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कैब में सफर के दौरान इन बातों को कभी न करें नजरअंदाज

आज कैब की सेवाओं के कारण आम आदमी के लिए सफर करना आसान हो गया है. जहां पहले औटो का इंतजार और लोगों से खचाखच भरी बस का सफर इंसान को थका देता था, वहीं आज कैब ने इन मुश्किलों को दूर कर दिया है. सब से बड़ी बात यह है कि एक कौल करने पर मिनटों में कैब आप के दरवाजे पर आ कर खड़ी हो जाती है. आप का अनमोल समय नष्ट नहीं होता और किराया भी उतना ही जितना आप अफोर्ड कर पाएं. लेकिन कई बार कैब ड्राइवरों द्वारा महिलाओं और लड़कियों के साथ दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामले उन की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर देते हैं. चाहे कितने भी दावे क्यों न कर लिए जाएं. पर सचाई यही है कि आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. उन के साथ कब और कहां क्या घट जाए कुछ पता नहीं. कैब में सफर के दौरान कुछ महिलाओं के साथ क्याक्या हादसे हुए और उन्होंने कैसा महसूस किया आइए जानते हैं:

अनहोनी की संभावना: कामकाजी नेहा जैसे ही कैब में बैठी उसे अल्कोहल और पान की गंध महसूस हुई. फिर कुछ देर बाद ड्राइवर ने गाड़ी एक सुनसान जगह रोक दी. पूछने पर बोला कि पैट्रोल खत्म हो गया है. जहां उस ने गाड़ी रोकी थी वहां काफी अंधेरा था और अपराध के लिए वह जगह बदनाम थी. फिर उस ड्राइवर ने अपने दोस्त को फोन पर कहा कि गाड़ी में एक औरत है. यह सुन कर उस महिला की कंपकंपी छूट गई. उस ने तुंरत अपनी दोस्त को फोन कर उसी जगह आने को कहा जहां गाड़ी खड़ी थी. नेहा आज भी इस घटना को याद कर सहम जाती है कि अगर ड्राइवर के दोस्त से पहले उस की दोस्त वहां न आई होती तो पता नहीं उस के साथ क्या होता.

आधी रात में छेड़खानी: घटना बैंगलुरु इलाके के रिंग रोड की है. बैंगलुरु में एक कैब चालक ने एक महिला के साथ छेड़खानी की. कैब कंपनी से जुड़े एक कैब चालक ने बैंगलुरु में एक 23 वर्षीय महिला को न सिर्फ परेशान किया, बल्कि रास्ते भर उस से कथित रूप से छेड़छाड़ भी करता रहा. उस महिला ने यह भी कहा कि उस कैब चालक ने उसे गाड़ी में कैद करने के लिए गेट लौक कर दिया. उस आधी रात में महिला के मोबाइल की बैटरी भी खत्म हो गई थी, जिस की वजह से वह किसी से सहायता मांगने में भी असमर्थ हो गई. यहां तक कि कैब के ऐप में एसओएस औप्शन को भी ऐक्टिवेट नहीं कर पाई.

गलती नहीं मानी: नोएडा में उबेर कैब के एक ड्राइवर ने एक महिला की कार में टक्कर मार दी. जब उस महिला ने इस बात पर नाराजगी जताई तो गलती मानने के बजाय वह उस महिला को मारनेपीटने लगा और उस के साथ अश्लील हरकतें करने लगा. अपनी सुरक्षा खुद: 24 वर्षीय उत्कर्षा, जो फैशन डिजाइनर है, का कहना है कि रात 9 बजे के बाद घर से बाहर रहना महिलाओं के लिए भयानक है. आप को नहीं पता कि आप के साथ खड़ा या आप को घूर रहा इंसान आप के साथ कब क्या कर दे. औटो या कैब लेना भी आजकल खतरे से खाली नहीं है. उस का कहना है कि वह हमेशा अपने साथ पैपरस्प्रे जरूर रखती है, क्योंकि यह सुरक्षा के लिए जरूरी है. वह पुलिस पर निर्भर नहीं रह सकती, क्योंकि ज्यादातर हैल्पलाइन नंबर काम ही नहीं करता.

डर का माहौल: निकता कैब में सफर के दौरान काफी भयभीत रहती है. उसे लगता है कि उस के साथ पता नहीं कब क्या हो जाए. ड्राइवर का मिरर से घूरते रहना उसे अंदर तक दहला देता है.

सुरक्षा की कमी: पुष्पा का कहना है कि कैब में सब से बड़ी सेफ्टी की समस्या होती है. कंपनी की ओर से पिक ऐंड ड्रौप के लिए जो कैब दी जाती है उस में सेफ्टी के लिए सिक्युरिटी गार्ड तैनात किए जाने चाहिए. दिल्ली, एनसीआर में 56% कैब ड्राइवर शराब पी कर गाड़ी चलाते हैं. यह खुलासा

एक सर्वे में किया गया है. सर्वे में यह भी खुलासा हुआ कि ऐप बेस्ड टैक्सी, रेडियो टैक्सी, कालीपीली टैक्सी को संचालित करने वाली कंपनियां कभी अपने ड्राइवरों की चैकिंग नहीं करतीं. सर्वे के मुताबिक 90% ड्राइवरों की कभी चैकिंग नहीं होती. ऐसे में यात्रियों के लिए यह कहां तक सुरक्षित है, इस का जबाव सरकार से पूछना चाहिए. चाहे कैब हो या फिर कोई अन्य सार्वजनिक परिवहन, इन में से किसी के भी इस्तेमाल के दौरान सतर्कता जरूरी है. अगर कैब में सफर के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखें तो अनहोनी से बचा जा सकता है. मसलन:

– कैब की सेवाएं लेते वक्त गाड़ी का परमिट जरूर देख लें. – कैब बुक कराते वक्त गाड़ी ड्राइवर का नाम, पता, फोन नंबर जरूर पता कर लें ताकि जरूरत पड़ने पर उस से संपर्क किया जा सके.

– कैब ड्राइवर को उसी रास्ते से चलने को कहें जो रास्ता आप को पता हो. अगर रास्ता आप को पता न भी हो तो उसे इस बात का पता न चलने दें कि आप को रास्ता पता नहीं है. टैक्नोलौजी का इस्तेमाल कर अपने फोन के माध्यम से नैविगेशन के जरीए सही रास्ते की लोकेशन पता करें और ड्राइवर को उसी रास्ते से चलने को कहती रहें. – सफर के दौरान अपने फोन को अपने हाथ में ही रखें और ध्यान रहे कि फोन पूरा चार्ज हो ताकि आप को अपने परिचितों से कौंटैक्ट करने में परेशानी न हो. हो सके तो घर से चार्ज बैंक साथ ले कर चलें ताकि बैटरी खत्म होने पर तुरंत चार्ज किया जा सके.

