कांग्रेस पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा के उस बयान से किनारा कर लिया है जिस में उन्होंने कहा कि ‘अमेरिका में इनहेरिटेंस टैक्स की व्यवस्था है. इस का मतलब है कि अगर किसी के पास 10 करोड़ डौलर की संपत्ति है तो उस के मरने के बाद बच्चों को केवल 45 फीसदी संपत्ति ही मिलेगी और बाकी 55 फीसदी सरकार ले लेगी. यह काफी दिलचस्प कानून है. यह कहता है कि आप अपने दौर में संपत्ति जुटाओ और अब जब आप जा रहे हैं, तो आप को अपनी धनसंपत्ति जनता के लिए छोड़नी होगी, सारी नहीं लेकिन उस की आधी, जो मेरी नजर में अच्छा है.’

उन्होंने कहा, ‘भारत में आप ऐसा नहीं कर सकते. अगर किसी की संपत्ति 10 अरब रुपए है और वह इस दुनिया में न रहे तो उन के बच्चे ही 10 अरब रुपए रखते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता. तो ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिस पर लोगों को बहस और चर्चा करनी चाहिए. मैं नहीं जानता कि इस का नतीजा क्या निकलेगा लेकिन जब हम संपत्ति के पुनर्वितरण की बात करते हैं, तो हम नई नीतियों और नए तरह के प्रोग्राम की बात करते हैं जो जनता के हित में है, न कि केवल अमीर लोगों के.’
सैम पित्रोदा के इस बयान की भाजपा ने आलोचना करते कहा कि कांग्रेस ने देश को बरबाद करने का फैसला कर लिया है. सैम पित्रोदा जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, अब 50 फीसदी टैक्स की वकालत कर रहे हैं. ऐसे में यह साफ है कि अगर कांग्रेस राज आता है तो लोगों ने अपनी कड़ी मेहनत से जो संपत्ति अर्जित की है वह उस का 50 फीसदी हिस्सा उन से छीन लेगा. सैम पित्रोदा अचानक अहम हो गए और पूरी भाजपा उन के पीछे पड़ गई.

प्रधानमंत्री ने बनाया मुद्दा

छत्तीसगढ़ में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘जब तक आप जीवित रहेंगे, तब तक कांग्रेस आप को ज्यादा टैक्स से मारेगी और जब जीवित नहीं रहेंगे, तब आप पर इनहेरिटेंस टैक्स का बोझ लाद देगी. पूरी कांग्रेस पार्टी को अपनी पैतृक संपत्ति मान कर जिन लोगों ने अपने बच्चों को दे दी, अब वो नहीं चाहते कि भारतीय अपनी संपत्ति अपने बच्चों को दें.

‘अब कांग्रेस का कहना है कि वो इनहेरिटेंस टैक्स लगाएगी. मातापिता से मिलने वाली विरासत पर भी टैक्स लगाएगी. आप जो अपनी मेहनत से संपत्ति जुटाते हैं, वो आप के बच्चों को नहीं मिलेगी. कांग्रेस का पंजा वो भी आप से लूट लेगा. कांग्रेस का मंत्र है, कांग्रेस की लूट जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी.’

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी सैम पित्रोदा के बयान के बाद पूरी तरह एक्सपोज हो गई है. सब से पहले कांग्रेस घोषणापत्र में सर्वे, मनमोहन सिंह का पुराना बयान जो कांग्रेस की लीगेसी है कि हम देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का मानते हैं, अब कांग्रेस का घोषणापत्र बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले सैम पित्रोदा का बयान कि संपत्ति के बंटवारे पर विचार होना चाहिए. अब जब प्रधानमंत्री जी ने यह मुद्दा उठाया तो राहुल गांधी, सोनिया गांधी और पूरी कांग्रेस बैकफुट पर आई है कि हमारा मकसद यह नहीं है.’

भाजपा प्रवक्ता अमित मालवीय ने ट्वीट कर के कहा है कि, ‘कांग्रेस ने भारत को बरबाद करने का फैसला किया है. सैम पित्रोदा संपत्ति का पुनर्वितरण करने के लिए 50 फीसदी इनहेरिटेंस (उत्तराधिकार) टैक्स की वकालत कर रहे हैं. इस का मतलब है कि जो कुछ भी आप ने अपनी कड़ी मेहनत से बनाया है उस का 50 फीसदी छीन लिया जाएगा. कांग्रेस अगर आती है तो इस के बावजूद कि हम ने कितना भी टैक्स दिया है, 50 फीसदी चला जाएगा.’

राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव मलूक नागर ने कहा है, ‘सैम पित्रोदा की क्या दिमागी हालत है, उस के बारे में कुछ कह नहीं सकते.’

राहुल गांधी के बयान से शुरू हुई चर्चा

लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार में भाषण देते राहुल गांधी ने कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो हम एक सर्वे कराएंगे जिस से पता लगाया जाएगा कि किस के पास कितनी संपत्ति है. उन के इस बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलग तरह से पेश किया और कहा ‘कांग्रेस की निगाह मंगलसूत्र और स्त्रीधन पर है. ऐसा काम कांग्रेस मुसलमानों के लिए कर रही है. नरेंद्र मोदी के बयान से मुददा गरम हो गया. इस बारे में जब सैम पित्रोदा से पूछा गया तो उन्होंने इस के जवाब में अमेरिका में लगने वाले विरासत टैक्स का जिक्र किया.

