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‘सेक्रेड गेम्स’ में 7 बार फिल्माया गया यह न्यूड सीन

डिजीटल चैनल नेटफ्लिक्स के शो ‘सेक्रेड गेम्‍स’ इन दिनों काफी सुर्खियों में है. जहां एक तरफ शो के पहले सीजन को समीक्षकों और दर्शकों द्वारा सराहा जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ, शो का एक न्‍यूड सीन काफी चर्चा में है. इस शो में अभिनेत्री कुब्रा सैत ने एक ट्रांसजेंडर ‘कुक्कू’ का किरदार निभाया है. इस शो के एक दृश्य में कुब्रा को निर्वस्त्र दिखाया जाना था. यही वो सीन है जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दिकी को पता चलता है कि कुक्कू एक लड़की नहीं है.  कुब्रा सैत ने बताया कि सात बार शाट देने के बाद उस सीन की शूटिंग पूरी हुई.

कुब्रा सैत ने बताया, ‘अनुराग कश्यप ने सीन शूट करने से पहले मुझे शराब पीने को दी और फिर पूरे भाव से डायलौग्स बोलने को कहा. उन्होंने कहा जब वह सीन शूट हो रहा था तब डायरेक्टर अनुराग कश्यप बार-बार रीटेक ले रहे थे. उन्होंने मुझसे वह सीन सात बार करवाया. जब यह सीन शूट हो रहा था तब अनुराग मेरे पास आए और कहा, मैं तुम्हें कई बार यह करने को कह रहा हूं, सौरी. बस एक बार और. मुझे पता है तुम मुझसे नफरत करती हो, मुझसे नफरत मत करना.’

कुब्रा सैत ने आगे कहा कि जब सेक्रेड गेम्स रिलीज हुई और उन्होंने वह सीन देखा तो हैरान रह गई थीं. उन्होंने कहा, ‘जब आप यह शो देखेंगे तो पाएंगे कि उस सीन को कितनी खूबसूरती से पेश किया गया है. जब आप एक महान टीम के साथ काम करते हैं तो कभी गलत नहीं हो सकते.’

बता दें कि यह वेब सीरीज विक्रम चंद्रा के नौवेल पर आधारित है. इसकी कहानी मुंबई के आपराधिक पृष्ठभूमि पर आधारित है. इसे अनुराग कश्‍यप और विक्रमादित्य मोटवानी ने मिलकर निर्देशित किया है. सैफ अली खान, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और राधिका आप्टे ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई है.

एसी-कूलर खरीदने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

मानसून आने के बाद भी गर्मी से सब का हाल बेहाल है. हर तरफ उमस भरा मौसम है और यही वजह है कि कूलर और एसी के दुकानों में जबरदस्त भीड़ देखने को मिल रही है.  अगर आप भी एसी-कूलर खरीदने की सोच रहे हैं तो आपको इन छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखना आवश्यक है, ताकि घर में गलत चीज ना आ जाए.

एसी खरीदने से पहले यह ध्यान दें

जब भी एसी खरीदने जाए सबसे पहले यह ध्यान दें कि आपकों कौन सी एसी खरीदनी है क्योंकि बाजार में दो तरह की एसी मिलती है, जिसमें विंडो और स्प्लिट एसी है. इसके बाद आपका रूम कितना बड़ा ये ध्यान रखें. फिर उस हिसाब से एसी लें. जैसे 100-120 वर्गफुट के लिए 1 टन का, 130-170 वर्गफुट के लिए 1.5 टन का और 170-250 वर्गफुट के लिए 2 टन की एसी खरीदें.

इसके बाद एसी के रेटिंग का ध्यान रखें, क्योंकि यह अभी बहुत जरूरी होता है. जैसे- 5 से 8 घंटे चलाने के लिए 3 स्टार एसी और 24 घंटे चलाने के लिए 5 स्टार एसी खरीदें.

बेहतर कौन इनवर्टर एसी या फिक्स्ड स्पीड एसी

दरअसल, फिक्स्ड स्पीड एसी में बिजली की ज्यादा खपत होती है, जिसकी वजह से बिजली बिल अधिक आता है. वहीं इनवर्टर एसी में बिजली कम लगती है और बिजली बिल भी कम आता है.

