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अपने अपने सपने
अनजाने में उस प्यारी बच्ची में वे अपनी आद्या की सूरत देख रही थीं. वे भी तो हर समय आद्या को डांटतीडपटती रहती हैं.
भाग - 1
पंखुरी डा. मणि के जीवन में एक खास अनुभव बन कर आई जिस ने उन्हें समझाया कि सभी के अपने सपने होते हैं और वे उतने ही जरूरी हैं जितने खुद के. बस, समझनेसमझने की बात है जो एक पिता नहीं समझ पा रहा था.
भाग - 2
लड़की की हालत नाजुक थी. उस का चेहरा काला पड़ गया था, मुंह से झाग निकल रहा था. वह पूरी तरह से अचेत थी.
भाग - 3
वह यूनिट टैस्ट में अच्छे नंबर नहीं ला रही थी. इसलिए उस ने अपने रिपोर्टकार्ड पर खुद से साइन बनाना शुरू कर दिया था.
भाग - 4
अधिकारी पिता का चेहरा खुशी से खिल उठा था, ‘डा. साहिबा, आप सच में इंसान नहीं, बल्कि भगवान हो. डाक्टर, प्लीज, मैं एक बार अपनी बेटी से माफी मांग सकता हूं.
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