– अगर आप को लगे कि कैब ड्राइवर आप के साथ कुछ गलत करना चाह रहा था पर कर नहीं पाया, तो कैब से उतरते ही इस बात की सूचना तुरंत आप उक्त कंपनी को दें ताकि बाद में अन्य महिला के साथ कोई समस्या न आए. – वैसे तो ज्यादातर कैब में जीपीएस ट्रैकर लगे होते हैं, अगर न लगे हों तो आप अपने फोन से ही जीपीएस लोकेशन अपने परिचितों को लगातार भेजती रहें ताकि उन्हें पता चल सके कि आप कहां तक पहुंच चुकी हैं, घर से कितनी दूर हैं.

– आप कैब के सफर के दौरान अपने दोस्तों और घरवालों से बात करती रहें ताकि ड्राइवर को लगे कि आप अपने परिचितों के संपर्क में बनी हुई हैं. – सफर के दौरान अपने बैग में पैपरस्प्रे जरूर रखें.

– कैब में सफर करते वक्त आप को नींद न आए, इस के लिए आप अपने परिचितों से फोन पर बातें करती रहें. – अगर कैब में आप के साथ और भी कोई यात्री सफर कर रहा हो तो उस की भी जानकारी आप अपने परिचितों को देना न भूलें.

खुद बनें अपनी बौडीगार्ड जानकार मानते हैं कि किसी भी हादसे के लिए 3 चीजें जरूरी होती हैं पहला अपराधी, दूसरा शिकार और तीसरा मौका. इन में से अगर एक भी न हो तो हादसा नहीं होगा. इन में से सब से आसान लेकिन जरूरी है मौका देने से बचना. फिर आता है खुद को शिकार बनने देने और अपराधी से निबटना. जानें कि अपराधी को मौका देने से कैसे बच सकती हैं आप?

– आत्मविश्वास से भरपूर दिखें. – आप की बौडी लैंग्वेज से कौन्फिडैंस झलकना चाहिए.

– जमीन में सिर झुका कर चलने के बजाय अलर्ट और जागरूक दिखते हुए सामने देखते हुए चलें.

– अगर किसी इलाके के या रास्ते के बारे में पता नहीं है, तो अनजान लोगों को यह न बताएं. – कभी अनजान लोगों से लिफ्ट न लें, भले ही कितनी ही मजबूरी क्यों न हो.

– टै्रफिक के उलटी दिशा यानी सड़क के उस ओर चलें कि ट्रैफिक आप को सामने से आता दिखे. ऐसे में पीछे से हमला नहीं हो सकेगा.

– अगर कोई पीछा करता दिखता है तो जो भी घर सामने दिखे उस की कौलबैल बाजा दें और उन्हें सारी स्थिति के बारे में बताएं, झिझकें नहीं. रात हो या दिन अपनी सूझबूझ से खुद को बचाने की कोशिश करें.

जब कोई आप का पीछा करे, तो इन सुझावों पर करें अमल

सितंबर, 2016, दिल्ली में एक 21 वर्षीय लड़की की दिन में चाकू मार कर हत्या कर दी गई. हत्यारा कई महीनों से उसे स्टौक कर रहा था. पिछले साल ही अक्तूबर में 24 वर्षीय ब्यूटीशियन की हत्या कर दी गई थी. यह हत्यारा भी कई दिनों से स्टौक कर रहा था. पिछले ही साल चेन्नई में भी ऐसी 3 घटनाएं घटीं. इसी साल बैंगलुरु में नववर्ष पर मास मोलेस्टेशन की घटना के साथ एक अन्य स्त्री के साथ भी उस के घर के पास ही उसी रात छेड़छाड़ की घटना हुई. इन घटनाओं की सीसीटीवी की क्लिपिंग्स देखते ही देखते वायरल हो गईं. महिलाओं के साथ होेने वाले अपराध एक बार फिर सब के सामने आ गए. पुलिस ने कहा कि बैंगलुरु वाली महिला को स्टौक किया जा रहा था. ऐडवोकेट मृणालिनी देशमुख निर्भया केस के बाद वर्मा कमेटी द्वारा बनाए नियम की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, ‘‘स्टौकिंग वह आरंभिक अवस्था है, जिस का अंत शारीरिक शोषण या रेप हो सकता है. महिलाओं का चोरी से पीछा करने वालों को सख्त प्रतिक्रिया देनी चाहिए. उन्हें स्टौकिंग के खिलाफ फौरन शिकायत दर्ज करवानी चाहिए. उस के बाद पुलिस की ड्यूटी है कि वे उन्हें बुला कर सख्त चेतावनी दे ताकि फिर यह हरकत न दोहराई जाए.’’

सचेत रहें

महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली समाजसेविका शर्मिला खेर बताती हैं, ‘‘नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो के अनुसार स्टौकर हमेशा परिचित होता है. वह आप का डेली रूटीन जानता है. अत: महिलाओं को हमेशा सचेत, चौकन्ना रहना चाहिए. स्टौकर से निबटने के लिए उस का सामना करना चाहिए. यदि वह कौल या मैसेज कर रहा है, तो उसे बता दें कि उस की कौल्स रिकौर्ड हो रही हैं और मैसेज पुलिस डायरी में जा रहे हैं. यदि वह सामने है तो चिल्लाएं, लोगों से हैल्प के लिए कहें. महिलाओं को अपने इंट्यूशन पर भरोसा करना चाहिए. यदि आप अपने आसपास एक आम चेहरा अकसर देखें तो उस से पूछताछ करें, उस की फोटो लें, सोशल नैटवर्क साइट्स पर पोस्ट कर दें ताकि लोग जान लें.’’

कई महिलाएं स्टौकर्स से परेशान हो कर सिस्टम तक पहुंचने की कोशिश करती भी हैं, पर कुछ खास फायदा नहीं होता है. एक एनजीओ के कार्यकर्ता अनवर अली कहते हैं, ‘‘कई महिलाएं छेड़खानी या ऐसे केस में परेशान हो कर हमारे पास आती हैं. जब वे पुलिस के पास जाती हैं. वे अकसर रजिस्टर कर लेते हैं और महिलाओं से ऐसी शरारतों की तरफ ध्यान न देने के लिए कहते हैं. इस से ऐसे लोगों को और ज्यादा सैक्सुअल अपराध करने की राह मिल जाती है.’’

किसी भी महिला का यदि कोई पीछा, फोन, मैसेज या ब्लैंक कौल्स करता है, तो वह स्टौकिंग का दोषी है.

कैसे लें सहायता

क्या हैल्पलाइन नंबर सचमुच काम करते हैं?

यदि आप को स्टौक किया जा रहा है और अगर आप मुंबई पुलिस की महिला और शिशु हैल्पलाइन नंबर 103 को कौल करने की कोशिश कर रही हैं, तो संभवतया आप की कौल लोकल पुलिस स्टेशन पर डाइवर्ट कर दी जाएगी. मुंबई के एक समाचारपत्र ने इसे टैस्ट भी किया.

पुलिस औफिसर ने जवाब दिया, ‘‘यह हैल्पलाइन बच्चों, सीनियर सिटीजन सब के लिए है, सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं और यदि यह स्टौकिंग या मोलेस्टिंग की बात है तो आप पास के पुलिस स्टेशन जाएं. हम आप की सहायता नहीं कर पाएंगे, क्योंकि यहां साइबर क्राइम नहीं देखे जाते.’’

