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रेनी सीजन में त्वचा की 5 समस्याओं से ऐसे निबटें

जहां एक ओर मौनसून तेज गरमी से राहत दिलाता है वहीं दूसरी और इस मौसम में कई तरह की त्वचा की समस्याएं भी आम हैं. इस मौसम में त्वचा की कुछ आम समस्याएं निम्न हैं.

त्वचा की ऐलर्जी: बड़े शहरों में प्रदूषण ज्यादा होने के कारण त्वचा की ऐलर्जी आमतौर पर देखने में आती है. ऐलर्जी का असर ज्यादातर पीठ के ऊपरी हिस्से, हाथों और पैरों पर पड़ता है. ऐलर्जी के कई कारण हो सकते हैं. सही कारण का पता लगाना मुश्किल होता है.

उपाय: अनुभवी डाक्टर ऐलर्जी का सही इलाज करता है. इस से ऐलर्जी से राहत मिलती है. अस्थाई राहत के लिए प्रभावित हिस्से पर आइसक्यूब्स रगड़ें, फिर सुखा कर बेबी टैलकम पाउडर लगा लें. प्रभावित हिस्से पर खुजली न करें. खासतौर पर नाखूनों से बिलकुल न रगड़ें. बहुत ही ज्यादा खुजली हो रही हो, तो हथेली से हलकेहलके सहलाएं.

बहुत ज्यादा पसीना आना: मौनसून में हवा में नमी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, जिस से गरदन, बगलों, हथेलियों, चेहरे, सिर की त्वचा और तलवों में ज्यादा पसीना आता है. मौनसून में कई बार शरीर में दुर्गंध और संक्रमण की समस्या भी बढ़ जाती है.

उपाय: ऐंटीफंगल साबुन और पानी से प्रभावित हिस्से को धो कर सुखा लें. ऐंटीपर्सपिरैंट का इस्तेमाल करें. कौटन के कपड़े पहनें. इस से शरीर में हवा का आवागमन होता रहेगा, जिस से पसीना कम आएगा.

रुखे और बेजान बाल: इस मौसम में बालों का बेजान होना एक बड़ी समस्या होती है. पसीना आने से बालों में नमी कम हो जाती है. जिस से वे बेजान और दोमुंहे हो जाते हैं.

उपाय: बालों में शैंपू करने के बाद कंडीशनर लगाएं. कंडीशनर का इस्तेमाल बालों की जड़ों में न करें. कुछ मिनट बाद पानी से अच्छी तरह धो लें. गीले बालों में चौड़े दांतों वाले कंघे का इस्तेमाल करें ताकि बाल टूटें नहीं. ब्लो ड्रायर का इस्तेमाल न करें ताकि बालों में प्राकृतिक नमी बनी रहे. इस के अलावा गीले बालों को बांधें नहीं. बालों की जड़ों में शैंपू लगाएं और हलके हाथों से रगड़ें. इस से तुरंत फर्क नजर आएगा.

संक्रमण: मौनसून के दौरान कीलमुंहासे, हेयर फौलिकल में सूजन, दाद आदि बहुत आम हैं. इस तरह के संक्रमण आमतौर पर बैक्टीरिया या फंगस के कारण होते हैं. इस मौसम में बहुत ज्यादा पसीना आने, डिहाइड्रेशन, फोटो टौक्सिक प्रभावों और धूप व नमी के कारण संक्रमण की समस्या बढ़ जाती है.

उपाय: इस तरह की समस्याओं से बचने का सब से अच्छा तरीका है अपनी त्वचा को सूखा रखना. सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतें, क्योंकि साफसफाई न होने से संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. रोजाना 10-12 गिलास पानी जरूर पीएं. त्वचा को मौइश्चराइजर से हाइड्रेट करती रहें.

ऐथलीट्स फुट: यह समस्या आमतौर पर उन्हें होती है जो मौनसून में जूते पहनते हैं. यह समस्या एक बैक्टीरिया टीनिया के कारण होती है, जो पूरे शरीर में फैल जाता है तथा पैरों पर सुन्नपन पैदा करता है.

उपाय: यह समस्या होने पर जरूरी है कि आप अपने पैरों को सूखा रखें. जब भी आप बारिश में गीली हों जूते और जुर्राबें तुरंत उतार दें. फिर पैरों को धो अच्छी तरह सुखा लें. घर में स्लिपर्स पहनें, खासतौर पर बाथरूम में स्लिपर्स का जरूर इस्तेमाल करें.

क्या करें क्या नहीं

– साफसफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं. साफ कपड़े खासतौर पर साफ अंडरगारमैंट्स पहनें.

– पसीना आने से शरीर से नमक और पानी निकल जाता है. इस से त्वचा में खुजली और सूखापन हो सकता है. अत: पर्याप्त मात्रा में पानी और तरल पदार्थ के सेवन से खुद को हाइड्रेट करें.

– आहार भी त्वचा को संक्रमण से बचाने के लिए महत्त्वपूर्ण है. गरम और मसालेदार भोजन का सेवन न करें. फल (आम और तरबूज का सेवन कम), सब्जियां, बादाम, लहसुन, भूरे चावल, ओट्स आदि का इस्तेमाल भरपूर मात्रा में करें.

– मैडिकेटेड साबुन, ऐंटीफंगल और ऐंटीबैक्टीरियल क्रीम व पाउडर का इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है. अगर समस्या ज्यादा हो तो डर्मैटोलौजिस्ट की सलाह लें.

– अगर त्वचा की कोई भी समस्या संक्रामक हो जाती है, तो एकदूसरे की चीजें शेयर न करें.

– डा. साक्षी श्रीवास्तव , कंसलटैंट डर्मैटोलौजिस्ट, जेपी हौस्पिटल, नोएडा

पैसा बेईमान ही नहीं, हत्यारा भी बना देता है

70 वर्षीय जी.के. नायर एयरफोर्स की सिविल विंग से रिटायर हो कर चाहते तो अपने गृह राज्य केरल वापस जा सकते थे, लेकिन लंबा वक्त एयरफोर्स में गुजारने के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश में ही बस जाने का फैसला ले लिया था. इन दिनों वह अपनी 68 वर्षीय पत्नी गोमती नायर सहित भोपाल खजूरीकलां स्थित नर्मदा ग्रीन वैली कालोनी में डुप्लेक्स बंगले में रह रहे थे. इस कालोनी की गिनती भोपाल की पौश कालोनियों में होती है, जिस में संपन्न और संभ्रांत लोग रहते हैं.

दूसरे रिटायर्ड मिलिट्री अफसरों की तरह जी.के. नायर का स्वभाव भी अनुशासनप्रिय था, जो आम लोगों को सख्त लगता था. उन के चेहरे पर छाया रौब और बातचीत का लहजा ही उन के एयरफोर्स अधिकारी होने का अहसास करा देता था. साल 2014 में जब वे पत्नी सहित नर्मदा ग्रीन वैली में आ कर रहने लगे थे, तभी से इस कालोनी के अधिकांश लोग उन के स्वभाव से परिचित हो गए थे.

गोमती नायर ग्वालियर के मुरार अस्पताल में नर्स पद से रिटायर हुई थीं. पतिपत्नी दोनों को ही पेंशन मिलती थी. नौकरी में रहते ही नायर दंपति अपनी तीनों बेटियों की शादियां कर के अपनी इस जिम्मेदारी से मुक्त हो चुके थे. लिहाजा उन के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी.

ग्वालियर से नायर दंपति का खास लगाव था, क्योंकि गोमती वहीं से रिटायर हुई थीं और इन की बड़ी बेटी प्रशुंभा नायर की शादी भी ग्वालियर में ही हुई थी. गोमती की एक बहन भी ग्वालियर में ही रहती थीं. जब भी इन दोनों का मन भोपाल से कहीं बाहर जाने का होता था तो उन की प्राथमिकता ग्वालियर ही होती थी.

पुरसुकून थी नायर दंपति की जिंदगी

भोपाल में बसने की बड़ी वजह उन की यहां फैली रिश्तेदारी थीं. मंझली बेटी प्रियंका नायर की शादी भोपाल में हुई थी और वह अवधपुरी इलाके की फर्स्ट गार्डन कालोनी में रहती थीं. प्रियंका एक नामी प्राइवेट स्कूल में टीचर थीं. छोटी बेटी प्रतिभा की भी शादी भोपाल में हुई थी, जो मिसरोद इलाके की राधाकृष्ण कालोनी में रहती थी. गोमती के बड़े भाई का बेटा प्रमोद नायर भी भोपाल में रहता था.

उन की और 2 बहनें भी भोपाल में रहती थीं. इतने सारे नजदीकी रिश्तेदारों के भोपाल में होने के चलते जी.के. नायर का भोपाल में बस जाने का फैसला स्वाभाविक था, जो उन्हें एक सामाजिक सुरक्षा का अहसास कराता था. हर रविवार कोई न कोई मिलने के लिए उन के घर आ जाता था. इस से बुजुर्ग दंपति का अपनों के बीच अच्छे से वक्त कट जाता था. जी.के. नायर के बैंक खातों का काम और पैसों का हिसाबकिताब प्रियंका के हाथ में था.

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नर्मदा ग्रीन वैली कालोनी में शिफ्ट होने के कुछ दिन बाद ही जी.के. नायर सोसायटी के अध्यक्ष चुन लिए गए थे. लेकिन इस पद पर वे सभी की पसंद नहीं थे. कालोनियों की सोसाइटियों की अपनी एक अलग राजनीति होती है, जिस का अंदाजा या तजुर्बा जी.के. नायर को नहीं था. अध्यक्ष रहते उन्होंने कालोनी के पार्क में बेंच लगवाने की पहल की तो कई सदस्यों ने इस पर असहमति जताई थी, जिस से खिन्न हो कर उन्होंने पद छोड़ दिया था.

वजह यह कि काम कम होता था और रोजाना की चिखचिख ज्यादा होती थी. 70 साल की बड़ी और लंबी जिंदगी में हालांकि इन छोटीमोटी बातों के कोई खास मायने नहीं होते, लेकिन यह साबित हो गया था कि मिलिट्री से रिटायर्ड अधिकारी आमतौर पर समाज में फिट नहीं होते.

पतिपत्नी खाली समय ज्यादातर टीवी देख कर गुजारते थे. गोमती को अपराध से संबंधित धारावाहिक पसंद थे. इन्हें वे बड़े चाव से देखा करती थीं और अपराध और अपराधी की मानसिकता को समझने की कोशिश करती रहती थीं. कई बार ये धारावाहिक देख कर उन्हें अपनी सुरक्षा का ध्यान आता था, पर यह सोच कर वे निश्चिंत हो जाया करती थीं कि उन की कालोनी कवर्ड है और मकान भी सुरक्षित है. बुढ़ापे में सुरक्षा की चिंता एक आम बात है लेकिन जी.के. नायर बहादुर होने के कारण यह चिंता नहीं करते थे.

अचानक कैसे आई कालरात्रि

8 मार्च की रात टीवी देखते समय जी.के. नायर ने गोमती से कुछ बातें की थीं, फिर लगभग साढ़े 9 बजे उन्होंने प्रियंका को फोन किया. वैसे तो सभी रिश्तेदारों खासतौर से बेटियों से उन की रोजाना फोन पर बात हो जाती थी, लेकिन प्रियंका को उन्होंने इस वक्त एक खास मकसद से फोन किया था.

उन्होंने बेटी से कहा कि वह अगले दिन या फिर जब भी बर्थ खाली मिले, उन दोनों का ग्वालियर जाने का रिजर्वेशन करवा दे. क्योंकि उन्हें प्रियंका की मौसी यानी गोमती की बहन को देखने जाना था, जो इन दिनों बीमार चल रही थीं.

