एक बार मैं और मेरे पति नेपाल के गौड़ शहर से बिहार के बैरगिनिया आ रहे थे. हम लोग बैरगिनिया में प्रवेश कर रहे थे कि सीमा सुरक्षा बल के जवानों द्वारा रुकने का इशारा किया गया. जवानों ने कुछ सवाल पूछने के बाद बाइक के कागजात मांगे. इन्होंने कागज घर पर छोड़ आने की बात कही. एक जवान ने मेरी तरफ इशारा कर के कहा, ‘‘जिस को घर पर छोड़ आना चाहिए उस को साथ ले कर घूम रहे हो और जिस को साथ ले कर चलना चाहिए उस को घर पर छोड़ आए हो.’’ उन की बातें सुन कर हम लोग हंस कर चल दिए.

पारुल देवी, मुजफ्फरपुर (बिहार)

 

हमारे घर के पिछवाडे़ बने कमरे में पापा के औफिस का चपरासी रहता था. एक दिन वह हैंडपंप पर नहा रहा था. उस ने अपनी शर्ट, अहाते में लगे पेड़ की टहनी पर टांग दी थी.

अचानक एक कौआ उड़ता हुआ आया और कमीज की जेब से रुमाल में बंधी नोटों की गड्डी, चोंच में दबा कर उड़ गया और एक अन्य पेड़ पर बैठ गया. उस ने कौए को डराया ताकि वह गड्डी छोड़ दे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब वह घर से कुछ दूर दूसरे पेड़ पर जा बैठा. चपरासी लकड़ी ले कर उस पेड़ की तरफ दौड़ा. काफी देर बाद कौए की चोंच से नोटों की गड्डी गिरी तो उस ने राहत की सांस ली.

शशि कटियार, कानपुर (उ.प्र.)

 

मेरे एक दोस्त आईआईटी में प्रोफैसर हैं. उन का बेटा प्रत्यूष शंकर पढ़ने में बहुत तेज है. खेल की तरफ भी उस का बहुत रु झान है. एक दिन उस के पापाजी ने कहा कि बेटा, तुम्हारी परीक्षाएं पास आ रहीं हैं. थोड़ी पढ़ाई कर लो.

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