किसानों का कर्जा माफ करने की मांग अब जोर पकड़ रही है. मंदसौर में हुई सभा में राहुल गांधी ने वादा किया है कि 2018 के मध्य प्रदेश चुनावों के बाद यदि उन की सरकार बनती है तो वे कर्जा माफ कर देंगे. 2014 से पहले नरेंद्र मोदी भी कुछ इसी तरह के इशारे करते थे और उन के गुरगे कहते थे कि जो 50 लाख करोड़ का काला धन नरेंद्र मोदी निकालेंगे या बाहर से लाएंगे उस से कर्जा, जो सिर्फ 12 लाख करोड़ का है, चुकता हो जाएगा.

2014 से अब तक जो कर्जे माफ हुए हैं, वे मजाक बन कर रह गए हैं. उत्तर प्रदेश में किसी के 20 पैसे तो किसी के 12 रुपए माफ हुए. दूसरे राज्यों में भी भाजपा ने वादे किए पर कुछ बड़ा नहीं हुआ. बैंक या सरकार असल में अगर कर्जे माफ कर दें तो उन के हिसाबों में बैंक और सरकार दोनों दिवालिए हो जाएंगे. देशविदेश से कर्ज मिलना बंद हो जाएगा. बैंकों और सरकार की आर्थिक साख डूब जाएगी.

राहुल गांधी ये कर्जे माफ कर सकेंगे इस पर भी शक है क्योंकि कहीं से तो यह पैसा लाना पड़ेगा और जिस तरह से बाजार और कारखाने चल रहे हैं, कहीं अच्छा होता नजर नहीं आ रहा है. जो अच्छा है वह सिर्फ सरकारी इश्तिहारों में है या नेताओं के भाषणों में है.

सरकार अब किसानों से निबटने के लिए पुलिस और बंदूकों का सहारा ले रही है. भाजपा अपने पाखंडी पुजारी एजेंटों को लगा रही?है कि गांवगांव में यज्ञहवन कराओ कि फसल अच्छी हो, धनधान्य भरे. सरकार के बस का तो कुछ नहीं है.

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