9 मार्च की सुबह रोजाना की तरह जब नायर दंपति के यहां काम करने वाली नौकरानी  मोहनबाई आई तो कई बार कालबेल बजाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला. इस पर मोहनबाई ने पहले उन्हें आवाजें लगाईं और फिर जी.के. नायर के मोबाइल पर फोन किया. लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं मिला.

दरवाजे पर खड़ेखड़े मोहनबाई को ध्यान आया कि पिछली रात ही गोमती ने उस से जल्द आने को कहा था और 5 के बजाय 10 रोटियां बनवाई थीं, जिस से उस ने अंदाजा लगाया था कि शायद रात को कोई आने वाला है.

जब फोन नहीं उठा तो मोहनबाई पड़ोस में रहने वाली रत्ना मिस्त्री के पास गई और उन्हें यह बात बताई. इस पर रत्ना ने भी नायर साहब का मोबाइल फोन लगाया पर दूसरी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला. यह एक चिंता की बात थी. नायर दंपति द्वारा फोन न उठाए जाने की बात रत्ना ने दूसरे पड़ोसियों को बताई तो धीरेधीरे कालोनी के लगभग सभी लोग इकट्ठा हो गए. किसी अनहोनी की आशंका सभी के दिमाग में थी, पर कोई खुल कर नहीं बोल पा रहा था.

सुबहसुबह जी.के. नायर के घर के बाहर जमा भीड़ देख कर एक और पड़ोसी पी.वी.आर. रामादेव भी जिज्ञासावश वहां पहुंच गए. रामादेव खुद आर्मी में सूबेदार रह चुके थे, इसलिए नायर दंपति से उन की अच्छी पटरी बैठती थी. पूछने पर पता चला कि नायर दंपति के घर का दरवाजा नहीं खुल रहा है और वे फोन भी नहीं उठा रहे हैं. इस पर उन्होंने पहल की और नायर के बंगले से सटे हरिदास मिस्त्री के बंगले की बालकनी से नायर के घर जा पहुंचे.

जी.के. नायर के घर का दृश्य देख कर रामादेव हतप्रभ रह गए. जी.के. नायर और गोमती नायर की लाशें फर्श पर पड़ी थीं. यह बात उन्होंने वहां मौजूद लोगों को बताई तो मानो सन्नाटा फैल गया. कालोनी में ऐसी किसी वारदात की उम्मीद किसी ने सपने में भी नहीं सोची थी. एक व्यक्ति ने इस की सूचना 100 नंबर पर दी और  लोग पुलिस के आने का इंतजार करने लगे. मोहनबाई भी सहमी सी एक तरफ खड़ी थी.

आधे घंटे से कम में अवधपुरी पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई. चूंकि नायर के घर का दरवाजा अंदर से बंद था, इसलिए पुलिस वालों को भी नायर के एक और पड़ोसी आदित्य मिश्रा के घर से हो कर अंदर जाना पड़ा. पुलिस बल को यह बात भीड़ में से कोई बता चुका था कि नायर साहब छत का दरवाजा हमेशा बंद रखते थे.

मामला चूंकि एयरफोर्स के रिटायर अफसर की हत्या का था, इसलिए देखते ही देखते अवधपुरी इलाके के अलावा गोविंदपुरा और अयोध्यानगर थानों से भी पुलिस वाले पहुंच गए. पुलिस बल के साथ डीआईजी धर्मेंद्र चौधरी और एसपी राहुल लोढ़ा भी थे.

रिश्तेदारों की मौजूदगी में हुई पुलिस जांच

नायर दंपति की लाशें पहली मंजिल के बैडरूम में आमनेसामने पड़ी थीं. गले से बहता खून बयां कर रहा था कि हत्या गला रेत कर की गई थी. पुलिस वालों ने जब बारीकी से पूरे घर का मुआयना किया तो मामला कहीं से भी चोरी या लूटपाट का नहीं लगा. घर का सारा सामान व्यवस्थित तरीके से रखा हुआ था.

अब तक मातापिता की हत्या की खबर बेटियों को भी लग चुकी थी, लिहाजा प्रियंका और प्रतिभा जिस हालत में थीं, उसी हालत में नर्मदा वैली कालोनी की तरफ निकल पड़ीं.

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पुलिस छानबीन और पूछताछ में जुट गई थी. मोहनबाई, रत्ना मिस्त्री और पी.वी.आर. रामादेव के बयानों से केवल घटना की जानकारी मिल रही थी, हत्यारे की नहीं.

रत्ना मिस्त्री के इस बयान से जरूर पुलिस को कुछ उम्मीद बंधी थी कि रात कोई 12 बजे के आसपास नायर दंपति के घर से चीखनेचिल्लाने की आवाजें आई थीं, पर उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया था क्योंकि तेज आवाज में बातचीत करना मृतक दंपति की आदतों में शुमार था.

जी.के. नायर की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी और घर में कोई लूटपाट या चोरी भी नहीं हुई थी. इस का सीधा सा मतलब यह निकल रहा था कि हत्यारा जो भी था, बेहद नजदीकी था, जिस के रात में आने पर मृतकों को कोई ऐतराज नहीं था. न ही उस पर कोई पाबंदी थी.

हत्या के ऐसे मामलों, जिन में मृतक पैसे वाले हों, में उन की जमीनजायदाद और पैसा खास मायने रखता है. इस तरफ भी पुलिस का ध्यान गया. पूरा घर और आसपास का इलाका छानने के बाद भी हत्यारे का कोई सुराग और हथियार नहीं मिला तो पुलिस की जांच का दायरा नायर दंपति के रिश्तेदारों की तरफ बढ़ गया.

इसी बीच प्रियंका आई तो हत्या की गुत्थी सुलझती नजर आई. प्रियंका से पुलिस को पता चला कि दीवाली के दिनों में पटाखे चलाए जाने पर उस के पिता का विवाद सोसायटी के मौजूदा अध्यक्ष अशोक मनोज से हुआ था. अवधपुरी थाने में इस की शिकायत भी दर्ज हुई थी. दूसरी अहम बात यह सामने आई कि प्रियंका ही मांबाप का एकाउंट्स देखती थी.

पुलिस को संदेह का एक नया आधार मिला लेकिन पुलिस वालों को तीसरी बात ज्यादा महत्त्वपूर्ण लगी. दरअसल प्रियंका ने बताया कि इसी साल जनवरी तक आरती नाम की नौकरानी और उस का पति राजू धाकड़ उस के मातापिता के यहां काम किया करते थे. राजू ने अपनी बहन की शादी के लिए उस के पिता से करीब 2 लाख रुपए भी उधार ले रखे थे.

प्रियंका ने बताया कि आरती जब 8 साल की थी, तभी मम्मीपापा ने उसे अपने साथ रख लिया था और उन्होंने ही उस की शादी राजू से करवाई थी. भोपाल आते समय नायर दंपति उन्हें भी साथ ले आए थे. इतना ही नहीं, जी.के. नायर ने अपने एक परिचित हरिदास से कह कर भोपाल के भेल कारखाने में राजू की नौकरी ठेका श्रमिक के रूप में लगवा दी थी.

आरती और राजू पर जी.के. नायर इतने मेहरबान थे कि उन्होंने इन दोनों को खजूरीकलां में रहने के लिए किराए का मकान भी दिलवा रखा था. प्रियंका ने यह भी बताया कि राजू का विवाद अकसर गोमती से हुआ करता था. वह लिए गए पैसे लौटाना तो दूर की बात, जी.के. नायर के नाम पर कुछ दूसरे लोगों से भी पैसे ले चुका था.

प्रियंका के मुताबिक, अकसर उस के पिता राजू से अपना पैसा वापस मांगा करते थे, लेकिन वह हर बार देने से मना कर देता था. अब आरती और राजू कहां हैं, इस पर प्रियंका ने बताया कि वे दोनों इसी साल जनवरी में काम छोड़ कर चले गए और इंदौर में उन्होंने ब्यूटीपार्लर खोल लिया है, जिस का किराया साढ़े 8 हजार रुपए महीना है.

यह जानकारी महत्त्वपूर्ण थी. लेकिन हत्या राजू ने ही की थी तो वह है कहां? इस सवाल का जवाब हासिल करने के लिए पुलिस ने राजू का फोन नंबर ले कर उसे फोन लगाया तो उस ने खुद के ग्वालियर में होने की बात कही.

हत्यारा राजू ही है, इस पर पुलिस का शक गहराने लगा था क्योंकि अब तक यह स्पष्ट हो चुका था कि नायर दंपति के अपने रिश्तेदारों से संबंध अच्छे थे और पटाखा विवाद बेहद मामूली था. एक राजू ही था जो घर के सदस्य की तरह नायर दंपति के यहां बेरोकटोक आजा सकता था. लेकिन ग्वालियर में होते हुए वह दोहरे कत्ल की वारदात को कैसे अंजाम दे सकता था, यह बात किसी सस्पेंस से कम नहीं थी.

हालांकि यह मुमकिन था कि कोई भी शख्स भोपाल में हत्या कर के ग्वालियर जा सकता है, क्योंकि वहां का रास्ता महज 5 घंटे का था. अब तक की काररवाई में यह तो उजागर हो गया था कि हत्याएं रात साढ़े 9 से 12 बजे के बीच हुई थीं. यानी राजू के हत्या कर के ग्वालियर भाग जाने की बात संभव थी. भोपाल से ग्वालियर के लिए रात में ट्रेनों की भी कमी नहीं थी.

भोपाल सहित पूरे देश में रिटायर्ड एयरफोर्स अधिकारी की हत्या पर चर्चाएं होने लगी थीं. हर कोई पुलिस को कोस रहा था कि वह शहर में रह रहे अकेले बुजुर्गों की हिफाजत के लिए कोई इंतजाम नहीं करती. और तो और, पुलिस के पास अकेले रह रहे बूढ़ों का कोई डाटा या रिकौर्ड तक नहीं है. इन सब आलोचनाओं से परे पुलिस के हाथ हत्यारे के गिरेहबान तक पहुंच चुके थे. देर बस गिरफ्तारी की थी, जो 10 मार्च को हो भी गई और राजू ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया.

दरअसल, पुलिस राजू और आरती के मोबाइल काल्स पर ध्यान रखे हुए थी. दोनों में बातचीत हो रही थी और नायर दंपति की हत्या की खबर सुन कर आरती इंदौर से भोपाल आ गई थी. पुलिस ने आरती को रडार पर लिया तो उस ने बताया कि राजू जरूर उस से मिलने आएगा. भोपाल आ कर आरती गोपालनगर झुग्गी इलाके में रुकी थी.

राजू को कतई अंदाजा या अहसास नहीं था कि भोपाल में पुलिस उस का स्वागत करने को तैयार है. वह तो अपने मालिक की हत्या पर शोक प्रकट करने इसलिए आ रहा था ताकि पुलिस उस पर शक न करे. जैसे ही वह भोपाल आया, सादे कपड़ों में तैनात पुलिसकर्मियों ने उसे स्टेशन से धर दबोचा.

पहले तो वह हत्या की वारदात से नानुकुर करता रहा, लेकिन जल्द ही टूट भी गया. उस ने हत्या का सच उगल दिया.

राजू ने मांबाप सरीखे दंपति को पैसे के लिए लगाया ठिकाने 32 वर्षीय राजू धाकड़ मूलत: ग्वालियर के हीरापुर गांव का रहने वाला था. उस ने वाकई जी.के. नायर से लगभग 2 लाख रुपए उधार ले रखे थे और उस की नीयत पैसे देने की नहीं थी. इस बात पर नायर उसे कभीकभी डांटा भी करते थे, जो उसे नागवार गुजरता था. इतना ही नहीं, राजू को यह शक भी था कि भेल के ठेका श्रमिक की नौकरी से उसे नायर ने ही निकलवाया है.

