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आरक्षण की अनसुलझी गुत्थी

आरक्षण के खिलाफ ऊंची जातियों ने अपनी मुहिम को तेज कर दिया है. आरक्षण कट्टर व हिंदूवादियों की आंखों में खटकने वाला सब से बड़ा मुद्दा है. हिंदू कट्टरपंथी जनता न मुसलमानों से गुस्सा है न पाकिस्तान से. यह केवल बहाना है. उसे तो असल में उन शूद्रों व अछूतों से नाराजगी है जो आरक्षण के सहारे सदियों से बनी वर्ण व्यवस्था के किनारों पर बाहर से सीढि़यां लगा कर चढ़ रहे हैं. वे उस पर चौतरफा हमला कर रहे हैं और समाज के हर उस वर्ग को जमा कर रहे हैं जिसे आरक्षण से फायदा नहीं मिल रहा या जो आरक्षण की गुत्थी को मंदिरों के पूजापाठ के धुएं की वजह से समझ नहीं पा रहा है.

आरक्षण जन्म से नीचे कहे जाने वाले लोगों के लिए कच्चे धागे की तरह ही है, यह हाल में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में मान लिया है. मामला थोड़ा रोचक है. सुनीता अग्रवाल पैदा तो बनियों में हुई पर उस ने प्रेम विवाह उस वीर सिंह से कर लिया जो जाटव जाति का है. 1991 में सुनीता को एक सर्टिफिकेट मिल गया कि वह जाटव है और उसे पठानकोट, पंजाब के एक स्कूल में आरक्षण के आधार पर पोस्ट ग्रेजुएट टीचर की नौकरी मिल गई. 2013 में किसी ने शिकायत कर दी कि वह तो ऊंची जाति की है.

तहसीलदार ने 2013 में 1991 में जारी किया सर्टिफिकेट कैंसिल कर दिया और सुनीता सिंह (अग्रवाल) को सर्टिफिकेट लौटाने को कहा. 2015 में केंद्रीय विद्यालय संगठन ने उस की नौकरी खत्म कर दी. मामला अदालतों में गया. गनीमत है न्याय में देर है, अंधेर है का फार्मूला उस पर लागू नहीं हुआ और 2016 में मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया जिस ने 19 जनवरी, 2018 को अपना फैसला भी सुना दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम बात जो कही वह यह है कि इस बारे में कोई विवाद नहीं है कि जाति जन्म से तय होती है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी मान लिया कि जाति का सवाल हिंदू वर्ण व्यवस्था, पुराणों, स्मृतियों के हिसाब से तो पैदाइश पर है. नीची जाति में जन्मे हो तो नीचे ही रहोगे. जो लोग लीपापोती करते हैं कि जाति तो कर्म से होती है वह उन्हीं इशारों पर चल रहे सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘जाति विवाह से नहीं बदल सकती और चूंकि सुनीता ‘अग्रवाल’ परिवार में जन्मी थी जो जनरल कैटेगरी में आती है शैड्यूल्ड कास्ट में नहीं, उसे शैड्यूल्ड कास्ट का प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता.’

सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं बताया कि 2013 में शिकायत किस ने की, क्यों की. 21 साल तक भलीभांति काम करने के बाद भी और वाइस प्रिंसिपल बनने के बाद भी सुनीता न तो जनरल कैटेगरी के लायक मानी गई और न ही विवाह कर लेने के बाद शैड्यूल्ड कास्ट. उसे सुप्रीम कोर्ट ने बिन जाति का बना दिया, उस का दोष न होते हुए भी. यानी अच्छे कर्म करने के बावजूद वह लोगों को मंजूर नहीं थी कि लोगों ने उस की फाइल 2013 में कुरेद कर जाति प्रमाणपत्र को गलत करने की सोच भी ली.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उस के सैकड़ों एजेंट जो मंदिरों, आश्रमों, मठों, कुंडलियों की दुकानों, सरकारी ओहदों पर बैठे हैं एक बार फिर रामायण और महाभारत का युग लाना चाह रहे हैं जहां शंबूक और एकलव्यों की कोई जगह नहीं थी. पुराण आज के दलितों की, अछूतों की तो बात भी बहुत कम करते हैं. अफसोस यह है कि सुप्रीम कोर्ट भी उन के मनसूबों का हिस्सा बन गया है.

जाति की पहचान अब ऐसी है कि सुप्रीम कोर्ट के हिसाब से, कि शादी से भी नहीं धुल सकती. कोई बड़ी बात नहीं कोई फैसला आ जाए कि जनरल कास्ट और शैड्यूल्ड कास्ट विवाह के बाद पैदा हुए बच्चे का जन्म भी सवालों के घेरे में आ जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर मुहर लगाई है कि भैंस को चाहे जितना धो लो वह गऊ माता तो नहीं बन सकती.

कभी नहीं से देर भली

क्रयक्षमता तथा जीवनस्तर में वृद्धि के कारण वाहनों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जबकि सड़कों की क्षमता स्थायी बनी हुई है. एक ओर तेज गति के सभी वाहनों का तीव्र उत्पादन तो दूसरी ओर सरकारी वाहनों की सड़कों पर भरमार. सब को जल्दी है तुरंत गंतव्य स्थान पर पहुंचने की. हम ठहरना नहीं चाहते. बस, दौड़ रहे हैं, दौड़े जा रहे हैं.

यह सही है कि अनेक बार नियमबद्ध, उचित एवं सही ढंग से वाहन चलाने पर भी दुर्घटनाएं हो जाती हैं. दूसरे की गलती का परिणाम किसी दूसरे को भुगतना पड़ता है. जल्दबाजी, लापरवाही, हड़बड़ाहट या सुरक्षा नियमों का पालन न करना दुर्घटनाओं के मुख्य कारण बन जाते हैं. यातायात आचार संहिता का पालन व्यक्तिगत तौर पर भी पूरी सतर्कता के साथ किया जाना चाहिए.

अनगिनत हादसे समाचारपत्रों में प्रकाशित होते हैं. 21 वर्षीय मोटरसाइकिल सवार का जोरदार ऐक्सिडैंट हुआ. बस उस के पैरों को कुचलते हुए निकल गई. जब उसे होश आया तो उस ने बताया कि वह अपनी सामान्य गति से मोटरसाइकिल चला रहा था कि उस के आगे चलती कार का दरवाजा खुला और किसी ने मुंह निकाल कर पीक थूकी. गाड़ी का अचानक दरवाजा खुलने से मोटरसाइकिल उस से टकरा गई. कुछ समझता या संभलता, इस से पहले ही संतुलन बिगड़ गया और साथ चलते वाहनों से टकराता हुआ पीछे आती बस के सामने गिर पड़ा.

बसचालक का जवाब था, ‘मैं ने बहुत कोशिश की उस मोटरसाइकिल सवार को बचाने की पर इतना ही कर पाया अन्यथा साइड और आगे के वाहनों तथा अन्य चालकों को भारी नुकसान हो सकता था. मुझे दुख हुआ कि उस के पैर नहीं रहे.’

कार का दरवाजा खोलना हो या कार से उतरना हो, दरवाजा खोलने से पहले पीछे नजर जरूर डालें कि कोई साइकिल, स्कूटर या कार आदि वाहन आ तो नहीं रहा है. इसी तरह किसी खड़ी हुई कार के पास से गुजरें तो 3-4 फुट के फासले से गुजरना चाहिए ताकि खड़ी कार का दरवाजा अचानक किसी कारणवश खुल भी जाए तो टकराना संभव न हो.

