52 साल के सत्यपाल शर्मा को गांव में हर कोई जानता था. वे उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद के गांव सिंघावली अहीर के रहने वाले थे और नजदीक के ही एक गांव खिंदौड़ा में बने आदर्श प्राइमरी स्कूल में हैडमास्टर  थे. गांव में उन की खेतीबारी भी थी. उन के परिवार में पत्नी उर्मिला के अलावा एक बेटा सोनू व एक बेटी सीमा थी. 23 अप्रैल, 2016 की सुबह सत्यपाल शर्मा रोजाना की तरह मोटरसाइकिल से स्कूल गए थे. सुबह के तकरीबन पौने 10 बजे थे. लंच ब्रेक का समय था. सत्यपाल शर्मा स्कूल के बरामदे में कुरसी डाल कर बैठे हुए थे, तभी एक मोटरसाइकिल पर सवार 3 नौजवान स्कूल परिसर में आ कर रुके. उन में से एक नौजवान मोटरसाइकिल के पास ही खड़ा रहा, जबकि 2 नौजवान पैदल चल कर सत्यपाल शर्मा के नजदीक पहुंच गए. उन्होंने नमस्कार किया, तो सत्यपाल शर्मा ने पूछा, ‘‘कहिए?’’

उन में से एक नौजवान ने पूछा, ‘‘क्या आप ही मास्टर सत्यपाल हैं?’’

‘‘जी हां, मैं ही हूं. आप लोग कहां से आए हैं?’’

‘‘हम तो नजदीक के गांव से ही आए हैं मास्टरजी.’’

सत्यपाल शर्मा ने उन्हें बैठने का इशारा किया, तो वे पास रखी कुरसियों पर बैठ गए. इस बीच तीसरा नौजवान भी टहलता हुआ वहां आ गया. सत्यपाल शर्मा उन नौजवानों को पहचानते नहीं थे. वे कुछ जानसमझ पाते कि उस से पहले ही कुरसी पर बैठे दोनों नौजवान बिजली की सी फुरती से खड़े हुए और उन्होंने अपने हाथों में तमंचे निकाल लिए. सत्यपाल शर्मा सकते में आ गए. पलक झपकते ही एक नौजवान ने उन्हें निशाना बना कर गोली दाग दी. गोली उन के पेट में लगी और खून का फव्वारा छूट गया. सत्यपाल शर्मा समझ गए थे कि वे नौजवान उन के खून के प्यासे हैं. वे जान बचाने के लिए चिल्लाते हुए परिसर में तेजी से भागे, लेकिन तकरीबन 50 मीटर ही भाग पाए थे कि बदमाशों ने उन पर 2 और फायर झोंक दिए. इस से वे लहूलुहान हो कर जमीन पर गिर पड़े. गोलियां चलने से स्कूल के टीचरों व बच्चों में चीखपुकार और भगदड़ मच गई. स्कूल चूंकि गांव के बीच में था, इसलिए आसपास के गांव वाले भी इकट्ठा होना शुरू हो गए.

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