घर आंगन के अलावा चूहे खेतखलिहानों में सब से ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. इस के अलावा भारी मात्रा में मल त्याग करने व काटने, कुतरने की आदत के चलते बहुत सी बीमारियों के वाहक भी बनते हैं.

एक अनुमान के मुताबिक, देश में पैदा होने वाले कुल खाद्यान्न का तकरीबन 10 फीसदी सिर्फ चूहे ही हजम कर जाते?हैं. इन की आबादी भी काफी तेजी से बढ़ती है. चूहे मात्र 5 हफ्ते में ही मैथुन के योग्य हो जाते हैं. एक मादा चूहा सालभर में 6-10 बार बच्चा देती है व एक बार में 6-12 बच्चे दे सकती है.

एक जोड़ी चूहे को अगर नियंत्रित न किया जा सके तो सालभर में ये 1,000-1,200 तक तादाद बढ़ा सकते हैं.

चूहे प्रमुखत:  4 प्रकार के पाए जाते हैं. पहला, घरेलू चूहा, जो सिर्फ घरों में ही पाया जाता है. दूसरा, खेत में चूहे, जो खेत और खलिहान दोनों में पाए जाते?हैं. तीसरा, खेत और घर दोनों जगह के चूहे और चौथा, जंगली चूहे, जो जंगलों व रेगिस्तानों में रह कर घासफूल, फलफूल वगैरह खा कर अपना पेट भरते हैं.

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चूहे भले ही अलगअलग प्रकार के हैं, मगर इन सब का नियंत्रण इन तरीकों से होता है:

गैर रसायनिक तरीका

प्राकृतिक शत्रुओं द्वारा : गैररसायनिक तरीके में चूहों के प्राकृतिक शत्रुओं जैसे बिल्ली, सियार, कुत्ता, उल्लू, चमगादड़, लोमड़ी, चील जैसे जीवों को रख कर नियंत्रित कर सकते हैं. ये सभी जीव चूहों को खा जाते हैं.

चूहेदानी द्वारा : चूहेदानी में चूहों की पसंद की चीजें जैसे रोटी, डबलरोटी, बिसकुट, अमरूद वगैरह रख कर फंसा लिया जाता है. बाद में उन्हें बाहर छोड़ दिया जाता है या मार दिया जाता है.

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