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अंधविश्वास की किताबों का मकड़जाल

आज भी देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा तंत्रमंत्र, झाड़फूंक के मकड़जाल में जकड़ा हुआ है. नतीजतन, आज भी देश तरक्की की दौड़ में काफी पिछड़ा हुआ है.

पाखंड के जाल में उलझी हुई जनता की इसी सोच का फायदा उठा कर देश के कई प्रकाशक अंधविश्वास फैलाने वाली किताबों के कारोबार में लगे हुए हैं. इन किताबों की कीमत भी उस की असली लागत से कई गुना ज्यादा होती है. इस के बावजूद इन किताबों को खरीदने वालों की तादाद करोड़ों में है.

अंधविश्वास फैलाने वाली इन किताबों से बाजार अटा पड़ा है. ‘इंद्रजाल के चमत्कार’, ‘वशीकरण मंत्र’, ‘महाइंद्रजाल’, ‘बंगाल का जादू’, ‘काली किताब’, ‘असम का काला जादू’ वगैरह नामों से बिकने वाली इन किताबों के चलते पोंगापथियों को बढ़ावा मिल रहा है क्योंकि इन किताबों में तंत्रमंत्र, झाड़फूंक, टोनाटोटका के नाम पर लोगों के मन में डर बैठाने व वहम पैदा कर ठगी करने के कई सारे तरीके बताए गए हैं, जिस के चलते देश में कई तरह के अपराध भी होते रहते हैं.

बेसिरपैर की बातें

एक शख्स ने बताया कि वह एक लड़की से बेइंतिहा एकतरफा प्यार करता है. उस ने कई बार उस लड़की को पटाने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुआ. ऐसे में एक दिन उसे किसी ने बताया कि ‘महागुरु के टोटके’ नाम की एक किताब खरीद लो. उस में औरतों को वश में करने के कई सारे टोटके दिए गए हैं.

उस शख्स ने वह किताब खरीद ली और दिए गए कई उपायों में से एक उपाय, जिस में श्मशान की राख में अपना थूक व वीर्य मिला कर उस लड़की को खिलाने की बात की गई थी, अपनाया.

उस शख्स ने किताब में बताए गए नुसखे के मुताबिक ही काम किया और जब वह श्मशान की राख, जिस में अपना वीर्य व थूक मिला कर वह उस लड़की के पास पहुंचा और बोला कि यह चमत्कारी राख है. इसे खाने से तुम्हारी खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे.

वह लड़की उस शख्स की बातों में आ कर उस राख को खाने जा रही थी लेकिन राख को नाक के पास ले जाने पर उस में से अजीब सी बदबू आई जिसे ले कर उस को कुछ शक हो गया.

उस लड़की ने उस शख्स से मीठीमीठी बातें कर के उस राख की सचाई उगलवा ही ली. उस के बाद उस लड़की ने उन महाशय की जम कर धुनाई की और धमकी भी दी कि दोबारा उस ने उस के पास फटकने की कोशिश भी की तो वह पुलिस में शिकायत कर देगी.

तंत्रमंत्र, टोनेटोटके की जितनी भी किताबें बाजार में बिक रही हैं, उन का न कोई वैज्ञानिक आधार होता है और न ही उन किताबों में लिखी बातों में कोई सचाई होती है.

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दिल्ली के बड़े प्रकाशन से छपी एक किताब में औरतों को वश में करने का एक उपाय लिखा है कि रविवार के दिन चील की आंख ला कर उस में केसर और कस्तूरी मिला कर उसे पीस कर औरत को खिलाने से वह वश में हो जाती है.

इस तरह की बेकार की बातों में लोग फंस कर ऐसा कर भी बैठते हैं और ये बातें झूठी साबित होने के बाद भी अंधविश्वास की जकड़ से बाहर नहीं निकल पाते हैं.

अपराध को बढ़ावा

तंत्रमंत्र, टोनेटोटके के नाम पर बिकने वाली इन किताबों से अपराध को जन्म देने वाली वारदातें बढ़ जाती हैं, क्योंकि जो लोग झाड़फूंक व भूतप्रेत जैसी बेकार की बातों में यकीन रखते हैं, वे इन लिखे उपायोें के आधार पर धोखाधड़ी, नरबलि, ब्लैकमेलिंग, यहां तक कि बच्चा पैदा करने के नाम पर रेप जैसी घटनाओं को अंजाम दे देते हैं.

