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नरगिस फाखरी ने उदय चोपड़ा को ठेंगा दिखा पकड़ा मट अलोंजा का हाथ

अंततः लंबे समय से चला आ रहा स्व. यश चोपड़ा के बेटे व अभिनेता उदय चोपड़ा और नरगिस फाखरी का रिश्ता खत्म हो ही गया और अब उदय चोपड़ा को चिढ़ाने के लिए ही नरगिस फाखरी अपने नए प्रेमी मट अलोंजा के साथ अपनी चुंबन वाली तस्वीरे सोशल मीडिया यानी कि इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर रही हैं.

अमरीकन मूल की बौलीवुड अभिनेत्री नरगिस फाखरी और उदय चोपड़ा ने खुलकर कभी भी अपने रिश्तों को स्वीकार नहीं किया. मगर अपने रिश्तों से इंकार भी नहीं किया. नरगिस फाखरी और उदय चोपड़ा के रिश्तों में कई बार दरार आयी और फिर दोनों के बीच समझौते भी हुए. गत वर्ष जब उदय चोपडा के साथ नरगिस फाखरी का समझौता हुआ था, तब नरगिस फाखरी अपना बैग लेकर उदय चोपड़ा की मां पामेला चोपड़ा के साथ उनके मुंबई के बंगले पर रहने पहुंच गयी थी. करीबन एक वर्ष से अधिक समय तक वह साथ में रहीं, पर फिर अचानक कब इनके बीच मनमुटाव हुआ, पता नहीं चला.

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पर हाल ही में जिस तरह से नरगिस फाखरी ने इंस्टाग्राम पर मट अलोंजा के साथ अपनी चुंबन की तस्वीर व वीडियो ‘इंस्टग्राम’पर पोस्ट करते हुए लिखा है- ‘‘वाचिंग माई एट मट अलोंजा’’ इससे सारी कहानी अपने आप बयां हो जाती है.

बैंक किन स्थितियों में आपसे वसूलेगा जीएसटी चार्ज, पढ़ें पूरी खबर

बैंकों द्वारा ग्राहकों को दी जा रही सेवाओं पर जीएसटी लगाने को लेकर जारी भ्रम के बीच अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड व कस्टम ने सोमवार को नोट जारी कर स्थिति को स्पष्ट किया है. इसमें साफ तौर पर बताया गया है कि बैंक किन सेवाओं के लिए किस स्थिति में जीएसटी वसूल सकते हैं. बैंकिंग सुविधा पर जीएसटी में यह विवाद तब सामने आया जब वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग और राजस्व विभाग के मुफ्त सेवाओं पर जीएसटी लगाए जाने को लेकर अलग-अलग मत सामने आए.

इसके बाद अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड व कस्टम ने आगे आकर विभिन्न वित्तीय सेवाओं के लिए जीएसटी लगाने पर भ्रम दूर किया. विभाग की ओर से सवाल-जवाब के रूप में जारी नोट में कहा गया है कि बैंकों द्वारा ग्राहकों को दी जा रही मुफ्त सेवाओं जैसे एटीएम, चेक बुक या स्टेटमेंट इत्यादि पर जीएसटी नहीं लगेगा. लेकिन मुफ्त सेवा के अतिरिक्त दी जाने वाली सभी सेवाओं पर जीएसटी लगाया जाएगा.

एटीएम के ज्यादा इस्तेमाल पर

ग्राहकों को प्रति माह बैंकों द्वारा 3-5 एटीएम निकासी मुफ्त दी जाती है. इस पर किसी तरह का जीएसटी नहीं लगाया जाएगा, लेकिन इस मुफ्त निकासी से इतर होने वाली निकासी टैक्स के दायरे में रहेगी.

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शुल्क देकर चेकबुक लेने पर

ग्राहकों को बैंक से मिलने वाली मुफ्त चेकबुक या फ्री बैलेंस स्टेटमेंट पर जीएसटी नहीं लगेगा. लेकिन मुफ्त सुविधा से इतर कोई ग्राहक बैंक शुल्क देते हुए चेकबुक या अपना स्टेटमेंट प्राप्त करता है तो उस पर जीएसटी देय होगा.

क्रेडिट कार्ड के लेट पेमेंट पर

टैक्स विभाग ने कहा है कि क्रेडिट कार्ड के बकाए का देरी से भुगतान करने पर ग्राहकों से जीएसटी वसूला जाएगा. नोट में कहा गया कि देरी से भुगतान की स्थिति में क्रेडिट कार्ड के आउटस्टैंडिंग पर लगने वाले ब्याज के साथ जीएसटी भी वसूला जाएगा.

म्यूचुअल फंड के एक्जिट लोड पर

किसी म्यूचुअल फंड के लौकइन पीरियड से पहले ही उसे बेचकर बाहर निकलने वाले ग्राहकों को एक्जिट लोड के रूप में शुल्क देना होता है. इस शुल्क पर भी जीएसटी वसूला जाएगा, क्योंकि इसके तहत मिलने वाली राशि को नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) माना जाएगा.

लोन को दूसरे बैंक के अधिग्रहण पर

किसी बैंक के लोन को यदि अन्य बैंक में स्थानांतरित किया जाता है तो इस पर ट्रांजेक्शन प्रोसेसिंग फीस वसूली जाती है. इस फीस पर भी जीएसटी देय होगा. हालांकि लोन पर लगने वाले ब्याज को इस तरह की फीस और जीएसटी से छूट होगी.

ईएमआई चूकने पर

तय समय-सीमा के भीतर ईएमआई भुगतान में चूक होने पर अतिरिक्त ब्याज शुल्क लगाया जाता है. सीजीएसटी एक्ट 2017 के सेक्शन 15(2) के तहत इस तरह के शुल्क पर ग्राहक को जीएसटी भी देना होगा.