घटना की रात हत्या के इरादे से राजू कोई 9 बजे ग्वालियर से भोपाल आया. इस बाबत उस ने चाकू भी ग्वालियर से खरीद लिया था. भोपाल आ कर वह एसओएस बालग्राम स्टाप पर उतरा और वहां से पैदल ही नायर के घर तक गया. उस समय नायर दंपति टीवी देख रहे थे.

राजू को देखते ही नायर की भौंहे तन गईं. उन्होंने उसे दरवाजे से ही वापस कर दिया. इस पर राजू ने गिड़गिड़ाते हुए उन्हें पुराने संबंधों का वास्ता दिया तो नरम दिल नायर पिघल उठे और उन्होंने उसे अंदर आने दिया.

उन की यह इजाजत भारी भूल साबित हुई. आदतन नायर ने फिर पैसों का तकादा किया तो राजू हमेशा की तरह बेशर्मी से नानुकुर करने लगा. बात करतेकरते दोनों पहली मंजिल पर आ गए, जहां नायर इत्मीनान से बैठ गए और राजू की खिंचाई करने लगे.

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इस बार राजू तय कर आया था, इसलिए जानबूझ कर विवाद को हवा दे रहा था. पुराने पैसे लौटाने की बात तो दूर राजू ने नायर से और पैसे मांगे तो वे झल्ला उठे और तेज आवाज में उसे डांटने लगे.

डांट सुन कर राजू को भी गुस्सा आ गया. वह हाथ धोने के बहाने बाथरूम में चला गया और मुड़ कर नायर के पीछे आ कर खड़ा हो गया. जेब से चाकू निकाल कर राजू ने नायर की गरदन पर 1-2 नहीं बल्कि गिन कर पूरे 10 प्रहार किए और 11वीं वार में उन का गला रेत डाला.

ताबड़तोड़ हमलों से घबराए और तड़पते जी.के. नायर पत्नी का नाम ले कर चिल्लाए. उन की चीख सुन कर गोमती पहली मंजिल की तरफ दौड़ीं. पैरों में तकलीफ होने के कारण गोमती कभी पहली मंजिल पर नहीं जाती थीं.

मालिक का काम तमाम कर के राजू अभी उठा ही था कि मालकिन सामने आ गईं. गोमती को भी उस ने नहीं बख्शा और उसी चाकू से उन का गला रेत दिया.

चीखें भी रहीं बेअसर

यही वे चीखें थीं, जो रत्ना मिस्त्री ने सुनी थीं. लेकिन रोजमर्रा की आम बातचीत समझ कर उन्होंने उन्हें इसे नजरअंदाज कर दिया था. जी.के. नायर ने बचाव की कोशिश की थी, जिस में हाथापाई के दौरान चाकू उलट कर राजू की जांघ में भी लग गया था. लेकिन उसे ज्यादा चोट नहीं आई थी.

2 हत्याएं कर के राजू ने किचन में जा कर खून से सना चाकू साफ किया और पूरा किचन साफ कर दिया. खून के धब्बे लगी अपनी पैंट उतार कर उस ने घर से उठा कर नीले रंग का लोअर पहना और जाने से पहले सोने के जेवरों पर हाथ साफ कर दिया.

उस ने अलमारी में सोने की 8 चूडि़यां चुराईं और फिर मृत गोमती के गले में पड़ी चेन भी उतार ली. बाथरूम जा कर उस ने खून से सने कपड़े भी धोए और फिर एक नजर घर पर डाल कर बालकनी के रास्ते कूद कर चला गया. स्टेशन तक वह पैदल ही गया और ग्वालियर जाने वाली ट्रेन में बैठ गया. सुबह ही वह वापस भोपाल के लिए रवाना हो गया, जिस का अंदेशा आरती पुलिस वालों के सामने जता चुकी थी.

राजू के मन में लालच और हैवानियत दोनों आ गए थे. नायर दंपति की मेहरबानियों का बदला उस ने बजाय नमक हलाली के नमक हरामी से चुकाया. लगता यही है कि नौकरों पर जरूरत से ज्यादा मेहरबानियां और दयानतदारी जानलेवा भी हो सकती है. इन दोनों के कत्ल की उस की हिम्मत इसलिए भी पड़ी कि दोनों अकेले रहते थे और राजू के बारे में सब कुछ जानता था.

आरती के मन में अपने मालिकों के उपकारों के प्रति कृतज्ञता थी, जिस के चलते उस ने अपने हत्यारे पति को बचाने की कोशिश नहीं की. हालांकि इस दोहरे हत्याकांड में इस बात का कलंक भी लगा कि जी.के. नायर की हत्या की एक वजह उन के आरती से कथित अवैध संबंध भी थे.

भोपाल के डीआईजी धर्मेंद्र चतुर्वेदी के मुताबिक, राजू ने अपने बचाव में हत्या की वजह रुपयों के लेनदेन के अलावा व्यक्तिगत वजह भी बताई है. लेकिन स्पष्ट रूप से इन निजी कारणों का खुलासा पुलिस ने जाने क्यों नहीं किया.

अपने बचाव की कोशिश में राजू ने 24 घंटों में ग्वालियर भोपाल अपडाउन किया, लेकिन वह खुद का गुनाह छिपा नहीं पाया.

एक लड़की का कमाल : पुरुष बन कर रचाई 2 शादियां

हल्द्वानी के कस्बा काठगोदाम की रहने वाली प्रियंका पिछले कई महीनों से महसूस कर रही थी कि उस के पति कृष्णा सेन के व्यवहार में बड़ा परिवर्तन आ गया है. जहां पहले वह उसे अपनी आंखों पर बिठाए रखता था. उस के हर नाजनखरे सहता था. वहीं अब उसे उस की हर बात कांटे की तरह चुभती है. इतना ही नहीं, वह हर समय उस के साथ झगड़े पर उतारू रहता है. प्रियंका यदि किसी बात पर उस से बहस करती तो वह उस की पिटाई कर देता था.

यानी अब वह ज्यादा चिढ़चिढ़ा सा हो गया था. शराब पी कर वह उस से अकसर रोजाना ही झगड़ता था. पति की प्रताड़ना से तंग आ कर वह अपने मायके चली जाती थी.

शादीशुदा बेटी को ज्यादा दिनों तक घर पर बैठाना कुछ लोग सही नहीं समझते. प्रियंका के मातापिता भी उन्हीं में से एक थे. बेटी के हावभाव से वे समझ जाते थे कि वह ससुराल से गुस्से में आई है. तब वह अपनी बेटी के साथसाथ दामाद को फोन पर समझाते थे. मांबाप के समझाने के बाद प्रियंका अपने भाई के साथ ससुराल लौट जाती थी.

एक बार की बात है, एक महीना मायके में रहने के बाद प्रियंका जब अकेली ही हल्द्वानी की तिकोनिया कालोनी में रह रहे पति के पास पहुंची तो वहां कमरे पर एक लड़की मिली. उस के पहनावे और साजशृंगार से लग रहा था, जैसे उस की शादी हाल में ही हुई है. कमरे में पति कृष्णा और उस लड़की के अलावा और कोई नहीं था. प्रियंका ने पति से उस लड़की के बारे में पूछा तो कृष्णा ने बताया कि यह उस की पत्नी सरिता है. उस ने इस से हाल ही में शादी की है.

इतना सुनते ही प्रियंका के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. गुस्से से उस का चेहरा लाल हो गया. कोई भी शादीशुदा औरत हर चीज सहन कर सकती है पर यह बात वह हरगिज सहन नहीं कर सकती कि उस का पति उस के होते हुए शौतन ले आए. वह गुस्से में बोली, ‘‘मुझ में और मेरे प्यार में क्या कमी थी जो तुम इसे ले आए. मैं कहे देती हूं कि मेरे जीतेजी इस घर में कोई और नहीं रह सकती. तुम तो बड़े ही छिपे रूस्तम निकले. लगता है मेरे मायके जाने का तुम इंतजार कर रहे थे, जो मेरे जाते ही इसे ले आए.’’ कहते हुए प्रियंका की आंखों में आंसू भर आए.

पत्नी की बातों पर कृष्णा को गुस्सा तो बहुत आ रहा था, लेकिन गलती कृष्णा की थी, इसलिए वह पत्नी की बातें सुनता रहा. नईनवेली दुलहन के सामने उसे बेइज्जती का सामना करना पड़ रहा था. प्रियंका का गुस्सा शांत हो गया तो कृष्णा ने उसे मनाने की कोशिश करते हुए समझाया, ‘‘प्रियंका, मेरी मजबूरी ऐसी हो गई थी जिस की वजह से मुझे यह शादी करनी पड़ी. इस से तुम हरगिज परेशान मत हो. मैं तुम्हारा पूरा ध्यान रखूंगा. तुम्हारे प्रति मेरा प्यार वैसा ही बना रहेगा. तुम दोनों ही इस घर में रहना.’’

प्रियंका को पति की बात पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था, लेकिन अब बोल कर कोई फायदा नहीं था. पहले ही वह उसे काफी सुना चुकी थी. इसलिए वह चुप्पी साधे रही. उस से कुछ कहने के बजाय वह कमरे में चली गई और रो कर उस ने अपना मन हलका किया.

कृष्णा ने फिर की 5 लाख की डिमांड

अब प्रियंका के मन में पति के प्रति पहले जैसा सम्मान नहीं रहा. खुद भी वह बेमन से वहां रही. कृष्णा उस के बजाए दूसरी पत्नी को ज्यादा महत्त्व देने लगा. वहां प्रियंका की स्थिति दोयम दरजे की हो कर रह गई थी. एक दिन कृष्णा ने प्रियंका से कहा कि बिजनेस के लिए उसे 5 लाख रुपए की जरूरत है. वह अपने मायके से 5 लाख रुपए ला दे.

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‘‘मैं अब और पैसे नहीं लाऊंगी. सीएफएल बल्ब की फैक्ट्री लगाने के लिए तुम मेरे घर वालों से 8 लाख रुपए पहले ही ले चुके हो. तुम ने वो पैसे तो लौटाए नहीं हैं.’’ प्रियंका बोली.

‘‘क्या मैं कहीं भागा जा रहा हूं, जो तुम इस तरह की बात कर रही हो. पिछली बात को तुम भूल जाओ. अब यह बात ध्यान से सुन लो कि तुम्हें हर हालत में 5 लाख रुपए लाने ही होंगे वरना इस घर में नहीं रह सकोगी. यहां तुम्हारी कोई जगह नहीं रहेगी.’’ कृष्णा सेन ने दो टूक कह दिया.

प्रियंका पति के सामने गिड़गिड़ाई कि अब उस के मायके वालों की ऐसी स्थिति नहीं है कि वह इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था कर सकें, पर पति का दिल नहीं पसीजा. उस ने प्रियंका को दुत्कारते हुए कहा कि वह यहां से चली जाए. पति के दुत्कारने के बाद प्रियंका के सामने मायके जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था. लिहाजा उस ने अपने भाई को फोन कर दिया और उस के साथ मायके चली गई.

प्रियंका ने मायके में पति कृष्णा द्वारा दूसरी शादी करने की बात बताई तो सभी आश्चर्यचकित होते हुए बोले, ‘‘पहली पत्नी के होते हुए उस ने दूसरी शादी कैसे कर ली.’’ इस के बाद प्रियंका ने अपने मांबाप को एकएक बात बता दी. कृष्णा के द्वारा प्रियंका पर ढाए गए जुल्मोसितम की बात सुन कर सभी को गुस्सा आ गया. मायके वालों ने तय कर लिया कि वे फरेबी कृष्णा सेन के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज करा कर उस के किए की सजा दिलाएंगे.