ऐसी अनेक अवांछित हरकतें हमें सड़कों पर होती नजर आती रहती हैं. दुपहिया या चौपहिया वाहन चलाते हुए कई बार देखा गया है कि चालक सिगरेट पीतेपीते सिगरेट की चिंगारी को उंगली से झिड़कते हैं. ऐसा करने वाले लोग भूल जाते हैं कि पीछे भी वाहन अथवा पैदलयात्री आ रहे हैं. हवा के झोंके से सिगरेट की चिंगारी के कण आंखों में अचानक घुस जाने से वाहनचालक का संतुलन बिगड़ जाता है और अनहोनी हो जाती है. इसी प्रकार खानेपीने के छिलके अथवा पैकेट चलती गाड़ी से बाहर सड़क पर फेंकना बुरी आदतों में से एक है.

कुछ ही समय पहले की बात है, एक महिला अपने बच्चे के साथ स्कूटी पर जा रही थी. राह चलते किसी ने बस में से चाट की प्लेट बाहर फेंकी. महिला के साथ 3 वर्षीय बालक था, वह प्लेट बच्चे के मुंह पर गिरी. आंख में मिर्च व चाट सामग्री गिरने से बच्चा अचानक उछल पड़ा, जिस से महिला के वाहन का संतुलन बिगड़ गया. दोनों गिर पड़े. बच्चे को भी सिर में चोट आई. महिला ने बस रुकवा कर लड़ाईझगड़ा किया. साथ ही, ट्रैफिक संचालन में बाधा उत्पन्न हुई, सो अलग.

एक तो गलत तरीके से वाहन चलाना और दूसरी ओर चालान काटने वाले पुलिस अधिकारी को देखा नहीं कि वाहन चालक के होश उड़ जाते हैं, पसीनेपसीने हो जाते हैं. चालान राशि व दुविधा से बचने के लिए कई लोग वाहन रफ्तार और तेज कर लेते हैं लेकिन अचानक सामने पुलिसकर्मी आगे खड़ा हो कर रास्ता यदि रोक भी लेता है तो भी हिम्मत तो देखिए, उस से बचने के लिए तुरंत ब्रेक लगा कर यूटर्न या गाड़ी विपरीत दिशा में मोड़ने का प्रयास दुर्घटना को आमंत्रण देना नहीं है तो और क्या है. ऐसी हरकतें खुद के वाहन का तथा अन्य राहगीरों का संतुलन बिगाड़ सकती हैं, कई वाहन आपस में भिड़ सकते हैं और लोग चोटिल हो सकते हैं.

रोड क्रौस करने, चलने व आगे बढ़ने की जल्दबाजी सभी को रहती है. प्रैजैंस औफ माइंड में रह कर वाहन चलाना चाहिए.

यह ठीक है चौपहिया या दुपहिया वाहन आप नियम व धैर्य से चला रहे हैं लेकिन आप के पीछे या सामने से आने वाले वाहनचालक को बहुत जल्दबाजी है और वह हौर्न पर हौर्न दे रहा है. तो घबराए नहीं, आप अपनी लेन में अपनी गति से वाहन चलाते रहिए, हड़बड़ाहट नहीं. आगे रास्ता खाली हो या नहीं, जल्दबाजी ठीक नहीं. हड़बड़ाहट से वाहन का संतुलन बिगड़ सकता है. रास्ता मिलने पर ही अपने वाहन को आगेपीछे या दाएंबाएं गति दें. किसी के दबाव में ऐसा कुछ न करें.

आगे चल रहे वाहन से आगे निकल कर जाना है तो रात्रि के समय हैडलाइट को जला और बुझा कर साइड के लिए आगे के चालक को संकेत दे सकते हैं. बिना हौर्न बजाए, साथ ही वाहन के बाईं तरफ से ओवरटेक न करें.

वाहनों के बीच गति व दूरी में अंतराल रखें क्योंकि आगे चलने वाले वाहनों के आगे कुछ भी अकस्मात स्थिति आने की संभावना हो सकती है. अचानक लगाई गई ब्रेक के फलस्वरूप पीछे आने वाली कितनी ही गाडि़यों को क्षति पहुंच सकती है. वाहनों से दूरी बनाए रखना इसलिए भी जरूरी है कि कभीकभी त्वरित ब्रेक लगाना आवश्यक हो जाता है. वाहन चलाते समय चौकन्ने रहें. हो सकता है कोई जानवर या व्यक्ति अचानक भागता हुआ सामने आ जाए.

इंडीकेटर देने पर भी पीछे आते वाहनों की गति कई बार कम नहीं होती. आप दाएं या बाएं मोड़ पर मुड़ रहे हैं तो साइड मिरर्स तथा व्यूमिरर खुला रखें तथा इन का उपयोग जरूर करें और पीछे आते वाहनों की गति को देखते हुए ही अपने वाहन को गति दें. हाथों का उपयोग कर सकते हैं और हाथों के इशारे से अपना रास्ता निकालें अन्यथा अन्य वाहन पर आप चढ़ जाएंगे और पीछे से भी भिडंत हो सकती है. घुमाव के दौरान गति धीरे कर के ही वाहन घुमाएं. बाईं तरफ से ओवरटेक नहीं किया जाना चाहिए. यदि वाहन नियंत्रित नहीं हो रहा है तो गीयर डाउन करें और हैंडब्रेक का इस्तेमाल करें. भूल कर भी ओवरटेक न करें. गलत ढंग से किए गए ओवरटेक से ही अधिकतम दुर्घटनाएं होती हैं.

अकस्मात स्थिति के दिखाई पड़ने पर सतर्क हो जाएं, रफ्तार कम कर गीयर बदल लें जिस से कि आवश्यकता पड़ने पर ब्रेक लगाने पर वाहन रुक सके. ब्रेक लगाने से पहले व्यूमिरर जरूर देख लें कि पीछे कोई वाहन सट कर तो नहीं चल रहा कि आप के ब्रेक लगाते ही उस के वाहन से आप का वाहन भिड़ जाए.

दुपहिया वाहन किसी चौपहिया वाहन के बिलकुल पीछेपीछे बीचोंबीच की स्थिति में न चलें क्योंकि हो सकता है कि चौपहिया वाहन आगे खड्डे या पानी से बच कर उस के ऊपर से गाड़ी निकाल रहा हो और वह सुरक्षित निकल भी जाए किंतु पीछेपीछे बीच में चलने वाला दुपहिया वाहन खड्डे अथवा पानी में गिर सकता है या फिसल सकता है.

रफ्तार से वाहन चला रहे हैं, सामने हरीबत्ती को पार करने की अतिशीघ्रता अनर्थ कर सकती है, किसी की जान भी ले सकती है या जान जा भी सकती है. चौराहा पार करने की जल्दबाजी में हरीबत्ती के बाद रुकने की चेतावनी पीली बत्ती को पार करना दुखदायी हो सकता है.

लालबत्ती पर वाहन रुकते हैं जिस से अन्य मार्गों के वाहनचालकों को समुचित रास्ता मिल सके. किंतु यह क्या कि नियमों का पालन तो किया, लालबत्ती पर रुक भी गए किंतु हरीबत्ती के दर्शन होने से पहले ही समय संकेत के खत्म होने से कुछ सैंकंड्स पूर्व ही वाहन को तेज गति से आगे बढ़ा लिया. यह उचित नहीं. जब आप ऐसा कर सकते हैं तो कोई और भी ऐसा कर सकता है. ऐसे में टक्कर लगने की संभावना रहती है. या दूसरे मार्गों के चालक पूरी तरह निकल कर जा भी नहीं चुके होते हैं और आप हैं कि रफ्तार से बिना हरीबत्ती का संकेत आए ही आगे निकल पड़े अथवा हरीबत्ती खत्म और रुकने के संकेत चिह्न की पीलीबत्ती पर भी आप वाहन तेज गति से ले जा रहे हैं तो ऐसे में आपस में वाहन भिड़ने की संभावना ज्यादा रहती है.

गलियों के बाहर या सड़क पर बच्चे या बड़ों द्वारा भी पटाखे फोड़े जाते हैं. ऐसा करना भी सड़क दुर्घटना का कारण बनता है.