यहां जीएसटी लगाने का विरोध

विमानन कंपनियों के वैश्विक संघ अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (आईएटीए) ने अंतरराष्ट्रीय हवाई टिकटों पर जीएसटी लगाने के लिए भारत की आलोचना की है. आईएटीए के महानिदेशक और सीईओ अलेक्जेंद्र डी जुनियाक ने कहा कि हमें सरकारों के साथ कड़ाई से बात करनी चाहिए. सरकारें हमारे द्वारा बनाए गए वैश्विक नियमों की अनदेखी कर रही हैं, जो अस्वीकार्य है. भारत सुयंक्त राष्ट्र की संस्था अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) के प्रस्तावों का उल्लंघन कर ऐसे टिकटों पर जीएसटी लगा रहा है.

भारतीय महिला क्रिकेट टीम से फिर हुआ भेदभाव, फैंस हुए नाराज

यूं तो भारत में महिला और पुरुषों की बराबरी के बारे में तरह तरह की बातें होती रहतीं हैं. कई पुरुष भारतीय क्रिकेटर्स भी जोर शोर से इसका समर्थन करते हैं. लेकिन क्रिकेट में ही महिलाओं और पुरुषों में कितना भेदभाव होता है इसको लेकर सोशल मीडिया पर भारतीय क्रिकेट फैंस ने शोर मचा दिया. दरअसल जब महिला टीम इंडिया ने मलेशिया में चल रहे टी20 महिला एशिया कप में मेजबान टीम को केवल 27 रन पर समेट पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की तो कप्तान मिताली राज को उनकी 97 रनों की पारी पर उन्हें प्लेयर औफ द मैच का खिताब दिया गया. लेकिन उसमें दी गई पुरस्कार राशि भारतीय फैंस को नागवार गुजरी और उन्होंने अपना गुस्सा सोशल मीडिया पर जाहिर कर दिया.

इस मैच में मिताली के 69 गेंदों पर खेली 97 रनों की पारी की बदौलत भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए तीन विकेट के नुकसान पर 169 रन बनाए. जिसके जवाब में मलेशिया की टीम केवल 27 रनों पर सिमट गई. मिताली को इस पारी के लिए प्लेयर औफ द मैच चुना गया और इसकी तस्वीर मिताली जब सोशल मीडिया पर शेयर कर दी. फोटो में ईनामी राशि देखकर फैंस नाराज हो गए इस चेक में मिताली को केवल 250 डौलर की राशि ईनाम में दी गई थी. जबकि हाल ही में खत्म हुए आईपीएल में पुरुष खिलाड़ियों पर ईनामों के माध्यम से पैसा बरसाया गया था.

पुरुषों के मामले में यह है बीसीसीआई का हाल

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दुनिया की सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई की ओर से आयोजित आईपीएल में हर साल काफी पैसा खिलाड़ियों को ईनामी राशि के तौर पर दिया जाता है. इस बार हर एक मैच में कई पुरस्कार दिए गए थे. जिसमें हर लीग मैच तक में परफेक्ट कैच, नई सोच अवार्ड, सुपर स्ट्राइकर, स्टाइलिश प्लेयर और मैन ऑफ द मैच अवार्ड दिए गए थे और हर एक अवार्ड में 1 लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी गई थी यानि एक मैच मे 5 लाख रुपये की पुरस्कार राशि. वहीं महिला एशिया कप जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में एक मैच में प्लेयर ऑफ मैच को मिले केवल 250 डॉलर यानि करीब 17000 रुपये.

यही भेदभाव फैंस को नाराज कर गया. उल्लेखनीय है कि इससे पहले बीसीसीआई ने आईपीएल में प्लेऑफ्स से पहले आईपीएल की ही तर्ज पर महिला खिलाड़ियों का एक टी20 मैच का आयोजन किया था जिसमें दर्शकों की काफी कम संख्या थी. इसकी भी फैंस ने उस मैच की कई बातों को लेकर आलोचना की थी. लेकिन उससे ज्यादा चर्चा इस बात की रही कि खिलाड़ियों के लिए उचित क्रिकेट किट का भी अभाव दिखा. टीम के ड्रेस के कलर से मैच करने के लिए खिलाड़ियों के हेलमेट और पैड पर उसी रंग का कपड़ा चढ़ा दिया गया था. जहां पुरुष क्रिकेटरों को एक छोटे से मैच के लिए भी प्रौपर किट के साथ सभी सुविधाएं दी जाती हैं, वहीं महिला क्रिकेटरों के साथ इस तरह का व्यवहार ना केवल हैरान करने वाला रहा और सोशल मीडिया पर उसे अपमानजनक भी करार दिया गया.

मिताली की पोस्ट पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी किसी ने कहा, “प्लेयर औफ द मैच दे रहे हो या भीख दे रहे हो.” तो किसी ने कहा कि क्या मजाक है. ये क्लब क्रिकेट नहीं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट है. बीसीसीआई पर भी लोगों ने अपना गुस्सा निकाला

उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी बीसीसीआई की और से तय किए गए पुरुष खिलाड़ियों और महिला खिलाड़ियों के सैलरी पैकेज की भी आलोचना होती रही है.

तो अब मिथुन चक्रवर्ती के बेटे मिमोह उर्फ महाअक्षय के विवाह की तैयारी शुरू

मशहूर अभिनेता मिथुन चकवर्ती व अभिनेत्री योगिता बाली के बेटे व अभिनेता महाअक्षय चक्रवर्ती उर्फ मिमोह के विवाह की तैयारियां जोर शोर से हो रही हैं. सूत्रों की माने तो मिमोह का ब्याह अभिनेत्री शीला शर्मा व निर्माता निर्देशक सुभाष शर्मा की बेटी व अभिनेत्री मदालसा शर्मा के संग होने जा रही है. सूत्रों के अनुसार इनकी शादी से पहले रोका की रश्म इस वर्ष की शुरुआत में मिथुन चक्रवर्ती के मुंबई के मढ़ आयलैंड स्थित बंगले पर गुप्तरूप से संपन्न हुई थी, जिसकी किसी को भनक नहीं लगी थी.