अनन्या जैन 1 हफ्ते से अनजान नंबर से आने वाली कौल्स से परेशान थी. वे लोकल पुलिस स्टेशन गईं. वे बताती हैं, ‘‘एक रात एक व्यक्ति मुझ से फोन पर अश्लील बातें करने लगा. वह कई नंबरों से फोन कर मुझे परेशान कर रहा था. पहले मैं ने उसे बहुत डांटा फिर महसूस किया कि मुझे उकसा कर उसे मजा आ रहा है. जब मैं ने साइबर सैल डिपार्टमैंट में फोन किया, तो उन्होंने मुझे रात 12 बजे लोकल पुलिस स्टेशन जा कर शिकायत करने के लिए कहा जबकि मैं विशेषरूप से महिला पुलिस अधिकारी को बता चुकी थी कि मैं अकेली रहती हूं और यह कोईर् पास में ही हो सकता है. अगले दिन जब मैं पुलिस स्टेशन गई, तो उन्होंने उस का नंबर लिया और मुझे उस का फोन उठाने से मना किया. महिला इंस्पैक्टर ने तो हद कर दी, उस ने कहा कि वह सिर्फ फोन पर धमकियां दे रहा है. अभी तक उस ने तुम्हारा रेप नहीं किया है.’’

मृणालिनी कहती हैं, ‘‘यदि आप स्टौकर को ब्लौक कर के स्वयं को सुरक्षित समझते हैं, तो यह आप की भूल है.’’

कितना करें नजरअंदाज

एमसीसी कौलेज मुलुंड की स्टूडैंट वर्षा गुप्ता कहती हैं, ‘‘स्टौकिंग विशेषरूप से शहर में अकेले रहने वाली लड़कियों के लिए बहुत आम है. कूरियर, फूड डिलिवरी वाले, गार्ड्स आदि के पास हमारे फोन नंबर आसानी से आ जाते हैं. हर 15 दिनों में मेरे पास अलगअलग नंबरों से अश्लील मैसेज आते हैं. इन्हें इग्नोर करना ही मुझे सब से आसान लगता है.’’

अकसर महिलाओं को अपने आसपास के लोगों से सपोर्ट नहीं मिलती है. 30 वर्षीय सीमा बंसल का कहना है, ‘‘मैं अंधेरी में किराए पर अकेली रहती थी और पास के किराना स्टोर से सामान लिया करती थी. कुछ दिनों बाद वह दुकानदार मुझे कभी भी फोन करने लगा और वक्तबेवक्त डोरबैल बजाने लगा. बिल्डिंग सैक्रेटरी ने उस के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने में मेरी मदद की. पुलिस ने उसे डरायाधमकाया. उस के बाद वाचमैन की गैरमौजूदगी में बिल्डिंग में आ कर गंदगी फैलाने लगा. मेरी सोसायटी के लोगों ने मुझे ही कौंप्लैक्स छोड़ कर जाने के लिए कहा, क्योंकि मैं अकेली लड़की थी, जिस की वजह से ये सब हो रहा था.’’

एक उच्चपदस्थ महिला पुलिस अधिकारी बताती हैं, ‘‘ऐसे मामलों में इंडियन पीनल कोड की धारा 354 और 354डी के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है. यह उन महिलाओं के लिए है, जिन्हें शारीरिक रूप से या एसएमएस या सोशल मीडिया अथवा फोन पर स्टौक किया जा रहा है. कई लड़कियां शिकायत करने के लिए सामने भी नहीं आना चाहतीं, क्योंकि उन्हें डर रहता है कि उन का परिवार उन्हें ही गलत समझ सकता है.’’

स्टौकर को कैसे पहचानें

– आंकड़ों के अनुसार 80% तक स्टौकर कोई आप का जानने वाला होता है. ध्यान रखें कि काम पर जाते या वापस आते समय कोई आप का पीछा तो नहीं कर रहा. प्रतिदिन एक ही रास्ते से न आएंजाएं.

– स्टौकर का मुख्य उद्देश्य आप को डराना भी है. अत: डरने के बजाय खतरा महसूस करते ही मदद मांगें. शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाए जाने की प्रतीक्षा न करें.

– स्टौकर आप तक पहुंचने का हर संभव प्रयास करेगा. चाहे शारीरिक रूप से या वर्चुअल वर्ल्ड द्वारा. लगातार मैसेज या कौल्स भी कर कसता है. जब भी आप अकेले सफर कर रही हों, वह आप के आसपास भी हो सकता है, सतर्क रहें सुरक्षित रहें.

शर्मनाक : उन्नाव कांड से सामने आई औरतों की बदहाली

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 56 किलोमीटर दूर उन्नाव जिले के माखी गांव की कविता (बदला हुआ नाम) के पिता और दोनों चाचा 15 साल पहले कुलदीप सेंगर के करीबी हुआ करते थे. एक ही जाति के होने के चलते उन में आपसी तालमेल भी बेहतर था. वे एकदूसरे के सुखदुख में साझीदार थे. कुलदीप सेंगर ने कांग्रेस से अपनी राजनीति शुरू की. चुनावी सफर में कांग्रेस कमजोर लगी तो वे विधानसभा का पहला चुनाव बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर लड़े और साल 2002 में पहली बार उन्नाव की सदर विधानसभा सीट से विधायक बने.

विधायक बनने के बाद जहां पूरा समाज कुलदीप सेंगर को ‘विधायकजी’ कहने लगा था, वहीं कविता के ताऊ उन्हें उन के नाम से बुलाते थे. लिहाजा, कुलदीप सेंगर ने अपनी इमेज को बचाने के लिए इस परिवार से दूरी बनानी शुरू कर दी. कविता के पिता और उन के दोनों भाइयों को लगा कि कुलदीप सेंगर के भाव बढ़ गए हैं, इसलिए वे किसी न किसी तरह से उन को नीचा दिखाने की कोशिश में लगे रहे. यह मनमुटाव बढ़ता गया.

कविता के ताऊ पर गांव माखी और दूसरे थाना क्षेत्रों में तकरीबन एक दर्जन मुकदमे दर्ज थे. शायद इसी रंजिश में तकरीबन 10 साल पहले उन्नाव शहर में भीड़ ने ईंटपत्थरों से हमला कर के कविता के ताऊ को मार दिया था. कविता के परिवार के लोगों ने इस घटना का जिम्मेदार विधायक कुलदीप सेंगर को ही माना था. कविता के ताऊ की मौत के बाद उस के चाचा उन्नाव छोड़ कर दिल्ली चले गए. वहां उन्होंने अपना इलैक्ट्रिक वायर का कारोबार शुरू किया. उन के ऊपर भी तकरीबन 10 मुकदमे दर्ज थे.

कविता के पिता अकेले रह गए. उन के ऊपर भी 2 दर्जन मुकदमे दर्ज थे. नशा और मुकदमों का बोझ उन को बेहाल कर चुका था. कुलदीप सेंगर ने साल 2007 का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर बांगरमऊ विधानसभा से जीता था और साल 2012 में भगवंत नगर विधानसभा से उन्होंने चुनाव जीता था. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा का साथ लिया और बांगरमऊ से विधायक बन गए.

