर्टिफिकेट और एजुकेशन लोन सर्टिफिकेट ई-मेल के जरिए पाने की भी सुविधा मौजूद हैं.

विंदू दारा सिंह बने निर्माता

मशहूर अभिनेता विंदू दारा सिंह के पिता दारा सिंह अपने समय के मशहूर कुश्तीबाज, फिल्म अभिनेता व फिल्म निर्माता थे. अब विंदू दारा सिंह भी अभिनेता के साथ साथ निर्माता बन गए हैं, मगर विंदू ने फिल्म की बजाय नाटक का निर्माण किया है. विंदू दारा सिंह निर्मित और लखबीर लेहरी व लकी हंस निर्देशित नाटक‘‘गोलमाल-द प्ले’’ भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर कटाक्ष करने वाला नाटक है, जिसका पहला शो रंग शारदा, मुंबई में 26 मई को हो चुका है और इसे काफी सराहा गया. अब इस नाटक के अगले शो सूरत, पुणे, दिल्ली, हैदराबाद, अहमदाबाद, बड़ोदा के अलावा अमरीका व दुबई में होंगे.

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नाटक‘‘गोलमाल – द प्ले’’के लेखक लकी हंस हैं. जबकि रचनात्मक निर्देशक आकाशदीप हैं. नाटक के निर्देशक लखबीर लेहरी पंजाबी के मशहूर हास्य कलाकार हैं, जिन्होंने इस नाटक में भी अहम किरदार निभाया है.

नाटक “गोलमाल- द प्ले” भारतीय शिक्षा जगत की सच्चाई को उजागर करता है. इस नाटक में इस बात को व्यंग और हास्य के माध्यम से दिखया गया है कि बच्चों के माता पिता अपने बच्चे को स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए किस तरह परेशान होते हैं और उन्हें किस तरह के पापड़ बेलने पड़ते हैं.

नाटक ‘‘गोलमाल – द प्ले’’ में आकाशदीप, शीबा, लखबीर लेहरी, विंदू दारा सिंह, राजेश पुरी, गोगा कपूर, सुरलीन कौर की अहम भूमिकांए हैं.

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इस नाटक की चर्चा करते हुए विंदू दारा सिंह कहते हैं- ‘‘आज हर इंसान परेशान व दुःखी है. इसलिए हमारा मूल मकसद लोगों का इस नाटक के माध्यम से मनोरंजन करना है. मगर साथ में हम शिक्षा जगत की सच्चाई को भी बयां कर रहे हैं. हमने कोशिश की है कि दर्शकों को उनके पैसे का भरपूर मजा मिले और वह खुश होकर जाएं.’’

वोडाफोन आइडिया मर्जर से बनेगी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड

इंडियन टेलिकौम सेक्टर की दो दिग्गज कंपनियां वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर जल्द ही मर्जर के बाद एक कंपनी बन जाएंगी. मर्जर के बाद बनने वाली नई कंपनी का नाम होगा वोडाफोन इंडिया लिमिटेड. आइडिया सेल्युलर के बोर्ड ने 26 जून को एक असाधारण आम बैठक बुलाई है. इस बैठक में ही आइडिया सेल्युलर लिमिटेड का नाम बदलकर वोडाफोन इंडिया लिमिटेड किए जाने को मंजूरी दी जाएगी.

इतना ही नहीं इस बैठक में नई कंपनी की ओर से 15,000 करोड़ रुपये का फंड जुटाने के प्रस्ताव पर मंजूरी की भी मांग की जाएगी. हम अपनी इस खबर में आपको वोडाफोन और आइडिया के मर्जर से जुड़ी 10 बड़ी बातें बता रहे हैं.

  • कंपनी ने स्टौक मार्केट फाइलिंग में यह जानकारी दी है कि 20 मार्च, 2017 को एक ‘कार्यान्वयन समझौते’ के संदर्भ में, नई बनने वाली कंपनी के नाम में वोडाफोन और आइडिया के नामों को शामिल करने के लिए प्रस्ताव रखा गया था.
  • आइडिया के बोर्ड औफ डायरेक्टर्स ने फैसला किया था कि कंपनी का नाम आइडिया सेल्युलर लिमिटिड से बदलकर वोडाफोन आइडिया लिमिटेड रखा जाएगा.