अभी भी शादी की तैयारी को गुप्त रखा जा रहा है. मगर मिमोह के करीबी सूत्रों के अनुसार यह शादी 7 जुलाई को मिथुन चक्रवर्ती के उटी वाले घर पर होगी. सूत्रों का दावा है कि मिमोह और मदालसा का यह प्रेम विवाह है. दोनों लंबे समय से डेटिंग करते आ रहे हैं, पर लोगों की नजरों से बचाकर.

मिमोह और मदालसा शर्मा इन दोनों के अभिनय का करियर बहुत अच्छे ढंग से परवान नहीं चढ़ पाया. मिमोह 2008 से अभिनय के क्षेत्र में कार्यरत हैं. अब तक वह ‘जिम्मी, ‘द मर्डरर, ‘हंटेड 3डी, ‘लूट, ‘राकी, ‘इनेमी’ और ‘इश्केदारियां’ जैसी असफल फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं.

जबकि मदालसा शर्मा ने 2009 में तेलगू फिल्म ‘‘फिटिंग मास्टर’’ से करियर शुरू किया था. उसके बाद वह 2011 में गणे आचार्य निर्देशित फिल्म ‘‘एजेंल’’ से हिंदी फिल्मों में कदम रखा था. मदालसा शर्मा अब तक ‘सम्राट एंड कंपनी, ‘पैसा हो पैसा’ तथा ‘दिल साला सनकी’हिंदी फिल्मों के अलावा तमिल, तेलगू, पंजाबी, कन्नड़ व जर्मन भाषा की 15 फिल्में कर चुकी हैं, मगर अभी तक अभिनेत्री के तौर पर उनकी कोई पहचान नहीं बन पायी. यानी कि मिमोह और मदालसा अभी तक स्टार नहीं बने हैं, इसके बावजूद दोनों अपने प्यार, रोका की रश्म के हो जाने व अब शादी की तैयारी को छिपा रहे हैं.

नागपुर में क्या संघ को सच्ची खरी सीख दे पाएंगे प्रणब मुखर्जी

पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी द्वारा आरएसएस प्रचारकों के दीक्षांत समारोह का निमंत्रण स्वीकार करने से कांग्रेस नेताओं की भृकुटियां तनी हुई हैं. प्रणब मुखर्जी की आलोचना शुरू हो गई है. अनेक लोग हैरत में भी हैं. कांग्रेस के कई नेताओं ने उन्हें नागपुर न जाने की सलाह दी है. इन नेताओं का कहना है पार्टी जिस विचारधारा के खिलाफ लड़ रही है, प्रणब मुखर्जी के नागपुर जाने से संघी विचारधारा को वैद्यता मिल जाएगी. हालांकि पूर्व कानून मंत्री एचआर भारद्वाज और पी. चिदंबरम जैसे कांग्रेसी नेताओं को मुखर्जी के नागपुर जाने में कोई बुराई दिखाई नहीं देती.

प्रणब मुखर्जी का कहना है कि उन के पास कई फोन और पत्र आए पर उन्होंने किसी को जवाब नहीं दिया और कहा कि उन्होंने जो कुछ कहना है वह नागपुर में ही कहेंगे.

आरएसएस ने 7 जून को नागपुर के रेशीम बाग मैदान पर आयोजित होने वाले संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में प्रणब मुखर्जी को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया है. कहा गया है कि  संघ द्वारा प्रशिक्षित अपने 700 प्रचारकों के लिए आयोजित कार्यक्रम में मुखर्जी अपना संबोधन देंगे.

कांग्रेस के नेताओं द्वारा प्रणब मुखर्जी के संघ के कार्यक्रम में जाने का विरोध निरर्थक है. पूर्व राष्ट्रपति ने आरएसएस का निमंत्रण स्वीकार कर अच्छा किया. अब उन के सामने देश के प्रथम नागरिक रहने के तौर पर यह बताने के लिए बड़ा अच्छा मौका है कि संघ की विचारधारा क्यों गलत है?

प्रणब मुखर्जी को बिना लागलपेट संघ को बताना चाहिए कि कोई भी लोकतांत्रिक देश सदियों पुराने धर्मग्रंथों के सहारे नहीं चलाया सकता. उन्हें साफसाफ कहना चाहिए कि संघ अगर भारतीय संविधान के बजाय मनुस्मृति के आधार पर देश, समाज को संचालित करना चाहता है तो यह नामुमकिन होगा. संघ को अपना हिंदुत्व त्यागना होगा, जिस में दूसरे धर्मों के प्रति घृणा, करोड़ों देवीदेवता, सैंकड़ों जातियां, उपजातियां, गौत्र, मंदिर, तीर्थ, दानदक्षिणा, धर्म का कारोबार, खोखले कर्मकांड और हवनयज्ञ व योग जैसे पाखंड तथा अंधविश्वास हैं.

मुखर्जी को स्पष्ट बताना चाहिए कि आज देश में मुसलमानों, दलितों, स्त्रियों के साथ जिस तरह का बर्बर बर्ताव हो रहा है वह उसी की संकीर्ण घृणित विचारधारा का प्रताप है. यह कितनी घातक है. व्यक्ति, समाज और देश के लिए. संघ के लिए दलित आज भी अछूत हैं. वे उस के हिंदुत्व के खांचे में फिट नहीं बैठते. कभी उन्हें घोड़ी पर बैठने से रोका जाता है, कभी मृत गाय की खाल उतारने पर जानवरों की तरह मारापीटा जाता है तो कभी मूंछें रखने पर.

