आज के बदलते लाइफ स्टाइल में जहां लोग अपनी सेहत के प्रति जागरुक होते जा रहे हैं, वहीं कई बीमारियां भी बढ़ती जा रही हैं. इन्हीं बीमारियों में एक बीमारी है कोलेस्टराल का बढ़ना. यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका सीधा संबंध हमारे हृदय से है. खून में कोलेस्टराल की मात्रा बढ़ जाने से ही हृदय से संबंधित कई बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं. हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं और रक्त में कोलेस्टराल मौजूद है.

सवाल उठता है कि कोलेस्टराल क्या है? शरीर में इस की क्या भूमिका है तथा इस की अधिकता को क्या सिर्फ भोजन द्वारा नियंत्रण में रखा जा सकता है अथवा हमेशा दवा का प्रयोग जरूरी है. भोजन द्वारा कोलेस्टराल की अधिकता से कैसे बचाव किया जा सकता है या उसको नियंत्रण में रखा जा सकता है, साथ ही कोलेस्टराल से जुड़े मिथ और फैक्ट्स क्या हैं, यह सब जानकारी दे रही हैं दिल्ली के पूसा रोड क्लीनिक की सलाहकार न्यूट्रीनिस्ट गीत अमरनानी.

कोलेस्टराल क्या है

यह एक मोम जैसा पीला चिपचिपा पदार्थ है जो वसा के समान है पर वसा नहीं होता. यह व्यक्ति के लिवर में तैयार होता है और प्रतिदिन लिवर 1,500 मिलीग्राम कोलेस्टराल का निर्माण करता है. कोलेस्टराल लगभग 85 प्रतिशत शरीर से बनता है और 15 प्रतिशत भोजन से.

कोलेस्टराल की भूमिका

1 शरीर की जैविक क्रियाओं के संचालन में कोलेस्टराल की महत्त्वपूर्ण भूमिका है.

2 कोलेस्टराल से सेक्स हार्मोंस बनते हैं.

3 सूर्य की रोशनी के संपर्क में जब त्वचा आती है तो यह विटामिन ‘डी’ में परिवर्तित हो जाता है.

4 कोशिकाओं के कार्य संचालन में कोलेस्टराल की खास भूमिका होती है.

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