इस बीच विधायक कुलदीप सेंगर के परिवार और कविता के परिवार की रंजिश बनी रही. कविता से बलात्कार कविता के साथ हुए बलात्कार के मसले पर जो जानकारी सामने आई उस के मुताबिक जून, 2017 में राखी (बदला हुआ नाम) नामक एक औरत कविता को ले कर विधायक कुलदीप सेंगर के पास गई थी. वहां विधायक ने उसे बंधक बना लिया और उस के साथ बलात्कार किया गया. बलात्कार का आरोप विधायक के भाई और साथियों पर लगा. वारदात के 8 दिन बाद कविता औरैया जिले के पास मिली. कविता और उस के पिता ने इस बात की शिकायत थाने में की तब पुलिस ने 3 आरोपी नौजवानों को जेल भेज दिया. घटना में विधायक का नाम नहीं था.

कविता और उस का परिवार विधायक के नाम को भी मुकदमे में शामिल कराना चाहता था. एक साल तक कविता और उस का परिवार विधायक के खिलाफ गैंगरेप का मुकदमा लिखाने के लिए उत्तर प्रदेश के गृह विभाग से ले कर उन्नाव के एसपी तक भटकता रहा, इस के बाद भी विधायक के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं हुई. विधायक के खिलाफ मुकदमा न लिखे जाने के चलते कविता और उस के परिवार के लोगों ने सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत कोर्ट से मुकदमा लिखे जाने की अपील की.

कविता की इतनी कोशिश करना उस पर भारी पड़ गया. विधायक के लोगों ने उस पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाना शुरू किया.

हिरासत में मौत

3 अप्रैल, 2018 को विधायक के छोटे भाई ने कविता के पिता के साथ मारपीट की और मुकदमा वापस लिए जाने के लिए कहा. कविता और उस के परिवार वालों ने पुलिस में मुकदमा लिखाया. इस के साथ ही विधायक के लोगों की तरफ से भी मुकदमा लिखाया गया. पुलिस ने क्रौस एफआईआर लिखी पर केवल कविता के पिता को ही जेल भेज दिया. कविता का आरोप है कि जेल में विधायक के लोगों ने उस के पिता की खूब पिटाई की. 8 अप्रैल, 2018 को कविता अपने परिवार वालों के साथ राजधानी लखनऊ आई और सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास कालीदास मार्ग पहुंच गई. वहां उस ने आत्मदाह करने की कोशिश की. पुलिस ने उसे पकड़ लिया.

इस पूरे मामले की जांच के लिए एसपी उन्नाव को कहा गया. इस बीच जेल में ही कविता के पिता की मौत हो गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पिटाई और घाव में सैप्टिक हो जाने से मौत होना बताई गई.

किसी लड़की के लिए इस से दर्दनाक क्या हो सकता है कि जिस समय वह इंसाफ की मांग ले कर मुख्यमंत्री से मिली, उसी समय उस का पिता मौत के मुंह में चला जाए. सरकार की तेजी के बाद कविता के पिता पर एकतरफा कार्यवाही करते हुए जेल भेजने के दोषी माखी थाने के एसओ अशोक सिंह भदौरिया समेत 6 पुलिस वालों को सस्पैंड कर दिया गया. मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई.

उन्नाव की एसपी पुष्पांजलि ने बताया कि 3 अप्रैल को कविता के पिता के साथ की गई मारपीट में शामिल सभी 4 आरोपियों को जेल भेज दिया गया.

मौत के बाद जागी सरकार

कविता के पिता की जेल में मौत के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति गरमा गई. विपक्षी दलों में समाजवादी पार्टी से ले कर कांग्रेस तक ने सरकार पर आरोप लगाने शुरू कर दिए. खुद विधायक कुलदीप सेंगर मुख्यमंत्री से मिलने आए, पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधायक से मुलाकात नहीं की.

विधायक कुलदीप सेंगर को यह संदेश दिया गया कि वे जांच में सहयोग करें. सरकार की सख्ती के बाद कविता के पिता से मारपीट के आरोपी विधायक के भाई अतुल सिंह को और बाद में विधायक को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

सरकारी अफसर पूरे मामले में विधायक की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं. पूरे मामले में सच जो भी हो, पर सरकार की किरकिरी हो चुकी है. भाजपा के लिए डैमेज कंट्रोल करना मुश्किल काम है. बहरहाल, औरतों की बदहाली का इस से बड़ा क्या उदाहरण होगा कि अपने खिलाफ हुए अपराध में इंसाफ पाने के लिए उन को आत्मदाह करने तक की नौबत आती है.

फ्रूटी एंड टेस्टी बाइट्स : पनीर भुर्जी सैंडविच

पनीर भुर्जी सैंडविच

सामग्री

– 200 ग्राम पनीर

– 1/2 कप हरी, पीली शिमलामिर्च बारीक कटी

– 2 चम्मच अदरक व हरीमिर्च बारीक कटी

– 1/4 कप प्याज बारीक कटा

– 1/2 कप बीज रहित टमाटर छोटे क्यूब में कटा

– 1/2 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर

– 1 चम्मच धनियापत्ती बारीक कटी

– 1 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल

– 8 ब्रैड स्लाइस

– 50 ग्राम मक्खन

– नमक स्वादानुसार

विधि

एक नौनस्टिक पैन में तेल गरम कर के प्याज भूनें. इस में अदरक, हरीमिर्च, टमाटर और शिमलामिर्च डाल कर थोड़ा गलने तक पकाएं. फिर पनीर को हाथों से क्रंबल कर के मिलाएं और नमक भी डाल दें. मध्यम आंच पर 5 मिनट उलटेपलटें. अब इस में कालीमिर्च पाउडर व धनियापत्ती मिला कर मिश्रण ठंडा करें. ब्रैड स्लाइसेज में मक्खन लगा कर पनीर भुर्जी की लेयर लगाएं और सैंडविच तैयार करें. ग्रिल कर के मनपसंद सौस के साथ सर्व करें.

– व्यंजन सहयोग : सेलिब्रिटी शैफ अजय चोपड़ा

फ्रूटी एंड टेस्टी बाइट्स : मैंगो ऐंड पैशन फ्रूट मूस

मैंगो ऐंड पैशन फ्रूट मूस

सामग्री

– 30 ग्राम मैंगो पल्प

– 50 ग्राम क्रीम

– 10 ग्राम पैशन फ्रूट कंपोट

– 5 ग्राम चौकलेट गार्निंशिंग के लिए

– 5 ग्राम मैंगो जैली गार्निशिंग के लिए

विधि

पहले मैंगो पल्प और आधी क्रीम को अच्छी तरह से मिक्स कर के एक तरफ रख दें. फिर आधी बची क्रीम और पैशन फ्रूट कंपोट को मिक्स कर के एक तरफ रखें. एक गिलास में मैंगों और क्रीम की लेयर लगाएं, फिर पैशन फ्रूट और क्रीम का मिश्रण लगाएं और गिलास भरने तक इस प्रक्रिया को दोहराएं. मैंगो जैली और चौकलेट से गार्निश कर के सर्व करें.

