मां ही नहीं पिता बनने की भी होती हैं कई जिम्मेदारियां. अगर आप पिता बनने वाले हैं, तो इन चुनौतियों के लिए अभी से तैयार रहें. शिशु की देखभाल और उस की परवरिश की जिम्मेदारी मां की ही मानी जाती है और यह सच भी है कि मां मां होती है और शिशु के प्रति उस की जिम्मेदारी अहम होती है मगर पिता बनने की भी कई जिम्मेदारियां होती हैं जिन के बारे में अकसर लोगों को पता नहीं होता या इन की तरफ ध्यान नहीं देना चाहते हैं. जब भी आप परिवार आगे बढ़ाने के बारे में सोचते हैं और बच्चे की प्लानिंग करते हैं, तो याद रखें कि पिता के नाते आप की भी कई जिम्मेदारियां हैं. हालांकि आज पिता को ले कर कई धारणाएं गलत हो रही हैं.

इस के विपरीत आज पिता भी मां की तरह बच्चे का खयाल रखने में पीछे नहीं हैं. आज के पिता मां की तरह ही बच्चे के प्रति हर काम में बराबरी के भागीदार हैं. लेकिन इस सब के लिए उन्हें अपनी कई आदतों को बदलना पड़ता है और नई आदतों को अपनी जिंदगी में शामिल करना होता है. इस के लिए जरूरी हैं कुछ बातें : खुद को बदलना : अपने बच्चे को अच्छी परवरिश देने के लिए खुद को बदलें. यानी कि जिस तरह आप का बच्चा सोचता है, आप को उस के सामने उसी तरह बात करनी होगी. बच्चों को अच्छे संस्कार या उन से किसी तरह की उम्मीद आप तब ही कर सकते हैं जब बच्चा आप की बातों में रुचि ले रहा हो. पितृत्व के बारे में जानें : पितृत्व के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की कोशिश करें. जो पितृत्व सुख से गुजर चुके हैं उन से जानकारी लें.

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अपने बच्चे को शुरू से प्यार करें. उस की देखरेख वाले काम खुद करें, जैसे मां बच्चे को स्तनपान कराए तो फीड के बाद उसे आप संभाल सकते हैं. बच्चा बोतल का दूध पी रहा है तो उसे दूध पिलाने का काम आप कर सकते हैं. उसे नहलाना, डायपर बदलना पिता के लिए थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन करते रहने से आदत हो जाती है, साथ ही बच्चा पिता को पहचानने लगता है. बच्चे के साथ अधिक समय बिताएं: नौकरी के कारण पिता के पास बच्चे के साथ समय गुजारने का ज्यादा वक्त नहीं होता. लेकिन फिर भी बिजी टाइम में कुछ समय तो बच्चे के लिए निकालना ही पड़ेगा.

ऐसा करने से आप अपने बच्चे की जरूरतों को सम झेंगे. आप उसे जो सिखाएंगे, वह आजीवन याद रखेगा. बच्चे के साथ बौंडिंग बनाने के लिए उस के साथ संबंध गहन बनाना जरूरी है. बच्चे से बात करें, पुचकारें. भले ही बच्चा आप की भाषा न सम झे पर आवाज सम झने लगेगा. आप के करीब आने लगेगा. कभी भी कहीं से आएं, उसे आवाज दें, उस के पास रुकें और प्यार करें. उसे खूब बोलबोल कर पुचकारें और हंसेंबोलें. इस तरह धीरेधीरे पिता और बच्चे में स्किन टू स्किन कौंटैक्ट बन जाएगा. अच्छी परवरिश के लिए आर्थिक योजनाएं : आजकल की महंगाई और प्रतिस्पर्धा में अच्छी शिक्षा, अच्छा जीवनस्तर और अच्छे स्वास्थ्य के लिए पैसे की जरूरत होती है. ऐसे में पिता बनने से पहले बच्चे के भविष्य की आर्थिक योजनाएं जरूर बना लें. शिशु के साथ खेलें: बच्चे के साथ रोजाना आधा घंटा खेलें. यदि चाहते हैं कि बच्चा आप की गोद में आ कर न रोए और आनंद ले तो उसे अपनी आदत डलवानी होगी, उस के जैसी हरकतें करनी होंगी और तरहतरह से मुंह बना कर उसे खुश करना होगा. मांबाप के साथ बच्चे का रिश्ता वैसा ही बनता है जैसे वे बनाते हैं.

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बड़े होने के बाद भी वे उसी मांबाप के करीब होते हैं, जिन्होंने उन्हें बचपन से सम झा हो या प्यार किया हो. रोल मौडल बनें : किसी बच्चे के लिए उस का रोल मौडल पिता होता है. इसलिए बच्चे की अच्छी परवरिश के साथ ही अपने अंदर की बुरी आदतों को छोड़ कर आप को अच्छी आदतें डालनी चाहिए ताकि आप का बच्चा आप से कुछ अच्छा सीख सके. एक शोध में पाया गया है कि पिता बनने के बाद पुरुषों के लिए अपनी बुरी आदतें छोड़ना ज्यादा आसान होता है. अध्ययन बताते हैं कि पिता बनने के बाद धूम्रपान, शराब और अन्य बुरी लतें छूटने की संभावना पहले के मुकाबले बढ़ जाती हैं.

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दरअसल, बुरी आदतों का अपराधबोध तब गहरा हो जाता है जब व्यक्ति पर किसी और की जिम्मेदारी आ जाती है. ऐसे में शिशु के जन्म के साथ ही बहुत से लोग गलत आदतें छोड़ देते हैं. आप के द्वारा की गई गलतियों को बच्चे न दोहराएं, इस बात का खास ध्यान रखें. आप जो भी करते हैं, बच्चे उसे सीखते हैं और उस का अनुसरण भी करते हैं. द्य केयरिंग डैड बनें बच्चे के पैदा होते ही पिता तुरंत कोई रिश्ता नहीं बना पाते. बच्चे के साथ मां जैसा अटैचमैंट पैदा करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है. मां तो बच्चे के काम आराम से अच्छी तरह कर पाती है, पर एक पिता के लिए ये काम थोड़े मुश्किल होते हैं. ऐसे में जरूरी है कि वे अपने शिशु को पहले दिन से ही ज्यादा से ज्यादा समय दें, जैसे: द्य उस की देखरेख वाले काम खुद करें. द्य शिशु की हरकतों को सम झें. द्य अपने बच्चे से स्किन टू स्किन कौंटैक्ट बनाएं. द्य शिशु से बात करें, पुचकारें, हंसें, बोलें. द्य शिशु के साथ खेलें. द्य शिशु को पहले दिन से ही ज्यादा से ज्यादा समय दें. इन सब बातों को अपना कर आप अपने शिशु से मां की तरह करीब आ सकते हैं.

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