कूलर लेने से पहले इन बातों पर दें ध्यान

बजट कम होने या बिजली बिल ज्यादा आने के डर से ज्यादातर लोग एसी के जगह कूलर लेना बेहतर समझते हैं. ऐसे में कूलर लेने से पहले इन बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है ताकी कम कीमत में बेहतर कूलर खरीदा जा सकें. सबसे यह डिसाइड करें कि आपके रूम का साइज क्या है?

बता दें कि कूलर के भी दो विकल्प हैं, जिसमें पर्सनल कूलर और डेजर्ट कूलर आता है. दरअसल, परसर्नल कूलर कम आवाज करता है और इसकी कीमत भी 5000 हजार से शुरू होती है. केनस्टार,सिम्फनी और वोल्टास ब्रांड के परसर्नल कूलर खरीद सकते हैं.

डेजर्ट कूलर को बड़े हौल के हिसाब से डिजाइन किया गया है. इसलिए इसे हॉल, छत और बड़े कमरों के लिए बेस्ट माना जाता है. इसे लेने के दौरान 30-60 लीटर के टैंक का ऑप्शन आपके लिए बेहतर होगा. डेजर्ट कूलर की कीमत 8000 रुपए से शुरू होती है.

आपकी कन्फर्म रेलवे टिकट पर अब कोई और भी कर सकता है यात्रा

इंडियन रेलवे से जुड़े ऐसे काफी सारे नियम हैं जिनसे अभी तक करोड़ों रेल यात्री अनजान हैं. साल 1990 में रेलवे से जुड़ा एक नियम उन यात्रियों को सहूलियत देता है जिन्हें किसी कारणवश अपनी यात्रा कैंसिल करनी पड़ती है, लेकिन वो अपनी जगह किसी दूसरे को यात्रा पर भेजना चाहते हैं. इस नियम में 1997 और 2002 में दो बार संशोधन हो चुका है. हम अपनी इस खबर में आपको रेलवे से जुड़े इसी नियम के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं.

क्या है नियम का फायदा?

कभी-कभी ऐसा भी होता है जब आपके पास रेलवे की कन्फर्म टिकट होती है, लेकिन किसी कारणवश आपको यात्रा कैंसिल करनी पड़ जाती है, ऐसे में अगर आप अपनी जगह किसी और को भेजना चाहें वो वह (आपकी टिकट) टिकट उसके नाम ट्रांसफर की जा सकती है. हालांकि आपको यह काम यात्रा के 48 घंटे पहले करना होगा. यानी अगर आप चाहें तो आप अपने पारिवारिक सदस्य को अपनी टिकट ट्रांसफर कर उसे यात्रा पर भेज सकते हैं.

जानिए टिकट ट्रांसफर कराने से जुड़े नियम

  • इंडियन रेलवे के मुताबिक स्टेशनों के मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक को रेलवे प्रशासन की ओर से टिकट ट्रांसफर करने के लिए अधिकृत किया गया है. मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक किसी सीट या बर्थ पर यात्रा करने वाले यात्री के नाम में बदलाव कर सकता है.
  • अगर कन्फर्म टिकट वाला व्यक्ति सरकारी कर्मचारी है तो उसे ट्रेन के डिपार्चर से 24 घंटे पहले तक ट्रांसफर के लिए लिखित में आवेदन देना होगा.

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  • आप अपना टिकट सिर्फ अपने पारिवारिक सदस्यों को ही ट्रांसफर कर सकते हैं. जैसे कि मां, पिता, भाई, बहन, बेटा, बेटी, पति और पत्नी. इसके अलावा किसी अन्य व्यक्ति को इस ट्रिकट को ट्रांसफर कराने की इजाजत नहीं है. हालांकि इसके लिए टिकट होल्डर को ट्रेन के डिपार्चर से 24 घंटे पहले लिखित में आवेदन देना होगा.
  • अगर यात्री छात्र है (जिसके पास कन्फर्म टिकट है) और अगर वह किसी कारणवश यात्रा नहीं कर पा रहा है तो वह किसी छात्र (स्टूडेंट) को ही अपनी टिकट ट्रांसफर कर सकता है. इसके लिए उसे ट्रेन के डिपार्चर से 48 घंटे पहले इसके लिए आवेदन करना होगा.
  • वहीं अगर आप किसी ग्रुप में सफर करने वाले हैं और अचानक आपका प्रोग्राम कैंसिल हो जाता है तो आप 48 घंटे पहले आवेदन कर अपने टिकट को किसी दूसरे के नाम ट्रांसफर करवा सकते हैं.
  • नेशनल कैडिट कोर के सदस्य भी इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं, वो 24 घंटे पहले (ट्रेन के डिपार्चर से) आवेदन कर अपने टिकट को किसी दूसरे के नाम पर ट्रांसफर करवा सकते हैं.