प्रणब मुखर्जी को हिंदू राष्ट्रवाद की संकीर्णता की जगह भारतीय राष्ट्रवाद पर विस्तृत सीख देनी चाहिए. भारत हिंदू राष्ट्र क्यों बने, भारतीय राष्ट्र क्यों नहीं, जिस में दूसरे गैर हिंदू नागरिक भी रहते हैं. पूछना चाहिए कि संघ का इतिहास, उस के नेताओं की सोच और व्यवहार लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले आधुनिक भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान और समाज के नए मूल्यों से बारबार टकराता क्यों है? संघ युवा दलित, पिछड़े युवाओं को मिले आरक्षण को खत्म क्यों करना चाहता है? क्या संघ की नजर में ये जातियां हिंदू नहीं हैं?

संघ के प्रचारक समाज में जा कर किस चीज का प्रचार करेंगे? संघ की उस सड़ीगली विचारधारा का जिस के कारण व्यक्ति का व्यक्ति, परिवार का परिवार, जाति की जाति परस्पर दुश्मन बन जाती हैं? संघ इसी विचारधारा के कारण ही समाज में नफरत और चुनावों के वक्त धार्मिक ध्रुवीकरण का कारण बनते हैं.

संघ और भाजपा नेता दलित बस्तियों में जा कर भोजन तो करते हैं पर छुआछूत और शोषण की पैरोकार वर्णव्यवस्था के खिलाफ मौन रहते हैं. संघ को बताना चाहिए कि कहने को वह हिंदुत्व को धर्म नहीं, जीवनशैली कहता है पर व्यवहार में दलित, मुस्लिम घृणा, गौहत्या, समान नागरिक संहिता, धर्मांतरण जैसे धार्मिक मुद्दों पर सक्रिय रहता है जो सांप्रदायिक तनाव की वजह बनते हैं. यह भी कहना चाहिए कि संघ भारत की उदार, तार्किक और नास्तिक विचारधारा और परंपरा का सम्मान क्यों नहीं करता? संघ की हां में हां नहीं मिलाने वाला राष्ट्रद्रोही कैसे हो जाता है?

पर 40 साल से राजनीति में रहे प्रणब मुखर्जी ऐसी खरीखरी सुनाएंगे नहीं. वह भारतीय राष्ट्रवाद की बात करेंगे. सामाजिक समरसता, बराबरी की बात कर सकते हैं. सीधेसीधे वह डिप्लोमेटिक तरीके से काम चलाएंगे. महात्मा गांधी की हत्या भले ही एक कट्टर हिंदू ने की थी पर गांधी स्वयं भी संघ के मूल्यों को स्वीकार करते थे. वह छुआछूत के तो विरोधी थे पर वर्णव्यवस्था के हिमायती थे. आज भी भाजपा में जितने नेता वर्णव्यस्था की वकालत करने वाले हैं, कांग्रेस में भी कम नहीं हैं इसलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.

कांग्रेस और संघ पोषित भाजपा की विचारधारा में कोई अधिक फर्क नहीं है. जब तक कांग्रेस के लिए भाजपा चुनौती नहीं बनी तब तक कांग्रेस कट्टर हिंदूवादी पार्टी थी. 1980-1990 के दशक के बाद कांग्रेस का धर्मनिरपेक्षता ढोंग अधिक दिखने लगा.

बहरहाल, राजनीतिक नफानुकसान को हाशिए पर रख कर विचारों के आदानप्रदान का स्वागत किया जाना चाहिए. लोकतंत्र की यही खासियत है.

आईपीएल सट्टेबाजी में नया खुलास, 60 ट्रक पैसों की बात आई सामने

भारत में आईपीएल सट्टेबाजी का मामला गहराता जा रहा है. सबसे पहले अल जजीरा के वीडियों में भारतीय क्रिकेटरों का नाम लेने की बात आई ही थी कि मुंबई पुलिस के हाथ लगे एक बुकी सोनू जालान ने सट्टेबाजी में अरबाज खान का नाम ले लिया. इसके बाद पूछताछ में अरबाज खान ने भी सट्टेबाजी में पैसा लगाने की बात कबूली. इसके बाद अरबाज के अलावा कई और बौलीवुड हस्तियों के नाम भी सामने आए. हाल ही में क्रिकेट की सट्टेबाज़ी से जुड़ा एक एक्सक्लुसिव वीडियो सामने आया है.

इस वीडियो में सट्टेबाजी में अलग मुकाम रखने वाला सोनु जालान किसी से फोन पर बात कर रहा है.  सोनू जालान पिछले दिनों ही महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया था जो अंडरवर्ल्ड सरगना दाउद इब्राहिम के संपर्क में रहता था. उसी ने पूछताछ के दौरान अरबाज खान का नाम सामने आया और पूछताछ में अरबाज ने आईपीएल में सट्टेबाजी की बात कबूल भी की. मामले की और भी गहराई से जांच चल रही है.

इस वीडियो में सोनु जालान किसी से फोन पर बात कर रहा है जिसमें वो बार बार एक ओर बड़े सट्टेबाज जूनियर कोलकाता का नाम ले रहा है. इसके साथ ही वो सट्टेबाजी में इस्तेमाल होने वाले पैसे की बंदरबाट पर भी बात कर रहा है. सोनू साफ बोल रहा है कि 60 ट्रक भरकर पैसा है, सबमें बांट दो. ठाणे पुलिस के हाथों ये वीडियो तब लगे जब वो सोनू जालान के मोबाइल और लैपटौप को खंगाल रही थी.

