दिल्ली के अस्पतालों में बीती दिसम्बर और नये साल में हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर के मामले लगभग दोगुने हो गये हैं. लोग सांस फूलने, कमजोरी, सीने में दर्द जैसी तकलीफों के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं. यह सभी लक्षण दिल की बीमारी से जुड़े हुए हैं. जाती ठंड धमनियों में खून के थक्के जमने, धमनियां सिकुड़ने जैसी तकलीफें दे कर जा रही है.

पूरे देश में मौसम बार-बार करवटें ले रहा है. आमतौर पर मकर संक्रांति के बाद ठंड कम होनी शुरू हो जाती है, लेकिन अबकी बार तो संक्रांति के बाद तेज हवाओं, आंधी, पानी, ओलों ने मौसम का मिजाज ही बिगाड़ दिया है. ठंड जा-जाकर लौट रही है और इसका शिकार हो रहे हैं प्रौढ़ और बुजुर्ग, जिनका दिल मौसम की इस तुनकमिजाजी को सहन नहीं कर पा रहा है. लिहाजा दिल के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.

सर्दी के मौसम में यूं भी दिल के मरीजों को अपना ज्यादा ख्याल रखना जरूरी है क्योंकि ठंड की वजह से नाड़ियां सिकुड़ती हैं और शरीर में खून का बहाव बाधित होता है. ठंड के कारण दिल की धमनियों के सिकुड़ने से खून का प्रवाह रुक सकता है या बहुत धीमा हो सकता है, जिसके चलते हार्ट फेल होने की सम्भावना बन जाती है. ठंड में बरती गई लापरवाही दिल के लिए खतरनाक साबित हो सकती है.

मौसम की शुरुआती और लौटती ठंड दिल के मरीजों के लिए बहुत खतरनाक होती है. इसलिए उन्हें ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. बूढ़े शरीर में त्वचा के नीचे ज्यादा चर्बी नहीं रहती, लिहाजा सर्दी सीधे भीतर घुस कर नसों पर असर डालती है. इसलिए इस मौसम में खुद को गर्म रखना बहुत जरूरी है ताकि ठंड नसों पर असर न कर सके और उनमें बहने वाला खून बिना किसी रुकावट के अपना चक्र पूरा करे.

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