सड़क पर बीचबीच में कुछकुछ दूरी पर स्पीडब्रेकर्स बने होते हैं. इन्हें हलके में न लें क्योंकि हर जगह स्पीडब्रेकर्स की डिजाइन, ऊंचाई, चौड़ाई तथा संकेत चिह्न भिन्नभिन्न होते हैं. तेज रफ्तार से वाहन गुजारने पर वाहन उछल सकता है या संतुलन बिगड़ सकता है.

ट्रैक्टर, जुगाड़ की आवाजाही अधिकतम रात्रि में ही होती है. ट्रैक्टर, जुगाड़ तथा ट्रालियों की बनावट आगे के हिस्से में संकरी तथा पीछे के हिस्से से चौड़ी होती है. रात में कभीकभी दुपहिया वाहन समझ कर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और दुर्घटना घटित हो जाती है.

लब्बोलुआब यह है कि वाहन चलाएं लेकिन सावधानी से. सभी चालकचालिकाएं अपने वाहनों को फिट रखें, ट्रैफिक नियमों का पूरी तरह से पालन करें क्योंकि दुर्घटना से देर भली.

सड़क पर धोखा

एक बार लालबत्ती होने के चलते गाड़ी रोके जाने पर अचानक एक आदमी कपड़ा ला कर कार का शीशा पोंछने लगा. वाहनचालक ने दाईं गेट का शीशा नीचे कर बहुत मना किया कि रहने दो. शीशा साफ मत करो. वह नहीं माना. वह यह बोल ही रहा था कि दूसरी ओर एक महिला और आ गई, भीख मांगने लगी. वे ही चुनेचुनाए जुमले, ‘सुबह से कुछ खाया नहीं, भूखी हूं, पति नहीं हैं, बच्चे बीमार हैं, कुछ पैसे दे दो.’ चालक झुंझला गया. वह औरत चुप ही नहीं हो रही थी. पीछे पड़ गई और उधर आदमी सामने वाला कांच पोंछता हुआ बाईं ओर का शीशा भी पोंछने लगा. चालक ने औरत की आवाज अनसुनी कर के बाईं ओर गेट का शीशा नीचे किया और जोर से डांटा, ‘सुनाई नहीं दे रहा क्या? नहीं पोंछनी है गाड़ी.’ पर, यह क्या, उधर उस आदमी को मना किया वह अब मान भी गया और इधर, औरत की आवाज के साथ औरत भी गायब. इतनी देर में हरीबत्ती हो गई. चालक दोनों शीशे ऊपर चढ़ा कर रवाना हुआ कि बीच चौराहे पर आतेआते अचानक ब्रेक लगा दिया, पीछे आते वाहन भी भिड़ गए. दोपहिए चालक गिर कर चोटिल हो गए. ट्रैफिक पुलिस वाले भी दौड़े आए. हौर्न पर हौर्न. पूरा चौराहा असंयमित वाहनों से घिर गया. चालक पुलिस वालों पर चिल्लाने लगा, ‘वो मेरा मोबाइल चुरा ले गई.’

सारी कथा का सारांश यही रहा कि ऐसे गिरोह के लोग ध्यान बंटा कर तुरंत अपराध कर डालते हैं. यह लालबत्ती पर मात्र 90 सैकंड में होने वाला अपराध था. बहुत ढूंढ़ा आसपास उस आदमी और भीख मांगने वाली औरत को, दूरदूर तक दोनों नहीं दिखे. सावधान रहें, दुर्घटना से बचें.

असावधानी से बचें सुरक्षित रहें

सही कपड़े पहनना भी सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी है. एक कालेज गर्ल तेज रफ्तार से स्कूटर सड़क पर दौड़ा रही थी. सड़क करीबकरीब खाली थी. लड़की को अपना गला कसता हुआ महसूस हुआ. गले पर हाथ लगाया तो गला चुन्नी से कसता हुआ लगा. चूंकि उस की रफ्तार बहुत तेज थी, उस के द्वारा एक ओर ब्रेक लगाने की कोशिश और दूसरी ओर कसती हुई चुन्नी से कसते हुए गले से छूटने की कोशिश. कुछ भी नहीं संभला और वह धड़ाम से स्कूटर से फिसल गई. यह जिक्र करना आवश्यक नहीं कि उसे कितनी चोट आई.

इसी तरह वाहन चलाते समय मोबाइल पर बातों से ध्यान बंटाना आफत को बुलाना है. मोबाइल कान के नीचे दबा कर गरदन टेढ़ी कर के चाहे कितनी ही तकलीफ हो रही हो, सुनते भी रहना है और जवाब भी देते रहने से जानलेवा दुर्घटनाएं घट सकती हैं.

धर्म स्थान भी दुर्घटनाओं के जिम्मेदार हैं. आगे वाला तेज गति से वाहन चला रहा है. आप भी रफ्तार से उस के पीछे हैं और साइड के चालक भी अपने वाहन को गति दिए हुए हैं. किंतु आगे वाहन चालक अचानक गाड़ी को ब्रेक दे कर धीमा करता है और सड़क के किनारे स्थित मंदिर के सामने हाथ जोड़ देता है. यह क्या तरीका है, वाहन चलाते समय पीछे वालों का खयाल रखें.

हौर्न : मनचले युवक अजीबोगरीब ध्वनि पसंद करते हैं. वाहन के हौर्न की आवाज भयभीत कर देने या इतनी चौंकाने वाली होती है कि जब कोई वाहन ऐसे हौर्न को बजाता हुआ निकट से निकलता है तो करीब चलने वाले अचानक चौंक जाते हैं.

स्टंट : भीड़भड़ाके वाले स्थान स्टंट करने तथा करतब दिखाने के लिए नहीं हैं. ऐसा करने वाले खुद भी चोटिल होते हैं, दूसरों को भी करते हैं. सड़कों पर ऐसे प्रयोगों से अन्य चालकों का ध्यान बंटता है.

अपराध : दुपहिया या चारपहियों की गाड़ी चलाते समय खयाल रखें कि आभूषण या पर्स आदि का खुला प्रदर्शन न हो. चेन सड़क पर खींचने वाले अपराधी सड़कों पर आम घूमते हैं. चेन, पर्स या अन्य आभूषण आदि अचानक खिंचने के क्रम में वाहन का संतुलन बिगड़ जाता है.

जेब्रा क्रौसिंग : पैदल चलने वालों को सड़क के किनारे चलने का हक है. पैदलयात्री सड़क पार करते समय हरीबत्ती होने पर सड़क क्रौस न करें. हरीबत्ती नजर आते ही सभी को जल्दी होती है. अपनेअपने वाहन को त्वरित गति से आगे निकालने की होड़ में अवांछनीय दुर्घटना से बचें. खयाल रखें कि लालबत्ती पर ही या पदमार्ग अथवा जेब्रा क्रौसिंग से ही सड़क क्रौस करें.

कालीन साफ रखने के ये हैं आसान टिप्स

घर की सजावट और जरूरत के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले गलीचे और कालीन को साफ रखना एक बड़ी चुनौती है. विशेषज्ञों की मानें तो इसे लंबे समय तक ठीक ढंग से रखने के लिए साफ रखे जाना जरूरी है.

वेक्यूम-क्लीनर से सफाई करना : रोजाना वेक्यूम से कार्पेट साफ रखने में मदद मिलती है. कार्पेट अधिक नाजुक होती है, जिसके चलते इसे ब्रश के बिना वेक्यूम से साफ करना चाहिए. अगर कार्पेट का धागा निकलता है तो इसे खिचना नहीं, बल्कि कैंची से काटना चाहिए.

धब्बे साफ करें : ड्रॉप गिरने या बहाव होने पर इसे प्लॉटिंग पेपर के साथ तुरंत सुखाना चाहिए. अगर यह सोल्वेंट या स्प्रिट से साफ न हो तो इसे सफेद सिरके और बराबर मात्रा में पानी के साथ साफ करें.

