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सिगरेट के हर कश में है मौत

वैसे तो सिगरेट से कैंसर होने का पता 4 दशक पहले चल गया था पर फिर भी आज भी सिगरेट्स इस कदर पी जा रही हैं कि हर साल 70 लाख लोग केवल धूएं के कारण मरते हैं. फ्रांस में 34% लोग सिगरेट पीते हैं और भारत में 14% सिगरेटबीड़ी के आदी हैं. भारत का आंकड़ा कम इसलिए है कि यहां पानमसाले और खैनी में मिला कर तंबाकू ज्यादा खाया जाने लगा है.

वर्ल्ड हैल्थ और्गेनाइजेशन का कहना है कि सीमा में भी तंबाकू सेवन उसी तरह की गलतफहमी है जैसी कि शराब के बारे में है. थोड़े से सेवन से कुछ नहीं होता, नितांत गलत है. सिगरेट बीमारियां तो पैदा करेगी चाहे एक पीओ या 20. हां, कम पीने वालों के पास पैसे हों तो वे इलाज करा लेते हैं. वैसे भी कम पीने का दावा करने वाले जब तनाव में होते हैं तो धड़ाधड़ पीने लगते हैं. उन्हें फिर कोई रोक नहीं पाता. दुनिया भर में 28 हजार अरब रुपए सिगरेट से होने वाले रोगों के इलाजों पर खर्च करे जाते हैं और टोबैको कंपनियां और व्यावसायिक अस्पताल इस लत का जम कर लाभ उठाते हैं.

घर में सिगरेट न घुसे यह जिम्मेदारी औरतों की है. उन्हें प्रेम करते समय ही इस पर पाबंदी लगा देनी चाहिए. जो सिगरेट पीए वह भरोसे का नहीं क्योंकि न जाने कब वह धोखा दे जाए. फिर घर में सिगरेट पीएगा तो बाकियों यानी छोटे बच्चों तक को दुष्प्रभाव झेलना पड़ेगा. भारत को छोडि़ए, इटली जैसे देश के शहरों के फुटपाथ वैसे तो साफसुथरे दिखेंगे पर सिगरेट के टुकड़े हर जगह मुंह चिढ़ाते नजर आ जाएंगे. सिगरेट वहां भी और भारत में भी औरतों की दुश्मन नंबर एक है.

वैसे कुछ देशों में औरतें भी बराबर की सी सिगरेट पीती हैं पर वे खुद को भी नष्ट करती हैं और बच्चों को भी. बच्चों को शुरू से ही लत पड़ जाती है और 7 से 10 साल तक के बच्चे छिपछिप कर स्मोकिंग शुरू कर देते हैं. सिगरेट ही मादक दवाओं के लिए रास्ता खोलती है. ज्यादा नशा पाने के लिए हेरोइन आदि लेना शुरू करा जाता है जो बाद में लाइलाज हो जाता है.

सूना आसमान (भाग-1) : अमिता ने क्यों कुंआरी रहने का फैसला लिया

अमिता जब छोटी थी तो मेरे साथ खेलती थी. मुझे पता नहीं अमिता के पिता क्या काम करते थे, लेकिन उस की मां एक घरेलू महिला थीं और मेरी मां के पास लगभग रोज ही आ कर बैठती थीं. जब दोनों बातों में मशगूल होती थीं तो हम दोनों छोटे बच्चे कभी आंगन में धमाचौकड़ी मचाते तो कभी चुपचाप गुड्डेगुडि़या के खेल में लग जाते थे.

धीरेधीरे परिस्थितियां बदलने लगीं. मेरे पापा ने मुझे शहर के एक बहुत अच्छे पब्लिक स्कूल में डाल दिया और मैं स्कूल जाने लगा. उधर अमिता भी अपने परिवार की हैसियत के मुताबिक स्कूल में जाने लगी थी. रोज स्कूल जाना, स्कूल से आना और फिर होमवर्क में जुट जाना. बस, इतवार को वह अपनी मां के साथ नियमित रूप से मेरे घर आती, तब हम दोनों सारा दिन खेलते और मस्ती करते.

हाईस्कूल के बाद जीवन पूरी तरह से बदल गया. कालेज में मेरे नए दोस्त बन गए, उन में लड़कियां भी थीं. अमिता मेरे जीवन से एक तरह से निकल ही गई थी. बाहर से आने पर जब मैं अमिता को अपनी मां के पास बैठा हुआ देखता तो बस, एक बार मुसकरा कर उसे देख लेता. वह हाथ जोड़ कर नमस्ते करती, तो मुझे वह किसी पौराणिक कथा के पात्र सी लगती. इस युग में अमिता जैसी सलवारकमीज में ढकीछिपी लड़कियों की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता था. अमिता खूबसूरत थी, लेकिन उस की खूबसूरती के प्रति मन में श्रद्धाभाव होते थे, न कि उस के साथ चुहलबाजी और मौजमस्ती करने का मन होता था.

वह जब भी मुझे देखती तो शरमा कर अपना मुंह घुमा लेती और फिर कनखियों से चुपकेचुपके मुसकराते हुए देखती. दिन इसी तरह बीत रहे थे.

फिर मैं ने नोएडा के एक कालेज में बीटैक में दाखिला ले लिया और होस्टल में रहने लगा. केवल लंबी छुट्टियों में ही घर जाना हो पाता था. जब हम घर पर होते थे, तब अमिता कभीकभी हमारे यहां आती थी और दूर से ही शरमा कर नमस्ते कर देती थी, लेकिन उस के साथ बातचीत करने का मुझे कोई मौका नहीं मिलता था. उस से बात करने का मेरे पास कोई कारण भी नहीं था. ज्यादा से ज्यादा, ‘कैसी हो, क्या कर रही हो आजकल?’ पूछ लेता. पता चला कि वह किसी कालेज से बीए कर रही थी. बीए करने के बावजूद वह अभी तक सलवारकमीज में लिपटी हुई एक खूबसूरत गुडि़या की तरह लगती थी. लेकिन मुझे तो जींसटौप में कसे बदन और दिलकश उभारों वाली लड़कियां पसंद थीं. उस की तमाम खूबसूरती के बावजूद, संस्कारों और शालीन चरित्र से मुझे वह प्राचीनकाल की लड़की लगती थी.

गरमी की एक उमसभरी दोपहर थी. मैं अपने कमरे में एसी की ठंडी हवा लेता हुआ एक उपन्यास पढ़ने में व्यस्त था, तभी दरवाजे पर एक हलकी थाप पड़ी. मैं चौंक गया और लेटेलेटे ही पूछा, ‘‘कौन?’’

‘‘मैं, एक मीठी आवाज कानों में पड़ी. मैं पहचान गया, अमिता की आवाज थी, मैं ने कहा, आ जाओ, दरवाजे की सिटकिनी नहीं लगी है.’’

‘‘हां,’’ उस का सिर झुका हुआ था, आंखें उठा कर उस ने एक बार मेरी तरफ देखा. उस की आंखों में एक अनोखी कशिश थी, जो सामने वाले को अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी. उस का चेहरा भी दमक रहा था. वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी. उस के नैननक्श बहुत सुंदर थे. मैं एक पल के लिए देखता ही रह गया और मेरे हृदय में एक कसक सी उठतेउठते रह गई.

‘‘तुम…अचानक…इतनी दोपहर को? कोईर् काम है?’’ मैं उस के सौंदर्य से अभिभूत होता हुआ बिस्तर पर बैठ गया. पहली बार वह मुझे इतनी सुंदर और आकर्षक लगी थी.

वह शरमातीसकुचाती सी थोड़ा आगे बढ़ी और अपने हाथों को आगे बढ़ाती हुई बोली, ‘‘मिठाई लीजिए.’’

‘‘मिठाई?’’

‘‘हां, आज मेरा जन्मदिन है. मां ने मिठाई भिजवाई है,’’ उस ने सिर झुकाए हुए ही कहा.

‘‘अच्छा, बधाई हो,’’ मैं ने उस के हाथों से मिठाई ले ली.

मैं उस वक्त कमरे में अकेला था और एक जवान लड़की मेरे साथ थी. कोई देखता तो क्या समझता. मेरा ध्यान भी उपन्यास में लगा हुआ था. कहानी एक रोचक मोड़ पर पहुंच चुकी थी. ऐसे में अमिता ने आ कर अनावश्यक व्यवधान पैदा कर दिया था. अत: मैं चाहता था कि वह जल्दी से जल्दी मेरे कमरे से चली जाए. लेकिन वह खड़ी ही रही. मैं ने प्रश्नवाचक भाव से उसे देखा.

‘‘क्या मैं बैठ जाऊं?’’ उस ने एक कुरसी की तरफ इशारा करते हुए कहा.

‘‘हां…’’ मेरी हैरानी बढ़ती जा रही थी. मेरे दिल में धुकधुकी पैदा हो गई. क्या अमिता किसी खास मकसद से मेरे कमरे में आई थी? उस की आंखें याचक की भांति मेरी आंखों से टकरा गईं और मैं द्रवित हो उठा. पता नहीं, उस की आंखों में क्या था कि डरने के बावजूद मैं ने उस से कह दिया, ‘‘हांहां, बैठो,’’ मेरी आवाज में अजीब सी बेचैनी थी.