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  • रजिस्ट्रार औफ कंपनीज (आरओसी) ने वांछित नाम वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की उपलब्धता पर इसको 24 मई 2018 को मंजूरी दे दी है. कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों और नियमों के अंतर्गत कंपनी को अपने नाम में परिवर्तन के लिए विशेष प्रस्ताव के जरिए शेयरधारकों की स्वीकृति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है.
  • नाम में बदलाव के साथ ही कंपनी विशेष प्रस्ताव के जरिए सदस्यों से यह अनुमति भी मांगेगी कि उसे नौन-कन्वर्टिबल सिक्योरिटीज के जरिए 15,000 करोड़ रुपये जुटाने की स्वीकृति भी दी जाए.
  • मर्जर के लिए कंपनी को पहले भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से मंजूरी मांगनी होगी. 24 जुलाई को, बीते साल इन दोनों कंपनियों को मर्जर की स्वीकृति दे दी थी. वहीं मई 2017 को सेबी ने इन दोनों कंपनियों के मर्जर प्रस्ताव पर स्पष्टीकरण की मांग की थी.
  • बीते साल 13 अक्टूबर को आइडिया सेल्युलर के शेयर होल्डर्स ने कंपनी के मोबाइल बिजनेस के वोडाफोन के साथ मर्जर को मंजूरी दे दी थी. आइडिया के करीब 99 फीसद शेयरहोल्डर्स ने 12 अक्टूबर 2017 को हुई एक बैठक में इस मर्जर प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया था. यह जानकारी स्टौक फाइलिंग में कुमार मंगलम बिड़ला ने दी है.
  • शेयरधारकों की मंजूरी के बाद कंपनी को नेशनल कंपनी लौ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मंजूरी चाहिए होगी. एनसीएलटी की मंजूरी के बाद कंपनियां टेलिकौम डिपार्टमेंट में अंतिम मंजूरी के लिए आवेदन कर सकती हैं.
  • 22 मार्च को दोनों कंपनियों ने घोषणा की थी कि वोडाफोन के चीफ औपरेटिंग औफिसर बालेश शर्मा को मर्जर के बाद बनने वाली कंपनी का नया सीईओ नियुक्त किया जाएगा.
  • कुमार मंगलम बिड़ला मर्जर से बनने वाली कंपनी के नौन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन होंगे.
  • वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर फिलहाल देश की नंबर 2 और नंबर तीन कंपनियां हैं, जबकि भारतीय एयरटेल नंबर 1 टेलिकौम कंपनी है. वोडाफोन और आइडिया के बीच मर्जर के बाद वोडाफोन के पास 45.1 फीसद की हिस्सेदारी होगी, जबकि आइडिया सेल्युलर के पास 26 फीसद की हिस्सेदारी होगी.

अमेरिका में यह सम्मान पाने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी होंगे रोहित शर्मा

भारतीय क्रिकेट टीम के सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा अमेरिका में बेसबौल क्लब सिएटल मैरिनर्स के लिए ‘फर्स्ट पिच’ करके लीग का औपचारिक शुरुआत करेंगे. इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में मुंबई इंडियंस टीम के कप्तान रोहित पहले ऐसे क्रिकेटर होंगे जिन्हें अमेरिकी स्पोर्ट्स लीग में यह सम्मान प्राप्त होगा. लीग का उद्घाटन रविवार (3 जून) को किया जाएगा. रोहित इस समय अपनी पत्नी रितिका के साथ अमेरिका के तीन शहरों सेन फ्रांस्किो, सिएटल और लौस एंजेलिस के दौरे पर हैं.

मुंबई इंडियंस की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार रोहित शर्मा भारतीय समयानुसार रविवार (3 जून) रात एक बजे बेसबौल को पिच करके लीग का उद्घाटन करेंगे. उद्घाटन के बाद सिएटल की भिड़ंत टेम्पा बे रेज से होगा. अमेरिका में यह परंपरा रही है कि लीग की शुरुआत करने के लिए किसी खास व्यक्ति या हस्ती को बेसबाल को फर्स्ट पिच करने का मौका दिया जाता है और इस बार यह मौका रोहित को दिया गया है जो इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं. सलामी बल्लेबाल रोहित अमेरिका में अपनी यात्रा के दौरान क्रिकेट क्लीनिक सीरीज में हिस्सा लेंगे और प्रशंसकों से मिलेंगे.