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सोनू के पुलिस के हाथ लगने के बाद ही भारतीय क्रिकेट में सट्टेबाजी के गहरी जड़ों का पता लगा. जांच और पूछताछ में पता चला है कि सोनू जालान, दाऊद इब्राहिम के खास और देश में कई बुकियों के नेटवर्क के सरगना जूनियर कोलकाता के सीधे संपर्क में था. उसकी मीटिंग क्रिकेट के लोगों से कराने की जिम्मेदारी सोनू की ही थी. सोनू के मोबाइल से ही कुछ तस्वीरें और जानकारी मिली है कि जूनियर कोलकाता के साथ रौबिन मौरिस  साल 2015 में 14 सितंबर को थाईलैंड में मिले थे. इनके मिलने के पीछे क्या कारण था. इसकी तलाश पुलिस कर रही है.

आईपीएल से 500 करोड़ का हुआ था कलेक्शन

सोनू के घर से ठाणे पुलिस ने एक डायरी बरामद की जिसके मुताबिक IPL के साल 2018 सीजन से सोनू का बैटिंग कलेक्शन तकरीबन 500 करोड़ का था. इसमें से अकेले फाइनल मैच का कलेक्शन तकरीबन 10 करोड रुपए थे. इस डायरी में देश विदेश के तकरीबन 30 बड़े बुकीज के नाम कोडवर्ड में लिखे पाए गए. सोनू सट्टे बाजार में होने वाली कमाई को हवाला के रास्ते मुंबई से दुबई और दुबई से कराची में अपने आकाओं तक पहुंचाता था. ठाणे पुलिस फिलहाल इस हवाला नेटवर्क को उजागर करने की कोशिश में जुटी है.

दुबई से भी जुड़े हैं सोनू के तार

बताया जा रहा है कि सोनू दाऊद इब्राहिम के पाकिस्तान में कारोबार देखने वाले दो खास गुर्गे एहतशाम और डौक्टर के साथ सीधे संपर्क में था. भारत, पाकिस्तान, दुबई और खाड़ी देशों में सट्टे बाजार का पूरा कलेक्शन डौक्टर और एहतेशाम के पास जाता था और ये दोनों अनीस इब्राहिम और शकील को रिपोर्ट किया करते थे. इसके अलावा सोनू मालाड दुबई में दाऊद के बेहद करीबी रईस सिद्दीकी और अनिल कोठारी उर्फ अनिल टुंडा के साथ भी लगातार संपर्क में था. रईस और अनिल दोनों दुबई में डी कंपनी के लिए सट्टा औपरेट करते हैं. इनकी आपस में दुबई में कई बार मीटिंग भी हो चुकी है.

जूतों के बहाने किस पर निशाना साध गए अरविंद केजरीवाल

दिल्ली के बवाना इलाके की एक जनसभा को संबोधित करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल गए तो कुछ लोगों ने उन्हें काला कपड़ा दिखाने की हिमाकत कर डाली जिस से भड़क कर उन्होंने दोटूक कहा कि भाजपाई अपनी औकात में रहें, नहीं तो ऐसे जूते पड़ेंगे कि उन्हें अपनी शक्ल भी याद नहीं रहेगी.

इस भड़कने के पीछे की एक अहम वजह दिल्ली में लगने वाले डेढ़ लाख सीसीटीवी कैमरे भी हैं जिस की फाइल उपराज्यपाल ने अटका रखी है. भाजपाइयों को जूते मारने की धौंस के तुरंत बाद उन्होंने यह भी कहा कि अब दिल्ली की जनता एलजी के घर पहुंचेगी तो सहज समझा जा सकता है कि दरअसल, वे किस से क्या कहना चाह रहे थे.

ईकौमर्स क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा ग्राहकों को देगी दूरसंचार जैसी राहत

देश का ईकौमर्स बाजार इन दिनों सुर्खियां बटोर रहा है. इस की वजह देश की औनलाइन कारोबार करने वाली प्रमुख कंपनी फ्लिपकार्ट का बिकना है. फ्लिपकार्ट देश के लिए जानापहचाना नाम बन चुका था और औनलाइन खरीदारों में यह कंपनी काफी लोकप्रिय बनी हुई थी. फ्लिपकार्ट का अमेरिकी कंपनी वालमार्ट ने अधिग्रहण कर लिया है. दोनों कंपनियों के बीच 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा में सौदा हुआ. इस सौदे के तहत वालमार्ट फ्लिपकार्ट के 77 फीसदी शेयर खरीदेगी. वालमार्ट की भारतीय ईकौमर्स बाजार में घुसने की यह लंबी हसरत पूरी हुई है. इस सौदे की खबर के बाद ईकौमर्स क्षेत्र में खलबली मच गई है. चीनी कंपनी अलीबाबा भी भारत में ईबैंकिंग क्षेत्र की प्रमुख कंपनी पेटीएम तथा स्नैपडील के जरिए अपनी स्थिति मजबूत करने की फिराक में है.

वालमार्ट के इस सौदे से सब से ज्यादा परेशान औनलाइन कंपनी अमेजन है. उसे मालूम है कि वालमार्ट भारतीय बाजार में उस के लिए सब से बड़ी चुनौती देने वाली है. वालमार्ट और फ्लिपकार्ट के बीच अधिग्रहण संबंधी सौदा होने से पहले ही अमेजन भारत में 500 करोड़ डौलर के निवेश की घोषणा कर चुकी है. बहरहाल, इस सौदे से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ईकौमर्स मार्केट में नई क्रांति आएगी. इस का सीधा लाभ ग्राहकों को मिल सकता है. बड़ी कंपनियों के बीच बाजार में बने रहने की प्रतिस्पर्धा बढ़ने से वे ग्राहकों को लुभाने के लिए औफर देंगी.

महानगरों के ग्राहक आज की भागमभाग जिंदगी में औनलाइन कौमर्स पर काफी हद तक निर्भर हो गए हैं. इस स्थिति को वालमार्ट समझता है और उस ने भारतीय कंपनी के अधिग्रहण के जरिए भारतीय ईमार्केट पर कब्जा करने का रास्ता अख्तियार किया है. उम्मीद यह है कि ईकौमर्स क्षेत्र में भी ग्राहकों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बीच की कारोबारी प्रतिस्पर्धा का उसी तरह से फायदा मिलेगा जैसा भारतीय उपभोक्ता दूरसंचार क्षेत्र में उठा रहे हैं. इस के साथ ही, सरकारी तंत्र भी कर संग्रहण को ले कर सतर्क हो गया है और वह अब वोडाफोन के समय बनी स्थिति को दोहराना नहीं चाहता है.

