‘नाइट ड्यूटी पर डा. पूनम हैं, वे इस केस को संभाल लेंगी.’
‘उन्होंने ही तो मुझे आप को बुलाने के लिए भेजा है.’
उसी समय लड़की की मां रोती हुई आई और उन के पैरों पर गिर पड़ी थी.
उन्होंने उसे उठाया, ‘क्या बात है?’ पूछा था.
‘डा. आप मेरे लिए भगवान की तरह हैं. आप का बहुत नाम सुन रखा है. मेरी बेटी को प्लीज बचा लीजिए. डा. साहब, मेरी बेटी को कुछ हो गया तो मैं यहीं पर सिर पटकपटक कर अपनी जान दे दूंगी.’
वे लीला से लड़की की हालत के बारे में जानकारी ले रही थीं कि महिला के पति जीप से उतरते दिखे, शायद वे पुलिस अधिकारी थे क्योंकि उन के साथ कई पुलिस वाले वहां खड़े हुए थे. मामले की गंभीरता को देखते हुए वे इमरजैंसी की तरफ चल दी थीं.
लड़की की हालत नाजुक थी. उस का चेहरा काला पड़ गया था, मुंह से झाग निकल रहा था. वह पूरी तरह से अचेत थी.
उस पर नजर पड़ते ही वे खुद एक क्षण को सहम गई थीं. फूल सी कोमल, नाजुक लड़की, जिस की उम्र 18 -19 वर्ष के आसपास रही होगी. दूध सा धवल रंग सांवला पड़ गया था, काले घुंघराले बाल बारबार चेहरे पर अठखेलियां करने को बेताब थे. वे सोचने को मजबूर हो गई थीं कि इस नाजुक सी कली ऩे ऐसा कदम क्यों कर उठाया होगा?
वे तत्काल उस के उपचार में जुट गई थीं. ड़ा. पूनम से बातचीत कर स्वयं ही उस की निगरानी करने लगीं. लगभग एक घंटे बाद वे अपने केबिन में आईं. उन्होंने शीशे से बाहर निगाह डाली, तो देखा कि उस की मां की आंखों से निरंतर अश्रुधारा प्रवाहित हो रही थी. अधिकारी पति के चेहरे से लग रहा था कि वह शायद पत्नी को घुड़क रहे थे.