हमारे देश की 60 फीसदी आबादी का हिस्सा किसी न किसी रूप से खेती से जुड़ा है. यही वजह है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है. अगर हम इस क्षेत्र में दूर तक नजर दौड़ाएं तो खेती में नवाचार की खासी कमी है. आज भी अनेक किसान पारंपरिक तरीके से खेती कर रहे हैं. खेती में हमें आज बहुतकुछ नए प्रयोग करने की जरूरत है. इन्हें इस्तेमाल कर के अच्छी पैदावार ली जा सकती है.

ऐसी ही एक आधुनिक तकनीक है एक्वापौनिक्स. इस तकनीक में मछलियां और पौधे आपस में एकदूसरे की मदद करते हैं यानी इस सिस्टम का इस्तेमाल कर मछलियों को सब्जियों के उत्पादन के एक्वाकल्चर और हाइड्रोपौनिक्स (पानी में पौधे उगाना) सिस्टम का एकसाथ इस्तेमाल किया जाता है. इस तकनीक को हम कम जगह में भी अपना सकते हैं. इस में मिट्टी या जमीन की जरूरत नहीं होती है.

एक्वापौनिक्स की शुरुआत शायद एशिया से हुई. यहां के किसानों ने देखा कि ज्यादा बरसात या बाढ़ आने के बाद खेतों में पानी भर जाता है जिस में मछलियां भी होती हैं. उन खेतों में उगाई गई धान की फसलों से अच्छी पैदावार मिलती है. मछलियों से निकलने वाली गंदगी धान या दूसरी फसल के लिए पोषक तत्त्वों का काम करती है.

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अगर आसान तरीके से बताया जाए तो जिस पानी का इस्तेमाल इस तकनीक में किया जाता?है उस पानी में मछली छोड़ दी जाती हैं, जो उस पानी में रह कर अपना मल वगैरह छोड़ती?हैं, वही पानी पौधों के लिए जैविक उर्वरक का काम करता है. इस के उलट हाइड्रोपौनिक्स सिस्टम में हमें पानी में जैविक उर्वरक के रूप में कुछ रसायन डालने होते?हैं.

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