क्या है नेट न्यूट्रैलिटी और क्या हैं इसके फायदे? विस्तार से समझें

याद हो कि दूरसंचार नियामक ट्राई ने नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में सिफारिशें की थी और कहा था कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को नेट निरपेक्षता के मुख्य सिद्धांत यानि इंटरनेट के एक खुले मंच पर कायम रहना चाहिए और किसी तरह के पक्षपात वाले करार नहीं होने चाहिए. सरकार के इस फैसले से इंटरनेट की आजादी बनी रहेगी. जिसके बाद दूरसंचार विभाग ने बुधवार को नेट निरपेक्षता (नेट न्यूट्रैलिटी) को हरी झंडी प्रदान कर दी है. इसे मंजूरी मिलने के बाद इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियां अपने नेटवर्क पर हर ट्रैफिक को एक समान तवज्जो देंगी. अब सवाल यह है कि आखिर नेट न्यूट्रैलिटी क्या है और अगर इसका प्रस्ताव मंजूर नहीं होता तो आपकी जिन्दगी पर क्या असर पड़ता. आइए जानते हैं.

क्या है नेट न्यूट्रैलिटी?

नेट न्यूट्रैलिटी इंटरनेट की आजादी का वह सिद्धांत है जिसके तहत माना जाता है कि इंटरनेट सर्विस प्रदान करने वाली कंपनियां इंटरनेट पर हर तरह के डाटा को एक जैसा दर्जा देंगी और एक ही कीमत लेंगी. अगर नेट न्यूट्रैलिटी की सिफारिशों को मंजूर नहीं किया जाता तो इंटरनेट सेवा देने वाली और टेलीकौम कंपनियां अपने ग्राहकों से अलग से इंटरनेट सेवा के लिए अलग-अलग कीमतें वसूलतीं. उदाहरण के लिए अगर आप यूट्यूब देखने के लिए अलग से डाटा पैक और किसी वेबसाइट पर विजिट करने के लिए अलग से प्लान. यह ठीक वैसा ही है जैसे कारों से उनके मौडल या ब्रांड के आधार पर पेट्रोल की अलग-अलग कीमतें या अलग रेट पर रोड टैक्स नहीं वसूले जाते हैं.

नेट न्यूट्रैलिटी के फायदे और नुकसान क्या हैं?

अब सवाल यह है कि इससे आपको क्या फायदे हैं और अगर यह सिफारिश नामंजूर हो जाती तो आपको क्या नुकसान होते. तो फिलहाल आपको बता दें कि इससे आपको फायदे-ही-फायेदे हैं, क्योंकि अगर यह सिफारिश नामंजूर हो जाता तो टेलीकौम कंपनियां आपसे अलग-अलग सेवा के लिए अलग-अलग पैसे लेतीं और कुछ सेवाओं को ब्लौक भी कर देतीं. इसके अलावा वे इंटरनेट की स्पीड को कम भी कर सकतीं थीं. उदाहरण से समझने की कोशिश करें तो टेलीकौम या इंटरनेट कंपनियां फेसबुक ऐप पर डाटा की स्पीड को कम करके और फिर स्पीड बढ़ाने के लिए ज्यादा पैसे की मांग कर सकती थीं.

टेलीकौम और इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियां क्या चाहती थीं?

दरअसल टेलीकौम कंपनियां चाहतीं थी कि नेट न्यूट्रैलिटी की सिफारिशें नामंजूर हो जाएं, क्योंकि इसमें उनका सीधे तौर पर फायदा है और ग्राहकों को नुकसान है. टेलीकौम कंपनियां इसलिए भी परेशान हैं, क्योंकि धीरे-धीरे उनके सामने कई सारे मुश्किलें आ रही हैं. जैसे- एसएमएस सेवा के लिए टेलीकौम कंपनियां अलग से पैसे लेती थीं, लेकिन व्हाट्सऐप जैसे ऐप ने एसएमएस की छुट्टी ही कर दी. ऐसे में टेलीकौम कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

पंजाबी सुपर स्टार गिप्पी ग्रेवाल का ‘‘सूरज’’

