कुछ रोग ऐसे होते हैं जो दूषित वातावरण, परिस्थिति, रहनसहन, खानपान व उम्र के साथ उत्पन्न होते हैं. वहीं कुछ रोग ऐसे भी होते हैं जो हमें अपने मातापिता से जन्म से ही मिलते हैं, इन रोगों को आनुवंशिक रोग कहा जाता है. हम में से अधिकांश लोगों को आनुवंशिक रोगों की जानकारी नहीं होती जिस की वजह से हम इन के प्रति लापरवाह होते हैं. मानव शरीर में लाखों कोशिकाएं होती हैं. इन कोशिकाओं को नियंत्रण करने का काम डीएनए करते हैं. हमारे शरीर में डीएनए का एक हिस्सा माता से प्राप्त होता है और दूसरा हिस्सा पिता से. डीएनए में हमारा जैनेटिक कोड होता है, जिस से माता की आदतें व बीमारियां हम तक पहुंचती हैं. इसी में खराबी होने के कारण आनुवंशिक रोग होते हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होते हैं.

गुड़गांव स्थित डब्लू हौस्पिटल के कंसल्टैंट पीडियाट्रीशियन (शिशु रोग विशेषज्ञ) और नियोनेटोलौजिस्ट डा. सोमेंद्र शुक्ला बताते हैं, ‘‘पुरुष के शुक्राणु तथा स्त्री की अंडकोशिका के संयोग से संतान की उत्पत्ति होती है. शुक्राणु तथा अंडकोशिका दोनों में केंद्रसूत्र रहते हैं. इन केंद्रसूत्रों में स्थित जीन के स्वभावानुसार संतान के मानसिक तथा शारीरिक गुण और दोष निश्चित होते हैं. कुछ रोग बच्चों में जन्म के समय से ही होते हैं और कुछ रोग अधिक आयु हो जाने पर प्रकट होते हैं. जब माता व पिता दोनों के जीन में बीमारी होती है तब शिशु में जन्मजात रोग होता है. अगर केवल माता या पिता दोनों में से किसी एक के जीन में दोष होता है तो कुछ साल के बाद आनुवंशिक रोगों के लक्षण दिखाई देते हैं.’’

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