हवाहवाई सफर : कैसे सुधरेंगी एयरलाइंस कंपनियां

हवाई यात्राओं में अकसर हवाई जहाजों का घंटों देर से उड़ान भरना या हवाईर्जहाज में तकनीकी खराबी आने के कारण फ्लाइट कैंसिल होना आम बात है. मौसम या प्राकृतिक कारणों से फ्लाइट कैंसिल होना तो समझा जा सकता है पर एयरपोर्टों पर घंटों बेकार घूमना जेल के समान ही है. मजेदार बात यह है कि एयरलाइंस, जो यात्रियों की कठिनाइयों के बारे में अब बिलकुल निष्ठुर हो गई हैं, और थोड़ी देर से आने या थोड़ा सामान ज्यादा होने पर पिघलती नहीं, अपनी गलती के लिए ‘वी रिगरेट टू अनाउंस…’ के अलावा कुछ नहीं कहतीं. इन पर नकेल कसने के लिए सरकार अब एयरलाइंस पर फाइन लगाने की भी सोच रही है और इंतजार कर रहे यात्रियों को खाने, रहने, घर लौटने आदि के पैसे दिलवाने की सोच रही है. यात्रियों को अचानक फ्लाइट कैंसिल होने पर जो कठिनाई होती है, उस का अंदाजा लगाना आसान नहीं है. अब चूंकि एयरलाइनों को यात्रियों को नो फ्लाइ लिस्ट में डालने तक का प्रावधान बन गया है जिस से वे किसी भी एयरलाइन के जहाज में यात्रा नहीं कर पाएंगे, फाइन या मुआवजा देने का नियम सही लगता है.

कठिनाई यह है कि आज सेवा देने वाले एकतरफा नियमों, कैसे भी नियम हों, की आड़ में बच निकलते हैं. ग्राहकों में कुछ ही ऐसे होते हैं जो अदालतों में जा पाते हैं और सेवा देने वाले की नाक में दम कर देते हैं. एयरलाइंस पर नकेल कसी जानी चाहिए क्योंकि अब वे जरा सा ज्यादा वजन, बीच की या किनारे की सीट, लैगरूम वाली सीट आदि के लिए भी पैसे चार्ज करने लगी हैं. वे हर दी जाने वाली विशेष सुविधा को कमाई का साधन बनाने लगी हैं. सो, असुविधा के लिए उन्हें हर्जाना भी यात्रियों को देना चाहिए.

पर होगा क्या, सारी कंपनियां एकजुट हो जाएंगी और सरकार को मजबूर कर देंगी कि वह ऐसा कोई कदम न उठाए कि पहले से लड़खड़ाती चल रही हवाई कंपनियों को नुकसान होने लगे. जब इन कंपनियों को हजारों यात्रियों को लानालेजाना होता है तो वे निष्ठुर हो जाती हैं. अमेरिका, जहां ग्राहक को राजा माना जाता था, में सीट पर बैठे यात्री को जबरन मारतेपीटते उतारने के कई मामले बहुप्रचारित हुए पर फिर भी एयरवेज कंपनियों का रवैया वैसे का वैसा ही है. एयरलाइंस कंपनियां जानती हैं कि उन के बिना न जनता रह सकती है, न सरकार. आज कंपनियां राजा बन गई हैं. वे नीतियों को बदल सकती हैं, वे तो शासकों को बदलने की ताकत भी रखती हैं. जनता चाहे वोटर के रूप में हो या ग्राहक के रूप में, खुद के बनाए शासक या धन्नासेठ की गुलाम बनने को मजबूर है.

एयरलाइंस पर बनने वाले नए नियम तब ही कारगर हो सकते हैं जब वे सब पर लागू हों. रेलों, बसों, बिजली कंपनियों, मोबाइल कंपनियों, बैंकों किसी को भी न छोड़ें, और यह तो संभव ही नहीं है. ऐसे में क्या होगा, नतीजा आप निकालें.

तराई : ठेकेदार क्या लूट पाया उस मजबूर लड़की की इज्जत

शहर से दूर बस रही सैटेलाइट कालोनी में शानदार कोठी बन रही थी. मिक्सर मशीन की तेज आवाज के बीच में मजदूर काम में लगे हुए थे. उन में जवान, अधेड़ उम्र के आदमी और औरतें थीं. उन में जवानी की दहलीज पर खड़ी एक लड़की भी थी. वह सिर पर ईंटें ढो रही थी. तराई भी हो रही थी, इसलिए उस के गीले बदन से जवानी झांक रही थी. बनते हुए मकान के सामने ठेकेदार खड़ा हो कर उस जवान होती लड़की की तरफ देखते हुए चिल्ला कर कह रहा था, ‘‘जल्दीजल्दी काम करो.’’

ठेकेदार के पास ही मकान मालिक खड़ा था, जो बहुत बड़ा अफसर था. ठेकेदार को उम्मीद थी कि साहब उसे दूसरे कामों के ठेके भी दिलाएंगे इसलिए उन्हें खुश करने का वह कोई मौका नहीं छोड़ता था. ठेकेदार ने मकान मालिक की तरफ देखा तो उस को जवान होती मजदूर लड़की की तरफ देखते हुए पाया. मकान मालिक ने सब को सुना कर जोर से कहा, ‘‘मकान की तराई अच्छी तरह से कराना, तभी मकान मजबूत होगा.’’

