Hindi Stories Love : शुभी का शक करना भी सही था लेकिन विशाखा ने जिस निर्मल और सहज हृदय के साथ शुभी की सेवापानी की, उस से उस ने प्रोफैसर और शुभी के दिलों में अपनी जगह बना ली.
वह आज आ रही है, यह सोच कर ही मेरा मन बल्लियों उछल रहा है. वह आएगी, मेरे सामने बैठेगी, उस के बारे में सोच कर और किसी बहाने से उस से फोन पर बात करने के बाद मेरे लिए खुद को संभालना काफी मुश्किल होता है. फिर, आज तो वह मेरे सामने होगी, यह सोच कर ही मैं रोमांच से भर उठता हूं. यद्यपि मैं जानता हूं कि इस अवसर पर मुझे रोमांच से नहीं भरना चाहिए पर क्या करूं, उस के आने की सूचना मात्र से ही मेरा रोमरोम हर्षित हो उठता है. मुझे आज भी याद है, 3 वर्ष पहले भी वह जब आने वाली थी तब भी सुबह से ही मैं ने घर सिर पर उठा रखा था और वही हाल मेरा आज भी है. जब से उस के आने की सूचना मिली है, मैं थोड़ीथोड़ी देर में किचन में जाता हूं और शुभी से कहने लगता हूं, ‘‘शुभि, उन्हें ये पसंद है, उन्हें खाने में बिना मिर्चमसाले की सब्जी पसंद है. शुभी, तुम्हें याद है न जब वे यहां थे तब वह अकसर बिना प्याजलहसुन की सब्जी बनाती थी. मेरी इतनी उत्सुकता और उतावलापन देख कर शुभी हंसते हुए कुछ मजाकिया अंदाज में बोल पड़ी, ‘‘इतना तो आप अपनी बेटी के आने पर उतावले नहीं होते जितने आज हो रहे हो.’’
‘‘तुम्हीं तो कहती हो कि कोई आता है तो उस का ध्यान रखना अपनी जिम्मेदारी है. अब तुम अकेली परेशान न हो, इसलिए ही तो मैं तुम्हारी मदद करने की कोशिश कर रहा था. अगर तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा तो ठीक है, मैं जा कर टीवी देखता हूं. करो तुम अकेली ही सारा काम, मुझे क्या,’’ कुछ बनावटी सा गुस्सा दिखाते हुए मैं ने कहा.
‘‘अरे नहींनहीं, चलो जब तक मैं किचन का बाकी काम निबटा व नहा कर आऊं, तुम डाइनिंग टेबल सैट कर दो. वे लोग आएंगे तो सभी बैठ कर बातें करेंगे.’’ यह कह कर शुभी नहाने चली गई और डाइनिंग टेबल पर जरूरी सामान रख कर मैं बालकनी में आ कर बैठ गया. कुछ देर बाद शुभी 2 कप चाय ले कर मेरे बगल में आ कर बैठ गई. शुभी को पता है कि मौसम कोई भी हो, चाय मेरी कमजोरी है. चाय पीतेपीते शुभी बोली, ‘‘विशाखा अपने पति के साथ पहली बार आ रही है. चलो अच्छा ही हुआ कि उस ने शादी कर ली वरना मातापिता का साथ कब तक रहता है.’’
‘‘हूं, बात तो सही है.’’ इस के बाद शुभी बाकी के काम करने चली गई और मैं खो सा गया कुछ पुरानी यादों में.
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