पंजाबी फिल्मों के सुपर स्टार गिप्पी ग्रेवाल जिनकी फिल्म ‘‘कैरी आन जट्टा 2’’ इन दिनों सफलता के परचम लहरा रही है, तो दूसरी तरफ उनका टीसीरीज से दो दिन पहले आया नया सिंगल गाना ‘‘सूरज’’ भी काफी पसंद किया जा रहा है. प्यार व धोखे की वजह से पूरे परिवार के तहस नहस होने की बात करने वाले इस गीत के लेखक जानी व संगीतकार बी पराक हैं. गिप्पी ग्रेवाल द्वारा स्वरबद्ध इस गीत का वीडियो वैनक्युअर में शिंदा ग्रेवाल व नवप्रीत बंगा पर फिल्माया गया है. वीडियो निर्देशक बलजीत सिंह देव हैं.

इस गीत की चर्चा करते हुए गिप्पी ग्रेवाल कहते हैं- ‘‘मैं लंबे समय से ऐसा गीत गाना चाहता था, जो महज मजा करने के लिए न हो. मैं एक संजीदा गीत गाना चाहता था. 2010 में मैंने अपनी फिल्म ‘जिन्हे मेरा दिल लूटिया’ में एक धीमी गति का भावनाप्रधान गीत गाया था, इसे काफी पसंद किया गया था. जब टीसीरीज के भूषण कुमार ने मेरे सामने ‘‘सूरज’’ गीत को गाने का प्रस्ताव रखा, तो मुझे अहसास हुआ कि इस गीत में मेरे लिए काफी संभावनाएं हैं. हकीकत यह है कि मैंने खुद ही गीतकार जानी से इस तरह का गीत लिखने के लिए कहा. इस गीत के निर्माण से मैं शुरू से अंत तक जुड़ा रहा. फिर संगीतकार बी पराक से मैंने कहा कि मुझे एक खास तरह का अहसास इस गीत के संगीत में चाहिए. इन दोनों ने मेरे वीजन के अनुसार ही इस गीत को तैयार किया.’’

गिप्पी ग्रेवाल आगे कहते हैं- ‘‘बोहेमिया के साथ मेरा पिछला गाना ‘कार नच दी’ भी टीसीरीज से ही आया था, मगर वह गाना बहुत अलग था. जबकि बी पराक द्वारा संगीतबद्ध ‘सूरज’ गीत बहुत धीमी गति का होने के साथ ही काफी भावना प्रधान है. इस तरह का गीत मैंने इससे पहले कभी नही गाया.

भारत ईरान संबंधों में बढ़ने लगा तनाव

भारत और ईरान के संबंधों में तनाव एक बार फिर पसरने लगा है. कारण फिर वही है अमेरिका का दबाव. ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों को देखते हुए भारत ने ईरान से कच्चे तेल का आयात घटा दिया है और आगे भी इसमें बड़ी कटौती को तैयार है. इस पर ईरान के राजदूत ने पहले नाराजगी जताते हुए कहा कि भारत को तेल बिक्री में दी जाने वाली सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी. लेकिन बाद में ईरानी दूतावास की तरफ से सफाई दी गई कि भारत अपने हितों को देखते हुए फैसला लेने को आजाद है. सनद रहे कि छह वर्ष पूर्व भी अमेरिकी दबाव की वजह से भारत व ईरान के रिश्तों में काफी तल्खी आई थी.

अमेरिका लगातार भारत पर यह दबाव बना रहा है कि वह ईरान से तेल खरीदना बंद करे. ईरान पर अमेरिका ने परमाणु मुद्दे को लेकर प्रतिबंध लगा रखा है. पहले तो भारत ने यह कहा कि वह सिर्फ संयुक्त राष्ट्र की तरफ से लगाए गए प्रतिबंध को मानता है, लेकिन अब इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि भारत अपना नफा-नुकसान देखकर फैसला करने लगा है.

आंकड़े बताते हैं कि मई, 2018 में भारत ने ईरान से 7 लाख बैरल प्रति दिन कच्चे तेल की खरीद की जो जून, 2018 में घट कर 5.7 लाख बैरल प्रति दिन रह गया है. अमेरिका ने भारत समेत सभी देशों को कहा है कि वह तीन नवंबर, 2018 के बाद से ईरान से हर तरह का कारोबार करना बंद करे नहीं तो उनकी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. माना जाता है कि भारत ने इस वजह से ही ईरान से तेल खरीदना कम किया है. भारत अभी तक ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार देश रहा है.

