राजस्थान में किसानों से सीखेंगे कृषि विभाग के लोग

जयपुर : किसानों को खेतीकिसानी की जानकारी देने वाले राजस्थान के कृषि अधिकारी व कर्मचारी अब प्रगतिशील व खेतों में काम कर के सफलता की बुलंदियां छूने वाले किसानों से एक कार्यशाला में खेतीबाड़ी की तालीम व जानकारी लेंगे.

‘राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति एवं सेंटर फार इंटर नेशनल ट्रेड इन एग्रीकल्चर एग्रो बेस्ड इंडस्ट्रीज’ (सिटा) द्वारा 16-17 अक्तूबर को आयोजित की गई 2 दिवसीय ‘कृषि पुनर्जागरण एवं कृषक संवाद संगोष्ठी’ के समापन के मौके पर राजस्थान के राज्य कृषि प्रबंध संस्थान के निदेशक डा. शीतल शर्मा ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस के लिए जल्दी ही कृषि विभाग द्वारा राज्य कृषि प्रबंध संस्थान में एक कार्यशाला आयोजित कराई जाएगी और इस में चुने हुए प्रगतिशील किसानों को बुलाया जाएगा. उन्होंने कहा कि नई व आधुनिक खेती में सब को एकदूसरे से सीखने की जरूरत है और ज्ञान से विज्ञान को जोड़ने की भी जरूरत है. अतिरिक्त उद्यान निदेशक शरद गोधा ने कहा कि राजस्थान के हर जिले में आज 25 से 50 किसान ऐसे हैं, जिन्होंने आधुनिक कृषि अपना कर अपना जीवन स्तर बदला है. उन्होंने कहा कि किसानों को बड़े आकार के फल और सब्जियां पैदा करने का रिकार्ड बनाने की बजाय बाजार व उपभोक्ताओं की जरूरत को ध्यान में रख कर सब्जियों का उत्पादन करना चाहिए.

गोष्ठी के उद्घाटन में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक प्रो. नरेंद्र सिंह राठौर ने कहा कि हमारे देश में खेती के लिहाज से आज भी दूसरे देशों की तुलना में कम जमीन है. उन्होंने कहा कि देश में दलहन के लिए उपलब्ध रकबे में से आधे हिस्से पर ही इस की खेती किए जाने से दालों के उत्पादन में कमी आई है. यदि पूरे रकबे में इस का उत्पादन होता तो दालों का संकट पैदा नहीं होता. उन्होंने किसानों से पैदावार की ट्रेडिंग का काम अपने हाथों में लेने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि ऐसा होने पर किसान खुदबखुद खुशहाल हो जाएंगे. प्रो. राठौर ने कहा कि केंद्र सरकार का खेती की ओर पूरा ध्यान है और 13वीं पंचवर्षीय योजना में कृषि विज्ञान केंद्रों की संख्या भी 642 से बढ़ कर 1200 होने जा रही है, जिस का फायदा भी किसानों को मिलेगा. राजस्थान के कृषि आयुक्त कुलदीप रांका ने किसानों से आधुनिक कृषि तकनीक और नवीन व मिश्रित फसलों को शामिल कर के सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने को कहा. उन्होंने कम पानी में होने वाली जैविक खेती पर बल देते हुए किसानों से क्लस्टर बना कर जैविक खेती का विस्तार करते हुए आगे बढ़ने की बात कही. राजस्थान पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रो. एके गहलोत ने कहा कि कृषि व पशुपालन में आज भी नवाचार अपनाने की गति धीमी है, इस में तेजी लाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस के लिए किसानों तक जानकारी पहुंचानी होगी और किसानों को उसे अपनाना होगा. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर परिवर्तित जलवायु से कृषि क्षेत्र में भी चुनौतियां बढ़ी हैं, इन का तोड़ भी निकालना होगा.

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