कुरसी पर बैठते हुए उस ने पूछा, ‘‘क्या आप को डर लग रहा है?’’

‘‘नहीं, क्या तुम डर रही हो?’’ मैं ने अपने को काबू में करते हुए कहा.

‘‘मैं क्यों डरूंगी? आप से क्या डरना?’’ उस ने आत्मविश्वास से कहा.

‘‘डरने की बात नहीं है? चारों तरफ सन्नाटा है. दूरदूर तक किसी की आवाज सुनाई नहीं पड़ रही. भरी दोपहर में लोग अपनेअपने घरों में बंद हैं. ऐसे में एक सूने कमरे में एक जवान लड़की किसी लड़के के साथ अकेली हो तो क्या उसे डर नहीं लगेगा?’’

वह हंसते हुए बोली, ‘‘इस में डरने की क्या बात है? मैं आप को अच्छी तरह जानती हूं. आप भी तो कालेज में लड़कियों के साथ उठतेबैठते हैं, उन के साथ घूमतेफिरते हो. रेस्तरां और पार्क में जाते हो, तो क्या वे लड़कियां आप से डरती हैं?’’

मैं अमिता के इस रहस्योद्घाटन पर हैरान रह गया. कितनी साफगोई से वह यह बात कह रही थी. मैं ने पूछा, ‘‘तुम्हें कैसे मालूम कि हम लोग लड़कियों के साथ घूमतेफिरते हैं और मौजमस्ती करते हैं?’’

‘‘अब मैं इतनी भोली भी नहीं हूं. मैं भी कालेज में पढ़ती हूं. क्या मुझे नहीं पता कि किस प्रकार युवकयुवतियां एकदूसरे के साथ घूमते हैं और आपस में किस प्रकार का व्यवहार करते हैं?’’

‘‘लेकिन वे युवतियां हमारी दोस्त होती हैं और तुम…’’ मैं अचानक चुप हो गया. कहीं अमिता को बुरा न लग जाए. अफसोस हुआ कि मैं ने इस तरह की बात कही. आखिर अमिता मेरे लिए अनजान नहीं थी. बचपन से हम एकदूसरे को जानते हैं. जवानी में भले ही आत्मीयता या निकटता न रही हो, लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि वह मुझ से मिल नहीं सकती थी.

अमिता को शायद मेरी बात बुरी लगी. वह झटके से उठती हुई बोली, ‘‘अब मैं चलूंगी वरना मां चिंतित होंगी,’’ उस की आवाज भीगी सी लगी. उस ने दुपट्टा अपने मुंह में लगा लिया और तेजी से कमरे से बाहर भाग गई. मैं ने स्वयं से कहा, ‘‘मूर्ख, तुझे इतना भी नहीं पता कि लड़कियों से किस तरह पेश आना चाहिए. वे फूल की तरह कोमल होती हैं. कोई भी कठिन बात बरदाश्त नहीं कर सकतीं.’’

फिर मैं ने झटक कर अपने मन से यह बात निकाल दी, ‘‘हुंह, मुझे अमिता से क्या लेनादेना? बुरा मानती है तो मान जाए. मुझे कौन सा उस के साथ रिश्ता जोड़ना है. न वह मेरी प्रेमिका है, न दोस्त.’’

उन दिनों घर में बड़ी बहन की शादी की बातें चल रही थीं. वह बीए करने के बाद एक औफिस में स्टैनो हो गई थी. दूसरी बहन बीए करने के बाद प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी और सिविल सर्विसेज में जाने की इच्छुक थी. एक कोचिंग क्लास भी जौइन कर रखी थी. सब के साथ शाम की चाय पीने तक मैं अमिता के बारे में बिलकुल भूल चुका था. चाय पीने के बाद मैं ने अपनी मोटरसाइकिल उठाई और यारदोस्तों से मिलने के लिए निकल पड़ा.

मैं दोस्तों के साथ एक रेस्तरां में बैठ कर लस्सी पीने का मजा ले रहा था कि तभी मेरे मोबाइल पर निधि का फोन आया. वह मेरे साथ इंटरमीडिएट में पढ़ती थी और हम दोनों में अच्छी जानपहचान ही नहीं आत्मीयता भी थी. मेरे दोस्तों का कहना था कि वह मुझ पर मरती है, लेकिन मैं इस बात को हंसी में उड़ा देता था. वह हमारी गंभीर प्रेम करने की उमर नहीं थी और मैं इस तरह का कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता था. मेरे मम्मीपापा की मुझ से कुछ अपेक्षाएं थीं और मैं उन अपेक्षाओं का खून नहीं कर सकता था. अत: निधि के साथ मेरा परिचय दोस्ती तक ही कायम रहा. उस ने कभी अपने पे्रम का इजहार भी नहीं किया और न मैं ने ही इसे गंभीरता से लिया.

इंटर के बाद मैं नोएडा चला गया, तो उस ने भी मेरे नक्शेकदम पर चलते हुए गाजियाबाद के एक प्रतिष्ठान में बीसीए में दाखिला ले लिया. उस ने एक दिन मिलने पर कहा था, ‘‘मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ने वाली.’’

‘‘अच्छा, कहां तक?’’ मैं ने हंसते हुए कहा था.

‘‘जहां तक तुम मेरा साथ दोगे.’’

‘‘अगर मैं तुम्हारा साथ अभी छोड़ दूं तो?’’

‘‘नहीं छोड़ पाओगे. 3 साल से तो हम आसपास ही हैं. न चाहते हुए भी मैं तुम से मिलने आऊंगी और तुम मना नहीं कर पाओगे. यहां से जाने के बाद क्या होगा, न तुम जानते हो, न मैं. मैं तो बस इतना जानती हूं, अगर तुम मेरा साथ दोगे, तो हम जीवनभर साथ रह सकते हैं.’’

मैं बात को और ज्यादा गंभीर नहीं करना चाहता था. बीटैक का वह मेरा पहला ही साल था. वह भी बीसीए के पहले साल में थी. प्रेम करने के लिए हम स्वतंत्र थे. हम उस उम्र से भी गुजर रहे थे, जब मन विपरीत सैक्स के प्रति दौड़ने लगता है और हम न चाहते हुए भी किसी न किसी के प्यार में गिरफ्तार हो जाते हैं. हम दोनों एकदूसरे को पसंद करते थे.

वह मुझे अच्छी लगती थी, उस का साथ अच्छा लगता था. वह नए जमाने के अनुसार कपड़े भी पहनती थी. उस का शारीरिक गठन आकर्षक था. उस के शरीर का प्रत्येक अंग थिरकता सा लगता. वह ऐसी लड़की थी, जिस का प्यार पाने के लिए कोई भी लड़का कुछ भी उत्सर्ग कर सकता था, लेकिन मैं अभी पे्रम के मामले में गंभीर नहीं था, अत: बात आईगई हो गई. लेकिन हम दोनों अकसर ही महीने में एकाध बार मिल लिया करते थे और दिल्ली जा कर किसी रेस्तरां में बैठ कर चायनाश्ता करते थे, सिनेमा देखते थे और पार्क में बैठ कर अपने मन को हलका करते थे.

तब से अब तक 2 साल बीत चुके थे. अगले साल हम दोनों के ही डिग्री कोर्स समाप्त हो जाएंगे, फिर हमें जौब की तलाश करनी होगी. हमारा जौब हमें कहां ले जाएगा, हमें पता नहीं था.

मैं ने फोन औन कर के कहा, ‘‘हां, निधि, बोलो.’’

‘‘क्या बोलूं, तुम से मिलने का मन कर रहा है. तुम तो कभी फोन करोगे नहीं कि मेरा हालचाल पूछ लो. मैं ही तुम्हारे पीछे पड़ी रहती हूं. क्या कर रहे हो?’’ उधर से निधि ने जैसे शिकायत करते हुए कहा. उस की आवाज में बेबसी थी और मुझ से मिलने की उत्कंठा… लगता था, वह मेरे प्रति गंभीर होती जा रही थी.

मैं ने सहजता से कहा, ‘‘बस, दोस्तों के साथ गपें लड़ा रहा हूं.’’

‘‘क्या बेवजह समय बरबाद करते फिरते हो.’’

‘‘तो तुम्हीं बताओ, क्या करूं?’’

‘‘मैं तुम से मिलने आ रही हूं, कहां मिलोगे?’’

मैं दोस्तों के साथ था. थोड़ा असहज हो कर बोला, ‘‘मेरे दोस्त साथ हैं. क्या बाद में नहीं मिल सकते?’’

‘‘नहीं, मैं अभी मिलना चाहती हूं. उन से कोई बहाना बना कर खिसक आओ. मैं अभी निकलती हूं. रामलीला मैदान के पास आ कर मिलो,’’ वह जिद पर अड़ी हुई थी.