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पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान का कहना है कि भारत अपने हितों को ध्यान में रखते हुए फैसला करेगा. अमेरिका के साथ रणनीतिक व कूटनीतिक रिश्तों की अहमियत को देखते हुए भारत उसकी मांग को बहुत नजरअंदाज करने की स्थिति में नहीं है.

भारत के मन में हो रहे बदलाव की भनक ईरान को है. तभी नई दिल्ली में ईरान के राजदूत ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा कि अगर भारत तेल आयात घटाता है, तो उसे ईरान से मिलने वाली अन्य सभी सहूलियतें बंद हो जाएंगी. ईरान ने भारत को यह भी याद दिलाया कि पूर्व में जब उसने प्रतिबंध के बावजूद तेल आयात किया था तो उसे कितने फायदे हुए थे. मसलन, उस समय रुपये में भुगतान की सहूलियत दी गई थी.

इस पर जब मीडिया की तरफ से सवाल पूछे गए तो बुधवार को ईरान के दूतावास की तरफ से एक स्पष्टीकरण आया. इसमें गया है कि वह भारत की दिक्कतों को समझता है और किस देश से तेल खरीदना है, यह भारत का अपना फैसला है जो वह भू-राजनीतिक, भू-आर्थिक व अन्य वाणिज्यिक मुद्दों को ध्यान में रखते हुए लेगा.

द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती के लिए ईरान ने लचीलेपन का भरोसा भी दिलाया है. हालांकि ईरान ने बेहद चतुराई से चाबहार का मुद्दा भी उठाया है. इस स्पष्टीकरण में एक तरह से भारत पर आरोप लगाया गया है कि उसकी कंपनियां वादे के मुताबिक चाबहार पोर्ट से जुड़ी परियोजनाओं में तेजी नहीं दिखा रही हैं. इसमें कहा गया, ‘ईरान चाहता है कि भारत इस निवेश योजना पर तेजी से अमल करे. हम चाहते हैं कि भारतीय कंपनियां अपनी परियोजनाओं को जल्दी से पूरी करें.

इटली के क्लब युवेंटस से खेलेंगे पुर्तगाल के खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो

पुर्तगाल के स्टार फुटबौलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो अब इटली के क्लब युवेंटस की तरफ से खेलेंगे. रोनाल्डो पिछले 9 साल से स्पेन के रियाल मैड्रिड की तरफ से खेल रहे थे. युवेंटस ने रोनाल्डो से 4 साल के लिए करीब 220 मिलियन यूरो (करीब 1,774 करोड़ रुपए) का करार किया. इसमें से 100 मिलियन यूरो (करीब 806 करोड़ रुपए) ट्रांसफर फीस है, जो युवेंटस क्लब रियाल मैड्रिड को देगा. इस तरह रोनाल्डो को हर साल 30 मिलियन यूरो (करीब 242 करोड़ रुपए) वेतन दिया जाएगा.

इटली में नियम है कि क्लब किसी खिलाड़ी को जितना वेतना देता है उतना टैक्स भी देगा. यानी युवेंटस को टैक्स के रूप में 120 मिलियन यूरो चुकाने होंगे. इस तरह रोनाल्डो को 4 साल के लिए अपने साथ जोड़ने पर युवेंटस 340 मिलियन यूरो (करीब 2,742 करोड़ रुपए) खर्च करेगा. रोनाल्डो 5 बार विश्व के सबसे बेहतरीन फुटबौलर चुने जा चुके हैं. वे रियाल मैड्रिड को 2 बार ला लीगा चैम्पियनशिप और 4 बार चैम्पियंस लीग खिताब दिला चुके हैं. हालांकि रोनाल्डो का यह करार ब्राजील के नेमार जूनियर के मुकाबले कहीं कम है. पिछले साल फ्रांस के फुटबौल क्लब पेरिस सेंट जर्मेन (पीएसजी) ने नेमार के साथ 450 मिलियन यूरो (करीब 3,628 करोड़ रुपए) का करार किया था. इसमें से 222 मिलियन यूरो (करीब 1,790 करोड़ रुपए) उसने ट्रांसफर फीस के रूप में बार्सिलोना को दिए थे.

