कैंसर एक गंभीर रोग हैं. लाखों लोग हर वर्ष कैंसर के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं. लेकिन सही समय पर कैंसर का इलाज किया जाएं तो  इसे ठीक किया जा सकता हैं. आईये जानें कि कैंसर क्या हैं और कैंसर के दुष्प्रभावों के इलाज में कैसे कारगर है होम्योपैथी. इस बारे में बता रहें है डा. कल्याण बनर्जी क्लिनिक.

कैंसर शरीर की कोशिका अथवा कोशिकाओं के समूह की असामान्य एवं अव्यवस्थित वृद्धि हैं, जो एक गांठ अथवा ट्यूमर का रूप ले लेती हैं. सभी असामान्य वृद्धि कैंसर नहीं होती. कैंसरयुक्त गांठ को मेलिग्नेंट गांठ तथा कैंसर रहित गांठ को विनाइन गांठ कहते हैं. कैंसर रहित गांठ विशेष हानिकारक नहीं होती, ये सामान्य गति से बढ़ती हैं. जबकि कैंसरयुक्त गांठ अत्यंत घातक होती हैं और असाधारण एवं तीव्र गति से आकार में बढ़ती हैं और दूसरे अंग को प्रभावित करती हैं.

  1. कैंसर और उसके उपचार का सबसे आम दुष्प्रभाव क्या हैं?

मोटे तौर पर अगर हम पारंपरिक चिकित्सा के जरिए विभिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार के तौर-तरीकों को विभाजित करें तो हमें मुख्य तौर पर तीन तरीके मिलते हैं: सर्जिकल प्रबंधन, कीमोथेरेपी (हार्मोनल थेरेपी के विभिन्न रूपों सहित) और विकिरण. कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए इन सभी तरीकों का या इनमें से कुछ तरीकों का उपयोग किया जाता है. हर तरीके के साथ दुष्प्रभाव का खतरा जुड़ा हुआ है.

सर्जिकल मामलों के लिए

सर्जरी की जगह का ठीक नहीं होना, इस जगह पर कोई और संक्रमण हो जाना या पुनरावर्ती चरण के दौरान किसी अन्य प्रणाली में संक्रमण हो जाना, दर्द निवारकों, एंटीबायोटिक्स और एनेस्थीसिया के प्रति प्रतिक्रिया. ये प्रतिक्रियाएं कभी-कभी बहुत गंभीर हो सकती है और आर्गन फेल्योर की नौबत आ सकती है. ऐसे मामलों में कैंसर के मूल प्रबंधन को तब तक के लिए रोक कर रखा जाता है जब तक आर्गन फेल्योर की जानलेवा स्थिति को ठीक कर दिया जाए या मरीज की हालत स्थिर हो जाए.

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