2 साल पहले नरबलि के मामले में पकड़े गए एक शख्स ने जब नरबलि दिए जाने की वजह बताई तो वह बेहद चौंकाने वाली थी. उस ने पुलिस को दिए अपने बयान में बताया कि उस ने तंत्रमंत्र और झाड़फूंक की एक किताब खरीदी थी जिस में जमीन में गड़े धन को पाने का उपाय लिखा था.

उस शख्स ने उस किताब में बताए गए उपाय के मुताबिक अपने पड़ोस के बच्चे की बलि दे दी.

सुबह जब उस बच्चे के परिवार वाले गांव के बाहर पहुंचे तो वह शख्स बदहवास हालत में एक गड्ढा खोदने में लगा था और पास में उस बच्चे की सिर कटी लाश पड़ी हुई थी.

गांव के लोगों ने इस घटना की जानकारी पुलिस को दी. पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर उस शख्स ने नरबलि दिए जाने की बात कबूल ली.

इस घटना से यह जाहिर होता है कि तंत्रमंत्र की किताबें कितनी खतरनाक होती हैं. अंधविश्वासी लोग ऐसी किताबों में लिखी बातों पर आसानी से विश्वास कर उन में बताए गए उपाय अपना कर खुद के साथसाथ अपने परिवार और दूसरों का भी नुकसान कर बैठते हैं.

जहां देश का पूरा किताब बाजार अंधविश्वास, तंत्रमंत्र और पोंगापंथ की किताबों से भरा पड़ा है, वहीं दिल्ली प्रैस ने देश की कई भाषाओं में प्रकाशित होने वाली अपनी अलगअलग पत्रिकाओं के जरीए लोगों में जागरूकता बढ़ाने का काम किया है.

आजादी के पहले दिल्ली प्रैस ने अंगरेजी पत्रिका ‘द कैरवान’ के जरीए लोगों में सामाजिक चेतना जगाने का जो काम शुरू किया था वह आज ‘सरस सलिल’, ‘सरिता’, ‘मुक्ता’, ‘चंपक’, ‘गृहशोभा’ जैसी पत्रिकाओं के साथ और भी मजबूत हुआ है.

अंधविश्वास उन्मूलन के मुद्दे पर काम कर रहे प्रवीण गुप्ता का कहना है कि महाराष्ट्र की तर्ज पर पूरे देश में जादूटोना विरोधी कानून बना कर उसे लागू करना चाहिए, जिस से पोंगापंथ के नाम पर होने वाली लूट से जनता को बचाया जा सके.

कोचिंग सैंटर बना रहे हैं मोटा पैसा

देश में बढ़ती बेरोजगारी ने मातापिता को अपने बच्चों के कैरियर के प्रति सचेत कर दिया है. यही वजह है कि आज हर मातापिता अपने बच्चों को डाक्टर या इंजीनियर बनाना चाहते हैं.

अपनी जिंदगीभर की खूनपसीने की कमाई से वे अपने बच्चों को अच्छे कोचिंग सैंटरों में दाखिला दिला कर आईआईटी और मैडिकल की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करा रहे हैं.

देश में इलाहाबाद, दिल्ली, कोटा जैसे शहरों के अलावा मध्य प्रदेश के भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर और छत्तीसगढ़ के रायपुर, भिलाई जैसे बड़े शहरों में पीएससी, यूपीएससी, बैंक, रेलवे जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ ही साथ आईआईटी और मैडिकल की प्रवेश परीक्षा की कोचिंग देने वाले दर्जनों बड़े सैंटर हैं जो छात्रों व बेरोजगारों से मोटी फीस ले कर अपना कारोबार चमका रहे हैं.

इस के अलावा जिला और तहसील लैवल पर भी संविदा शिक्षक और पटवारी परीक्षा की तैयारी के लिए कुकुरमुत्ते की तरह कोचिंग सैंटर खुल गए हैं जो नौजवानों की जेब ढीली कर मोटा पैसा बनाने का काम कर रहे हैं.