दोस्त मुझे फोन पर बातें करते देख कर मुसकरा रहे थे. वे सब समझ रहे थे. मैं ने उन से माफी मांगी, तो उन्होंने उलाहना दिया कि प्रेमिका के लिए दोस्तों को छोड़ रहा है. मैं खिसियानी हंसी हंसा, ‘‘नहीं यार, ऐसी कोई बात नहीं है,’’ फिर बिना कोई जवाब दिए चला आया. रामलीला मैदान पहुंचने के 10 मिनट बाद निधि वहां पहुंची. वह रिकशे से आई थी. मैं ने उपेक्षित भाव से कहा, ‘‘ऐसी क्या बात थी कि आज ही मिलना जरूरी था. दोस्त मेरा मजाक उड़ा रहे थे.’’

उस ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘‘सौरी अनुज, लेकिन मैं अपने मन को काबू में नहीं रख सकी. आज पता नहीं दिल क्यों इतना बेचैन था. सुबह से ही तुम्हारी बहुत याद आ रही थी.’’

‘‘अच्छा, लगता है, तुम मेरे बारे में कुछ अधिक ही सोचने लगी हो.’’

हम दोनों मोटरसाइकिल के पास ही खड़े थे. उस ने सिर नीचा करते हुए कहा, ‘‘शायद यही सच है. लेकिन अपने मन की बात मैं ही समझ सकती हूं. अब तो पढ़ने में भी मेरा मन नहीं लगता, बस हर समय तुम्हारे ही खयाल मन में घुमड़ते रहते हैं.’’

मैं सोच में पड़ गया. ये अच्छे लक्षण नहीं थे. मेरी उस के साथ दोस्ती थी, लेकिन उस को प्यार करने और उस के साथ शादी कर के घर बसाने के बारे में मैं ने कभी सोचा भी नहीं था.

‘‘निधि, यह गलत है. अभी हमें पढ़ाई समाप्त कर के अपना कैरियर बनाना है. तुम अपने मन को काबू में रखो,’’ मैं ने उसे समझाने की कोशिश की.

‘‘मैं अपने मन को काबू में नहीं रख सकती. यह तुम्हारी तरफ भागता है. अब सबकुछ तुम्हारे हाथ में है. मैं सच कहती हूं, मैं तुम्हें प्यार करने लगी हूं.’’

मैं चुप रहा. उस ने उदासी से मेरी तरफ देखा. मैं ने नजरें चुरा लीं. वह तड़प उठी, ‘‘तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगे?’’

मैं हड़बड़ा गया. मोटरसाइकिल स्टार्ट करते हुए मैं ने कहा, ‘‘चलो, पीछे बैठो,’’ वह चुपचाप पीछे बैठ गई. मैं ने फर्राटे से गाड़ी आगे बढ़ाई. मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि ऐसे मौके पर कैसे रिऐक्ट करूं? निधि ने बड़े आराम से बीच सड़क पर अपने प्यार का इजहार कर दिया था. न उस ने वसंत का इंतजार किया, न फूलों के खिलने का और न चांदनी रात का… न उस ने मेरे हाथों में अपना हाथ डाला, न चांद की तरफ इशारा किया और न शरमा कर अपने सिर को मेरे कंधे पर रखा.

बड़ी शालीनता से उस ने अपने प्यार का इजहार कर दिया. मुझे बड़ा अजीब सा लगा कि यह कैसा प्यार था, जिस में प्रेमी के दिल में प्रेमिका के लिए कोई प्यार की धुन नहीं बजी.

एक अच्छे से रेस्तरां के एक कोने में बैठ कर मैं ने बिना उस की ओर देखे कहा, ‘‘प्यार तो मैं कर सकता हूं, पर इस का अंत क्या होगा?’’ मेरी आवाज से ऐसा लग रहा था, जैसे मैं उस के साथ कोई समझौता करने जा रहा था.

‘‘प्यार के परिणाम के बारे में सोच कर प्यार नहीं किया जाता. तुम मुझे अच्छे लगते हो, तुम्हारे बारे में सोचते हुए मेरा दिल धड़कने लगता है, तुम्हारी आवाज मेरे कानों में मधुर संगीत घोलती है, तुम से मिलने के लिए मेरा मन बेचैन रहता है. बस, मैं समझती हूं, यही प्यार है,’’ उस ने अपना दायां हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और बाएं हाथ से मेरा सीना सहलाने लगी.

मैं सिकुड़ता हुआ बोला, ‘‘हां, प्यार तो यही है, लेकिन मैं अभी इस मामले में गंभीर नहीं हूं.’’

‘‘कोईर् बात नहीं, जब रोजरोज मुझ से मिलोगे तो एक दिन तुम को भी मुझ से प्यार हो जाएगा. मैं जानती हूं, तुम मुझे नापसंद नहीं करते,’’ वह मेरे साथ जबरदस्ती कर रही थी.

क्या पता, शायद एक दिन मुझे भी निधि से प्यार हो जाए. निधि को अपने ऊपर विश्वास था, लेकिन मुझे अपने ऊपर नहीं… फिर भी समय बलवान होता है. एकदो साल में क्या होगा, कौन क्या कह सकता है?

इसी तरह एक साल बीत गया. निधि से हर सप्ताह मुलाकात होती. उस के प्यार की शिद्दत से मैं भी पिघलने लगा था और दोनों चुंबक की तरह एकदूसरे को अपनी तरफ खींच रहे थे. इस में कोई शक नहीं कि निधि के प्यार में तड़प और कसमसाहट थी. मेरे मन में चोर था और मैं दुविधा में था कि मैं इस संबंध को लंबे अरसे तक खींच पाऊंगा या नहीं, क्योंकि भविष्य के प्रति मैं आश्वस्त नहीं था.

एक साल बाद हमारे डिग्री कोर्स समाप्त हो गए. परीक्षा के बाद फिर से गरमी की छुट्टियां. मैं अपने शहर आ गया. छुट्टियों में निधि से रोज मिलना होता, लेकिन इस बार अपने घर आ कर मैं कुछ बेचैन सा रहने लगा था. पता नहीं, वह क्या चीज थी, मैं समझ ही नहीं पा रहा था. ऐसा लगता था, जैसे मेरे जीवन में किसी चीज का अभाव था. वह क्या चीज थी, लाख सोचने के बावजूद मैं समझ नहीं पा रहा था. निधि से मिलता तो कुछ पल के लिए मेरी बेचैनी दूर हो जाती, लेकिन घर आते ही लगता मैं किसी भयानक वीराने में आ फंसा हूं और वहां से निकलने का कोई रास्ता मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा.

अचानक एक दिन मुझे अपनी बेचैनी का कारण समझ में आ गया. उस दिन मैं जल्दी घर लौटा था. मां आंगन में अमिता की मां के साथ बैठी बातें कर रही थीं. अमिता की मां को देखते ही मेरा दिल अनायास ही धड़क उठा, जैसे मैं ने बरसों पूर्व बिछड़े अपने किसी आत्मीय को देख लिया हो. मुझे तुरंत अमिता की याद आई, उस का भोला मुखड़ा याद आया. उस के चेहरे की स्निग्धता, मधुर सौंदर्य, बड़ीबड़ी मुसकराती आंखें और होंठों को दबा कर मुसकराना सभी कुछ याद आया. मेरा दिल और तेजी से धड़क उठा. मेरे पैर जैसे वहीं जकड़ कर रह गए. मैं ने कातर भाव से अमिता की मां को देखा और उन्हें नमस्कार करते हुए कहा, ‘‘चाची, आजकल आप दिखाई नहीं पड़ती हैं?’’ वास्तव में मैं पूछना चाहता था कि आजकल अमिता दिखाई नहीं पड़ती.

मुझे अपनी बेचैनी का कारण पता चल गया था, लेकिन मैं उस का निवारण नहीं कर सकता था. अमिता की मां ने कहा, ‘‘अरे, बेटा, मैं तो लगभग रोज ही आती हूं. तुम ही घर पर नहीं रहते.’’

मैं शर्मिंदा हो गया और झेंप कर दूसरी तरफ देखने लगा. मेरी मां मुसकराते हुए बोलीं, ‘‘लगता है, यह तुम्हारे बहाने अमिता के बारे में पूछ रहा है. उस से इस बार मिला कहां है?’’ मां मेरे दिल की बात समझ गई थीं.

अमिता की मां भी हंस पड़ीं, ‘‘तो सीधा बोलो न बेटा, मैं तो उस से रोज कहती हूं, लेकिन पता नहीं उसे क्या हो गया है कि कहीं जाने का नाम ही नहीं लेती. पिछले एक साल से बस पढ़ाई, सोना और कालेज… कहती है, अंतिम वर्ष है, ठीक से पढ़ाई करेगी तभी तो अच्छे नंबरों से पास होगी.’’

