जुगनी यानी कि महिला जुग्नू. गांवों में रात के अंधेरे में रोशनी बिखेरने वाले छोटे जीव को जुग्नू कहा जाता है. तो दूसरी तरफ यह एक पंजाबी शब्द भी है. पर जब गीत संगीत या कविता का मामला हो तो यह स्प्रिच्युल कविता का प्रतिनिधित्व करता है. मगर फिल्म निर्देशक शेफाली भूषण की फिल्म ‘‘जुगनी’’ इन दोनों अर्थों में बेमानी साबित होती है. निर्देशक शेफाली भूषण के अनुसार फिल्म ‘जुगनी’ एक संगीतमय रोमांटिक फिल्म है. मगर फिल्म में न तो संगीत है और न ही प्रेम कहानी है. एक घिसी पिटी कहानी पर एक भटकी हुई फिल्म है.

फिल्म ‘‘जुगनी’’ एक उभरती महिला संगीतकार विभावरी उर्फ विव्स (सुगंधा गर्ग) को अच्छे संगीत की तलाश है. विभावरी मुंबई में अपने एक मित्र सिद्धार्थ उर्फ सिड (समीर शर्मा) के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहती है. दोनो ने फ्लैट कर्ज पर ले रखा है, जिसकी ईएमआई दोनों मिलकर भरते हैं. सिड के साथ सेक्स संबंध स्थापित करने के लिए विभावरी हमेशा कोई न कोई बहाना बनाकर मना कर देती है. विभावरी पंजाब की लोकप्रिय मगर देश के लिए अनजान पंजाबी जुगनी गायिका बीबी स्वरूप (साधना सिंह) की तलाश  पंजाब के एक गांव ले जाती है. जहां विभावरी की मुलाकात बीबी स्वरूप के साथ साथ उनके बेटे मस्ताना (सिद्धांत बहल) से भी होती है. मस्ताना पंजाब में स्थानीय स्तर पर अपनी मां और अपने तबला बजाने वाले दोस्त जीता (चंदन गिल) के साथ मिलकर संगीत के कार्यक्रम देता रहता है. इसके अलावा जीता की बहन प्रीतो (अनिरूताझा) के संग उसकी प्रेम कहानी भी चल रही है. मुंबई से संगीत की तलाश में आयी विभावरी को मस्ताना अपने गांव के किनारे के एक मकान में न सिर्फ रहने के लिए जगह देता है, बल्कि उसे अपने गीत सुनाकर प्रभावित करने का प्रयास करता है. मस्ताना और बीबी स्वरूप से जुगनी गीत और बुल्ले शाह को सुनकर विभावरी, मस्ताना और उसकी मां की आवाज में कई गाने रिकार्ड करती है. मस्ताना का विभावरी के संग ज्यादा समय बिताना प्रीतो को पसंद नहीं.

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