Hindi Family Story:

सरिता, बीस साल पहले, नवंबर (प्रथम) 2005

अमेरिका से लौट कर विलास मोहिनी का बदला रूप देख कर चकित रह गया और जब उस पर अपना अधिकार जताना चाहा तो मोहिनी ने पतिपत्नी की जो परिभाषा उसे बतलाई उस से वह घर में ही मात्र एक अतिथि बन कर रह गया.

जमींदार घराने का इकलौता चांद था विलास. सोने पर सुहागा यह कि आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद उस ने आईआईएम हैदराबाद से एमबीए की परीक्षा गोल्ड मैडल ले कर पास की थी. मल्टीनैशनल कंपनियों से ले कर बड़बड़े धनकुबेर और नौकरशाह उस के लिए पलकें बिछाए बैठे थे. कई सुंदरसलोनी युवतियों के मातापिता या अभिभावकों में विलास की मुंहमांगी कीमत अदा करने की होड़ सी लगी हुई थी.

ललिता को पसंद आई अपने बचपन की सहेली रुक्मणि की इंटर पास बेटी मोहनी. संचार माध्यमों के विशेषज्ञ विलास के मन में जीवनसंगिनी के रूप में किसी हाईटैक बाला की मूर्ति स्थापित थी. विलास ने दबे स्वर में मां से अपनी इच्छा जाहिर भी की थी.

‘‘बेटा, मुझे जिंदगी में कभी कोई सुख नहीं मिला. तेरे पिता तुझे दुनिया में अकेला छोड़ गए थे. अपनी नौकरी के चक्कर में तू भी मेरे साथ गांव में नहीं रह सकता. कम से कम मुझे कुछ दिनों तक बहू का सुख तो भोग लेने दे. अगर तू अपनी तरह हाईटैक लड़की ले आया तो वह एक दिन भी मेरे साथ गांव में नहीं टिकेगी,’’ ललिता के तर्क ने विलास के सारे तर्कों को पराजित कर दिया था.

शादी के 2 साल बाद ही विधवा हुई मां ने विलास को पालने के लिए अपनी सारी इच्छाओं की बलि दे दी थी. अब उन की अकेली इच्छा ढेर सारे पोतेपोतियों को खिलाने की थी. विलास जानता था कि उस की सोच वाली बीवी मां की इच्छा पूरी नहीं कर सकती, इसलिए उस ने हथियार डाल दिए थे.

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