‘‘लेकिन अब तो परीक्षा समाप्त हो गई है,’’ मेरी मां कह रही थीं. मैं धीरेधीरे अपने कमरे की तरफ बढ़ रहा था, लेकिन उन की बातें मुझे पीछे की तरफ खींच रही थीं. दिल चाहता था कि रुक कर उन की बातें सुनूं और अमिता के बारे में जानूं, पर संकोच और लाजवश मैं आगे बढ़ता जा रहा था. कोई क्या कहेगा कि मैं अमिता के प्रति दीवाना था…

‘‘हां, परंतु अब भी वह किताबों में ही खोई रहती है,’’ अमिता की मां बता रही थीं.

आगे की बातें मैं नहीं सुन सका. मेरे मन में तड़ाक से कुछ टूट गया. मैं जानता था कि अमिता मेरे घर क्यों नहीं आ रही थी. उस दिन की मेरी बात, जब वह मेरे कमरे में मिठाई देने के बहाने आई थी, उस के दिल में उतर गई थी और आज तक उसे गांठ बांध कर रखा था. मुझे नहीं पता था कि वह इतनी जिद्दी और स्वाभिमानी लड़की है. बचपन में तो वह ऐसी नहीं थी.

अब मैं फोन पर निधि से बात करता तो खयालों में अमिता रहती, उस का मासूम और सुंदर चेहरा मेरे आगे नाचता रहता और मुझे लगता मैं निधि से नहीं अमिता से बातें कर रहा हूं. मुझे उस का इंतजार रहने लगा, लेकिन मैं जानता था कि अब अमिता मेरे घर कभी नहीं आएगी. एक साल हो गया था, आज तक वह नहीं आई तो अब क्या आएगी? उसे क्या पता कि मैं अब उस का इंतजार करने लगा था. मेरी बेबसी और बेचैनी का उसे कभी पता नहीं चल सकता था. मुझे ही कुछ  करना पड़ेगा वरना एक अनवरत जलने वाली आग में मैं जल कर मिट जाऊंगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा.

– क्रमश:       

शादी के बाद आखिर क्यों सिमट जाता है औरत का वजूद

फिल्म ‘सात खून माफ’ में सुसाना एना मैरी जोहानेस सच्चे प्यार की तलाश में 7 शादियां करती है. श्रीनगर में उस की मुलाकात एक रोमांटिक शायर वसीउल्लाह खान से होती है. शादी के बाद पता चला कि यह रोमांटिक शायर बिस्तर पर कुछ ज्यादा ही वहशी हो जाता है. हिंसा के साथ सैक्स का वह आनंद उठाता है. सुसाना को यह वैवाहिक बलात्कार बरदाश्त न हुआ और एक दिन वसीउल्लाह खान बर्फ के नीचे दब कर मरा पाया गया. बहरहाल, यह तो एक कहानी है. बेहतर हो यह कहानी ही रहे.

जाहिर है, वैवाहिक बलात्कार कानून के पक्ष में कहने को बहुत कुछ है. लेकिन ऐसे कानून बनने के खिलाफ दलील देने वालों की भी कोई कमी नहीं है. ज्यादातर पुरुष तो इस के खिलाफ हैं ही, इस में महिलाएं भी शामिल हैं. घरेलू और बुजुर्ग महिलाएं. कुल मिला कर उन का तर्क यह है कि महिलाओं से हर घरपरिवार होता है. परिवार को जोड़े रखने का दायित्व महिलाओं पर ही होता है. अगर वैवाहिक बलात्कार कानून बनता है, तो परिवार का टूटनाबिखरना तय है.

घरपरिवार के लिए समझौता

इस बात से इनकार नहीं कि हर समाज में वैवाहिक बलात्कार आम है, लेकिन हमेशा से परिवार को जोड़े रखने की दुहाई दे कर महिलाओं से ही समझौता करने के लिए कहा जाता है. लड़कियों के दिमाग में इस बात को शुरू से ही अच्छी तरह डाल देने की कोशिश होती है और यह कोशिश करती हैं घर की बड़ीबुजुर्ग महिलाएं. मध्य कोलकाता में 2 बहुओं की सास दमयंती बेरी का कहना है कि पुरुषों के नियंत्रण वाले समाज में महिलाओं को घरपरिवार के लिए समझौता करना ही पड़ता है. पुरुष का स्वभाव ही ऐसा होता है कि पत्नी के रूप में वह प्रेमिका और सेविका दोनों का ही पुट चाहता है. इन दोनों रूपों में ही पत्नी जीवन की सार्थकता है.

वहीं 65 वर्षीय काननबाला कुंडु कोलकाता के खातेपीते परिवार की हैं. हाल ही में उन की इकलौती बेटी का ब्याह हुआ तो उन्होंने अपनी बेटी को यही सीख दे कर ससुराल भेजा कि केवल शृंगार काफी नहीं है, काम का भी होना पड़ेगा, वहीं केवल काम से बात नहीं बनेगी, महिलाओं के लिए शृंगार भी जरूरी है.

ताकि आकर्षण बरकरार रहे

इसी सीख की व्याख्या गायत्री बनर्जी दूसरे शब्दों में करती हैं. वे कहती हैं, ‘‘पति को हर तरह से खुश रखने का दायित्व पत्नी का होता है. पत्नी पति की सेवादासी के साथसाथ यौनदासी भी होती है. समाज कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाए, ‘काम’, ‘काज’ और ‘साज’ से ही महिलाओं का जीवन सफल होता है. काम, काज और साज में ही औरत का वजूद है. घरपरिवार में हर सदस्य की जरूरत का खयाल रखने के ‘काज’ के अलावा औरत के लिए साज यानी शृंगार भी उतना ही जरूरी है ताकि पति की नजरों में उस का आकर्षण हमेशा बरकरार रहे. काज और साज अलग चीजें हैं. औरत का असली रिश्ता पति के साथ जुड़ता है और इस रिश्ते की सचाई है ‘काम’. पति को संतुष्ट करना ही पत्नी का धर्म है. इसीलिए औरत के व्यक्तित्व का सच है काम, काज और साज. पति की नजरों में यही आदर्श पत्नी का स्वरूप है. शायद इसी कारण मैरिज को लीगल प्रोस्टिट्यूशन कहा गया है.’’

जैविक पहलू

डा. अरविंद सरकार कहते हैं कि जैविक कारणों से औरत और मर्द में सैक्स की चाह एकसमान नहीं होती है. पार्टनर के साथ होने पर सैक्स की चाह में पुरुष नियंत्रण नहीं कर पाता. जबकि महिलाओं के भीतर सैक्स इच्छा जगने में थोड़ा समय लगता है. फिर कई कारणों से शादी के बाद महिलाओं में सैक्स की चाह कम हो जाती है, जबकि पुरुषों में ऐसा कम ही होता है. घरेलू महिलाओं के ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि पहले मां बनने के बाद और फिर मेनोपौज के बाद उन में सैक्स की इच्छा कम हो जाती है.

वहीं पेशेवर या कामकाजी महिलाओं के नौकरीशुदा जीवन में इतना अधिक तनाव और काम का दबाव होता है कि उन की सैक्स चाह खुद ही दम तोड़ने लगती है. वहीं पुरुषों के साथ मामला उलटा होता है. सैक्स उन्हें तनाव से नजात देता है. यह पुरुषों के लिए स्ट्रैस बस्टर का काम करता है.

टीवी की इस बहू पर चढ़ा सपना चौधरी का रंग

टीवी की सुपरहिट बहू रुबीना दिलाइक ने पिछले हफ्ते ही अपने लौन्‍ग टाइम ब्वौयफ्रेंड अभिनव शुक्‍ला से शादी की है. इस शादी के कई वीडियो और फोटोज तो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. लेकिन हाल ही में इस शादी में रुबीना और उनके दोस्‍तों की मस्‍ती का काफी मजेदार वीडियो सामने आया है.

शादी की रस्‍मों के बाद के इस वीडियो में रुबीना केजुअल ड्रेस में दिख रही हैं और काफी मस्‍तीभरे अंदाज में डांस करती दिख रही हैं. यहां रुबीना सपना चौधरी के प्रसिद्ध गाने ‘तेरी आंख्‍या का यो काजल’ पर थिरकती दिख रही हैं.

शादी के बाद इस मस्‍ती भरे डांस वीडियो में रुबीना अकेले नहीं बल्कि उनके दोस्‍त भी इस वीडियो में डांस करते दिख रही हैं. इस वीडियो में टीवी एक्‍टर हुसैन, उनकी पत्‍नी टीना, एक्‍टर शरद केलकर उनकी पत्‍नी कृति केलकर और रुबीना के बाकी दोस्‍त डांस करते नजर आ रहे हैं.

इस शादी में रुबीना और अभिनव के करीबी दोस्‍त और रिश्‍तेदार ही शामिल हुए थे. शिमला में शादी रचाने के बाद टीवी की यह सुपरहिट जोड़ी लुधियाना और मुंबई में अपने रिसेप्शन की ग्रैंड पार्टी देने वाली हैं. इस रिसेप्‍शन में टीवी की कई हस्तियां शामिल होंगी, लेकिन इनकी शादी में सिर्फ चुनिंदा दोस्‍त और परिवार के लोग ही शामिल होने वाले हैं.