बताया जाता है कि कैसे तथाकथित कोचिंग सैंटरों में उन लोगों द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है जो खुद कभी किसी परीक्षा में पास नहीं हुए.

सरकारी नौकरी के साथसाथ मैडिकल और इंजीनियरिंग में अच्छी रैंक पाने को बेताब हजारों नौजवान मजबूरन इन कोचिंग सैंटरों में जा कर परीक्षा की तैयारी करने में जुटे हुए हैं.

सपने बिकते हैं कोटा में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से 3 साल पहले शिक्षा नीति में बदलाव लाने की बात कही थी पर 3 साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भी शिक्षा नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

देश के पढ़ेलिखे नौजवानों के लिए कैरियर गाइडैंस के लिए सरकारी कोशिशों का नतीजा सिफर ही रहा है. निजी क्षेत्रों ने इस का फायदा उठा कर कोचिंग के नाम पर बड़ेबड़े सैंटर खोल कर अपना धंधा जमा लिया है.

राजस्थान का कोटा शहर सपने बेचने वालों का शहर बन गया है. सौ से ज्यादा कोचिंग सैंटर यहां इंजीनियर और डाक्टर बनाने का सपना बेचते हैं.

कोटा में देशभर के तकरीबन एक लाख बच्चे पढ़ रहे हैं. इन कोचिंग सैंटरों में पढ़ाई के अलावा बच्चों के रहनेखाने तक का खर्च हर साल 2 लाख रुपए से ज्यादा होता है.

इन कोचिंग सैंटरों से कोटा के रियल ऐस्टेट कारोबार ने भी पंख लगा कर ऊंची उड़ान भरी है. पूरे कोटा में होस्टलों की तादाद भी 500 से कम नहीं है. इस के अलावा बड़ी तादाद में छात्र पेइंग गैस्ट बन कर भी रह रहे हैं.

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मैडिकल और आईआईटी की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोटा में बने इन कोचिंग सैंटरों का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है. यही वजह है कि देशभर के मातापिता अपने बच्चों को 8वीं क्लास के बाद ही कोटा में कोचिंग के लिए भेजने लगे हैं.

दिल्ली भी कम नहीं

यूपीएससी, पीएससी की तैयारी के लिए इलाहाबाद, मेरठ के अलावा देश की राजधानी नई दिल्ली में भी कई सारे कोचिंग सैंटर हैं, जो होनहार नौजवानों को कलक्टर बनाने का सपना दिखाते हैं.

छोटेछोटे कमरों में चलने वाले इन कोचिंग सैंटरों में भी 2 लाख रुपए की मोटी फीस में 9 महीने के क्रैश कोर्स के जरीए आईएएस परीक्षा की तैयारी कराने का दावा किया जाता है.

दिल्ली में रह कर आईएएस की तैयारी कर रहे मध्य प्रदेश के एक छात्र सिद्धार्थ दुबे कहते हैं कि दिल्ली में 100 वर्गफुट का एक कमरा 8,000 से 10,000 रुपए तक मासिक किराए पर मिलता है. कोचिंग सैंटरों की फीस और महंगा किराया गरीब तबके के होनहार छात्रों के लिए टेढी खीर साबित होता है.

इन कोचिंग सैंटरों में पढ़ने वाले छात्र यह बात मानते हैं कि अकेले कोचिंग सैंटर के दम पर कोई नौजवान प्रतियोगी परीक्षा पास नहीं कर सकता जब तक कि वह खुद मेहनत न करे.

आज कोचिंग सैंटरों में जाना छात्रों की मजबूरी हो गई है, क्योंकि देशभर के कोनेकोने से आए और छात्रों के संपर्क में रहने से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए मनमुताबिक माहौल मिल जाता है.

शासनप्रशासन और कारपोरेट की तिकड़ी मिल कर देश में लागू वर्तमान दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली को जानबूझ कर बदलना नहीं चाहती है. ऐसे में मजबूर हो कर छात्रों को कोचिंग सैंटरों के जाल में उलझना पड़ता है.