धुलाई : इसे घर पर धोने का प्रयास न करें. इसके लिए किसी पेशेवर से संपर्क करें. धूल, मिट्टी और नमी से बचाएं : गीले कालीन पर फफूंदी लग जाती है. इससे गीला ऊन सड़ना शुरू हो जाता है, जिससे गंध आने लगती है. इसमें नमी बनाए रखने के लिए इसे सूरत या उचित वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए.

उचित ढंग से रखना : सूखी और उचित जगह पर रखना. गलीचे मोड़ कर नहीं रखना चाहिए.

जीवन सरिता : हौसलों की उड़ान

पथ की बाधाओं से राही

हार न जाना

तुम बढ़ते जाना.

उपरोक्त पंक्तियां पूर्णतया सत्य हैं. किसी नए काम को शुरू करने से पहले उस के लिए योजना बनाना अत्यंत आवश्यक है. योजना बनाने के साथ ही हर कार्य में अनेक दुविधाएं पैदा होने की पूरी आशंका रहती है क्योंकि हम जो खयालों में सोचते हैं वह असलियत के धरातल पर खरा उतरे ऐसा जरूरी तो नहीं. लेकिन क्या पहले से ही समस्या से डर कर हम सपने देखना छोड़ दें और नए कार्य को शुरू ही न करें? बिलकुल नहीं.

इस बारे में मुंबई के व्यवसायी राकेश शर्मा कहते  हैं, ‘‘मेरा जन्म मुंबई में हुआ. पिताजी एक छोटी सी प्राइवेट मिल में काम करते थे और हम मुंबई की एक चाल में रहते थे. जब मैं  9-10 वर्ष का था, मिल में कर्मचारियों की छंटनी हुई. मेरे पिताजी को भी निकाल दिया गया. घर में खाने की समस्या आ गई थी. मां ने सिलाई का काम शुरू किया तो मैं उन के द्वारा सिले ब्लाउजों में हुक लगाता और तुरपाई करता था. लेकिन उस में पैसे बहुत कम मिलते थे. हम 4 भाईबहन हैं. घर का खर्च चलना मुश्किल था. मैं ने हिम्मत कर मुंबई में ही रद्दी किताबों में से काम की किताबें छांट कर फुटपाथ पर बेचनी शुरू कीं. मेरे पिताजी को यह काम बहुत छोटा लगा. लेकिन पेट भरने के लिए मैं किसी भी काम को छोटा नहीं समझता, बस ईमानदारी का साथ न छूटे. मां सुबह से घर में सिलाई का काम करती और शाम को 4 बजे जब मैं दुकान लगाता तो मुझे सहयोग करती.

‘‘सुबह मैं स्कूल जाता और शाम को वहीं दुकान पर बैठ कर किताबें पढ़ता और बेचता. हमारा काम अच्छा चल पड़ा. घर का खर्च निकलने लगा था. तब पिताजी ने भी सहयोग करना शुरू किया. पिताजी रद््दी वाले के यहां से छांट कर किताबें लाते और मैं बेचता. दुकान पर बैठ सभी तरह की किताबों को पढ़ कर मुझे हर तरह की जानकारी हो गई. कुछ वर्षों में मुझे इंजीनियरिंग में दाखिला मिल गया. तभी पिताजी को उसी मिल में काम के लिए बुलाया गया और उन की नौकरी फिर से चालू हो गई. लेकिन इस बीच मेरा छोटा भाई पढ़ाई छोड़ चु़का था. उस ने दुकान संभालना शुरू किया.

‘‘इंजीनियरिंग पूरी होते ही मुझे 5 हजार की नौकरी मिली, जो उस समय मेरे लिए काफी थी. मैं ने अपने भाई को वापस पढ़ने में लगाया और आज वह नामी सौफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत है.

‘‘10 वर्ष की उम्र से ही जो भूख मैं ने देखी उस ने मेहनत करना सिखा दिया. उस समय काम करना मेरी मजबूरी थी, लेकिन उस के बाद जो मेहनत का सिलसिला चला तो पूरे भारत में शिक्षा के क्षेत्र में टौपर रहा और अब 4 लाख मासिक तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ अपना कारोबार शुरू किया जो बहुत अच्छा चल रहा है. जब छोटा था तो मुंबई में एक कमरे के फ्लैट के सपने देखा करता था और आज मुंबई के पौश इलाके में मेरे 3 बड़ेबड़े फ्लैट हैं.’’

राकेश की बात सुन कर मैं ने पूछा, क्या आप को फुटपाथ से 4 लाख की नौकरी और फिर उस के बाद अपने कारोबार के सफर में बाधाएं नहीं आईं?

सुन कर राकेश हंस कर बोले, ‘‘बहुत मुश्किलें आईं. सब से पहले तो यह विचार आया कि लोग क्या कहेंगे? सड़क पर बैठ कर किताब बेच रहा है? लेकिन भूखे को खाना चाहिए, दिखावा और झूठी इज्जत नहीं.

‘‘कई बार मुंबई में नगरनिगम वाले सारा सामान इधरउधर फेंक देते हैं क्योंकि फुटपाथ पर काम करना नियमों के अनुसार गलत है, तो बहुत डर लगा रहता था. धीरेधीरे सभी रिश्तेदारों ने मुंह मोड़ लिया. अमीर लोगों को गरीब तो समस्या की पोटली लगता है. जब मेरे विवाह का समय आया तो रिश्ते की बात चलते ही लोग पहले की स्थिति के बारे में जानना चाहते. कई लोगों ने मुझे ठुकराया भी, लेकिन मेरी बातचीत, व्यवहार, चालचलन देख कर मेरे ससुर ने सहर्ष सब कुछ जानते हुए भी अपनी बेटी का रिश्ता मुझ से तय किया क्योंकि उन्होंने सकारात्मक ढंग से सोचा कि जो फुटपाथ से उठ कर यहां तक ईमानदारी के साथ आया है वह उन की बेटी को किसी तरह की परेशानी नहीं होने देगा.’’

ढलती उम्र में बुलंद हौसले

इसी तरह जब अनु से बात हुई तो उस ने बताया, ‘‘मैं एक इंजीनियर हूं और मेरे पति भी सिविल इंजीनियर हैं. जब मेरा विवाह हुआ तो कुछ दिनों तक तो मेरे पति ने नौकरी की, उस के बाद काम पर जाना बंद कर दिया. मैं ने उन्हें कई बार समझाया पर वे नहीं माने. उस के बाद जहां भी काम पर जाते, थोड़े दिनों में लड़ाईझगड़ा कर के काम छोड़ देते. फिर उन्हें दिल्ली में अच्छा काम मिला. मैं अपनी नौकरी छोड़ कर उन के साथ चली गई क्योंकि मैं जानती थी कि वे वहां अकेले नहीं रहेंगे. काम छोड़ कर आ जाएंगे. लेकिन जैसे ही वह प्रौजेक्ट पूरा हुआ वे फिर घर  बैठ गए. मैं ने कईर् बार कोशिश की कि वे काम करें पर कुछ फायदा नहीं हुआ.

‘‘असल में वे मेहनत करना ही नहीं चाहते औैर सोचते हैं कि वे एक इंजीनियर हैं तो उन्हें लग्जरी जौब मिलनी चाहिए. पर बिना मेहनत किए लग्जरी कहां से आ जाएगी? मैं और मेरे पति पूरी तरह से ससुर पर निर्भर थे. मुझे यह बहुत बुरा लगता. शादी को 15 वर्ष इसी तरह बीत गए. मन ही मन अपने स्वाभिमान को ठेस लगी तो मैं एक बार अपने पति से नाराज हो कर मायके चली गई. सास को बहुत बुरा लगा और आसपास के लोग भी तरहतरह की बातें बनाने लगे थे.