भाजपा सैम पित्रोदा के बयान का सहारा ले कर कांग्रेस को घेरने का काम कर रही है. सैम पित्रोदा कांग्रेस के न तो रणनीतिकार है न ही कोई बड़े कांग्रेसी नेता. महंगाई, बेरोजगारी और जातीय जनगणना से जनता का ध्यान भटकाने के लिए भाजपा ने सैम पित्रोदा के बयान को सोशल मीडिया में ट्रैंड करना शुरू किया. अब सवाल उठता है, सैम पित्रोदा अचानक इतने अहम क्यों हो गए? कांग्रेस के साथ उन का क्या रिश्ता है? सैम पित्रोदा इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन हैं.

बचाव में उतरी कांग्रेस

सैम पित्रोदा के बयान पर कांग्रेस के कम्युनिकेशन डिपार्टमैंट के प्रमुख जयराम रमेश ने कहा, ‘सैम पित्रोदा मेरे और दुनिया में कई लोगों के लिए एक मैंटर, दोस्त, फिलौसफर और मार्गदर्शक हैं. उन्होंने भारत के विकास में कई अहम योगदान दिए हैं. वे इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. पित्रोदा जिन मुद्दों के बारे में बोलने की इच्छा रखते हैं, उन पर स्वतंत्र रूप से अपनी राय रखते हैं.

‘बेशक, लोकतंत्र में हर शख्स के पास अपने निजी विचारों को रखने, उस पर चर्चा करने की आजादी है. इस का यह अर्थ नहीं है कि पित्रोदा के विचार हमेशा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रुख को बयां करते हैं. बहुत बार ऐसा नहीं होता. उन के बयान को सनसनीखेज तरीके से पेश करना और उन्हें बिना संदर्भ के पेश करना नरेंद्र मोदी के दुर्भावना और नुकसान पहुंचाने वाले उस चुनावी कैंपेन से ध्यान भटकाने की जानबूझ कर की गई कोशिश है जो केवल झूठ और ज्यादा झूठ के सहारे पर है.’
सैम पित्रोदा ने अपने बयान पर छिड़े विवाद पर कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मैं ने जो निजी तौर पर अमेरिका में इनहेरिटेंस टैक्स पर कहा उसे पीएम मोदी द्वारा कांग्रेस के घोषणापत्र को ले कर फैलाए जा रहे झूठ से ध्यान भटकाने के लिए गोदी मीडिया ने इस तरह तोड़मरोड़ कर पेश किया. पीएम के मंगलसूत्र और सोना छीनने वाला बयान स्पष्ट तौर पर वास्तविक नहीं हैं. किस ने कहा कि 55 फीसदी संपत्ति छीन ली जाएगी? किस ने कहा कि ऐसा कुछ भी भारत में किया जाएगा? बीजेपी और मीडिया इतना घबराया हुआ क्यों है?’

कर्नाटक में एक रैली को संबोधित करते प्रियंका गांधी ने कहा, ‘कैसीकैसी बहकीबहकी बातें की जा रही हैं कि कांग्रेस पार्टी आप का मंगलसूत्र, आप का सोना छीनना चाहती है. 70 सालों से ये देश स्वतंत्र हैं, 55 साल कांग्रेस की सरकार रही है, क्या किसी ने आप का सोना छीना, आप के मंगलसूत्र छीने. इंदिरा गांधी ने जब जंग हुई, अपना सोना इस देश को दिया. मेरी मां का मंगलसूत्र इस देश के लिए कुर्बान हुआ है. मंगलसूत्र का महत्त्व समझते तो वो ऐसी अनैतिक बातें न करते. किसान पर कर्ज चढ़ता है तो उस की पत्नी अपने मंगलसूत्र को गिरवी रखती है. बच्चों की शादी होती है या दवाई की जरूरत होती है तो महिलाएं अपने गहने गिरवी रखती हैं.’

मुद्दों से भटकाने की जुगत

लोकसभा के चुनावप्रचार में जैसे ही पहले चरण का मतदान खत्म हुआ, भाजपा के 3 स्टार प्रचारकों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान बदल गए. राहुल गांधी के बयान को आधार बना कर मंगलसूत्र और मुसलमान के सहारे चुनावी प्रचार होने लगा. इस की वजह यह है कि 10 साल के कार्यकाल में 2014 से 2024 के दौरान मोदी सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया जिस को ले कर वे चुनावी प्रचार कर सकें. भाजपा के कार्यकाल में सड़क, एयरपोर्ट, वंदेमातरम ट्रेन और संसद जैसे काम हुए लेकिन चुनाव में इस की चर्चा नहीं हो रही है.

नरेंद्र मोदी के पास जब अपने कार्यकाल में बताने लायक कुछ नहीं. जो काम किए हैं वे अमीरों की नजर से किए हैं. अगर 84 करोड़ लोगों को खाने के लिए फ्री में राशन बांटना पड़ रहा है तो यह समझा जा सकता है कि देश के लोगों की हालत क्या है? आज किसान को 500 रुपए माह की किसान सम्मान निधि से संतोष करना पड़ रहा है, तो खुशहाल कौन हुआ है. आने वाले साल में मोदी सरकार का रोडमैप क्या है, इस को ले कर बात नहीं हो रही है?

मोदी के भाषणों में अपने से ज्यादा कांग्रेस की आलोचना है. इस से साफ है कि जनता में जो चुनावी निराशा दिख रही है वह नरेंद्र मोदी के लिए परेशानी की बात है. इसलिए ही कभी मंगलसूत्र, कभी मुसलमान तो कभी सैम पित्रोदा का सहारा लेना पड़ रहा है. भाजपा ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा के चुनाव जीते. वहां नए मुख्यमंत्री बनाए गए, उन के नाम की चर्चा भी चुनावों में नहीं हो रही है. अपनी बात कहने की जगह मोदी दूसरों की बातों का सहारा ले रहे हैं, जो उन की नाकामी को ही दिखाता है.

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