8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. इस मौके का लाभ अपने आस-पास वालों को शिक्षित करने के लिए उठाएं. हम महिलाओं को होने वाली कुछ सबसे आम बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाकर भी सहायता कर सकते है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का मकसद जागरूकता पैदा करना और महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार करना है.
एक महिला के रूप में आप समाज के भिन्न वर्गों के लिए अच्छा-खासा योगदान कर रही हैं पर उस प्रयास का सम्मान तभी हो सकेगा जब हम महिला-पुरुष का भेद मिटाने के लिए काम करना जारी रखेंगे. इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आइए हम लोग उन आम बीमारियों के बारे में जानें तथा खुद को और अपने आस-पास के लोगों को सुरक्षित करने के लिए कदम उठाएं. इस बारे में बता रहें हैं क्लिनिकऐप्प के सीईओ, श्री सत्काम दिव्य.
1 हृदय की बीमारी
हृदय की स्थिति पुरुषों और महिलाओं की मौत के अग्रणी करणों में से एक है. महिलाओं की मौते के 29% मामले इस कारण होते हैं. हालांकि, असली खतरा यह है कि हृदय से संबंधित बीमारियों के कारण मनुष्य विकलांग हो सकता है और समय से पहले उसकी मौत हो सकती है.
अगर आप आंकड़े देखें तो पाएंगे कि हृदय की स्थिति के कारण महिलाओं के मुकाबले ज्यादा पुरुषों की मौत होती है. पर महिलाओं की बीमारी का पता ही नहीं चलता है. कई मामलों में जब बीमारी का पता चला तो काफी देर हो चुकी थी. जब हम हार्ट अटैक के बारे में सोचते हैं तो जो मुख्य लक्षण दिमाग में आता है वह सीने में दर्द होता है. पर हार्ट अटैक अक्सर असामान्य लक्षणों के जरिए आता है जैसे जबड़े में दर्द, मितली आना, सांस फूलना आदि.
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2 कैंसर
बच्चेदानी, स्तन और ग्रीवा के कैंसर महिलाओं में आम हैं. अगर हम ग्रीवा या गर्भाशय के कैंसर की बात करते हैं तो ज्यादातर महिलाओं को इसकी जानकारी नहीं होती है. डिम्बग्रंथि का कैंसर फैलोपियन ट्यूब में विकसित होता है. पर ग्रीवा का कैंसर गर्भाशय के निचले हिस्से से शुरू होता है. महिलाओं में स्तन कैंसर भी आम है. इसका पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप खुद भी अपने घर पर स्तन की जांच कर सकती हैं. स्तन कैंसर की शिकार महिलाओं के स्तन में अक्सर गांठ विकसित हो जाता है. कैंसर से बचने की सबसे अच्छी संभावना यह है कि इसका पता जल्दी चल जाए और समय रहते इलाज शुरू हो जाए.
3 अल्जाइमर्स डिजीज
अल्जाइमर्स डिजीज (भूलने की बीमारी) अनुमान है कि देश भर में करीब 40 लाख लोग किसी ना किसी तरह की अल्जाइमर्स डिजीज (भूलने की बीमारी) से ग्रस्त हैं. यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ने वाली क्षरण की गड़बड़ी है जो महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले ज्यादा होता है. इसकी शुरुआत अक्सर भूलने या भ्रम से होती है. यह लक्षण धीरे-धीरे बढ़ता हुआ मानसिक खराबी का रूप ले सकता है और तब यह ठीक होने की स्थिति में नहीं रहता है. अगर आपको लगता है कि ऐसे कुछ लक्षण आपमें हैं तो यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी जांच कराएं. इससे अन्य कारणों की आंशका खत्म करने में मदद मिलेगी.
4 ऑस्टियोपोरोसिस
क्या आपने किसी ऐसे बूढ़े व्यक्ति को देखा है जिसकी कमर झुकी हुई हो? मुमकिन है कि वे ऑस्टियोपोरोसिस के शिकार. कमर दर्द और झुकी हुई कमर ऑस्टियोपोरोसिस के कुछ आम संकेतों में है. हालांकि इस बीमारी को रोका जा सकता है. ऑस्टियोपोरोसिस तब होती है जब शरीर हड्डी की देख-रेख छोड़ देता है या बहुत कम कर देता है. नतीजतन समय के साथ-साथ हड्डी कमजोर होती जाती है. ऐसे में ऑस्टियोपोरोसिसके शिकार लोग दूसरों के मुकाबले अपनी हड्डी ज्यादा आसानी से तोड़ लेते हैं. हड्डी बनने और मजबूर होने का ज्यादातर काम 30 साल की आयु तक होता है. बाद में आप अपनी हड्डियों का ख्याल खुद भी रख सकते हैं. उन्हें मजबूत करने के लिए आप पोषण और सप्लीमेंट्स ले सकते हैं.
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5 अवसाद और चिन्ता
मानसिक संघर्ष अब हरेक आयु के लोगों में बहुत आम है. हालांकि, हमारे हारमोन बढ़ते-घटते रहने के कारण यह महिलाओं को ज्यादा प्रभावित कर सकता है. उदाहरण के लिए, नई माएं प्रसाव के बाद प्रसवोत्तर अवसाद में चली जाएं यह आम है. हर महीने, प्री मेनसुरल सिनड्रोम (पीएमएस) से मूड बदल सकता है, चिड़चिड़ापन आ सकता है, दुख हो सकता है, आलस्य आदि आ सकता है. इसी तरह, मासिक होना खत्म होने यानी (रजोनिवृत्ति) की स्थिति में पहुंचने पर महिला की भावनाएं बढ़ सकती हैं और वे अवसाद में भी जा सकती है.
6 डायबिटीज (मधुमेह)
डायबिटीज (मधुमेह) बुजुर्गों की बीमारी हुआ करती थी. पर अब यह युवाओं को भी प्रभावित करती है. यह एक गंभीर स्थिति है जब शरीर में ग्लूकोज आवश्यक मात्र से ज्यादा होता है. भारत में 60 मिलियन लोग डायबिटिक हैं. इनमें से करीब 30 मिलियन को यह पता नहीं है कि वे डायबिटिक हैं या उन्हें यह बीमारी है. इसे अक्सर सायलेंट किलर कहा जाता है. इसमें ढेर सारे लक्षण नहीं होते हैं. जिन पर आपको ध्यान देना है. हालंकि, अगर आपको अक्सर भूख लगती है, बार-बार पेशाब आता है तो आपको इन लक्षणों की जांच
कराना चाहिए.