– व्यंजन सहयोग : सेलिब्रिटी शैफ अजय चोपड़ा

पुरुष भी होते हैं स्तन कैंसर के शिकार

स्तन कैंसर अब सिर्फ महिलाओं तक ही सीमित नहीं रह गया है. स्तन कैंसर से जुड़ा सब से बड़ा भ्रम यह है कि यह सिर्फ महिलाओं को ही प्रभावित करता है और ज्यादातर सूचनाएं, जागरूकता अभियान, शोध एवं जानकारी महिलाओं पर ही केंद्रित होती है. इसीलिए पुरुष स्तन कैंसर के चिन्हों और लक्षणों को समझने और उन की पहचान करने में अकसर असफल होते हैं.

चौंकाते हैं शोध के परिणाम

विभिन्न संस्थानों में और विभिन्न स्तरों पर किए गए कई अध्ययनों में मिले परिणाम चौंकाने वाले हैं. कई मामलों में 80 फीसदी पुरुषों को इस बारे में जानकारी नहीं होती है कि उन में स्तन कैंसर का खतरा हो सकता है.

ज्यादातर पुरुष स्तन कैंसर (एमबीसी) के लक्षण पहचान भी नहीं पाते हैं. गांठ एकमात्र ऐसा लक्षण है, जिस के बारे में उन्हें जानकारी है. इस के अलावा उन्हें कोई अन्य जानकारी नहीं होती है.

चूंकि पुरुष स्तन कैंसर के ज्यादातर मामले अंतिम स्तर पर पता चलते हैं, इसलिए महिलाओं के स्तन कैंसर के मामलों के मुकाबले पुरुषों के स्स्न कैंसर के मामलों में मृत्यु दर अधिक है. देरी से जानकारी मिलने के परिणामस्वरूप एमबीसी बड़ा हो सकता है और इस का अन्य अंगों तक पहुंचने का भी खतरा अधिक होता है.

पुरुषों में स्तन कैंसर के प्रमुख लक्षण

– सब से साधारण लक्षण स्तन में गांठ है.

– निपल से तरल पदार्थ बाहर निकलना.

– निपल में खिंचाव या घाव.

– स्तन में दर्द होना, जिसे आमतौर पर छाती में होने वाला दर्द मान लिया जाता है.

– कांख के आसपास और स्तन के करीब सूजन.

पुरुषों को समयसमय पर स्वपरीक्षण करते रहना चाहिए और बदलावों की जानकारी तत्काल डाक्टर को देनी चाहिए.

समय से बीमारी का पता चलना कैंसर से एकमात्र बचाव है. गांठों का नियमित परीक्षण और समय पर जानकारी जीवन बचाने में मददगार है. सेहत पर पड़ने वाले किसी भी गंभीर असर से बचने के लिए हमें सेहतमंद जीवनशैली की जरूरत होती है.

– मनदीप एस मल्होत्रा, फोर्टिस फ्लाइट लैफ्टिनैंट राजन ढल हौस्पिटल (एफएचवीके) के हैड, नैक एवं ब्रैस्ट औंकोप्लास्टी डिपार्टमैंट

समझौता : भाग 2

सगाई वाले दिन मैं जल्दी ही दुकान बंद कर के घर आ गया था, लेकिन शिखा ने कलह शुरू कर दिया था. वह पंकज के प्रति शिकायतों का पुराना पुलिंदा खोल कर बैठ गई थी. उस ने मेरा मूड इतना खराब कर दिया था कि जाने का उत्साह ही ठंडा पड़ गया. मैं बिस्तर पर पड़ापड़ा सो गया था. जब नींद खुली तो रात के 10 बज रहे थे. मन अंदर से कहीं कचोट रहा था कि तेरे सगे भाई की सगाई है और तू यहां घर में पड़ा है. फिर मैं बिना कुछ विचार किए, देर से ही सही, पंकज के घर चला गया था.

मानव का स्वभाव है कि अपनी गलती न मान कर दोष दूसरे के सिर पर मढ़ देता है, जैसे कि वह दोष मैं ने शिखा के सिर पर मढ़ दिया. ठीक है, शिखा ने मुझे रोकने का प्रयास अवश्य किया था किंतु मेरे पैरों में बेड़ी तो नहीं डाली थी. दोषी मैं ही था. वह तो दूसरे घर से आई थी. नए रिश्तों में एकदम से लगाव नहीं होता. मुझे ही कड़ी बन कर उस को अपने परिवार से जोड़ना चाहिए था, जैसे उस ने मुझे अपने परिवार से जोड़ लिया था.

शिखा की सिसकियों की आवाज से मेरा ध्यान भंग हुआ. वह बाहर वाले कमरे में थी. उसे मालूम नहीं था कि मैं नहा कर बाहर आ चुका हूं और फोन की पैरलेल लाइन पर मां व उस की पूरी बातें सुन चुका हूं. मैं सहजता से बाहर गया और उस से पूछा, ‘‘शिखा, रो क्यों रही हो?’’ ‘‘मुझे रुलाने का ठेका तो तुम्हारे घर वालों ने ले रखा है. अभी आप की मां का फोन आया था. आप को तो पता है न, मेरी भाभी ने आत्महत्या की थी. आप की मां ने आरोप लगाया है कि भाभी की हत्या की साजिश में मैं भी शामिल थी,’’ कह कर वह जोर से रोने लगी.

‘‘बस, यही आरोप लगाने के लिए उन्होंने फोन किया था?’’ ‘‘उन के हिसाब से मैं ने रिश्तों को तोड़ा है. फिर भी वे चाहती हैं कि मैं पंकज की शादी में जाऊं. मैं इस शादी में हरगिज नहीं जाऊंगी, यह मेरा अंतिम फैसला है. तुम्हें भी वहां नहीं जाना चाहिए.’’

‘‘सुनो, हम दोनों अपनाअपना फैसला करने के लिए स्वतंत्र हैं. मैं चाहते हुए भी तुम्हें पंकज के यहां चलने के लिए बाध्य नहीं करना चाहता. किंतु अपना निर्णय लेने के लिए मैं स्वतंत्र हूं. मुझे तुम्हारी सलाह नहीं चाहिए.’’ ‘‘तो तुम जाओगे? पंकज तुम्हारे व मेरे लिए जगहजगह इतना जहर उगलता फिरता है, फिर भी जाओगे?’’

‘‘उस ने कभी मुझ से या मेरे सामने ऐसा नहीं कहा. लोगों के कहने पर हमें पूरी तरह विश्वास नहीं करना चाहिए. लोगों के कहने की परवा मैं ने की होती तो तुम को कभी भी वह प्यार न दे पाता, जो मैं ने तुम्हें दिया है. अभी तुम मांजी द्वारा आरोप लगाए जाने की बात कर रही थीं. पर वह उन्होंने नहीं लगाया. लोगों ने उन्हें ऐसा बताया होगा. आज तक मैं ने भी इस बारे में तुम से कुछ पूछा या कहा नहीं. आज कह रहा हूं… तुम्हारे ही कुछ परिचितों व रिश्तेदारों ने मुझ से भी कहा कि शिखा बहुत तेजमिजाज लड़की है. अपनी भाभी को इस ने कभी चैन से नहीं जीने दिया. इस के जुल्मों से परेशान हो कर भाभी की मौत हुई थी. पता नहीं वह हत्या थी या आत्महत्या…लेकिन मैं ने उन लोगों की परवा नहीं की…’’ ‘‘पर तुम ने उन की बातों पर विश्वास कर लिया? क्या तुम भी मुझे अपराधी समझते हो?’’