हार्दिक पांड्या बने एंकर और धोनी ने लिये उनके मजे

टीम इंडिया आगामी आयरलैंड इंग्लैंड दौरे पर रवाना हो चुकी है. रवाना होने से पहले टीम इंडिया के कप्तान ने कहा कि वे इंग्लैड दौरे की हर चुनौती के लिए तैयार हैं. टीम इंडिया जब फ्लाइट में थी तब सभी खिलाड़ी रिलैक्स हो कर मस्ती के मूड थे कोई मूवी देख रहा था तो कोई इंटरनेट सर्फिंग में बिजी था. लेकिन हार्दिक पांड्या ने मौके का फायदा उठा कर चहल को साथ लिया और एंकर बनकर सभी से जानने की कोशिश करने लगे के वे दौरे के लिए कितने एक्साइटेड हैं.

फ्लाइट के दौरान शुरुआत करते हुए पहले हार्दिक ने सबको अपना और चहल का परिचय देते हुए कहा कि चलिए देखते हैं कि लोग क्या देख रहे हैं. सबसे पहले हार्दिक ने कप्तान विराट कोहली का रुख किया. विराट अपने कम्प्यूटर में ईयरफोन लगा कर व्यस्त थे तभी हार्दिक ने सीधे उनसे पूछ लिया आप कैसे हैं विराट ने चौंक कर अपना ईयरफोन हटाते हुए उनसे पूछा क्या? तब हार्दिक ने अपना सवाल दोहराया आप कैसे हैं. विराट ने कहा फाइन, इससे पहले हार्दिक कुछ आगे पूछ पाते चहल ने मौके का फायदा उठाते हुए विराट को ट्रे भरी चिप्स औफर कर दीं हार्दिक इसे देखकर हंसने लगे. विराट ने चहल के इस औफर को मना कर दिया. बता दें कि कुछ दिन पहले ही विराट को सोशल मीडिया पर चिप्स का विज्ञापन करने के लिए ट्रोल कर दिया गया था. हार्दिक ने जब विराट से पूछा कि वे इंग्लैंड दौरे के लिए कितने उत्साहित हैं तो विराट ने कहा कि वे पहले भी इंग्लैंड जा चुके हैं तीन बार जा चुके हैं.

जब हार्दिक ने पूछा कि क्या आप इंग्लैंड में हमें जगह दिखाएंगे तो विराट ने कहा जरूर खास तौर पर केएल राहुल को जरूर ले जाएंगे क्योंकि वह पहली बार इंग्लैंड जा रहा है. लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि टीम खेलने से पहले रिलेक्स रहे और हम काफी उत्साहित हैं.

इसके बाद टीम इंडिया के फिजियो पैट्रिक फैराट की ओर रुख किया. पैट्रिक के हार्दिक ने पूछा कि कैसा महसूस कर रहे हैं आप तो पैट्रिक ने कहा कि वे रिलैक्स कर रहे हैं. हार्दिक ने बताया कि ये हमारे गांजा भाई हैं. इसके बाद वे उमेश यादव के पास गए और उन्हें सुपरमैन कह कर बताया कि ये हमारी टीम के स्ट्रौन्गी हैं. हार्दिक ने पूछा की क्या देख रहे हैं तो उमेश ने कहा कि वे मूवी देख रहे हैं जिसका नाम ब्लड रेड है हार्दिक को नाम समझ में नहीं आया. इसके बाद हार्दिक उन्हें स्मार्ट कहते हुए जसप्रीत बुमराह की ओर मुखातिब हुए और कहा शेरा दा पुत्तरा, शेरा दा गुरूर .. हार्दिक ने उनसे पूछा कि क्या देख रहे हैं सर आप तो बुमराह ने कहा कि अभी वे ढूंढ ही रहे हैं क्या देखना है इस चहल ने कहा कि ये ढूंढते ही रहेंगे और फ्लाइट खत्म हो जाएगी.

कुलदीप यादव को पार्टनर कह कर संबोधित करते हुए हार्दिक ने पूछा कि क्या कहना चाहेंगें आप फ्लाइट के बारे में, तो कुलदीप ने कहा कि बहुत अच्छी फ्लाइट है बहुत मजा आ रहा है. जब हार्दिक ने कुलदीप से कहा कि आप तो बात ही नहीं करते किसी से. इस पर कुलदीप ने कहा, “सबसे बात कर रहा हूं मै लेकिन हार्दिक भैया आपको को लगता ही नहीं है कि मैं आपसे बात करता हूं.”

मनीष पांडे का दिखा नया हेयरस्टाइल

इंटेरटेंमेंट कोई दो, इस तरह की मांग करते हुए हार्दिक ने मनीष पांडे को पकड़ा जो अपने नए हेयर लुक में नजर आ रहे थे. हार्दिक ने कहा कि अपने व्यूअर्स को क्या कहना चाहोगे? इस पर मनीष ने कहा कि वे इस ट्रिप के काफी उत्साहित हैं, टीम में लंबे समय बाद (आईपीएल) वापसी से काफी खुश हैं. उनकी हेयर स्टाइल की इंस्पिरेशन के बारे में पूछने पर मनीष ने कहा कि इसका उनके पास कौपी राइट और सभी राइट्स सुरक्षित हैं.

Flight Diaries !?? . Courtesy : BCCI . @mahi7781 @hardikpandya93 #dhoni #hardikpandya

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पास बैठे टीम के कोच शंकर बासु को हार्दिक ने कहा ये हमारी टीम के यो यो बासु हैं. लेटे लेटे आराम कर रहे दिनेश कार्तिक से जब हार्दिक ने कुछ कहने को कहा तो उन्होंने कहा कि हार्दिक डौन हैं पास खड़े राहुल से पूछा कि आप कुछ कहना चाहेंगे तो राहुल ने कहा मैं पहली बार जा रहा हूं राहुल ने हार्दिक से पूछा की आप इंग्लैंड जा चुके हैं आप बताएं क्या है इंग्लैंड में तो हार्दिक ने कहा गुड, इंग्लैंड में गेंद स्विंग होती है. इस पर राहुल ने कहा, “ तुमने कहां बौल स्विंग कराए हैं मार खाकर आए हो तुम” हार्दिक ने कहा कि इंग्लैड अच्छा देश है.

इसके बाद रोहित शर्मा से बात की. रोहित ने कहा मैं चहल से भाग रहा हूं उन्हें बहुत पसीना आता है. यह कह कर हंसने लगे फिर कहा लड़कों के साथ, चहल सहित, वापस आकर अच्छा लग रहा है.

जब हार्दिक धोनी के पास हाय माही भाई कहते हुए पहुंचे तब माही ने कुछ भी नहीं कहते हुए उन्हें आगे जाने का इशारा किया और हार्दिक को बाय माही भाई कहते हुए जाना पड़ा.

इसके बाद हार्दिक ने शिखर की तरफ रुख किया और कहा शेरा द पुत्तर फिर शिखर धवन ने गाना सुनाया कि मेरे दो अनमोल रत्न एक है राम और दूजा लखन. उनका इशारा धोनी और विराट की ओर था. इसके बाद हार्दिक ने सभी को गुड बाय कहा.

आयरलैंड के साथ दो टी20 मैचों के बाद टीम इंडिया इंग्लैंड से पहले टी20 सीरीज खेलेगी जिसके बाद वनडे और अंत में टेस्ट सीरीज खेलेगी. यह दौरा सितंबर तक चलेगा. इस दौरान टीम इंडिया को पांच टेस्ट मैच भी खेलने हैं.

इन 8 तरीकों को अपनाकर बढ़ाएं अपना बैट्री बैकअप

स्मार्टफोन यूजर्स की हमेशा से सबसे ज्यादा शिकायत बैटरी बैकअप को लेकर होती है. ज्यादातर यूजर्स स्मार्टफोन में इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं जिसकी वजह से उनके बैटरी की खपत दोगुनी तक बढ़ जाती है. आज हम आपको कुछ आसान उपाय बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से आप अपने स्मार्टफोन की बैटरी 40 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं.

  • स्मार्टफोन में बैटरी की सबसे ज्यादा खपत इंटरनेट चलाने से होता है, अगर आप अपने फोन में इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो अपने फोन का सेल्युलर डाटा औफ कर दें. इससे करीब 20 प्रतिशत बैटरी की क्षमता बढ़ जाती है.
  • इंटरनेट के लिए मोबाइल डाटा की जगह वाई-फाई का इस्तेमाल करें. वाई-फाई से इंटरनेट चलाने पर 5 प्रतिशत तक बैटरी की खपत कम की जा सकती है.
  • जब आप यात्रा कर रहे हैं तो अपने फोन को एयरप्लेन मोड पर डाल दें. क्योंकि यात्रा के दौरान नेटवर्क के बार-बार सर्च करने पर बैटरी की खपत बढ़ जाती है. एयरप्लेन मोड में फोन रखने की वजह से आपका स्मार्टफोन बार-बार नेटवर्क सर्च नहीं करेगा, जिससे इसकी क्षमता 5 फीसद तक बढ़ जाती है.