पैसे लेकर फर्जीवाड़ा

2 दिसंबर, 2017 को कर्मचारी चयन बोर्ड एसएससी की परीक्षा में मेरठ के डीएवी स्कूल में मोबाइल फोन के साथ पकड़े गए बागपत के रहने वाले सौरभ धामा ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले राज खोले.

उस ने बताया कि मेरठ में एक कोचिंग के संचालक पंकज धामा ने उसे एसएससी की परीक्षा पास कराने के बदले मोटी रकम मांगी थी. सौरभ ने खुद और अपने भाई की नौकरी के लिए अपनी पुश्तैनी 7 बीघा जमीन भी गिरवी रख दी थी, जिस के बाद पंकज ने उसे पेपर के साथ आंसरशीट भी मुहैया करा दी थी.

नकल करते पकड़े गए अभ्यर्थी ने बताया कि मेरठ में कोचिंग सैंटर चलाने वाला पंकज धामा अब तक कई नौजवानों से मोटी रकम ले कर नौकरी लगा चुका है. इस परीक्षा में कई ऐसे अभ्यर्थी भी हैं जो पंकज के संपर्क में थे.

मेरठ की यह घटना बताती है कि कोचिंग सैंटर मोटी रकम ले कर देश की परीक्षा प्रणाली से खिलवाड़ कर के काबिल बेरोजगार नौजवानों का हक भी मारते हैं.

कोटा, दिल्ली, भोपाल और इंदौर के कोचिंग सैंटर तो आईआईटी और मैडिकल प्रवेश परीक्षा की कोचिंग लेने वाले छात्रों को 10वीं और 12वीं क्लास की परीक्षा में नियमित परीक्षार्थियों के रूप में शामिल कराने का काम भी करते हैं.

बताया जाता है कि ये कोचिंग सैंटर अपने यहां दर्ज बच्चों को उसी शहर के निजी स्कूलों से सांठगांठ कर उन को उन स्कूलों में दाखिला दिला देते हैं. निजी स्कूल इन छात्रों की हाजिरी लगाते रहते हैं जबकि ये छात्र उन स्कूलों में कभी पढ़ने जाते ही नहीं हैं.

कोचिंग और सरकार

वर्तमान समय में जब नौजवान तबका अपने कैरियर के लिए मोटी रकम खर्च कर कोचिंग सैंटरों में जाने को मजबूर है तो सरकार क्यों इस दिशा में कोशिश नहीं करती? हर स्कूल, कालेज में कैरियर गाइडैंस देने वाले शिक्षकों की नियुक्ति की जाए, क्योंकि उचित मार्गदर्शन की कमी में स्कूल में पढ़ रहे छात्र को हायर सैकेंडरी पास करने के बाद कौनकौन से अवसर उपलब्ध हैं, इस की जानकारी भी नहीं रहती है.

कालेज के उबाऊ सिलेबस से हट कर क्यों न उन्हें प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराई जाए, जिस से ये नौजवान किसी कोचिंग सैंटर के मकड़जाल में न फंस कर अपने कैरियर को बना सकें? आखिर कब तक सरकारी तंत्र निजी संस्थानों के हाथों की कठपुतली बना रहेगा?

देश में विकासखंड लैवल पर शुरू हुए कौशल विकास केंद्रों में अच्छी तादाद में प्रशिक्षक और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं और उन्हें मजबूत बनाने की कोशिश की जाए तो शायद बेरोजगारों का भविष्य संवर सके.

निराला है यह स्वाद : पोटैटो चिप्स चीज बाउल

पोटैटो चिप्स चीज बाउल

सामग्री

– 1 पैकेट चिप्स

– 2 बड़े चम्मच चीज कसा हुआ

– 2 प्याज कटे

– 1 बड़ा चम्मच शिमला मिर्च कटी

– 1 बड़ा चम्मच टोमैटो सौस

– 1 छोटा चम्मच पिज्जा सीजनिंग.

विधि 

एक बाउल में चिप्स डाल कर ऊपर से चीज, प्याज व शिमला मिर्च डालें. फिर टोमैटो सौस व सीजनिंग डाल कर पहले से गरम ओवन में चीज के पिघलने तक रखें फिर सर्व करें.