‘‘मेरे बड़े भाई ने मुझे कंप्यूटर का लेटैस्ट कोर्स करवाया. फिर मुझे रियल स्टेट में मार्केटिंग का काम मिला और मैं फिर ससुराल आ गई. आज मैं खुश हूं कि मैं ने एक नई शुरुआत की और स्वाभिमान के साथ जी रही हूं.’’

इतने वर्ष दूसरे क्षेत्र में नौकरी करने में मुश्किल नहीं लगता? पूछने पर उन्होंने बताया, ‘‘सब से पहले तो पति को छोड़ कर मायके जाने का फैसला लेना ही बड़ा मुश्किल था. जब मार्केटिंग का काम शुरू किया तो रोज नए क्लाइंट से मिलना होता. मुझे फील्ड का बिलकुल अनुभव नहीं है. अब शुरू से सीख ही रही हूं. मेरी कई पुरानी मित्र मेरी बहुत मदद करती हैं. बस आप दिल से कुछ करना चाहें तो सारी कायनात आप का साथ देती है. अब जब मैं नया काम करना चाहती हूं तो परेशानियां तो आएंगी ही, लेकिन हिम्मत रखें तो सब साथ देते हैं. सो परेशानियों से क्या घबराना?’’

एक तरफ अनु के पति हैं जो मेहनत नहीं करना चाहते हैं और नौकरी शुरू करते ही उस में कमियां ढूंढ़ कर नौकरी छोड़ने का बहाना ढूंढ़ते हैं. यदि उन्हें कमियां नजर भी आती हैं तो वे स्वयं ही अपनी मेहनत व लगन से कोई काम क्यों नहीं ढूंढ़ लेते? वहीं दूसरी तरफ स्वयं अनु स्वाभिमान से जीना चाहती हैं इसलिए दूसरे क्षेत्र में भी मेहनत कर रही हैं. यदि काम करने से पहले ही विघ्नों से डर जाएं तो फिर तो काम होने से रहा.

हार के बाद ही जीत है

ऐसे ही मेरे एक और करीबी मित्र हैं डा. मनोज. वे सरकारी नौकरी करते हैं. बचपन बहुत छोटे गांव में बीता और फिर पढ़ने के लिए दिल्ली आ गए. जीवन में कुछ करने की ललक है उन में. स्वयं तो वे गांव में रहते नहीं, लेकिन अपनी मां के माध्यम से अपने गांव का सुधार करना चाहते हैं. उन के पिता के पास तो पैसों का इंतजाम था इसलिए दिल्ली रह कर पढ़ लिए. लेकिन गांव के अन्य गरीब लोग भी पढ़ जाएं तो गांव का सुधार हो जाए. इसलिए वे वहां स्कूल खोलना चाहते हैं. गांव में सड़कें बनाना चाहते हैं, वहां अस्पताल का इंतजाम करना चाहते हैं. लेकिन इन सब के लिए वहां की राजनीतिक ताकतें उन के खिलाफ हो जाएंगी. यह बात वे अच्छी तरह जानते हैं. क्योंकि सरकार जो फंड गांव के विकास के लिए देती है वह तो सब राजनेताओं में आपस में बंट जाता है इसलिए उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया. स्वयं सरकारी नौकरी करते हैं, इसलिए उन्होंने अपनी मां से चुनाव लड़वाया.

गांव के बहुत लोगों ने उन की मां को वोट दिए, लेकिन इस क्षेत्र में नए होने के कारण व काफी वर्षों से गांव से दूर रहने के कारण वे वहां की राजनीति समझ न पाए. उन्हें अपनी चुनावी घोषणाओं एवं शैक्षणिक विकास के वादों पर पूरा भरोसा था किंतु दूसरी पार्टी द्वारा अंतिम दिन रुपए दे कर वोटों की खरीदफरोख्त की गई जिस से उन की मां चुनाव हार गईं. फिर भी उन्हें इस क्षेत्र में होने वाली राजनीति का पूरा ज्ञान हो गया औैर कौन लोग आपस में मिले हुए हैं, वे भलीभांति जान गए थे.

मनोज कहते हैं, ‘‘कोई बात नहीं, अगली बार पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ेंगे. इस बार जो कमियां रहीं उन्हें अगली बार पूरी कर लेंगे.’’

उन से इस बारे में बात कर के मैं बड़ी आश्चर्यचकित हुईर् कि एक बार चुनाव हार कर भी उन्हें अगले चुनाव का इंतजार है. वे किसी विघ्नबाधा की परवाह नहीं करते. अब कह रहे हैं गांव में एक प्राइवेट स्कूल खोलेंगे, जिस में कम से कम फीस में गांव के बच्चों को पढ़ाया जाए. आज भी उन का उद्देश्य वही है बस तरीका बदल गया है.

कहने का मतलब यह है कि यदि उद्देश्य पर नजर हो, इरादे पक्के हों और मन में कुछ करने का जज्बा हो तो नए काम की शुरुआत करने में कोई डर नहीं होना चाहिए. समस्याएं आएंगी तो समाधान भी मिलेंगे. यदि किए गए कार्य में सफलता मिले तो कहने ही क्या, वरना कुछ सीखने को तो मिलता ही है. डूबता वही है जो पानी में उतरता है, किनारे खड़े होने वाले को समुद्र की मौजो का क्या एहसास?

विघ्नबाधाओं से डरिए नहीं. कर लीजिए जो मन में है, यह जीवन सिर्फ एक बार मिलता है. यह बड़ा अमूल्य है. इसे व्यर्थ न जाने दें. हिम्मत रखें और पथ में आने वाली हर बाधा को पीछे छोड़ आड़ीटेढ़ी पगडंडियों पर चल कर अपना रास्ता स्वयं बनाएं. आज नहीं तो कल, इस तरह नहीं तो उस तरह एक न एक दिन मंजिल मिल ही जाएगी.

किसी ने खूब कहा है :

मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं,

जिन के सपनों में जान होती है

पंखों से कुछ नहीं होता,

हौसलों से उड़ान होती है. 

महिलाओं के मेकअप करने से क्यों चिढ़ जाते हैं पुरुष…?

7पुरुष सोचते हैं कि जो महिलाएं मेकअप करती हैं, वे अधिक ‘प्रतिष्ठित’ हैं और वहीं एक महिला मेकअप किए हुई दूसरी महिला को देखकर उसे ‘हावी रहने की सोच वाल’ समझती है. एक नए शोध में यह पता चला है. शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि मेकअप किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति की अवधारणा को बदलता है. हालांकि यह निर्णय करने वाले (पुरुष या महिला) पर निर्भर करता है. यह पहला अनुसंधान है जो बताता है कि कैसे पुरुषों और महिलाओं का नजरिया मेकअप धारण की हुई महिला को लेकर अलग-अलग होता है.

स्कॉटलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ स्टिरलिंग से शोधार्थी विक्टोरिया मिलेवा ने बताया, “महिला और पुरुष दोनों का मानना है कि मेकअप धारण किए हुई महिला अधिक आकर्षक लगती है. लेकिन यह वास्तव में देखने वाले पर निर्भर करता है.” विक्टोरिया ने कहा, “मेकअप धारण की हुई महिला को देखकर पुरुष सोचते हैं कि वह अधिक ‘प्रतिष्ठित’ है वहीं महिला दूसरी महिला को देखकर उसे अधिक ‘दबंग’ समझती हैं.”

क्‍लींजिंग औयल है बेहतर मेकअप रिमूवर

अगर पार्टी के बाद मेकअप न हटाया जाए तो यह त्वचा के छिद्रों को बंद कर देता है. साथ ही मेकअप में मौजूद केमिकल त्वचा को क्षति पहुंचाते हैं. इसलिए सोने से पहले अपना मेकअप उतारना न भूलें. आपकी मेकअप किट में अच्छी क्वॉलिटी का मेकअप रिमूवर होना बहुत जरूरी है.