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छठा सबसे महंगा ट्रांसफर: स्पेनिश मीडिया के अनुसार, रोनाल्डो का ट्रांसफर फुटबौल इतिहास का छठा सबसे महंगा ट्रांसफर है. उनसे पहले नेमार (222 मिलियन यूरो, पीएसजी), किलियन एम्बाप्पे (145 मिलियन यूरो, पीएसजी), फिलिप कुटिन्हो (120 मिलियन यूरो, बार्सिलोना), ओसुमाने डेंबेले (105 मिलियन यूरो, बार्सिलोना), पौल पोग्बा (105 मिलियन यूरो, मैनचेस्टर यूनाइटेड) के ट्रांसफर पर फीस दी गई है.

रोनाल्डो ने कहा रियाल के साथ सुखद अनुभव रहा: ट्रांसफर को लेकर स्टार स्ट्राइकर रोनाल्डो ने कहा, “मैड्रिड शहर में रियाल के साथ मेरे ये 9 साल सुखद रहे. मैं क्लब, इस शहर और समर्थकों का आभारी हूं, जिन्होंने मुझे हमेशा प्यार दिया. मुझे लगता है कि मेरे जीवन में अब नए पड़ाव का वक्त आ गया है. इसलिए मैंने क्लब से ट्रांसफर डील पर सहमति जताने का अनुरोध किया था.” वहीं रियाल मैड्रिड के कप्तान सर्जियो रेमोस ने रोनाल्डो का आभार जताते हुए कहा कि उन्हें मैड्रिड हमेशा याद करेगा. उनके साथ खेलना सम्मान की बात थी.

रियाल मैड्रिड ने कहा रोनाल्डो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी: स्पेनिश क्लब ने एक आधिकारिक बयान में रोनाल्डो का शुक्रिया अदा किया और उन्हें विश्व का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बताया. क्लब ने कहा, “रियाल मैड्रिड बताना चाहता है कि रोनाल्डो की अपील पर हम उन्हें ट्रांसफर पर युवेंटस भेजने को राजी हो गए हैं. रियाल उनका शुक्रिया अदा करना चाहता है, वे इस समय विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं. उन्होंने क्लब के इतिहास में भी अपने आपको शानदार साबित किया है. रियाल के लिए रोनाल्डो हमेशा एक महान शख्सियत और आने वाली पीढ़ी के लिए एक अलग उदाहरण रहेंगे. रियाल हमेशा उनका घर रहेगा.”

फील्डिंग को लेकर कुलदीप यादव पर भड़के महेंद्र सिंह धोनी

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपने शांत स्वभाव के लिए जाने जाते हैं. जिसके लिए उन्हें ‘कैप्टन कूल’ भी कहा जाता था. 2007 से उन्होंने 9 साल तक टीम की कप्तानी की लेकिन कभी मैदान पर या उसके बाहर उन्हें गुस्सा होते नहीं देखा गया है.

हाल ही में एक इंटरव्यू में स्पिनर कुलदीप यादव ने धोनी के गुस्से को लेकर एक घटना का जिक्र किया. कुलदीप ने बताया कि इंदौर में श्रीलंका के खिलाफ हुए टी-20 मैच में फिल्डिंग लगाने को लेकर धोनी भड़क गए थे. फिल्डिंग लगाने की बात नहीं मानने पर धोनी ने कुलदीप पर गुस्सा करते हुए कहा था कि क्या मैं पागल हूं यहां पे, मैं 300 वनडे खेल चुका हूं.

विराट की जगह रोहित शर्मा थे कप्तान

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श्रीलंका के खिलाफ इंदौर टी-20 में विराट कोहली टीम में नहीं थे. उनकी जगह रोहित शर्मा कप्तानी कर रहे थे. मैच में कुलदीप यादव की गेंद पर लगातार रन बन रहे थे. जिससे विकेट के पीछे खड़े धोनी फील्डिंग बदलने की बात कह रहे थे लेकिन कुलदीप इसके लिए तैयान नहीं हो रहे हैं. कुलदीप ने उस घटना के बारे बताया,”कहीं फेंकों छक्का लग रहा था. मैदान बहुत छोटा था. मैं हर छक्का के बाद उन्हें (धोनी) देखता था. जिस पर वो हमेशा कहते थे कि थोड़ा बाहर, थोड़ा दूर रखो.”

विकेट गिरने के बाद धोनी ने कहा, यही कह रहा था मैं

कुलदीप ने उस मैच का जिक्र करते हुए आगे कहा,”जब मैं तीसरा या चौथा ओवर डाल रहा था तो एक गेंद पर बल्लेबाज ने रिवर्स स्विप से चौका मार दिया. जिस पर माही भाई मेरे पास आए और कहा कि कवर को डीप कर दो और प्वाइंट लगाओ. जिस पर मैंने बोला नहीं माही भाई ये ठीक है.