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  • अपने फोन में सोशल मीडिया एप्स जैसे कि फेसबुक, व्हाट्सऐप, यू-ट्यूब आदि पर वीडियो या मीडिया औटो-प्ले और औटो डाउनलोड को औफ रखें. ऐसा करने से आपके फोन के बैटरी की क्षमता 5 फीसद तक बढ़ जाएगी.
  • रात के समय फोन इस्तेमाल करते समय अपने फोन के ब्राइटनेस को कम कर लें. ज्यादा ब्राइटनेस की वजह से भी फोन के बैटरी के खपत होने की संभावना ज्यादा होती है.
  • कोशिश करें कि आपका स्मार्टफोन धूप या अन्य किसी वजह से गर्म न हो. फोन गर्म होने की वजह से बैटरी खपत होने की संभावना बढ़ जाती है.
  • अपने स्मार्टफोन को कभी भी फुल चार्ज नहीं करें. फुल चार्ज करने पर बैटरी जल्दी डिस्चार्ज होता है. फोन को 80 प्रतिशत से ज्यादा चार्ज न करें. ज्यादा चार्ज होने की वजह से फोन ओवरहीट हो सकता है, जिसकी वजह से डिस्चार्ज होने की संभावना और बढ़ जाती है.
  • उम्मीद है कि आप इन सुझावों का पालन करके अपने स्मार्टफोन के बैटरी की क्षमता 40 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं.

एटीएम ना हो हैक, इसके लिये आरबीआई ने उठाया बड़ा कदम

भारतीय रिजर्व बैंक ने देशभर के सभी बैंको को Windows XP वाले ATM मशीन हटाने के निर्देश जारी किए हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सभी बैंकों को सितंबर 2019 तक अपने ATM से Windows XP वाले कंप्यूटर हटाने का समय मिला है. इसकी मुख्य वजह साइबर अटैक माना जा रहा है. पिछले साल पुराने औपरेटिंग सिस्टम में वाइरस अटैक की घटना के बाद कई संस्थानों ने अपने पुराने कंप्यूटर बदल लिए हैं और अपने सिस्टम को अपग्रेड कर रहे हैं.

2014 में बंद किया Windows XP का सपोर्ट

Windows XP औपरेटिंग सिस्टम बनाने वाली कंपनी माइक्रोसौफ्ट ने 8 अप्रैल 2014 से ही इसके औफिशियल सपोर्ट और अपडेट बंद कर दिए थे. आपको बता दें कि Windows XP, पर्सनल कंप्यूटर में अब तक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला औपरेटिंग सिस्टम है. आपको यह जानकर हैरानी होगी की यह आउटडेटेड औपरेटिंग सिस्टम देशभर के लगभग सभी ATM में इस्तेमाल होता है.

RBI ने लिया संज्ञान

RBI ने बैंकिंग प्रणाली को किसी भी तरह के साइबर अटैक से बचाने के लिए संज्ञान लेते हुए सभी बैंकों को इस आउटडेटेड औपरेटिंग सिस्टम को अपग्रेड करने का दिशा-निर्देश जारी किया है. RBI ने बैंकों के ढीले रवैये पर आपत्ति जताते हुए नोटिफिकेशन में लिखा कि ATM में पुराने औपरेटिंग सिस्टम की वजह से साइबर हमले का खतरा उत्पन्न हो सकता है, इसलिए सभी बैंक जल्द से जल्द बैंकों और ATM को अपग्रेड करें.

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बैंक और ATM सर्वर को बड़ा खतरा

RBI ने साफ कहा कि, बैंकों और ATM में विंडोज XP के इस्तेमाल से ग्राहकों को अकाउंट हैक होने से लेकर ATM सर्वर हैक होने का खतरा है. यह बैंकों की बड़ी लापरवाही का उदाहरण है. जो औपरेटिंग सिस्टम 4 साल पहले ही बंद हो चुका है, बैंक उसका इस्तेमाल अभी तक कर रहे हैं. इसकी वजह से ग्राहकों के अकाउंट के साथ ही बैंक पर भी साइबर हमले की तलवार लटक रही है. 2014 में ही हमें सूचना मिली थी कि देशभर के 95 फीसद ATM कभी भी हैक हो सकते हैं, क्योंकि वे पुराने विंडोज XP औपरेटिंग सिस्टम पर रन करते हैं, जिसका सपोर्ट और अपडेट माइक्रोसौफ्ट ने बंद कर दिया है.

बैंकों पर हो सकती है कारवाई

RBI ने साफ किया है कि बैंकों की यह बड़ी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. सभी बैंक सितंबर 2019 तक अपने ATM सिस्टम को अपग्रेड कर लें. अगर कोई बैंक तय समय-सीमा में ATM को अपग्रेड नहीं करता है तो उसके खिलाफ बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट 1949 या पेमेंट और सेटलमेंट सिस्टम एक्ट 2007 के तहत कारवाई की जाएगी. इस नोटिस पर RBI के मुख्य जनरल मैनेजर आर रविकुमार के हस्ताक्षर हैं.

तो इस तरह ‘रेस 3’ ने हिला दी सलमान खान की नींव

अंततः अति खराब फिल्म ‘‘रेस 3’’ बाक्स औफिस पर बुरी तरह से डूब गयी. इसे डूबने से सलमान खान के समर्पित प्रशंसक और ‘ईद’ का अवसर भी न बचा पाया. जब फिल्म ‘रेस 3’ ईद के मौके पर सिनेमा घरों में पहुंची थी, तभी फिल्म आलोचकों ने एक सुर से इस फिल्म के घटिया और बेकार होने की बात कही थी. लेकिन सलमान खान ने ईद के मौके पर अपनी छोली भर लेने की सारी कोशिशें की. यहां तक कि उन्होंने मीडिया में यह खबर भी फैलायी कि उनकी फिल्म बाक्स आफिस पर बहुत अच्छा कमा रही है और सफलता के कई रिकार्ड तोड़ते हुए 300 करोड़ से भी अधिक कमाने वाली है.

मगर अफसोस की बात है कि पहले तीन दिन के बाद ‘ईद’ का खुमार खत्म होते ही ‘रेस 3’ बाक्स आफिस पर औंधे मुंह गिरी. हालात यह रहे कि ‘ईद’ व बासी ईद के दिन जो दर्शक ‘‘रेस 3’’ देखने गए, उन्होंने भी सिनेमाघरों से बाहर निकलते ही अपना दुःख प्रकट किया था.

खैर, सलमान खान की फिल्म ‘‘रेस 3’’ को लोगों ने इस बुरी तरह से नकारा कि पिछले ग्यारह दिन के अंदर यह फिल्म 150 करोड़ का भी आंकड़ा नहीं छू पायी. हालात यह हैं कि सलमान खान के समर्पित प्रशंसकों ने भी फिल्म ‘रेस 3’ देखने के बाद सिर पीटते हुए कहा कि सलमान खान ने उन्हें जरूरत से ज्यादा निराश किया है.

उधर सलमान खान ने अपनी तरफ से तमाम कोशिशें कर मीडिया के कुछ हलकों में इस फिल्म के आंकड़ों को बढ़ा चढ़ा कर पेश कराया. पर वह सच को ज्यादा समय तक दबा नहीं पाए. अब सूत्र बता रहे हैं कि फिल्म ‘‘रेस 3’’ के तमाम वितरकों ने मांग की है कि सलमान खान उनके नुकसान की भरपायी करें. यानी कि जिस तरह से सलमान खान ने फिल्म ‘‘ट्यूबलाइट’’ के असफल होने पर फिल्म वितरकों को उनके पैसे लौटाए थे, उसी तरह से अब ‘रेस 3’ के असफल होने पर भी उन्हें वितरकों के पैसे लौटाने चाहिए और यदि ऐसा हुआ तो हर वितरक को 18 करोड़ रूपए वापस देने पड़ेंगे.

यदि हम सलमान खान व फिल्म ‘रेस 3’ से जुड़े निर्माता ‘टिप्स’ कंपनी की बात को सच मान लें, तो सलमान खान और टिप्स कंपनी ने तो अपनी जेबें भर ली हैं. क्योंकि इन्होंने अपनी फिल्म की पूरी लागत सेटेलाइट राइट्स बेच कर ही कमा लिए थे. उसके बाद आबू धाबी में शूटिंग करने की वजह से आबू धाबी सरकार की तरफ से उन्हें सब्सिडी के तौर पर 40 करोड़ रूपए मिले. इतना ही नहीं फिल्म ‘रेस 3’ ने मुंबई-महाराष्ट्र, दिल्ली-यूपी में ही ज्यादा कमायी की है, पर इन सभी जगहों पर सलमान खान ने खुद ही वितरक बनकर फिल्म प्रदर्शित की. इस तरह सलमान खान और टिप्स कंपनी ने तो अपने नुकसान की भरपायी कर ली.