एक दिन प्रियंका अपने मांबाप के साथ थाना काठगोदाम पहुंची. वहां मौजूद थानाप्रभारी को उस ने अपनी प्रताड़ना की सारी कहानी बता दी. उस ने यह भी कह दिया कि शादी में अच्छाखासा दहेज देने के बाद भी पति कृष्णा सेन दहेज के लिए उसे प्रताडि़त करता था. एक बार उस ने पति के कहने पर अपने मांबाप से 8 लाख रुपए ला कर दिए थे वह पैसे तो उस ने लौटाए नहीं, अब 5 लाख रुपए और मांगने की जिद पर अड़ गया. पैसे न देने पर उस ने उसे घर से निकाल दिया.

थानाप्रभारी ने प्रियंका की पीड़ा सुनने के बाद भरोसा दिया कि वह उस के पति के खिलाफ सख्त काररवाई करेंगे. एक सप्ताह गुजर जाने के बाद भी थाना पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की तो प्रियंका फिर थाने पहुंची. थानाप्रभारी ने उसे फिर टरका दिया. थाने वाले 4 महीने तक उसे ऐसे ही टरकाते रहे. 4 महीने तक थाने के चक्कर लगातेलगाते वह थक चुकी थी पर थाने वाले कृष्णा सेन के खिलाफ रिपोर्ट नहीं लिख रहे थे.

9 अक्तूबर, 2017 को प्रियंका अपने भाई के साथ हल्द्वानी के एसएसपी जयप्रभाकर खंडूरी से मिली और काठगोदाम थानापुलिस द्वारा उस के पति के खिलाफ अभी तक कोई काररवाई न करने की शिकायत की.

एसएसपी ने प्रियंका की शिकायत को गंभीरता से लिया. उन्होंने उसी समय काठगोदाम एसएसआई संजय जोशी को फोन कर के आदेश दिया कि प्रियंका की तरफ से रिपोर्ट दर्ज कर आरोपी के खिलाफ तत्काल काररवाई करें.

थाने पहुंच कर प्रियंका एसएसआई से मिली तो उन्होंने बड़े गौर से उस की समस्या सुनी और उस की तहरीर पर उस के पति कृष्णा सेन के खिलाफ भादंवि की धारा 417, 419, 420, 467, 468, 471, 323, 504 व 506 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

चूंकि इस मामले में आदेश कप्तान साहब का था, इसलिए एसएसआई संजय जोशी एसआई मंजू ज्वाला और पुलिस टीम के साथ हल्द्वानी स्थित तिकोनिया कालोनी गए. आरोपी कृष्णा सेन तिकोनिया कालोनी में ही रहता था.

पुलिस जब उस के कमरे पर पहुंची तो वह वहां नहीं मिला. पता चला कि वह अपना किराए का मकान खाली कर के कहीं चला गया है.

पुलिस ने आरोपी कृष्णा सेन के बारे में जांच की तो पता चला कि वह कालाढूंगी में रह रहा है. पुलिस टीम ने कलाढूंगी में दबिश दी तो जानकारी मिली कि कृष्णा वहां से भी मकान छोड़ कर कहीं और जा चुका है और अब वह हरिद्वार के ज्वालापुर में अपनी दूसरी बीवी सरिता के साथ रह रहा है.

काठगोदाम पुलिस प्रियंका को ले कर ज्वालापुर पहुंची तो जानकारी मिली कि वह वहां पत्नी के साथ रहता तो था लेकिन कुछ देर पहले पत्नी को ले कर वहां से चला गया है.

पुलिस पड़ गई कृष्णा सेन के पीछे

कृष्णा सेन और पुलिस के बीच चूहेबिल्ली का खेल चल रहा था. कृष्णा सेन इतना शातिर था कि हर बार पुलिस को चकमा दे जाता था. उसे इस बात की तो जानकारी मिल ही गई थी कि उस की पत्नी प्रियंका ने उस के खिलाफ रिपोर्ट लिखा दी है. यदि वह किसी तरह प्रियंका को मना ले तो पुलिस से बचा सकता है. प्रियंका पर मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाने के लिए वह 14 फरवरी, 2018 को कोठगोदाम की चांदमारी कालोनी में पहुंचा.

प्रियंका इसी कालोनी में रहती थी. उसी दौरान किसी मुखबिर ने कृष्णा के बारे में थाने में सूचना दे दी. खबर मिलते ही एसएसआई संजय जोशी पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. उन्होंने कृष्णासेन को हिरासत में ले लिया.

थाने ला कर जब उस से पूछताछ की तो वह अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारता रहा. एसआई मंजू ज्वाला ने उस से कहा, ‘‘तुम सीधे नहीं बताओगे. लेकिन जब तुम पत्नी को धोखा देने, उस के साथ मारपीट करने. धमकी देने के अलावा दहेज कानून के तहत जेल जाओगे तब पता लगेगा.’’

‘‘मैडम, दहेज एक्ट तो मेरे ऊपर लग ही नहीं सकता. क्योंकि मैं खुद एक महिला हूं.’’ कृष्णा सेन ने कहा.

यह बात सुनते ही एसआई मंजू ज्वाला के साथ वहां मौजूद सभी पुलिसकर्मी कृष्णा सेन को गौर से देखने लगे.

‘‘मैडम मैं सही कह रही हूं, लड़का नहीं बल्कि मैं लड़की हूं.’’ उस ने फिर जोर दे कर कहा. अब पुलिस को मामला गंभीर नजर आने लगा. एसआई मंजू ज्वाला के दिमाग में एक सवाल यह भी आया कि जब यह लड़की है तो इस ने एक नहीं, बल्कि 2-2 लड़कियों से शादी क्यों की. एसआई संजय जोशी ने यह बात एसएसपी को बताई तो उन्होंने अभियुक्त को उन के सामने पेश करने को कहा.

एसएसआई संजय जोशी और एसआई मंजू ज्वाला अभियुक्त कृष्णासेन को कप्तान साहब के पास ले गए. एसएसपी ने भी आरोपी से पूछताछ की तो कृष्णा ने वही बात उन के सामने भी दोहरा दी.

कप्तान साहब को भी ताज्जुब इस बात से हो रहा था कि कृष्णा सेन ने लड़का बन कर प्रियंका के साथ शादी ही नहीं की बल्कि वह 4 सालों तक उस के साथ रही और प्रियंका को सच्चाई का पता ही नहीं चला. बहरहाल उन्होंने पुष्टि के लिए कृष्णा सेन को डाक्टरी के लिए महिला अस्पताल भेज दिया. महिला डाक्टर ने कृष्णा सेन का मैडिकल किया तो वास्तव में कृष्णा सेन एक महिला निकली. पुलिस को चकित कर देने वाला यह पहला मामला था.

लड़की होते हुए कृष्णा ने क्यों कीं 2 शादियां

कृष्णा सेन जब एक लड़की थी तो उस ने लड़का बन कर 2-2 लड़कियों के साथ शादी क्यों की. फिर वह अपना पति धर्म किस तरह से निभाती थी. इन सब बातों के बारे में पुलिस ने उस से पूछताछ की तो एक ऐसी कहानी निकल कर आई जिसे जान कर आप भी दंग रह जाएंगे.

कृष्णा सेन मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के धामपुर की गंगा कालोनी की रहने वाली थी. उस के पिता चंद्रसेन की मृत्यु के बाद मां निर्मला देवी ही घर संभालती थीं. कुल मिला कर वे लोग 2 बहन और 2 भाई थे. कृष्णा तीसरे नंबर की थी. कृष्णा सेन को घर में सब प्यार से स्वीटी कहते थे. कृष्णा को बचपन से ही लड़कों की तरह रहने की आदत थी. घर वाले भी उसे लड़कों के कपड़े पहनाते थे. वह लड़कियों के बजाय लड़कों के साथ ही खेलती थी.

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वह खुद को लड़का ही समझती थी. इतना ही नहीं उस ने अपने मांबाप से भी कह दिया था कि उसे लड़का ही समझें. घर में और बाहर भी वह बातचीत लड़कों की तरह करती थी. लड़कों की तरह ही वह छोटेछोटे बाल रखती यानी संबोधन में पुलिंग शब्द प्रयोग करती थी.

जब वह जवान हुई तो हार्मोन असंतुलन की वजह से उस के वक्षों का भी उभार नहीं हुआ. तब उस ने अपनी मां निर्मला देवी से कहा, ‘‘देख मम्मी, मैं लड़की नहीं लड़का ही हूं इसलिए शादी भी लड़की से ही करूंगा.’’ कृष्णा सेन लड़कों के कपड़े पहनती, मोटरसाइकिल भी तेज गति से चलाती थी.

कृष्णा ने फेसबुक पर कई दोस्त बना रखे थे. सन 2012 में उस की दोस्ती काठगोदाम निवासी प्रियंका से हुई. कृष्णा ने खुद को एक बिजनेसमैन का बेटा बताया. उस ने कहा कि उस के पिता चंद्रसेन की अलीगढ़ में सीएफएल बल्ब बनाने की फैक्ट्री है और वह पोस्टग्रैजुएशन कर रहा है.

अपनी लच्छेदार बातों में कृष्णा ने उसे फांस लिया. प्रियंका उसे लड़का ही समझ कर बात करती थी. दोनों ने एकदूसरे को अपने फोटो भी भेज दिए. फिर प्रियंका उसे दिलोजान से चाहने लगी.

करीब 6 महीने बाद 19 जनवरी, 2013 को प्रियंका की छोटी बहन की काठगोदाम में शादी थी. प्रियंका ने बहन की शादी में कृष्णा को भी आने का निमंत्रण दिया. अपनी शानशौकत दिखाने के लिए कृष्णा सेन किराए की कार ले कर प्रियंका की बहन की शादी में शमिल होने के लिए पहुंची.

प्रियंका ने उस की मुलाकात अपने घर वालों से कराई. प्रियंका के घर वाले भी कृष्णा को लड़का ही समझे. घर वालों को जब पता चला कि कृष्णा के पिता की सीएफएल बल्ब बनाने की फैक्ट्री है और वह खुद भी पोस्ट ग्रेजुएट है तो वह बहुत प्रभावित हुए. उन्होंने उस की अच्छी आवभगत की.

कृष्णा और प्रियंका की पहले की तरह ही दोस्ती चलती रही. कृष्णा ने जब प्रियंका से शादी की बात की तो प्रियंका ने कह दिया कि इस बारे में वह खुद आ कर उस के मांबाप से मिल ले.

बनठन कर रहने से कृष्णा जमाती थी अपना प्रभाव  जनवरी 2014 में कृष्णा सेन किसी की सफारी कार ले कर काठगोदाम में प्रियंका के घर पहुंच गई. अचानक कृष्णा को देख कर घर वाले चौंक गए. कृष्णा सेन ने उन्हें बताया कि वह प्रियंका को प्यार करता है और उस से शादी करना चाहता है.

प्रियंका के मातापिता को अब तक कृष्णा सेन के बारे में जो जानकारी मिली थी उस से यही पता चला कि कृष्णा एक अच्छे परिवार का पढ़ालिखा लड़का है. प्रियंका के भविष्य को देखते हुए वह उन्हें सही लगा, इसलिए उन्होंने कृष्णा की शादी वाली बात मान ली. घर वालों के सहमत होने पर प्रियंका और कृष्णा बहुत खुश हुए.