निराला है यह स्वाद : बनाना कचौड़ी

बनाना कचौड़ी

सामग्री

– 1 कप मैदा

– 1 बड़ा चम्मच मक्खन

– 1 कच्चा केला

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

– 1/4 छोटा चम्मच गरममसाला

– 1/4 छोटा चम्मच आमचूर

– 1/2 बड़ा चम्मच घी

– तलने के लिए तेल

– नमक स्वादानुसार.

विधि

कच्चे केले को उबाल लें. फिर छील कर मैश करें. मैदा में मक्खन व थोड़ा सा नमक डाल कर गूंध लें. कड़ाही गरम कर उस में थोड़ा घी गरम करें और सभी मसाले व केला भूनें. गुंधे आटे के पेड़े बना हलका बेल कर कच्चे केले का मसाला भर बंद करें व हलका बेल कर गरम तेल में सेंक लें.

लंबे सफर का मजा दोगुना करिए हुंडई क्रेटा के संग

हमसफर के साथ कहीं घूमने जाने का प्लान बन जाए तो दिल खुशी से झूम उठता है और फिर जब बात हो ऐसी जगह जाने की जो हरियाली के साथसाथ पक्षियों की मधुर आवाजों से भी गूंजती हो तो कहना ही क्या.

जी हां, हम बात कर रहे हैं टाइगर कैपिटल औफ इंडिया, पेंच नैशनल पार्क की, जहां प्राकृतिक प्रेमी न सिर्फ टाइगर देखने की इच्छा से आते हैं, बल्कि वहां पसरी शांति और खूबसूरती भी उन्हें आकर्षित करती है. और फिर जब यह सफर तय हो हुंडई क्रेटा संग तो ट्रिप का मजा कई गुना बढ़ जाता है.

स्मूद ड्राइविंग

मेरा कुल 1000 किलोमीटर का सफर व नागपुर से लगभग 168 किलोमीटर दूर स्थित इस जगह तक पहुंचने के लिए पक्की सड़कों व मोड़ों से क्रेटा से गुजर कर वहां तक पहुंचने का सफर एकदम अमेजिंग रहा. स्मूद ड्राइविंग मुझे अलग ही फील दे रही थी. कहते हैं न कि अगर जगह खूबसूरत होने के साथसाथ वहां तक पहुंचना भी कंफर्टेबल हो तो मजा दोगुना हो जाता है. हमें भी कंफर्ट जर्नी के कारण घूमने का डबल मजा आया.

आप को बता दें कि क्रेटा में 106 डीजल पेयर्ड के साथ 6 स्पीड मैनुअल का विकल्प है, साथ ही 6 यू गियर के साथ ड्राइव करने का अवसर भी. इस का क्लच इतना लाइट है कि पूरे सफर में आप को इस के कारण कोई दिक्कत नहीं होगी.

खूबसूरत जंगल कैंप

हमें भी अपने गंतव्य पेंच जंगल कैंप, जो 12 एकड़ जगह में फैला होने के साथसाथ चारों ओर से घने पेड़ों और प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है, को देख कर आनंद की अनुभूति हुई. यहां हमें बिलकुल जंगल के बीचोंबीच रहने का एहसास हुआ. यहां के लक्जरी टैंट्स हर तरह की सुविधा से लैस होने के साथसाथ काफी कंफर्टेबल भी हैं.

बिलकुल पेंच जंगल कैंप के इंटीरियर की तरह क्रेटा भी अंदर से इतनी ही कंफर्टेबल और स्पेस वाली है. इस के वर्टिकल एयर वेंट्स और पावरफुल एअरकंडीशनर आप को पूरे सफर के दौरान पूरी तरह ठंडा रखता है. इस की टचस्क्रीन भी बेहतरीन है जिस से मस्ती भरे गाने सुनते हुए अपना सफर तय कर सकते हैं. साथ ही जरूरत पड़ने पर फ्यूल स्टेशन कहां पर हैं इस की भी जानकारी मिल जाएगी.