आंखें काफी सेंसिटिव होती हैं और उन्हें अतिरिक्‍त देखभाल की जरूरत होती है. फेशियल मेकअप जैसे फाउंडेशन और लिपस्टिक, वॉटर बेस्ट मेकअप क्लींजर से आसानी से साफ हो जाते हैं, लेकिन आई मेकअप जैसे- लाइनर, काजल और मस्कारा को हटाने के लिए अलग रिमूवर की जरूरत होती है. इसके लिए मेकअप रिमूवर सलूशन में अधिक ऑयल की जरूरत होती है.

क्लींजिंग के लिए ऑयल

क्‍लीजिंग के लिए आप साधारण तेल जैसे अरंडी का तेल, जैतून का तेल और नारियल के तेल का उपयोग करके भी त्‍वचा में चमत्‍कारी बदलाव महसूस कर सकते हैं. यह ड्राई, डिहाइड्रेट और असमय झुर्रियों वाली त्‍वचा के लिए अच्‍छा होता है.

कैसे करें ऑयल क्लींजिंग

इसे इस्‍तेमाल करने के लिए थोड़ा सा गर्म तेल अपनी हथेली पर लेकर, अपने चेहरे की कुछ मिनट के लिए मालिश करें. तेल मसाज के दौरान त्‍वचा के रोमछिद्रों में छिपी गंदगी को साफ करने और ब्‍लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में मदद करता है. इसके साथ ही यह त्‍वचा से मेकअप साफ करने में भी मदद करता है. इसके बाद गर्म पानी में भीगे नर्म तौलिया को निचोड़कर अपने चेहरे पर कुछ मिनट के लिए रखें. ऐसा करने से आप त्‍वचा के रोमछिद्र साफ हो जायेंगे.

आई मेकअप हटाने के लिए होममेड क्लींजर बनाने के लिए कैस्टर ऑयल, ऑलिव ऑयल और कैनोला ऑयल को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर एक साथ मिलाएं. अब इस मिश्रण को टिश्यू पेपर या कॉटन बॉल में थोडा सा लेकर आंखों को साफ करें.

हौबी : कमाई का जरिया

हर किशोरकिशोरी में कोई न कोई टैलेंट जरूर होता है. किसी की संगीत में रुचि होती है तो किसी की डांसिंग में. कुछ कंप्यूटर में दिलचस्पी रखते हैं तो कुछ आर्ट व क्राफ्ट में. किसी किशोरी को मेहंदी लगाने में महारत हासिल होती है तो कोई बहुत अच्छे सौफ्ट टौयज बना लेती है. लेकिन ज्यादातर किशोरकिशोरियां अपनी इस हौबी को सिर्फ हौबी के रूप में ही बनाए रखते हैं जबकि वे इसे कमाई का जरिया भी बना सकते हैं.

मोहित 10वीं कक्षा में पढ़ता था. पढ़ाई के साथसाथ कंप्यूटर में उस की विशेष रुचि थी. जब वह 8वीं क्लास में था तो उस के पापा ने उसे कंप्यूटर गिफ्ट किया था. स्कूल से घर आने के बाद वह कंप्यूटर पर टाइप करने की प्रैक्टिस करता था. हिंदी व अंगरेजी टाइपिंग में अच्छी स्पीड बनाने के साथसाथ उस ने एमएस वर्ड व फोटोशौप में भी महारत हासिल कर ली थी. एक दिन उस ने अपने पापा का विजिटिंग कार्ड डिजाइन कर के उन्हें दिखाया तो वे भौचक्के रह गए. उन्होंने मोहित की तारीफ की व पीठ थपथपाई. धीरेधीरे मोहित की चर्चा पूरे स्कूल में होने लगी. सब बच्चे उसे कंप्यूटर मास्टर कह कर पुकारते. यही नहीं मोहित ने कंप्यूटर की छोटीमोटी खराबियों को ठीक करना भी सीख लिया था.

एक दिन प्रिंसिपल मैम ने मोहित को अपने औफिस में बुलाया और कहा, ‘‘मोहित, हमारा कंप्यूटर खराब हो गया है और मुझे आज एक जरूरी लैटर ऐजुकेशन डिपार्टमैंट को भेजना है. क्या तुम इस कंप्यूटर को ठीक कर सकते हो?

मोहित ने कहा, ‘‘मैम, कोशिश करता हूं.’’

वह तुरंत सीपीयू खोल निरीक्षण कर के बोला, ‘‘मैम, इस की रैम खराब है, इसे बदलना पड़ेगा.’’

प्रिंसिपल मैम के औफिस में एक पुराना कंप्यूटर रखा था, मोहित ने उस की रैम निकाल कर मैम के कंप्यूटर के सीपीयू में  लगा दी. रैम बदलते ही कंप्यूटर चल पड़ा.

‘‘शाबाश,’’ मैम ने कहा. फिर उन्होंने वह लैटर मोहित से ही टाइप करवाया.

उस दिन के बाद प्रिंसिपल मैम उस से कंप्यूटर से संबंधित सारा काम करवातीं और उसे काम के एवज में पैसे भी देतीं. इस तरह मोहित की हौबी कमाई का जरिया भी बन गई थी.

चेतन 11वीं कक्षा का छात्र था. उस के पापा गिटार बजाते थे इसलिए चेतन की भी गिटार बजाने में काफी रुचि थी. वह स्कूल से आने के बाद अपने पापा से गिटार बजाना सीखता था. स्कूल के कार्यक्रमों में चेतन बढ़चढ़ कर हिस्सा लेता. सभी उस की तारीफ करते. चेतन ने सोचा क्यों न अपनी इस हौबी को कमाई का जरिया बना लिया जाए. उस ने अपने फ्रैंड्स से कहा कि जो गिटार सीखना चाहे मुझ से सीख सकता है लेकिन उसे फीस देनी पडे़गी. फिर क्या था, उस के कई फ्रैंड्स उस से गिटार सीखने लगे. चेतन को अब अपनी इस हौबी की बदौलत अच्छी आमदनी होने लगी.

एक बार चेतन और उस के फैंरड्स वाटर पार्क में ऐंजौय करने गए थे. वे अपने गिटार भी साथ ले गए थे. वाटरपार्क में राइड्स का किराया बहुत ज्यादा था. चेतन ने सोचा क्यों न अपनी इस हौबी से पैसे कमाए जाएं ताकि राइड्स का लुत्फ उठाया जा सके. सभी फैंरड्स ने अपनेअपने गिटार निकाल कर बजाना शुरू कर दिया. देखते ही देखते वहां लोगों की भीड़ लग गई. लोगों को उन की परफौर्मैंस इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने खूब सारे रुपए चेतन के ग्रुप को दिए. इस पैसे से उन्होंने न केवल वाटर पार्क में खूब मस्ती की बल्कि बाद में गु्रप बना पार्टी आदि में परफौर्म भी करने लगे. इस तरह चेतन की हौबी कमाई का जरिया बन गई.

साक्षी ने मेहंदी लगाना सीखा था. जब घर में या पड़ोस में कोई फंक्शन होता, सब लोग मेहंदी लगवाने के लिए साक्षी को याद करते. वह इतनी सुंदर मेहंदी लगाती कि लोग उस की तारीफ किए बिना नहीं रह पाते. साक्षी के पड़ोस में रहने वाली रूपाली आंटी की बेटी की शादी थी, चूंकि उन दिनों शादियों का सीजन चल रहा था, इसलिए मेहंदी लगाने वाली ब्यूटीशियन नहीं मिल पा रही थी. जो मिलती भी वह हजारों रुपए मांगती. ऐसे में रूपाली आंटी ने साक्षी से कहा कि क्या तुम मेहंदी लगा सकती हो?

साक्षी तो जैसे पहले से ही तैयार थी. उस ने कहा, ‘‘हां, आंटी मैं दीदी के मेहंदी लगा दूंगी.’’