ठेकेदार ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘आप बिलकुल चिंता न करें साहब, इस काम में अच्छी लड़की को लगाऊंगा.’’ ठेकेदार ने काम की देखभाल करने वाले सुपरवाइजर को इशारे से अपने पास बुला कर उस के कान में कुछ कहा.

सुपरवाइजर ने सहमति से सिर हिलाया. उस ने जा कर ईंट ढोती लड़की को कहा, ‘‘आज से मकान की तराई का काम तू करेगी.’’ यह सुन कर वह मजदूर लड़की खुश हो गई क्योंकि तराई का काम सब से हलका होता है. उस ने तुरंत ईंटों का तसला नीचे रख पानी का पाइप उस मजदूर लड़के से ले कर दीवार के प्लास्टर पर पानी छिड़कना शुरू कर दिया.

मकान मालिक ने 5 सौ का नोट निकाल कर सुपरवाइजर को दिया और मजदूरों को नाश्ता कराने को कहा. वह तराई करने वाली लड़की का ध्यान रखने की कह कर उस लड़की को देखने लगा. किसी भी मजदूर लड़की को फांसने का यह एक तरीका था कि उसे हलका काम खासकर मकान में तराई का काम दे दिया जाता था. यह एक जाल होता था जिस में जवान होती मजदूर लड़की के फंसने की उम्मीद ज्यादा होती थी. मिक्सर मशीन में सीमेंट, रेत, पानी और वाटरप्रूफ कैमिकल की मिक्सिंग के साथ कितनी गरीब मजदूर लड़कियों की इज्जत भी मिक्स हो जाती थी और यह आलीशान मकानों में रहने वालों को पता भी नहीं चलता होगा.

दुनियादारी को कुछ समझने और कुछ नासमझने वाली लड़की खुशीखुशी तराई का काम कर रही थी. उसे मालूम नहीं था कि ठेकेदार और मकान मालिक उस पर इतने मेहरबान क्यों हो रहे हैं. उस मजदूर लड़की को रोजाना चायनाश्ते की खास सुविधा और काम के बीच में बैठ कर आराम करने की छूट मिली हुई थी और काम भी क्या था, पानी का पाइप पकड़ कर दीवारों और फर्श पर दिन में 3 बार पानी से तराई करना.

ठेकेदार और मकान मालिक को कोई जल्दी नहीं थी. वे जानते थे कि सब्र का फल मीठा होता है. एक हफ्ते बाद मकान मालिक ने दोमंजिला बनते मकान के किसी सूने कमरे में तराई करती उस लड़की का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘तुम्हें बहुत मेहनत करनी पड़ती है. तुम को कोई परेशानी हो तो मुझे बताना,’’ और धीरे से उस की पीठ पर हाथ फेरने की कोशिश करने लगा.

लड़की चौंकते हुए डर कर पीछे हट गई. उस ने मकान मालिक की आंखों में ऐसा कुछ देखा जो उसे ठीक नहीं लगा. पानी में भीगा उस का बदन ठंड और डर से कांप रहा था. उस के मुंह से आवाज भी नहीं निकल पा रही थी. पानी का पाइप उस के हाथ से छूट कर कंक्रीट से बने फर्श पर बह रहा था. उस ने कमरे से निकलने की कोशिश की, पर बिना दरवाजे के उस कमरे में निकलने के रास्ते पर मकान मालिक खड़ा था. मकान मालिक पुराना खिलाड़ी था. उस ने लड़की से कहा, ‘‘कुछ नहीं. तू अपना काम कर,’’ कहते हुए वह बाहर निकल कर ठेकेदार के पास आ गया.

ठेकेदार ने आंखों ही आंखों में उस से पूछा, पर उस ने असहमति से गरदन हिला कर मना कर दिया. उस के बाद शाम तक उस लड़की से किसी ने कुछ नहीं कहा. हफ्ते का आखिरी दिन शनिवार था. उस दिन सभी मजदूरों को मजदूरी का पैसा मिलता था. सुपरवाइजर ने सभी मजदूरों को उन की हाजिरी के हिसाब से रजिस्टर पर दस्तख्त करा कर या अंगूठा लगवा कर पैसा दे दिया. अगले दिन रविवार की छुट्टी थी.

सोमवार को सभी मजदूर काम पर आ गए थे. वह लड़की भी डरीडरी सी काम पर आई थी. काम शुरू होते ही रोज की तरह उस ने पानी का पाइप पकड़ कर जैसे ही तराई शुरू की, सुपरवाइजर ने उसे मना कर के ईंटें ढोने और दूसरे भारी कामों पर लगा दिया. अब उस लड़की को भारी काम देने और बातबात पर डांटने का सिलसिला शुरू हो गया. काम से निकालने की धमकी भी ठेकेदार द्वारा दी जाने लगी थी.

जवान मजदूर लड़की परेशान होने लगी थी, क्योंकि इतने दिन उस ने तराई करने का काम किया था. उसे ईंटें ढोने जैसा भारी काम करना अच्छा नहीं लग रहा था. खाने की छुट्टी के दौरान उस ने अधेड़ उम्र की पुरानी मजदूर, जिसे सब मौसी कहते थे, से जा कर अपनी समस्या बताई और ठेकेदार से सिफारिश करने को कहा कि उसे फिर से तराई का काम मिल जाए.

उस अधेड़ मजदूर की बात ठेकेदार मानता था. वह कई सालों से उस के साथ काम कर रही थी और काम करने में भी बहुत तेज थी. उस ने लड़की से कहा, ‘‘मैं ठेकेदार से बात करूंगी.’’ दिनभर काम करने के बाद घर जा कर वह लड़की थक कर चूर हो गई थी. वैसे भी उस ने भारी काम कई दिनों बाद किया था. बीच में उसे कमर सीधी करने का मौका भी नहीं मिला था, पर उसे भरोसा था कि मौसी अगर कहेंगी तो उसे तराई का काम फिर से मिल जाएगा.

