भारत और ईरान के संबंधों में तनाव एक बार फिर पसरने लगा है. कारण फिर वही है अमेरिका का दबाव. ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों को देखते हुए भारत ने ईरान से कच्चे तेल का आयात घटा दिया है और आगे भी इसमें बड़ी कटौती को तैयार है. इस पर ईरान के राजदूत ने पहले नाराजगी जताते हुए कहा कि भारत को तेल बिक्री में दी जाने वाली सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी. लेकिन बाद में ईरानी दूतावास की तरफ से सफाई दी गई कि भारत अपने हितों को देखते हुए फैसला लेने को आजाद है. सनद रहे कि छह वर्ष पूर्व भी अमेरिकी दबाव की वजह से भारत व ईरान के रिश्तों में काफी तल्खी आई थी.

अमेरिका लगातार भारत पर यह दबाव बना रहा है कि वह ईरान से तेल खरीदना बंद करे. ईरान पर अमेरिका ने परमाणु मुद्दे को लेकर प्रतिबंध लगा रखा है. पहले तो भारत ने यह कहा कि वह सिर्फ संयुक्त राष्ट्र की तरफ से लगाए गए प्रतिबंध को मानता है, लेकिन अब इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि भारत अपना नफा-नुकसान देखकर फैसला करने लगा है.

आंकड़े बताते हैं कि मई, 2018 में भारत ने ईरान से 7 लाख बैरल प्रति दिन कच्चे तेल की खरीद की जो जून, 2018 में घट कर 5.7 लाख बैरल प्रति दिन रह गया है. अमेरिका ने भारत समेत सभी देशों को कहा है कि वह तीन नवंबर, 2018 के बाद से ईरान से हर तरह का कारोबार करना बंद करे नहीं तो उनकी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. माना जाता है कि भारत ने इस वजह से ही ईरान से तेल खरीदना कम किया है. भारत अभी तक ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार देश रहा है.

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