उधर कृष्णा सेन ने अपने घर वालों से कह दिया कि वह काठगोदाम की रहने वाली प्रियंका से शादी करना चाहता है. प्रियंका के घर वाले इस के लिए तैयार हैं.

यह बात सही थी कि प्रियंका और उस के घर वाले नहीं जानते थे कि कृष्णा लड़की है. वह तो उसे लड़का ही समझते थे, लेकिन कृष्णा की मां निर्मला देवी अच्छी तरह जानती थीं कि कृष्णा लड़का नहीं लड़की है. इस के बावजूद उस ने कृष्णा की शादी वाली बात का विरोध नहीं किया बल्कि खुशीखुशी उस की शादी प्रियंका से कराने के लिए तैयार हो गई. इतना ही नहीं, वह इस संबंध में प्रियंका के मांबाप से मिली और बातचीत कर के सगाई का दिन भी निश्चित कर दिया.

होटल में रचाई शादी

प्रियंका के घर वालों ने लेमन होटल में सगाई के कार्यक्रम का दिन निश्चित किया. तब निर्धारित तिथि पर कृष्णा अपनी मां निर्मला देवी, बहन सोनल और भाई गौरव को ले कर लेमन होटल पहुंच गई. सगाई के बाद 14 फरवरी, 2018 को कृष्णा घोड़ी, बैंडबाजे के साथ बारात ले कर प्रियंका के यहां पहुंची. बारात में उस के घर वाले, रिश्तेदार सहित करीब 50 लोग भी शामिल थे.

अब यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि बारात में शामिल अधिकांश लोग जानते थे कि कृष्णा लड़का नहीं लड़की है. वह पति की जिम्मेदारियां कैसे निभाएगी. इस के बावजूद भी वे प्रियंका की जिंदगी बरबाद होने की शुरुआत होने के गवाह बनने को आतुर थे. लड़की वालों ने शादी के लिए हल्द्वानी का देवाशीष होटल बुक करा रखा था.

बहरहाल 14 फरवरी, 2018 को बैंडबाजे के साथ कृष्णा सेन की बारात हल्द्वानी के देवाशीष होटल पहुंची और सामाजिक रीतिरिवाज से विवाह संपन्न होने के बाद प्रियंका कृष्णा सेन की पत्नी बन कर धामपुर चली गई.

प्रियंका के घर वालों ने अपनी हैसियत के अनुसार उसे दहेज भी दिया. शादी के बाद अपनी नवविवाहिता से शारीरिक संबंध बनाने के लिए कृष्णा ने औनलाइन  बुकिंग कर के कृत्रिम लिंग मंगा लिया था. कमरे में अंधेरा करने के बाद उस कृत्रिम लिंग को बेल्ट से बांध कर उस ने अपनी सुहागरात मनाई. इसी के द्वारा वह प्रियंका को संतुष्ट करती थी. प्रियंका उस के साथ रह कर खुश थी.

किसी को उस पर शक न हो इसलिए वह सिगरेट और शराब भी पीने लगी थी. लड़कों की तरह वह तेज गति से मोटरसाइकिल चलाती थी.

एक दिन कृष्णा ने प्रियंका को विश्वास में ले कर कहा, ‘‘प्रियंका मैं भी अपने पिता की तरह सीएफएल बल्ब की फैक्ट्री लगाना चाहता हूं. मैं काम शुरू करने के लिए अपने पिता से कोई आर्थिक सहयोग नहीं लेना चाहता. ऐसा करो कि तुम अपने घर वालों से ही 8 लाख रुपए का इंतजाम करा दो तो मैं हल्द्वानी या हरिद्वार में सीएफएल बल्ब की अपनी फैक्ट्री लगा लूंगा.’’

यह बात प्रियंका को भी अच्छी लगी कि जब अपनी फैक्ट्री लग जाएगी तो वह भी पति के काम में हाथ बंटा दिया करेगी. यही सोच कर प्रियंका ने अपने मांबाप से जिद कर के कृष्णा के लिए 8 लाख रुपए दिलवा दिए.

ससुराल से पैसे मिले ही कृष्णा ने सेवरले कंपनी की एक नई कार और एक बाइक खरीदी. प्रियंका के घर वालों को शक हुआ कि दामाद ने तो बिजनेस शुरू करने के लिए पैसे लिए थे पर वह तो गाडि़यां खरीद लाया. उन्होंने इस बारे में कृष्णा से बात की तो उस ने बताया कि बड़ा कारोबार है. फैक्ट्री खोलने के लिए मेरे पास पैसा है, लेकिन कारोबार चलाने के लिए कार का होना जरूरी है.

शादी के बाद कृष्णा सेन प्रियंका से दूर रहने लगी थी. वह 10-15 दिन तक घर नहीं आती थी. बाद में कृष्णा ने हल्द्वानी की तिकोनिया कालोनी में एक मकान किराए पर ले लिया. किराए के मकान में भी वह 10-15 दिन तक घर नहीं आती तो प्रियंका उस से इस बारे में पूछती. तब वह कह देती कि बिजनैस के सिलसिले में उसे अलगअलग शहरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं.

अब वह शराब पी कर भी आने लगी थी. प्रियंका उस से शराब पीने को मना करती तो वह उसे धमका देती थी. इस के अलावा धमकी भी दे देती कि मेरे बडे़ लोगों से संबंध हैं. उस के डर की वजह से प्रियंका डरीसहमी सी रहती थी. धीरेधीरे उन का जुबानी झगड़ा मारपीट पर पहुंचने लगा. इस परेशानी के चलते जब प्रियंका का मन होता, वह कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली जाती थी.

इसी बीच कृष्णा सेन ने कालाढूंगी के रहने वाले अपने दोस्त की बहन सरिता को भी अपने प्रेमजाल में फांस लिया. सरिता उस समय 12वीं कक्षा में पढ़ रही थी. फिर दोस्त के घर वालों की सहमति से उस ने 14 अप्रैल, 2016 को सरिता से भी शादी कर ली. प्रियंका उस समय अपने मायके में थी. कृष्णा सेन दूसरी पत्नी सरिता को अपने तिकोनिया कालोनी वाले घर में ले आई. साथ रहने के बावजूद सरिता को यह पता नहीं लग सका कि जिस कृष्णा को वह पति समझती है, वह खुद एक लड़की है.

सरिता को यह भी जानकारी नहीं थी कि कृष्णा पहले से शादीशुदा है. उस के पहले से शादीशुदा होने वाली बात तो तब पता लगी जब प्रियंका ने हंगामा किया था. इस के बाद कृष्णा अपनी दोनों बीवियों को धमकी देती रही कि वे शांत हो कर रहें, नहीं तो उन के मायके वालों को नुकसान हो सकता है.

दोनों पत्नियां करीब 4 महीने तक साथसाथ रहीं. यानी कृष्णा दोनों को धमकाती रही. इस के बाद प्रियंका और सरिता अपने मायके चली गईं. उन के जाने के बाद कृष्णा ने तिकोनिया कालोनी वाला मकान खाली कर दिया.

प्रियंका कृष्णा सेन के साथ करीब 4 सालों तक रही लेकिन वह उस की सच्चाई नहीं जान सकी. पति की कुछ बातों को ले कर प्रियंका को एक दो बार शक जरूर हुआ लेकिन उस ने उसे गंभीरता से नहीं लिया.

कृष्णा कभी भी खुले में अपने कपड़े नहीं बदलती थी. दूसरे वह अन्य मर्दों की तरह खुले में पेशाब नहीं करती थी. जब वह उस के साथ वैष्णो देवी गई तो कृष्णा ने हमेशा दरवाजे वाला बाथरूम ही प्रयोग किया था. अब हकीकत सामने आने पर प्रियंका की समझ में आ गया कि वह ऐसा क्यों करती थी.

कृष्णा के गिरफ्तार होने के बाद पुलिस को एक और जानकारी यह मिली कि वह एक जालसाज है. उस ने शहर के कई लोगों के साथ ठगी की थी. उस ने हल्द्वानी के एक कारोबारी से करीब डेढ़ लाख रुपए का फरनीचर बनवाया था, जिस के पैसे उस ने कारोबारी को नहीं दिए थे.

और लोगों को भी ठगा कृष्णा ने शहर में ही मंगल पड़ाव स्थित मोबाइल की एक दुकान से उस ने करीब डेढ़ लाख रुपए की कीमत का एक आईफोन लिया था. उस ने दुकानदार को इस के बदले जो चेक दिया था वह वाउंस हो गया था. तब दुकानदार ने कृष्णा सेन के खिलाफ न्यायालय में केस दायर कर दिया था.

दूसरी पत्नी सरिता के घर वालों से भी उस ने 65 हजार रुपए ठगे थे. इस के अलावा उस ने हरिद्वार के ज्वालापुर में रहने वाली एक शादीशुदा महिला को भी अपने प्रेमजाल में फांस रखा था.

पुलिस ने कृष्णा सेन उर्फ स्वीटी से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उसे न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया. जेल में बैरक में भेजने से पहले जेल प्रशासन ने उस की 2 बार जांच कराई. जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने खुद पुलिस और न्यायालय से आए सभी दस्तावेजों को गौर से देखा.

जेल में महिला कर्मचारियों ने उस की 2 बार सघन तलाशी ली. जब जेल प्रशासन को इस बात की पुष्टि हो गई कि कृष्णा सेन महिला है, तभी उसे महिला बैरक में भेजा गया.

पुलिस को यह बात समझ नहीं आ रही कि कृष्णा सेन के घर वालों को जब उस के लड़की होने की जानकारी थी तो उन्होंने प्रियंका से उस की शादी क्यों कराई. पुलिस उस के घर वालों से पूछताछ कर यह पता लगाएगी कि कहीं ठगी के धंधे में घर वाले तो शरीक नहीं थे.

पुलिस ने कृष्णा सेन का राशन कार्ड बरामद कर लिया है, जिस में वह फीमेल के रूप में दर्ज है. जबकि उस के पैन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड में उसे मेल दर्शाया गया है. कथा लिखे जाने तक पुलिस मामले की जांच कर रही थी.

– कथा में सरिता परिवर्तित नाम है.

सैकेंड हैंड किताबों की आउटलेट

दुनिया, देश या समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो किसी व्यक्ति की काबिलियत पर ध्यान देने के बजाए उस की शारीरिक कमतरी पर ज्यादा ध्यान देते हैं. इतना ही नहीं कुछ लोग तो यही समझ बैठते हैं कि शारीरिक दोष वाले व्यक्ति प्रतिभाशाली नहीं होते. जबकि दुनिया इस बात को जानती है कि शारीरिक विकलांगता वाले लोगों ने जब भी हठ और जुनून के साथ काम किया तो उन्होंने नया इतिहास ही रचा है.

बेंगलुरु के प्रतिष्ठित कालेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले सुशांत झा के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ. उन के शरीर में एक मामूली सा दोष था. उन का ऊपरी होंठ कटा हुआ था. सुशांत ने इसे कोई कमी नहीं समझा बल्कि अपनी आंखों में ढेरों सपने ले कर एक प्रतिष्ठित संस्थान से इंजीनियरिंग करने लगे. उन का सपना था कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उन का कैरियर सफल होगा.

पर कालेज प्लेसमेंट के दौरान किसी भी कंपनी ने उन्हें नहीं लिया. इस की वजह यही रही कि उन का होंठ कटा हुआ था, जिस की वजह से वह ठीक से बोल भी नहीं पाते थे. सारी कंपनियों ने उन्हें पहली स्पीच के बाद ही रिजेक्ट कर दिया था.