साक्षी ने मेहंदी वाली रात आंटी की बेटी के तो मेहंदी लगाई ही, साथ ही कई रिश्तेदारों ने भी उस से मेहंदी लगवाई. सब ने साक्षी की खूब तारीफ की. मेहंदी लगाने के बाद साक्षी जब अपने घर जाने लगी तो रूपाली आंटी ने उसे 2 हजार रुपए देते हुए कहा, ‘‘साक्षी, यह तुम्हारा गिफ्ट.’’

‘‘आंटी, मैं पैसे नहीं लूंगी, मम्मी गुस्सा करेंगी.’’

साक्षी ने पैसे लेने से इनकार कर दिया तो आंटी ने उसे समझाते हुए कहा कि साक्षी, जो भी मेहंदी लगाने आता, उस को तो पैसे देने ही पड़ते. वह पैसे मैं ने तुम्हें दे दिए. अब चुपचाप इन्हें रख लो.

बस, यहीं से साक्षी के दिमाग में आइडिया आया कि क्यों न इसे कमाई का जरिया बना लिया जाए. मुझे अपनी पौकेटमनी के लिए मम्मीपापा पर अब डिपैंड नहीं रहना पड़ेगा. साक्षी अब कई त्योहारों व अन्य अवसरों पर मेहंदी लगाने का काम करती और खूब कमाई भी करती.

नेहा 11वीं कक्षा में पढ़ती थी. उस के पापा एक अच्छे चित्रकार थे. इसलिए नेहा की भी ड्राइंग में रुचि थी. वह बड़ी हो कर एक आर्टिस्ट बनना चाहती थी. वह किसी का चित्र हूबहू बना देती थी. स्कूल में सभी टीचर्स नेहा की तारीफ करते नहीं थकती थीं. जब भी स्कूल में कोई फंक्शन होता तो नेहा को ही डैकोरेशन व पोस्टर आदि बनाने के लिए कहा जाता, नेहा को भी इन कामों में खूब मजा आता. स्कूल में बच्चे उसे पिकासो कह कर पुकारते थे.

स्कूल की 10वीं की वार्षिक परीक्षा शुरू होने वाली थी. मैडम ने बच्चों से कहा कि वे आर्ट प्रोजैक्ट तैयार करें, क्योंकि उस के अंक भी जोड़े जाएंगे, बच्चे सोच में पड़ गए कि क्या करें, उन की आर्ट भी अच्छी नहीं थी. नेहा ने बच्चों की इस जरूरत का फायदा उठाया. उस ने कहा जो भी अपना प्रोजैक्ट बनवाना चाहे, मुझ से बनवा सकता है, लेकिन मेरी फीस देनी पडे़गी.

 कई बच्चे तैयार हो गए. नेहा ने उन के प्रोजैक्ट तैयार कर दिए. बच्चों ने भी नेहा की फीस उसे दे दी. हौबी से होती कमाई देख कर नेहा की खुशी का ठिकाना न रहा. उस ने अपने पापा को जब पूरी बात बताई तो उन्होंने उसे शाबाशी दी और कहा, ‘‘बेटी, कमाई करने में कोई बुराईर् नहीं है. बस, अपनी पढ़ाई डिस्टर्ब न होने देना.’’

मोहित, चेतन, साक्षी और नेहा की तरह किशोरकिशोरियां अपनी हौबी को कमाई का जरिया बनाते हैं. उन में आत्मविश्वास की कमी नहीं होती. वे हर मुश्किल काम करने में हिचकिचाते नहीं हैं, उन का यह आत्मविश्वास उन्हें आगे बढ़ाने में सहायक होता है. बड़े होने पर वे अपनी मंजिल आसानी से पा लेते हैं.

हौबी को आमदनी का जरिया बनाने वाले किशोरकिशोरियों को अपनी जरूरत के लिए मम्मीपापा पर निर्भर नहीं रहना पड़ता दोस्तों के साथ पार्टी या ड्रैसेज खरीदने के लिए वे खर्च स्वयं उठा लेते हैं. यही नहीं मम्मीपापा की बर्थडे या मैरिज ऐनिवर्सरी पर उन्हें अपनी कमाई से जब वे गिफ्ट देते हैं तो मम्मीपापा की खुशी का ठिकाना नहीं रहता. दोस्तों की बर्थडे पार्टी में वे अपने कमाए पैसे से गिफ्ट दे सकते हैं. छोटेछोटे खर्च के लिए उन्हें मम्मीपापा से पैसे नहीं मांगने पड़ते.                  

क्या है गूगल लेंस? जानिये विस्तार से

गूगल ने हाल ही में सभी एंड्राइड यूजर के लिए एक नया फीचर उपलब्ध कराया है जिसका नाम है गूगल लेंस. गूगल लेंस फीचर सबसे पहले गूगल के स्मार्टफोन पिक्सल 2 में उपलब्ध कराया गया था जो अब सभी एंड्राइड स्मार्टफोन के लिए उपलब्ध है यह फीचर आपको एंड्राइड के गूगल फोटो एप्लीकेशन में देखने को मिलेगा. इस फीचर को उपयोग करने से पहले आपको इसके बारे में जानकारी होना चाहिए. इस आर्टिकल में हम लोग गूगल लेंस के बारे में विस्तार से जानेंगे.

क्या है गूगल लेंस

गूगल लेंस एंड्राइड स्मार्टफोन के गूगल फोटो एप्लीकेशन का एक फीचर है जो किसी भी फोटो को विजुअल एनालिसिस करके उससे सम्बंधित जानकरी प्रदान करता है. गूगल लेंस आसानी से फोटो के टेक्स्ट, फेमस बिल्डिंग, फूल, जानवर इत्यादि को आसानी से पहचान सकता है और उससे सम्बंधित जानकारी आपको प्रोवाइड करता हैं. गूगल के अनुसार गूगल लेंस समय के साथ बेहतर होता जायेगा और आसपास के वातावरण को समझने के बाद और भी बेहतर तरीके से आब्जेक्ट को पहचानने में सक्षम होता जायेगा.

गूगल लेंस को गूगल ने आफिसियल तौर से 4 अक्टूबर 2014 को लौंच किया था. यह फीचर गूगल फोटो एप्लीकेशन और गूगल असिस्टेंट में उपलब्ध होगा. गूगल लेंस आर्टिफीसियल न्यूरल नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए आब्जेक्ट टेक्स्ट इत्यादि को पहचानता है.

गूगल फोटो में गूगल लेंस का उपयोग कैसे करें 

गूगल लेंस को उपयोग करना बहुत ही आसान है, जैसा की मैंने आपको ऊपर बताया की गूगल लेंस सभी एंड्राइड स्मार्टफोन के लिए रूल आउट कर दिया गया है तो इस फीचर को उपयोग करने के लिए सबसे पहले आपको अपने प्ले स्टोर में जाकर के गूगल फोटो एप्लीकेशन को अपडेट करना है. गूगल लेंस गूगल फोटो एप्लीकेशन का लेटेस्ट वर्जन में ही काम करेगा.

गूगल फोटो एप्लीकेशन को अपडेट करने के बाद आपको अपने स्मार्टफोन के कैमरा से किसी भी टेक्स्ट, आब्जेक्ट, फूल, जानवर, क्यू आर कोड, इत्यादि का फोटो खींचना हैं फिर आपको गूगल फोटो एप्लीकेशन को ओपन करना है अब जिस भी फोटो के बारे गूगल लेंस की मदद से जानकारी लेना चाहते हैं उस फोटो को ओपन करें आपको निचे गूगल लेंस का आइकान दिखाई देगा उस पर आपको क्लिक करना है कुछ सेकण्ड इन्तजार करने के बाद आपको उस फोटो से संबंधित कई सारे जानकारी साथ ही कई सारे विकल्प प्रोवाइड करेगा जिसका आप इस्तेमाल कर सकते हैं.