एक तो क्रेटा का बेहतरीन फील और ऊपर से पेंच जंगल कैंप के बीचोंबीच कैंडिल लाइट डिनर के साथ टाइगर्स के किस्से सुनने को मिले. यहां पर सुबह का नजारा अनोखा था, क्योंकि हिरणों, बंदरों और पक्षियों की ढेरों प्रजातियों की आवाजों से माहौल कुछ अलग ही हो जाता है. हमारी यह जर्नी सफारी ड्राइवर और गाइड जो 15 सालों से यह कार्य कर रहे हैं के साथ और मजेदार रही.

सो थैंक यू क्रेटा, जिस के कारण इतनी लंबी ड्राइव भी आरामदायक व मजेदार रही.

धरा स्त्री है

गरल तुम्हारा गर्भ में धारे,

तेज तुम्हारा साधेसाधे,

प्रियतम मेरे मैं थिरकूंगी.

तुम्हें तो घेरे अभिसारिकाएं,

अगणित ग्रह गणिकाएं,

प्रणयसूत्र पर मैं बांधूंगी.

देह तप्त यह चंदन चर्चित,

मय मकरंद का चुंबन अर्चित,

मादक यह मंथन सह लूंगी.

हठी प्रणयी बन चांद भी तो इक,

मोहपाश जिस का आलिंगन,

कसक कामुक सी, न बांटूंगी.

उन्मुक्त अधीर उज्ज्वल अभिसारी,

पगला, प्रवीण वह प्रेम पुजारी,

मुनहारे मोहक न मानूंगी.

सधे पगों से चाल सतर कर,

खुद की लक्ष्मण रेखा खींच कर,

चपल तरलता मैं बांधूंगी.

ज्वार प्रमादी है झकझोरे,

उछाह अनवरत अंतस घेरे,

पर बंधन था बांधा तुम से,

सूरज फेरे तुम्हारे ही लूंगी.

कैसे नियम, यह किस की रचना,

मैं धरा स्वयं सृष्टि बदलूंगी.

– डा. छवि

उच्च शिक्षा के नुकसान

कर्नाटक की नवनिर्वाचित गठबंधन सरकार के उच्चशिक्षा मंत्री जी टी देवगौड़ा महज 8वीं पास हैं. यह खुलासा किसी विरोधी या विपक्षी ने नहीं, बल्कि खुद देवगौड़ा ने ही किया तो उन का दर्द किसी ने नहीं समझा जो, दरअसल, कोई मलाईदार विभाग चाहते थे.

मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने उन की इस दरियादिली पर रहम न करते हुए उन्हें उच्चशिक्षा मंत्री ही बने रहने दिया. इस से साबित इतनाभर हुआ कि जरूरी नहीं कि कम पढ़ालिखा मंत्री खासे पढ़ेलिखों को हांक न पाए.

राहुल का सियासी जुमला

किसानों का कर्जा माफ करने की मांग अब जोर पकड़ रही है. मंदसौर में हुई सभा में राहुल गांधी ने वादा किया है कि 2018 के मध्य प्रदेश चुनावों के बाद यदि उन की सरकार बनती है तो वे कर्जा माफ कर देंगे. 2014 से पहले नरेंद्र मोदी भी कुछ इसी तरह के इशारे करते थे और उन के गुरगे कहते थे कि जो 50 लाख करोड़ का काला धन नरेंद्र मोदी निकालेंगे या बाहर से लाएंगे उस से कर्जा, जो सिर्फ 12 लाख करोड़ का है, चुकता हो जाएगा.

2014 से अब तक जो कर्जे माफ हुए हैं, वे मजाक बन कर रह गए हैं. उत्तर प्रदेश में किसी के 20 पैसे तो किसी के 12 रुपए माफ हुए. दूसरे राज्यों में भी भाजपा ने वादे किए पर कुछ बड़ा नहीं हुआ. बैंक या सरकार असल में अगर कर्जे माफ कर दें तो उन के हिसाबों में बैंक और सरकार दोनों दिवालिए हो जाएंगे. देशविदेश से कर्ज मिलना बंद हो जाएगा. बैंकों और सरकार की आर्थिक साख डूब जाएगी.