किसी ने भी उन से पढ़ाई से संबंधित टैक्निकल सवाल नहीं किया. सुशांत को खुद के सलेक्ट न होने का ज्यादा दुख तो नहीं हुआ लेकिन उन्हें इस बात का अफसोस जरूर हुआ कि किसी ने उन की योग्यता को परखने तक की कोशिश नहीं की.

इस के बाद सुशांत ने बाहर भी नौकरी ढूंढी पर वही निराशा ही हाथ लगी. उन्होंने अपनी स्किल्स और बढ़ाने का फैसला लिया. उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएशन किया. मैट (रू्नञ्ज) में अच्छा स्कोर करने के बावजूद बिजनैस स्कूलों में भी उन्हें नजरअंदाज किया. अनेक जगह इंटरव्यू देने पर भी सफलता नहीं मिली. यानी एमबीए करने के बाद भी उन्हें तकरीबन 40 कंपनियों से रिजेक्शन का सामना करना पड़ा.

सुशांत एमबीए करने के बाद करीब 2 साल तक घर पर ही खाली बैठे रहे जबकि परिवार चलाने के लिए नौकरी या कोई काम करना जरूरी था. चारों तरफ से निराशा मिलने के बाद सुशांत ने अपना ही कोई काम करने की सोची.

इस संबंध में सुशांत ने अपने भाई प्रशांत से बात की. उन्होंने सुझाव दिया कि कोई ऐसा काम शुरू करो जिस में किताबें जरूर शामिल हों. ऐसा क्या काम हो सकता है. इसी बारे में दोनों भाइयों ने लंबे समय तक विचारविमर्श किया.

तभी सुशांत को अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई वाले दिन याद आ गए कि छात्र पढ़ाई के लिए महंगी किताबें खरीदते हैं और बाद में वही किताबें सस्ते दामों पर कबाड़ी को बेच दी जाती हैं. उन्होंने सोचा कि क्यों न ऐसा काम शुरू किया जाए कि जरूरतमंदों को महंगी किताबें सैकेंड हैंड वाली उपलब्ध कराई जाएं. इसी सोच के साथ उन्होंने सन 2014 में बोधि ट्री नालेज सर्विसेज ऐंड इनिशिएटिव पढ़ेगा इंडिया इंनिशिएटिव नाम से एक कंपनी रजिस्टर्ड करा ली.

शुरुआत में दोनों भाइयों ने सब से पहले दिल्ली में सैकेंड हैंड बुक्स के बाजार ढूंढे. फिर वहां के 40-50 वैंडरों से उन्होंने टाइअप किया. दक्षिण दिल्ली में औफिस खोलने के बाद अब उन्होंने ऐसे लोगों को तलाशा जो महंगी नई पुस्तकों को नहीं खरीद सकते. ऐसे लोगों को उन्होंने सैकेंड हैंड पुस्तकें उपलब्ध करानी शुरू कर दीं. वह किताबें रेंट पर भी देने लगे.

सुशांत का कहना है कि एक साल में प्रति व्यक्ति 10 किलोग्राम कागज की खपत होती है. सैकेंड हैंड किताबों की विक्री और रेंट पर देने से किताबों की उपलब्धता बढ़ेगी. जिस से देश में कागज की मांग में गिरावट आएगी. जब कागज की मांग कम होगी तो पेड़ों की कटाई में भीकमी आएगी. इस से पर्यावरण का संतुलन भी बना रहेगा.

इस के लिए सुशांत ने अपनी वेबसाइट पर ‘ग्रीन काउंट’ नाम से एक स्केल भी लगाया है जो यह मापता है कि उन की बिक्री या रेंट से कागज की मांग में कितनी कमी आई है और उस से कितने पेड़ कटने से बच गए. एक ग्रीन काउंट का अर्थ 40 ग्राम पेपर को फिर से प्रयोग में लाना माना जाता है.

सुशांत का कहना है कि कोई भी व्यक्ति उन्हें अपनी पुरानी किताबें बेच सकता है या फिर डोनेट कर सकता है. वह सैकेंड हैंड किताबें बिना किसी अतिरिक्त चार्ज के घरों से भी कलेक्ट कर लेते हैं.

पढ़ेगा इंडिया अभी साउथ दिल्ली और एनसीआर में ही उपलब्ध है. लेकिन दोनों भाई जल्द ही बेंगलुरु में एक आउटलेट खोलने की योजना बना रहे हैं. सुशांत के इस इनिशिएटिव को हाल ही में डिपार्टमेंट औफ इंडस्ट्रियल प्रमोशन ऐंड पौलिसी ने स्टार्टअप के रूप में संस्तुति दी है. अब वह किसी इन्वेस्टर की तलाश में हैं, अभी तक उन्हें इन्वेस्टर नहीं मिला है.

सुशांत का सपना भारत के हर जिले में अपना आउटलेट खोलने की है.

संजू : महिमामंडन करने वाली फिल्म में रणबीर कपूर का दमदार अभिनय

‘‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’’ व ‘‘पीके’’ सहित कई सफल फिल्में निर्देशित कर चुके फिल्मकार राजकुमार हिरानी पहली बार अपने दोस्त व अभिनेता संजय दत्त के जीवन पर बायोपिक फिल्म ‘‘संजू’’ लेकर आए हैं. पूरी फिल्म देखकर एक बात उभरकर सामने आती है कि फिल्मकार का मकसद कई बुराइयों के बावजूद संजय दत्त को एक साफ सुथरी इमेज वाला कलाकार बताना ही रहा है और इसके लिए फिल्म में संजय दत्त की इमेज को बिगाड़ने या उन्हें टाड़ा के तहत गिरफ्तार किए जाने पर भी संजय दत्त की इमेज खराब करने के लिए अखबार, न्यूज चैनलों व पत्रकारिता को ही कटघरों में खड़ा किया गया है. इसी के चलते फिल्मकार ने फिल्म में संजय दत्त के व्यक्तिगत जीवन को पेश करने से खुद को दूर ही रखा.

फिल्म शुरू होती है संजय दत्त को पांच वर्ष की सजा सुनाए जाने की खबर से. इस खबर को संजय दत्त व मान्यता दत्त अपने छोटे बच्चों के साथ टीवी पर देखते हैं. संजय नहीं चाहते कि लोग उनके बच्चों को टेरेरिस्ट के बच्चे कहकर बुलाएं, इसलिए आत्महत्या करना चाहते हैं, पर मान्यता दत्त यह कह कर रोक लेती हैं कि इससे उन्हे छुटकारा मिल जाएगा, पर बच्चों को नहीं.

उसके बाद मान्यता के कहने पर संजय दत्त एक मशहूर विदेशी लेखक विनी (अनुष्का शर्मा) को अपने जीवन की दास्तान सुनाते हैं. संजय दत्त चाहते हैं कि विनी उनकी आत्मकथा रूपी किताब लिखें. पर विनी एक टेरेरिस्ट की जिंदगी पर किताब नहीं लिखना चाहती. संजू उन्हें समझाता है कि अखबारों में जो छपा वह सच नहीं है. खैर, संजू की कहानी सुनने के लिए दूसरे दिन शाम को विनी मिलने आने वाली होती है, पर सुबह समुद्र के किनारे बीच पर टहलते हुए जुबिन मिस्त्री (जिम सरभ), विनी से मिलकर कहता है कि वह संजू पर किताब न लिखे, क्योंकि वह टेरेरिस्ट है. पर नाटकीय घटनाक्रम के बाद विनी, संजू से उसकी कहानी सुनने बैठ जाती है.

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फिर कहानी शुरू होती है सुनील दत्त (परेश रावल) और नरगिस दत्त (मनीषा कोईराला) के बेटे संजय दत्त उर्फ संजू बाबा (रणबीर कपूर) की पहली फिल्म ‘‘रौकी’’ की शूटिंग से, जिसे स्वयं सुनील दत्त बना रहे होते हैं. किस तरह संजू का दोस्त बना ड्रग्स पैडलर जुबिन मिस्त्री, संजू को सिगरेट व ड्रग्स की लत डालता है. पहली फिल्म में किस तरह से संजू ने अभिनय किया. संजू का अपने माता पिता से औरतबाजी, शराब, ड्रग्स सहित सभी बुरी आदतों को छिपाना, नरगिस दत्त का बीमार होना, अमेरिका के अस्पताल में नरगिस दत्त जब कोमा में चली जाती हैं तब नरगिस दत्त और सुनील दत्त के प्रशंसक कमलेश उर्फ कमली (विक्की कौशल) से संजू की मुलाकात, फिल्म रौकी’ के प्रदर्शन से तीन दिन पहले नरगिस दत्त की मौत हो जाना, रौकी के बाद बुरी लतों के चलते संजू को फिल्में न मिलना, कमलेश की सलाह पर सुनील दत्त का संजू को अमेरिका के रिहैब सेंटर ले जाना, संजू का रिहैब सेंटर से भागना, सड़क पर भीख मांगकर बस का किराया इकट्ठा कर कमलेश के घर पहुंचना, फिर दुबारा रिहैब सेंटर जाना. बुरी लत छूटने के बाद फिल्में मिलना शुरू होना. जुबिन का सच भी सामने आता है.

तभी 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद तोड़ने की घटना के बाद संजू को अंडरवर्ल्ड से धमकियां मिलना, उनसे बचने के लिए संजू का अपने घर में ‘एके 56’ राइफल रखना व पकड़े जाना. अखबार में संजय दत्त के घर के बाहर आरडीएक्स से भरा ट्रक का पकड़े जाने की खबर का छपना और कमलेश का संजय से दूर हो जाना, सुनील दत्त की मौत सहित कई कहानियां संजू सुनाते हैं.

इस बीच संजू को बाइज्जत बरी कराने के लिए सुनील दत्त की अपनी जद्दोजहद की कहानी भी सामने आती है. पांच साल तक जेल की सजा काटकर जब संजू बाहर निकलते हैं तो कमलेश उनसे मिलता है. संजय दत्त की पत्नी मान्यता दत्त (दिया मिर्जा) हमेशा उनके साथ चट्टान बनकर खड़ी नजर आती हैं.

यूं तो फिल्म की शुरुआत के दस मिनट काफी शुष्क व धीमी गति के हैं, पर फिर फिल्म गति पकड़ती है. फिल्म के पटकथा लेखक – अभिजात जोशी और राज कुमार हिरानी ने संजय दत्त के जीवन की सर्वविदित कहानी को भी इतने रोचक तरीके से सेल्यूलाइड के परदे पर पेश किया है कि दर्शक टकटकी बांधे फिल्म देखता रहता है.

फिल्म में तमाम भावनात्मक दृश्यों के दौरान दर्शकों की आंखे भी नम होती है. राज कुमार हिरानी का निर्देशन भी कमाल का है. मगर फिल्म में कई जगह एडिटिंग कर दृश्यों को छोटा करने की जरुरत महसूस होती है. कई जगह फिल्म ढीली भी होती है. पूरी फिल्म देखने के बाद एक ही बात उभरकर आती है कि यह फिल्म संजय दत्त का महिमा मंडन करने के लिए बनाई गई है और जिस तरह से फिल्म में अखबार, न्यूज चैनल व पत्रकारिता को कोसा गया है, उससे फिल्म खराब ही हुई है और यह लेखक व निर्देशक के तौर पर राज कुमार हिरानी की सबसे बड़ी कमजोरी है. राज कुमार हिरानी ने पूरी फिल्म में संजय दत्त को मीडिया द्वारा शोषित कलाकार ही चित्रित किया गया है. फिल्म का क्लायमेक्स अटपटा सा है.