गूगल लेंस के फायदें

गूगल लेंस बहुत ही उपयोगी फीचर साबित होने वाला है क्योंकि इसके मदद से आप आसानी से कई सारे काम कर सकते हैं –

  • गूगल लेंस की मदद से आप किसी भी इमेज को टेक्स्ट में कन्वर्ट कर सकते हैं
  • किसी भी प्रोडक्ट, जानवर, फूल, बिल्डिंग इत्यादि के बारे में जानकारी ले सकते हैं या फिर सीधे गूगल में सर्च कर सकते हैं.
  • संग्राहलय में रखे पेंटिंग के बारे में जानकरी ले सकते हैं.

अगर फोन में हैं ये ऐप तो करें डिलीट, वरना बाद में पड़ेगा पछताना

आज हर कोई गूगल प्ले-स्टोर से ऐप डाउनलोड करता है. लेकिन जहां एक ओर आपको अच्छे और काम के ऐप मिलते हैं वहीं दूसरी तरफ वहां पर खतरनाक मोबाइल ऐप की भरमार है. आए दिन गूगल सिक्योरिटी कारणों ने ऐप को प्ले-स्टोर से हटाते रहता हैं लेकिन बावजूद इसके स्टोर पर उल्टे-सीधे वायरस वाले ऐप आते रहते हैं और हम जानकारी के अभाव में उन्हें डाउनलोड कर लेते हैं.

फोन में आने के बाद ये ऐप हमारी निजी फोटो से लेकर मैसेज और बैंक डिटेल्स के बारे में भी जानकारी इकट्ठा करते हैं और हैकर्स को भेजते हैं. अभी हाल ही में 149 ऐसे एंड्रायड मोबाइल ऐप की लिस्ट सामने आई है जो बेहद ही खतरनाक है और इन्हें फटाफट आपको अपने फोन से डिलीट कर देना चाहिए.

वायरस क्लीनर एंटीवायरस 2017 – क्लीन वायरस बूस्टर

इस ऐप को गूगल प्ले-स्टोर से 5,000,000 बार डाउनलोड किया गया है लेकिन आपके लिए यह ऐप काफी खतरनाक है.

सुपर एंटीवायरस & वायरस क्लीनर (ऐपलौक, क्लीनर)

इस ऐप को भी 5,000,000 बार डाउनलोड किया गया है जबकि सच यह है कि यह ऐप किसी वायरस को नहीं हटाता है बल्कि आपके फोन से जानकारियां चुराता है.

एंटीवायरस 2018

इस ऐप के डाउनलोड्स की संख्या 1,000,000 से भी ज्यादा हो गई है, जबकि यह ऐप को सुझाव देकर आपकी निजी जानकारियों को हैकर्स तक पहुंचाता है.

स्माडव एंटीवायरस फार एंड्रायड 2018

वैसे तो इस ऐप के डाउनलोड्स की संख्या सिर्फ 100,000 ही है लेकिन यह ऐप भी आपके फोन के लिए खतरनाक है. अगर आपने इसे डाउनलोड किया है तो तुरंत डिलीट कर दें.

एंटीवायरस फ्री + वायरस क्लीनर + सिक्योरिटी ऐप

यह ऐप एंटीवायरस के साथ वायरस क्लिनर और ऐप की सिक्योरिटी का दावा करता है लेकिन ऐसा नहीं है. इस ऐप को जितना जल्दी हो सके फोन से हटा दें.

360 सिक्योर एंटीवायरस

इस ऐप को डाउनलोड्स की संख्या भी 50,000 हो चुकी है लेकिन यह ऐप भी आपके फोन के लिए सेफ नहीं है.

इसके अलावा इस लिस्ट में अधिकतर एंटीवायरस और ऐप लाकर ऐप के ही नाम हैं. आपके लिए बेहतर होगा कि फोन में कोई एंटीवायरस ऐप ना ही रखें, क्योंकि फ्री में मिलने वाले ये ऐप किसी काम के नहीं होते. लिस्ट में वायरस क्लीन एंटीवायरस, एंटीवायरस क्लीनर बूस्टर, एंटीवायरस & वायरस रिमूवर 2018, एंटीवायरस एंड्रायड 2018, एंटीवायरस फ्री 2018, कारा सिक्योरिटी मैनेजर एंटीवायरस, सिक्योरिटी एंटीवायरस 2018, एंटीवायरस & वायरस क्लीनर & सिक्योरिटी, मास्टर एंटीवायरस बूस्टर ऐपलौक, वायरस क्लीनर – एंटीवायरस, बूस्टर, सिक्योरिटी & ऐपलौक इन ऐप्स के भी नाम शामिल हैं.

वैगनआर होगी मारुति की पहली इलेक्ट्रिक कार, आखिर कब होगी लौन्च

पेट्रोल की बढ़ती कीमत और प्रदूषण के बीच सरकार के साथ ही कार निर्माता कंपनियां भी इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस कर रही हैं. इसकी बानगी औटो एक्सपो 2018 में भी देखने को मिली. इस दौरान कई कंपनियों ने बाइक से लेकर बस तक के इलेक्ट्रौनिक वर्जन का कौन्सेप्ट मौडल पेश किया. इस दौरान देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति ने भी अपनी इलेक्ट्रिक कार फ्यूचर एस (Future S) का कौन्सेप्ट मौडल पेश किया. लेकिन अब खबर है कि मारुति सबसे पहले अपनी पसंदीदा हैचबैक कार वैगनआर का इलेक्ट्रिक वर्जन पेश करेगी. यानी मारुति की वैगनआर पहली इलेक्ट्रिक कार होगी.

गुजरात प्लांट में तैयार किया जा रहा

वैगनआर इलेक्ट्रिक को कंपनी साल 2020 में लौन्च करने का प्लान कर रही है. एक प्रकाशित खबर के अनुसार मारुति वैगनआर के इलेक्ट्रिक वर्जन को टोयोटा के साथ मिलकर तैयार कर रही है. अधिकारियों के अनुसार WagonR EV को कंपनी 2020 में बाजार में पेश करेगी. खबर है कि कंपनी इसे गुजरात स्थित प्लांट में तैयार कर रही है. कार की बैटरी को टोयोटा के साथ मिलकर तैयार किया जा रहा है.

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दो कंपनियां मिलकर तैयार कर रही

इलेक्ट्रिक वैगनआर ऐसी पहली कार होगी जिसे दो कंपनियों की पार्टनरशिप के तहत तैयार किया जाएगा. टोयोटा की तरफ से पहले ही घोषणा की जा चुकी है कि कंपनी सुजुकी की अलट्राहाईएफिशिएंसी पावरट्रेन तैयार करने में मदद करेगी. मारुति नेक्सट जेनरेशन वैगनआर को इंडियन मार्केट में इस साल के अंत तक लौन्च करने का भी प्लान कर रही है. हालांकि वैगनआर ईवी कंपनी के न्यू लाइटवेट प्लेटफौर्म का हिस्सा होगी. इलेक्ट्रिक कार का वजन मौजूदा वैगनआर से कम होगा.

20 लाख से ज्यादा वैगनआर की बिक्री

अभी मारुति की तरफ से यह निर्णय लिया जा रहा है कि कार के इलेक्ट्रिक वर्जन में क्या-क्या सुविधाएं दी जाएं. वैगनआर के स्टैंडर्ड मौडल को कंपनी के हरियाणा स्थित गुरुग्राम प्लांट में तैयार किया जाता है. मारुति के अधिकारियों का कहना है उम्मीद है कि वैगनआर के इलेक्ट्रिक वर्जन में मौजूदा कार जैसी ही सुविधाएं होंगी. आपको बता दें कि मारुति ने वैगनआर पहली बार 1999 में लौन्च किया था. अब तक बाजार में वैगनआर के मैन्युअल और औटो गियर शिफ्ट वर्जन में 20 लाख से भी ज्यादा यूनिट की बिक्री हो चुकी है.

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