गर्भावस्था हर महिला को वो खुशी देती है. जिसके सामने दुनिया की हर एक धन-दौलत फीकी नजर आती है. क्योंकि वो इस दौरान एक नहीं दो जिंदगियां जी रही होती हैं, एक खुद की और एक अपने अंदर पल रहे बच्चे की. ऐसे में उसे दोनों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
इस समय महिलाओं में कई तरह के बदलाव देखे जाते हैं. इस दौरान कई बार महिलाओं का शुगर लेवल भी काफी बढ़ जाता है. इस स्थिति को गर्भावधि मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) कहा जाता है.
गर्भावधि मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज )
गर्भवती महिलाओं का शुगर लेवल कभी कभी बढ़ जाता हैं.ऐसा तब होता है, जब आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नामक हार्मोन पैदा नहीं कर रहा होता है.यह उन महिलाओं को भी हो सकता है जिन्हें पहले से शुगर नहीं है.
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लक्षण –
जिन महिलाओं को अपने अंदर ये बदलाव नजर आए तो उसे अनदेखा न करें:
बहुत जल्दी थक जाना, बार-बार प्यास लगना, जल्दी-जल्दी पेशाब जाने की जरूरत होना, जी-मिचलाना, धुंधला दिखाई देना, मूत्राशय, योनि और त्वचा के लगातार संक्रमण होना.
कारण
इन्सुलिन वह हार्मोन है जो शरीर मे ग्लूकोस व भोजन को ऊर्जा मे बदलता है. गर्भवस्था के दौरान कई हार्मोन्स के स्तर मे बढ़ोतरी होती है. जिससे वजन बढ़ने जैसे बदलाव सामने आते हैं. इससे शरीर में ब्लड शुगर बढ़ जाता है .और शरीर को ज्यादा इन्सुलिन की जरूरत होती है. किसी किसी को इस परेशानी का सामना गर्भवस्था के शुरू में ही करना पड़ता है तो किसी को आखरी महीनों में. डौक्टर गर्भावस्था के 24वें सप्ताह से 28वें सप्ताह के बीच में गर्भावधि मधुमेह की जांच जरूर करवाने की सलाह देते हैं.
हो सकतीं हैं ये परेशानियां –
अगर किसी गर्भवती महिला को मधुमेह हैं तो उसके गर्भ मे पल रहे बच्चे का आकर समान्य से ज्यादा हो सकता हैं, समय से पूर्व डिलीवरी का खतरा होना, बच्चे को पीलिया होना, इलाज न करने पर बच्चा मृत भी पैदा हो सकता है, बच्चे और महिला दोनों को टाइप-2 डायबिटीज का खतरा हो सकता है.
किनको है गर्भावधि मधुमेह होने का खतरा
- 25 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को.
- परिवार में किसी और को मधुमेह है तो.
- अगर पहले से ही पीड़ित है इस रोग से तो खतरा बढ़ सकता है.
- अगर गर्भवती महिला का वज़न सामान्य से ज्यादा है.
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उपचार
- सही जीवनशैली और स्वस्थ खानपान है बेहद जरूरी.
- सामान्य मधुमेह में दी जाने वालीं कई दवाइयां गर्भावस्था में लेनी सुरक्षित नहीं.
- डौक्टर की सलाह पर इंसुलिन के इंजेक्शन लें.
- व्यायाम अवश्य करें.
- वजन नियंत्रित रखें.
क्या खाएं
अनाज जिनमें भरपूर मात्रा में फाइबर हो, जैसे साबुत अनाज खाना चाहिए, हरी सब्जियों व फल खाये, दूध व योगर्ट खाना होगा अच्छा,मछली, अंडे, मीट, टोफू व नट्स खाएं, थोड़ा-थोड़ा करके तीन बार खाना खाएं और दो बार स्नैक्स लें.गर्भावधि मधुमेह में कार्बोहाइड्रेट लेना ज़रूरी होता है.
क्या न खाएं
तेज मीठा न खाएं,कोल्ड ड्रिंक, कैंडी व टौफी से परहेज़ करें,फास्ट फूड बिल्कुल न खाएं,बेक की गई चीजें जैसे केक व मफिंस न खाएं, जैम और शहद से बनाए दूरी.