फिल्म में एक जगह संजय दत्त कबूल करते हैं कि उनके 308 औरतों से संबंध रहे हैं. पर संजय दत्त के कई हीरोईनो संग इश्क की कहानियों, मान्यता दत्त से शादी की कहानी, पहली पत्नी रिचा शर्मा और बेटी त्रिशाला, कलाकारों के बीच दोस्ती, मित्रता, नफरत के रिश्ते आदि को लेकर एक शब्द नहीं कहा गया. ऐसे में फिल्म ‘संजू’ संजय दत्त की बायोपिक फिल्म कैसे हो गई?

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो यह फिल्म रणबीर कपूर, परेश रावल व विक्की कौशल की है. रणबीर कपूर खुद को पूर्णरूपेण संजय दत्त के किरदार में ढालने में सफल रहे हैं. रणबीर कपूर ने साबित कर दिखाया कि उनके अंदर अभिनय क्षमता कूट कूट कर भरी हुई है. मगर उन्हें अच्छे निर्देशक, अच्छी पटकथा व किरदार न मिले, तो वह क्या करें. परेश रावल के साथ रणबीर कपूर के सभी दृश्य जीवंत बनकर उभरे हैं.

संजय दत्त की बौडी लैंगवेज के साथ ही संजय दत्त के माइंडसेट/दिमागी सोच को समझने में भी रणबीर कपूर पूरी तरह से सफल रहे हैं. सुनील दत्त के किरदार में परेश रावल से बेहतर कोई हो ही नहीं सकता था. नरगिस दत्त के किरदार में मनीषा कोईराला का भी अभिनय ठीक ठाक है. कमलेश उर्फ कमली के किरदार में विक्की कौशल ने एक बार फिर अपने अभिनय का जादू दिखा दिया है. वहीं संजय दत्त की प्रेमिका रूबी के छोटे से किरदार में सोनम कपूर अपनी छाप छोड़ जाती हैं.

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अनुष्का शर्मा के हिस्से कुछ खास करने को है नहीं. जिम सरभ ने नकारात्मक जुबिन मिस्त्री के किरदार में जबरदस्त अभिनय किया है. दर्शकों को रणबीर कपूर के बेहतरीन अभिनय का रसास्वादन करने के लिए फिल्म ‘संजू’ देखनी चाहिए. यदि फिल्मकार की ईमानदार कोशिश की चाह रखकर सिनेमाघर जाएंगे, तो सिर्फ निराशा ही हाथ लगेगी.

दो घंटे 21 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘संजू’’ का निर्माण विधु विनोद चोपड़ा व राज कुमार हिरानी ने किया है. फिल्म के निर्देशक राज कुमार हिरानी, पटकथा लेखक अभिजात जोशी व राज कुमार हिरानी, कैमरामैन रवि वर्मन, एडीटर राज कुमार हिरानी तथा कलाकार हैं- रणबीर कपूर, दिया मिर्जा, परेश रावल, मनीषा कोईराला, अनुष्का शर्मा, विक्की कौशल, जिम सरभ, सोनम कपूर, बोमन ईरानी, महेश मांजरेकर, संजय दत्त, अदिति गौतम, अरशद वारसी व अन्य.

कुलदीप यादव ने आयरलैंड के खिलाफ बना दिया विश्व रिकौर्ड

भारतीय टीम ने आयरलैंड को पहले टी-20 मैच में 76 रन से हरा दिया. टीम इंडिया की इस जीत के हीरो रोहित शर्मा, शिखर धवन और लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाज़ कुलदीप यादव रहे. रोहित शर्मा और शिखर धवन ने जहां अर्धशतक ठोके तो वहीं कुलदीप यादव ने चार आयरिश बल्लेबाज़ों को अपनी फिरकी के फंदे में फंसाया. इस मैच में कुलदीप यादव ने एक विश्व रिकौर्ड भी अपने नाम कर लिया.

कुलदीप ने बनाया विश्व रिकौर्ड

कुलदीप यादव ने इस मैच में 4 ओवर में 21 रन देकर चार विकेट लिए. इसी के साथ कुलदीप यादव अब अंतरराष्ट्रीय टी-20 मुकाबलों में सबसे ज्यादा (16) विकेट लेने वाले लेफ्ट आर्म रिस्ट स्पिनर बन गए हैं. इससे पहले ये रिकौर्ड नीदरलैंड्स के लेफ्ट आर्म रिस्ट स्पिनर माइकल रिपन के नाम था. रिपन ने 17 टी-20 मैच में 15 विकेट चटकाए थे, लेकिन आयरलैंड के खिलाफ चार विकेट लेकर कुलदीप ने उन्हें पीछे छोड़ दिया.

कुलदीप ने किया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

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कुलदीप ने इस मैच में सिर्फ 21 रन देकर चार शिकार किए और ये क्रिकेट के सबसे छोटे फौर्मेट में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा. उनके इस बेहतरीन प्रदर्शन के लिए कुलदीप को मैन औफ द मैच का अवौर्ड भी मिला. टी-20 क्रिकेट में इससे पहले उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2017 में श्रीलंका के खिलाफ इंदौर में आया था. उस मैच में यादव ने 4 ओवर में 52 रन देकर तीन विकेट हासिल किए थे.

रिपन से काफी आगे कुलदीप

कुलदीप यादव ने रिपन का विश्व रिकौर्ड तो तोड़ा ही, लेकिन खास बात ये रही कि उन्होंने ये रिकौर्ड उनके करीब-करीब आधे मैच खेलकर तोड़ा है. रिपन ने 17 टी-20 मैच में 15 विकेट चटकाए थे, लेकिन कुलदीप ने ये काम अपने नौवें टी-20 मैच में ही कर दिया.

यादव ने पहली बार किया ये काम

आयरलैंड के खिलाफ खेला गया ये भारतीय टीम का 100वां टी-20 मैच था. इस मैच में इस फिरकी गेंदबाज ने एक ऐसा काम कर दिया, जो ये इससे पहले अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैच में कभी नहीं कर सके थे. इस मैच में कुलदीप ने एक मेडन ओवर भी फेंका और ये अंतरराष्ट्रीय टी-20 क्रिकेट में उनका पहला मेडन ओवर रहा. इससे पहले उन्होंने 8 टी-20 मैच खेले थे और इन सभी मुकाबलों में वो कभी भी मेडन ओवर फेंकने में सफल नहीं हुए थे.

आखिर कैसे बर्बाद हो गए विजय माल्या, क्या थी उनकी गलती

‘किंग औफ गुड टाइम्स’ के नाम से मशहूर विजय माल्या भारत आने को बेताब हैं. भारतीय बैंकों का 9 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज भी चुकाने को तैयार हैं. करीब 2.5 साल बाद विजय माल्या ने भारत लौटने की इच्छा जाहिर की है. कभी भारत के मशहूर कारोबारियों में शुमार विजय माल्या के बर्बादी की कहानी पूरी फिल्मी है.

कहा जाता है कि फिल्मी घराने से लेकर कौरपोरेट लौबी तक और खेल जगत में भी माल्या का सिक्का चलता था. पार्टीज और रंगीनियों के लिए माल्या मशहूर थे, यही वजह थी कि उन्हें किंग औफ गुड टाइम्स कहा जाता था. लेकिन, एक गलती ने इस बिजनेस टायकून का पूरा तख्तो-ताज पलटकर रख दिया और ‘किंग औफ गुड टाइम्स’ बन गया ‘किंग औफ बैड टाइम्स.’

इस लेख में हम जानेंगे विजय माल्या की उन गलतियों के बारे में जो वक्त के साथ उनपर भारी पड़ गई और एक गलती की वजह से विजय माल्या आज किस हालत में हैं पूरी दुनिया इस बात को जानती है. तो चलिये आपको बताते हैं विजय माल्या द्वारा की गई गलतियों के बारें में जिसने माल्या को अर्श से फर्श पर पहुचा दिया है.

2007 में हुई थी बड़ी गलती

साल 2005 में विजय माल्या ने किंगफिश एयरलाइंस की शुरुआत की थी. उनका किंगफिशर एयरलाइंस को एक बड़ा ब्रैंड बनाने का सपना था. इसीलिए माल्या ने साल 2007 में देश की पहली लो कौस्ट एविएशन कंपनी एयर डेक्कन का टेकओवर किया था. इसके लिए उन्होंने 30 करोड़ डौलर यानी 1,200 करोड़ रुपए (2007 में 1 डौलर लगभग 40 रुपए के बराबर था) की भारी रकम खर्च की थी. साल 2007 में किया गया एक सौदा माल्या के लिए सबसे बड़ी गलती साबित हुआ. इस सौदे के पांच साल के भीतर माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस बंद हो गई और उनका पूरा कारोबारी साम्राज्य लगभग खत्म हो गया.

दूसरी बड़ी एविएशन कंपनी

इस सौदे से माल्या को तत्‍काल फायदा तो हुआ और 2011 में किंगफिशर देश की दूसरी बड़ी एविएशन कंपनी भी बन गई. लेकिन, कंपनी एयर डेक्कन को खरीदने के पीछे के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई और बढ़ती फ्यूल कौस्ट ने औपरेशन लागत बढ़ा दी. इससे कंपनी को बड़ा घाटा उठाना पड़ा.

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आखिरकार बंद हो गई किंगफिशर

माल्या ने एक और गलत फैसला लिया. माल्या ने एयर डेक्कन के साथ गोद लिए हुए बेटे की तरह व्यवहार किया. विलय के बाद माल्या को उम्मीद थी कि एयर डेक्कन के कस्टमर किंगफिशर की ओर रुख करेंगे, लेकिन इसका उल्‍टा होने लगा. आखिर में एयर डेक्कन (किंगफिशर रेड) के कस्टमर दूसरी लो कौस्ट एयरलाइंस की ओर रुख करने लगे. इस प्रकार अक्टूबर 2012 में किंगफिशर एयरलाइंस बंद हो गई. इसका असर माल्या के कारोबारी साम्राज्य पर भी पड़ा, जो अब लगभग खत्म होने के कगार पर है.

माल्या की फेल होती रणनीति

साल 2012: किंगफिशर एयरलाइंस का स्टाफ सैलरी नहीं मिलने के विरोध में हड़ताल पर चले गए. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने किंगफि‍‍शर एयरलाइंस (केएफए) के अकाउंट्स सीज कर लिए और केएफए का परिचालन बंद हो गया. अक्टूबर में सरकार ने केएफए का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया. वहीं, माल्‍या ने कर्ज का बोझ कम करने के लिए अपनी शराब कंपनी यूनाइटेड स्प्रिट्स में हिस्‍सेदारी बेचने की पेशकश की. ब्रिटिश कंपनी डियाजियो हिस्‍सा खरीदने के लिए राजी हो गई.

सन 2013: डियाजियो ने 6,500 करोड़ रुपए में यूएसएल की 27 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली. लेकिन, केएफए को कर्ज देने वालों को पैसे वापस नहीं दिए गए.

सन 2014: यूनाइटेड बैंक ने यूनाइटेड ब्रुवरीज होल्डिंग्स को जानबूझकर कर्जा नहीं चुकाने वाला घोषित कर दिया.

सन 2015: डियाजियो ने माल्या को कहा कि वह यूनाइटेड स्प्रिट्स के चेयरमैन का पद छोड़ दें, लेकिन माल्या ने इनकार कर दिया.

सन 2016: डियाजियो के साथ समझौते के तहत चेयरमैन का पद छोड़ा और बदले में उन्हें 515 करोड़ रुपए मिले. लेकिन, बैंकों के आग्रह पर डेट रिकवरी ट्रिब्‍यूनल ने पैसे निकालने पर रोक लगा दी.