‘‘मैं तुम्हें अपराधी नहीं समझता. न ही मैं ने उन लोगों की बातों पर विश्वास किया था. अगर विश्वास किया होता तो तुम से शादी न करता. तुम से बस एक सवाल करना चाहता हूं, लोग जब किसी के बारे में कुछ कहते हैं तो क्या हमें उस बात पर विश्वास कर लेना चाहिए.’’

‘‘मैं तो बस इतना जानती हूं कि वह सब झूठ है. हम से जलने वालों ने यह अफवाह फैलाई थी. इसी वजह से मेरी शादी में कई बार रुकावटें आईं.’’ ‘‘मैं ने भी उसे सच नहीं माना, बस तुम्हें यह एहसास कराना चाहता हूं कि जैसे ये सब बातें झूठी हैं, वैसे ही पंकज के खिलाफ हमें भड़काने वालों की बातें भी झूठी हो सकती हैं. उन्हें हम सत्य क्यों मान रहे हैं?’’

‘‘लेकिन मुझे नहीं लगता कि वे बातें झूठी हैं. खैर, लोगों ने सच कहा हो या झूठ, मैं तो नहीं जाऊंगी. एक बार भी उन्होंने मुझ से शादी में आने को नहीं कहा.’’ ‘‘कैसे कहता, सगाई पर आने के लिए तुम से कितना आग्रह कर के गया था. यहां तक कि उस ने तुम से माफी भी मांगी थी. फिर भी तुम नहीं गईं. इतना घमंड अच्छा नहीं. उस की जगह मैं होता तो दोबारा बुलाने न आता.’’

‘‘सब नाटक था, लेकिन आज अचानक तुम्हें हो क्या गया है? आज तो पंकज की बड़ी तरफदारी की जा रही है?’’

तभी द्वार की घंटी बजी. पंकज आया था. उस ने शिखा से कहा, ‘‘भाभी, भैया से तो आप को साथ लाने को कह ही चुका हूं, आप से भी कह रहा हूं. आप आएंगी तो मुझे खुशी होगी. अब मैं चलता हूं, बहुत काम करने हैं.’’ पंकज प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा किए बिना लौट गया.

मैं ने पूछा, ‘‘अब तो तुम्हारी यह शिकायत भी दूर हो गई कि तुम से उस ने आने को नहीं कहा? अब क्या इरादा है?’’

‘‘इरादा क्या होना है, हमारे पड़ोसियों से तो एक सप्ताह पहले ही आने को कह गया था. मुझे एक दिन पहले न्योता देने आया है. असली बात तो यह है कि मेरा मन उन से इतना खट्टा हो गया है कि मैं जाना नहीं चाहती. मैं नहीं जाऊंगी.’’ ‘‘तुम्हारी मरजी,’’ कह कर मैं दुकान चला गया.

थोड़ी देर बाद ही शिखा का फोन आया, ‘‘सुनो, एक खुशखबरी है. मेरे भाई हिमांशु की शादी तय हो गई है. 10 दिन बाद ही शादी है. उस के बाद कई महीने तक शादियां नहीं होंगी. इसीलिए जल्दी शादी करने का निर्णय लिया है.’’

‘‘बधाई हो, कब जा रही हो?’’ ‘‘पूछ तो ऐसे रहे हो जैसे मैं अकेली ही जाऊंगी. तुम नहीं जाओगे?’’

‘‘तुम ने सही सोचा, तुम्हारे भाई की शादी है, तुम जाओ, मैं नहीं जाऊंगा.’’ ‘‘यह क्या हो गया है तुम्हें, कैसी बातें कर रहे हो? मेरे मांबाप की जगहंसाई कराने का इरादा है क्या? सब पूछेंगे, दामाद क्यों नहीं आया तो

क्या जवाब देंगे? लोग कई तरह की बातें बनाएंगे…’’ ‘‘बातें तो लोगों ने तब भी बनाई होंगी, जब एक ही शहर में रहते हुए, सगी भाभी हो कर भी तुम देवर की सगाई में नहीं गईं…और अब शादी में भी नहीं जाओगी. जगहंसाई क्या

यहां नहीं होगी या फिर इज्जत का ठेका तुम्हारे खानदान ने ही ले रखा है, हमारे खानदान की तो कोई इज्जत ही नहीं है?’’

‘‘मत करो तुलना दोनों खानदानों की. मेरे घर वाले तुम्हें बहुत प्यार करते हैं. क्या तुम्हारे घर वाले मुझे वह इज्जत व प्यार दे पाए?’’ ‘‘हरेक को इज्जत व प्यार अपने व्यवहार से मिलता है.’’

‘‘तो क्या तुम्हारा अंतिम फैसला है कि तुम मेरे भाई की शादी में नहीं जाओगी ?’’ ‘‘अंतिम ही समझो. यदि तुम मेरे भाई की शादी में नहीं जाओगी तो मैं भला तुम्हारे भाई की शादी में क्यों जाऊंगा?’’

‘‘अच्छा, तो तुम मुझे ब्लैकमेल कर रहे हो?’’ कह कर शिखा ने फोन रख दिया.

दूसरे दिन पंकज की शादी में शिखा को आया देख कर मांजी का चेहरा खुशी से खिल उठा था. पंकज भी बहुत खुश था.

मांजी ने स्नेह से शिखा की पीठ पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘बेटी, तुम आ गई, मैं बहुत खुश हूं. मुझे तुम से यही उम्मीद थी.’’ ‘‘आती कैसे नहीं, मैं आप की बहुत इज्जत करती हूं. आप के आग्रह को कैसे टाल सकती थी?’’

मैं मन ही मन मुसकराया. शिखा किन परिस्थितियों के कारण यहां आई, यह तो बस मैं ही जानता था. उस के ये संवाद भले ही झूठे थे, पर अपने सफल अभिनय द्वारा उस ने मां को प्रसन्न कर दिया था. यह हमारे बीच हुए समझौते की एक सुखद सफलता थी.

ये उपाय अपनाकर बढ़ाएं अपने पुराने लैपटौप की स्पीड

नए लैपटाप न सिर्फ स्लिम, स्टाइलिश, हल्के और पावरफुल होते हैं, बल्कि हर वह कार्य करने में सक्षम होते हैं, जो पहले सिर्फ डेस्कटाप पर ही हो पाते थे. मगर लैपटाप पुराना हो जाए, तो फिर अक्सर लोग इसके धीमा हो जाने की शिकायत करते हैं. हालांकि कुछ तरीके हैं, जिनकी मदद से पुराने लैपटाप को भी फास्ट बनाया जा सकता है.