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बता दें कि आर्इपीएल 2018 में मुंबई इंडियंस ने नीलामी से पहले ही कप्तान रोहित शर्मा को रिटेन कर लिया था. मुंबई इंडियंस ने रोहित को 15 करोड़ रुपए खर्च कर रिटेन कर दिया था, लेकिन आईपीएल के इस सीजन में रोहित शर्मा फ्लौप साबित हुए. रोहित शुरू से ही आईपीएल में आउट औफ फौर्म थे. बता दें कि रोहित शर्मा मुंबई इंडियंस को तीन बार खिताब जितवा चुके हैं. मौजूदा सीजन में रोहित का बल्‍ला ज्‍यादातर वक्‍त खामोश रहा. दाएं हाथ के इस बल्‍लेबाज ने 14 मैचों में सिर्फ 286 रन बनाए. उनका औसत 23.83 का रहा.

मुंबई इंडियंस ने आईपीएल 10 का खिताब अपने नाम किया. यह उसका तीसरा आईपीएल खिताब था. इससे पहले मुंबई ने 2013 और 2015 में खिताब अपने नाम किया था. मुंबई इंडियंस ने अपने तीनों खिताब रोहित शर्मा की कप्तानी में जीते हैं. रोहित शर्मा सबसे ज्यादा आईपीएल जीतने वाले कप्तान भी थे.

लेकिन इस साल चेन्नई सुपरकिंग्स ने तीसरी बार आईपीएल खिताब को जीतकर मुंबई इंडियंस की बराबरी कर ली है. इसी के साथ महेंद्र सिंह धोनी ने रोहित शर्मा की बराबरी की. चेन्नई ने भी अपने तीनों खिताब महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में जीते हैं.

असीम क्षेत्रपाल की किताब पर फिल्म ‘‘उॅं अल्लाह’’

क्रिकेट और फिल्म जगत से जुड़े रहे असीम क्षेत्रपाल अब अपनी आत्मकथा पर लिखी गयी किताब ‘‘द चोजेन वन’’ पर हौलीवुड कंपनी के साथ मिलकर फिल्म ‘‘उॅं अल्लाह’’ का निर्माण कर रहे हैं. 1999 में असीम क्षेत्रपाल की स्पोर्ट्स प्रमोटर कंपनी ‘‘रेडियंट स्पोर्ट्स मैनेजमेंट’’ पर क्रिकेट मैच फिक्सिंग से जुड़े होने के आरोप लगे थे. पर बाद में स्काटलैंड यार्ड ने इस कंपनी को सभी आरोपों से बरी कर दिया था. तब असीम क्षेत्रपाल ने अपने जीवन के उतार चढ़ाव पर आत्मकथात्मक किताब ‘‘द चोजेन वन’’ लिखी थी. जिस पर अब वह एक हौलीवुड प्रोडक्शन कंपनी के साथ मिलकर ‘‘उॅं अल्लाह’’ नामक फिल्म का निर्माण करने जा रहे हैं.

खुद असीम क्षेत्रपाल कहते हैं- ‘‘मेरी आत्मकथा में मेरे जीवन के 19 वर्ष के उतार चढ़ाव हैं. इसमें मेरे  राष्ट्रीय स्तर के टेनिस खिलाड़ी बनने, खेल प्रमोटर, फिल्म व टीवी शो निर्माता से लेकर आध्यात्मिक वक्ता बनने तक की जिंदगी का चित्रण है. जब मैं एक स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंपनी चला रहा था और प्रायोजकों के बीच मेरी कंपनी काफी लोकप्रिय हो गयी थी, तभी मेरी कंपनी को मैच फिक्सिंग के विवादों में घसीटा गया. अंततः सच की जीत हुई थी और मेरी कंपनी को निर्दोष बताया गया था. तब मैंने अपनी आत्मकथा लिखी. मेरी इस किताब की अब तक एक लाख से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं और अब हम इस पर फिल्म बना रहे हैं.’’

हिंदी और अंग्रेजी इन दो भाषाओं में बन रही इस फिल्म की कहानी व पटकथा विकास कपूर ने लिखी है. जबकि फिल्म के गीतों को आशा भोसले, अनूप जलोटा, हमसर हयात व अलीशा चिनाय ने स्वरबद्ध किया है.

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