पर गुजरात, राजस्थान, बिहार, बंगाल सहित दूसरे क्षेत्रों के वितरकों का क्या होगा? सूत्रों के अनुसार सलमान खान ने फिल्म ‘रेस 3’ को 63 करोड़ रूपए में बेचा है और यह फिल्म अब ज्यादा से ज्यादा हर वितरक को 45 करोड़ ही कमा कर दे सकती है. तो हर वितरक को जो 18 करोड़ का नुकसान हो रहा है, उसकी भरपायी कौन करेगा? यदि सलमान खान ने वितरकों के नुकसान की भरपायी नहीं की, तो उनकी अगली फिल्मों के लिए वितरक मिलने मुश्किल हो जाएंगे.

फिल्म ‘‘रेस 3’’ को सिर्फ बाक्स आफिस पर ही नुकसान नहीं हुआ है. बल्कि इससे सलमान खान की अपनी इमेज को भी धक्का लगा है. पूरे विश्व में सर्वाधिक खराब फिल्मों की सूची में ‘रेस 3’ को रखा जा रहा है. जी हां! ‘इंटरनेट मूवी डेटा बेस’ में फिल्म ‘रेस 3’ सर्वाधिक कम रेटेड फिल्म की सूची में 79 नंबर पर पहुंच गयी है. यानी कि ‘रेस 3’ को ‘हमशकल्स’ व ‘हिम्मतवाला’ से भी बदतर माना जा रहा है.

इतना ही नहीं सलमान खान के जो अब तक समर्पित प्रशंसक रहे हैं, वह भी अब सलमान खान से दूरी बना रहे हैं. इन सलमान खान के प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर मुहिम चलायी है कि अब उन्हें सलमान खान की फिल्म ‘दबंग 3’ नहीं देखनी है. इसके मायने यह हुए कि सलमान खान के प्रशंसकों ने सलमान खान से कह दिया है कि अब वह ‘दबंग 3’ भी ना बनाए. इतना ही नहीं तमाम प्रशंसक सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि वह एक बार रोते धोते ‘ट्यूबलाइट’ देख सकते हैं. पर ‘रेस 3’ नहीं.

सलमान खान के तमाम प्रशंसक तो ‘रेस 3’ जैसी फिल्म के निर्माण से जुड़ने, फिल्म के लिए 3 गीत लखने व गाने के लिए भी सलमान खान की आलोचना कर रहे हैं. सलमान खान के कुछ प्रशंसक सोशल मीडिया पर उन्हें सलाह देते हुए लिख रहे हैं कि सलमान खान को गीत लिखने या गीत गाने से दूरी बनाकर रखनी चाहिए व अपने अभिनय पर ध्यान देना चाहिए.

बौलीवुड के हलकों में भी कई तरह की चर्चाएं गर्म हैं. तमाम लोगों की राय में फिल्म ‘रेस 3’ की असफलता के लिए सिर्फ इसके निर्माता ही नहीं बल्कि सभी कलाकार, लेखक, निर्देशक व पीआर एजेंसी सहित कई लोग दोषी हैं. फिल्म ‘‘रेस 3’’ को प्रमोट करने का जो तरीका अपनाया गया, वह भी गलत रहा.

हाल ही में तमाम असफल फिल्मों को गलत ढंग से प्रचारित करने का आरोप जिस पी आर एजेंसी पर लगता रहा है, उसी ने ही ‘रेस 3’ का भी पी आर किया. अब सूत्र भी कह रहे हैं कि इस पी आर एजेंसी ने फिल्म को प्रमोट करने की कोई सही योजना नहीं बनायी. हालात यह थे कि फिल्म ‘रेस 3’ के सिनेमा घरों में पहुंचने के दस दिन पहले ‘रेस 3’ के सभी कलाकारों को मुंबई के एक स्टूडियो में बुलाकर 25-30 पत्रकारों के ग्रुप में एक के बाद एक इंटरव्यू करवाए गए.

सूत्र बताते हैं कि एक ही दिन में सलमान खान, बौबी देओल, जैकलीन फर्नाडिज, डेजी शाह और निर्देशक रेमोमी डिसूजा के इंटरव्यू हुए थे. सुबह से देर रात तक इंटरव्यू का सिलसिला चला था, पर उसके बाद क्या छपा? इसे जानने का प्रयास निर्माता की तरफ से नहीं हुआ.

बौलीवुड में चर्चा यह भी है कि ‘रेस 3’ के डूबने के साथ ही अब सलमान खान का रेमो डिसूजा पर यकीन उठ गया. अब उन्होंने रेमो डिसूजा के निर्देशन मे उस नृत्य प्रधान फिल्म को न करने का फैसला कर लिया है, जिसका निर्माण भी वह खुद करने वाले थे. अब वह अपनी इस फिल्म के लिए नए निर्देशक की तलाश कर हैं. रेमो डिसूजा मूलतः नृत्य निर्देशक हैं. उनके निर्देशन में बनी नृत्य प्रधान फिल्म ‘एबीसीडी’ ने जरूर सफलता दर्ज करायी थी, लेकिन उसके बाद रेमो ने जितनी फिल्में निर्देशित की, वह सभी बाक्स आफिस पर औंधे मुंह ही गिरती आयी हैं.

बेटे की बीवी पर हुक्म नहीं

‘बेटी और बहू में कोई फर्क नहीं होता. शादी के बाद बेटी घर से विदा होती है तो घर में बहू के रूप में बेटी आ जाती है.’ यह एक आदर्श परिवार की आदर्श सोच है. पर ऐसा कितने घरों में होता है, यह देखने की बात है, क्योंकि जब कोई लड़की किसी घर में बहू बन कर जाती है तो यह पाया गया है कि वहां सासससुर, ननददेवर, जेठजेठानी उस पर हुक्म बजाते नजर आते हैं. गीता के साथ भी ऐसा हुआ. उस की शादी मुकेश के साथ कुछ दिन पहले ही हुई थी. एक शाम को जब मुकेश घर लौटा तो देखा कि गीता का मूड उखड़ा हुआ था.

वजह पूछी तो गीता सुबकने लगी और बताया, ‘‘आज सुबह आप के छोटे भाई को चाय देने में थोड़ी देर हो गई तो सासू मां मुझ पर बरस पड़ीं. उन की देखादेखी देवरजी भी मुझ पर राशनपानी ले कर चढ़ गए. अब बताओ इस में मेरी क्या गलती है?’’ महेश कुढ़ कर रह गया. उस ने गीता को ही समझाने की कोशिश की कि इतनी छोटीछोटी बातों को दिल से मत लगाया करो लेकिन उस ने गीता के इस सवाल को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया कि घर की बहू पर हर छोटेबड़े का हुक्म चलाना कहां तक जायज है?

महेश का फर्ज बनता था कि देवर के चाय मांगने को ले कर अपनी मां की नाराजगी को उसे हलके में नहीं लेना चाहिए था क्योंकि यही छोटीछोटी बातें बाद में बड़ी तकरार की वजह बन जाती हैं. अजीब सा लगता है पर बेटे की बीवी पर ससुराल वालों खासकर सास का हुक्म चलने की एक अहम वजह रसोई होती है. यहां वास्तुदोष की बात नहीं हो रही है कि रसोई को किस दिशा में करने से इस तरह के झगड़े नहीं होंगे, बल्कि जब कोई लड़की ब्याह कर अपनी ससुराल आती है तो वह रसोई को अपने तरीके से चलाना चाहती है. अगर कहीं गलती से वह लजीज खाना बनाना जानती है तो सास को लगता है कि गई रसोई हाथ से. इस से वह बहू के खाने में कमी निकालने की कोशिश करती है ताकि उस का मनोबल टूट जाए. जब कभी कोई दूसरा बहू के खाने में कमी बताता है तो सास की पौबारह हो जाती है. वह हुक्म भी ताने देदे कर सुनाती है जिस से शह पा कर देवरननद या कभीकभी तो ससुर भी इस तकरार में शामिल हो जाते हैं.

रसोई से ही एक और चीज जुड़ी होती है, घर का बजट. बजट यानी पैसे का लेनदेन. बेटे की कमाई, जो कल तक मां के हाथ में जा रही होती है, वे बंट जाती है. बहू के हाथ में बेटे की आधी कमाई का जाना सास को अपनी हार लगती है. लिहाजा, वह छोटीछोटी बातों को मुद्दा बनाने लगती है. खुद का बस नहीं चलता तो अपने पति या बेटे के कान भरने लगती है. चूंकि कई घरों में बहू भी कमाती है तो सास को वह अपने से अमीर लगने लगती है. प्रिया एक कंप्यूटर इंजीनियर है. उस का पति राजन भी एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करता है. चूंकि उन की लव मैरिज हुई थी इसलिए राजन ने बिना दहेज के शादी की थी जो उस के मांबाप को रास नहीं आई.

कुछ दिन तो घर का माहौल ठीक रहा पर बाद में प्रिया को लगने लगा कि उस के सासससुर उस पर बेवजह के हुक्म चलाते हैं. एक बार तो हद हो गई. प्रिया दफ्तर से लेट हो गई थी. सास ने ताना दे मारा, ‘‘अगर तुम ही घर देर से लौटोगी तो राजन की शादी से मुझे क्या फायदा हुआ. इस बुढ़ापे में घर का सारा कामकाज मुझे ही देखना पड़ता है. तुम नौकरी छोड़ कर घर बैठो और मुझे मुक्ति दो.’’