सी ड्राइव रखें खाली: यदि आप ब्रांडेड कम्प्यूटर लेते हैं, तो उसमें सिर्फ सी ड्राइव ही होती है. मगर सुरक्षा की दृष्टि से कई लोग हार्ड ड्राइव में पार्टिशन बना देते हैं. सी ड्राइव में विंडोज आपरेटिंग सिस्टम और डी, ई, एफ आदि में डाटा रखते हैं. ड्राइव का पार्टिशन करना अच्छा है, क्योंकि साफ्टवेयर में कुछ परेशानी आती है, तो आपका डाटा बच जाएगा. हालांकि सी ड्राइव को जितना खाली रखेंगे, लैपटाप उतना ही बेहतर कार्य करेगा. यह तेजी से आन होगा और परफार्मेंस भी स्मूद रहेगा.

टेंपरेरी फाइल्स करें डिलीट: लैपटाप पर कार्य करने के दौरान टेंपरेरी फाइल्स बनती हैं. इनमें कुछ तो डाक्यूमेंट बंद करने के साथ ही नष्ट हो जाती हैं लेकिन कुछ लैपटाप में स्टोर हो जाती है. ये फाइलें सी ड्राइव में स्टोर होती हैं, जो ज्यादा भरने पर लैपटाप को धीमा करती हैं. इसलिए इन्हें सर्च करके नष्ट कर दें, तो बेहतर होगा.

डिस्क करें क्लीन: अपने लैपटाप की सी ड्राइव के अलावा बाकी डिस्क भी क्लियर रखें, तो बेहतर होगा. इसके लिए लैपटाप के ‘रन” में जाकर (कीबोर्ड से कंट्रोल और आर को एक साथ प्रेस करेंगे, तो भी रन आ जाएगा) आप बनी cleanmgr.exe लिखकर एंटर करेंगे, तो डिस्क क्लीन हो जाएगी.

स्टार्टअप एप्स करें बंद: कई एप्स ऐसे होते हैं, जो लैपटाप स्टार्ट होने के साथ ही आन हो जाते हैं. इन्हें स्टार्टअप एप्स कहते हैं. ये एप्स लैपटाप के स्टार्ट को और धीमा कर देते हैं. ऐसे में इनमें से जो एप्स आपके काम के नहीं हैं, उन्हें डिसएबल कर दें. इसके लिए विंडोज पीसी के रन में जाएं और वहां msconfig टाइप करें. अब जब सिस्टम कॉन्फिग्रेशन ओपन होगा, तो आपको सर्विस पर क्लिक करना है और उन सभी एप्स को अनचेक करना है, जिनका आप उपयोग नहीं करते.

माइक्रोसाफ्ट फिट इट: कम्प्यूटर और लैपटाप के लिए माइक्रोसाफ्ट का ही एक टूल है माइक्रोसाफ्ट फिट इट. यह लैपटाप के परफार्मेंस को बेहतर बनाता है. यह मुफ्त में उपलब्ध है. इसे डाउनलोड कर रन करने पर न सिर्फ लैपटाप का परफार्मेंस स्मूद होगा, बल्कि स्पीड भी बढ़ जाएगी.

कैश-कुकीज करें क्लीन: जब आप इंटरनेट ब्राउज करते हैं, तो बहुत सारा डाटा कैश के रूप में सेव होता रहता है. इसके अलावा कुकीज और हिस्ट्री भी सेव होते रहते हैं. जब ये ब्राउजिंग को धीमा करने लगें, तो ब्राउजर से कैश को क्लीन करते रहना बेहतर होता है.

ओएस व एप्स रखें अपडेट: समय-समय पर विंडोज आपरेटिंग सिस्टम का अपडेट आता है. आप कोशिश करें कि आपरेटिंग सिस्टम को हमेशा अपडेट रखें. हालांकि कई लोग पीसी को फास्ट करने के लिए सिस्टम अपडेट को बंद कर देते हैं लेकिन इससे नुकसान ही होता है. इससे सिस्टम की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है. इसके अलावा लैपटाप में जो साफ्टवेयर्स हैं, उन्हें भी अपडेट रख पायरेटेड साफ्टवेयर से रहें दूर विंडोज पीसी के लिए पायरेटेड साफ्टवेयर की भरमार है. ये लैपटाप को धीमा करते हैं. एक साफ्टवेयर के साथ कई दूसरे साफ्टवेयर भी डाउनलोड हो जाते हैं और लैपटाप को नुकसान पहुंचाते है.

लैपटाप को करें रीस्टार्ट: कई लोग अपने लैपटाप को महीनों तक हाइबरनेट पर ही रखते हैं. कुछ दिन तक तो यह ठीक है लेकिन जब महीने भर तक हाइबरनेट पर ही रखते हैं, तो उससे परफार्मेंस पर फर्क पड़ता है. इसलिए कोशिश करें कि कुछ दिनों के अंतराल पर लैपटाप को पूरी तरह शट-डाउन कर रीस्टार्ट करें. इससे परफार्मेंस ठीकहो जाता है.

सीसी क्लीनर: विंडोज लैपटाप पीसी के लिए सीसी क्लीनर बहुत अच्छा साफ्टवेयर है और यह आपके पीसी के परफार्मेंस को भी बेहतर करता है. सबसे अच्छी बात यह है कि सीसी क्लीनर पूरी तरह से मुक्त है. इसलिए इसे अपने लैपटाप में जरूर रखें और समय-समय पर रन करते रहें.

फेसबुक के देशी नुसखों से रहें सावधान

पिछले दिनों मेरे पास एक युवक को ले कर उस की मां आई थी. युवक भयानक उलटी और दस्त से ग्रस्त था. जब उस से ‘रात क्या खाया था’ पूछा गया तो वह लगातार बात को छिपाने की कोशिश करता रहा.

जब मैं ने उस से कहा कि यदि आप अपने खाने पीने के बारे में सही सही नहीं बताएंगे तो इलाज कैसे संभव होगा? तब उसने झिझकते हुए कहा, ‘‘शाम को मैं ने फेसबुक पर एक देसी नुसखा पढ़ा था.’’

‘‘किस चीज का?’’

‘‘जोश ताकत का,’’ शरमाते हुए उस ने बताया.

‘‘क्या खाया था?’’

‘‘कमल के बीजों को पीस कर उस में लहसुन मिला कर खाया था, खाने के एक घंटे बाद ही तबीयत खराब होने लगी थी,’’ उस ने बताया. मैं ने उस को सेलाइन चढ़ाई और आवश्यक दवाएं दीं. 2 दिनों बाद उस की हालत ठीक हुई.

ऐसे एक दर्जन से अधिक मरीज मेरे पास फालतू चीजें खा कर इलाज के लिए आ चुके हैं. इन में महिलाएं और वृद्घ भी हैं. सोशल साइट्स पर इन दिनों बहुत सी गंभीर बीमारियों के इलाज और मनगढं़त परिणामों का उल्लेख मिल जाएगा, जैसे शुगर की बीमारी से मिनटों में आराम, मोटापे में शर्तिया फायदा, घुटनों के दर्द में एक सप्ताह में आराम वगैरा. इस के साथ ही जो इन साइट्स पर देसी दवाओं का उल्लेख करता है वह बाकायदा अपने अनुभवों का विस्तृत वर्णन करता है जिस से पढ़ने वाले या रोगग्रस्त व्यक्ति उन गलत बातों पर विश्वास कर लेते हैं.