क्यों हुई विजय माल्या की यह हालत

शराब का व्यवसाय उन्हें पिता विट्ठल माल्या से विरासत में मिला था. उन्होंने देश के प्रतिष्ठित मैनेजमेंट संस्थानों से लोगों को चुना और इस शराब उद्योग को एक कार्पोरेट रूप दिया. लेकिन, झटके में नई कंपनियां खरीदने की उनकी आदत और कई बार तो बिना बही-खाते की जांच के ही फैसला लेने की वजह से विजय माल्या की यह हालत हो गई है. माल्या ने किंगफिशर एयरलाइन इस मकसद से शुरू की कि उन्हें शराब कारोबारी नहीं बल्कि शराब उद्योगपति समझा जाए. यही वजह थी कि वो अपनी एयरलाइन में यात्रियों को वो सारे सुख देना चाहते थे, जो कोई और कंपनी सोचती भी नहीं थी.

मुनाफे पर पड़ा बुरा असर

यात्रियों के लिए उन्होंने मंहगी विदेशी पत्र-पत्रिकाएं मंगवाई, पर शायद वे कभी गोदाम से बाहर निकल ही नही पाईं. कंपनी के मुनाफे पर इन बातों का बुरा असर पड़ना ही था. यही वजह से रही कि समय-समय पर कर्ज लेने वाले माल्या पर बोझ इतना बढ़ गया कि वह उसे चुकाने में ही नाकाम साबित हुआ और देश छोड़कर फरार हो गया.

अपने बेटे की शादी में नीता अंबानी ने डांस कर लगाया चार चांद

मुकेश अंबानी और नीता अंबानी के बड़े बेटे आकाश अंबानी की सगाई एक भव्‍य कार्यक्रम में गुरुवार को श्लोका मेहता के साथ मुंबई में हुई. जैसा की अक्‍सर होता है, अंबानी के किसी भी फंक्‍शन में बौलीवुड सितारे दिल खोलकर शिरकत करते हैं. ऐसा ही कुछ गुरुवार को भी हुआ, जब शाहरुख खान, प्रियंका चोपड़ा, रणबीर कपूर और आलिया भट्ट जैसे कई बड़े सितारे इस महफिल में पहुंचे.

लेकिन इन बड़े-बड़े सितारों की चमक के बीच नीता अंबानी के डांस ने सोशल मीडिया पर जैसे सभी का ध्‍यान अपनी तरफ खींच लिया है. बेटे की सगाई के इस मौके पर नीता अंबानी ने बेहद शानदार डांस किया. तो वहीं मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी ने भी घर में आने वाली इस नई दुल्‍हन का पूरे रीति रिवाज से स्‍वागत किया.

गुरुवार को मुंबई में मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया में ही इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस फंक्‍शन के कुछ इनसाइड वीडियो सोशल मीडिया पर आते ही छा गए हैं. एक वीडियो में नीता अंबानी सगाई के इस मौके पर डांस करती दिख रही हैं. नीता अंबानी एक अच्‍छी क्‍लासिकल डांसर हैं और बेटे की सगाई के मौके पर उन्‍होंने एक क्‍लासिकल डांस की प्रस्‍तुति दी.

इस कार्यक्रम में प्रियंका चोपड़ा अपने कथित बौयफ्रेंड निक जोनास के साथ हाथों में हाथ डाले नजर आईं. उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था मानो दोनों पति पत्नी हैं.

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बता दें कि मुकेश अंबानी ने अपने बड़े बेटे की शादी की घोषणा इसी साल मार्च में की थी. श्‍लोका मेहता, आकाश की स्‍कूल मेट रह चुकी हैं. इनकी शादी इसी साल दिसंबर में हो सकती है. 30 जून को इस जोड़े की मुंबई में सगाई होने वाली है.

इन ऐप्स की मदद से घटाएं अपना बढ़ा हुआ वजन

क्या आप मोटापे से परेशान हैं? क्या आप व्यस्त समय के कारण Gym जानें का समय नहीं निकाल पा रहे हैं, तो आज हम आपके लिए 4 अलग अलग मोबाइल ऐप लेकर आए हैं जो डाइट से लेकर आपकी सेहत तक का ध्यान रखते हैं. ये ऐप आपके डाइट प्लान का पूरा विवरण देते है की आपको कब-कब पानी पीना है या कब आपको खाना है और क्या क्या खाना है इसकी जानकारी देते हैं. इन ऐप्स को सही से फौलो करने पर आप चार किलो तक अपना वजन घटा सकते हैं. तो जानते हैं इन ऐप्स के नाम और फीचर्स के बारे में.

MyFitnessPal: ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर 5 करोड़ यूजर्स ने डाउनलोड किया है. ऐप को 4.6 स्टार मिला है. ऐप को 17 लाख से ज्यादा यूजर्स ने रेटिंग दी है. ऐप की साइज 24 एमबी है.

ऐप के फीचर्स: ऐप में 6 लाख ये ज्यादा का डाटाबेस मौजूद है, जिसमें कई तरह के डाइट्स की जानकारी मिलती है. ऐप काफी लोकप्रिय है. ऐप में बारकोड स्कैनर जैसे फीचर्स दिए गए हैं. ऐप की मदद से आप किसी भी खाद्य पदार्थ की कैलोरी का हिसाब लगा सकते हैं. मोटिवेट करने के लिए ऐप्स में कई तरह के टिप्स मिलते हैं. ऐप आपका डाइट प्लान तैयार करता है. इस प्लान के जरिए आप अपने वजन को  कंट्रोल कर सकते हैं.

30 Day Fitness Challenge: ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर 1 करोड़ यूजर्स ने डाउनलोड किया है. ऐप की साइज 11एमबी है, इसे 4 लाख से ज्यादा यूजर्स ने रिव्यू दिया है. ऐप को प्ले स्टोर पर 4.8 रेटिंग मिली है.

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ऐप के फीचर्स: यह एक फिटनेट ऐप है. ऐप में कई सारे लेवल दिए गए हैं, आपको उन लेवल को फौलो करना है. ये ऐप फिटनेस लवर्स की पहली पसंद में से एक है. ऐप में आपके फूड डायट से लेकर हेल्थ एक्टिविटी तक की सारी जानकारी मिलती है.

Lose It: ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर 50 लाख यूजर्स ने डाउनलोड किया है. ऐप को 4.4 स्टार मिला है, जिसे 66 हजार से ज्यादा यूजर्स ने रेटिंग दी है. ऐप की साइज 33 एमबी है.

ऐप के फीचर्स: ऐप आपसे आपके बारे में कुछ सवाल करेगा. इन सवालों का आपको जवाब देना होगा, जिनके आधार पर ऐप आपका फूड प्लान तैयार करेगा. ऐप को आप डिवाइस से भी कनेक्ट कर सकते हैं. इसके अलावा ऐप आपकी एक्टिविटी को भी ट्रैक कर सकता है.

Water Drink Reminder: ऐप को 1 करोड़ यूजर्स ने डाउनलोड किया है. ऐप को प्ले स्टोर पर 4.6 स्टार मिला है. ऐप को 5 लाख से ज्यादा यूजर्स ने रेटिंग दी है. ऐप की साइज 7.2 एमबी है.

ऐप के फीचर्स: ऐप आपको बताता है कि दिनभर में आपको कितनी बार और कब-कब पानी पीना है. गूगल फिट के जरिए ऐप आपके वजन को भी मौनिटर करता है. ऐप में चार्ट और लौग की मदद से आप अपनी सारी जानकारी को देख सकते हैं. ऐप में सिड्यूल करने के साथ आप अपने डाटा को बैकअप भी कर सकते हैं. दरअसल हम सब जानते हैं कि मोटोपा कम करने में पानी की एक बड़ी भूमिका रहती है.

HealthifyMe: ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर 10 लाख यूजर्स ने डाउनलोड किया है. ऐप को 4.6 स्टार मिला है. ऐप की साइज 27 एमबी है.

ऐप के फीचर्स: ऐप में इस बात का दावा किया गया है कि प्लान फोलो करने पर आप एक महीने में 2 किलोग्राम तक वजन घटा सकते हैं. ऐप आपके फिटनेस डारगेट को सेट करता है. ऐप को आप डिवाइस से कनेक्ट कर सकते हैं.

इंटरनेट चलाने के दौरान अनचाहे विज्ञापन से हैं परेशान, तो फौरन आजमाएं ये उपाय

आप कुछ भी वेबसाइट पर सर्च करते हैं, तो कुछ देर बाद ही फेसबुक पर उससे संबंधित विज्ञापन आपकी वौल पर दिखने शुरू हो जाते हैं. कभी-कभी तो फेसबुक पर ऐसे विज्ञापन भी दिखने लगते हैं, जिन्हें आप नहीं देखना चाहते. अगर आप चाहें, तो अपनी फेसबुक वौल पर आने वाले विज्ञापनों को कंट्रोल कर सकते हैं. इसके लिए आपको कुछ उपाय करने होंगे.

विज्ञापनों को ऐसे करें सीमित

  • फेसबुक के विज्ञापन को सीमित करने के लिए सबसे पहले आपको अपने फेसबुक अकाउंट में लौगइन करना होगा. फिर सेटिंग्स में जाएं, यहां पर सबसे नीचे आपको ऐड का विकल्प मिलेगा. उसके नीचे ऐड प्रिफरेंसेज पर क्लिक करें. यहां सबसे पहले ‘योर इंट्रेस्ट’ का विकल्प मिलेगा.
  • उसमें आप देख सकते हैं कि आपने किसे लाइक किया है और किन वेबसाइट्‌स व फेसबुक पेज में रुचि दिखाई है. आप चाहें, तो यहां से पेज रिमूव कर सकते हैं.

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  • यहां दूसरा औप्शन ‘एडवर्टाइजर्स यू हैव इंटरैक्टेड’ का है. इसमें वे कमर्शियल लिंक्स शामिल हैं, जिन पर आपने कभी क्लिक किया है या अपनी रुचि दिखाई है. आप चाहें, तो उसे भी यहां से रिमूव कर सकते हैं.
  • तीसरा सेगमेंट ‘योर इंफौर्मेशन’ का मिलेगा, उस पर क्लिक करें. इसके साथ ही कई विकल्प खुलकर आ जाएंगे, जैसे आप कहां काम करते हैं, रिलेशन में हैं या सिंगल, जौब, एजुकेशन आदि. ये वे सूचनाएं हैं, जिन्हें फेसबुक एडवर्टाइजर के साथ शेयर करता है.
  • अब आप चाहें, तो इन सूचनाओं को हाइड कर सकते हैं. विकल्प सामने होगा. यह कोशिश करें कि कम से कम सूचनाएं दूसरी कंपनियों को दें. हो सके, तो आप उसे भी हाइड कर दें.
  • इसके नीचे ‘ऐड सेटिंग्स’ का विकल्प भी मिलेगा, जहां आपसे तीन तरह के विज्ञापन दिखाने की अनुमति मांगी जाती है. पहला ऐड बेस्ड औन डेटा फ्रौम पार्टनर, दूसरा आपकी एक्टिविटी के आधार पर और तीसरा आपके सोशल एक्शन के आधार पर. यदि आप विज्ञापन देखना चाहते हैं, तो किसी को अनुमति दे सकते हैं, नहीं तो सभी को औफ कर दें. इसके लिए आपको ‘नौट अलाउड’ करना है.
  • सबसे अंत में ‘हाइड ऐड टौपिक्स’ का विकल्प है, इसमें आपके सामने कुछ टौपिक्स होंगे, जिन्हें फेसबुक ऐड में आप हाइड कर सकते हैं. यहां औप्शन होगा कि आप उन टौपिक्स को 6 माह, साल भर या फिर हमेशा के लिए हाइड करना चाहते हैं.
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