इस पर वो गुस्सा हो गए और कहा क्या मैं पागल हूं यहां पे, मैं 300 वनडे खेला हूं. उसके बाद वो चले गए. मैंने अगली गेंद पर विकेट ले ली तो माही भाई ने कहा यही कह रहा था मैं.” उस मैच में कुलदीप ने 3 और युजवेंद्र चहल ने 4 विकेट लिए थे.

कनाडा में फैंस ने कटरीना से की बदसलूकी, वीडियो वायरल

बौलीवुड अदाकारा कटरीना कैफ पिछले कुछ समय से सलमान खान के साथ दबंग टूर में व्यस्त थीं. टूर के सिलसिले में अभिनेत्री विदेश के दौरे कर रही थीं. इस दौरान वह कनाडा के वैंकूवर में थीं, जहां पर कुछ लोगों ने कटरीना के साथ अभद्रता की. परफौर्म करने के बाद जब वह अपने शो के सेट से लौट रही थीं तो कुछ फैन्स ने उनके साथ सेल्फी और ओटोग्राफ लेने की जिद करने लगे, लेकिन जब कटरीना इस बात के लिए राजी नहीं हुई तो कनाडा के वैनकूवर में बीच सड़क पर दो महिलाओं ने कटरीना के साथ बदतमीजी की और उनका मजाक उड़ाया. सड़क किनारे घटी इस घटना का वीडियो भी सामने आया है.

सोशल मीडिया पर आए इस वीडियो में कटरीना कैफ काफी थकी हुई नजर आ रही हैं. वीडियो में देख सकते हैं कि कटरीना यह कहते हुए सुनाई पड़ रही हैं कि मैं आपके साथ फोटो नहीं खिंचाना चाहती, जब वे अपनी कार की ओर जाने लगती हैं तो कुछ फैन्स उनकी जल्दबाजी से नाराज होकर हूटिंग करने लगते हैं. तभी वहां खड़ी दो महिलाओं ने चिल्लाकर कहा, ‘हमें आपके साथ फोटो नहीं खिंचवानी.’ यही नहीं उन दोनों ने अश्लील इशारे भी किए. उनकी इस हरकत से कटरीना खफा हो गईं.

कटरीना उन लड़कियों के पास गईं और कहा, ‘मैं बहुत थकी हुई हूं, तनाव में हूं. इतना बुरा बर्ताव करने की जरूरत नहीं है.’ कटरीना के बौडीगार्ड ने मामले को संभाला. वहीं, कटरीना कैफ के फैंस उनके पास गए और उनके साथ फोटो खिंचवाने लगे. कटरीना कैफ जब फैंस के साथ तस्वीरें खिंचवा रही थीं, तब भी वे लड़कियां शांत नहीं हुईं. वे जोर-जोर से चिल्लाकर बोल रही थीं कि वे सलमान खान की फैन हैं और उनके साथ ही फोटो खिंचवाएंगी.

जर, जोरू से आगे जमीन…

धर्मनिरपेक्षता की आड़ लेकर देशभर में धार्मिक आजादी का सब से ज्यादा गलत इस्तेमाल जमीनों पर कब्जा करने के लिए हो रहा है. अगर कमाई का जरीया या रहने को जगह चाहिए तो हरी चुन्नी की एक तसवीर या खंभे की जरूरत है. मंदिरमसजिद की आड़ में करोड़ों की जमीनें हड़पी जा रही हैं. बड़ेबड़े आश्रम बनाए जा रहे हैं.

आसाराम जब रेप के आरोपों के बाद गिरफ्तार हुआ तो 60 हजार करोड़ रुपए की जमीन का मालिक निकला. गुरमीत राम रहीम को जब जेल भेजा गया तो वह भी हजारों करोड़ रुपए की जमीन का मालिक निकला. मोहमाया से दूर रहने का ज्ञान बांटने वाले ये ढोंगी अरबों रुपए की जमीनें हड़प रहे हैं.

राजस्थान सरकार ने पिछले दिनों पुष्कर में करोड़ों रुपए मंदिरों को चमकाने के लिए आवंटित किए तो कई सवाल खड़े हुए.

एक तरफ बरबादी की कगार पर खड़े किसान सरकार की तरफ राहत की उम्मीद लगा कर जगहजगह धरनाप्रदर्शन कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ बेरोजगार नौजवान अपराध के दलदल में फंस रहे हैं.