पिछले दिनों हृदय रोग में पीपल के पत्तों के काढ़े से हार्ट सर्जरी से मुक्ति की पोस्ट बहुत चर्चित हुई थी. वहीं शुगर की बीमारी में गोंद, अलसी और जामुन के बीजों के मिश्रण को सुबह व रात को पीने की बात कही गई थी. मरता क्या न करता, जो इन बीमारियों से ग्रस्त हैं और ढेर सारे रुपए को फूंक चुके हैं वे तुरंत इन नुसखों को अपना कर अपनी बीमारियों को तो बढ़ाते ही हैं, साथ ही अन्य बीमारियों से ग्रस्त भी हो जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि यदि आप ऐसी मनगढ़ंत दवाओं के विषय में फेसबुक पर देखें तो उसे तुरंत हटा दें न कि शेयर कर के और लोगों तक गलत बातों को पहुंचाने में मदद करें.

आजकल सोशल साइट्स का उपयोग अंधविश्वास को फैलाने में भी होने लगा है. साइट्स में कहा जाता है कि इस देवीदेवता की तसवीरों को शेयर करें तो आप की बीमारी दूर हो जाएगी वरना आप और अधिक बीमार हो जाएंगे. ऐसी स्थिति में घबरा कर कमजोर मानसिकता के व्यक्ति ऐसी पोस्ट को शेयर कर देते हैं, और अनजाने ही, ऐसे अंधविश्वास को फैलाने में सहयोगी हो जाते हैं.

फेसबुक पर दुबले होने के लिए भी बहुत से नुसखे होते हैं जो आप को दुष्परिणाम दे सकते हैं. इन दिनों फेसबुक पर एक और पोस्ट आ रही है, ‘निसंतान दंपती यदि अमुकअमुक टोटका कर के इन अमुक दवाओं का सेवन करेंगे तो जरूर बच्चा पैदा हो जाएगा.’

यह पोस्ट देख कर तुरंत महिलाओं के दिमाग में अपनी उन एक दर्जन सहेलियों, रिश्तेदारों के नाम याद आ जाते हैं जो निसंतान हैं और वे उसे यह पोस्ट शेयर कर के बाकायदा फोन कर के कहती भी हैं कि इसे अमल में लाओ. परिणामस्वरूप गलत नुसखों का प्रचारप्रसार करने में आप अनचाहे ही सहयोगी हो जाते हैं. ऐसी किसी भी पोस्ट को तुरंत अपनी फेसबुक से हटा देना ही बेहतर होगा ताकि आप इस बहाने समाज में गलत बातों के प्रचारप्रसार में सहयोगी न बन सकें. इसलिए ऐसी बातों का खुल कर विरोध करें और उस नुसखे के नीचे किसी भी तरह का उपयोग नहीं करने का अपना मैसेज भी टाइप कर दें ताकि जिस ने वह पोस्ट किया है उस तक आप की बात पहुंच सके.

सोशल मीडिया पर बताई गई दवाओं या मनगढं़त दवाओं के विषय में बातों को आगे न बढ़ाएं. अपनी बीमारी के विषय में अपने चिकित्सक से सलाह लिए बिना कोई भी दवा या देशी नुसखों का उपयोग न करें. वरना आप को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

जानें, घर बैठे कमाई करने का आसान तरीका

आज हर महिला खुद को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है. खुद के बलबूते पर कुछ कर दिखाना चाहती हैं. उनके अंदर काम करने की क्षमता तो होती है पर शायद आइडियाज की कमी के चलते वो खुद के हुनर को निखार नहीं पाती. इसे देखते हुए महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए हम बता रहे हैं कुछ लोकप्रिय बिजनेस आइडियाज के बारे में, जिन्हें महिलाएं काफी आराम से कर सकती हैं और साथ ही इन बिजनेस से उन्हें अच्छी कमाई भी हो सकती है.

फैशन डिजाइनिंग: फैशन, कपड़े और गहने महिलाओं की पसंदीदा चीजें हैं, जिनमें बिजनेस करना महिलाओं को पसंद है और इन सेक्टर में इन्वेस्टमेंट भी कम चाहिए होता है. आप अकेले ही अपना बिजनेस शुरू कर सकती हैं अपने दोस्तों को अपनी चीजें खरीदने के लिए कह सकती हैं और साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म और ई-कामर्स पोर्टल्स का इस्तेमाल करके भी अच्छी कमाई कर सकती हैं.

हेल्थ और फिटनेस: हेल्थ, फिटनेस और वैलनेस का उद्योग भारत में तेजी से बढ़ रहा है. बढ़ती स्वास्थ्य जागरूकता के साथ, हेल्थ स्टूडियो की मांग में भी तेजी से वृद्धि हो रही है. योग, जुम्बा, एरोबिक्स क्लासेज लेने के लिए इंस्टिट्यूट ज्वाइन कर रहे हैं. इस बिजनेस में इन्वेस्टमेंट काफी कम है, इसके लिए आपको इन स्किल्स में महारथी होना जरूरी है और एक बड़ा हाल जहां आप लोगों को ये सिखा सकें.

इवेंट मैनेजमेंट: इवेंट मैनेजमेंट एक और क्षेत्र है, जहां महिलाएं खूब पैसा कमा सकती हैं. आजकल इवेंट्स और पार्टियों का मैनेजमेंट कोई छोटा काम नहीं है, इसलिए लोग इवेंट मैनेजरों को हायर करने लगे हैं. जन्मदिन की पार्टियों, कारपोरेट इवेंट्स, फेस्टिवल इवेंट्स आदि आयोजित करने में महिलाएं की स्किल्स की काफी सराहना की जाती है.

कुकिंग: ज्यादातर महिलाओं को खाना पकाने में रुचि होती है और खाने का कारोबार शुरू करने में उनकी काफी रुचि भी होती है. आजकल लड़कियां खाना बनाने की क्लासेज लेती हैं. महिलाएं कुकिंग क्लासेज देने के अलावा अपने खाने को बेच भी सकती हैं. वे टिफिन का बिजनेस शुरू कर सकती हैं. वह आनलाइन फूड डिलीवरी पोर्टल का यूज कर अपने खाने को बेच सकती हैं.

ट्यूशन और शिक्षा: हमारे देश में शिक्षा से संबंधित सेवाओं की काफी जरूरत है. इसी वजह से इस बिजनेस को उभरता हुआ बिजनेस माना जाता है. अब महिलाएं विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कहीं भी रह कर स्टूडेंट्स को पढ़ा सकती हैं. आनलाइन टीचिंग एक ऐसा सेक्टर है जो काफी उभर चुका है और इसके जरिए अच्छी कमाई भी की जा सकती है.

कंसल्टिंग: पढ़ी-लिखी महिलाएं कंसल्टिंग का बिजनेस शुरू कर सकती हैं, वे अपने पसंदीदा फील्ड की जानकारी दूसरों के साथ शेयर कर के उनके भविष्य को बनाने में उनकी मदद कर सकती हैं. कंसल्टेशन बिजनेस एक उभरता हुआ बिजनेस सेक्टर है जिसके बारे में कम लोगों को जानकारी है.

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