राहुल गांधी ये कर्जे माफ कर सकेंगे इस पर भी शक है क्योंकि कहीं से तो यह पैसा लाना पड़ेगा और जिस तरह से बाजार और कारखाने चल रहे हैं, कहीं अच्छा होता नजर नहीं आ रहा है. जो अच्छा है वह सिर्फ सरकारी इश्तिहारों में है या नेताओं के भाषणों में है.

सरकार अब किसानों से निबटने के लिए पुलिस और बंदूकों का सहारा ले रही है. भाजपा अपने पाखंडी पुजारी एजेंटों को लगा रही?है कि गांवगांव में यज्ञहवन कराओ कि फसल अच्छी हो, धनधान्य भरे. सरकार के बस का तो कुछ नहीं है.

हां, इस दौरान सरकार पूरी तरह से नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, अडानी, अंबानी, जयपुरियाओं को लाखों करोड़ हड़पने की छूट दे रही है. चूंकि ये लोग बड़ेबड़े मंदिर भी बनवा रहे हैं, इन के पाप तो अपनेआप धुल रहे हैं. किसान बेचारे तो बस कांवड़ उठा कर पानी भर कर ला सकते हैं और उन्हें इस काम में मौसम आते ही लाभ दिया जाएगा पर तब तक तो कुछ करना ही होगा. इसलिए किसानों को दूसरी तरह के वादे किए जा रहे हैं जो अच्छे दिनों के वादों की तरह हैं.

असल में किसानों को खुद कर्ज ले कर खेती करना बंद करना होगा. अपनी बचत में महागुण हैं. यही मंत्र है अच्छी फसल का. नेताओं के चक्कर में फंस कर किसान कर्जा तो ले लेते हैं पर जब बैंक पुलिसथाना ले कर आ जाते हैं तो वे नेताओं के पैरों में जा बिछते हैं. उन्हें कुछ दिन की मुहलत मिल जाती है पर यह ज्यादा दिन नहीं चलती.

किसानों का कर्जा माफ होगा, यह भूल जाइए. किसानों को तो अंगरेजों ने भी अकाल के दिनों में नहीं छोड़ा था और पूरा लगान वसूल किया था. यह आज भी होगा. अगर सरकार और बैंक वसूली नहीं कर पाएंगे तो वे अपने कर्जे दूसरों को बेच देंगे जो आधेपौने में खरीद कर किसानों पर लाठियोंबंदूकों से आ धमकेंगे. सरकार को मंदिरों से प्रेम है, उसे गाय की रक्षा करनी है, वंदेमातरम का गान जरूरी है पर किसानों के खेतों, उन की आह और परेशानियों से कोई मतलब नहीं है.

फ्रांस को पछाड़ भारत बना दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

फ्रांस को पीछे छोड़ भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. यह जानकारी वर्ल्ड बैंक की ओर से 2017 के लिए जारी किये गये आंकड़ों के मुताबिक है. वर्ष 2017 के अंत तक भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2.597 ट्रिलियन डौलर के स्तर पर रहा है जबकि फ्रांस का 2.582 ट्रिलियन डौलर रहा है.

कई तिमाहियों तक मंदी से गुजरने के बाद देश की अर्थव्यवस्था में जुलाई 2017 से मजूबत सुधार देखने को मिला है. भारत की कुल आबादी 1.34 बिलियन है. जल्द ही भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बनने की कगार पर है. वहीं फ्रांस की आबादी 67 मिलियन है.

बीते वर्ष विनिर्माण और उपभोक्ता खर्च देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाले मुख्य कारक रहे हैं. इससे पहले नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के बाद से इसमें मंदी देखने को मिली थी. एक दशक में भारत की जीडीपी दोगुना हो गई है और भविष्य में इसकी तेजी से बढ़ने की उम्मीद है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार इस साल देश की ग्रोथ 7.4 फीसद और वर्ष 2019 में 7.8 फीसद रहने का अनुमान है. इसे घर खर्च और कराधान से बूस्ट मिलेगा.

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लंदन का आधारित सेंटर फौर इकोनौमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च ने कहा था कि बीते वर्ष के अंत तक भारत ब्रिटेन और फ्रांस दोनों को जीडीपी के मामले में पीछे छोड़ देगा और वर्ष 2032 तक उसके पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अवसर है.

