मैं वैवाहिक निमंत्रण पर ससुराल गया था. मैं वहां थोड़ा पहले पहुंच गया था क्योंकि पत्नी अपनी सहेली से रास्ते में रुक कर बात करने लगी इसलिए उसे आने में विलंब हो गया. मुझे अकेला आता देख बड़े साले साहब ने पूछा, ‘‘आप अकेले आए हैं?’’
मैं ने कहा, ‘‘नहीं, मैं अपने बाबूजी की बड़ी बहू और उन की छोटी पोती के साथ आया हूं.’’ मेरा उत्तर सुन कर पहले तो वे समझ नहीं पाए, पर समझने पर उन की हंसी छूट गई.
दामोदर नारायण दास, लखनऊ (उ.प्र.)

औफिस के काम से मुझे पुणे जाना था. मेरी फ्लाइट सुबह 5.30 बजे की थी. मैं ने एअरपोर्ट जाने के लिए औफिस की गाड़ी मंगाई थी. ड्राइवर सुबह थोड़ी देर से आया, इसलिए समय पर पहुंचने के लिए गाड़ी थोड़ी तेज चला रहा था. सुबह का समय था और सड़क पर कोई खास ट्रैफिक भी नहीं था, इसलिए मैं ने उस से कुछ नहीं कहा.
थोड़ी दूर पहुंचने के बाद मुझे रास्ता कुछ अनजाना सा लगा तो मैं ने ड्राइवर से पूछा कि कौन से रास्ते से जा रहे हो? वह बोला, ‘‘साहब? रेलवे स्टेशन का रास्ता तो यही है.’’ यह सुन कर मैं उस की तरफ देखने लगा तो वह बोला, ‘‘कुछ गलती हो गई, साहब.’’ मैं ने उस से कहा कि यह भी खूब रही, मुझे फ्लाइट पकड़वाने के लिए रेलवे स्टेशन ले जा रहे हो.
आर के जैन, तिमारपुर (दिल्ली)

हम कोलकाता में रहते थे. हमारे साले साहब कुछ दिनों के लिए हमारे पास रहने आए. साले साहब को अपने विशिष्ट हिंदी ज्ञान का काफी अभिमान था. हम से हमेशा कहते ‘‘अरे, हिंदी सीखो, कोई समस्या हो तो मुझ से पूछो.’’
साले साहब की निशुल्क हिंदी सेवा की हमें तो आवश्यकता कभी नहीं पड़ी. हां, एक बार हमारे एक संगीतकार मित्र अपने 10-12 साल के बेटे के साथ हमें किसी समारोह के लिए आमंत्रित करने आए तो साले साहब की तारीफ सुन कर बोले, ‘जीतेंद्रजी, हमें अपने गुरु की आदमकद प्रतिमा का अपने समारोह में लोकार्पण करना है, अभी प्रतिमा परदे में छिपी है, एक मंत्रीजी परदे को बेपरदा करेंगे. इस बेपरदा करने को शुद्ध हिंदी में क्या कहते हैं?’’
साले साहब ने थोड़ी देर सोचा और फिर कहा, ‘‘बहुत सुंदर शब्द है, मुखदर्शन.’’
‘‘नहींनहीं मामाजी, मुखदर्शन नहीं. अनावरण कहते हैं,’’ पास ही कंप्यूटर पर अपना गेम खेल रहा मेरा 11 साल का बेटा बोला और फिर साले साहब से पूछा, ‘‘अंकल, लता मंगेशकर को कोकिलकंठी कहते हैं तो मोहम्मद रफीजी को क्या कहेंगे?’’
सालेजी झट बोले, ‘‘व्याकरण का सामान्य ज्ञान होना चाहिए, बेटा, स्त्रीलिंग का पुलिंग होगा, कोकिलकंठा.’’
अर्जुन अरविंद, औरंगाबाद (महा.)

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...