बरसात में गाजर की पत्तियों की तरह दिखने वाली यह घास बहुत तेजी से बढ़ती है. इसे चटक चांदनी, गंधी बूटी और पंधारी फूल के नाम से भी जाना जाता है. गाजर घास की वजह से फसलों की पैदावार में कमी आती है, इसलिए इस की रोकथाम करना जरूरी हो जाता है.

कृषि मंत्रालय और भारतीय वन संरक्षण संस्थान के वैज्ञानिक बताते हैं कि भारत में गाजर घास का वजूद पहले नहीं था. ऐसा माना जाता?है कि इस के बीज साल 1950 से 1955 के बीच अमेरिका और कनाडा से आने वाले गेहूं पीएल 480 के साथ भारत में आए थे. आज यह गाजर घास मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे उन्नत कृषि उत्पादक राज्यों में हजारों एकड़ खेतों में फेल चुकी है. गाजर घास में पाए जाने वाला जहरीलापन फसलों की पैदावार पर बुरा असर डालता?है.

तेजी से फैलती घास

बरसात के मौसम के अलावा भी गाजर घास के पौधे कभी भी उग आते?हैं और बहुत जल्दी इन पौधों की बढ़वार होती है. 3 से 4 फुट तक लंबी इस घास का तना मजबूत होता है. इस घास पर?छोटेछोटे सफेद फूल 4 से 6 महीने तक रहते हैं. कम पानी और कैसी भी जमीन हो, उस पर उगने वाली इस घास के बीजों का फैलाव भी बड़ी तेजी से होता है.

गाजर घास के एक पौधे में औसतन 650 अंकुरण योग्य बीज होते?हैं. जब यह एक जगह पर जड़ें जमा लेती?है तो दूसरे किसी पौधे को जमने नहीं देती. यही वजह है कि यह घास खेत, मैदान या चारागाह को जल्दी ही अपना निशाना बना लेती है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...