वर्ष 2017 के अंत तक ब्रिटेन 2.622 ट्रिलियन डौलर की जीडीपी के साथ दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था रहा है. जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इसके बाद चीन, जापान और जर्मनी का स्थान है.

अमेरिका के बाद अब ईरान ने दी भारत को चेतावनी

ईरान ने चाबहार बंदरगाह के वि‍स्‍तार में दावे के मुताबि‍क इन्‍वेस्‍टमेंट नहीं करने पर भारत की आलोचना की है. ईरान ने यह भी कहा कि‍ अगर भारत वहां से तेल का इंपोर्ट कम करता है तो वह अपना ‘वि‍शेष लाभ’ खो देगा. ईरान के उप राजदूत मसूद रजवानियन रहागी ने कहा कि‍ अगर भारत दूसरे देशों जैसे सऊदी अरब, रूस, इराक और अमेरि‍का से तेल लेता है और ईरान से इंपोर्ट कम करता है तो वह हमारे द्वारा दि‍या जा रहा ‘वि‍शेष लाभ’ खो देगा. इससे पहले अमेरि‍का ने भारत से कहा था कि‍ अगर वह ईरान से तेल इंपोर्ट जीरो नहीं करता है तो उसे प्रति‍बंधों का सामना करना पड़ेगा.

भारत ने वादा पूरा नहीं कि‍या

रहागी ने कहा कि‍ यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चाबहार पोर्ट और उससे जुड़े प्रोजेक्‍ट्स के लिए किए गए इन्‍वेस्‍टमेंट के वादे अभी तक पूरे नहीं किए गए हैं. यदि चाबहार पोर्ट में उसका सहयोग और भागीदारी सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है तो भारत को इस संबंध में तुरंत जरूरी कदम उठाने चाहिए.

रहागी ने यह बात ‘ग्‍लोबल डि‍प्‍लोमेसी में उभरती चुनौति‍यां और संभावनाएं और उनके भारत के साथ द्वि‍पक्षीय समझौतों पर पड़ने प्रभाव’ पर आयोजि‍त सेमि‍नार में कही. चाहबार बंदरगाह को भारत, ईरान और अफगानि‍स्‍तान का केंद्रीय एशि‍याई देशों के साथ व्‍यापार करने का सुनहरे मौकों के तौर पर देखा जा रहा है.

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ईरान देता है भारत को वि‍शेष लाभ

रहागी ने कहा कि‍ अगर भारत ईरान की जगह दूसरे देशों जैसे सऊदी अरब, रूस, इराक, अमेरि‍का आदि‍ से अपने तेल डि‍मांड का 10 फीसदी देता है तो उसे डौलर मूल्‍य में इंपोर्ट करना होगा. इसका मतलब है  ज्‍यादा चालू खाता घाटा (सीएडी) और ईरान द्वारा भारत को दि‍ए जाने वाले अन्‍य लाभ छोड़ने होंगे.

ईरान से भारत का तेल इंपोर्ट

ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल इंपोर्टर है. ईरान ने अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 तक (2017-18 वित्त वर्ष के शुरुआती 10 महीनों में) भारत को 1.84 करोड़ टन कच्चे तेल की सप्‍लाई की थी.

अमेरि‍का पहले ही भारत को दे चुका है धमकी

अमेरिका ने कहा कि ईरान से तेल इंपोर्ट घटाने वाले देशों के साथ वह ‘केस बाई केस बेसिस’ पर काम करने के लिए वह तैयार है, लेकिन भारत और तुर्की जैसे देशों के मामले में कोई छूट नहीं दी जाएगी. उसने कहा कि अगर ऐसा किया जाता है तो प्रतिबंधों का सामना कर रहे ईरान से प्रेशर में खासी कमी आ सकती है. अमेरि‍का ने दूसरे देशों से कहा है कि‍ वह 4 नवंबर तक ईरान से होने वाले तेल इंपोर्ट को जीरो करें, वरना प्रति‍बंधों के लि‍ए तैयार रहें.

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