प्रिया ने झुंझलाते हुए कहा, ‘‘मांजी, आज मैं पहली बार लेट हुई हूं और आप ने यह तुगलकी फरमान सुना दिया. अगर आप से घर का काम नहीं होता तो मैं एक नौकरानी लगा देती हूं जो आप का हाथ बंटा दिया करेगी.’’ इतना सुनते ही सास बिफर पड़ी, ‘‘अब कल की आई लड़की हमें समझाएगी कि इस घर में कौन क्या काम करेगा. घर में बैठ नहीं तो अपनी रसोई अलग कर ले.’’

बात आगे न बढ़े इसलिए प्रिया चुप्पी साध गई. राजन के आने पर उन दोनों ने मां से फिर बात की लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा. इस के बाद वे दोनों उसी कालोनी में किराए के एक घर में रहने लगे. आज के जमाने में बहू अगर नौकरी नहीं करती है तो इस का मतलब यह कतई नहीं है कि वह पढ़ीलिखी नहीं है या वह अपने मांबाप के घर से कुछ भी सीख कर नहीं आई है. अगर कोई सास या ससुर अपने बच्चों पर हुक्म नहीं चलाते हैं तो उन्हें बेटे की बीवी पर हुक्म चलाने का भी कोई हक नहीं है. इस से परिवार में कलह बढ़ती है जो उसे तोड़ने का काम करती है.

नहीं चाहिए नशेड़ी बालम : देविका ने दिखाई हिम्मत

उत्तर प्रदेश में लखीमपुर के एक गांव में रहने वाली देविका की शादी देवेश से तय हो गई. देवेश सरकारी नौकरी करता था. ऐसे में देविका के घर वालों ने उस की तकरीबन हर डिमांड पूरी की थी. दोनों ने एकदूसरे को देखा था और पसंद भी किया था. सभी को जोड़ी अच्छी लग रही थी.

देविका अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर रही थी. अपने भविष्य को ले कर उस ने सपने देखे थे. शादी के दिन जब फेरे हो रहे थे, उस समय देवेश नशे की हालत में था. उस के पैर लड़खड़ा रहे थे और मुंह से बदबू आ रही थी.

देविका को अच्छा नहीं लगा. उस ने आगे के फेरे लेने बंद कर दिए और अपने परिवार को बुला कर फैसला सुना दिया कि वह नशा करने वाले लड़के के साथ शादी नहीं करेगी.

देविका के लिए यह फैसला लेना आसान नहीं था. घरपरिवार, नातेरिश्तेदार सभी उस को समझाने में लग गए. हर तरह से समझाया पर देविका ने अपने फैसले को बदलना ठीक नहीं समझा.

देविका ने कहा, ‘‘अगर आप लोग नहीं माने तो मैं मुकदमा दर्ज करा दूंगी.’’ देविका के दबाव के आगे सभी को झुकना पड़ा. देवेश को शादी किए बिना ही अपने घर वापस आना पड़ा.

यह घटना एक उदाहरण भर है. ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां लड़की ने शादी करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उस का होने वाला पति नशा करता था.

नशे की लत

गांव में खेतीकिसानी ही अहम पेशा होता है. हाल के कुछ सालों में खेतीकिसानी बेहाल होती जा रही है. गांव के आसपास शहरों का विकास होने लगा है. गांव की जमीन महंगी होती जा रही है. गांव के आसपास सड़क बनने से सरकार गांव से जमीन खरीद कर अच्छाखासा मुआवजा देने लगी है. घर और रिसोर्ट बनाने वाले भी गांवों की जमीन की खरीदारी कर रहे हैं. शहरों में रहने वाले लोग भी गांव की जमीनें खरीदने लगे हैं. ऐसे में गांव के लोगों के पास जमीन बेचने के बाद पैसा आने लगा है. पैसा आने के बाद ये लोग उस का इस्तेमाल ऐशोआराम में करने लगे हैं. ऐेसे में नशे की आदत सब से ज्यादा बढ़ती है.

गांवों में रहने वाले नौजवान उम्र के 90 फीसदी लोग नशे के शिकार हैं. वे शराब, भांग और गांजा समेत तंबाकू का सेवन करने लगे हैं. पढ़नेलिखने से दूर ऐसे बेराजगार नौजवानों से लोग अपनी लड़की की शादी नहीं करना चाहते हैं.

नशे के आदी इन नौजवानों की इमेज बेहद खराब है. लड़कियों को लगता है कि ये लोग शादी के बाद मारपीट और गालीगलौज ज्यादा करते है. ऐसे में इन के पास जमीनजायदाद होते हुए भी लड़कियां शादी के लिए तैयार नहीं होती हैं. कई बार अगर मातापिता के दबाव में लड़की शादी करने को राजी हो भी जाए तो शादी टूट जाती है. नशे और स्वभाव के चलते गंवई लड़के लड़कियों को पसंद नहीं आते. गांव के माहौल में पली लड़कियां तो किसी तरह से अपने को ढाल भी लें पर शहर की रहने वाली लड़की तो कभी भी ऐसा नहीं कर पाती है.

बेरोजगारी से बड़ा दाग

अब लड़कियां लड़कों से ज्यादा पढ़ीलिखी होने लगी हैं. ऐसे में वे लड़कों की बेरोजगारी से तो समझौता कर भी लेती हैं पर नशेड़ी होने की हालत में समझौता करने को तैयार नहीं होती हैं.

कविता नामक लड़की कहती है, ‘‘रोजगार नहीं होगा तो कोई भी धंधा किया जा सकता है. आज गांवों में हर तरह की सुविधा और साधन हो गए हैं पर अगर पति में नशे की लत होगी तो वह हमेशा परेशान करेगा. नशे के लिए पैसा चाहिए. पैसे का इंतजाम करने के लिए वह जमीनजायदाद और गहने तक बेचने की कोशिश करता है. नशे के हावी होने से शादी के बाद की खुशनुमा जिंदगी बरबाद हो जाती है.’’

नशे के शिकार नौजवान उम्र से पहले ही बूढ़े हो जाते हैं. तमाम बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. एक तरफ गरीबी होती है तो दूसरी तरफ पैसा जो पहले नशे पर खर्च होता है और बाद में नशेड़ी के इलाज में. ऐसे में अगर पहले से नशेड़ी लोगों को सबक मिले तो भविष्य में गांव के नौजवान नशे से दूर रहेंगे.

ज्यादातर नौजवानों को नशे की लत आपस के लोगों से ही लगती है. कई बार यह भी होता है कि अगर आप का कोई दुश्मन है तो वह आप के लड़के को नशे की लत लगा देगा, जिस से पूरी पीढ़ी बरबाद हो जाती है.

कई बार नशा करने वाला यह स्वीकार ही नहीं करता कि वह नशा करता है. ऐसे में समस्या को हल करने का कोई जरीया ही नहीं बचता है. गांव में रहने वालों को खुद का भविष्य सुधारना है तो नशे के खिलाफ खड़ा होना होगा.

नशे से बढ़ते हैं घरेलू झगड़े

नौजवान पीढ़ी नशे की सब से ज्यादा शिकार बनती जा रही है. नशे की लत और मात्रा बढ़ती जा रही है. पहले गांव में गिनेचुने लोग ही नशा करते थे, अब आप गिन नहीं सकते कि कितने लोग नशा कर रहे हैं. अपनी मेहनत से कमाया गया पैसा नशे में उड़ा रहे हैं. इस से पैसा और शरीर दोनों खराब हो रहे हैं. गांव में स्कूल के बच्चों से बात करने पर पता चलता है कि पिता बच्चे के स्कूल से ज्यादा अहमियत अपने नशे को देता

है. जिस घर में नशा करने वाले लोग होते हैं वहां लड़ाई जरूर होती है. नशे के खिलाफ सामाजिक जागरूकता बढ़नी चाहिए.

– आईपी सिंह, समाजसेवी टीचर.

बीमारियों की वजह है नशा

पिछले कुछ सालों में कैंसर, टीबी जैसी बीमारियों ने गांवों में तेजी से पैर पसार लिए हैं. हम लखनऊ के मैडिकल कालेज में कैंसर पीडि़त परिवारों की मदद करते समय यह समझ पाते हैं कि हालात बहुत खराब हैं. ऐसी बीमारियां केवल नशा करने वाले को ही नहीं होतीं, बल्कि उस के परिवार में दूसरों को भी होती हैं. परिवार में कोई एक बीमारी का शिकार हो गया तो पूरा परिवार बरबाद हो जाता है.

अगर नशे का विरोध हो और इस को बंद किया जा सके तो समाज और परिवार का बहुत भला हो सकता है. बीमारी के बाद इलाज में लगने वाला पैसा घरपरिवार की खुशहाली में लग सकता है.

– सपना उपाध्याय, ईश्वर चाइल्ड केयर फाउंडेशन

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