सरकार किसानों की कर्जमाफी व बेरोजगारों को रोजगार देने की बात करती है, पर दूसरी ओर वह पैसे की तंगहाली का रोना रोना शुरू कर देती है. धर्मनिरपेक्षता का चोला ओढ़ कर चल रही सरकार के पास धार्मिक जगहों पर खर्चा करने के लिए पैसों की कोई कमी नहीं है.

आप के सामने 2 सरकारी फैसलों का ब्योरा रखते हैं. पहला फैसला राजस्थान में भैरोंसिंह शेखावत सरकार के समय लिया गया था, जिस में जितने भी पुराने गढ़किले थे, उन को ठीक करने के नाम पर करोड़ों रुपए बांटे गए थे. पर्यटन को बढ़ावा देने का हवाला दिया गया था. और अब यही काम वसुंधरा राजे की सरकार कर रही है.

जबकि किलों का मालिकाना हक सरकार ने अपने पास नहीं लिया, बल्कि पुराने सामंतों को ही ट्रस्ट की आड़ में मालिक बना दिया गया. जनता के खूनपसीने की कमाई से भरे टैक्स के पैसों को सामंतों की भलाई में खर्च कर दिया गया.

आप अपने आसपास के किलों को देख लीजिए, कौन मालिक है व पर्यटन की आड़ में जो पैसा कमाया जा रहा है, वह किस की जेब में जा रहा है? इस का हिसाबकिताब किसी के पास नहीं है.

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राजस्थान की जनता के दिलोदिमाग में बैठे पुराने जोरजुल्मों के खौफ को हरा करते ये गढ़किले कमाई के पैसे किस को दे रहे हैं?

इस एक फैसले ने किसान सभा व प्रजामंडल द्वारा आजादी के समय लड़ी लड़ाई पर पानी फेर दिया.

ऐसा ही एक फैसला मध्य प्रदेश की सरकार ने लिया है. अब शिवराज सरकार मंदिरों की जमीनें पुजारियों के नाम करेगी. वैसे तो हमें यह बताया जाता है कि मंदिर सार्वजनिक स्थल होते हैं, पर उस के अघोषित मालिक तो पंडेपुजारी ही होते हैं. अब बाकायदा मध्य प्रदेश सरकार कब्जाई जमीनों पर बने मंदिरों को अपनी तरफ से मंजूरी दे कर उस जमीन की रजिस्ट्री पुजारी के नाम करेगी.

होना तो यह चाहिए था कि सरकारी जमीनों पर हुए इन कब्जों को हटा कर गरीबों के लिए घरों की सुविधा मुहैया कराई जाती, लेकिन सरकार इस के उलट जमीनों पर कब्जे की इस गलत चलन को बढ़ावा देगी.

थोड़े दिनों पहले राजस्थान की वसुंधरा सरकार गांवदेहात में सदियों से घर बना कर रह रहे लोगों को जमीन का आवासीय पट्टा मुहैया करवाने का प्रस्ताव लाई थी, लेकिन वो प्रस्ताव पता नहीं कहां खो गया? अब वसुंधरा सरकार भी पुष्कर में करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद इसी तरफ बढ़ेगी.

भारतीयों की सदियों से मानसिक गुलामी की प्रतीक बनी हुई मंदिरमसजिद की मीनारों के गैरकानूनी मालिक जब पट्टे हासिल करने लगेंगे तो एकाएक नए धार्मिक स्थलों के बनने में तेजी आएगी. लोग धड़ाधड़ जमीनों पर कब्जा कर के मंदिर बनाएंगे.

तसवीरोंमूर्तियों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद जागी है. सभी लोग खेतों की रखवाली करते रहना. कहीं ऐसा न हो कि रात को घर में सो कर सुबह खेत में पहुंचो तो पुजारी मंदिर का पट्टा ले कर आप के खेत में बैठा मिले.

सब मिल कर अपने घरों को मंदिर घोषित कर के तहसील में पट्टे की अर्जी भेज दो व खेतों में लट्ठ ले कर बैठ जाओ. जमीन रहेगी तो जर, जोरू की कमी नहीं रहेगी.

आज सबकुछ जमीन ही है. मोरचा संभाल लेना, नहीं तो सरकारी मुलाजिमों के रूप में पुराने सामंतों वाले कणवारिए आएंगे और ये पंडेपुजारी के रूप में तुम्हारा शोषण दोबारा शुरू करेंगे.

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