इसी तरह काम करते हुए 3 दिन हो गए. भारी काम करतेकरते वह लड़की लस्तपस्त हो गई थी. बीच में चायनाश्ते और आराम की सुविधा भी खत्म हो गई थी.

ठेकेदार और मकान मालिक में गजब का सब्र था और अपनेआप पर यकीन था कि दूसरा तरीका कामयाबी दिलाएगा. शनिवार को मजदूरी बंटने का दिन आ गया था. सुपरवाइजर ने रजिस्टर पर अंगूठा लगवा कर रुपए उस के हाथ पर रखते हुए कहा, ‘‘तुझ से ठीक से काम नहीं हो रहा है. ठेकेदार नाराज हो रहे हैं कि इस लड़की को हटा कर दूसरी लड़की को काम पर लगा दो. मैं ने अभी तो उन्हें मना लिया है, पर आगे से काम ठीक से करना.’’

काम ठीक से करने के बावजूद काम से हटाने की धमकी से उस लड़की को कुछकुछ समझ में आने लगा था कि उस के साथ ऐसा क्यों हो रहा था. गरीबी और बेरोजगारी से भूखे रहने की नौबत आ सकती थी, इसलिए उस ने मौसी से एक बार और उस के घर जा कर मिलने की सोची. रात को खाना खा कर वह सीधा पास की झुग्गी बस्ती में रहने वाली मौसी के घर गई और जा कर उन से कहा कि ठेकेदार ने काम से निकालने की धमकी दी है.

मौसी ने पूरी बात सुन कर उसे दुनियादारी की बातें समझाते हुए कहा, ‘‘देख बेटी, हम गरीब मजदूर हैं. हमारे साथ तो ऐसा होता ही है. मेरे साथ भी हो चुका है. यह ठेकेदार नहीं होगा तो दूसरा होगा, यह साहब नहीं होगा तो दूसरा साहब होगा. ‘‘तेरी किस्मत और हिम्मत हो तो अपनेआप को बचा ले या काम से बचना है तो जो वे चाहते हैं कर ले.’’

मौसी ने अपने ब्लाउज में से 500 का नोट निकाल कर उस की मुट्ठी में दबाते हुए कहा,’’ ठेकेदार ने दिया है और कहा है कि तू चिंता मत कर. वे तेरा बहुत खयाल रखेंगे.’’ 500 का नोट जोर से पकड़ कर वह लड़की चुपचाप अपने घर आ गई. उसे देर तक नींद नहीं आई. ठेकेदार द्वारा आराम का काम देने और मकान मालिक द्वारा रोज स्वादिष्ठ नाश्ता कराने की याद कर के उस के मुंह में पानी आ गया था. वह सोचने लगी कि किस तरह ज्यादा मेहनत करने से रात को उस का बदन थक कर चूर हो जाता था.

उस ने अपनेआप से कहा कि इतनी मेहनत का काम मैं कैसे और कब तक करूंगी. फिर उसे मौसी की बात याद आ गई कि उस के साथ भी ऐसा हो चुका है, जब वह जवान थी. कुछ देर सोचने के बाद वह सो गई. दूसरे दिन रविवार था. आज वह निश्चिंत और बेफिक्र थी. मौसी भी उस से मिलने आई थीं. उस ने उन से भी खूब हंस कर बातें कीं.

मौसी समझ गईं कि उन का काम हो गया है. उन्होंने शाम को ही ठेकेदार को खबर कर दी कि लड़की ने 500 रुपए ले लिए हैं. दूसरे दिन सोमवार को वह लड़की नहाधो कर अच्छी तरह तैयार हो कर काम करने निकली. साइट पर सब उसे देखने लगे.

सुपरवाइजर ने भी हलकी मुसकान से उसे देखा क्योंकि साहब लोगों के बाद बची हुई मलाई पर उसे भी मुंह मारने का मौका मिलने की उम्मीद थी. मौसी ने ठेकेदार को जो बताया था, उस से उसे लग रहा था कि बड़े साहब आज खुश हो जाएंगे. वह उन का ही इंतजार कर रहा था. साहब दफ्तर से बीच में कोठी का काम देखने आने ही वाले थे.

सुपरवाइजर ने उस लड़की को ऊपर के कमरों में जिन का प्लास्टर हो गया था तराई करने को कहा. वह ऊपर जा कर पाइप उठा कर तराई का काम करने लगी. बालकनी से उस ने साहब को कार से उतरते देखा. ठेकेदार तेजी से उन के पास गया और ऊपर देखते हुए वे आपस में कुछ बात कर रहे थे. काम की रफ्तार बढ़ गई थी. मिक्सर मशीन का शोर भी तेज था. लड़की भी दीवारों पर पानी फेंक कर दीवारों को मजबूत बना रही थी. थोड़ी देर बाद ठेकेदार उसी कमरे में आ गया और मुसकराते हुए कहने लगा, ‘‘चल, जरा स्टोररूम में… एक काम है.’’

लड़की ने धीरे से, लेकिन मजबूत आवाज में कहा, ‘‘मैं जानती हूं कि क्या काम है, लेकिन मैं यह सब नहीं करूंगी,’’ उस ने तुरंत पानी का पाइप नीचे पटका और साड़ी के पल्लू में बंधा 500 का नोट निकाल कर उसे वापस करते हुए कहा, ‘‘ठेकेदार, साहब, काम जितना मरजी करा लो, आज से मैं तराई का काम नहीं करूंगी. तुम कहोगे तो 2 मजदूरों के बराबर काम करूंगी, लेकिन अपनी इज्जत नहीं दूंगी,’’ इतना कह कर वह नीचे उतर कर सुपरवाइजर से कहने लगी, ‘‘मैं तराई का काम नहीं, ईंटें ढोने का काम करूंगी.’’

इतना कह कर उस लड़की ने तसले में ईंटें भरनी शुरू कर दीं.

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